20 अप्रैल से शुरू होगी बिहार में समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना एवं मसूर की खरीदी

गेहूं, चना एवं मसूर की सरकारी खरीद

रबी फसल की खरीदी उत्तर भरत के लगभग सभी राज्यों में शुरू हो चूकी है परन्तु कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहाँ रबी फसलों की खरीदी अभी शुरू नहीं हुई है | इसका कारण यह है की गेहूं की कटाई चल रही है | इसमें से बिहार राज्य भी आता है जहाँ गेहूं की कटाई इस माह से हुई है| इसको देखते हुए राज्य सरकार ने मसूर, चना तथा गेहूं खरीदी की तिथि को 15 अप्रैल से बढाकर 20 अप्रैल कर दी है | राज्य सरकार केंद्र के द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना, मसूर तथा गेहूं की खरीदी करेगी | इसके लिए राज्य में पैक्स ने 6400 खरीदी केंद्र बनाया है | किसान समाधान बिहार में रबी फसल की खरीदी की पूरी जानकारी लेकर आया है |

खरीदी कब से शुरू होगी

बिहार में गेहूं की कटाई अभी चल रही है | इस कारण अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार में गेहूं की खरीदी देर से शुरू की जाती है | पहले मसूर, चना तथा गेहूं की सरकारी खरीदी 15 अप्रैल से किया जाना था लेकिन इसे बढ़कर 20 अप्रैल से कर दिया गया है | यह खरीदी 15 जुलाई 2021 तक किया जायेगा |

एक किसान अधिकतम बेच सकेगा 150 क्विंटल गेहूं

राज्य में गेहूं बेचने के लिए प्रति किसान अधिकतम सीमा तय कर दी गई है इसके मुताबिक जिस किसान के पास खुद की भूमि है वह अधिकतम 150 क्विंटल गेहूं बेच सकते हैं जबकि जिन किसान के पास खुद की भूमि नहीं है वह बटाई या लीज पर भूमि लेकर खेती कर रहे है उनके लिए अधिकतम 50 क्विंटल की सीमा निर्धारित की गई है |

1 लाख मीट्रिक टन गेहूं तथा 3.25 लाख मीट्रिक टन मसूर ख़रीदा जायेगा

खरीद करने वाली एजेंसियों के द्वारा राज्य में मसूर तथा गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा है | राज्य में मसूर को सरकारी एजेंसियों के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 3.25 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य रखा है तथा चना की सरकारी खरीदी 2 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य है | गेहूं के लिए 1 लाख मीट्रिक टन की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किये जाने का अनुमान रखा गया है, लेकिन गेहूं किसानों का आवक जारी रहता है तो खरीदी लक्ष्य को बढ़ाया जायेगा |

पैक्स द्वारा 6400 केन्द्रों पर की जाएगी खरीदी

बिहार में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मसूर, चना तथा गेहूं की सरकारी खरीदी के लिए पैक्स ने 6400 खरीदी केंद्र बनाएं हैं | इन सभी केन्द्रों पर 20 अप्रैल से खरीदी शुरू कर दिया जायेगा |

चना, मसूर तथा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है ?

केंद्र सरकार खरीफ, रबी तथा नगदी फसलों को मिलकर 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है | यह मूल्य देश के सभी राज्यों में सामान्य रूप से लागू होते है | इस वित्त वर्ष के लिए चना, मसूर तथा गेहूं का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है |

  • गेहूं – 1975 रूपये प्रति क्विंटल
  • चना – 5100 रूपये प्रति क्विंटल
  • मसूर – 5100 रूपये प्रति क्विंटल

48 घंटों के अन्दर किया जायेगा किसानों को भुगतान

जिस किसान से गेहूं, चना तथा मसूर की खरीदी किया जायेगा उन सभी किसानों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से 48 घंटे तक में भुगतान कर दिया जायेगा | खरीदी में किसी भी प्रकार के बिचौलिया तथा व्यापारी शामिल नहीं किया जायेगा | किसान अपने पंचायत के एजेंसियों में ही बेच सकते हैं |

केन्द्रों पर कोरोना प्रोटोकाल लागू रहेगा

कोरोना को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी खरीदी केन्द्रों पर कोरोना से बचने के लिए एहतियात बरत रही है | खरीदी केन्द्रों पर जाने वाले किसानों के लिए मास्क जरुरी कर दिया गया है | इसके साथ ही सेनेटाईजर, साबुन, पेयजल की व्यवस्था की गई है | किसानों को शारीरिक दुरी बनाकर रखना होगा |

किसान यह दस्तावेज ले जाएँ साथ

बिहार पैक्स में गेहूं बेचने के लिए राज्य सरकार ने कुछ दस्तावेज निर्धारित किये हैं | जिसे साथ लेकर जाना जरुरी है | इन दस्तावेजों के अनुसार ही पैक्स में आनलाइन फ़ार्म भरा जायेगा |

  • फोटो पहचान पत्र (आधार कार्ड / वोटर पहचान पत्र)
  • बैंक पास बुक की छाया प्रति
  • भूमि संबंधित दस्तावेज

इफको ने DAP, यूरिया एवं अन्य खाद के बढे हुए दामों की ख़बरों को लेकर क्या कहा

इफको IFFCO खाद के दाम

महंगाई की मार झेल रहे किसानों के लिए एक और बुरी खबर अभी हाल ही के दिनों में निकलकर सामने आई है | इसके अनुसार इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO)  ने डीएपी, यूरिया एवं अन्य खाद उर्वरकों के दामों में वृद्धि कर दी है | DAP यानी कि डाई अमोनियम फॉस्फेट में कीमत में 58.33 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है |  DAP खाद की अभी जो बोरी 1,200 रुपये में मिलती थी, उसकी कीमत अब 1,900 रुपये किये जाने की ख़बरें आई हैं | इन बढ़ी हुई कीमतों को लेकर इफको की तरफ से सफाई आई है |

इफको ने कहा है कि नई दरों के साथ जो मैटेरियल आ रहा है वो फिलहाल किसानों को नहीं बेचा जाएगा | इफको का कहना है कि अभी जो भी पुराना स्टॉक है उसे खत्म होने तक किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद दिया जायेगा | यानी फिलहाल खाद के नए दाम किसानों से नहीं वसूले जाएंगे और उनसे DAP पुरानी कीमत 1200 रूपये प्रति बैग ही बिकेगा | किसान समाधान इसको लेकर आपके लिए विस्तार से जानकारी लेकर आया है |

IFFCO द्वारा उत्पादित खादों में हो सकती हैं इतनी वृद्धि

निजी कंपनियां द्वारा मार्च 2021 में ही उत्पादित DAP के दाम में वृद्धि कर दी गई थी | उस समय IFFCO के तरफ से बताया गया था की IFFCO द्वारा उत्पादित DAP में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की जाएगी लेकिन इस माह DAP के मूल्य में 58 प्रतिशत की वृद्धि का सर्कुलर जारी कर दिया गया है जो आने वाली नई पैकिंग पर दिख सकता है | अगर ऐसा हुआ तो जो DAP पिछले वर्ष 1200 रूपये प्रति बैग (50 किलोग्राम) मिलता था वह अब 1900 रूपये प्रति बैग (50 किलोग्राम) मिलेगा |

बढ़े हुए मूल्य इस प्रकार है :-

इफको ने कहा अभी पुराने दामों पर ही बेचा जायेगा खाद

IFFCO के तरफ से बताया गया है कि स्टॉक में पड़े 11.26 लाख मिट्रिक टन रासायनिक खाद को पुराने रेट पर ही बेचेगी | मूल्य में किसी भी प्रकार की वृद्धि अभी नहीं की गई है तथा जो बैग पर लिखा रहेगा किसान को उतनाही भुगतना करना होगा | इफको ने कहा है कि नई दरों के साथ जो मैटेरियल आ रहा है वो फिलहाल किसानों को नहीं बेचा जाएगा | इफको का कहना है कि पुराना स्टॉक खत्म होने तक कीमतें कम हो सकती है |

इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू. एस. अवस्थी ने ट्वीट कर कहा है कि विनिर्माण संगठन होने के नाते हमें अपने संयंत्रों द्वारा प्रसंस्कृत नई सामग्री को प्रेषित करने के लिए बैगों पर मूल्य अंकित करना पड़ता है । पत्र में उल्लिखित मूल्य केवल बैगों पर दिखाने के लिए उद्धृत अस्थायी मूल्य है,जो अनिवार्य है |

कब से हो सकती है मूल्य में वृद्धि

अभी कब तक इफको के पास पुराना स्टॉक मौजूद है तब तक इफको के उर्वरकों की कीमत में वृद्धि नहीं की जाएगी परन्तु किसानों को नई पैकिंग आने पर बढे हुए दाम देखने को मिल सकते हैं | इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू. एस. अवस्थी ने ट्वीट कर कहा है कि ‘इफको संगठन यह सुनिश्चित करता है कि बाजार में पुराने मूल्य पर पर्याप्त सामग्री उपलब्ध हों | इफको विपणन टीम को यह निर्देश दिया गया है कि किसानों को केवल पुराने मूल्ययुक्त पैकशुदा सामान ही बेचे जाएं | विनिर्माण संगठन होने के नाते हमें अपने संयंत्रों द्वारा प्रसंस्कृत नई सामग्री को प्रेषित करने के लिए बैगों पर मूल्य अंकित करना पड़ता है । पत्र में उल्लिखित मूल्य केवल बैगों पर दिखाने के लिए उद्धृत अस्थायी मूल्य है,जो अनिवार्य है।‌

2014 से अब तक इफको के DAP का मूल्य

केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी इफको ने मई 2013 से अब तक 8 बार मूल्य में वृद्धि या कमी की है | इसमें वर्ष 2016, 2019 तथा 2020 में बढे हुए मूल्य में कमी किया है | पूरा विवरण इस प्रकार है |  

क्र.
मूल्य वृद्धि वर्ष
रुपया प्रति बैग (50 किलोग्राम)

1.

