आलू की नई विकसित किस्में एवं उनकी विशेषताएं
विश्व में आलू को प्रमुख खाद्य फसल के रूप में जाना जाता है, इसका वैश्विक स्तर पर 365 मिलियन टन का उत्पादन होता है | वर्तमान में आलू का उत्पादन विश्व के 150 देशों में होता है, इसमें चीन, भारत और रूस आलू उत्पादन करने वाले देशों में शीर्ष पर है | यह तीन देश दुनिया में कुल उत्पादन का 43 फीसदी योगदान देते हैं | भारत में आलू की खेती 20.64 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है तथा इसका उत्पादन एवं उत्पादकता क्रमश: 456 लाख टन एवं 22.09 टन प्रति हैक्टेयर है |
किसानों को आलू की खेती में कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उच्च उत्पादकता वाली किस्मों का चयन करना चाहिए जो की मिट्टी एवं क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल हो | किसान समाधान आलू की उच्च उत्पादन देने वाली किस्मों के विषय में जानकारी लेकर आया है किसान अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार इन किस्मों का चयन कर सकते हैं |
कुफरी गंगा
यह उत्तर भारतीय मैदानी क्षेत्रों के लिए अनुशंसित प्रजाति है, रबी मौसम में अत्यधिक उत्पादन देने वाली मध्यम अवधि की किस्म है | कुफरी गंगा आलू 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है | आलू की इस किस्म को 2018 में विकसित किया गया था, इस किस्म के आलू आकर्षक अंडाकार, उथली आँखे, कृमि गूदा, स्वीकार्य सुगंध, मुलायम एवं शुष्क पदार्थ (16 से 18 प्रतिशत) की मात्रा वाले होते हैं |
किस्म की विशेषताएं
कुफरी गंगा आलू रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर है | कुफरी गंगा के पौधे लंबे, अर्ध – सघन कैनोपी सहित पिछेता झुलसा के लिए प्रक्षेत्र प्रतिरोधी है | इस प्रजाति का विकास एमएस/ 82 – 638 व कुफरी गौरव के संकरण से किया है | कुफरी गंगा की औसत उपज 35 से 40 टन प्रति हैक्टेयर है एवं 90 प्रतिशत विपणन योग्य कंद उत्पन्न होते हैं |
कुफरी नीलकंठ
आलू की यह प्रजाति भोज्य प्रयोजन के लिए मध्यम परिपक्वता की विशष्ट प्रजाति है | इसे वर्ष 2018 में उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए जारी किया गया है |
इस किस्म की विशेषताएं
कुफरी नीलकंठ के पौधे की कैनोपी सघन होती है एवं पिछेता झुलसा के लिए इसकी प्रतिरोधक क्षमता मध्यम है | कंद आसानी से पकने वाले, मलिनीकरण से मुक्त एवं मुलायम होते हैं | इस प्रजाति के आलू एंटीआंक्सीडेंट से भरपूर एवं स्वाद में उत्कृष्ट होते हैं | इस प्रजाति का विकास एमएस / 89 – 1095 तथा सीपी 3290 के संकरण से किया गया था | इस संकर प्रजाति की औसत उपज 35 से 38 टन प्रति हैक्टेयर के बीच है |
कुफरी फ्रायोम
यह एक मध्यम परिपक्वता वाली, फ्रेंच फ्राइज के लिए उपयुक्त किस्म है | इसे उत्तर–पश्चिमी एवं मध्य मैदानी क्षेत्रों और अन्य सामान्य कृषि पारिस्थितिकी में उगाया जा सकता है | इसके पौधे लगभग 8 से 10 मध्य से दीर्घाकार के आकर्षक सफेद कृमि, उथली आँखों एवं सफेद गूदे वाले लंबाकार आलुओं का उत्पादन करता है |
किस्म की विशेषताएं
इस किस्म में पिछेती झुलसा के लिए प्रतिरोधक क्षमता होती है, यह प्रजाति कंद फूटने, खोखले होने जैसी विकृति प्रदर्शित नहीं करती है | कुफरी फ्रायोम स्वीकार्य गुणवत्ता एवं रंग वाले स्वादिष्ट फ्रेंच फ्राइज (3.3) का उत्पादन करती है | यह किस्म उच्च कंद प्रसुप्ति, उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता एवं दीर्घावधि तक कच्चा माल उपलब्ध करने वाली प्रजाति है |
किस्म की उत्पदान क्षमता
कुफरी फ्रायोम आलू की उपज क्षमता 30 से 35 टन प्रति हैक्टेयर के बीच है | जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक कंद प्रसंस्करण गर्द केव होते हैं |
कुफरी माणिक
