पशु चिकित्सालयों में किया जायेगा पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी का गठन

पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी

पशुपालन के क्षेत्र में किसानों की आय बढाने के लिए सरकार कई प्रकार की योजनाएं चला रही है | जिसमें पशुओं के लिए लोन, सब्सिडी के साथ-साथ पशुचिकित्सा की व्यवस्था की जा रही है जिससे पशुपालन की लागत को कम कर, पशुपालकों की आय को बढाया जा सके | राजस्थान सरकार ने राज्य के पशुपालकों के लिए तहसील स्तर पर पशुचिकित्सालय खोल रही है तथा पशु एम्बुलेंस की शुरुआत भी की है |

वर्तमान समय में राज्य में 200 पशुचिकित्सा उपकेंद्र संचालित किये जा रहे हैं तथा 198 पशु औषधालयों को पशु चिकित्सालयों का संचालन किया जा रहा है | राज्य में 108 के तर्ज पर 102 – मोबाईल वेटेनरी सेवा 48 करोड़ रूपये से शुरू की जा रही है |

इस तरह होगा पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन

राज्य सरकार वर्ष 2021–22 के बजट में राजकीय पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन करने का प्रस्ताव था | इसके अनुरूप राज्य सरकार ने पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी गठन हेतु सहकारिता विभाग को अधिसूचना जारी कर दिया है | पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन हेतु पंजीयन शुल्क 250 रुपये निर्धारित कर दिया गया है |

यह जानकारी देते हुए शासकीय सचिव पशुपालन विभाग डॉ. आरुषी मलिक ने बताया कि रिलीफ सोसायटी के गठन से जहां पशु चिकित्सालय परिसर की साफ़–सफाई एवं अन्य व्यवस्थाएं स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित हो सकेंगे वहीं वित्तीय संस्थाओं, दानदाताओं व अन्य स्त्रोतों से सहायता, चंदा तथा उपकरण आदि प्राप्त कर पशु चिकित्सालयों का सुदृढ़ किया जा सकेगा |

डॉ. मालिक ने बताया कि रिलीफ सोसायटी में राजकीय सदस्यों सहित दो गैर राजकीय सदस्य जिसमें प्रगतिशील पशुपालक/दानदाता (जिला स्तरीय पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 2.0 लाख, प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 1.0 लाख एवं पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 50 हजार रूपये की राशि दान करने वाले) का मनोनयन अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा |   

1900 रूपये एवं 1700 रूपये MRP वाली डीएपी की बोरी भी किसानों को अब दी जाएगी 1200 रुपये में

प्रति बोरी DAP खाद का मूल्य 1200 रूपये निर्धारित

पिछले दिनों डीएपी खाद के दामों में अचानक 700 रुपये तक कि वृद्धि के साथ ही किसानों की चिंता बढ़ गई थी | जिसे लेकर केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए प्रति बोरी DAP खाद पर सब्सिडी बढ़ा कर बढ़ी हुई कीमतों को वापस ले लिया था जिससे किसानों को दोबारा से DAP की एक बोरी 1200 रुपये में मिलेगी | परन्तु कई राज्यों में DAP खाद की नई पैकेट वाली डीएपी खाद पहुँच चुकी है जिसपर अधिकतम खुदरा मूल्य 1900 रूपये एवं 1700 रूपये तक अंकित है | इस स्थिति में मध्यप्रदेश एवं हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है किसानों को डीएपी खाद की एक बोरी 1200 रुपये में ही दी जाएगी |

मध्यप्रदेश में DAP खाद के मूल्यों का किया गया निर्धारण

प्रदेश में खरीफ सीजन 2021 के न्यूट्रीयेन्ट बेस्ड सब्सिडी (एनबीएस) के अंतर्गत डीएपी में सब्सिडी पुन: निर्धारित कर प्रति बोरी कीमत 1200 रूपये निर्धारित की गई है।  प्रबंध संचालक श्री नरहरि ने बताया कि प्रदेश में पूर्व में प्राप्त खाद की जिन बोरियों पर एमआरपी 1900 रूपये एवं 1700 रूपये अंकित है, भारत शासन के आदेशानुसार कृषकों को 1200 रूपये प्रति बोरी की दर से विक्रय की जायेगी।

DAP rate MP govt. notification

हरियाणा में 1200 रुपए प्रति बोरी की दर से डीएपी खाद की बिक्री

राज्य सरकार द्वारा राज्य के किसानों को वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान 1200 रुपए प्रति बोरी (50 किलो) की दर से डीएपी उर्वरक की बिक्री की जा रही है। हैफेड के प्रवक्ता ने बताया कि गत 20 मई 2021 से सहकारी विपणन समितियों (सीएमएस) और पैक्स के सहकारी नेटवर्क के माध्यम से किसानों के लिए डीएपी की खुदरा बिक्री दर 1200 रुपए प्रति बोरी निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि हैफेड के साथ-साथ इफको और कृभको द्वारा इन सहकारी समितियों के आउटलेट के माध्यम से किसानों को बिक्री के लिए डीएपी की आपूर्ति की जा रही है।

जानिए इस वर्ष कैसी रहेगी जून से सितम्बर तक मानसूनी वर्षा, मौसम विभाग में जारी किया पूर्वानुमान