मई 2013

1125

2.

अगस्त 2014

1130

3.

अप्रैल 2015

1141

4.

जुलाई 2016

1135

5.

जुलाई 2017

1040

6.

सितम्बर 2018

1290

7.

अक्तूबर 2019

1250

8.

सितम्बर 2020

1200

 

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत अभी तक खर्च किये गए 1841.75 करोड़ रूपये

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के क्रियान्वयन की स्थिति

देश में स्वदेशीय गोवंश के विकास और संरक्षण के लिए एवं पशुपालकों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से भारत सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना की शुरुआत की थी | योजना के तहत गौवंशीय पशुओं में नस्ल सुधार, संरक्षण तथा दूध के उत्पादन की गुणवत्ता को बढ़ाना आदि लक्ष्य निर्धारित किये गए थे | योजना का क्रियान्वयन देश के सभी राज्यों में किया जा रहा है |  इस योजना में दो घटक शामिल हैं, नामत: राष्ट्रीय बोवाइन प्रजनन कार्यक्रम (एनपीबीबी) और राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन (एनएमबीपी)। योजना की शुरुआत 2014 में की गई थी जब से लेकर अभी तक योजना की कार्य की प्रगति लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के विषय में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह ने विस्तार से जानकारी दी जिसे किसान समाधान आपके लिए लेकर आया है |

राष्ट्रीय गोकुल मिशन का उद्देश्य क्या है ?

केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना देश में देशी गौ वंश को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है | इसका उद्देश्य इस प्रकार है :-

  1. स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण
  2. स्वदेशी नस्लों के लिए सुधार कार्यक्रम ताकि आनुवांशिक संरचना में सुधार हो और स्टाक में वृद्धि हो,
  3. रोग मुक्त उच्च आनुवांशिक गुण वाली मादा आबादी को बढ़ाकर और रोग के प्रसार को नियंत्रित करके बोवाइन आबादी के दुग्ध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना,
  4. गिर, साहिवाल, राठी, देओनी, थारपरकर, लाल सिंधी जैसी उत्कृष्ट स्वदेशी नस्लों का उपयोग करके नान – डिस्क्रिप्ट गोपशुओं का उन्नयन करना,
  5. प्राकृतिक सेवा के लिए रोग मुक्त उच्च आनुवांशिक गुणवता वाले बैलों का वितरण,
  6. उच्च आनुवांशिक गुणता वाले जर्म प्लाज्म का उपयोग करके एआई या प्राकृतिक सेवा के जरिए सभी प्रजनन योग्य मादाओं को संगठित प्रजनन के तहत लाना,
  7. किसानों के घर पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भधान (एआई) सेवाओं की व्यवस्था करना,
  8. प्रजनकों और किसानों को जोड़ने के लिए बोवाइन जर्मप्लाज्म के लिए ई – मार्केट पोर्टल बनाना,
  9. सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) मुद्दों को पूरा करके पशुधन उत्पादों के व्यापर में वृद्धि करना,
  10. जीनोमिक्स का प्रयोग करके कम उम्र के उच्च आनुवांशिक योग्यता वाले प्रजनन बैलों का चयन करना,

योजना के तहत अभी तक दी गई वित्तीय सहायता

इस योजना के तहत 2500 करोड़ रूपये के साथ शुरुआत की गई थी | इस योजना पर दिसम्बर 2020 तक 1841.75 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा चुकी है | संसद में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना को देश के सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है | योजना के तहत वर्ष 2014–15 से दिसम्बर 2020 तक 1841.75 करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं |

राज्यवार योजना तहत दी गई राशि

समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए किसान अब खुद तय करें डेट एवं मंडी

समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए तारीख

रबी फसलों में गेहूं की समर्थन मूल्य की खरीदी उत्तर भारतीय राज्यों में 1 अप्रैल से शुरू की जा चुकी है परन्तु अभी भी सभी किसानों के गेहूं की उपज मौसम में नमी रहने के चलते तैयार नहीं हुए है जिसके चलते कुछ राज्यों में फसल की कटाई अभी चल रही है | इस कारण खरीदी धीमी चल रही है | ऐसे में हरियाणा सरकार ने ऐसे किसानों से गेहूं पहले खरीदने का फैसला लिया है जिनकी फसल तैयार है परन्तु उनका या तो पंजीयन नहीं है या उन्हें बाद का टोकन मिला है | ऐसे किसान अब अपनी इच्छा के अनुसार गेहूं बेचने की तारीख तय कर बेच सकते हैं |

जिस किसान को गेहूं पहले बेचना है वह ई-खरीदी पोर्टल पर जाकर अपना गेहूं बेचने की तारीख खुद प्राप्त कर सकते हैं | इसके अलावा कोई भी किसान अभी तक पंजीयन नहीं कर पायें हैं उनके लिए भी वेबसाईट मेरी फसल मेरा ब्यौरा खोल दी गई है वह किसान भी समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं |

अभी तक लगभग 5 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर बेचा गेहूं

सरकार की ई–खरीदी वेबसाईट के अनुसार राज्य में अभी तक 4,958 किसानों ने 35,103.62 टन गेहूं को बेचा है | इसमें से 4,971 किसानों को 29,446.76 टन गेहूं की 58.157341 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है | शेष किसानों को भुगतान किया जा रहा है |

किसान खुद तय करें उपज बेचने की तारीख

जिस किसान की फसल कट गई है तथा बेचने के लिए टोकन नहीं मिल रहा है तो घबराने की कोई बात नहीं है किसान खुद तारीख तय कर सकते हैं | इसके लिए किसान को हरियाणा सरकार की पोर्टल ekharid.haryana.gov.in पर जाकर set schedule पर क्लिक करना होगा | नए बाक्स में नीचे दिए गये किसान अनुसूची नंबर पर क्लिक करें और विवरण भर इच्छानुसार दिन व मंडी तय करें |

नया गेट पास यहाँ से प्राप्त करें

अगर किसान के पास गेट पास नहीं है और नया गेट पास बनाना चाहते हैं या फिर गेट पास भूल गए हैं तो परेशानी की कोई बात नहीं है | नया गेट पास बन जायेगा | इसके लिए किसान को ekharid.haryana.gov.in पर जाकर farmar record search पर जाकर क्लिक करें, जिसके बाद फार्मर स्टेटस रिकॉर्ड खुलेगा | जिसके बाद farmar gatepass ID पर जाकर क्लिक करें और विवरण भरकर गेट पास प्राप्त करें |

मंडी लाने से लेकर भुगतान का विवरण प्राप्त करें

हरियाणा के किसानों को फसल पंजीकरण, गेट पास मंदी तथा समय के साथ – साथ भुगतान जानने के लिए ई – खरीद पोर्टल पर जाएं | यहाँ सहूलियत के लिए फार्म सर्च नाम से नया विकल्प दिया है | यहाँ से सभी प्रकार की जानकारी मिल जायेगा |

72 घंटों में किया जायेगा भुगतान

इस बार 6 बैंकों से किसानों को फसल उपार्जन का भुगतान किया जा रहा है | सरकार ने किसानों को 72 घंटे में भुगतान करने का वादा किया है अन्यथा 9 प्रतिशत की ब्याज दिया जायेगा | खरीद प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन बैंकों के जरिये किसान को फसल की राशि दे दी जाएगी |

किसी भी समस्या के समाधान के लिए यहाँ कॉल करें

किसान को किसी भी समस्या की समाधान के लिए सरकार ने एक टोल फ्री नंबर 18001802060 जारी किया है | किसान यहाँ फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं | इसके अलावा संबंधित मार्किट कमेटी के सचिव, डीएफएसएसी, डीसी को संपर्क कर सकते हैं |

16 अप्रैल से यहाँ दी जाएगी मशरूम उत्पादन पर ट्रेनिंग, अभी करें आवेदन

मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

किसानों की आय को दोगनी करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा नकदी एवं उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे कम लागत में किसान अधिक आय अर्जित कर सकें | किसानों को इसके लिए विभिन्न फसलों पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है | पिछले कुछ वर्षों से मशरूम की खेती को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि यह सेहतमंद एवं प्रोटीनयुक्त होने के चलते बाजार में लगातार इसकी मांग भी बड़ी है | साथ ही मशरूम की खेती किसान कम जगह एवं कम समय में करके अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं | सबसे बड़ी बात यह है की इसका बाजार स्थानीय स्तर भी उपलब्ध है |

मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को मशरूम उत्पदान पर सब्सिडी भी देती है | किसान कम लागत में वैज्ञानिक तरीके से मशरूम उत्पादन कर सकें इसके लिए सरकार कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण देती है | प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी बिहार के समस्तीपुर में डॉ.राजेन्द्र प्रसाद विश्वविध्यालय के तरफ से मशरूम पर ट्रेनिंग दी जा रही है | विश्वविद्यालय में मशरूम उत्पदान के अलग-अलग विषयों पर वर्षभर ट्रेनिंग दी जाती है | किसान समाधान इस ट्रेनिंग की पूरी जानकारी लेकर आया है |

मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण (Training) कब दी जाएगी ?

