प्याज की खेती पर किसानों को 12000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से दिया जायेगा अनुदान

अनुदान पर प्याज की खेती

खरीफ सीजन में उद्यानिकी फसलों में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है | जिसके तहत अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा किसानों से आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं | उत्तरप्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में उच्च कोटि के प्याज की खेती को बढ़ावा देने हेतु खरीफ एवं रबी फसलों में उच्च कोटि के प्याज बीज के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2021-22 में किसानों के हित में कई लाभ दिए जा रहे हैं |

प्याज की खेती पर कितना अनुदान दिया जायेगा

उत्तरप्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में उच्च कोटि के प्याज की खेती को बढ़ावा देने हेतु खरीफ एवं रबी सीजन में प्याज उत्पादक किसानों को अधिकतम 4 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती करने पर 12,000 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुमन्य अनुदान सीमा तक प्याज क्रय कर चयनित लाभार्थियों को अनुदान दिया जायेगा | शेष बीज की व्यवस्था चयनित संस्थाओं से कृषक द्वारा स्वयं अपने स्त्रोत से करनी होगी |

प्याज की इन किस्मों की खेती पर दिया जायेगा अनुदान

इस समबन्ध में उद्यान विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री रामीरेड्डी द्वारा निदेशक उद्यान को निर्देशित किया गया है कि खरीफ एवं रबी मौसम में प्याज बीज की उपयुक्त प्रजाति एग्रीफाउंट डार्क रेड, भीमा सुपर, एल. 883 एवं एग्रीफाउंट लाइट रेड प्रजातियों हेतु राजकीय संस्थाओं द्वारा सूचित दरों पर अधिकतम 4 हेक्टेयर धनराशि 12,000 प्रति हे. की दर से अनुदान दिया जायेगा | प्याज बीज की गुणवत्ता के लिए सीधे जनपदीय उद्यान अधिकारीयों द्वारा राष्ट्रीय बागवानी अनुसन्धान एवं विकास प्रतिष्ठान, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी संघ (नैफेड) एवं नेशनल सीड कारपोरेशन से उनकी दरों पर क्रय चयनित लाभार्थी कृषकों को अनुमन्य अनुदान की सीमा धनराशी 12,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक उपलब्ध कराया जायेगा |

उल्लेखनीय है की किसानों के चयन में पारदर्शिता एवं समतुल्यता बनी रहे, इसके लिए किसानों को अनुदानित धनराशि किसानों को सीधे बैंक खातों में डी.बी.टी. के माध्यम से किया जायेगा | इसके लिए जनपद स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जायेगा जिसमें जिलाधिकारी या उनके द्वारा नामित अधिकारी अध्यक्ष होंगे मंडल के उपनिदेशक, उद्यान सदस्य तथा जिला उद्यान अधिकारी, सदस्य सचिव होंगे | जिलास्तरीय गठित कमेटी की देख-रेख में योजना सम्बन्धी कार्य को सम्पादित किया जायेगा |

किसान न्याय योजना के तहत अब इस तरह करवाएं अपना पंजीकरण

राजीव गाँधी किसान न्याय योजना हेतु पंजीयन

इस वर्ष खरीफ मौसम से “राजीव गाँधी किसान न्याय योजना” के तहत धान की खेती की जगह दुसरे फसलों की खेती करने पर किसानों को 10,000 रूपये की इनपुट सब्सिडी एवं धान की खेती करने वाले किसानों को 9,000 रुपये की इनपुट सब्सिडी दिए जाने का फैसला छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया है | योजना के तहत किसानों को पंजीकरण में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने दिशा निर्देशों में परिवर्तन किया है |

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की गाइडलाईन में हुए आंशिक संशोधन से राज्य के लाखों किसानों को फायदा होगा | इस योजना के तहत संयुक्त खातेदार किसानों को पंजीयन के लिए आवेदन पत्र के साथ सहमति सह-शपथ पत्र देने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है | छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को कचहरी और नोटरी के चक्कर तथा करोड़ो रूपए के अनावश्यक व्यय भार से राहत मिलेगी |

