अभी तक राज्य सरकार किसानों को सिंचाई के लिए स्प्रिंकल , पाईप, ड्रिप इत्यादी कृषि यंत्र देती थी लेकिन पहली बार सिंचाई के लिए पम्प सेट दे रही है | इसका मुख्य कारण यह भी है की किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में बोर तथा कुँए से पानी निकालने के लिए कृषि उपकरण नहीं रहने के कारण सिंचाई के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता था | पानी की जरूरत तथा घटते जल स्तर को ध्यान में रखते हुये सरकार किसानों के लिए सिंचाई हेतु डीजल पम्प स्प्रिंकल सेट, पाईप सेटदे रही है | यह सभी किसनों को सब्सिडी पर दिया जा रहा है | इसके लिए किसानों को आनलाईन आवेदन करना होगा | इसकी पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |
यह योजना किस राज्य के लिए है ?
यह योजना देश के सभी राज्यों में लागू है परन्तु अभी सिर्फ मध्यप्रदेश के किसान आवेदन कर सकते हैं | यह योजना राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन (आँइल सीड्स एंड आँइल पाम) के अंतर्गत आता है |
यह सिंचाई यंत्र किसान सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं-
मध्यप्रदेश राज्य के सभी वर्ग के किसान इन सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन 22 अगस्त 2019 को ई-डी.बी.टी. पोर्टल पर दोपहर 12 बजे से आवेदन कर सकेगें | जो भी इच्छुक किसान हैं दी गई दिनांक को आवेदन कर सकते हैं |
सिंचाई यंत्र आवेदन करते समय यह दस्तावेज साथ रखें
आधार कार्ड की कॉपी
बैंक पासबुक के प्रथम प्रष्ठ की कॉपी
जाति प्रमाण पत्र ( केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कृषकों हेतु )
बिजली कनेक्शन का प्रमाण जैसे बिल
सिंचाई यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए नियम एवं शर्तें:
मध्यप्रदेश के वहीँ किसान आवेदन कर सकते हैं जिनके पास स्वयं की भूमि हो | इस आवेदन के 7 दिवस के अन्दर कृषक द्वारा निम्न अभिलेख ऑनलाइन अपलोड करने होंगे | जिसके आधार पर क्रय कर स्वीकृति आदेश जारी होगा तथा कृषक सामग्री को क्रय कर सकेगें |
कृषकों को यह भी अवगत कराया जाता है कि विक्रेता द्वारा काटे गये बिल (देयक) पर लिखी गई कीमत के अतिरिक्त प्रकरण पास कराने, जल्दी कार्यवाही कराने जैसे कारणों के लिये किसी भी राशि का भुगतान किसी को भी नहीं किया जावे। शासन द्वारा ऑनलाईन प्रक्रिया पूर्णतः निर्धारित है तथा पारदर्शी है जिसमें सभी तरह की जानकारी तथा प्रकरणों की स्थिति स्पष्ट रूप से पोर्टल पर ही सभी के द्वारा देखी जा सकती है। यदि किसान भाईयों को कोई शिकायत है तो वे [email protected] पर अवगत करा सकते है।
सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन कैसे करें
मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन कर सकते हैं परन्तु सभी किसान भाइयों को यह बात ध्यान में रखना होगा की आवेदन के समय किसानों को उँगलियों के निशान देना होता है इसलिए सभी किसान भाई किसी पंजीकृत बायोमेट्रिक मशीन जिस कीओस्क पर हो वहीँ से आवेदन करें अथवा डीलर की मदद लें |
खेती में लागत कम करने के उद्देश्य से IFFCO ने उर्वरक के मूल्य में की कटौती कर दी है | इन उर्वरक में DAP, NPK, NP के उर्वरकोंको शामिल किया गया है | इसकी घोषणा तमिलनाडु में IFFCO के एमडी और सीईओ यू एस अवस्थी ने की | IFFCO देश की सार्वजनिक क्षेत्र की एक मात्र कंपनी है जो देश में 5 करोड़ किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराता है | इस बार उर्वरक IFFCO ने जो मूल्य कम क्या है वह पोटेशियम युक्त उर्वरक में किया है |
IFFCO के तरफ से किया हुआ इस घोषणा को 15 अगस्त के स्वतन्त्रता पर दिया हुआ तोफा माना जा रहा है | अब जो कंपनी इस उर्वरक को भेजेगा तो नयी दर प्रिंट किया हुआ रहेगा | यह दर आज से ही लागु हो गया है | यहाँ पर इस बात का ध्यान रखना होगा कि पहले से उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर जो उर्वरक बेचा जा रहा है उसे पहले से प्रिंट रेट पर ही दिया जायेगा |
नया मूल्य क्या रहेगा ?