पूसा विश्वविध्यालय के द्वारा “मशरूम स्पान प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी” पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है | यह यह प्रशिक्षण 16 से 30 अप्रैल 2021 के बीच दिया जायेगा | जिस किसान को मशरूम का ट्रेनिंग प्राप्त करना है वह 15 दिन की व्यवस्था करके जाएं, वहाँ रहने की सुविधा है |

आवेदन के लिए कितने सीटें है ?

इस ट्रेनिंग के लिए 15 आवेदनों को ही मंजूर किया जाना है | इसके लिए पहले आवेदन करने वाले आवेदक को पहले मौका दिया जायेगा | प्रत्येक माह अलग–अलग विषय पर ट्रेनिंग दी जाती है | इसके लिए पहले से ही विषय तय कर दिए जाते हैं | फरवरी माह में होने वाले ट्रेनिंग के लिए 15 आवेदकों को मशरूम में इंटरप्रोनरशिप विषय पर प्रशिक्षण दिया गया था |

मशरूम स्पान प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी पर प्रशिक्षण हेतु पंजीयन

मशरूम स्पान प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी पर प्रशिक्ष्ण प्राप्त करने के लिए पंजीयन शुरू हो चुके है | यह पंजीयन 11 अप्रैल 2021 तक किया जाना है इच्छुक व्यक्ति इस बीच अपना आवेदन कर सकते हैं | पंजीयन पूर्ण होने पर नए आवेदन रोक दिए जाएंगे |

ट्रेनिंग हेतु शुक्ल (FEE)

इस एक माह की ट्रेनिंग के लिए 5,000 रुपये का शुल्क रखा गया है | यह सभी आवेदक के लिए है जो ट्रेनिंग से पहले देना होगा | इसके अलवा प्रशिक्षण के लिए रहने तथा खाने के लिए अलग से शुल्क देना होगा या फिर आप खुद से व्यवस्था कर सकते हैं |

ऑनलाइन पंजीयन कैसे करें ?

कोई भी प्रतिभागी आवेदन करना चाहते हैं तो वह ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए आवेदक को एक फार्म भरकर तथा 5000 रूपये ऑनलाइन जमा करके फार्म को ऑनलाइन भेज दें | इसके अलावा किसान [email protected] मेल आईडीई पर भी जानकारी ले सकते हैं | किसान अधिक जानकारी के लिए 9430464088 पर भी कॉल कर सकते हैं |

प्रशिक्षण हेतु शुल्क यहाँ जमा करवाएं

आवेदक इस पते पर डी.डी. बनवाकर राशि जमा कर सकते हैं किसान जो डी.डी .जमा किया जाते उसकी एक छायाप्रति अपने पास रखें |

  • खाता धारक का नाम – mushroom revolving fund
  • खाता संख्या – 4512002100001682
  • आई.एफ.एस.कोड. – PUNB0451200
  • बैंक का नाम – PUNJAB NATIONAL BANK, RAU PUSA BRANCH

मशरूम ट्रेनिंग हेतु आवेदन फार्म डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें

किसान यहाँ से भी ले सकते हैं प्रशिक्षण

इसके अतिरिक्त इच्छुक किसान भाई-बहन अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र अथवा अपने राज्य के कृषि विश्वविद्यालय से भी मशरूम की ट्रेनिंग ले सकते हैं |

उपज बिक्री का समय पर भुगतान न होने पर किसानों को दिया जायेगा 9 प्रतिशत का ब्याज

फसल खरीदी के भुगतान पर ब्याज

देश के कई राज्यों में 1 अप्रैल से रबी फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हो चुकी है | किसान अपनी फसल मंडी में ले जाकर बेच भी रहे हैं | इस वर्ष सभी पंजीकृत किसानों को मेसेज के द्वारा या टोकन के माध्यम से मंडी में फसल तुलाई के लिए बुलाया जा रहा है ऐसे में किसानों को समय पर भुगतान के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों ने 48 से 72 घंटे की सीमा का निर्धारण किया है | वहीँ हरियाणा सरकार ने किसानों को समय पर भुगतान न होने पर 9 फीसदी ब्याज देने के फैसला लिया है |

500 केन्द्रों पर शुरू हुई समर्थन मूल्य पर खरीदी

हरियाणा राज्य में 500 खरीदी केन्द्रों पर रबी फसल की खरीदी 1 अप्रैल से शुरू कर दी गई है | उप मुख्यमंत्री ने अनुमान लगाया है कि राज्य में इस बार 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं आने की उम्मीद है | राज्य में गेहूं के अलावा 5 अन्य फसलों की सरकारी खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है | पहली बार सरकारी खरीद ऐजेंसियों ने 1 अप्रैल से गेहूं और सरसों की खरीद शुरू कर दी है। वहीँ इस वर्ष खुले बाजार में सरसों का भाव 5200 से 5400 रूपये प्रति क्विंटल मिल रहा है |

किसान खुद रजिस्टर कर बेच सकते हैं अपनी उपज

हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है कि जो भी पंजीकृत किसान हैं, उन्हें जिस दिन मंडी या खरीद केंद्र में फसल बिक्री के लिए बुलाया जाए तो उसकी फसल तुरंत खरीदी जाए। उन्होंने बताया कि सरकार ने यह विकल्प भी दे रखा है कि 50 प्रतिशत किसानों को सरकार बुलाएगी और 20 प्रतिशत किसान, जिनकी फसल पक चुकी है तथा वे चाहते हैं कि सरकार उनकी फसल पहले खरीदे, वे अपने आपको रजिस्टर करवा सकते हैं, उनको भी टोकन दिया जाएगा। इसके अलावा, 30 प्रतिशत किसान बुलाने का अधिकार आढ़तियों को भी दिया गया है।

72 घंटे में भुगतान न होने पर दिया जायेगा ब्याज

1 अप्रैल से शुरू की गई रबी फसल की खरीदी का भुगतान 72 घंटों के अंदर किया जायेगा | किसान जब अपनी फसल बेचने के लिए खरीद केंद्र या मंडी में लेकर आएगा तो उसे जे फार्म मिलेगा और 40 घंटे के अंदर किसान को उसकी फसल की कीमत की अदायगी हो जाएगी | यदि 72 घंटे में किसान को अदायगी नहीं हुई तो सरकार उस राशि पर 9 प्रतिशत ब्याज किसानों को देगी |

10 लाख रुपये की सरकारी सहायता से कृषि क्षेत्र में उद्योग खोलने के लिए आवेदन करें

कृषि क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने के लिए अनुदान हेतु आवेदन

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने बहुत सी योजनओं की घोषणा की थी | इसमें अलग अलग योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सरकार ने अलग-अलग फंड की स्थपाना भी की है | किसानों, युवाओं, सहकारी समितियों तथा छोटे उद्यमी के लिए वर्ष 2020–21 में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाध प्रसंस्करण उद्यमी उन्नयन योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्ध प्रसंस्करण उधमियों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रारंभ कर दिए गए इच्छुक लाभार्थी ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं |

इसका उद्देश्य खाद्ध प्रसंस्करण उद्दोग से संबंधित असंगठित रूप में मौजूदा व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन करना है | इस योजना का लाभ किसान उत्पादन संस्थानों, स्वयं सहायता समूहों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को उनके सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला में सहायता प्रदान करना है | किसान समाधान इस योजना की विस्तृत जानकारी लेकर आया है |

यह योजना देश के सभी राज्यों के लिए हैं

यह योजना वर्ष 2020–21 से 2024–25 तक 5 वर्षों के लिए संचालित की जाएगी, जिसमें 2 लाख सूक्ष्म प्रसंस्करण इकाईयों को 10,000 करोड़ रूपये की अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी | यह योजना देश के सभी राज्यों तथा जिलों के लिए लागु की गई है | योजना के तहत देशभर विभिन्न राज्यों के माध्यम से जिलों का चयन किया गया है | जिसमें अलग-अलग क्लस्टर है | इच्छुक व्यक्ति ऑनलाइन अपने जिले के लिए चयनित उत्पाद की जानकारी देख सकते हैं |

योजना पर कितनी सब्सिडी दी जाती है ?

