कुफरी नीलकंठ आलू की एक उन्नत किस्म
भारत में किसानों के लिए सरकार द्वारा बहुत से अनुसन्धान केन्द्रों की स्थापना की गई है जो लगातार भारतीय जलवायु के अनुसार अनुसनधान कर किसानों के लिए लगातार कुछ नए उत्पाद तेयार करते हैं ताकि किसानों की कृषि में लागत कम हो उत्पादन अधिक एवं नुकसान न हो साथ ही उस उत्पाद से देश के सभी लोगों को कुछ न कुछ लाभ मिल सके | इस कड़ी में भाकृअनुप-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला (ICAR-Central Potato Research Institute Shimla) द्वारा आलू की नई किस्म विकसित की गई है जो किसानों के साथ साथ उसे खाने वाले के लिए भी फायदेमंद है | किसान समाधान इस किस्म की जानकारी लेकर आया है |
कुफरी नीलकंठ आलू की विशेषता
उत्तर भारतीय मैदानों के लिए जारी एक नई किस्म का उद्देश्य मध्यम परिपक्व विशेषता की आलू खेती है। यह ऑक्सीकरण रोधी (एंथोसायनिन्स > 100µg/100g ताज़ा wt. और कैरोटीनॉयड्स ~200 µg/100g ताज़ा wt.) से भरपूर होता है और संकर की औसत उपज 35-38 टन/हैक्टेयर होती है। यह संकर कंद उत्कृष्ट स्वाद के साथ गहरे बैंगनी काले रंग लिए होते हैं। मलाईदार गूदा, बेहतर भंडारण स्थायित्व (कटाई पश्चात जीवनकाल), मध्यम शुष्कता (18%) और मध्यम सुप्तता के साथ-साथ आकार में अंडाकार होते हैं। यह पकाने में आसान होता है। भुरभुरा होने के साथ-साथ खाना पकाने के बाद मलिनकिरण से मुक्त होता है।
भारत में ज्यादातर सफेद या पीले रंग के छिलके वाले आलू पसंद किए जाते हैं, हालाँकि पूर्वी भारत में लाल छिलके वाले आलू की मांग रही है और अब इसे उत्तर-पश्चिमी एवं पश्चिम-मध्य मैदानी इलाकों में भी पसंद किया जा रहा है। भाकृअनुप-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने तुलनात्मक रूप से उच्च ऑक्सीकरण रोधी के साथ पहली बार बैंगनी रंग का स्वदेशी आलू की किस्म कुफरी नीलकंठ को विकसित और जारी किया है।
किसान किन राज्यों में इस किस्म की खेती कर सकते हैं ?
यह किस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के मैदानी इलाकों, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और इसी तरह के कृषि पारिस्थितिकी राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है। कुफरी नीलकंठ में कुफरी ललित, कुफरी लालिमा और कुफरी सिंधुरी नाम की प्रचलित किस्में हैं। यह किस्म उर्वरक के अनुकूल है और कृषिशास्त्रीय प्रथाओं के तहत 35-38 टन/हैक्टेयर उपज देने में सक्षम है।
कुफरी नीलकंठ के फायदे
आलू को अक्सर कार्बोहाइड्रेट युक्त जंक फूड के रूप में गलत माना जाता है, इसलिए ऑक्सीकरण रोधी के साथ जैव-सुदृढ़ीकरण द्वारा आलू को समृद्ध करना जरूरी है क्योंकि इस मामले में निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के बीच इसका पोषण महत्त्व और लोकप्रियता स्थापित होगी।