जानिए कैसी होगी सितम्बर महीने में मानसूनी वर्षा

सितम्बर माह के लिए मानसून पूर्वानुमान

देश में इस वर्ष के लिए मानसून का अंतिम माह चल रहा है | इस वर्ष जहाँ कई स्थानों पर अभी तक अधिक बारिश के चलते बाढ़ आ गई तो अनेक स्थानों पर कम बारिश के चलते सूखे की स्थिति बनी हुई है | ऐसे में लोगों को मानसून के आखरी चरण से काफी उम्मीदें बनी हुई है | भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने मानसून सीजन में सामान्य वर्षा होने की उम्मीद अपने पहले के पूर्वानुमान में ही बता चूका है | साथ ही पूर्वानुमान के अनुसार ही जून में सामान्य से अधिक वर्षा एवं जुलाई माह में सामान्य या सामान्य से कम वर्षा का अनुमान लगाया गया था, वहीँ अगस्त माह में अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य बारिश हुई है | मौसम विभाग ने सितम्बर महीने के लिए मानसून का पूर्वानुमान जारी कर दिया है |

देश भर में 2021 सितम्बर माह के लिए वर्षा सम्भावित पूर्वानुमान

माह सितम्बर 2021 के दौरान पूरे देश में औसत वर्षा सामान्य से अधिक दीर्घावधि LPA का 110 प्रतिशत होने की सम्भावना है | जिसमें 1961-2010 के आंकड़ों के आधार पर सितम्बर के दौरान वर्षा का दीर्घावधि औसत LPA 170 मि.मी. है | सितम्बर 2021 के दौरान अपेक्षित सामान्य वर्षा गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए, जून से अगस्त के दौरान की वर्षा 9 प्रतिशत कम होने की सम्भावना है और 1 जून से 30 सितम्बर के दौरान संचित वर्षा सामान्य के निचले छोर के आसपास होने की संभवना है |

पूर्वानुमान के अनुसार मध्यभारत के कई क्षेत्रों में सामान्य से अधिक से लेकर सामान्य वर्षा होने की सम्भावना है | उत्तरपश्चिम और उत्तर पूर्व तथा प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश दक्षिणी हिस्सों में सामान्य से लेकर सामान्य से नीचे वर्षा होने की संभावना है |

राज्यवार कैसा रहेगा सितम्बर माह में मानसून

monsoon forecast for september 2021

जैसा की चित्र में नीले रंग से दर्शाया गया है मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तर –पूर्वी एवं तटीय महाराष्ट्र, गुजरात, पूर्वी राजस्थान, झारखण्ड, तटीय कर्नाटक, तेलंगाना आदि राज्यों में अधिकांश स्थानों पर सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश होने की स्मभ्वना है | वहीँ चित्र में पीले एवं लाल रंग से दर्शाया गया है कि पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल एवं तमिलनाडु का अधिकांश क्षेत्र, राज्यों में अधिकांश स्थानों पर सामान्य या सामान्य से कम बारिश होने की स्मभ्वना है |

कई जिलों में कम बारिश के चलते फसलों को भारी नुकसान, मुख्यमंत्री ने जल्द सर्वे के दिए निर्देश

कम बारिश से फसलों की नुकसान के आंकलन हेतु सर्वे

इस वित्त वर्ष में मानसून का वितरण असामान्य रहने के कारण देश के अधिकांश राज्यों के जिलों में कहीं बहुत अधिक बारिश से तो कहीं कम बारिश से किसानों की खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है | कम वर्षा के चलते किसानों की खड़ी फसलें सूखने लगी है | ऐसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में अल्पवृष्टि के कारण फसलों को हुए नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में अल्पवृष्टि के कारण सूखने से फसलों को नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने अल्पवृष्टि से किसानों को हुए नुकसान का संयुक्त सर्वे दल के माध्यम से आंकलन करने के निर्देश दिए हैं।