आलू की इस प्रजाति को अधिक उपज प्रदान करने वाली किस्मों में गिना जाता है | इसकी त्वचा लाल, मध्यम परिपक्वता वाली किस्म है | यह प्रजाति भारत के पूर्वी मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है | यह 90 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है |
किस्म की विशेषताएं
कुफरी माणिक पिछेता झुलसा के लिए प्रक्षेत्र प्रतिरोधी है | यह किस्म गहरे लाल रंग के उथली आँखे एवं सफेद गुदे वाले अंडाकार कंदों का उत्पादन करती है | इस किस्म में शीतगृह भंडारण के 3 से 6 माह बाद भी रंग में कोई परिवर्तन नहीं पाया गया है |
किस्म की उत्पदान क्षमता
आलू की यह किस्म 90 दिनों में उच्च कंद उपज (30 से 32 टन प्रति हैक्टेयर) प्रदान करती है | इसके अलावा 19 प्रतिशत तक शुष्क पदार्थ की मात्रा होती है |
कुफरी लीमा
भरतीय कृषि अनुसंधान प्रयोगशाला – केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने पेरू के सहयोग से उत्तर मैदानी क्षेत्रों में शीघ्र रोपण कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित किया है | इस किस्म के आलू आकर्षक, सफेद कृमि, अंडाकार आकार, उथली आँखों वाले, कृमि गुंदे वाले एवं मुलायम होते हैं |
किस्म की विशेषताएं
यह किस्म हाँपर एवं माइट बर्न के प्रति सहिष्णु एवं पीवीवाई, पीवीएक्स के लिए पूर्ण रूप से प्रतिरोधी है | कुफरी लीमा रूट नोट नेमाटोड के लिए मध्यम रूप से प्रतिरोधी है | यह प्रजाति कंद फटने अथवा केंद्र से खोखले होने जैसी विकृति प्रदर्शित नहीं करती है | यह प्रजाति मध्यम प्रसुप्ति, उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता पकने में आसान एवं स्वीकार्य सुगंध वाली है | यह किस्म शीघ्र रोपण परिस्थिति में उच्च तापमान संबंधी तनाव को सहन करने में भी सक्षम है |
इस प्रजाति के आलू का उत्पादन कितना है ?
कुफरी लीमा 90 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है | इस किस्म के आलू 30 से 85 टन प्रति हैक्टेयर उत्पादन देती है एवं इसमें 19 प्रतिशत शुष्क पदार्थ की मात्रा होती है | कुफरी लीमा 95 प्रतिशत तक विपन्न योग्य कंद उत्पादन करती है |
कुफरी कर्ण
कुफरी कर्ण एक सफेद किस्म की प्रजाति है | अत्यधिक उपज प्रदान करने वाली, मध्यम परिपक्वता (100 से 120 दिनों) वाली किस्म है | कुफरी कर्ण पहाड़ों एवं पठारी क्षेत्रों में खरीफ रोपण के लिए उपयुक्त है |
किस्म की विशेषताएं
यह एक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्म है | यह पिछेती झुलसा एवं विभिन्न विषाणुओं (पिएएलसीवी, पीवीवाई, पीएलआरवी, पीएवी, पीवीएम एवं पीवीएस) के प्रति उच्च प्रतिरोधी एवं पीसीएम के प्रति माध्यम प्रतिरोधी है | इसके कंद का आकार अच्छा एवं आकर्षक है एवं ये फटते नहीं हैं | इस किस्म में विविध रोगों के प्रतिरोध की क्षमता, उच्च शुष्क पदार्थ की मात्रा (18.8 प्रतिशत), उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता जैसे विभिन्न गुण पाए जाते हैं |
किस्म की उत्पदान क्षमता
कुफरी कर्ण प्रजाति के आलू की औसत उपज 27–29 टन प्रति हैक्टेयर है | यह उत्कृष्ट भंडारण गुणवत्ता, दीर्घ प्रसुप्ति, आसानी से पकने एवं स्वीकार्य सुगंध वाली प्रजाति है |
कुफरी सहयाद्री
यह अत्यधिक उपज प्रदान करने वाली मध्यम परिपक्वता वाली किस्म है | यह प्रजाति भोज्य और प्रसंस्करण के प्रयोजन के लिए निलगिरी पहाड़ियों में उगाने के लिए उपयुक्त है | इस संकर प्रजाति के कंद अंडाकार एवं हल्के पीले रंग की त्वचा वाले होते हैं | इसके गुदे का रंग पीला एवं आँख उथली गहरी होती है | कंद मुलायम एवं नरम होते है | इसका स्वाद अच्छा एवं पकने के बाद होने वाले मलिनिकरण से मुक्त होता है | कंद की प्रसुप्ति अवधि 70 से 80 दिन होती है | इसके कंद से बने चिप्स कुरकुरे एवं पीले रंग के होते हैं, जिनका स्वाद अच्छा होता है |
किस्म की विशेषताएं
कुफरी सहयाद्री प्रजाति के आलू रोग प्रति रोधक है | इसमें पीसीएन एवं पिछेती झुलसा के लिए प्रतिरोधक क्षमता है |