जून से सितम्बर के लिए मानसून पूर्वानुमान 2021

इस वर्ष वर्षा को लेकर किसानों के लिए अच्छी खबर है, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने इस वर्ष मानसून सीजन में सामान्य वर्षा होने की उम्मीद जताई है | मौसम विभाग ने 1 जून को मानसून को लेकर दूसरा पूर्वानुमान जारी किया, इससे पूर्व में ही मौसम विभाग पहले मानसून पूर्वानुमान में सामान्य मानसून की सम्भावना व्यक्त कर चूका है | दुसरे पूर्वानुमान के अनुसार देश के उत्तरी और दक्षिणी भाग में सामान्य जबकि मध्य क्षेत्र में जमकर बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य से कम वर्ष होगी । इस वर्ष मानसून में वर्षा सामान्य होगी | आईएमडी के मुताबिक केरल के तट पर मानसून 3 जून को पहुंचेगा।

देश भर में कुल मिलाकर दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के सामान्य रहने एलपीए के मुकाबले  96 से 104 फीसदी रहने की सम्भावना अधिक है | मात्रा के हिसाब से, देश भर में कुल मिलाकर मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के 4 प्रतिशत कम/ज्यादा की मॉडल त्रुटि के साथ दीर्घ अवधि औसत 101 प्रतिशत रहने का अनुमान है। देश भर में कुल मिलाकर 1961-2010 की अवधि के लिए मौसमी वर्षा का एलपीए 88 सेमी. है।

जून 2021 महीने में कैसी रहेगी मानसूनी वर्षा

monsoon forecast for june 2021

मौसम विभाग के अनुसार जैसा की चित्र में नीले रंग से दर्शाया गया है जून के महीने में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा राज्यों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की सम्भावना है वहीँ चित्र में जी क्षेत्रों को पीले या लाल रंग से दर्शाया गया है ऐसे राज्य जम्मू कश्मीर, लद्दाख, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्णाटक एवं महारष्ट्र के कुछ हिस्सों में, गुजरात राज्यों में वर्षा सामान्य से कम होने की सम्भावना है |

जून से सितम्बर 2021 में कैसी रहेगी मानसूनी वर्षा

चार समरूप वर्षा में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के उत्तर पश्चिम भारत (92-108 प्रतिशत) और दक्षिण प्रायद्वीप 93-107 प्रतिशत में सामान्य रहने की बहुत संभावना है। मौसमी वर्षा के पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम 95 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि मध्य भारत में सामान्य से अधिक 106 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मानसून कोर जोन जिसमें देश के अधिकांश वर्षा पूरित कृषि क्षेत्र शामिल हैं, में दक्षिण पश्चिम मानसून जून से सितंबर मौसमी वर्षा के सामान्य से अधिक 106 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

नीचे दिए गए चित्र के अनुसार देश के अधिकांश राज्यों जहाँ कृषि पर आत्मनिर्भरता अधिक है जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड,उड़ीसा, पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना राज्यों में मानसून के दौरान सामान्य तथा सामान्य से अधिक वर्षा प्राप्त होने का अनुमान है।

monsoon forecast June to September 2021

मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष 40 प्रतिशत संभावना सामान्य बारिश की है, 22 प्रतिशत संभावना सामान्य से अधिक वर्षा की है, 12 प्रतिशत संभावना अत्यधिक बारिश होने की है तथा 18 प्रतिशत संभावना सामान्य से कम वर्षा की है |

मानसून के विस्तृत पूर्वानुमान जानकारी के लिए क्लिक करें

100 फीसदी की छूट पर 25 जून तक जमा करें अपना बकाया बिजली बिल

बकाया बिजली बिल भुगतान पर छूट

कोविड–19 महामारी के कारण देश भर में किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है | लॉक डाउन एवं अन्य पाबंदियों के चलते किसानों एवं आम जन की आर्थिक हालात पर बुरा प्रभाव पड़ा है | इसी स्थिति में देश के अलग–अलग राज्य सरकार किसानों को योजनाओं के तहत सहायता पहुंचा रही है | राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों को पहले फसली ऋण जमा करने की अवधि को 30 जून तक आगे बढ़ा दिया था | अब किसानों को इस खरीफ सीजन में नये बिजली कनेक्शन जारी करने तथा पुराने कनेक्शन को बकाया रहने के बावजूद नहीं काटने के आदेश दिया है | जिस किसान या अन्य उपभोक्ताओं ने अभी तक बिजली बिल जमा नहीं किया है वह बिना विलंब शुल्क के बिल जमा कर सकते हैं, जिसकी अंतिम तिथि को 25 जून निर्धारित किया गया है |

इन उपभोक्ताओं को मिलेगा बिजली बिल भुगतान में लाभ

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कोविड काल में विद्युत् उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बिजली बिलों की पूर्व बकाया राशि के आधार पर कनेक्शन नहीं काटने की तिथि को 31 मई से बढ़ाकर 25 जून 2021 करने का निर्णय लिया है | साथ ही, उन्होंने कृषि सहित सभी श्रेणी के जिन उपभोक्ताओं को अप्रैल और मई माह में जारी बिलों की राशि 20 हजार रुपये तक है, उन्हें 25 जून तक सम्पूर्ण बकाया राशि एकमुश्त जमा करने पर विलंब भुगतान के प्रभाव में 100 फीसदी छुट देने के निर्देश दिए |