किसानों को जल्द दिया जाये मुआवजा

श्री गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि राजस्व विभाग, कृषि विभाग तथा इंश्योरेंस कंपनी संयुक्त रूप से सर्वे कर किसानों को हुए नुकसान का आंकलन करे। इसके आधार पर प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे की कार्यवाही की जाए। मुख्यमंत्री ने अल्पवर्षा वाले जिलों में पेयजल, चारा डिपो, पशु शिविर आदि के लिए अभी से समस्त अग्रिम तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं |

14 जिलों में कम वर्षा के चलते फसलों को हुआ नुकसान

31 अगस्त तक प्रदेश में सामान्य औसत से 12.30 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। राज्य के 14 जिलों- सिरोही, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, पाली, राजसमंद एवं उदयपुर में औसत से कम वर्षा हुई है। इन जिलों में जिन स्थानों पर खराबा हुआ है, वहां सर्वे एवं गिरदावरी की कार्यवाही जल्द से जल्द पूरी करवाकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी |

इन जिलों में सामान्य से अधिक बारिश

सिर्फ पांच जिले ऐसे हैं जिनमें सामान्य से अधिक बारिश हुई है. इनमें बारां, बूंदी, झालावाड़, कोटा और सवाई माधोपुर शामिल हैं | मुख्यमंत्री ने कहा है कि बीते दिनों बारां, बूंदी, झालावाड़, कोटा, सवाई माधोपुर, धौलपुर, करौली, भरतपुर एवं टोंक जिलों में अतिवृष्टि के कारण फसलें काफी खराब हुई हैं | उसके आकलन के लिए राज्य सरकार ने उसी समय विशेष गिरदावरी के निर्देश दे दिए थे | संबंधित जिला कलेक्टर इस काम को जल्द से जल्द पूरा करें |

जिला कलेक्टरों को जारी किए निर्देश

मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने मंगलवार को जिला कलेक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा कर वर्षा की कमी के कारण फसलों में खराबे की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर खराबा हुआ है, वहां सर्वे एवं गिरदावरी की कार्यवाही जल्द से जल्द पूरी करवाकर रिपोर्ट भिजवाएं ताकि किसानों को शीघ्र राहत दी जा सके।

इस योजना के तहत 6000 रुपये पाने के लिए अभी करें आवेदन

भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत 6 हजार रुपये

किसानों की आमदनी दुगना करने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनायें चलाई जा रही है | इसके तहत किसानों को कृषि इनपुट सहायता राशि दी जाती है | वर्ष 2018 के दिसम्बर से देश के किसानों के लिए पीएम किसान योजना चलाई जा रही है | इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ से अधिक किसान परिवार लाभन्वित हो रहे हैं |

लेकिन देश में कोई इस प्रकार की योजना नहीं है जो कृषि भूमिहीन मजदूरों के लिए चलाई जा रही हो | छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के भूमिहीन किसान मजदूरों के लिए “राजीव गाँधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना” लेकर आई है | इस योजना के तहत राज्य के भूमिहीन मजदूरों को 6,000 रुपया प्रति वर्ष दिए जाएंगे | यह योजना अपने आप में यूनिक है | इस योजना का लाभ छत्तीसगढ़ के किसान 1 सितम्बर 2021 से उठा सकते हैं |

योजना का लाभ लेने के लिए कब कर सकते हैं आवेदन

राजीव गाँधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदुर न्याय योजना के अंतर्गत 1 सितम्बर 2021 से आवेदन प्रक्रिया प्रारम्भ की जा चुकी है | योजना के तहत पात्र व्यक्ति अपना आवेदन 30 नवम्बर 2021 तक कर सकेगा | योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन किए जाने का प्रावधान है |