पहले का मूल्य तथा 50 रुपया कम करने के बाद का मूल्य इस प्रकार रहेगा |
DAP का पहले से मूल्य 1400 रुपया प्रति पैकेट था, जिसे पहले ही घटाकर 1300 किया गया है अब इस पर 50 रूपये की कटौती किया गया है | जो घटकर 1250 रुपया प्रति पैकेट हो गया है |
NPK-1 उर्वरक का पहले दाम 1365 रुपया प्रति पैकेट था , जिसे घटकर 1250 रुपया प्रति पैकेट कर दिया गया था | अब इसमें 50 रुपया की कटौती कर नयी दर 1200 रुपया प्रति पैकेट कर दिया गया है |
NPK – 2 उर्वरक का पहले मूल्य 1260 रुपया प्रति किवंटल था , जिसे 50 रुपया की कटौती कर 1210 रुपया प्रति पैक्ट कर दिया गया |
NP उर्वरक का मूल्य पहले 1000 रुपया प्रति पैकेट था जिसमें 50 रुपया की कटौती कर 950 रुपया प्रति पैकेट कर दिया गया है |
क्या है DAP?
डीएपी का पूरा नाम डाइअमोनिया फास्फेट (diammonium phosphate) होता है | यह एक दानेदार उर्वरक है |इस उर्वरक में आधे से ज्यादा हिस्सा फास्फोरस युक्त होता है जो पानी में पूरी तरह से घुलनशील नहीं होता है | इस उर्वरक का मुख्य उपयोग पौधों को जड़ो की विकाश कराने में किया जाता है |
क्या है NPK ?
NPK उर्वरक में नाईट्रोजन , फास्फोरसतथा पोटेशियम तीनों मौजूद रहता है | यह दानेदार उर्वरक होता है | इस उर्वरक का प्रयोग पौधे के विकास तथा मजबूती के लिए किया जाता है साथ ही पौधे से फल को गिरने से बचाया जाता है |
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खेती में दिन प्रतिदिन मजदूरों के नहीं मिल पाने तथा अधिक मजदूरी से छुटकारा पाने के लिए कृषि कार्यों के लिए आधुनिक मशीनों का प्रयोग करना उचित है जैसे धान तथा गेंहू को काटकर बंडल बना देने वाली मशीन | इस मशीन को रीपर बाइंडर कहते हैं जो फसल को 5 से.मी. ऊपर से काटकर बंडल बना देता है | जिसे आसानी से थ्रेस्रिंग किया जा सकता है |
दूसरा यंत्र सरकार दूसरी यंत्र क्लीनर – कम – ग्रेडर के लिए भी आवेदन मांगें गए है | पहले भी सरकार इन सभी यंत्रों पर आवेदन माँगा था जिसे दूसरी बार फिर से इस यंत्र के लिए मध्य प्रदेश कृषि विभाग आवेदन माँगा है | इसकी पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |
यह योजना किस राज्य के लिए है ?
यह योजना पूरी तरह से मध्य प्रदेश राज्य के लिए है |
कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने हेतु आवेदन कब करना है ?
मध्य प्रदेश कृषि विभाग यह दोनों यंत्रों के लिए 20 अगस्त 2019 को दोपहर 12:00 बजे से आवेदन आमंत्रित किया है | इसके लिए राज्य के सभी जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | किसान भाई कृषि यंत्रों के लिए आवेदन के लिए ई- कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन करें |
रीपर बाइंडरऔर क्लीनर – कम – ग्रेडर के लिए कौन से किसान पात्र होगें ?
इन सभी कृषि यंत्रों के लिए सभी वर्ग तथा श्रेणी के किसान पात्र है | केवल वे ही कृषक पात्र होंगे जिन्होंने गत 5 वर्षों में उक्त यंत्रों के क्रय पर विभाग की किसी भी योजना के अंतर्गत अनुदान का लाभ प्राप्त नहीं किया है |
रीपर बाइंडरऔर क्लीनर कम ग्रेडर पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?
सभी वर्ग के किसानों को अलग अलग सब्सिडी दी जाती है यह किसानों को उनकी जाती के अनुसार एवं उनके पास कितनी भूमि है उसके अनुसार दी जाती है अतः किसान को कितनी सब्सिडी दी जाएगी यह किसान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर देख सकते हैं |
मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के तहत 25,000 रूपए
किसानों को लागत मूल्य के डेढ़ गुना देने की जगह सरकार ने किसानों की लागत कम करने में लगी हुई है | इसका मुख्य उद्देश यह है कि किसानों को आय का 50 प्रतिशत मुनाफा दिया जाये | इस क्रम में झारखंड सरकार ने प्रदेश के किसानों के लिए मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की शरुआत की है | इसके तहत प्रदेश के किसानों को धान की खेती के लिए प्रति एकड़ 5 हजार रुपया देने का फैसला किया है | यह योजना अपने आप में देश की पहली योजना है जिसके तहत किसी खास फसल के लिए किसानों को सहायता राशि दिया जा रहा है | इस योजना की पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |
क्या है 25 हजार रुपए के लिए योजना ?
झारखंड सरकार ने प्रदेश के धान के किसानों के लिए मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की शरुआत की है | इस योजना के तहत प्रदेश के सभी किसानों को सीधे उसके खाते में 5,000 रुपया प्रति एकड़ दिया जायेगा जो अधिकतम 5 एकड़ के लिए रहेगा | यानि एक किसान को अधिकतम 25,000 रुपये तक दिए जाएंगे |
इस योजना से कितने किसानों को फायदा होगा
यह योजना पुरे प्रदेश के लिए है | इसके तहत प्रदेश के 35 लाख किसानों को सीधे लाभ दिया जायेगा | इस योजना पर पहले वर्ष में प्रदेश सरकार 3,000 करोड़ रुपया खर्च कर रही है | पहले राउंड में 13.60 लाख किसानों को 442 करोड़ रुपया दिया जा रहा है | कृषि विभाग के अनुसार प्रदेश में 83 प्रतिशत किसानों के पास 2 एकड़ तक भूमि है और 65 प्रतिशत किसानों के पास सिर्फ 1 एकड़ ही भूमि मौजूद है |
योजना का लाभ कैसे मिलेगा ?