इस योजना के तहत व्यक्तिगत सूक्ष्म उधमों के उन्नयन के लिए लागत का 35 प्रतिशत की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | यह सब्सिडी अधिकतम 10 लाख रूपये तक पूंजी निवेश की सहायता प्रदान करेगी | साथ ही कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से व्यक्तिगत सूक्ष्म उधमों की क्षमता निर्माण खाद्ध सुरक्षा मानकों और स्वच्छता पर तकनीकी ज्ञान प्रदान करने के साथ गुणवत्ता में सुधार किया जायेगा | इसके साथ ही विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करने, बैंक ऋण लेने और उन्नयन के लिए हैंड होल्डिंग सहायता की जायेगी |

आवेदक के लिए पात्रता

  1. उधम के स्वामित अधिकार के साथ व्यक्तिगत / भागीदार फर्म,
  2. मौजूदा सूक्ष्म खाद्ध उद्धम जो कि सर्वे या रिसोर्स प्रश्न द्वारा जांचे गए हों |
  3. आवेदक 18 वर्ष से अधिक का हो और कम से कम 8 वीं कक्षा की शेक्षणिक योग्यता रखता हो |
  4. वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए एक परिवार से केवल एक व्यक्ति पात्र होगा | इस प्रयोजन के लिए परिवार में स्वयं पत्नी और बच्चे शामिल होंगे |

समूह श्रेणी :-

  1. योजना क्लस्टरों में एफपीओ/एसएचजी/उत्पादक सहकारिताओं को सहायता प्रदान करेगी एसएचजी/एफपीओ/उत्पादक सहकारिताओं को निम्नलिखित सहायता दी जाएगी |
  2. यथा – निर्धारित अधिकतम सीमा के साथ पूंजी निवेश हेतु क्रेडिट लिंकेज के साथ 35% की दर से अनुदान
  3. प्रशिक्षण सहायता
  4. बड़े क्लस्टर के स्तर पर ब्रांड विकसित करने हेतु ओडीओपी के अंतर्गत उत्पादों की विपन्न और ब्रांडिंग के लिए सहायता |

पात्रता मानदंड

  1. यह कम से कम तीन वर्षों तक ओडीओपी उपज के प्रसंस्करण में लगा हुआ होना चाहिए |
  2. एसएचजी / एफपीओ / उत्पादक सहकारिताओं के मामले में उनका न्यूनतम टर्नओवर से अधिक नहीं होना चाहिए |
  3. एसएचजी / एफपीओ / उत्पादक सहकारिताओं के पास परियोजना लागत और कार्यशील पूंजी के लिए मार्जिन मनी का 10 प्रतिशत पूरा करने के लिए पर्याप्त आंतरिक संसाधन होने चाहिए |

स्वयं सहायता समूहों को प्रारंभिक पूंजी

योजना में वर्किंग कैपिटल तथा छोटे औजारों की खरीद के लिए खाद्ध प्रसंस्करण में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य को 40,000 /- रूपये की दर से प्रारंभिक पूंजी के उपबंध दी जाएगी | अनुदान के रूप में प्रारंभिक पूंजी एसएचजी फेडरेशन के स्तर पर दी जाएगी जो आगे एसएचजी द्वारा ऋण के रूप में सदस्यों को दी जाएगी |

पात्रता मानदंड

प्रारंभिक पूंजी के लिए केवल वे एस.एच.जी. सदस्य जो वर्तमान खाद्ध प्रसंस्करण में कार्यरत है पात्र होंगे | एस.एच.जी सदस्य को इस राशि को वर्किंग कैपिटल तथा छोटे औजारों को खरीदने हेतु उपयोग करने की प्रतिबद्धता करनी होगी और इस न्स्नब्न्ध में एस.एच.जी. एवं एस.एच.जी फेडरेशन को वचन देना होगा |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ संपर्क करें 

योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने वाले इच्छुक उद्योगों के लिए जिला स्टार पर आवेदन आमंत्रित किये जाएंगे | यह योजना देशभर में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रहे है | योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक व्यक्ति दी गई लिंक पर ऑनलाइनआवेदन कर सकता है |  आवेदन की विस्तृत जानकारी के लिए आवेदक https://pmfme.mofpi.gov.in/pmfme/#/Home-Page पर जा सकते हैं या हेल्पलाईन नम्बर 911302281089 पर संपर्क कर सकते हैं | जांच के बाद बैंकों को ऋण प्रस्तावों की सिफारिश की जाएगी | राज्य सरकार बैंकों को सिफारिश जाने वाले आवेदनों की सूची बनाने के लिए उपयुक्त स्तर तय कर सकते हैं |

अनुदान हेतु आवेदन यहाँ से करें ?

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्ध प्रसंस्करण उधम उन्नयन योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद प्रसंस्करण उद्यमी योजना का आवेदन ऑनलाइन किया जा रहा है | योजना के लिए देश के किसी भी राज्य के उद्यमी या किसान आवेदन कर सकते हैं | नये एवं पूर्व छोटे खाद्ध प्रसंस्करण लगाने वाले व्यक्तिगत कृषि उधमी अब https://pmfme.mofpi.gov.in/pmfme/#/Register-New-User पर आवेदन कर सकते हैं | ऑनलाइन आवेदन के 5 चरण यथा आवेदन पंजीकरण आवेदन भरना एवं जमा करना, जिला स्तर पर आवेदन का अनुमोदन बैंक लिंकेज और क्रेडिट लिकेंज है |

 

अनुपयोगी बंजर भूमि पर लगे सोलर प्लांट से किसान को होगी 50 लाख रुपये की सालाना आमदनी

कुसुम योजना के तहत सोलर प्लांट

देश में अक्षय उर्जा के क्षेत्र में किसानों की भागीदारी बढ़ाने एवं किसानों की आय को दुगना करने के उद्देश्य से देशभर में कुसुम योजना चलाई जा रही है | कुसुम योजना के तीन कॉम्पोनेन्ट हैं- कॉम्पोनेन्ट-ए के तहत किसान अपनी भूमि पर सोलर प्लांट लगवाकर सरकार को बिजली बेच सकते हैं वहीँ कॉम्पोनेन्ट बी में किसान सब्सिडी पर सोलर पम्प लगवाकर अपने खेत में सिंचाई के लिए उसका उपयोग कर सकते हैं एवं कॉम्पोनेन्ट-सी में सोलर पम्प लगवाकर अपने खेतों की सिंचाई के आलवा बिजली बेच भी सकते हैं |

कुसुम योजना के कॉम्पोनेन्ट-ए का लाभ अब किसानों को दिया जाने लगा है इसके लिए पिछले वित्तीय वर्ष में राजस्थान एवं मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा आवेदन भी आमंत्रित किये गए थे | इसमें राजस्थान में चयनित किसानों को योजना का लाभ भी दिया जाने लगा है |राजस्थान में पीएम कुसुम कम्पोनेन्ट–ए योजना के अंतर्गत देश के प्रथम सौर ऊर्जा संयंत्र से जयपुर जिले की कोटपुतली तहसील के भालोजी गाँव में गुरुवार को उर्जा उत्पादन आरम्भ हो गया है | सबसे बड़ी बात यह है की संयंत्र से उत्पादन होने वाली विधुत को राज्य के विधुत विभाग के द्वारा खरीदा जायेगा | जिससे संयंत्र के मालिक को प्रतिवर्ष 50 लाख रूपये की आमदनी होगी | 

कितनी भूमि पर लगाया गया है प्लांट

पीएम कुसुम योजना के कॉम्पोनेन्ट-ए के तहत 1 मेगावाट (1000 किलोवाट) क्षमता वाले सौर उर्जा संयंत्र की स्थापना की गई है | यह संयंत्र 3.50 एकड़ भूमि पर स्थापित किया गया है तथा 1 मेगावाट क्षमता की इस परियोजना की लागत लगभग 3.70 करोड़ रुपये की है | राजस्थान में स्थापित सौर उर्जा संयंत्र 1 मेगावाट उत्पादन के लिए 25 वर्षों तक चलाया जायेगा तथा सरकार उत्पादित विधुत को खरीदेगी |

3.14 रूपये प्रति यूनिट विधुत क्रय करेगी जयपुर विद्युत वितरण निगम

सौर उर्जा संयंत्र से उत्पादन होने वाली 1 मेगावाट क्षमता वाले संयंत्र से प्रतिवर्ष 17 लाख यूनिट का उत्पादन किया जायेगा | जिसे जयपुर विधुत वितरण निगम द्वारा 3.14 रूपये प्रति यूनिट की दर पर 25 वर्षों तक किया जायेगा | जिससे कृषक को प्रति वर्ष 50 लाख रूपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है |