पिछले 2 वर्षों में  जारी किये गए 1.90 लाख कृषि कनेक्शन

ऊर्जा मंत्री के प्रमुख सचिव श्री दिनेश कुमार ने प्रस्तुतिकरण में बताया कि राजस्थान में 2018 से अप्रैल 2021 तक 1.90 लाख कृषि कनेक्शन जारी किए गए है | ऊर्जा मंत्री ने बताया कि वर्ष 2021–22 में 50 हजार कृषि कनेक्शन देने का लक्ष्य है, जिसमें से अप्रैल माह में ही 3 हजार कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं | 31 दिसम्बर 2012 की कट–आँफ डेट तक मांग पत्र जमा वाले लगभग 70 हजार मामले लंबित है, जिन पर नए कनेक्शन जारी किए जा रहे हैं | कोविड–19 के कारण सामान और संसाधनों के कारण कृषि कनेक्शनों के जारी करने की प्रक्रिया धीमी रही है |

2 वर्षों में 13.8 लाख घरेलू कनेक्शन भी जारी किए गये

ऊर्जा सचिव ने बताया कि पिछले 2 वर्षों में 13.8 लाख घरेलू कनेक्शन जारी किए गये हैं | इनमें से 8 लाख कनेक्शन सौभाग्य योजना तथा 2 लाख कनेक्शन बीपीएल श्रेणी के तहत जारी किए गए हैं | उन्होंने कहा कि सौभाग्य योजना से वंचित 1.93 लाख से अधिक आवासों को विद्युत् कनेक्शन देने के लिए 1,213.56 करोड़ रूपये लागत का एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है |

पंजीकृत गौशालाओं को बिजली दर में 50 प्रतिशत की कटौती

राजस्थान सरकार ने राज्य में पंजीकृत गौशालाओं की बिजली दर में 50 प्रतिशत की कटौती की है | यह बिजली दर में कटौती का लाभ उन गौशालाओं को मिलेगा जो राज्य सरकार के पास पंजीकृत है तथा जिनका 150 यूनिट से ज्यादा बिजली बिल आता है | वर्तमान समय में राजस्थान में 1,363 पंजीकृत गौशाला है | इन गौशालाओं में 4,96,413 गौवंश को रखा जाता है |

किसान अब 30 जून तक जमा कर सकेंगे शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसली ऋण

शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसली ऋण भुगतान

कोविड-19 महामारी के चलते इस वर्ष भी देश के कई राज्यों में लॉक डाउन की स्थिति बनी हुई है | इस परिस्थिति को देखते हुए मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है | प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों द्वारा खरीफ 2020 एवं रबी 2020-21 सीजन में वितरित अल्पकालीन फसल ऋण की जमा करने की अवधि को बढ़ा कर 30 जून 2021 कर दिया है। पूर्व में खरीफ 2020 सीजन में अल्पावधि फसल ऋण जमा करने की अंतिम तिथि 31 मई 2021 थी और रबी 2020-21 सीजन में दिये गये अल्पकालीन फसल ऋण जमा करने की अंतिम तिथि 15 जून 2021 थी जिन्हें अब आगे बढ़ा दिया गया है |

मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने पहले खरीफ सीजन के फसली ऋण 31 मई तक आगे बढ़ा दिया था तथा रबी सीजन 15 जून तक बैंक में जमा करना था लेकिन सरकार ने इस अवधि को और आगे बढ़ा दिया है | कोरोना को देखते हुए किसानों को फसली ऋण चुकाने पर 1 माह की मोहलत दी गई है | अब किसान खरीफ सीजन 2020 तथा रबी सीजन 2020–21 के फसली ऋण 30 जून तक बैंक में जमा कर सकते हैं |

इन किसानों को फायदा होगा

सहकारिता विभाग के उप सचिव श्री मनोज सिन्हा ने बताया कि राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय के परिपेक्ष्य देय तिथि की बढ़ी हुई अवधि के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर योजनान्तर्गत निर्धारित बेसरेट 10 प्रतिशत के अंतर्गत एक प्रतिशत (सामान्य) ब्याज अनुदान प्रत्येक किसान को तथा 4 प्रतिशत (अतिरिक्त) ब्याज अनुदान देय तिथि तक ऋण का भुगतान करने वाले किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा | योजना की शेष शर्ते पहले की तरह लागू रहेगी |

किसान क्रेडिट कार्ड पर लिया गया ऋण भी जमा कर सकेंगे 30 जून तक

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बैंकों द्वारा दिये गये 3 लाख रूपये तक के लघु अवधि के फसली ऋण जो एक मार्च 2021 और 30 जून 2021 के बीच चुकौती के लिए बकाया हो, उन पर बैंकों को 2 प्रतिशत ब्याज सहायता और किसानों को 3 प्रतिशत शीघ्र चुकौती प्रोत्साहन की उपलब्धता 30 जून 2021 तक या वास्तविक भुगतान की तारीख तक, जो भी पहले हो जारी रहेगा |

केंद्रीय कृषि मंत्री ने नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं फसलों की 562 किस्मों का किया विमोचन

नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं फसलों की 562 किस्में लांच

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने सोमवार को आईसीएआर की उपलब्धियों, प्रकाशनों, नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कृषि फसलों की नई किस्मों की लॉन्चिंग तथा कृतज्ञ हैकाथान के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम को संबोधित किया | इस मौके पर केन्द्रीय कृषि मंत्री ने आईसीआर के द्वारा विभिन्न फसलों के नई प्रजातियाँ जो वर्ष 2021–22 के लिए जारी की गई है उनकी जानकारी दी | उन्होंने साथ ही कहा कि दलहन तथा तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए इस वर्ष किसानों के बीच उच्च उत्पादन देने वाली तथा नई विकसित किस्मों के बीजों की कीटस किसानों के बीच बांटी जाएँगी |

