इस वर्ष खरीफ सीजन में किसानों को दिया जायेगा 5300 करोड़ रूपए के ऋण

किसानों को 5300 करोड़ रूपए का ऋण दिए जाने का लक्ष्य

किसानों ने रबी फसल की बिक्री के बाद अब खरीफ सीजन 2021–22 की तैयारी शुरू कर दी है, किसानों को जुताई, खाद -बीज एवं अन्य कृषि कार्यों में किसी तरह की आर्थिक बाधा न आये इसके लिए राज्य सरकारों द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से फसली ऋण देने की शुरुआत भी की जा चुकी है | कई राज्य सरकारें किसानों को अल्पकालीन फसली ऋण सहाकरी समितियों से किसानों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध करवाती है | इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को 5300 करोड़ रुपये का अल्पकालीन फसली ऋण देने का लक्ष्य रखा है |

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार किसानों को वर्ष 2021–22 के लिए 53,000 करोड़ रूपये देने जा रही है | जिसमें खरीफ मौसम में 95 हजार से अधिक किसानों को 344 करोड़ रूपये का फसली ऋण प्राप्त हो चुका है |

पिछले वर्ष 12 लाख से अधिक किसानों को दिया गया था ऋण

छत्तीसगढ़ राज्य  सरकार ने पिछले वर्ष किसानों को खरीफ सीजन में 47,00 करोड़ रूपये का फसली ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा था | जिसके मुकाबले 12 लाख 65 हजार से अधिक किसानों को 4,704 करोड़ 64 लाख रूपये का अल्पकालीन ऋण प्रदान किया गया था |

राज्य में उर्वरक की जरूरत को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने किसानों के लिए पर्याप्त भंडारण किया है | खरीफ सीजन के लिए राज्य सरकार ने 7 लाख 25 हजार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक का भंडारण किया है | अभी तक राज्य के किसानों के द्वारा खरीफ सीजन के लिए 32 हजार 631 टन का उठाव कर लिया गया है |

राज्य में गुणवत्ता पूर्ण बीज उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने बीजों का भंडारण सहकारिता समितियों में किया है | राज्य सरकार ने धान के बीज राज्य के विभिन्न समितियों में 3,13,836 क्विंटल बीज रखा है | इसके साथ ही अन्य खरीफ फसलों का बीज भी 21 क्विंटल बीज का भंडारण किया जा चुका है | इस बीज का वितरण किसानों को उनकी डिमांड के आधार पर किया जा रहा है |

राजस्थान में भी खरीफ सीजन के लिए फसली ऋण दिया जा रहा है

राजस्थान में राज्य के सहकारी बैंक 1 अप्रैल से ही किसानों को फसली ऋण दे रही है | अभी तक 3.17 लाख किसानों को 971.88 करोड़ रूपये की फसली ऋण दिया जा चूका है | खरीफ मौसम के लिए किसानों को 31 अगस्त तक फसली ऋण दिया जायेगा | इस वर्ष 3 लाख नये किसानों को सहकारिता विभाग से जोड़ा गया है , जिससे नये किसानों को भी शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसली ऋण दिया जायेगा |

किसान अधिक पैदावार के लिए लगायें सोयाबीन की यह नई उन्नत विकसित किस्में

सोयाबीन की नई विकसित किस्में

देश में किसानों की आय एवं प्रति हेक्टेयर उत्पदान को बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं | इसके लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् ICAR के विभिन्न संस्थानों की सहायता से फसलों की नई- नई किस्में विकसित की जा रही हैं | जहाँ नई किस्में कीट रोगों की प्रतिरोधक होती है वहीँ इनसे अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है | जिससे खेती की लागत तो कम होती ही है साथ ही किसानों को लाभ भी अधिक होता है | ऐसी ही कुछ सोयाबीन की किस्में भारत के वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई हैं जो देश को तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं |

किसान समाधान किसानों के लिए वर्ष 2021 तक सोयाबीन की सभी विकसित किस्मों की जानकारी पाठकों के लिए लाया है | यह किस्में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं |

Soybean Variety सोयाबीन की नई विकसित किस्में एवं उनकी विशेषताएं

सोयाबीन की किस्में/प्रजाति (वर्ष) एवं उपयुक्त राज्य

विशेषताएं

VL SOYA 89 (2019)

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड

सोयाबीन की यह प्रजाति 2019 में विकसित की गई है| यह किस्म 111 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है | इसका उत्पादन 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

VL SOYA 201 (2016)

उत्तराखंड

यह किस्म 113 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति के सोयाबीन की उपज 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

VL SOYA 77 (2016)

उत्तराखंड

यह किस्म 113 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति के सोयाबीन की उपज 23 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होता है |

VL SOYA 65 (2010)

उत्तराखंड

यह किस्म 118 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उपज 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है

VL SOYA 63 (2008)

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड

यह किस्म 125 से 132 दिन में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति के सोयाबीन का उपज 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC 128 (2021)

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर–पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार

यह प्रजाति 118 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति के सोयाबीन का उत्पादन 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हैं |

PS1477 (2017)

उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड

यह प्रजाति 113 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | सोयाबीन की इस प्रजाति का उत्पादन क्षमता 27 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है

PS-1521 (2017)

उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर – पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार

यह प्रजाति 112 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इसकी उत्पादन क्षमता 32 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

PS 1480 (2017)

उत्तराखंड

यह प्रजाति 123 से 126 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

SL 958 (2015 )

पंजाब

यह प्रजाति 135 से 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 23 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

PUSA 12 (2015)

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश

यह प्रजाति 124 से 131 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति क्विंटल है |

PS 1368 (2013)

उत्तराखंड

यह प्रजाति 117 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | सोयाबीन की इस प्रजाति का उत्पादन क्षमता 23 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

PS 1225 (2009)

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर – पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार

यह प्रजाति वर्ष 122 – 127 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

PS 1347(2008)

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर – पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार

सोयाबीन की यह प्रजाति वर्ष 2008 में विकसित किया गया था | यह प्रजाति 120 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 31 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MACS 1460 (2021)

कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरला, दक्षिणी महाराष्ट्रा

यह प्रजाति 96 से 97 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | सोयाबीन की इस प्रजाति का उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC 132 (2021)

कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरला, दक्षिणी महाराष्ट्रा

यह प्रजाति 101 से 106 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | सोयाबीन की इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 27 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC 147 (2021)

पूर्वी एवं दक्षिणी राज्य

 

यह प्रजाति 96 से 97 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति का उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RSC 11–07 (2021)

पूर्वी एवं दक्षिणी राज्य

यह प्रजाति 101 से 106 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | सोयाबीन की इस प्रजाति का उत्पादन क्षमता 27 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

DSB 34 (2018)

कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरला, दक्षिणी महाराष्ट्रा

यह प्रजाति 101 से 106 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 27 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MAUS 612 (2018)

महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और दक्षिण भारतीय राज्य

यह प्रजाति 93 से 98 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

BASAR (2018)

तेलंगाना

यह प्रजाति 105 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 32 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MACS 1281 (2016)

कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरला, दक्षिणी महाराष्ट्रा

यह प्रजाति 90 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

KDS 344 (2021) फुले अग्रणी

महाराष्ट्रा एवं दक्षिणी राज्य

यह प्रजाति 93 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

DSB 21 (2015)

महाराष्ट्रा एवं दक्षिणी राज्य

यह प्रजाति 90 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MAUS 162 (2014)

महाराष्ट्रा

यह प्रजाति 100 से 103 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MACS 1188 (2013)

महारष्ट्र, कर्नाटका, आँध्रप्रदेश, तमिलनाडु

यह प्रजाति 101 से 103 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MAUS 158 (2010)

कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरला, दक्षिणी महाराष्ट्रा

 

यह प्रजाति 93 से 98 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MACS 1407 (2021)

पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, झारखण्ड, पूर्वी बिहार

यह प्रजाति 99 से 107 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 32 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC 136 (2021)

पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, झारखण्ड, पूर्वी बिहार

यह प्रजाति 107 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 31 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRCSL 1 (2021)

पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, झारखण्ड, पूर्वी बिहार

यह प्रजाति 107 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RSC 10-46 (2021)

पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, झारखण्ड, पूर्वी बिहार

यह प्रजाति 98 से 103 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

AMS 2014-1 (2021)

पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, झारखण्ड, पूर्वी बिहार

यह प्रजाति 100 से 105 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 24 से 32 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 20-116 (2019)

पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, झारखण्ड, पूर्वी बिहार

यह प्रजाति 95 से 106 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RKS 113 (2018)

असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तर पूर्वी राज्य

यह प्रजाति 100 से 102 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 19 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

KS 103 (2018)

महाराष्ट्रा, आँध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटका

यह प्रजाति 89 से 94 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

CGSOYA 1 (2018)

छत्तीसगढ़

 

यह प्रजाति 95 से 100  दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 97-52 (2008)

मध्य एवं उत्तर पूर्वी राज्य

यह प्रजाति 99 से 109 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RKS 18 (2007)

यह प्रजाति 95 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RAUS 5 (2007)

छत्तीसगढ़,

यह प्रजाति 96 से 104  दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

MACS 1520 (2021)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 98 से 102 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 29 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC 130 (2021)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 92 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RSC 10-52 (2021)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 99 से 103 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

AMS-MB-5-18 (2021)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 98 से 102 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 20-94 (2019)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 98 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 27 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 20-98 (2018)

यह प्रजाति 96 से 101 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 23 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC 127 (2018)

यह प्रजाति 100 से 104 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RVS 2002-4 (2017)

यह प्रजाति 92 से 97 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RVS-18 (2007)

मध्य प्रदेश

यह प्रजाति 92 से 97 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 20-69

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 91 से 97 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 23 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC-86 (2015)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 95 से 100  दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 20-34 (2014)

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्रा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश

यह प्रजाति 86 से 88 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 20 – 29 (2014)

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्रा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश

यह प्रजाति 93 से 96 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RVS 2001-4 (2014) (राज विजय सोयाबीन)

मध्यप्रदेश

 

यह प्रजाति 101 से 105 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RKS 45 (2013)

राजस्थान

यह प्रजाति 98 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

RKS 24 (2011)

राजस्थान

यह प्रजाति 95 से 98 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 97–52 (2008)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 100 से 106 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 95-60 (2007)

मध्यप्रदेश, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 85 से 89 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 23 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 93-05 (2021)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र

यह प्रजाति 90 – 96 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

NRC 37 (2001) अहिल्या 4

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान,

यह प्रजाति 99 से 105 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

JS 335 (1994)

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान

यह प्रजाति 96 से 102 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |

किस्मों का चयन कैसे करें

किसान अपने राज्य एवं अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही फसलों की किस्मों का चयन करें | चयन करते समय अपने क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अधिकारीयों से सलाह एवं खेती की पूरी जानकारी अवश्य लें, जिससे किस्म, मिट्टी की गुणवत्ता एवं जलवायु के अनुसार समय पर खाद (उर्वरक) एवं सिंचाई की व्यवस्था कर सकें |

सोयाबीन उत्पादन में स्थिरता लाने एवं प्रतिकूल परिस्थिति के कारण होने वाली हानि को कम करने के लिए किस्मों की विविधता प्रणाली को अपनाना चाहिए अर्थात हमेशा 3-4 किस्मों की खेती करनी चाहिए | इससे फलियों के चटकने से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है | साथ ही कीट-रोगों के नियंत्रण एवं कटाई-गहाई की पर्याप्त सुविधा के साथ-साथ किस्मों का अधिकाधिक उत्पादन प्राप्त होता है |

मौसम चेतावनी: यास तूफान के चलते 26 से 29 मई के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश

यास तूफान के चलते 26 से 29 मई वर्षा के लिए चेतवानी

जहाँ हर वर्ष मई महीने के इन दिनों में तेज गर्मी पड़ती है वहीँ इस वर्ष अभी हाल ही में आये चक्रवाती तूफान “तौकते” से देश के अनेक हिस्सों में तेज आंधी एवं गरज चमक के साथ बारिश हुई थी | चक्रवाती तूफान तौकते का असर अभी समाप्त ही हुआ था की बंगाल की खाड़ी में एक और तूफान “यास” के आने से देश के कई राज्यों में एक बार फिर तेज आंधी एवं बारिश का सिलसिला शुरू हो गया है | भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की चेतावनी के अनुसार “यास” तूफान 26 मई की सुबह तक चंदबाली-धमरा बंदरगाह के बेहद निकट उत्तर ओडिशा और पश्चिम बंगाल तटों के निकट उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी में पहुंचेगा।

एक बेहद उग्र चक्रवाती तूफान के रूप में 26 मई बुधवार की दोपहर में इसके पारादीप तथा सागर द्वीपसमूहों के बीच उत्तर ओडिशा-पश्चिम बंगाल तटों को पार करने का अनुमान है। चक्रवात का असर देश के कई राज्यों में देखने को मिलेगा जिससे आंधी एवं गरज चमक के साथ माध्यम से तेज बारिश हो सकती है |

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र की चेतावनी के अनुसार 26 से 29 मई के दौरान भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, सीहोर, धार, इंदौर, अलीराजपुर, बडवानी, बुरहानपुर, खंडवा,खरगोन, झाबुआ, देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोक नगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, उमरिया, अनूपपुर, शाडोल, डिंडोरी, कटनी, छिंदवाडा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंगपुर, सिवनी, मंडला, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, छतरपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, बैतूल हरदा एवं होशंगाबाद जिलों में कही-कहीं कुछ स्थानों पर आंधी तूफान एवं गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है |

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के रायपुर केंद्र की चेतावनी के अनुसार 26 से 29 मई के दौरान सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, पेंडरा रोड, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, गरियाबंद,धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगांव, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाडा,  सुकुमा, कंकेर, नारायणपुर एवं बीजापुर जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ मध्यम बारिश से भारी बारिश होने की सम्भावना है |

बिहार राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग पटना के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी दिनों में 26 मई से 29 मई तक राज्य के वेस्ट चंपारण, सिवान, सरन, इस्ट चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, शेओहर, समस्तीपुर, सुपोर, अररिया, मधेपुरा, किशनगंज, सहरसा, पुरनिया, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, पटना, गया, नालंदा, शैखिपुरा, बेगुसराई, लखीसराय, नवादा,  कटिहार, भागलपुर, बांका, मुंगेर, खगरिया, जामुई जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज आँधी एवं गरज-चमक के साथ मध्यम से तेज बारिश होने की सम्भावना है | बिहार में 27 मई को अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा तथा कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा और अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने और 28 मई को अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने का अनुमान है।

पश्चिम बंगाल तथा सिक्किम के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के अनुसार 26 मई को मेदिनीपुर में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा तथा झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा, बर्धमान, हावड़ा, हुगली, कोलकाता, उत्तर 24 परगना, बीरभूमि में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने का अनुमान है तथा 27 मई को माल्दा और दार्जिलिंग, दिनाजपुर, कलिमपोंग, जलपाईगुड़ी, सिक्किम में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने तथा बांकुरा, पुरुलिया, बर्धमान, बीरभूम और मुर्शिदाबाद के कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने का अनुमान है।

ओडिशा के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के अनुसार 26 मई को जगतसिंहपुर, कटक, केंद्रपारा, जाजपुर, भद्रक, बालासोर, मयूरभंज, कियोंझारगढ़ में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी तथा अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा और पुरी, खुरदा, अंगुल, देवगढ़, सुंदरगढ़ में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा और 27 मई को उत्तरी आंतरिक ओडिशा में भारी से बहुत भारी और अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने का अनुमान है।

झारखण्ड राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग रांची के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार 26 से 29 मई के दौरान देओगढ़,धनबाद, धुमका,गिरीध, जामात्रा, गोड्डा, पाकुर, साहिबगंज, पलामू, गरवा, लातेहार, छत्रा, लहोर्दागा, कोडरमा, गुमला, खूंती, रांची, रामगढ,बोकारो, हजारीबाग, सराइकेला, पूर्वी सिंग्भूमि, पश्चिमी सिंह भूमि एवं सिमडेगा जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों मध्यम से भारी बारिश होने की सम्भावना है | 26 एवं 27 मई को अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा तथा कहीं-कहीं बहुत भारी वर्षा और अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा तथा 28 मई को अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने का अनुमान है।

किसानों को उन्नत किस्मों के दलहन 2.45 लाख एवं तिलहन फसलों के 90 हजार बीज मिनी किट दिए जायंगे

दलहन एवं तिलहन फसलों हेतु बीज वितरण कार्यक्रम

देश को दलहन एवं तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एवं राज्यों में उत्पदान बढ़ाने के लिए किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत निःशुल्क अथवा बहुत ही कम दामों पर फसलों के उन्नत एवं प्रमाणित बीज दिए जाते हैं | खरीफ सीजन के नजदीक आते ही राज्य सरकारों ने किसानों को बीज वितरण के लिए कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं | राजस्थान की राज्य सरकार ने इस वर्ष राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन एवं दलहन) के लिए किसानों को दलहन एवं तिलहन के बीज वितरण का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है |

राजस्थान राज्य में खरीफ सीजन के लिए जिलावार तिलहन एवं दलहन फसलों के मिनी बीज किट आवंटित कर आपूर्ति शुरू कर दी है। इस साल तिलहन के 90 हजार 500 तथा दलहन के 2 लाख 45 हजार 650 मिनी बीज किट किसानों को बांटे जाएंगे।

इन फसलों के लिए दिए जाएंगे बीज मिनी किट

कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन एवं दलहन) के तहत राज्य में मूंग के 2 लाख 6 हजार 900, सोयाबीन के 82 हजार 500, अरहर के 20 हजार, उड़द के 18 हजार 750 एवं मूंगफली के 8 हजार मिनी किट लघु एवं सीमांत किसानों को वितरित किए जाएंगे। इसके लिए जिलावार मांग अनुसार आवंटन कर आपूर्ति करना प्रारम्भ कर दिया गया है। सम्बंधित एजेंसियों को आगामी 15 जून तक आवंटित सभी मिनी किट्स की आपूर्ति पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।