यह योजना पूरी तरह से ऑनलाइन है इसके तहत सभी किसानों को DBT के माध्यम से पैसा दिया जायेगा | किसान भाई योजना का लाभ लेने के लिए किसी भी इन्टरनेट कैफ़े से आवेदन कर सकते हैं |
प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना के लिए पंजीयन शुरू
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने नई दिल्ली में कृषि भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पीएम किसान मान धन योजना के लिए आज से पंजीयन की शुरूआत हो गई है। उन्होंने देश के किसानों से वृद्धावस्था पेंशन योजना में शामिल होने की अपील की। योजना से देश के छोटे व सीमांत किसानों का जीवन बेहतर होगा। प्रक्रिया से संबंधित निर्देश राजयों के साथ साझा किए जा चुके हैं |
क्या है किसान मानधन योजना
योजना स्वैच्छिक और योगदान आधारित है। 18 से 40 आयु वर्ग के किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। 60 साल की आयु के पश्चात किसानों को 3000 रुपये प्रति महीने पेंशन देने का प्रावधान है। किसानों को 55 से 200 रुपये प्रति महीने का योगदान देना होगा। योजना से जुड़ने के समय उनकी आयु के आधार पर धनराशि का निर्धारण किया जाएगा। किसान द्वारा दी जाने वाली राशि के बराबर की धनराशि का योगदान केन्द्र सरकार करेगी। पति और पत्नी भी अलग-अलग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम को पेंशन कोष का फंड मैनेजर नियुक्त किया गया है। निगम पेंशन भुगतान के लिए जवाबदेह होगा।
इस योजना के योगदान कर्ता की मृत्यु होने पर उसकी पति/पत्नी शेष योगदान देकर योजना को जारी रख सकते हैं और पेंशन का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यदि पति/पत्नी योजना को जारी नहीं रखना चाहते हैं तो ब्याज सहित कुल योगदान राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। यदि पति या पत्नी नहीं है तो नामित व्यक्ति को ब्याज सहित योगदान राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
यदि अवकाश प्राप्ति की तारीख के पश्चात लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पत्नी को पेंशन धनराशि का 50 प्रतिशत परिवार पेंशन के रूप में दिया जाएगा। यदि लाभार्थी कम से कम 5 साल तक नियमित योगदान देते हैं और इसके बाद योजना को छोड़ना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में एलआईसी बैंक की बचत खाता ब्याज दर के आधार पर ब्याज सहित धनराशि का भुगतान करेगी।
किसान मान धन योजना के तहत पंजीयन कैसे करें ?
पीएम किसान योजना में मिलने वाली धनराशि को किसान सीधे पेंशन योजना के योगदान राशि के रूप में भुगतान कर सकते हैं। यदि नियमित भुगतान में विलम्ब होता है या अल्प समय के लिए भुगतान रूक जाता है तो किसान ब्याज के साथ सम्पूर्ण पिछले बकाये का भुगतान कर सकते हैं। साझा सेवा केन्द्रों के जरिये इस योजना का पंजीकरण किया जा रहा है। पंजीयन निशुल्क है। सरकार साझा सेवा केन्द्रों को प्रति पंजीयन 30 रुपये का भुगतान करेगी।
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ऐसे तो सरकार किसानों को प्रत्येक माह में कुछ न कुछ कृषि यंत्र सब्सिडी पर देती है लेकिन जब बात बड़े कृषि यंत्र की आती है तो वह वर्ष में एक या दो बार ही दिया जाता है | इसके अलावा किसानों को दिया जाने वाला कृषि यंत्रों पर लक्ष्य निर्धारित कर दिया जाते है | वर्ष 2019 – 20 में कम्बाईन हार्वेस्टर के क्रय करने के लिए किसानों का आवेदन माँगा गया है | प्रत्येक वर्ष यह किसानों को अप्रैल माह से मई के बीच ही दे दिया जाता था लेकिन इस वर्ष लोकसभा के चुनाव के कारण देर हो गई है | किसानों के लिए हार्वेस्टर आवेदन के लिए किसानों के लिए अलग – अलग लक्ष्य तथा वर्ग के आधार पर सब्सिडी भी अलग होती है जिसकी पूरी जानकारी किसान समाधान खास अपने किसान भाइयों के लिए लेकर आया है |
कम्बाईन हार्वेस्टर आवेदन किस राज्य के लिए हैं ?
अभी यह योजना के लिए आवेदन मध्य प्रदेश राज्य के लिए हैं इसलिए मध्य प्रदेश के किसान ही केवल आवेदन करें |
हार्वेस्टर पर कितना अनुदान है ?