कृषि मंत्री ने कृषि फसलों की नई किस्मों की जानकारी तथा उपलब्धियां बताई

फसल विज्ञान प्रभाग ने वर्ष 2020–21 के दौरान कृषि फसलों की 562 नई उच्च उपज देने वाली किस्में जारी किया है | इसमें अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, गन्ना तथा अन्य फसलें शामिल है | इन सभी किस्मों की जानकारी इस प्रकार है:-

  • अनाज 223,
  • तिलहन 89,
  • दलहन 101,
  • चारा फसल 37,
  • रेशेदार फसल 90,
  • गन्ना 14,
  • और संभावित फसल 8

विशेष गुणों वाली जौ, मक्का, सोयाबीन, चना, दालें, अरहर फसलों की 12 नई प्रजाति विकसित की गई हैं | इसमें सभी फसलों के प्रजाति की विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  • जौ – उच्च माल्ट गुणवत्ता
  • मक्का – उच्च लाइसिन, ट्रिप्टोफोन और विटामिन ए (अनाज में उच्च मिठास, उच्च फुफ्फुस है)
  • सोयाबीन – उच्च ओलिक एसिड
  • चना के 2 किस्में विकसित की गई है, यह किस्में सूखे के प्रति सहनशील तथा उच्च प्रोटीन वाली हैं |
  • दालें के 3 किस्में विकसित की गई हैं, यह किस्में लवणता में सहिष्णु है |
  • अरहर के 1 किस्म विकसित की गई है, यह किस्म बारिश पर निर्भर परिस्थितियों में भी अच्छी उत्पादन देने वाली है |

बागवानी क्षेत्र के लिए 89 प्रजातियां की गई विकसित

देश की विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों में उच्च उत्पादकता के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए बागवानी विभाग द्वारा बागवानी फसलों की 89 प्रजातियों की पहचान की गई है | ये प्रमुख प्रजातियाँ और तकनीक अलग–अलग फसलों के इस प्रकार है :-

संकर बैंगन काशी मनोहर

बैंगन की यह किस्म जो कि जोन – 7 (मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) में प्रति पौधा 90–100 फल देगी | प्रति फल वजन 90 से 95 ग्राम का है | इस प्रजाति के बैंगन का उत्पादकता 625 – 650 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लिए अनुशंसित है |

विट्ठल कोको संकर – 6

इस प्रजाति की उत्पादकता 2.5 से 3 किलोग्राम सुखा बीज / वृक्ष है | बीज में वसा 50 से 55 प्रतिशत ब्लैक बीन सड़ने की बिमारी के प्रति सहनशील और केरल में उगाने के लिए टी मेष की सिफारिश की जाती है |

शिटाके खुम्ब

खुम्ब की एक प्रारंभिक उत्पादन तकनीक विकसित की गई है, जिसके लिए आईसीएआर ने पेटेंट लिया है | यह तकनीक 45 से 50 दिनों की अवधि में 110 से 130 पतिशत की जैव – दक्षता के साथ पैदावार दे सकती है | आमतौर पर शिटाके खुम्ब की अवधि 90–120 दिन की होती है |

पशुओं के लिए अश्व फ्लू तथा गर्भावस्था निदान किट विकसित

पशु विज्ञान प्रभाग–राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार द्वार अश्व फ्लू के लिए के लिए मोनोक्लोनल एंटी बॉडी –आधारित एलिसा किट विकसित की गई है | आईसीआर–एनआरसीई में एक मोनोक्लोनल आधारित एंजाइम इम्यूनोएस विकसित किया है जो बहुत कम डिटेक्शन लेवल (0.25HA यूनिट) पर विभिन्न वंशों में H3N8 एंटीजन का पता लगा सकता है | इस विधि से परख करना आसान है और यह किट के रूप में उपलब्ध है जिसे एक वर्ष के लिए 4 डिग्री सेंटीग्रेट पर संग्रहित किया जा सकता है |

गाय और भैंस के लिए गर्भावस्था निदान किट

केन्द्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र, हिसार ने डेयरी पशुओं के यूरिन से गर्भ जांच करने के लिए प्रेग–डी नामक कीट विकसित की है, जिसमें यूरिन सैंपल से 30 मिनट में मात्रा 10 रूपये में टेस्ट किया जा सकता है |

मत्स्कीय प्रभाग – रेड सिवीड से बाइओडिग्रेडडबल पैकेजिंग फिल्म (बिओप्लास्टिक) बनाने की तकनीक बनाई है, जो बहुत ही कांस्ट इफेक्टिव है |

इफको ने पेश किया दुनिया का पहला नैनो तरल यूरिया, अब एक बोरी यूरिया का काम होगा आधे लीटर में

इफको नैनो यूरिया लिक्विड बोतल

इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव IFFCO ने सोमवार को किसानों के लिए दुनिया का पहला नैनो यूरिया लिक्विड पेश किया | यह नैनो यूरिया विश्व के पहला तरल उर्वरक है जिसकी शुरुआत IFFCO ने की है | इफको के द्वारा तैयार तरल नैनो यूरिया लाने के पीछे सामान्य यूरिया के उपयोग में 50 प्रतिशत की कमी करना है साथ ही इसके इस्तेमाल से फसलों की पैदावार बढ़ती है तथा पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है। नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने में भी मददगार साबित होगा। इससे ग्लोबल वार्मिंग कम करने में भी मदद मिलेगी।

सोमवार को IFFCO के द्वारा 50 वीं वर्षगांठ बनाई गई, इस मौके पर iffco ने किसानों के लिए तरल यूरिया (नैनो यूरिया) की शुरुआत किसानों के लिए की | नैनो यूरिया अभी बाजार में नहीं आया है लेकिन इस वर्ष के जून माह से नैनो यूरिया को बाजार में उपलब्ध करवाया जायेगा | जिसे किसान खरीद कर उपयोग कर सकते हैं |

नैनो तरल यूरिया का मूल्य क्या है ?