राज्य में किसानों को प्रति मिनी किट में सोयाबीन के 8 किलो, मूंगफली के 20 किलो तथा अरहर, उड़द एवं मूंग के 4-4 किलो बीज उपलब्ध कराया जा रहा है।

इन जिलों में दिए गए सोयाबीन के बीज

सोयाबीन के बूंदी जिले को 49 हजार 200, उदयपुर को 20 हजार 500, भीलवाड़ा को 6 हजार 300, सवाई माधोपुर को 6 हजार तथा टोंक एवं राजसमन्द जिले को 250-250 मिनी बीज किट आवंटित किए गए हैं।

इन जिलों में दिए गए मूंगफली के बीज

मूंगफली के बीकानेर को 2 हजार 800, जोधपुर को 2 हजार 50, चुरू को 1 हजार 100, बाड़मेर को 700, जयपुर को 500, जैसलमेर को 450 एवं सीकर को 400 मिनी बीज किट आवंटित किए गए हैं।

इन जिलों में दिए गए मूंग के बीज

मूंग के अजमेर को 12 हजार, अलवर को 1 हजार 800, बांसवाड़ा को 3 हजार 900, बारां को 11 हजार, बाड़मेर को 8 हजार 800, भरतपुर, प्रतापगढ़ एव राजसमन्द को 2-2 हजार, भीलवाड़ा को 21 हजार, बीकानेर को 12 हजार 700, बूंदी को 27 हजार 500, चित्तौड़गढ़ एवं सिरोही को 2800-2800, चुरू को 17 हजार, दौसा को 1 हजार 300, झालावाड़, उदयपुर, धौलपुर, डूंगरपुर एवं कोटा को 500-500, झुंझुनूं को 11 हजार 400, जोधपुर को 10 हजार, करौली को 2 हजार 500, नागौर को 18 हजार, पाली को 8 हजार, सवाई माधोपुर को 1 हजार, गंगानगर को 2 हजार 400, हनुमानगढ़ को 1 हजार 200, जयपुर को 6 हजार, जैसलमेर को 1 हजार 500, जालोर को 4 हजार 500, टोंक को 800 एवं सीकर को 8 हजार 500 मिनी बीज किट आवंटित किए गए हैं।

इन जिलों में दिए गए उड़द के बीज

उड़द के भीलवाड़ा को 3 हजार 300, बूंदी को 3 हजार, टोंक को 2 हजार, बारां को 1 हजार 800, कोटा को 1 हजार 750, अजमेर को 1 हजार 500, सवाई माधोपुर को 1 हजार 250, झालावाड़ को 1 हजार 50, जयपुर, अलवर एवं डूंगरपुर को 500-500, बांसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ को 300 तथा पाली, प्रतापगढ़, राजसमन्द, सिरोही एवं उदयपुर जिले को 200-200 मिनी बीज किट का आवंटन किया गया है।

इन जिलों में दिए गए अरहर के बीज

अरहर के बांसवाड़ा को 8 हजार 700, उदयपुर को 4 हजार, डूंगरपुर को 2 हजार 300, अलवर को 600, गंगानगर एवं हनुमानगढ़ को 545-545, धौलपुर को 500, प्रतापगढ़ को 435, अजमेर को 400, चित्तौड़गढ़ को 375, झालावाड़ को 350, करौली 300, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर एवं जोधपुर को 200-200 तथा कोटा जिले को 150 मिनी बीज किट आवंटित किए गए हैं।

राजस्थान बीज मिनी किट योजना की जानकारी के लिए क्लिक करें

मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत इन फसलों की खेती करने पर सरकार देगी 7000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान

मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत किसान अनुदान

देश में लगातार भूमिगत जलस्तर नीचे जाते जा रहा है जिससे आने वाले दिनों में पानी की समस्या से बचने के लिए सरकार द्वारा भूमिगत जल का दोहन कम करने के उद्देश्य से कई पहल की गई है | जिसके तहत कई राज्य सरकारों द्वारा धान की खेती के बदले अन्य कम पानी वाली फसलों को लगाने पर अनुदान दिया जा रहा है | जहाँ धान की खेती अधिक होती है उन जैसे छत्तीसगढ़ एवं हरियाणा राज्य ने किसानों को धान की खेती छोड़ दूसरी फसलों खेती करने पर किसानों को सीधे अनुदान देने के लिए योजना शुरू की है | जहाँ छतीसगढ़ सरकार इसके लिए किसानों को 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तो हरियाणा सरकार किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ का अनुदान किसानों को सीधे देगी |

हरियाणा में धान के बदले अन्य फसलों के बोने पर किसानों को मिलने वाली अनुदान वाली योजना मेरा पानी-मेरी विरासत को “मेरी फसल-मेरा ब्यौरा” से जोड़ा जा रहा है जिससे किसानों को आसानी से तथा बिना किसी परेशानी के प्रोत्साहन राशि दी जा सके | हरियाणा में किसानों को समर्थन मूल्य पर फसल बेचने एवं कई अन्य योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए भी मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करना होता है | किसान अब इस पोर्टल पर पंजीकरण कर मेरा पानी मेरी विरासत योजना का लाभ भी ले सकेंगे |

किसानों को दिया जायेगा 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान

हरियाणा के मुख्य मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया है | मुख्यमंत्री ने योजना के समीक्षा करने के बाद बताया की पहले वर्ष योजना के सफलता के बाद किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी | खरीफ सीजन में धान के बदले अन्य फसल बोने पर किसानों को 7,000 रूपये की प्रोत्साहन राशि मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत दे रही है | इस योजना एक शुरू होने के बाद पहले ही वर्ष में सरकार को अच्छी सफलता मिली है | वर्ष 2020–21 के खरीफ सीजन में राज्य के किसानों ने 96,000 एकड भूमि में धान की खेती को छोड़ कर अन्य फसलों की खेती को अपनाया है | अब सरकार उन सभी किसानों को प्रति एकड़ 7,000 रूपये देने जा रही है |