पंजीयन के लिए सिर्फ देना होगा स्वघोषणा पत्र

कृषि विभाग मंत्रालय द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना की गाइडलाईन में आंशिक रूप से संशोधन कर किसानों को अब पंजीयन कराने के लिए शपथ पत्र देने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। संयुक्त खातेदार किसानों को अब पंजीयन के लिए सिर्फ स्वघोषणा पत्र देना होगा। संयुक्त खातेदार किसानों का पंजीयन नंबरदार के नाम से होगा। गौरतलब है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की जारी गाईडलाइन में संयुक्त खातेदार कृषकों के पंजीयन के लिए आवेदन पत्र के साथ समस्त खाताधारकों की सहमति सह-शपथ पत्र तथा अन्य आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत करने का प्रावधान रखा गया था, जिसे अब विलोपित कर दिया गया है।

इन फसलों के लिए करवाना होगा पंजीकरण

छत्तीसगढ़ शासन के कृषि मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी संशोधित आदेश के तहत राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे किसानों को जिन्होंने खरीफ वर्ष 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय के लिए पंजीयन कराया था, उन किसानों को योजनांतर्गत पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं है। खरीफ की प्रमुख फसल मक्का, कोदो-कुटकी, सोयाबीन, अरहर तथा गन्ना उत्पादक कृषकों को योजनांतर्गत पंजीयन कराना है। खरीफ वर्ष 2020-21 में जिस रकबे से किसान द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया गया था, यदि वह उस रकबे में धान के बदले योजना में सम्मिलित अन्य फसल लगाता है, तो उसे योजनांतर्गत पंजीयन कराना होगा। किसान राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लाभ के लिए 30 सितंबर तक पंजीयन करा सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत पंजीयन के लिए संयुक्त खातेदार कृषकों को शपथ पत्र देने का प्रावधान इस योजना की गाइडलाईन में रखा गया था। शपथ पत्र बनवाने में किसानों को आ रही दिक्कत और अनावश्यक राशि खर्च होने का मामला जब मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के संज्ञान में आया तो उन्होंने कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे को योजना की गाइडलाईन में यथा संभव संशोधन कर किसानों को राहत देने के निर्देश दिए थे।

ड्रिप, मिनी/ माइक्रो एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर सेट सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन करें

ड्रिप, मिनी/माइक्रो एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर अनुदान हेतु आवेदन

पारंपरिक सिंचाई पद्धति के चलते पानी का दोहन जरुरत से अधिक होता हैं जिसके चलते भूमिगत जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है | गिरते भूमिगत जलस्तर को कम करने एवं देश में सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना PMKSY” चलाई जा रही है | जिसका एक कॉम्पोनेन्ट है सूक्ष्म सिंचाई “पर ड्राप मोर क्राप” (माइक्रोइरीगेशन) के तहत किसानों को सिंचाई यंत्र जैसे ड्रिप, मिनी माइक्रो स्प्रिंकलर एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर आदि अनुदान पर दिया जाता हैं | मध्यप्रदेश में उद्यानिकी विभाग द्वारा यह यंत्र किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं |

इन सिंचाई यंत्रों पर दी जाएगी सब्सिडी

मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा राज्य में किसानों के लिए सभी 51 जिलों के लिए जिलेवार लक्ष्य जारी कर दिए गए हैं | इन लक्ष्यों के विरूद्ध राज्य के सभी वर्ग के किसान आवंटित लक्ष्यों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं | किसान नीचे दिए गए सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं :-

  • पोर्टेबल स्प्रिंकलर
  • ड्रिप
  • मिनी/माइक्रो स्प्रिंकलर

सिंचाई यंत्रों पर दिया जाने वाला अनुदान

योजना के तहत दिए जाने वाले अनुदान को कृषक वर्ग के अनुसार बांटा गया है | इसमें लघु/सीमांत किसान जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अंतर्गत आते हैं उन्हें 65 प्रतिशत तक का अनुदान एवं लघु/सीमांत किसान जो सामान्य वर्ग से आते हैं उन्हें 60 प्रतिशत तक का अनुदान देने का प्रावधान किया गया है | वहीँ योजना के तहत बड़े किसान जो इन सभी वर्ग से आते हैं उन्हें 55 फीसदी का अनुदान दिया जायेगा |

अनुदान हेतु किसान कब कर सकते हैं आवेदन ?