तरल (Liquid) नैनो यूरिया अभी बाजार में नहीं आया है, लेकिन IFFCO ने किसानों के लिए नैनो यूरिया का मूल्य 500 मि.ली. के बोतल के लिए 240 रुपये निर्धारित किया है जोकि बोरी में आने वाली यूरिया से लगभग 11 प्रतिशत कम है | यूरिया की एक बोरी (45 किलोग्राम) 266 रूपये में आती है |

भारत में खेती के लिए प्रति वर्ष 350 टन यूरिया का उपयोग किया जाता है | बोरी वाली यूरिया को एक राज्य से दुसरे राज्य में ले जाने से परिवहन लागत एवं स्टॉक के लिए भंडारण लागत दोनों में अधिक खर्च आता है | नैनो यूरिया से सरकार को ट्रांसपोटेशन के साथ ही साथ सब्सिडी में भी बचत होगी | अनुमान है की सरकार को इससे प्रति वर्ष 600 करोड़ रूपये की बचत होगी |   

94 फसलों पर किया गया टेस्ट

कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के तहत 20 आईसीएअर संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविध्यालय और कृषि विज्ञान केन्द्रों में 43 फसलों पर परिक्षण किया गया | बहु–फसली परीक्षणों के आधार पर इफको नैनो यूरिया तरल को उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ 1985) में शामिल किया है, | इसकी प्रभावशिलता का परीक्षण करने के लिए भारत में 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) किए गए | IFFCO के तरफ से हाल के दिनों में 94 फसलों पर प्रशिक्षण किये गये हैं

किसानों को तरल यूरिया से क्या लाभ होगा ?

IFFCO के द्वारा तैयार नैनो यूरिया में दावा किया जा रहा है की इससे उत्पादन में वृद्धि होगी | हाल के दिनों में 94 फसलों में किये गये प्रशिक्षण में पाया गया है कि इससे फसलों के उत्पादन में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है |

इफको नैनो यूरिया तरल को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 फीसदी की कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, इसके 500 मि.ली. की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाईट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बोई के बराबर नाईट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा |

राज्य में किसान मात्र इतने रूपये देकर इन अधिसूचित फसलों का करवा सकते हैं बीमा

फसल बीमा योजना के तहत फसलों की प्रिमियम राशि

खरीफ फसल की बुआई के साथ ही देश भर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पंजीयन शुरू हो जाते है | वर्ष 2021 खरीफ सीजन के लिए प्रधनमंत्री फसल बीमा योजना के आवेदन कई राज्यों में शुरू हो चुके हैं | राज्य सरकारों द्वारा राज्य में होने वाली फसलों के अनुसार अधिसूचित फसलों का बीमा किया जाता है किसान इन अधिसूचित फसलों का बीमा करवा सकते हैं | हरियाणा राज्य सरकार ने इस वर्ष खरीफ सीजन के लिए 4 फसलों को अधिसूचित कर उनकी प्रीमियम राशि का निर्धारण कर दिया है | किसान इसके अनुसार अपनी फसलों का बीमा करवा सकते हैं |

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 9 फसलों का चयन किया है | इस वर्ष के खरीफ तथा रबी सीजन के लिए फसलों का चयन के साथ–साथ प्रीमियम राशि दर एवं नुकसान होने पर दी जाने वाले क्लेम का निर्धारण भी कर दिया है |

राज्य में फसल बीमा योजना के तहत इन फसलों को किया गया है शामिल

हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2021–22 में खरीफ तथा रबी सीजन के लिए 9 फसलों को शामिल किया है | इसमें से 4 खरीफ फसल है तथा 5 रबी फसल है | खरीफ सीजन में धान, मक्का, बाजरा व कपास तथा रबी सीजन के लिए गेहूं, जौ, चना, सरसों और सूरजमुखी फसलों का बीमा किया जायेगा |

किसान को फसल बीमा करवाने के लिए प्रति एकड़ कितनी राशि देनी होगी

सरकार ने वर्ष 2021 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए किसानों के लिए प्रति एकड़ प्रीमियम राशि भी तय कर दी है | किसानों को खरीफ सीजन की फसलों के लिए 2 प्रतिशत तथा रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का प्रीमियम देना होता है |

हरियाणा के किसानों को धान के लिए प्रति एकड़ 713.99 रूपये, मक्का के लिए 356.99 रूपये, बाजरा के लिए 335.99 रूपये और कपास के लिए 1732.50 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रीमियम देना होगा |

इसी प्रकार रबी सीजन की फसलों के लिए गेहूं के लिए प्रति एकड़ 409.50 रूपये, जौ के लिए 267.75 रूपये प्रति एकड, चना के लिए 204.75 रूपये प्रति एकड़, सरसों के लिए 275.63 रूपये प्रति एकड़ और सूरजमुखी के लिए 267.75 रूपये प्रति एकड़ की दर से प्रीमियम देना होगा |

फसल नुकसान होने पर कितनी राशि दी जाएगी ?