इन फसलों की बुवाई पर किसानों को दिया जायेगा अनुदान

राज्य के मुख्य मंत्री ने कहा की बागवानी, सब्जी, चारा, मूंगफली, मूंग व अन्य दालें, सोयाबीन, ग्वार आदि की बिजाई के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी | इस योजना के लाभ के लिए किसानों को “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” एवं मेरा पानी – मेरी विरासत पोर्टल पर प्रति एकड़ फसल की विस्तृत जानकारी डालनी होगी | यह जानकारी अपलोड किये जाने के बाद विभाग द्वारा निर्धारित समय वेरिफिकेशन के बाद सम्बन्धित या पात्र लाभार्थी को प्रोत्साहन राशि जारी की जाएगी |

मेरी पानी मेरा विरासत योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले लाभ

  • इस योजना के तहत जिस किसान ने अपनी कुल जमीन के 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र पर धान के बजाय मक्का/ कपास/ बाजरा/ दलहन/ सब्जियां इत्यादि फसल उगाई है तो उसको 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से राशि प्रदान की जाएगी | परन्तु यह राशि उन्ही किसानों को ही दी जाएगी जिन्होंने गत वर्ष (खरीफ 2019) के धान के क्षेत्रफल में से 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र में फसल विविधिकरण अपनाया है |
  • उपरोक्त राशि 7,000 रूपये प्रति एकड़ के अतिरिक्त जिन किसानों ने धान के बजाय फलदार पौधो तथा सब्जियों की खेती से फसल विविधिकरण अपनाया है उनको बागवानी विभाग द्वारा चालित परियोजनाओं के प्रावधान के अनुसार अनुदान राशि अलग से दी जाएगी |
  • जिन खंडों का भूजल स्तर 35 मीटर अथवा उससे अधिक गहराई पर है तथा पंचायत भूमि पर धान के अतिरिक्त मक्का / कपास / बाजरा / दलहन / सब्जियां फसल उगाई है तो 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से राशि ग्राम पंचायत को दी जाएगी |
  • मक्का खरीद के दौरान मंडियों में मक्का सुखाने के लिए मशीने लगाई जाएगी ताकि किसानों को पर्याप्त नमी के आधार पर उचित मूल्य मिल सके |
  • मक्का की मशीनों द्वारा बिजाई करने हेतु लक्षित खंडों में किसानों को मक्का बिजाई मशीनों पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा |
  • फसल विविधिकरण के अंतर्गत अपनाई गई फसल की बीमा राशि / किसान के हिस्से की राशि को सरकार द्वारा दिया जाएगा |
  • फसल विविधिकरण अपनाने वाले किसानों को सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र लगाने पर कुल लागत का केवल जी.एस.टी. ही देना होगा |

मेरा पानी मेरी विरासत योजना की पूरी जानकारी के क्लिक करें

7196 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर होगी मूंग की खरीदी

MSP पर जायद मूंग की खरीदी

प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा देश के रबी एवं खरीफ की 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है जो पुरे देश में एक समान रूप से लागू होती है | जिसमें दलहन, तिलहन, धान, गेहूं के साथ ही कपास ओर कोपरा शामिल है | कुछ दलहनी फसल जैसे उड़द, मूंग है जो खरीफ के साथ–साथ ग्रीष्मकाल (जायद) में भी उत्पादन किया जाता है, जिसकी सरकारी खरीदी बहुत कम होती है और किसानों को बाजार में कम भाव पर बेचना पड़ता है | ऐसे में मध्यप्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश में जायद मूंग न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की मंजूरी दे दी है |

मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने बताया कि केंद्र सरकार ने मूँग की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिये मध्यप्रदेश सरकार को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि हरदा एवं होशंगाबाद के साथ ही पूरे प्रदेश के किसानों के लिए अति प्रसन्नता का दिन है कि अब प्रदेश में भी ग्रीष्मकालीन मूँग की समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ होगी।

7 हजार 196 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीदा जायेगा मूंग

किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने बताया है कि मध्यप्रदेश सरकार किसानों से ग्रीष्मकालीन मूँग की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने जा रही है। केंद्र सरकार ने मूंग उपार्जन की अनुमति दे दी है | श्री पटेल ने बताया कि भारत सरकार द्वारा मूँग का समर्थन मूल्य 7 हजार 196 रुपये प्रति क्विंटल निश्चित किया गया है |

इन जिलों में हुआ रिकॉर्ड उत्पादन

ग्रीष्मकालीन (जायद) के मौसम में जहाँ सिंचाई के चलते अधिकतर खेत खाली पड़े रहते हैं वही मध्यप्रदेश के सिर्फ दो जिलों हरदा और होशंगाबाद में किसानों ने 3 लाख 33 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मूँग की फसल लगाई है | कृषि मंत्री पटेल के अनुसार सिर्फ दो जिलों हरदा और होशंगाबाद में 3 हजार 500 करोड़ रुपये की मूँग का रिकॉर्डेड उत्पादन होने का अनुमान है | इसका कारण कृषि मंत्री ने बताया की इस वर्ष जायद में मूंग उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने तवा डैम के गेट खुलवाये, बल्कि सिंचाई के लिए सभी को पानी उपलब्ध हो, इसके लिये मॉनिटरिंग की समुचित व्यवस्था की भी निगरानी की गई |

किसान कब कर सकेंगे पंजीकरण

समर्थन मूल्य पर किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए पंजीकरण करवाना आवश्यक होता है | पंजीयन को लेकर कृषि मंत्रीं ने कहा कि सोमवार के बाद जल्दी ही प्रदेश के किसानों का पंजीयन प्रारम्भ हो जायेगा।

क्या किसान पेंशन के लिए चल रही “किसान मानधन योजना” में किसान नहीं ले रहे हैं रूचि

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना में नहीं हुए ज्यादा आवेदन