इस बार किसानों को हार्वेस्टर तीन तरह का दिया जायेगा | जिसमें सभी वर्ग के लिए सब्सिडी अलग – अलग है | अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए अधिकतम 50 प्रतिशत की सब्सिडी है तथा समान्य वर्ग के लिए अधिकतम 40 प्रतिशत तक का सब्सिडी है | पूरा विवरण इस प्रकार है :-
क्र.
कम्बाईन हार्वेस्टर का विवरण
कृषक श्रेणी
देय अनुदान
1.
कम्बाईन हार्वेस्टर
(स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम सहित)
सेल्फ प्रोपेल्ड 14 फीट कटरबार तक
लघु सीमांत, महिला, अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति
लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम राशि 8.56 लाख रुपया
अन्य वर्ग के कृषक
लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि 6.85 लाख रुपया
2.
कम्बाईन हार्वेस्टर (ट्रैक टाईप)
सेल्फ प्रोपेल्ड 6 – 8 फीट कटरबार तक
(स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम आवश्यक नहीं)
लघु सीमांत, महिला, अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति
लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम राशि 11.00 लाख रुपया
अन्य कृषि वर्ग
लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि 8.80 लाख रुपया
3.
कम्बाईन हार्वेस्टर (ट्रैक टाईप)
सेल्फ प्रोपेल्ड 6 फीट कटरबार तक
(स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम आवश्यकता नहीं)
लघु सीमांत, महिला, अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति
लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम राशि 7.00 लाख रुपया
अन्य कृषिक वर्ग
लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि 5.60 लाख रुपया
आवेदन कब करें तथा चयन की प्रक्रिया क्या है ?
कम्बाईन हार्वेस्टर का आवेदन शुरू हो गया है | इसके लिए किसान 19 अगस्त 2019 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते है | मध्य प्रदेश के सभी जिलों के लिए किसनों को 4 हार्वेस्टर दिए जायेंगे | लक्ष्य से अधिक प्राप्त आवेदनों की स्थिति में लाटरी द्वारा वरीयता सूचि तैयार की जायेगी | लाटरी की कार्यवाही दिनांक 22 अगस्त 2019 को दोपहर 12:00 बजे से संचालनालय में संपादित की जाएगी |
आवेदन की शर्ते क्या हैं ?
आवेदन करने के लिए किसनों को कुछ शर्ते मान्य होगा जो इस प्रकार है :-
सामान्य श्रेणी के किसनों को 1 लाख रुपया तथा अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति के किसनों को 50 हजार रूपये का बैंक ड्राफ्ट जमा करना होगा |
बैंक ड्राफ्ट संचालक कृषि अभियांत्रिक भोपाल के नाम से होना चाहिए | तथा इस बैंक ड्राफ्ट की स्केन कापी आनलाईन आवेदन में लगाना होगा तथा मूल बैंक ड्राफ्ट को उसके प्रमाण – पत्रों के सत्यापन के समय संबंधित सहायक कृषि यंत्री कार्यालय में जमा करना होगा |
योजनान्तर्गत आवेदक के प्रकरण में अन्तिम निराकरण अर्थात अनुदान स्वीकृति के उपरान्त 15 दिवस की अवधि में धरोहर राशि संबंधित को वापिस कर डी जायेगी | यह धरोहर राशि एम.पी. आनलाईन में आवेदन करने की पोर्टल फीस से पृथक होगी |
एक आवेदक केवल एक ही आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा | एक से अधिक आवेदन की स्थिति में सभी आवेदन निरस्त कर दिया जायेगा |
आवेदक के स्वयं के नाम पर कृषि भूमि होना अनिवार्य है | इस हेतु ऋण पुस्तिका अथवा खसरे की प्रति आवेदन के साथ स्कैन कर अपलोड करना अनिवार्य रहेगा | संयुक्त खाते की स्थिति में यदि आवेदक के नाम भूमि का भाग स्पष्ट नहीं दर्शाया गया है तो संयुक्त खाते के संपूर्ण रकबे के अनुसार कृषक की श्रेणी का निर्धारण किया जायेगा | आवेदक को मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना अनिवार्य होगा |