हरियाणा सरकार ने राज्य में खरीफ तथा रबी फसलों का बीमा राशि घोषित कर दिया है | बीमित राशि धान के लिए 35,699.78 रूपये, मक्का के लिए 17,849.89 रूपये, बाजरा के लिए 16,799.33 रूपये तथा कपास के लिए 34,650.02 रूपये प्रति एकड़ निर्धारित की गई है |

इसी तरह गेहूं के लिए बीमित राशि 27,300.12 रूपये, जौ के लिए 17,849.89 रूपये, चना के लिए 13,650.06 रूपये, सरसों के लिए 18,375.17 रूपये तथा सूरजमुखी के बीमित राशि 17,849.98 रूपये प्रति एकड़ तय की गई है |

किसान कैसे करवाएं अधिसूचित फसलों का बीमा

वर्ष 2021 में किसान खरीफ सीजन के लिए 31 जुलाई 2021 तक बीमा करा सकते हैं | यह योजना सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक है। इसलिए यदि ऋणी किसान इस योजना में शामिल नहीं होना चाहते तो वे 24 जुलाई, 2021 तक अपने बैंकों में लिखित आवेदन करके योजना से बाहर (ऑप्ट-आउट) हो सकते हैं। यदि ऋणी किसान स्कीम से बाहर होने के लिए तय सीमा तक सम्बन्धित बैंक में आवेदन नहीं करता तो बैंक किसान की फसलों का बीमा करने के लिए अधिकृत या बाध्य होंगे।

गैर-ऋणी किसान ग्राहक सेवा केन्द्र या बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि से अपनी फसल का बीमा करवा सकता है। यदि कोई किसान पहले से नियोजित फसल को बदलता है तो उसे अन्तिम तिथि से कम से कम दो दिन पहले यानी 29 जुलाई तक फसल बदलाव के लिए बैंक में सूचित करना होगा।

फसल बीमा योजना की शिकायत के लिए यहाँ करें कॉल

सरकार द्वारा इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिला स्तर पर परियोजना अधिकारी व सर्वेयर नियुक्त किए गये हैं , जो केवल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का ही कार्य देखते हैं | स्कीम से जुडी शिकायत के लिए राज्य के कृषि एवं कल्याण विभाग द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 18001802117 पर अथवा अपनी बैंक शाखा या बीमा कंपनी से संपर्क कर सकते हैं |

आलू की नई विकसित किस्में उनकी विशेषताएं एवं उत्पादन क्षमता

आलू की नई विकसित किस्में एवं उनकी विशेषताएं

विश्व में आलू को प्रमुख खाद्य फसल के रूप में जाना जाता है, इसका वैश्विक स्तर पर 365 मिलियन टन का उत्पादन होता है | वर्तमान में आलू का उत्पादन विश्व के 150 देशों में होता है, इसमें चीन, भारत और रूस आलू उत्पादन करने वाले देशों में शीर्ष पर है | यह तीन देश दुनिया में कुल उत्पादन का 43 फीसदी योगदान देते हैं | भारत में आलू की खेती 20.64 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है तथा इसका उत्पादन एवं उत्पादकता क्रमश: 456 लाख टन एवं 22.09 टन प्रति हैक्टेयर है |

किसानों को आलू की खेती में कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उच्च उत्पादकता वाली किस्मों का चयन करना चाहिए जो की मिट्टी एवं क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल हो | किसान समाधान आलू की उच्च उत्पादन देने वाली किस्मों के विषय में जानकारी लेकर आया है किसान अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार इन किस्मों का चयन कर सकते हैं |

कुफरी गंगा

यह उत्तर भारतीय मैदानी क्षेत्रों के लिए अनुशंसित प्रजाति है, रबी मौसम में अत्यधिक उत्पादन देने वाली मध्यम अवधि की किस्म है | कुफरी गंगा आलू 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है | आलू की इस किस्म को 2018 में विकसित किया गया था, इस किस्म के आलू आकर्षक अंडाकार, उथली आँखे, कृमि गूदा, स्वीकार्य सुगंध, मुलायम एवं शुष्क पदार्थ (16 से 18 प्रतिशत) की मात्रा वाले होते हैं |

किस्म की विशेषताएं

कुफरी गंगा आलू रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर है | कुफरी गंगा के पौधे लंबे, अर्ध – सघन कैनोपी सहित पिछेता झुलसा के लिए प्रक्षेत्र प्रतिरोधी है | इस प्रजाति का विकास एमएस/ 82 – 638 व कुफरी गौरव के संकरण से किया है | कुफरी गंगा की औसत उपज 35 से 40 टन प्रति हैक्टेयर है एवं 90 प्रतिशत विपणन योग्य कंद उत्पन्न होते हैं |

कुफरी नीलकंठ

आलू की यह प्रजाति भोज्य प्रयोजन के लिए मध्यम परिपक्वता की विशष्ट प्रजाति है | इसे वर्ष 2018 में उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए जारी किया गया है |

इस किस्म की विशेषताएं

कुफरी नीलकंठ के पौधे की कैनोपी सघन होती है एवं पिछेता झुलसा के लिए इसकी प्रतिरोधक क्षमता मध्यम है | कंद आसानी से पकने वाले, मलिनीकरण से मुक्त एवं मुलायम होते हैं | इस प्रजाति के आलू एंटीआंक्सीडेंट से भरपूर एवं स्वाद में उत्कृष्ट होते हैं | इस प्रजाति का विकास एमएस / 89 – 1095 तथा सीपी 3290 के संकरण से किया गया था | इस संकर प्रजाति की औसत उपज 35 से 38 टन प्रति हैक्टेयर के बीच है |  