कौन से व्यक्ति ले सकते हैं योजना का लाभ

योजना के अंतर्गत पात्रता केवल छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को होगी | ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे सभी मूल निवासी भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे | जिस परिवार के पास कृषि भूमि नहीं है | पट्टे पर प्राप्त शासकीय भूमि यथा–वन अधिकार प्रमाण पत्र को कृषि भूमि माना जाएगा | ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढई, लोहार, मोची, नाई, धोबी, पुरोहित जैसे – पौनी – पसारी व्यवसाय से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा शासन द्वारा समय–समय पर नियत अन्य वर्ग भी पात्र होंगे, यदि उस परिवार के पास कृषि भूमि नहीं है |

योजना के तहत 6 हजार रुपये कैसे दिए जाएंगे

“राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना” को वित्त वर्ष 2021-22 से प्रारंभ किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र मे भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों की पहचान करना तथा भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को वार्षिक आधार पर आर्थिक अनुदान उपलब्ध कराना है। जिससे की आर्थिक अनुदान के माध्यम से भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के शुद्ध आय मे वृद्धि हो सके। योजनांतर्गत अनुदान सहायता राशि मे अंतिम रुप से चिन्हांकित हितग्राही परिवार के मुखिया को राशि 6000 रु. अनुदान सहायता राशि प्रतिवर्ष दो किश्तों में दी जायेगी।

पंजीयन कहाँ से किया जायेगा ?

योजना अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु इच्छुक ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदुर परिवारों के मुखिया को निर्धारित समयावधि में राजीव गाँधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदुर न्याय योजना के पोर्टल rggbkmny.cg.nic.in में पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा |

पंजीयन के लिए क्या – क्या दस्तावेज लगेगा ?

योजना के तहत राज्य के सभी पंचायतों में भुईया रिकार्ड के आधार पर ग्रामवार बी-1 तथा खसरा की प्रतिलिपि चस्पा की जाएगी, जिससे भू-धारी परिवारों की पहचान स्पष्ट हो सके तथा भूमिहीन परिवारों को आवेदन भरने में सुविधा प्राप्त हो सके |

हितग्राही परिवार आवश्यक दस्तावेज यथा – आधार नंबर, बैंक पासबुक की छायाप्रति के साथ आवेदन सचिव, ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत किया जाना होगा | आवेदन में यथासंभव मोबाईल नंबर का भी उल्लेख किया जाना होगा | हितग्राही परिवार आवेदन की पावती ग्राम पंचायत सचिव से प्राप्त कर सकेगा |

जैविक खेती के लिए बनायें लोगो एवं टैग-लाइन और जीते 51 हजार रुपये का ईनाम

लोगो एवं टैग लाइन डिजाइन पर पुरस्कार

कृषि के क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग करने के लिए तथा कृषि में लागत मूल्य को कम करने के लिए देश भर में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है | किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकारें विभिन्न प्रकार के योजनायें चलाई जा रही है | जिसमें सब्सिडी के साथ ही साथ जैविक खाद और कीटनाशक बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है |

बिहार सरकार राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य के 13 जिलों में जैविक काँरिडोर योजना चला रही है | यह योजना 5 वर्षों के लिए वर्ष 2017 से 2022 तक चलाई जाएगी | जैविक खेती में मिल रही सफलता के कारण बिहार राज्य जैविक मिशन की स्थापना की गई हैं | अभी तक इस योजना से राज्य के 187 किसान समूहों ने पंजीयन कराया है | जिसे जैविक खेती का सी.-1 प्रमाणपत्र दिया गया है |

राज्य सरकार किसानों के बीच जैविक खेती के बढ़ावा और लोकप्रिय बनाने के लिए एक टैग लाइन तथा लोगो बनाने जा रही है | इसके लिए बिहार कृषि विभाग ने देश के सभी राज्यों से लोगो तथा टैगलाइन की मांगे हैं | अगर प्रतिभागी का टैगलाइन चयन कर लिया जाता है तो उसे पुरस्कार दिया जाएगा |

टैग लाइन (TagLINE) का मापदंड क्या है ?