राज्य के सभी वर्गों के किसान जिलेवार जारी लक्ष्य के अनुसार 17 जुलाई 2021 को दोपहर 11:00 AM बजे से आवेदन कर सकते हैं | दिए गये लक्ष्यों के संबंध में जिलो को आवंटित लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक तक आवेदन ही किये जा सकेंगे |

ड्रिप, मिनी/ माइक्रो स्प्रिंकलर एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर सब्सिडी हेतु आवेदन कहाँ करें

दिए गए सिंचाई यंत्रों हेतु आवेदन उधानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं | सभी आवेदन ऑनलाइन ही किये जा सकेंगे | किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी एवं मध्य प्रदेश पर देखे सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें| मध्य प्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए आनलाईन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर आवेदन कर सकते हैं |

ड्रिप, मिनी/ माइक्रो स्प्रिंकलर एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर सब्सिडी हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

कस्टम प्रोसेसिंग योजना के तहत 25 लाख रुपये तक का लोन लेकर शुरू करें अपना बिज़नेस

कस्टम प्रोसेसिंग योजना के तहत लोन एवं अनुदान

कृषि क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही हैं | पिछले वर्ष कोरोना लॉक डाउन के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी के द्वारा “आत्मनिर्भर भारत” के तहत कई योजनाओं की घोषणा की गई थी इन योजनओं में कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना भी शामिल है | योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों आदि की स्थापना पर इच्छुक लाभार्थियों को सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध करवाना शामिल है | मध्यप्रदेश सरकार ने इससे जुडी योजना “कस्टम प्रोसेसिंग योजना” की शुरुआत कर दी है |

क्या है कस्टम प्रोसेसिंग योजना

मध्यप्रदेश के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने गुरुवार को मध्यप्रदेश में “कस्टम प्रोसेसिंग योजना” का शुभारंभ किया | योजना के तहत ग्रामीण युवाओं को अनाज की ग्रेडिंग, क्लीनिंग, ग्रेडिंग प्लांट, दाल मिल, राइस मिल इत्यादि के लिये 25 लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इसमें शासन की ओर से 40 प्रतिशत का अनुदान भी मिलेगा। इससे कृषि क्षेत्र में युवाओं को व्यापार और रोजगार के बेहतर अवसर मुहैया होंगे।

250 कस्टम प्रोसेसिंग केन्द्र किये जाएंगे स्थापित

कृषि मंत्री श्री पटेल ने बताया कि मध्यप्रदेश कस्टम प्रोसेसिंग केन्द्र स्थापित करने संबंधी योजना लागू करने वाला पहला राज्य है। प्रदेश में इस वर्ष लगभग 250 कस्टम प्रोसेसिंग केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। इसके लिये शीघ्र ही आवेदन आमंत्रित किये जायेंगे। श्री पटेल ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित “कृषि अधोसंरचनात्मक फण्ड” अंतर्गत कस्टम प्रोसेसिंग योजना के प्रोजेक्ट स्वीकृत किये जायेंगे। योजना अंतर्गत हितग्राहियों को 3 प्रतिशत का ब्याज अनुदान भी अलग से उपलब्ध कराया जायेगा।

मंत्री श्री पटेल ने बताया कि नवीन कस्टम प्रोसेसिंग योजना ग्राम स्तर पर उपज की ग्रेडिंग करेगी और किसान भाई अलग-अलग ग्रेड के आधार पर अपनी उपज मण्डी में बेच सकेंगे। श्री पटेल ने बताया कि प्रदेश की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर करती है। प्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा खातेदार हैं। इनमें से लगभग 80 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते हैं । कृषि आधारित अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के सशक्तिकरण के लिये अधिक से अधिक अवसर सृजित होंगे।

बीमा कंपनी द्वारा किसानों के खारिज बीमा क्लेम दावो का किया जायेगा सत्यापन

बीमा क्लेम दावो का सत्यापन

किसान परिवारों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया करवाने के उद्देश्य से राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही है, इनमें किसानों का बीमा भी शामिल है | जहाँ प्राक्रतिक आपदाओं से फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है वहीँ कृषि कार्यों के दौरान किसानों की दुर्घटना से होने वाली क्षति से भरपाई के लिए भी योजना चलाई जा रही है | राजस्थान सरकार ने किसानों के दुर्घटना बीमा के तहत जो क्लेम खारिज किये जा चुके हैं उनका पुनः सत्यापन करने का आदेश दिया है |