कुफरी फ्रायोम

यह एक मध्यम परिपक्वता वाली, फ्रेंच फ्राइज के लिए उपयुक्त किस्म है | इसे उत्तर–पश्चिमी एवं मध्य मैदानी क्षेत्रों और अन्य सामान्य कृषि पारिस्थितिकी में उगाया जा सकता है | इसके पौधे लगभग 8 से 10 मध्य से दीर्घाकार के आकर्षक सफेद कृमि, उथली आँखों एवं सफेद गूदे वाले लंबाकार आलुओं का उत्पादन करता है |

किस्म की विशेषताएं

इस किस्म में पिछेती झुलसा के लिए प्रतिरोधक क्षमता होती है, यह प्रजाति कंद फूटने, खोखले होने जैसी विकृति प्रदर्शित नहीं करती है | कुफरी फ्रायोम स्वीकार्य गुणवत्ता एवं रंग वाले स्वादिष्ट फ्रेंच फ्राइज (3.3) का उत्पादन करती है | यह किस्म उच्च कंद प्रसुप्ति, उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता एवं दीर्घावधि तक कच्चा माल उपलब्ध करने वाली प्रजाति है |

किस्म की उत्पदान क्षमता

कुफरी फ्रायोम आलू की उपज क्षमता 30 से 35 टन प्रति हैक्टेयर के बीच है | जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक कंद प्रसंस्करण गर्द केव होते हैं |

कुफरी माणिक

आलू की इस प्रजाति को अधिक उपज प्रदान करने वाली किस्मों में गिना जाता है | इसकी त्वचा लाल, मध्यम परिपक्वता वाली किस्म है | यह प्रजाति भारत के पूर्वी मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है | यह 90 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है |

किस्म की विशेषताएं

कुफरी माणिक पिछेता झुलसा के लिए प्रक्षेत्र प्रतिरोधी है | यह किस्म गहरे लाल रंग के उथली आँखे एवं सफेद गुदे वाले अंडाकार कंदों का उत्पादन करती है | इस किस्म में शीतगृह भंडारण के 3 से 6 माह बाद भी रंग में कोई परिवर्तन नहीं पाया गया है |

किस्म की उत्पदान क्षमता

आलू की यह किस्म 90 दिनों में उच्च कंद उपज (30 से 32 टन प्रति हैक्टेयर) प्रदान करती है | इसके अलावा 19 प्रतिशत तक शुष्क पदार्थ की मात्रा होती है |

कुफरी लीमा

भरतीय कृषि अनुसंधान प्रयोगशाला – केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने पेरू के सहयोग से उत्तर मैदानी क्षेत्रों में शीघ्र रोपण कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित किया है | इस किस्म के आलू आकर्षक, सफेद कृमि, अंडाकार आकार, उथली आँखों वाले, कृमि गुंदे वाले एवं मुलायम होते हैं |

किस्म की विशेषताएं

यह किस्म हाँपर एवं माइट बर्न के प्रति सहिष्णु एवं पीवीवाई, पीवीएक्स के लिए पूर्ण रूप से प्रतिरोधी है | कुफरी लीमा रूट नोट नेमाटोड के लिए मध्यम रूप से प्रतिरोधी है | यह प्रजाति कंद फटने अथवा केंद्र से खोखले होने जैसी विकृति प्रदर्शित नहीं करती है | यह प्रजाति मध्यम प्रसुप्ति, उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता पकने में आसान एवं स्वीकार्य सुगंध वाली है | यह किस्म शीघ्र रोपण परिस्थिति में उच्च तापमान संबंधी तनाव को सहन करने में भी सक्षम है |

इस प्रजाति के आलू का उत्पादन कितना है ?

कुफरी लीमा 90 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है | इस किस्म के आलू 30 से 85 टन प्रति हैक्टेयर उत्पादन देती है एवं इसमें 19 प्रतिशत शुष्क पदार्थ की मात्रा होती है | कुफरी लीमा 95 प्रतिशत तक विपन्न योग्य कंद उत्पादन करती है |

कुफरी कर्ण

कुफरी कर्ण एक सफेद किस्म की प्रजाति है | अत्यधिक उपज प्रदान करने वाली, मध्यम परिपक्वता (100 से 120 दिनों) वाली किस्म है | कुफरी कर्ण पहाड़ों एवं पठारी क्षेत्रों में खरीफ रोपण के लिए उपयुक्त है |

किस्म की विशेषताएं

यह एक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्म है | यह पिछेती झुलसा एवं विभिन्न विषाणुओं (पिएएलसीवी, पीवीवाई, पीएलआरवी, पीएवी, पीवीएम एवं पीवीएस) के प्रति उच्च प्रतिरोधी एवं पीसीएम के प्रति माध्यम प्रतिरोधी है | इसके कंद का आकार अच्छा एवं आकर्षक है एवं ये फटते नहीं हैं | इस किस्म में विविध रोगों के प्रतिरोध की क्षमता, उच्च शुष्क पदार्थ की मात्रा (18.8 प्रतिशत), उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता जैसे विभिन्न गुण पाए जाते हैं |

किस्म की उत्पदान क्षमता

कुफरी कर्ण प्रजाति के आलू की औसत उपज 27–29 टन प्रति हैक्टेयर है | यह उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता, दीर्घ प्रसुप्ति, आसानी से पकने एवं स्वीकार्य सुगंध वाली प्रजाति है |