विजेता प्रविष्टि का मूल्यांकन निम्नलिखित मानदंडों के अनुसार होगा |

  • टैगलाइन संक्षिप्त होनी चाहिए | (अनुशंसित शब्द सीमा 10 शब्दों से अधिक नहीं)
  • लाइन में जैविक और सतत कृषि, विष मुक्त खेती, पोषण लाभ और खाद्ध सुरक्षा का सार सामने आना चाहिए |
  • टैगलाइन आसानी से समझने योग्य और समकालीन होनी चाहिए |
  • लाइन को विभिन्न हितधारकों के बीच जैविक खेती के मूल्य को प्रतिध्वनित करना चाहिए |

Logo लोगो का मापदंड क्या है ?

विजेता प्रविष्टि का मूल्यांकन निम्नलिखित मानदंडों के अनुसार होगा |

  • लोगो (प्रतीक चिन्ह), जैविक खेती, खाद्ध सुरक्षा, पोषण सुरक्षा, सुरक्षित और टिकाऊ कृषि के सार को प्रदर्शित करे |
  • Logo लोगो (प्रतीक चिन्ह) के द्वारा यह संदेश जाना चाहिए कि जैविक खेती एक परिवर्तनकारी अवसर है जो किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में तथा विष मुक्त कृषि कार्य में सहायता करेगा |
  • लोगो (प्रतीक चिन्ह) समकालीन और आसानी से समझने योग्य होना चाहिए |
  • Logo लोगो (प्रतीक चिन्ह) जीवंत और आधुनिक होना चाहिए | प्रत्येक प्रविष्टि के साथ एक संक्षिप्त तर्कसंगत और रचनात्मक विचारों (100 शब्दों से अधिक नहीं) का स्पष्टीकरण संलग्न होना चाहिए |

पुरस्कार राशि कितनी दी जाएगी ?

बिहार कृषि निदेशक ने के अनुसार दो प्रकार के पुरस्कार दिये जाएंगे | अगर प्रतिभागी के द्वारा लोगों (प्रतीक चिन्ह) डिज़ाइनिंग बनता है तो इस कार्य के लिए चयनित विजेता को 51,000 रूपये तथा प्रशंसा पत्र दिये जायेंगे | इसके साथ ही टैगलाइन (प्रचार वाक्य) लेखन के चयनित विजेता को 21,000 रूपये तथा प्रशंसा पत्र दिया जायेगा |

कब तक आवेदन करना है ?

प्रचार वाक्य तथा प्रतीक चिन्ह के लिए ऑनलाइन तथा आँफलाइन शुरू हो चुका है | अंतिम आवेदन 21 सितम्बर 2021 के रात्रि 11:59 तक किया जा सकता है |

कहाँ भेजना है ?

सभी आवेदन आँनलाइन जमा किए जाएंगे या लिफाफे पर कैप्शन (प्रचार वाक्य (tag-line)लेखन प्रतियोगिता) के साथ निचे दिए गए पते पर भेजे जाएंगे |

  1. बिहार राज्य जैविक मिशन के लिए “प्रचार वाक्य (tage-line) बनाने की प्रतियोगिता |
  2. पता :-निदेशक कृषि – सह – मिशन निदेशक
  • बिहार राज्य जैविक मिशन
  • कृषि निदेशालय
  • दूसरी मंजिल, विकास भवन (पटना)
  • पिन कोड – 8000015 या आनलाइन भेजने के लिए इस ई-मेल आईडी पर भेजें – [email protected]

लोगो तथा टैगलाइन भेजने के लिए फ़ार्म डाऊनलोड करें 

बिहार कृषि विभाग ने देश के प्रतिभागियों के लिए लोगो तथा टैगलाइन के लिए एक फार्मेट दिया है | उस फार्मेट को भरकर भेजना होगा | लोगो तथा फार्मेट के लिए यहाँ से डाउनलोड करें |jaivik mission application formjaivik mission bihar

किसानों को अब नहीं होना पड़ेगा परेशान, एक ही जगह पर आसानी से मिलेगा सभी योजनाओं का लाभ