राजस्थान के रजिस्ट्रार सहकारिता श्री मुक्तानन्द अग्रवाल ने कहा कि बीमा कंपनी द्वारा किसानों के दुर्घटना बीमा एवं सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना के लिए किसानों के खारिज बीमा क्लेम दावो का सत्यापन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान परिवार को कठिन परिस्थितियों में मदद के लिए बीमा की व्यवस्था की गई है। ऐसे में किसी भी किसान के साथ दस्तावेजों के अभाव में यदि बीमा क्लेम खारिज हुआ है तो इसका सत्यापन करवाकर क्लेम दिलवाया जाएगा।

वर्ष 2016 से 21 के मध्य खारिज हुए बीमा क्लेम का होगा सत्यापन

श्री अग्रवाल ने बीमा कंपनियों के साथ वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020-2021 तक बीमा कंपनी को प्रस्तुत दावों, क्लेम भुगतान एवं कंपनी द्वारा खारिज दावों की समीक्षा बैठक की | उन्होंने कहा कि कंपनी किसानों के लंबित क्लेम का त्वरित निस्तारण करे एवं किसान को राहत दे। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल शैम्पों द्वारा वर्तमान में बड़ी संख्या में लंबित दावो की सूची में जिन दस्तावेजों की कमी है, उसे केन्द्रीय सहकारी बैंकों के साथ साझा करें। बैठक में विभाग, बैंक एवं 6 बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

पशुपालन और डेयरी विभाग की योजनाओं के लिए 54,618 करोड़ रुपये के पैकेज को मिली मंजूरी

डेयरी और पशुपालन सेक्टर के लिए पैकेज को मंजूरी

देश में पशुपालन क्षेत्र में रोजगार सृजन एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इन योजनाओं को देश में आगे भी जारी रखने के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने विशेष पशुधन सेक्टर पैकेज के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत कई गतिविधियां शामिल हैं| साथ ही सरकार की इन योजनाओं के कई घटकों को संशोधित किया गया है । यह अगले पांच वर्षों के लिये है, जो 2021-22 से शुरू होकर आने वाले 5 वर्षों के लिए चलेगा |

इस पैकेज से पशुधन क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके कारण पशुपालन क्षेत्र से जुड़े 10 करोड़ किसानों को लाभ होगा | इस पैकेज के तहत केंद्र सरकार अगले पांच वर्षों के दौरान 54,618 करोड़ रुपये का कुल निवेश जुटाने के लिये 9,800 करोड़ रुपये की सहायता देगी।

इन योजनाओं में किया जायेगा निवेश

पशुपालन विभाग की सभी योजनाओं को तीन वृहद विकास योजनाओं की श्रेणी में समाविष्ट कर दिया जायेगा। इनमें राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) और पशुधन की गणना तथा एकीकृत नमूना सर्वेक्षण (एलसी-एंड-आईएसएस) को उप-योजनाओं के तौर पर शामिल किया गया है। रोग नियंत्रण कार्यक्रम का नाम बदलकर पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) रख दिया गया है। इसमें मौजूदा पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण तो है ही, लेकिन इसके साथ राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और अवसंरचना विकास निधि को शामिल किया गया है।

उल्लेखनीय है कि पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) और डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) को आपस में मिला दिया गया है। इस तरह अवसंरचना विकास निधि तैयार की गई है। डेयरी गतिविधियों में संलग्न डेयरी सहकारिता और किसान उत्पादक संगठनों को भी इस तीसरी श्रेणी में शामिल कर लिया गया है, ताकि डेयरी सहकारिताओं को सहायता मिल सके।

पशुपालकों को होने वाले लाभ

राष्ट्रीय गोकुल मिशन से स्वदेशी प्रजातियों के विकास और संरक्षण को मदद मिलेगी। इससे गांव के गरीब लोगों की आर्थिक हालत में भी सुधार होगा। राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम योजना (एनपीडीडी) का लक्ष्य थोक में लगभग 8900 कूलरों को लगाने का है, जिसमें दूध रखा जा सके। इस कदम से आठ लाख से अधिक दुग्ध उत्पादकों को फायदा होगा और 20 एलएलपीडी दूध की अतिरिक्त प्राप्ति संभव होगी। एनपीडीडी के अंतर्गत जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जीआईसीए) से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी, जिससे 4500 गांवों में नई अवसंरचना का निर्माण होगा |