कुफरी सहयाद्री

यह अत्यधिक उपज प्रदान करने वाली मध्यम परिपक्वता वाली किस्म है | यह प्रजाति भोज्य और प्रसंस्करण के प्रयोजन के लिए निलगिरी पहाड़ियों में उगाने के लिए उपयुक्त है | इस संकर प्रजाति के कंद अंडाकार एवं हल्के पीले रंग की त्वचा वाले होते हैं | इसके गुदे का रंग पीला एवं आँख उथली गहरी होती है | कंद मुलायम एवं नरम होते है | इसका स्वाद अच्छा एवं पकने के बाद होने वाले मलिनिकरण से मुक्त होता है | कंद की प्रसुप्ति अवधि 70 से 80 दिन होती है | इसके कंद से बने चिप्स कुरकुरे एवं पीले रंग के होते हैं, जिनका स्वाद अच्छा होता है |

किस्म की विशेषताएं

कुफरी सहयाद्री प्रजाति के आलू रोग प्रति रोधक है | इसमें पीसीएन एवं पिछेती झुलसा के लिए प्रतिरोधक क्षमता है |

3 जून तक केरल पहुंचेगा मानसून, जानिए कैसा रहेगा 3 जून तक देश में मौसम

मानसून का आगमन और 3 जून तक का मौसम पूर्वानुमान

चक्रवाती तूफान “तौकते” और “यास” के बाद देश के कई हिस्सों में आंधी एवं बारिश का सिलसिला जारी है जोकि आगे भी जारी रहने का अनुमान है | भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD के द्वारा नवीनतम मौसम विज्ञान संबंधी संकेतों के अनुसार दक्षिण पश्चिमी हवा 01 जून से धीरे-धीरे और मजबूत हो सकती है, जिसके चलते केरल के ऊपर वर्षा की गतिविधि में बढोतरी होने का अनुमान है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के आरंभ के लिए केरल के ऊपर लगभग 31 मई 2021 को स्थितियां अनुकूल है इससे 3 जून 2021 तक मानसून केरल पहुँचने की सम्भावना है | साथ ही मौसम विभाग ने 3 जून तक के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है जिसके अनुसार देश के अधिकांश राज्यों में अनेक स्थानों पर तेज हवा एवं गरज चमक के साथ बारिश हो सकती है |

31 मई के लिए मौसम का पूर्वानुमान

उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ एवं दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, विदर्भ, पश्चिम बंगाल के उप हिमालयी क्षेत्र एवं सिक्किम, ओडिशा, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तेलंगाना तथा केरल एवं माहे में अलग-अलग स्थानों पर तथा जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट-बाल्टिस्तान एवं मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी क्षेत्रो में कुछ स्थानों पर तेज हवा के साथ बारिश होने का अनुमान है |

सिक्किम, ओडिशा और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, अरुणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम एवं त्रिपुरा, कोंकण एवं गोवा, तटीय आंध्र प्रदेश एवं यनम, रायलसीमा, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुदेचेरी एवं कराईकल तथा लक्षद्वीप में अलग अलग स्थानों पर आंधी तूफान, बिजली के साथ तेज हवा के बहने का अनुमान है। पश्चिमी राजस्थान के ऊपर अलग अलग स्थानों पर गरज के साथ वर्षा/धूल भरी आंधी आने की सम्भावना है |

1 जून के लिए मौसम का पूर्वानुमान

उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ एवं दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, विदर्भ, झारखंड, पश्चिम बंगाल के उप हिमालयी क्षेत्र एवं सिक्किम, ओडिशा, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तेलंगाना तथा केरल एवं माहे में अलग-अलग स्थानों पर तथा जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट-बाल्टिस्तान एवं मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों में कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ बारिश होने की सम्भावना है |

अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, अरुणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम एवं त्रिपुरा, कोंकण एवं गोवा, तटीय आंध्र प्रदेश एवं यानम, रायलसीमा, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुदेचेरी एवं कराईकल तथा लक्षद्वीप में अलग अलग स्थानों पर आंधी तूफान, बिजली के साथ तेज हवा के चलने का अनुमान है। पश्चिमी राजस्थान के ऊपर अलग अलग स्थानों पर गरज के साथ वर्षा/धूल भरी आंधी आने की सम्भावना है |

2 जून के लिए मौसम का पूर्वानुमान

उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, विदर्भ, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तेलंगाना तथा केरल एवं माहे में अलग अलग स्थानों पर तथा हिमाचल प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा राज्यों में कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की सम्भावना है |

अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, अरुणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम एवं त्रिपुरा, तटीय आंध्र प्रदेश एवं यानम, रायलसीमा, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुदेचेरी एवं कराईकल तथा लक्षद्वीप में अलग अलग स्थानों पर आंधी तूफान, बिजली के साथ तेज हवा के बहने का अनुमान है। पश्चिमी राजस्थान के ऊपर अलग अलग स्थानों पर गरज के साथ वर्षा/धूल भरी आंधी आने का अनुमान है।

3 जून के लिए मौसम का पूर्वानुमान

उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, विदर्भ, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तेलंगाना तथा केरल एवं माहे तथा, हिमाचल प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा राज्यों में कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की सम्भावना है |

अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, अरुणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम एवं त्रिपुरा, तटीय आंध्र प्रदेश एवं यानम, रायलसीमा, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुदेचेरी एवं कराईकल अरुणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम एवं त्रिपुरा, तटीय आंध्र प्रदेश एवं यानम, रायलसीमा, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुदेचेरी एवं कराईकल तथा लक्षद्वीप में अलग अलग स्थानों पर आंधी तूफान, बिजली के साथ तेज हवा के बहने का अनुमान है। पश्चिमी राजस्थान के ऊपर अलग अलग स्थानों पर गरज के साथ वर्षा/धूल भरी आंधी आने की सम्भावना है |