किसानों को बुढ़ापे में सहारा या सामाजिक सुरक्षा के लिए उन्हें पेंशन मौहय्या करवाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 01 अगस्त 2019 को शुरू की गई “प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना” के 21 माह बीत चुके हैं | इन 21 महीनों में इस योजना की कोई खास प्रगति अभी तक नहीं हुई है | 18 से 40 वर्ष के कोई भी महिला या पुरुष जिनके पास अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि है वे इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं | इसके बावजूद भी इस योजना के तहत अभी तक कुल 21 लाख 30 हजार 262 आवेदन हुए हैं | इनमें से 17 लाख 48 हजार 906 आवेदकों को कार्ड जारी किये जा चुके हैं |

55 से 200 रूपये तक के प्रीमियम राशि जमा करके इस योजना के लिए आवेदन किया जा सकता है इसके बावजूद भी कुछ राज्य इस योजना में काफी पीछे हैं | प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री के राज्य गुजरात इस योजना के आवेदन में 10 वें नंबर पर है | तो वहीँ छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा झारखण्ड क्रमश: पहले, दुसरे, तीसरे तथा चौथे स्थान पर हैं | 60 वर्ष के बाद 3,000 रूपये की मासिक पेंशन पाने वाली योजना के लिए प्रति माह लगभग 1 लाख ही आवेदन हो रहे हैं | पिछले 4 दिनों में योजना के लिए आवेदन इस प्रकार रहा है :-

  • 18 मई – 177 आवेदन
  • 19 मई – 166 आवेदन
  • 20 मई – 255 आवेदन
  • 21 मई – 267 आवेदन

किसान समाधान इस योजना का 21 माह का रिपोर्ट कार्ड लेकर आया है, जिसे जानना सभी के लिए जरुरी है |

किस उम्र के कितने आवेदन हुए हैं ?

योजना के अनुसार 18 से 40 वर्ष के कोई भी महिला तथा पुरुष आवेदन कर सकते हैं | कुल आवेदनों को तीन भागों में बाँट सकते हैं | 18 से 25, 26 से 35, 36 से 40 वर्ष के आवेदकों ने आवेदन किये हैं | इनमें से 26 से 35 वर्ष के आवेदकों की संख्या सबसे ज्यादा है | उम्र वर्ष के अनुसार आवेदनों की संख्या इस प्रकार है :-

kisan mandhan yojana age group
किसान मानधन योजना में अभी तक उम्र के अनुसार आवेदन (स्त्रोत: https://pmkmy.gov.in/)
  • 18 से 25 वर्ष के आवेदक – 4,50,402
  • 26 से 35 वर्ष के आवेदक – 8,60,374
  • 36 से 40 वर्ष के आवेदक – 4,38,133

मानधन योजना में पुरुषों की संख्या महिलाओं से काफी ज्यादा है ?

जैसा की योजना के लिए महिला तथा पुरुष दोनों पात्र है तथा 60 वर्ष की आयु पूरा करने पर 3000 रूपये की पेंशन दिया जाना है | इसके बावजूद भी महिला के मुकाबले पुरुषों ने योजना के लिए ज्यादा आवेदन किये हैं | इसका कारण यह भी हो सकता है की देश में महिला के मुकाबले पुरुषों के नाम भूमि ज्यादा है |

kisan mandhan yojana by gender
लिंग के अनुसार कुल आवेदन (स्त्रोत: https://pmkmy.gov.in/)

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत कुल 17,48,906 कार्ड दिए गए हैं | इसमें से 10,78,525 पुरुषों को वहीँ 6,70,381 कार्ड वितरित किये गए हैं |

इन राज्यों ने दिखाई पेंशन योजना में ज्यादा दिलचस्पी

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना देश के सभी राज्यों तथा केन्द्रशासित राज्यों में लागू किया गया है | इस योजना के तहत सभी के लिए समान्य अवसर प्रदान किए गए है | इसके बावजूद भी कुछ राज्य बहुत पीछे हैं तो कुछ राज्यों के किसानों ने योजना के प्रति दिलचस्पी दिखाई हैं | इसमें सबसे बड़ी बात यह है की प्रधानमंत्री की गृह राज्य गुजरात में आवेदन करने की संख्या में 10 वें स्थान पर है | सबसे कम आवेदन सिक्कम से हुआ है जहाँ मात्र 26 लोगों ने ही आवेदन किया हैं |

top 10 state in kisan mandhan yojana
किसान मानधन योजना के पंजीकरण में 10 शीर्ष राज्य (स्त्रोत: https://pmkmy.gov.in/)

योजना के तहत सबसे अधिक आवेदन करने वाले 10 राज्य इस प्रकार हैं:-

  • हरियाणा – 425360
  • बिहार – 317245
  • उत्तर प्रदेश – 251784
  • झारखण्ड – 249926
  • छत्तीसगढ़ – 204097
  • ओड़िसा – 150363
  • मध्य प्रदेश -111213
  • तमिलनाडु – 109600
  • महाराष्ट्र – 78197
  • गुजरात – 65306

पिछले 21 माह की रिपोर्ट देखकर यही लगता है की योजना के प्रति सरकार तथा किसान दोनों को कोई खास दिलचस्पी नहीं है | जिस उत्साह से इस योजना की शुरुआत की गई थी, वैसा किसानों के बीच उत्साह नहीं दीखता है | 2 हेक्टेयर या उससे कम भूमि वाले किसान परिवारों की संख्या लगभग 12 करोड़ है | 20 माह बाद भी इस योजना से 2 प्रतिशत लोग भी नहीं जुड़ पाए हैं |

इस योजना से 6 माह पहले शुरू किये गये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के प्रति किसानों का उत्साह से अंदाजा लगाया जा सकता है की आज आवेदकों तथा लाभार्थियों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा हो गई है | ऐसे में सरकार को योजना के क्रियान्वयन तथा इसके प्रचार प्रसार पर ध्यान देना होगा | जिससे किसान इस योजना के लिए लाभ उठा सके |

किसान पेंशन का लाभ लेने हेतु किसान मानधन योजना में आवेदन के लिए क्लिक करें

20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से अधिक पैदावार वाले सोयाबीन एवं मूंगफली की बीज किसानों को निःशुल्क दिए जाएंगे