आवेदक को कम्बाईन हार्वेस्टर के क्रय हेतु ऋण लेने की बाध्यता होगी तथा ऋण की अदायगी हेतु 3 वर्षों का लाक – इन अवधि होगी अर्थात ऋण की संपूर्ण अदायगी 3 वर्षों के पूर्व नहीं की जा सकेगी | ऋण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घोषित शेडयूल्ड बैंक अथवा एन.बी.एफ.सी. संस्थाओं से ही लिया जा सकेगा |
उपयुक्त पाए गए आवेदनों को सहायता कृषि यंत्री द्वारा ऋण स्वीकृति हेतु आवेदक द्वारा चयनित संस्था / बैंक को अगेषित किये जावेंगे |
ऋण स्वीकृति की सुचना प्राप्त होने पर आवेदक को कम्बाईन हार्वेस्टर को क्रय करने की अनुमति प्रदान की जायेगी | सेल्फ प्रोपेल्ड 14 फीट कटरबार वाले कम्बाईन हार्वेस्टर का क्रय स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के साथ किया जाना अनिवार्य होगा | योजनांतर्गत दोनों पर अनुदान देय होगा |
आवेदक को अनुमानित प्राप्त होने के उपरान्त 30 दिवस में कम्बाईन हार्वेस्टर एवं स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का क्रय कर मूल देयक आर.टी.ओ. के पंजीयन एवं इंश्योरेंस की प्रति अपलोड जमा करानी होगी | सामग्री का क्रय ई – कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर प्रदर्शित एवं पंजीकृत निर्माताओं तथा उनके अधिकृत डीलरों के माध्यम से किया जाना अनिवार्य होगा |
मूल देयक आर.टी.ओ. के पंजीयन एवं इंश्योरेंस की प्रति अपलोड होने के उपरांत संबंधित सहायक कृषि यंत्री द्वारा भौतिक सत्यापन की कार्यवाही की जायेगी | भौतिक सत्यापन आवेदक के ग्राम में 10 दिवस की अवधि में किया जाएगा | यदि भौतिक सत्यापन के सामग्री ग्राम में नहीं पाई जाती हा तो प्रकरण निरस्त कर दिया जावेगा |
भौतिक सत्यापन में उपयुक्त पाये गए प्रकरणों में अनुदान राशि का भुगतान आर.टी,जी,एस. के माध्यम से किया जाएगा | यदि कृषक द्वारा संपूर्ण राशि का भुगतान कर सामग्री का क्रय किया गया है तो अनुदान राशि कृषक के ऋण खाते में जमा कराई जाएगी | यदि कृषक द्वारा केवल अपने अंश की राशि का भुगतान करके सामग्री का क्रय किया गया है तो अनुदान राशि का भुगतान निर्माता के बैंक कहते में किया जावेगा | अनुदान राशि का भुगतान डीलर के बैंक खाते में नहीं किया जाएगा |
क्रय किये जाने वाले कम्बाईन हार्वेस्टर एवं स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के निर्मताओं का पंजीयन संचालनाय कृषि अभियंत्रिकी में होना अनिवार्य रहेगा | संचालनालय में निर्माताओं द्वारा डी गई दरें ई – कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर प्रदर्शित की गई है जो अधिकतम है | आवेदक इन दरों पर गोल – भव करके क्रय की कार्यवाही कर सकते हैं |
जो आवेदक इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करेंगे उन्हें आगामी 8 वर्षों तक पुन: समान सामग्री पर लाभ प्राप्त करने की पात्रता नहीं होगी | जिन आवेदकों द्वारा पूर्व में कम्बाईन हार्वेस्टर पर अनुदान का लाभ प्राप्त कर लिया गया है वे भी आवेदन हेतु पात्र नहीं होंगे |
सब्सिडी पर हार्वेस्टर लेने के लिए किसान आवेदन कैसे करें ?
किसान भाई जो भी आवेदन करने के इच्छुक हैं MP ONLINE Portal पर जाकर आवेदन कर सकते हैं | इस बार मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हार्वेस्टर लेने हेतु आवेदन की प्रक्रिया mp ऑनलाइन को ही दी गई है |पहले यह आवेदन ई कृषि यंत्र अनुदान https://dbt.mpdage.org/Eng_Index.aspx माध्यम से होते थे | किसान भाई अधिक जानकरी के लिए किसान भाई 0755-6720200 पर कॉल करें |
नींबू अधिक आय देने वाला फल है | नींबू का पौधा मध्यम आकार का चार, पांच मीटर ऊँचा तथा फैला हुआ रहता है | इसका वृक्ष वर्ष में दो बार फल देता है जुलाई – अगस्त में एवं नवम्बर से जनवरी में फल प्राप्त होते हैं | उत्तम गुणों के फल शीत ऋतू या नवम्बर – जनवरी में प्राप्त होते हैं | नींबू की खेती में तीन वर्ष की उम्र में फलना आरम्भ कर देता है एवं पांच वर्ष की उम्र के बाद भरपूर फसल प्राप्त होने लगती है |