किसानों के पास जाकर की जाएगी मिट्टी एवं पानी की जांच

मिट्टी एवं पानी की जांच

फसलों की अच्छी बढ़ोतरी एवं अधिक उत्पादन के लिए पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्वों की उपलब्धता होना आवश्यक है, जिसके लिए किसानों को उनकी भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा का सही ज्ञान होना चाहिए | किसान खेत की भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा की जानकारी मिट्टी की जांच करवा कर ले सकते हैं | केंद्र सरकार ने देश भर में मिट्टी की जाँच के लिए एक अभियान चला रखा है | इसके तहत किसान अपने तहसील केंद्र पर जाकर खेत की मिट्टी की जाँच करा सकते हैं |

मिट्टी जांच केंद्र कम होने से तथा किसानों के बीच जागरूकता कम होने के चलते मिट्टी जाँच का रफ्तार काफी कम रहती है | इसके लिए जाँच केंद्र बढाने के अलावा किसानों को मिट्टी जांच के प्रति जागरूक करना जरुरी है | इसको ध्यान में रखते हुए हरियाणा में स्थिति चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविध्यालय हिसार के वैज्ञनिक खुद किसानों के पास जाकर उनके खेत की मिट्टी–पानी की जाँच करेंगे | अब मिट्टी-पानी जाँच के लिए हिसार स्थित लैब के अलावा यह सुविधा नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से भी किसानों को उपलब्ध की जाएगी |

विश्वविध्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने मोबाईल डायग्नोस्टिक–कम–एग्जिबिशन यूनिट (मिट्टी – पानी जांच एवं प्रदर्शनी वाहन) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया | यह वैन सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों पर जाएगी तथा आस–आस के किसानों के खेत की मिट्टी जांच करेगी | इसके अलावा कृषि से संबंधित फिल्म भी किसानों को दिखाई जाएगी |

इस वैन में एक टीम इंचार्ज, कृषि विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिक, लैब सहायक व मृदा विज्ञान विभाग से एक तकनीकी लैब सहायक शामिल होगा, जो किसानों को जानकारी देगा | साथ ही विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों और विकसित तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत जाने किस जिलें में लगायें कौन सी फसल

किस जिले में लगायें कौन सी बागवानी

किसानों को आत्मनिर्भर बनाने एवं उनकी आय को दोगुना करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने नवम्बर 2020 में एक जिला एक उत्पाद योजना की शुरुआत की है | इसके तहत देश के सभी जिलों के लिए एक फसल पंजीकृत की गई है | योजना के शुरुआत करते हुए कृषि तथा कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया था कि इस योजना से 8 लाख किसान सीधे तौर पर लाभन्वित होंगे |

इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने 10,000 करोड़ रूपये का बजट जारी किया है | जिससे देश भर में 2 लाख नई सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को वित्तीय लाभ पहुँचाया जायेगा | प्रारंभ में इस योजना से उत्तर प्रदेश को जोड़ा गया था | जिसकी सफलता को देखते हुए इसे देश भर में लागू किया गया है | अब इस योजना से जुड़ने वाले नए राज्यों में छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश भी शामिल हो गए हैं | अब यहाँ के किसान अपने जिले के पंजीकृत फसल की खेती एवं व्यापार कर सकते हैं | इसके लिए सरकार प्रशिक्षण के साथ–साथ अनुदान और ऋण भी उपलब्ध करायेगी |

छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के लिए यह फसलें की गई चयनित

उधानिकी विभाग ने एक जिला एक उत्पादन के तहत 9 फसलों को शामिल किया है | इसके तहत छत्तीसगढ़ उधानिकी विभाग अदरक, पपीता, आम, सीताफल, चाय, काजू, टमाटर, हल्दी एवं लीची को शामिल किया गया है |

जिलेवार कौन सी फसलों का किया गया चयन

राज्य उधानिकी विभाग ने 14 जिलों के लिए 9 उधानिकी फसलों को शामिल किया है | कुछ जिले में एक उत्पाद है तो कहीं दो जिलों में एक उत्पाद को शामिल किया गया है जो इस प्रकार है :-

  • बलोद – अदरक
  • सूरजपुर – हल्दी
  • रायपुर एवं बेमेतरा – पपीता
  • दंतेवाडा – आम
  • गौरेला – पेंड्रा – मरवाही एवं कांकेर – सीताफल
  • जशपुर – चाय
  • कोंडागांव – काजू
  • कोरिया, मुंगेली, रायगढ़ एवं दुर्ग के लिए टमाटर
  • सरगुजा – लीची