जल्द ही 2623 सौर उर्जा संयंत्र किये जाएंगे स्थापित

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंधन निदेशक डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया की प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान पी.एम. कुसुम योजना भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना है जिसके कम्पोनेन्ट-ए का राज्य में क्रियान्वयन राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा किया जा रहा है | इस योजना के प्रथम चरण में कुल 722 मेगावाट क्षमता की परियोजना स्थापित करने हेतु 623 सौर उर्जा उत्पादकों का चयन किया गया है | इस योजना के तहत आगामी चरणों में कुल 2600 मेगावाट क्षमता स्थापित करने की योजना हैं |

प्रथम चरण में 623 सौर ऊर्जा उत्पादकों (एस.पी.जी.) में से 201 सौर ऊर्जा उत्पादकों द्वारा परियोजना सुरक्षा राशि जमा करा दी गई है | इनमें से 170 एस.पी.जी. ने विद्युत क्रय अनुबन्ध साइन कर लिए हैं |

5 वर्षों में 38,000 मेगावाट का किया जायेगा उत्पादन

राजस्थान के ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री की अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में विकास एवं निवेश की महत्वकांक्षा योजनाएं है | राज्य सरकार द्वारा दिसम्बर 2019 में सौर ऊर्जा एवं पवन तथा हाईब्रिड ऊर्जा की नवीन नीतियाँ भी जारी की जा चुकी है | वर्ष 2025 तक कुल 38,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता की स्थापना का लक्ष्य है, जिसमें रूफटॉप विकेंद्रीकृत एवं मेगा सोलर एवं हाईब्रिड पार्कों की परियोजनाएं सम्मिलित है |

जानिए कृषि कनेक्शन पर किसानों को कितना चार्ज देना होता है

कृषि कनेक्शन पर लगने वाला चार्ज एवं सब्सिडी

देश में कृषि उत्पादन की लागत को कम करने एवं किसानों की आय को बढ़ाने एवं सभी किसानों के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से किसानों को कम दरों पर बिजली दी जाती है | किसानों को कम दरों पर बिजली उपलब्ध करवाने के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग सब्सिडी दी जाती है इसलिए प्रत्येक राज्य में कृषि क्षेत्र में बिजली की दरें अलग-अलग रहती है |

राजस्थान सरकार से विधान सभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में राज्य के उर्जा मंत्री ने लिखित जवाब दिया है कि किसानों को कृषि कार्यों तथा घरेलू कनेक्शन के लिए क्या चार्ज लिया जाता है | किसान समाधान राजस्थान में कृषि क्षेत्र में बिजली की दरों एवं राज्य सरकारों के द्वारा उस पर दी जाने वाली सब्सिडी की जानकारी लेकर आया है |

कृषि के लिए फ्लैट चार्ज

कृषि कार्यों के लिए किसानों को लगने वाला चार्ज फ्लैट चार्ज रहता है | इसका मतलब यह होता है कि किसानों को हार्स पवार तथा माह के अनुसार एक निश्चित राशि देना होता है | यह राशि सामान्य ब्लॉक सप्लाई तथा अन्य श्रेणी में 24 घंटे के लिए अलग–अलग रहती है | राजस्थान विधुत विभाग ने कृषि कार्यों के लिए जो फ्लैट राशि तय किया है वह इस प्रकार है :-

  • सामान्य ब्लाक सप्लाई के लिए 745 रूपये/हार्सपावर/माह
  • अन्य श्रेणियां 24 घंटे सप्लाई के लिए 895 रूपये/हार्स पावर/माह

कृषि कार्यों के बिजली कनेक्शन पर सब्सिडी के बाद प्रभार

राजस्थान सरकार राज्य के किसानों के लिए विधुत चार्ज फ्लैट रेट पर लेती हैं | यह चार्ज सामान्य श्रेणी के लिए 745 रूपये प्रति हार्सपावर प्रति माह तथा अन्य श्रेणियों में 24 घंटे के लिए 895 रूपये प्रति हार्सपावर प्रति माह है इस पर किसानों को भारी सब्सिडी भी दी जाती है जिसके बाद किसानों के कुल देय प्रभार में काफी कमी आ जाती है क्योंकि यह सब्सिडी सीधे किसानों को न देकर सरकार विद्युत वितरण कंपनी को ही दे देती है | 

सामान्य ब्लाक सप्लाई के लिए 745 रूपये प्रति हार्स पावर प्रति माह पर 660 रूपये की सब्सिडी दी जाती है जिसके बाद चार्ज 85 रूपये प्रति हार्सपावर प्रति माह रह जाता है |  राज्य सरकार ने सामान्य श्रेणी के लिए स्थाई प्रभार 30 रूपये प्रति हार्स पावर प्रति माह रखा है | अनुदान के बाद प्रभावी स्थाई प्रभार 30 रुपये/एचपी/माह ( अधिकतम 15 रूपये प्रति कनेक्शन प्रति माह है |

इसी प्रकार अन्य श्रेणियों में 24 घंटे सप्लाई के लिए 895 रूपये प्रति हार्सपावर प्रति माह चार्ज है लेकिन राज्य सरकार के तरफ से इस पर 620 रूपये की सब्सिडी दी जाती है जिससे किसान को 275 रूपये प्रति हार्सपावर प्रति माह है |  राज्य सरकार ने सामान्य श्रेणी के लिए स्थाई प्रभार 60 रूपये प्रति हार्स पावर प्रति माह है | अनुदान के बाद प्रभावी स्थाई प्रभार 60 रुपये/एचपी/माह ( अधिकतम 20 रूपये प्रति कनेक्शन प्रति माह) है |

राज्य सरकार अन्य श्रेणी में 24 घंटे के लिए 60 रूपये प्रति हार्स पावर प्रति माह स्थाई रूप से तय किया है | इस पर भी राज्य सरकार के द्वारा अनुदान दिया जाता है जो 20 रूपये प्रति हार्स पॉवर प्रति माह रह जाता है |

विद्युत दरों का विवरण राजस्थान

बजट 2021-22 में कृषि को उच्च प्राथमिकता से किसानों में बढ़ती आत्मनिर्भरता

बजट में कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहल

देश के कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिये हमारी सरकार वर्ष 2015-16 से 2021-22 में लगातार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एवं कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग को उच्च प्राथिमिकता दे रही है । कृषि क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ाने के लिये विभिन्न योजनाओं के तहत महत्त्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं। जैसे खाद्य सुरक्षा, दलहनों एवं तिलहनों में भविष्य स्वाबलंबी होने के लिये उन्नत बीजों, उर्वरकों,  बेहतर सिंचाई एवं कृषि को समय से निष्पादन के लिये फ़ार्म मशीनरी के लिये सरकार 30-50 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध करा रही है । पोषण एवं रोजगार की द्रष्टिकोण से बागवानी, पशु-पालन और मछली-पालन इस क्षेत्र में पर भी कई विशेष योजनाओं को शुरू किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों 2022 तक अपनी आय दोगुनी करने का संकल्प किया । किसानों की आय दुगनी करने के लिये सरकार ने ढांचागत एवं अवसंरचनात्मक सुधार हेतु विभिन्न कृषि योजनाओं को लागू किया ।

श्रीमती सीतारमण वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए बुनियादी ढाचें को मजबूत करने पर सरकार पूरी तरह प्रतीबद्ध  है। कृषि ऋण लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है तो सरकारी मंडियों को मजबूत करने लिए बजट का इंतजाम किया जाएगा। जिसके लिए पेट्रोल पर 2.5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपए प्रति लीटर का उपकर लगाया है। लेकिन सरकार ने इन पर पहले से लागू उत्पाद शुल्क और विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क घटा दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कृषि अवसंरचना सेस से उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कृषि एवं संबधित क्षत्रों के लिए वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट अनुमान 148.30 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। वहीं पिछले  वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 142.76 हजार करोड़ से कम है, जबकि संसोधित बजट 145.35 हजार करोड़ रुपए था । हांलाकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कृषि बजट में मामूली बढ़ोत्तरी की गयी जबकि कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल-भूत आधार है।

कृषि विकास  एवं कुल जीडीपी में हिस्सेदारी

आर्थिक सर्वे 2020 के आकड़ों के अनुसार कृषि  क्षेत्र न केवल  भारत की जीडीपी में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान किया है जो पिछले 17 वर्षों में सबसे अधिक है, बल्कि भारत की लगभग 55% जनसंख्या रोज़गार के लिये कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर है एवं उद्योगों के लिये प्राथमिक उत्पाद भी उपलब्ध करता है । आर्थिक सर्वे के अनुसार वर्ष  2016-17 में 6.3 की दर से कृषि अर्थव्यवस्था में विकास हुआ था। वहीं वित्त वर्ष 2017-18 कृषि विकास दर घटकर पांच फीसदी पर रही जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कृषि विकास दर 3.00 फीसदी अनुमानित की गयी। लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 में कृषि की हिस्सेदारी घटकर 16.5 फीसदी पर आ गई है। हालांकि पिछले साल के 16.1 (%)  की तुलना में ये मामूली बढ़ोतरी भी है ।