कपासी क्षेत्र की एक मीटर से दो मीटर गहराई वाली और नीचे मुरम या चुना कंकड़ मिश्रित रेट की वाली दोमट भुरभुरी मिटटी और कचहरी मिटटी उपयुक्त होती है | अधिक चिकनी मिटटी इसके लिए उपयुक्त नहीं होती है |
उपजाऊ तथा सामान्य बनावट की दुमट मिटटी नींबू लगाने के लिए अच्छी मणि जाती है | भूमि में पानी का भराव नहीं होना चाहिए नींबू विभिन्न प्रकार की अच्छी जल निकास वाली मिटटी में अच्छी तरह बढ़ता है |
मिट्टी की कड़ी परत या चट्टान तल से पांच फीट की गहराई तक नहीं होना चाहिए मिट्टी में चुने की मात्रा अच्छी होना चाहिए नींबू अम्लीय मिट्टी में अच्छी पैदावार देते हैं |
नींबू की खेती के लिए जलवायु
उपोष्ण जलवायु में नींबू अच्छा पैदा होता है नींबू के लिए तापक्रम 15 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस उचित माना गया है | नींबू में सहन शीतल अधिक होती है पाले से हानि की संभावना होती है | यह समुद्र ताल से 900 मीटर ऊँचाई तक सफलता पूर्वक लगाया जा सकता है |
नींबू के लिए भूमि की तैयारी
पौध रोपण की विधि :- वर्गाकार या आयताकार विधि से रेखांकन कर 6 × 6 मीटर अन्तर पर 60 × 60 × 60 से.मी.लम्बे चौड़े गहरे गड्डे खोदें एवं उसमें गोबर का अच्छा सदा हुआ क्म्पोष्ट खाद 25 किलो , सुपर फस्फोत 400 ग्राम, म्यूरेट आफ पोटास 150 ग्राम तथा बी.एच.सी. डस्ट 5 % , 25 ग्राम डाले एवं मिटटी में अच्छी तरह मिला कर गड्डे खोदने के एक माह बाद भरें गड्डे जमीन की की तरह से 15 से.मी. ऊँचे भरें |
पौध रोपण का समय :– 15 जुलाई से 15 15 अगस्त तक का समय पौधे लगाने का अच्छा समय है | उत्तम गुणवत्ता के स्वस्थ्य पौधों का रोपण करना चाहिए | गर्मी में खोदे गए गड्डों एवं वर्षा ऋतू के पूर्व भरे गए गड्डों में निश्चित स्थान पर पौधों का रोपण करें |
पौध रोपण के बाद मिटटी बाहर से तने की ओर अच्छी तरह दबाएँ जिससे पौधों की जड़ों के आस – पास हवा न रहे पौध रोपण के तुरन्त बाद सिंचाई करें |
नींबू में सिंचाई :-
छोटी उम्र के नींबू के पौधों को जल्दी – जल्दी पानी देना चाहिए | गर्मी में पौधों में अधिक सिंचाई करना चाहिए , मिटटी में नमी को देखकर सिंचाई करना चाहिए ठंड में ज्यादा सिंचाई करना हानिकारक है इससे मिटटी का तापमान कम हो जाने से जड़ों की कार्य क्षमता धीमी पड़ जाती है सिंचाई इस प्रकार चाहिए कि पानी तने को छूने न पाये इससे तने के गलने (मगोसिस) का दर रहता है | गर्मी में मई – जून में सप्ताह में एक बार या दस दिन के अंतर से सिंचाई करना चाहिए | सिंचाई के बाद जब पानी निचली स्थ पर चला जाये एवं उपरी स्थ पर पपड़ी जैम जाये तब गुडाई करना चाहिए जिससे नमी बनी रहे |
फूल फल आने का समय :-
नींबू के पौधों में 3 साल बाद फूल – फल आते हैं और साल भर फल प्रपात किये जा सकते हैं नीबू के पौधों में फसल इसकी विशेष जाती, वातावरण आदि पर निर्भर करता है |
फूलने के 5 से 9 माह बाद फल पककर तैयार हो जाता है जब फल का रंग पिला पद जाता है तब फलों को तोड़ लिया जाता है |
कटाई छटाई :-
नींबू के पौधों की कटाई छटाई इन्हें अच्छा आकार देने के लिए की जाती है जब पौधे छोटे हो तभी कटाई छटाई अच्छी तरह कर देना चाहिए ताकि बाद में इनका ढाँचा मजबूत रहे | पौधे से एकाएक निकलने वाले और अतिशीघ्र वृद्धि करने वाले प्ररोहों को काट देना चाहिए मरी हुई रोग ग्रस्त व सुखी शाखाओं को भी काट कर अलग क्र देना चाहिए |
प्रारंभ में छोटे पौधे की इस प्रकार काट – छांट करना चाहिए कि भूमि के टल से लगभग 60 से 90 से.मी. तक कोई शाखा न निकले जिससे कि इतनी ऊँचाई तक एक प्रमुख तना विकसित हो सके और बाद में इस पर तिन से पांच प्रमुख शाखाएँ ली जा सकें जिससे पेड़ का एक अच्छा आकार तैयार हो और बाद में खाद पानी देने में भी सुविधा रहे |