खरीफ फसल की बुआई के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए जारी की सलाह

बुआई के लिए किसानों को सलाह

खरीफ सीजन 2021–22 की शुरुआत हो चुकी है | किसान भाई अलग–अलग फसलों की बुवाई जलवायु एवं मौसम के आधार पर एवं केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर कर रहे हैं | कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को खरीफ फसल की बुवाई से पहले समसामयिक सलाह जारी की गई है, जिसके अनुसार किसान अभी खरीफ सीजन में फसलों की बुआई के लिए क्या-क्या करें इसकी जानकारी दी गई है |

धान की खेती करने वाले किसानों क लिए सलाह

धान का थरहा डालने या बुवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक घोल में उपचारित करने को कहा गया है | धान की कतारों में बोनी करते वक्त प्रति हैक्टेयर के मान से 80 से 90 किलो बीज का उपयोग करना तथा कतार के कतार के बीच 20 सेंटीमीटर की दुरी रखने की सलाह दी गई है | छिड़का बोनी में प्रति हेक्टेयर के मान से 100 से 120 किलो बीज एजोसपाइ’रिलम तथा पीएसबी कल्चर 5 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोनी की सलाह दी गई है |

किसान भाईयों को शीघ्र एवं मध्यम अवधि वाली धान के किस्मों की कतार बोनी करने को कहा गया है | कतार बोनी करने से बियासी करने की जरूरत नहीं पडती है एवं धान की फसल निर्धारित समय से 10 से 15 दिन पूर्व ही पक जाती है | धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्रों के लगभग 10 वें हिस्से में नर्सरी तैयार करने तथा मोटा धान वाले किस्मों की मात्रा 50 किलो प्रति हेक्टेयर एवं पतला धान के किस्मों की मात्रा 40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालने की समझाईश दी गई है |

जिन किसानों की धान की पौधशाला लग गयी हो वे बकानी रोग के लिए पौधशाला की निगरानी करते रहें तथा लक्षण पाये जाने पर कार्बेन्डिजम 2.0 ग्राम/लीटर पानी घोल कर छिडकाव करें। धान की पौधशाला मे यदि पौधों का रंग पीला पड रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती है। पौधों की ऊपरी पत्तियॉ यदि पीली और नीचे की हरी हो तो यह लौह तत्व की कमी दर्शाता है। इसके लिए 0.5 % फेरस सल्फेट +0.25 % चूने के घोल का छिडकाव करें।

अरहर की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह

इसी तरह अरहर की शीघ्र पकने वाली किस्मों की कतार बुआई करते समय कतारों के बीच 7 सेंटीमीटर एवं पौधों की दुरी 15 सेंटीमीटर रखने की सलाह दी गई है | मध्यम अवधि वाली अरहर की फसल की बोनी में कतार से कतार की बीज की दुरी 90 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दुरी 20 सेंटीमीटर रखने को कहा गया है |

मक्का की बुआई करने वाले किसानों के लिए सलाह

मक्का की कतार बुआई करते समय कतार से कतार की दुरी 60 से 75 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दुरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखना चाहिए | इस मौसम में किसान मक्का फसल की बुवाई के लिए खेतो को तैयार करें। मक्का की संकर किस्में: ए एच-421,ए एच-58 तथा उन्नत किस्में: पूसा कम्पोजिट-3,पूसा कम्पोजिट-4 बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।  बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति-पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें।

सब्जी फसलों के लिए सलाह

यह समय मिर्च, बैंगन व फूलगोभी (सितम्बर में तैयार होने वाली किस्में) की पौधशाला बनाने के लिए उपयुक्त है। किसान पौधशाला में कीट अवरोधी नाईलोन की जाली का प्रयोग करें, ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए छायादार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊँचाई पर ढक सकते है। बीजों को केप्टान (2.0 ग्राम/ कि.ग्रा बीज) के उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें। जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई की तैयारी करें।

कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन, पूसा समृद्वि करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास तुरई की पूसा चिकनी धारीदार, तुरई की पूसा नसदार तथा खीरा की पूसा उदय, पूसा बरखा आदि किस्मों की बुवाई करें। मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके उपरांत इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करें।

66 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर डेयरी फार्म खोलने के लिए आवेदन करें

