प्याज की उन्नत विकसित किस्में
भारत प्याज की खेती में विश्व के प्रमुख देशों में अपना स्थान रखता है इसके बाबजूद भी प्रति हैक्टेयर उत्पादन में अन्य देशों से काफी पीछे है | देश में कम लागत एवं कम क्षेत्र में अधिक उत्पदान देने वाली किस्मों के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान विभाग के द्वारा लगातार नई किस्में विकसित की जा रही हैं | जिससे किसानों की आमदनी को बढाया जा सके | देश में प्याज की खेती वर्ष में दो बार की जाती है परन्तु रबी सीजन में प्याज की खेती तथा उत्पादन दोनों अधिक होता है | देश में प्याज की खरीफ फसल की औसत उत्पादकता 8 टन प्रति हैक्टेयर है, जबकि रबी सीजन में यह 12 टन प्रति हैक्टेयर है |
प्याज के कम उत्पादन होने के पीछे उनके बीजों की गुणवत्ता है | उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध नहीं होने के कारण प्याज के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है | किसान समाधान प्याज के उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आया है | यह सभी उन्नत किस्में खरीफ तथा रबी सीजन के अलग–अलग है |
खरीफ सीजन केलिए प्याज की उन्नत किस्में
एग्री फाउंड डार्क रेड :- इस प्रजाति के कंदों का आकार गोल एवं रंग गहरा लाल होता है | इसकी औसत उपज 250–270 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त होती है | यह प्रजाति रोपाई के लगभग 100 दिनों में उखाड़ने के लिए तैयार हो जाती है |
भीमा सुपर :- इस प्रजाति के कंद आकर्षक लाल रंग के गोल होते हैं | प्रत्येक कंद का औसत वजन 70–80 ग्राम तक होता है | इसकी औसत उपज खरीफ में 200–220 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तथा पछेती खरीफ में 400–450 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है | यह रोपाई के 100–110 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है तथा प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त है |
भीमा श्वेता :- इस प्रजाति के कंद आकर्षक सफेद रंग के होते हैं, जिनका औसत वजन 60-70 ग्राम तक होता है | इसकी औसत उपज खरीफ में 180–200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर, जबकि रबी में 260–300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त होती है | यह प्रजाति रोपाई के 100–105 दिनों में परिपक्व होकर कंद उखाड़ने के लिए तैयार हो जाती है | कंदों के परिपक्व होने पर पत्तियां एक साथ जमीन पर गिर जाती है | भीमा श्वेता प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त है |
एन 53 :- इस प्रजाति के कंद गोलाकार एवं चपटे बैंगनी लाल होते हैं | इसकी औसत उपज 200–250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त होती है | यह प्रजाति रोपाई के लगभग 100–110 दिनों में उखाड़ने के लिए तैयार हो जाती है |
रबी सीजन के प्याज की उन्नत किस्में
एग्री फाउंड लाइट रेड :- इस प्रजाति के कंद गोल, मध्यम से बड़े आकर के और हल्के लाल रंग के होते हैं | इसकी अधिकतम उपज 400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर, जबकि औसत उपज 300– 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त होती है | यह प्रजाति रोपाई के लगभग 120–125 दिनों में तैयार हो जाती है |
भीमा शक्ति :- इस प्रजाति के कंद आकर्षक लाल रंग के होते हैं | इनका औसत वजन 60– 80 ग्राम तक होता है | इसकी औसत उपज पछेती खरीफ में 350–400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर जबकि रबी में 280–300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है | यह देर से पकने वाली प्रजाति है जो रोपाई के 125–135 दिनों में परिपक्व होकर कंद उखाड़ने के लिए तैयार हो जाते है | इस प्रजाति के कंदों की भंडारण क्षमता अच्छी है |
पूसा रेड :- इस प्रजाति के कंद गोलाकार, चपटे आकार के हल्के लाल रंग के होते हैं | इसकी औसत उपज 250–300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त होती है | यह प्रजाति रोपाई के लगभग 125–140 दिनों में उखाड़ने के लिए तैयार हो जाती है |