कृषि में सकल मूल्य संवर्धन

देश के कृषि एवं संबध क्षेत्रो में जी वी ए का हिस्सा वर्ष 2015-16 में 17.7 प्रतिशत था जो वर्ष 2019-20 में मामूली बढ़कर 17.8 प्रतिशत हो गया जबकि फसलों की हिस्सेदारी में 10.6 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2018-19 में 9.4 रह गया जबकि पशु पालन की हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि दर्ज की गयी । कृषि एवं संबध क्षेत्रो में जी.वी.ए. के विकास दर में उतार चड़ाव आता रहा है हालाँकि, वर्ष 2020-21 के दौरान कोविड -19 महामारी के कारण सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिये जी वी ए  -7.2 प्रतिशत की दर से सिकुड़ गया जबकि कृषि एवं संबध क्षेत्रो में जी.वी.ए. की विकास दर 3.4 प्रतिशत सकारात्मक रही । राष्ट्रीय आय से संबंधित आंकड़ों के आधार पर आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2019-20 में देश के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में कृषि और संबंधित गतिविधियों का योगदान 17.8 फीसदी रहा ।

वर्ष 2017-18 में समाप्त होने वाले पिछले छह वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लगभग 5.6 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) से बढ़ रहा है जबकि  वर्ष 2017-18 में 2011-12 के मूल्यों पर विनिर्माण तथा कृषि क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) क्रमश: 8.83 फीसदी और 10.66 फीसदी रहा । देश में लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए पशु-धन आय का दूसरा महत्वपूर्ण साधन है और यह क्षेत्र किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभा रहा है । पिछले पांच वर्षों में पशु-धन क्षेत्र में (7.9%) की क्रमागत वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई है। मछली-पालन खाद्य, पोषाहार, रोजगार और आय का महत्वपूर्ण साधन रहा है । 

कृषि  क्षेत्र के  बजट पर एक नजर

वित्तीय वर्ष 2020-21 कृषि  क्षेत्र का बजट सरकार 2022  तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिये वर्ष 2015-16 से कृषि मंत्रालय एवं किसान कल्याण का बजट 17 हजार करोड़ से बढ़ाकर वर्ष 2016-17 में 36 हजार करोड़ किया जबकि वास्तविक व्यय 37 हजार करोड़ किया गया जो बर्ष 2019-20 में से बढ़ाकर 130.5 हजार करोड़  रूपये  का प्रावधान रखा जबकि वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 बजट में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को 1,42.76 हजार करोड़ रुपए राशि का प्रावधान रखा है बढ़ाकर वर्तमान वित्तीय वर्ष  2021-22 में अनुमान 148.30 हजार  करोड़ रुपए का प्रावधान किया ( चित्र 1 देखें )। देश में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग बजट पी ए आर भी बजट में बढ़ोत्तरी की गयी जो वर्ष 2015-16 में लगभग 6000 करोड़ से बढ़ाकर वर्ष 2019-20 में 8000 करोड़ कर दिया गया जो बढ़ाकर वर्ष 2021-22 में 8.51 हजार करोड़ कृषि अनुसंधान क्षेत्र में नई तकनीकी विकसित करने एवं यंत्रीकरण के लिये विशेष अनुदान योजनाओं से किसानों की आय दुगनी में करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी ।

सकल पूंजी निर्माण

इस क्षेत्र में जी.वी.ए. के सापेक्ष कृषि एवं संबध क्षेत्रो में सकल पूंजी निर्माण (जीसीफ) उतार चड़ाव पाया गया जो वर्ष 2014-15 में 17 प्रतिशत से घट कर वर्ष 2015-16 में 14.7 प्रतिशत रह गया एवं वर्ष 2018-19 में 16.4 प्रतिशत मामूली वृधि दर्ज की गयी । एनएसओ के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। इसके लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी को मुख्य कारण बताया गया है।

एनएसओ के अनुसार वर्ष  2020-21 में स्थिर मूल्य (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी या जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। जबकि 2019-20 में जीडीपी का शुरुआती अनुमान 145.66 लाख करोड़ रुपए रहा था । इस तरह 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में अनुमानत: 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी। एनएसओ की रिपोर्ट बताती है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान कृषि क्षेत्र का संकुचित रही । प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि अन्य क्षेत्रों में  वृद्धि दर कोरोना विश्व व्यापी महामारी के कारण निचले स्तर पर संकुचित रही ।

कृषि ऋण में बढ़ोत्तरी

किसानों को कम अवधि के लिए आसानी से लोन (ऋण) उपलब्ध करवाने के लिए कृषि में बढ़ते लागत खर्च तथा वैज्ञानिक तरह से खेती करने के लिए पूंजी की जरुरत होती है । इसके लिए किसान के पास समय पर वित्तीय सुविधा मौजूद नहीं होती है जिससे किसान लोग समय पर बीज, उर्वरक कीटनाशक, तथा जुताई, श्रमिकों  के लिए धन उपलब्ध नहीं हो पाता है । इससे  फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ।  जिससे किसान को ऋण साहूकार से लेना पड़ता है जो काफी अधिक ब्याज पर रहता है । अधिक ब्याज पर लोन को ध्यान में रखते हुये सस्ते लोन उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार की एक योजना है किसान क्रेडिट कार्ड योजना ।  

इस योजना से किसान 4 प्रतिशत के ब्याज पर लोन प्राप्त कर सकते हैं । कृषि क्षेत्र में डिजिटल इंडिया महत्वपूर्ण योगदान इससे संस्थागत ऋण में वृद्धि हुई । वर्ष 2014-15 आर्थिक समीक्षा के अनुसार, वर्ष 2019-20 में 13 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का कृषि ऋण निर्धारित किया गया था, जबकि किसानों को 13,92.47 हजार करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया गया जो कि निर्धारित सीमा से काफी अधिक था। 2020-21 में 15 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था।  नवंबर, 2020 तक 9,73,517.80 करोड़ रुपये का ऋण किसानों को उपलब्ध कराया गया ।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना

किसानों को आसानी से ऋण मुहैया कराने के लिये सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को जारी किये गए । वर्ष  2014-15 में 7.41 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड्स किसानों को जारी किये गए एवं उनके द्वारा 5.20 लाख करोड़ ऋण बकाया है जो बढ़कर वर्ष 2016-17 में किसानों को सबसे अधिक 17.66 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड्स जारी किये गए एवं किसानों का 6.86  लाख करोड़ ऋण बकाया है। जबकि वर्ष 2018-19 में किसानों को कम 15.05 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड्स जारी किये गए (चित्र 2 देखें) जबकि किसानों का 5.30  लाख करोड़ ऋण  बकाया रहा है। किसान समय से फसलों के लिये संसाधन (जैसे खाद, बीज, पानी, कीटनाशी एवं अन्य कृषि क्रियाओं के लिये ) समय से वित्त प्रबंध कर सके ।

kisan credit card loan distribution

प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में डेढ़ करोड़ दुग्ध डेयरी उत्पादकों और दुग्ध निर्माता कंपनियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था। आंकड़ों के अनुसार मध्य जनवरी, 2021 तक कुल 44,673 किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) मछुआरों और मत्स्य पालकों को उपलब्ध कराए गए थे, जबकि इनके अतिरिक्त मछुआरों और मत्स्य पालकों के 4.04 लाख आवेदन बैंकों में कार्ड प्रदान करने की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। खेती में  जोखिम की समस्या से किसानों को बचाने के लिए  सरकार की फसल बीमा योजना वर्ष 2015-16  के तहत सबसे अधिक राजस्थान में 293.20 लाख इसके बाद बिहार 106.35 लाख किसान एवं महाराष्ट्र में 25.47 किसानों को लाभ मिला जबकि पूरे देश में  511 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिला था । वर्ष 2018-19 में  तहत सबसे अधिक महाराष्ट्र में 155.08 लाख इसके बाद राजस्थान में 72.53 लाख एवं कर्णाटक में 32.96 लाख किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिला आर्थिक समीक्षा के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत 12 जनवरी, 2021 तक 90 हजार करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है। आधार की वजह से किसानों को तेजी से भुगतान हुआ है और दावे की राशि सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचाई गई है। मौजूदा कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद 70 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिला है और लाभार्थियों के बैंक खातों में 8741.30 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

PMFBY प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग इस योजना को लागू कर रहा है। वर्ष 2015-16 सिंचाई में निवेश के अभिसरण को प्राप्त करने के प्रमुख उद्देश्यों के साथ फील्ड लेवल, सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार किया । खेत में पानी के उपयोग में सुधार पानी की बर्बादी को कम करने के लिए दक्षता, सटीक सिंचाई और अन्य को अपनाना तथा जल बचत प्रौद्योगिकियां (प्रति बूंद अधिक फसल), सतत जल संरक्षण को बढ़ावा देना । जुलाई, 2016 के दौरान कैबिनेट ने मिशन मोड के लिए मंजूरी दे दी है ।

कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से कृषि में विस्तार होगा, उत्पादकता में वृद्धि होगी जिससे अर्थव्यवस्था का पूर्ण विकास होगा। इस योजना के तहत के केंद्र सरकार द्वारा 75 प्रतिशत का   अनुदान दिया जाएगा एवं  25% खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इससे ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई योजना का फायदा भी किसानों को प्राप्त होगा । वर्ष 2015 में  ड्रिप एवं  स्प्रिंकलर सिंचाई योजना के तहत क्रमश: क्षेत्रफल 3387.09 हजार, 4388.22 हजार एवं कुल 7775.10 हजार हेक्टेयर्स क्षेत्रफल को अच्छादित किया गया जो वर्ष 2019 में बढ़कर  क्रमश:  5355.11 हजार, 6057.82 हजार एवं कुल  11412.92 हजार हेक्टेयर्स क्षेत्रफल को अच्छादित किया गया जो लगभग 4 वर्ष में 31.87 प्रतिशत सिंचित क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी हुई  ।

राजस्थान में स्प्रिंकलर सिंचाई को काफी बढ़ावा दिया गया, वहाँ वर्ष 2015 में सबसे अधिक क्षेत्रफल 1514.45 हेक्टेर्स जो बढ़कर वर्ष 2019 1645.43 हेक्टेर्स हो गया जबकि महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में ड्रिप सिंचाई को अधिक महत्व दिया गया चूँकि दोनों राज्यों में बागवानी फसलें जैसे अनार, अंगूर, संतरे- मौसमी एवं केले की खेती अधिक की जाती है। नये उपकरणों की प्रणाली के इस्तेमाल से 40-50 प्रतिशत पानी की बचत हो पायेगी और उसके साथ ही 35-40 प्रतिशत कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी एवं उपज के गुणवत्ता में तेज़ी आएगी। वर्ष 2018 – 2019  के दौरान, केंद्र सरकार लगभग 2000 करोड़ खर्च करेगी, और अगले वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना पर अन्य 3000 करोड़ खर्च होंगे। बर्ष 2021-22 वित्त मंत्री ने माइग्रो इरीगेशन (सूक्ष्य सिंचाई) और ऑपरेशन ग्रीन क भी जिक्र किया। सूक्ष्य सिंचाई निधि योजना का बजट बढ़ाकर 5 हजार से 10 हजार करोड़ कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) – ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के लिए आवंटन को वर्ष 2020-21 के लिए 2,563 करोड़ के संशोधित अनुमान से बढ़ाकर 4,000 करोड़  कर दिया गया है। राज्यों से प्राप्त सूचना के अनुसार, 2014-15 से 2020-21 की तीसरी तिमाही तक 7.09 लाख हैक्टेयर जल संचयन संरचनाओं का निर्माण/पुनर्निमाण किया गया और 15.17 लाख हैक्टेयर का अतिरिक्त क्षेत्र सुरक्षात्मक सिंचाई में शामिल किया गया।

किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये कृषि बजट महत्वपूर्ण  निर्णय

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। सुनिश्चित कीमत उपलब्ध कराने के लिए एमएसपी व्यवस्था में व्यापक बदलाव हुआ है, जो सभी कमोडिटीज के लिए लागत की तुलना में कम से कम डेढ़ गुना हो गया है। खरीद एक निश्चित गति से निरंतर बढ़ रही है। इसके परिणाम स्वरूप किसानों को भुगतान में भी बढ़ोतरी हुई है।

पीएम आशा योजना

प्रधानमंत्री अन्‍न्‍दाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना वर्ष 2020 के लिए आवंटन केंद्र सरकार एक तरफ तो किसानों को दलहन एवं तिलहन फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कर रही है वही इस वर्ष दलहन तिलहन खरीद से सम्बन्धित योजना (पीएम आशा योजना) के बजट में भारी कटौती की गई है | अभी हाल ही में 10 फरवरी को हुए संयुक्त राष्ट्र विश्व दलहन दिवस समारोह का नई दिल्ली में उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार का उद्देश्य भारत में दलहनों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना है |

किसानों से दलहन, तिलहन तथा गरी (copra) की सरकारी खरीदी करने वाली योजना के लिए इस बार की बजट में भारी कटौती की गई है | पिछले वर्ष इस योजना के लिए 1500 करोड़ रुपये जारी किये गए थे वहीँ  इस वर्ष केन्द्रीय बजट पेश करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1,000 करोड़ रूपये की कटौती करते हुए मात्र 500 करोड़ रूपये जारी किये हैं |

न्यूनतम समर्थन पर अनाज ,दलहन की खरीद में बढ़ोतरी

वर्ष 2019-20 में 62,802 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और 2020-21 में इसमें और सुधार हुआ तथा किसानों को 75,060 करोड़ का भुगतान किया गया। इससे लाभान्वित होने वाले गेहूं किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 43.36 लाख हो गई जो 2019-20 में 35.57 लाख थी। धान के लिए, 2013-14 में `63,928 करोड़ का भुगतान किया गया। वर्ष 2019-20 में यह वृद्धि 1,41,930 करोड़ थी। वर्ष 2020-21 में यह और  बढ़कर 1,72,752 करोड़ रुपये हो गई। 

Support price cereals, purchase of pulses

इससे लाभान्वित होने वाले धान किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 1.54 करोड़ पर हो गई, जो संख्या 2019-20 में 1.24 करोड़ थी। बर्ष 2019-20 में यह धनराशि बढ़कर 8,285 करोड़  हो गई | इस समय 2020-21 में यह 10,530 करोड़ है (चित्र 5 देखें ) । इसी प्रकार, कपास के किसानों की प्राप्तियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जो 2013-14 की 90 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,974 करोड़  (27 जनवरी 2021) के स्तर पर पहुंच गई। 

स्वामित्व योजना

इस साल की शुरुआत में, माननीय प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना की पेशकश की थी। इसके अंतर्गत, गांवों में संपत्ति के मालिकों को बड़ी संख्या में अधिकार दिए जा रहे हैं। अभी तक, 1,241 गांवों के लगभग 1.80 लाख संपत्ति मालिकों को कार्ड उपलब्ध करा दिए गए हैं और वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 21-22 के दौरान इसके दायरे में सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव किया है।

ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष में बढोतरी

ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष के लिए आवंटन 30 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40 हजार करोड़ कर दिया गया है। नाबार्ड के अंतर्गत 5 हजार करोड़ के कोष के साथ बनाए सूक्ष्म सिंचाई कोष को दोगुना कर दिया जाएगा। कृषि और सहायक उत्पादों में मूल्य संवर्धन व उनके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए की गई एक अहम घोषणा के तहत, अब ‘ऑपरेशन ग्रीन योजना’ के दायरे में अब 22 जल्दी सड़ने वाले उत्पाद शामिल हो जाएंगे। वर्तमान में यह योजना टमाटर, प्याज और आलू पर लागू है।

 कृषि बाजार मंडी सुधार

लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत ई-नाम को लागू करने के लिए प्रमुख एजेंसी है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (National Agriculture Market (ई-नाम) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है  जो कृषि उत्पादों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने हेतु मौजूदा एपीएमसी मंडियों को ऑनलाइन नेटवर्क से जोड़ता  है । जिससे  देश के किसानों  को काफी फायदा होगा । देश के जो इच्छुक लाभार्थी अपनी फसल को ऑनलाइन बेचना चाहते है तो वह घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से  e-nam पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन बेच सकते है। अब अलग-अलग किसान ई-नाम  पोर्टल पर e-nam.gov.in पर किसान पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। देश की  585 मंडियों को  ई-नाम योजना के तहत एकीकृत  करने की बात की गई है। विशेष योजनाओं को शुरू किया गया है। ई-नाम में लगभग 1.69 करोड़ किसान पंजीकृत हैं और इनके माध्यम से 1.14 लाख करोड़  का व्यापार हुआ है। पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए ई-नैम को कृषि बाजार में लाया गया है, ई-नैम के साथ 1,000 से ज्यादा मंडियों को जोड़ा जा चुका है। एपीएमसी को अपनी अवसंरचना सुविधाएं बढ़ाने के लिए कृषि अवसंरचना कोष उपलब्ध कराया जाएगा।

राष्ट्रीय कृषि बाजार का उद्देश्य

किसानो को फसलों को बेचने को लेकर समस्याएं होती है वह फसल का उत्पादन तो कर लेते हैं,  लेकिन उसको कहां पर बेचे यह उनके सामने एक सवाल होता था  हालांकि अभी तक किसानों की फसलें बिचौलियों को द्वारा खरीद कर बेची जाती थी । इस समस्या को निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल को शुरू किया है किसान अपने कृषि उत्पादों को बेहतर कीमत में बेच सकते है ।

