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मंगलवार, मार्च 19, 2024
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खरीफ फसल की बुआई के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए जारी की सलाह

बुआई के लिए किसानों को सलाह

खरीफ सीजन 2021–22 की शुरुआत हो चुकी है | किसान भाई अलग–अलग फसलों की बुवाई जलवायु एवं मौसम के आधार पर एवं केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर कर रहे हैं | कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को खरीफ फसल की बुवाई से पहले समसामयिक सलाह जारी की गई है, जिसके अनुसार किसान अभी खरीफ सीजन में फसलों की बुआई के लिए क्या-क्या करें इसकी जानकारी दी गई है |

धान की खेती करने वाले किसानों क लिए सलाह

धान का थरहा डालने या बुवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक घोल में उपचारित करने को कहा गया है | धान की कतारों में बोनी करते वक्त प्रति हैक्टेयर के मान से 80 से 90 किलो बीज का उपयोग करना तथा कतार के कतार के बीच 20 सेंटीमीटर की दुरी रखने की सलाह दी गई है | छिड़का बोनी में प्रति हेक्टेयर के मान से 100 से 120 किलो बीज एजोसपाइ’रिलम तथा पीएसबी कल्चर 5 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोनी की सलाह दी गई है |

किसान भाईयों को शीघ्र एवं मध्यम अवधि वाली धान के किस्मों की कतार बोनी करने को कहा गया है | कतार बोनी करने से बियासी करने की जरूरत नहीं पडती है एवं धान की फसल निर्धारित समय से 10 से 15 दिन पूर्व ही पक जाती है | धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्रों के लगभग 10 वें हिस्से में नर्सरी तैयार करने तथा मोटा धान वाले किस्मों की मात्रा 50 किलो प्रति हेक्टेयर एवं पतला धान के किस्मों की मात्रा 40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालने की समझाईश दी गई है |

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जिन किसानों की धान की पौधशाला लग गयी हो वे बकानी रोग के लिए पौधशाला की निगरानी करते रहें तथा लक्षण पाये जाने पर कार्बेन्डिजम 2.0 ग्राम/लीटर पानी घोल कर छिडकाव करें। धान की पौधशाला मे यदि पौधों का रंग पीला पड रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती है। पौधों की ऊपरी पत्तियॉ यदि पीली और नीचे की हरी हो तो यह लौह तत्व की कमी दर्शाता है। इसके लिए 0.5 % फेरस सल्फेट +0.25 % चूने के घोल का छिडकाव करें।

अरहर की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह

इसी तरह अरहर की शीघ्र पकने वाली किस्मों की कतार बुआई करते समय कतारों के बीच 7 सेंटीमीटर एवं पौधों की दुरी 15 सेंटीमीटर रखने की सलाह दी गई है | मध्यम अवधि वाली अरहर की फसल की बोनी में कतार से कतार की बीज की दुरी 90 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दुरी 20 सेंटीमीटर रखने को कहा गया है |

मक्का की बुआई करने वाले किसानों के लिए सलाह

मक्का की कतार बुआई करते समय कतार से कतार की दुरी 60 से 75 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दुरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखना चाहिए | इस मौसम में किसान मक्का फसल की बुवाई के लिए खेतो को तैयार करें। मक्का की संकर किस्में: ए एच-421,ए एच-58 तथा उन्नत किस्में: पूसा कम्पोजिट-3,पूसा कम्पोजिट-4 बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।  बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति-पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें।

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सब्जी फसलों के लिए सलाह

यह समय मिर्च, बैंगन व फूलगोभी (सितम्बर में तैयार होने वाली किस्में) की पौधशाला बनाने के लिए उपयुक्त है। किसान पौधशाला में कीट अवरोधी नाईलोन की जाली का प्रयोग करें, ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए छायादार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊँचाई पर ढक सकते है। बीजों को केप्टान (2.0 ग्राम/ कि.ग्रा बीज) के उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें। जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई की तैयारी करें।

कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन, पूसा समृद्वि करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास तुरई की पूसा चिकनी धारीदार, तुरई की पूसा नसदार तथा खीरा की पूसा उदय, पूसा बरखा आदि किस्मों की बुवाई करें। मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके उपरांत इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करें।

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