खाद तथा उर्वरक
वर्ष
गोबर खाद किलो ग्राम
नत्रजन ग्राम
स्फुर ग्राम
पोटाश ग्राम
प्रथम
10
100
50
50
दिवतीय
20
150
75
75
तृतीय
30
200
100
100
चतुर्थ
40
250
125
125
पंचम
50
300
150
150
षष्टम
50
400
200
200
गोबर की खाद या क्म्पोष्ट खाद , स्फुर और पोटाश की प्री मात्रा एवं नत्रजन की आधी मात्रा वर्षा आरम्भ होने पर दें |नत्रजन की शेष मात्र वर्ष समाप्त पर दें | नत्रजन की मात्रा को बराबर तिन भागों में बाँटकर क्रमश: फरवरी, जुलाई और अक्तूबर माह में दें | खाद एवं उर्वरक पौधे के फैलाव के अनुसार देना चाहिए एवं अक्तूबर तथा फरवरी माह में जिंक सल्फेट के 0.5 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें |
सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव – भारत में नींबू के वृक्षों में लगभग सभी जगह जस्ता तांबा तथा मैंगनीज की कमी पाई जाती है सूक्ष्म तत्वों की कमी से पौधों की बढवार धीमी पद जाती है पत्तियां छोटी रह जाती है तथा शाखाएँ सूखने लगती है इस स्थिति में सूक्ष्म तत्वों का छिड़काव जरुरी है चार या पांच किलो सूक्ष्म तत्व 1000 लीटर वाली में मिलाने से घोल तैयार हो जाता है यदि जस्ते और ताँबे का एक साथ ही छिड़काव करना हो तो 1000 लीटर पानी में कापर सल्फेट एवं बुझा हुआ चुना तीनों मिला कर 4 – 4 किलो का घोल बनाएं यह घोल 8 से 10 वर्ष पुराने वृक्षों के लिए पर्याप्त होता है |
पौध संरक्षण
कीड़े :-
नींबू की तितली – यह भूरे काले रंग की होती है इसके शरीर पर काले धब्बे पाये जाते हैं बड़ी इल्ली का रंग हर होता है यह नींबू के छोटे पौधों की पुर्न पत्तियों को खाकर सिर्फ डंठल रहने देती है तीव्र आक्रमण से पुर्न पौधा पत्ती रहित हो जाता है |
रोकथाम के उपाय
मैलाथियान 0.05% या इंडोसल्फान 0.07% का छिड़काव करें |
लीफ माइनर :- इसकी इल्ली काफी छोटी पिली एवं चमकदार होती है पंखों के सिरों पर काला धब्बा पाया जाता है एवं पंखों के किनारे पर रोयें भी पाये जाते हैं |
यह सबसे अधिक हानि जुलाई – अगस्त में करती है इल्ली पत्ती में दधि मेढ़ी सुरंग बनाकर नुकसान करती है | इल्लियों पत्तियों का क्लोरोफिल खा जाती है बाद में पत्तियां सूखकर गीर जाती है |
रोकथाम
मैलाथियान अथवा 0.03% फस्फामिडान का छिड़काव 15 दिन के अंतर से करें |
नीम की खली का घोल (एक किलो खली 10 लीटर पानी में) प्रति 15वां दिन छिडकें |
नींबू की लाल मकड़ी (माँइट) :- यह सूक्ष्म लाल रंग की होती है | यह प्त्त्यों का रस चूसती है इस कारण पत्तियों का हरित द्रव होता है जिससे पत्तियों पर सफेद धब्बे पद जाते हैं | इसकी रोकथाम के लिए सल्फर 50% घुलन शील का छिड़काव करें |
रोगयाबीमारियाँ
सिट्रसकंकर :- इसमें कारक के समान पत्तियों, टहनियों और फलां पर उठे हुये खुरदरे और पीले रंग के धब्बे होते हैं यह रोग कागजी नींबू में अधिक होता है |
रोकथाम :- इसकी रोकथाम के लिए प्रभावित अंगों का काट कर जला दें |
5:5:50 वोदों मिश्रण का छिड़काव करें | 5% नीम की खली के घोल का छिड़काव करें | (इस घोल को एक सप्ताह सदा लें) एग्री माँइसीन 100 का 0.06% के घोल छिड़काव करें |
सुखा रोग में पत्तियों का पीला पन दूर करने के लिए जस्ता 0.5% एवं लोहा (फ़र्स – सल्फेट) 0.4% का छिड़काव करें | माँइक्रान सी या ट्रेसल -2 का 0.5% छिड़काव करें एवं उचित उधानिकी क्रियाओं का प्रबंध करें |
सरंक्षित खेती राज्य योजना के तहत किसानों को अधिकतम 50 प्रतिशत अनुदान पर पाली हाउस, ग्रीन हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, फूलों एवं सब्जियों की खेती के लिए हाइब्रिड किस्में आदि चीजें किसानों को अनुदान पर दी जाती है |
योजना के लिए आवेदन कब एवं कौन से किसान कर सकेगें ?