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई नाम) के लाभ

  • e nam ऑनलाइन मार्केट प्लेटफॉर्म पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से बेहतर कीमत की खोज प्रदान करते हुए कृषि वस्तुओं में अखिल भारतीय व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा।
  • अब वे बिचौलियों और आढ़तियों पर निर्भर नहीं हैं ! सरकार ने अब तक देश की 585 मंडियों को ई-नाम के तहत जोड़ा है ।
  • सेब, आलू प्याज, हरा मटर, महूआ का फूल, अरहर साबूत, मूंग साबूत, मसूर साबूत (मसूर), उड़द साबूत, गेहूँ, मक्का, चना साबूत, बाजरा, जौ, ज्वार, धान, अरंडी का बीच, सरसों का बीज, सोया बीन, मूंगफली, कपास, जीरा, लाल मिर्च और हल्दी के प्रायोगिक व्यापार की शुरुआत 14 अप्रैल 2016 को 8 राज्यों के 21 मंडियों में की गई है।
  • हरियाणा की अन्य 02 मंडियों अंबाला और शाहबाद को 1 जून 2016 को ई-नाम पर डाला गया। इस आधार पर, 31 अक्टूबर 2017 तक देश की पहली 470 मंडियों को ई-नाम के साथ एकीकृत किया जाएगा।

प्रवासी कामगार और श्रमिक

सरकार ने एक राष्‍ट्र, एक राशन कार्ड योजना शुरू की है। उसके बाद में लाभार्थी देश में कहीं भी अपना राशन का दावा कर सकते हैं। एक राष्‍ट्र, एक राशन कार्ड योजना 32 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है और 69 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंच रही है। यह संख्‍या इस योजना के तहत शामिल लाभार्थियों की कुल संख्‍या की 86 प्रतिशत है। बाकी चार राज्‍य और केंद्र शासित प्रदेश अगले कुछ महीनों में इससे जुड़ जाएंगे। सरकार ने चार श्रम कोड लागू करने से 20 साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया को समाप्‍त करने का प्रस्‍ताव किया है। वैश्विक रूप से पहली बार सामाजिक सुरक्षा के लाभ वंचित और मंच कामगारों तक पहुंचेंगे। न्‍यूनतम वेतन सभी श्रेणी के कामगारों पर लागू होंगे और वह सभी कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम के तहत आएंगे।

वित्‍तीय समावेश

कमजोर वर्गों के लिए किए गए उपायों के अनुपालन में वित्‍त मंत्री ने अनुसूचित जाति,जनजाति और महिलाओं के लिए स्‍टैंड अप इंडिया योजना के तहत नकदी प्रवाह सहायता को आगे बढ़ाने की घोषणा की है। वित्‍त मंत्री ने मार्जिन मनी की जरूरत 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने और कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए ऋणों को भी शामिल करने का प्रस्‍ताव किया गया।  इसके अलावा एमएसएमई क्षेत्र की सहायता के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। सरकार ने इस बजट में इसे क्षेत्र के लिए 15,700 करोड़ उपलब्‍ध कराए हैं, जो इस वर्ष के बजट अनुमान से दोगुने से भी अधिक हैं।

किसानों को लाभ देने के लिए, वित्त मंत्री ने कपास पर सीमा-शुल्क को बढ़ाने की घोषणा की। उन्होंने डीनेचर्ड इथाइल अल्कोहल पर उद्दीष्ट उपयोग आधारित छूट को वापस लेने की घोषणा की। वित्त मंत्री ने छोटे सामानों पर कृषि बुनियादी ढांचे और विकास शुल्क का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि उपकर को लागू करते समय, हमने अधिकांश मदों पर उपभोक्ताओं पर अधिक बोझ ना डालने की तरफ भी विशेष रूप से ध्यान दिया गया है।

पशु पालन एवं मत्स्य

सरकार ने ने एक महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय पशु पालन एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम को मंजूरी दी है। इस योजना लक्ष्य सभी सभी प्रजातियों के पशुओं को पैरों एवं मुँह के रोगों (एफएमडी) एवं ब्रूसोलेसिस के बचाव के लिये उन्हें (एफएमडी) का टीका लगाना आवश्यक है । इस कार्यक्रम के सफल निष्पादन के लिये पांच वर्षों (2019-20 से  2023-24) के दौरान कुल 13,343 करोड़ खर्च किये जायेगे । पशु पालन उद्योग भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था का महत्तवपूर्ण उपक्षेत्र है , वर्ष 2014-15  से 2018-19 के दौरान 8.24 प्रतिशत की सीएजीर दर से विकास किया ।

Milk and egg production in the country

पशु पालन उद्योग ने वर्ष 2018-19 में कुल जीवीए में 4.2 प्रतिशत का योगदान दिया । देश में कुल दुग्ध उत्पादन 2014-15 में 146.3 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2019-20  में 194.4 मिलियन टन हो गया, जबकि अण्डों का उत्पादन 78.48 मिलियन हजार से बढकर 114.42 मिलियन हजार हो गया इस दौरान वार्षिक विकार दर 6.25 प्रतिशत रही ( चित्र 6. देखें) ।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2021 का आम बजट पेश करते हुए पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन के लिए कई घोषणाएं की हैं। आधुनिक मात्स्यिकी बंदरगाहों और फिश लैंडिंग सेंटर के विकास में पर्याप्त निवेश के लिए प्रास्तव कर रहे हैं। शुरू-शुरू में पांच मत्स्य बंदरगाहों- कोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्टनम, पारदीप और पेटुआघाट का आर्थिक क्रियाकलापों के हब्स के रूप में विकास किया जाएगा। हम नदियों और जलमार्गों के किनारे अंतर्देशीय मत्स्य बंदरगाहों और फिश लैंडिंग सेंटर का भी विकास करेंगे। “सीवीड फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने कहा, “सीवीड फार्मिंग एक ऐसे क्षेत्र के रूप में उभर रहा है जिसमें तटीय समुदायों के जीवन में परिवर्तन लाने की क्षमता है, इससे बड़े पैमाने पर रोजगार मिल सकेगा और अतिरिक्त आय पैदा की जा सकेगी। सीवीड उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तमिलानाडु में एक मल्टीपर्पज सीवीड पार्क की स्थापना किए जाने का मेरा प्रस्ताव है।”

देश के पांच राज्यों केरल, के कोच्चि, तमिलनाडु के चेन्नई, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम, ओडिशा के पारादीप और पश्चिम बंगाल के पेटुआघाट को फिशिंग हार्बर के रूप मे विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही वित्तमंत्री ने अगले पांच सालों के लिए डीप सी मिशन की भी घोषणा की जिसके लिए 400 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है और एक्वाकल्चर उत्पादन के साथ ही अंतर्देशीय मत्स्य पालन में भी दूसरे स्थान पर है। साल 2018-19 के दौरान देश का मछली उत्पादन 13.7 मिलियन  टन था, जबकि बर्ष  2019-20 में  14.16 मिलियन टन  दर्ज किया गया था। बर्ष  2019-20 में 12.9 लाख मीट्रिक टन समुद्री उत्पादों का निर्यात किया गया , जिसकी कीमत 46662 करोड़ थी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी को बढ़ाबा देने के लिये अलग से मंत्रालय का गठन किया ।

वर्ष  2022  तक किसानों की आय दोगुनी करना

कृषि क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ाने के लिये भी महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं। पशु-पालन और मछली-पालन इस क्षेत्र में पर भी कई विशेष योजनाओं को शुरू किया गया है। सरकार मछली-पालन को बढ़ावा देने के लिए 3,427 सागर मित्र बनाएगी। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने  के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सामने एक लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी होनी चाहिए। 

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय को यह काम 2022 तक अंजाम देना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये कृषि क्षेत्र में इसके लिए वार्षिक वृद्धि दर 10.4 प्रतिशत की आवश्यकता होगी । किसानों के आय दुगनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के  लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न  योजनायें लागू की एवं  कृषि में उपरोक्त विकास दर को हासिल करने के लिये ढ़ाचागत बदलाव किया गया । कृषि मंत्रालय एवं किसान कल्याण पूरे मनोयोग और ईमानदारी के साथ प्रधानमंत्री के इस सपने को साकार करने में लगा हुआ है। देश के सभी जिलों में 16 अगस्त, 2017 से के.वी.के. के संयोजन में किसानों की आय दुगनी करने के लिए सम्मेलनों में बड़ी संख्या में किसान एवं अधिकारी संकल्प भी ले रहे हैं।

आभारोक्ति

लेखक इस अनुसंधान पत्र के लिखने में  निदेशक, आईसीएआर-राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान से प्राप्त समर्थन एवं संसाधन के लिए आभार प्रकट करता है। लेखक श्री प्रेम नारायण वर्तमान में मुख्य तकनीकी अधिकारी, पद पर आईसीएआर-राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र एवं नीति अनुसंधान संस्थान, डी.पी.एस. रोड, पूसा, नई दिल्ली -110012 में कार्यरत है ।

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