निःशुल्क सोयाबीन एवं मूंगफली बीज वितरण

देश में तिलहन फसलों का उत्पादन खरीफ एवं रबी दोनों सीजन में किया जाता है, इसके बावजूद भी देश में पर्याप्त तिलहन का उत्पादन नहीं हो पता है | जिसके कारण विदेशों से लगभग 71 हजार करोड़ रूपये तक का खाद्य तेल आयात करना पड़ता है | तेलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने तथा तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार तेलहन की बुवाई का रकबा बढ़ाने जा रही है | केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन में तिलहन की बुआई का रकबा बढ़ाने के साथ ही उच्च पैदावार देने वाली किस्मों के बीज किसानों को नि:शुल्क देने का निर्णय लिया है |

खरीफ सीजन की दो मुख्य तिलहन फसलों में सोयाबीन तथा मूंगफली के लिए सरकार ने बुआई के क्षेत्र बढ़ाने के लिए राज्यों तथा जिलों का चयन कर लिया है | इन जिलों में किसानों को नि:शुल्क बीज किसानों को दिए जाएंगे |

बीज की पैदावार कितनी होगी ?

केंद्र सरकार के तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार वितरित किये जाने वाले सोयाबीन बीजों की पैदावार 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं होगी अर्थात किसानों को ऐसे बीज दिए जाएंगे जिनकी उत्पादन क्षमता कम से कम 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी | जबकि मूंगफली के बीज जो किसानों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे उसकी उत्पादन क्षमता 22 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं होगी |  

नि:शुल्क बीज इन राज्यों के किसानों को दिए जाएंगे

केंद्र सरकार ने तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के कुछ राज्यों का चयन किया है | इन राज्यों के जिलों में से कुछ जिलों के तिलहन के नए बीजों की खेती के लिए चयन किया है | चयनित राज्यों के जिलों के किसानों को ही नी:शुल्क बीज दिया जायेगा |

सोयाबीन के बीज प्राप्त करने वाले राज्य तथा उनकी संख्या इस प्रकार है :-

देश के 7 राज्य (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना) के 41 जिलों में 1,47,500 हेक्टेयर में सहरोपण के लिए सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देने के लिए सोयाबीन के बीज दिए जाएंगे | इसके लिए केंद्र सरकार 76.03 करोड़ रूपये खर्च कर रही है |

देश के 8 राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना) के 73 जिलों में सोयाबीन की अधिक संभावना वाले जिलों में शामिल किया गया है | 8 राज्यों के 73 जिलों में 3.9 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती के लिए केंद्र सरकार 104 करोड़ रूपये खर्च कर रही है |

सोयाबीन तथा मूंगफली के कितने पैकेट ( किट्स) नि:शुल्क दिये जायेंगे 

देश के 9 राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार) के 90 जिलों में सोयाबीन के मिनी किट्स वितरित किये जाएंगे | केंद्र सरकार 40 करोड़ की लागत से 8 लाख 16 हजार 435 किट्स का वितरण करेगी | इससे 1 लाख 6 हजार 636 हेक्टेयर सोयाबीन की खेती के लिए कवर किया जायेगा |

मूंगफल बीज किन राज्यों में वितरित किया जायेगा ?

केंद्र सरकार खरीफ सीजन में मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के 7 राज्यों (मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु) को चयन किया है | इन राज्यों में केंद्र सरकार 74,000 मूंगफली बीज मिनी किट्स का वितरित करेगी | इसके लिए केंद्र सरकार 13.03 करोड़ रुपया खर्च कर रही है |

बीज का वितरण कौन करेगा ?

सोयाबीन तथा मूंगफली के बीजों के किट्स दो प्रकार के है | सहरोपन और ज्यादा संभावनाओं वाले जिलों के लिए बीजों का वितरण राज्य बीज एजेंसियों के माध्यम से किया जायेगा | जबकि मिनी किट्स के लिए बीजों का वितरण केन्द्रीय बीज उत्पादक एजेंसियों के माध्यम से किया जाएगा |

इससे कितना उत्पादन तथा क्षेत्रफल बढने की उम्मीद है ?

भारत सरकार तेलहन की उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष खरीफ कार्यक्रम चला रही है | जिसके माध्यम से तिलहन (सोयाबीन तथा मूंगफली) के अंतर्गत अतिरिक्त 6.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बढने की उम्मीद है | इसके साथ ही 120.26 लाख क्विंटल तिलहन तथा 24.26 लाख टन खाद्य तेल के उत्पादन का अनुमान है |

पिछले पांच वर्षों में तिलहन उत्पादन

केंद्र सरकार के अनुसार वर्ष 2014–15 में देश में तिलहन का उत्पादन 27.51 मिलियन टन था जो वर्ष 2020–21 में बढ़कर 37.31 मिलियन टन हो गया है | इसके लिए देश में तिलहन का उत्पादन तथा उत्पादकता को बढ़ाना पड़ा है | इसी अवधि में तिलहन का रकबा 25.99 मिलियन हेक्टेयर बढ़ा है, जबकि उपज में समान अवधि में 1,075 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से बढ़कर 1,295 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर हो गया है |  

72 हजार पशुपालकों को दिए गए गोबर खरीदी के 7 करोड़ 17 लाख रूपये

पशुपालकों को किया गया गोबर खरीदी का भुगतान

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के द्वारा चलाई जा रही गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों से 2 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदा जाता है | जिससे पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी होती है | गोधन न्याय योजना के तहत प्रत्येक 15 दिनों में पशुपालकों को गोबर खरीदी का भुगतान किया जाता है | इस बार पशुपालकों को 2 माह पूरा होने पर भुगतान किया जा रहा है |

15 मार्च से 15 मई राज्य के दौरान राज्य जे कुल 72 लाख पशुपालकों से गोबर की खरीदी की गई है जिसका 7 करोड़ 17 लाख रूपये का भुगतान किया गया है | इसके आलवा गौठानों तथा महिला स्व–सहायता समूहों को 3.6 करोड़ रूपये की राशि ऑनलाइन अंतरित की गई हैं |