मध्यप्रदेश के किसान नीचे तालिका में दिए गए जिले अनुसार विभिन्न मांगों को लेकर आवेदन कर सकेंगे | आवेदन 8 अगस्त को दोपहर 11 बजे से किसान ऑनलाइन किसी भी कियोस्क से अथवा MP ऑनलाइन से कर सकेंगे | किसान भाई ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं जो सुबह 11 बजे से शुरू होगा | सभी जिलों एवं सभी वर्ग के किसानों के लिए लक्ष्य अलग-अलग हैं जो नीचे तालिका में दिए गए हैं | जैसे ही लक्ष्य पूरे हो जाते हैं किसान भाई आवेदन नहीं कर पाएंगे | योजना सम्बन्धी अन्य जानकारी किसान भाई अपने जिले के उद्यानिकी विभाग में जाकर ले सकते हैं |
उपरोक्त दर्शाय गये लक्ष्यों के संबंध में जिलो को आवंटित लक्ष्य से50 प्रतिशत अधिक तक आवेदन किया जा सकेगा |
नवीन वित्तीय वर्ष 2019-20 में सभी कृषकों के द्वारा पंजीयन के समय प्रविष्ठ की जाने वाली जानकारी में प्रक्षेत्र की जानकारी भी जोड़ी जानी है। अतः ऐसे कृषक जिनका पूर्व से ही पंजीयन है वे कृषक भी कृषक लॉगिन में जाकर प्रक्षेत्र की जानकारी प्रविष्ठ करेंगे।
जब तक कृषक,कृषक लॉगिन में जाकर प्रक्षेत्र की जानकारी प्रविष्ठ नहीं कर देते तब तक उनके आवेदन किसी भी योजना में स्वीकार नही किये जा सकेंगे |
आवेदन कहाँ करें
दी गई सभी सामग्री के लिए आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं | किसान कीओस्क पर जाकर अथवा एमपी ऑनलाइन पर जाकर पंजीयन करें जहाँ eKYC (उंगलियों के निशान) सत्यापन कर सकें |
किसानों की आय को दोगुना करने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन को कृषि एवं बागवानी आधारित व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकारें लगातार किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं इसके लिए कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को समय समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है और साथ ही सरकारें किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को अनुदान भी उपलब्ध करवा रही है | अधिकतर लघु एवं सीमांत किसान हैं जो परंपरागत खेती के जरिये अपनी आय नहीं बढ़ा पा रहे हैं | किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि के साथ-साथ अन्य ऐसे अनुपूरक उद्यान व्यवसाय अपनाये जाने की आवश्यकता है,जिनमें भूमि की ज्यादा जरुरत न हो |
अभी मधुमक्खी पालन के लिए किस राज्य के किसान आवेदन कर सकते हैं
8 अगस्त सुबह 11 बजे से मध्यप्रदेश राज्य के किसान मधुमक्खी पालन योजना के लिए अनुदान हेतु आवेदनकर सकेंगे | किसान भाई ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं जो सुबह 11 बजे से शुरू होगा | सभी जिलों एवं सभी वर्ग के किसानों के लिए लक्ष्य अलग-अलग हैं जो नीचे तालिका में दिए गए हैं | जैसे ही लक्ष्य पूरे हो जाते हैं किसान भाई आवेदन नहीं कर पाएंगे | योजना सम्बन्धी अन्य जानकारी किसान भाई अपने जिले के उद्यानिकी विभाग में जाकर ले सकते हैं |
नोट :- उपरोक्त दर्शाय गये लक्ष्यों के संबंध में जिलो को आवंटित लक्ष्य से 50 प्रतिशत अधिक तक आवेदन किया जा सकेगा |
मधुमक्खी पालन हेतु आवेदन कहाँ करें
दी गई सभी सामग्री के लिए आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं | किसान कीओस्क पर जाकर अथवा एमपी ऑनलाइन पर जाकर पंजीयन करें जहाँ eKYC (उंगलियों के निशान) सत्यापन कर सकें |
मानसून 2019 में कई राज्यों एवं जिलों या तो बहुत अधिक बारिश हुई है वहीँ कई राज्य अच्छी बारिश का इन्तजार अभी भी इन्तजार कर रहे हैं | इसी बीच बंगाल की खाड़ी में एक नया चक्रवात बना हुआ है जिससे देश के विभन्न राज्यों में भारी बारिश की सम्भावना बनी हुई है | उत्तरी ओडिशा-पश्चिम बंगाल के तटों से दूर बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में बना कल का विक्षोभ आज तड़के यानी 07 अगस्त, 2019 को (सुबह 05:30 बजे) पश्चिमोत्तर की ओर बढ़ गया और तीव्र होकर उसी क्षेत्र में गहन विक्षोभ बन गया। लगभग उत्तर की ओर बढ़ते हुए आज 08:30 बजे यह उसी क्षेत्र में बालासोर (ओडिशा) के लगभग 65 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और दीघा (पश्चिम बंगाल) के तकरीबन 60 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण-पूर्व में 21.10 अक्षांश और 87.40 के निकट केन्द्रित हो गया।
भारी वर्षा की चेतावनी
ओडिशा और छत्तीसगढ़ में अगले 24 घंटों के दौरान ज्यादातर स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा, जबकि कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा तथा इक्का-दुक्का स्थानों पर बेहद भारी (≥ 20 सेंटीमीटर) वर्षा होने की संभावना है। इसी अवधि के दौरान पूर्वी मध्य प्रदेश में ज्यादातर स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा और इक्का-दुक्का स्थानों पर भारी से बहुत भारी तथा बेहद भारी वर्षा होने की संभावना है। गांगेय, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में इसी अवधि के दौरान ज्यादातर स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा और इक्का-दुक्का स्थानों पर बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
अगले 24 घंटों के दौरान उत्तरी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अधिकतर स्थानों पर हल्की से सामान्य वर्षा और कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
इस सिस्टम के पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने से 8 अगस्त को पश्चिमी मध्य प्रदेश तथा पूर्वी राजस्थान में अधिकतर स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा तथा इक्का-दुक्का स्थानों पर बेहद भारी वर्षा (≥ 20 सेंटीमीटर) हो सकती है। 9 अगस्त को पश्चिमी मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में इक्का-दुक्का स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा जारी रहने की संभावना है।
9 अगस्त को गुजरात में अधिकतर स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा और कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा तथा इक्का-दुक्का स्थानों पर बेहद भारी वर्षा (≥ 20 सेंटीमीटर) हो सकती है।
उत्तरप्रदेश में अधिकांश स्थानों पर वर्षा या गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है चेतावनी:-पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक या दो स्थानों पर तेज वर्षा/गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है|
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