डेयरी फार्म पर अनुदान हेतु आवेदन

किसानों कि आय बढ़ाने के लिए सरकारों द्वारा पशुपालन, बागवानी एवं मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है | इन क्षेत्रों से जहाँ किसान रोजाना की आमदनी कर सकते हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा रोजगार का अवसर भी दे सकते हैं | डेयरी किसानों के लिए एटीएम की तरह है जहाँ प्रतिदिन आमदनी सुनिश्चित होती है | राज्य तथा केंद्र सरकार डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है जिसका लाभ लेकर किसान अनुदान पर डेयरी फार्म की शुरुआत कर सकते हैं |

ऐसी ही एक योजना है “ डेयरी उद्यमिता विकास योजना” जो केंद्र सरकार की मदद से कई राज्यों में चलाई जा रही है | छत्तीसगढ़ में भी इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है, इसके तहत किसानों को दुधारू पशु खरीदने पर सब्सिडी दी जा रही है | इच्छुक व्यक्ति अभी इस योजना के लिए आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं |

हितग्राहियों को डेयरी फार्म खोलने पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

डेयरी उधमिता विकास योजना के तहत 2 दुधारू पशुओं (गाय अथवा भैंस) के लिए सब्सिडी दी जा रही है | योजना के तहत कुल लागत मूल्य पर सब्सिडी दी जाएगी | सरकार ने 2 पशुओं के लिए 1 लाख 40 हजार रूपये निर्धारित किया है | सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिए 50 प्रतिशत (0.70 लाख) तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों के लिए 66.6 प्रतिशत (0.932 लाख) कि सब्सिडी देने का प्रावधान किया है | हितग्राही योजना के तहत बैंक ऋण प्राप्त कर सकते हैं |

योजना के तहत जारी लक्ष्य

राज्य सरकार द्वारा डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के तहत चालू वित्त वर्ष 2021–22 में 950 हितग्राहियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है | जिनमें से 200 हितग्राही अनुसूचित जनजाति वर्ग के तथा 168 हितग्राही अनुसूचित जाति वर्ग के रहेंगे, शेष सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं |

पिछले वर्ष इस योजना के तहत 527 हितग्राहियों को लाभ पहुँचाया गया था | इसके लिए 15 करोड़ 17 लाख रूपये का अनुदान दिया गया था | इनमें से 310 अनुसूचित जनजाति और 36 अनुसूचित जाति के हितग्राही शामिल है , शेष सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिए था |

अनुदान प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

हितग्राहियों को अनुदान राशि प्राप्ति हेतु निम्न दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा:-

  • पशुधन क्रय संबंधी दस्तावेज जो कि सत्यापन समिति द्वारा सत्यापित हो |
  • बीमा संबंधी दस्तावेज
  • क्रय पशु में कृत टीकाकरण प्रमाण पत्र
  • हितग्राही एवं दो गवाह द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंध पत्र | हितग्राही द्वारा इकाई को कम से कम 5 वर्ष तक संचालित किया जाना होगा | इस संबंध में एक अनुबंध हितग्राही एवं विभाग के बीच में संपादित किया जाना होगा |
  • बैंक खाते का विवरण
  • जाति प्रमाण पत्र | अनुसूचित जाति / जनजाति के हितग्राहीयों को सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा |
  • पता एवं पहचान पत्र
  • छत्तीसगढ़ मूल निवासी प्रमाण पत्र |

इन व्यक्तियों को दी जाएगी प्राथमिकता

छत्तीसगढ़ सरकार डेयरी उदधमिता योजना के तहत भूमिहीन, लघु एवं सीमांत कृषक, गरीबी रेखा के नीचे के परिवार, दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों, दुग्ध संकलन मार्ग पर स्थित ग्राम, गौठान योजना के अंतर्गत चिन्हित ग्रामों के पशुपालकों, महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों एवं पूर्व से दुग्ध उत्पादन में संलग्न परिवार को प्राथमिकता दी जाएगी |

डेयरी फार्म अपर अनुदान हेतु कहाँ करें आवेदन ?

योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए इच्छुक हितग्राही अपने नजदीक के पशु चिकित्सा संस्था – पशु औषधालय, कृत्रिम गर्भधान उपकेन्द्र, मुख्य ग्राम इकाई, पशु चिकित्सालय, कृत्रिम गर्भधान केंद्र, मुख्य ग्राम खंड में निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए पशु चिकित्सा कार्यालय अथवा संस्था में संपर्क किया जा सकता है |