2 माह में 72 हजार पशुपालकों को दिए गए 7 करोड़ 17 लाख रूपये

योजना के अनुसार प्रत्येक 15 दिनों में पशुपालकों को गोबर क्रय का भुगतान किया जाता है | इस बार भुगतान में देरी हुई है इस कारण 2 माह का भुगतान एक साथ किया गया है | 2 माह पूरा होने पर 72 हजार पशुपालकों को 7 करोड़ 17 लाख रूपये का भुगतान किया गया है | अभी तक गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों तथा ग्रामीणों को 88 करोड़ 15 लाख रूपये का भुगतान किया गया है | 15 दिनों पर सरकार के द्वारा गोबर खरीदने तथा उसकी राशि इस प्रकार है |

  • 15 से 31 मार्च :- इन 15 दिनों में राज्य के 30,452 पशुपालकों से गोबर खरीदा गया था | इन पशुपालकों को 15 दिन का राशि 3.52 करोड़ बनता है |
  • 1 अप्रैल से 15 अप्रैल :- इन 15 दिनों में राज्य के 22,922 पशुपालकों से गोबर खरीदा गया था | इन पशुपालकों का 2.14 करोड़ रूपये की राशि 15 दिनों में बना था |
  • 16 अप्रैल से 30 अप्रैल :- इन 15 दिनों में राज्य के 10,360 पशुपालकों से गोबर की खरीदी किया गया था | इन 15 दिनों में गोबर क्रय की राशि 0.88 करोड़ रूपये बनता था |
  • 1 मई से 15 मई :- इन 15 दिनों में राज्य के 8,157 पशुपालकों से गोबर की खरीदी किया गया था | इन 15 दिनों में गोबर क्रय की राशि 0.63 करोड़ रूपये बनता था |

6 रूपये प्रति किलोग्राम में बेचा जाएगा वर्मी कम्पोस्ट (सुपर कम्पोस्ट)

गोधन न्याय योजना से क्रय किये गये गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाई जाती है | इसके लिए गांवों में गौठान बनाए गए है, जहाँ पर ग्रामीण महिलाओं के द्वारा क्रय किये गये गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाता है | इस वर्मी कम्पोस्ट को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुपर कम्पोस्ट का नाम दिया है | इस सुपर कम्पोस्ट (वर्मी कम्पोस्ट) का न्यूनतम मूल्य 6 रूपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है | अब कोई भी सुपर कम्पोस्ट को 6 रूपये प्रति किलोग्राम किए भाव से खरीदा सकता है |

अभी तक राज्य में मात्र 5 हजार किसानों से ही खरीदा गया समर्थन मूल्य पर गेहूं

समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी

समर्थन मूल्य पर रबी फसलों की खरीदी का अंतिम दौर चल रहा है, ऐसे में जो किसान अपनी फसलों को समय पर नहीं बेच पायें हैं वह किसान जल्द से जल्द अपनी उपज समय पर बेचना चाहते हैं | जहाँ कुछ राज्यों में रबी फसल की खरीदी का लक्ष्य पूर्ण होने वाला हैं वहीँ बिहार राज्य अभी काफी पीछे रह गया है | बिहार में 20 अप्रैल से राज्य में गेहू, चना, मसूर की खरीदी शुरू की गई थी | राज्य में 15 मई तक गेहूं की खरीदी किया जाना था लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक के बाद खरीदी का समय बढ़ाकर 31 मई कर दिया है |

राज्य में गेहूं खरीदी की बात की जाए तो यह लक्ष्य का 10 प्रतिशत भी पूरा नहीं करता है | राज्य सरकार ने जितना खरीदी का लक्ष्य रखा था उतने किसानों ने गेहूं बेचने के लिए पंजीयन भी नहीं करायें हैं और रही बात खरीदी केंद्र की तो वह भी सरकार के द्वारा बताये गये लक्ष्य से काफी कम है |

गेहूं खरीदी में लक्ष्य से काफी पीछे है खरीदी

राज्य में गेहूं की खरीदी सभी 38 जिलों में चल रही है | बिहार सरकार की सहकारिता विभाग की वेबसाईट के अनुसार राज्य में 21/05/2021 तक 5,038 किसानों से 25310.79 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी किया गया | राज्य में गेहूं खरीदी का 1 माह पूरा हो गया है लेकिन गेहूं खरीदी कुल लक्ष्य का लगभग 3 प्रतिशत पूरा हुआ है |   

राज्य में गेहूं खरीदी का लक्ष्य 7 लाख मैट्रिक टन का था लेकिन राज्य के कुल 28,925 किसानों के द्वारा 133507.65 मैट्रिक टन गेहूं बेचने के लिए पंजीयन कराया है | ऐसे में जिन किसानों ने अभी तक गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण नहीं करवाया है वह पंजीयन करवा सकते हैं |gehu bechne ke liye kisan

सरकार ने गेहूं खरीदी के लिए रखा था 7 लाख टन का लक्ष्य

राज्य में गेहूं खरीदी की शुरुआत में लक्ष्य 1 लाख टन का रखा गया था लेकिन मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में गेहूं उपार्जन का लक्ष्य बढ़ाकर 7 लाख टन कर दिया गया था | यह सभी गेहूं केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (1975 रूपये प्रति क्विंटल) पर किया जाना था |

गेहूं खरीदी केन्द्रों में लक्ष्य के अनुसार काफी कमी है

राज्य सरकार के कृषि मंत्री के तरफ से यह बताया गया था की 20 अप्रैल से राज्य में होने वाले गेहूं खरीदी के लिए 6400 खरीदी केंद्र स्थापित किये गये हैं लेकिन एक माह से राज्य में गेहूं की खरीदी चल रही है | यह खरीदी राज्य के 38 जिलों के 5097 केन्द्रों पर ही की जा रही है |

एक किसान अधिकतम 150 क्विंटल गेहूं बेच सकता है

राज्य में गेहूं रैयत तथा गैर रैयत किसान दोनों बेच सकते हैं | सरकार को रैयत किसान अधिकतम 150 क्विंटल गेहू बेच सकते हैं तथा गैर रैयत किसान अधिकतम 50 क्विंटल गेहूं बेच सकते हैं | गैर रैयत के अंतर्गत लीज पर भूमि लेकर खेती करने वाले किसान, बटाई पर खेती करने वाले किसान को शामिल किया गया है |