राज किसान साथी पोर्टल पर किसानों को मिलेगा सभी योजनाओं का लाभ

देश में केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं परन्तु अधिकांश किसान जानकारी के आभाव में इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं | ऐसे में किसानों को बिचौलियों से मुक्ति और पारदर्शी तरीके से योजनाओं का लाभ पहुँचाने के लिए सरकार द्वारा अब अधिक से अधिक योजनाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है | इसी कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने राज किसान साथी पोर्टल rajkisan.rajasthan.gov.in का लोकार्पण किया। यह किसानों को डिजिटल तकनीक से जोड़कर उन्नत कृषि और कृषि विपणन की ओर आगे बढ़ाने में अहम होगा।

मुख्यमंत्री ने वर्ष 2019-20 के बजट में घोषणा की थी कि जिस तरह से व्यापारियों के लिए ‘ईज ऑफ डूईंग बिजनेस’ के रूप में अनेक सुविधा दी गई है। इसी तरह किसानों के लिए भी ‘इज ऑफ डूईंग फार्मिंग ’ के रूप में सुविधा दी जाएगी। सरकार ने इसके लिए एकल खिड़की के रूप में राज किसान साथी पोर्टल बनाया गया है। किसानों के लिए चलाई जा रही सभी योजनाओं की जानकारी और उनका लाभ लेने के लिए आवेदन की सुविधा इसी पोर्टल पर उपलब्ध कराई गई है। आवेदन प्रकिया को इसमें सरल, सुगम और पेपरलैस बनाया गया है। इससे आवेदनों के निस्तारण में गति आयेगी और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

राज किसान सार्थी पोर्टल पर विकसित होंगे 144 मॉड्यूल्स

यह पोर्टल सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग तथा राजकॉम्प इन्फो सिस्टम लिमिटेड के माध्यम से विकसित करवाया जा रहा है। यह कार्य चरणबद्ध रूप में पूर्ण किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत कृषि एवं सम्बंधित विभागों के कुल 144 मॉड्यूल्स विकसित किये जाएंगे, जिनमें से वर्ष 2020-21 में 46 मॉड्यूल्स तैयार किये जा चुके हैं तथा 2021-22 में 50 मॉड्यूल्स बनाये जा रहे हैं।

किसान स्वयं कर सकेंगे आवेदन

राज किसान साथी पोर्टल पर आवेदक ई-मित्र के अलावा स्वयं के स्तर पर जनाधार या एसएसओ आईडी के जरिए आवेदन कर सकता है। आवेदन प्रक्रिया को एकदम सरल कर दिया गया है। पहले आवेदन फार्म बड़ा था, जिसमें लगभग 40 तरह की सूचना भरनी होती थी और 7 तरह के दस्तावेज आवेदन फार्म के साथ अपलोड करने पड़ते थे, फिर इन सभी दस्तावेजों की फाइल बनाकर विभाग के कार्यालय में जमा करवानी पड़ती थी।

अब राज किसान साथी पोर्टल पर जनाधार नम्बर डालते ही किसान का फोटो, पता, बैंक खाता आदि का विवरण अपने आप आ जाता है। साथ ही, किसान की जमाबंदी और नक्शा राजस्व विभाग के ई-धरती पोर्टल से आवेदन में आ जाएगा। आवेदक को केवल जमीन की खाता और खसरा संख्या भरनी होगी। अब किसी तरह की पत्रावली कार्यालय में जमा नहीं करवानी होगी। ऑनलाइन आवेदन करते ही विभाग के कार्यालय में पहुंच जाएगा और किसान के मोबाइल पर संदेश आ जाएगा।

आवेदन से भुगतान तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन

विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री भास्कर सावंत ने बताया कि कार्यालय में आवेदन की जांच भी ऑनलाइन होगी। मौके पर भौतिक सत्यापन भी मोबाइल एप के जरिये ऑनलाइन होगा, जिसमें आवेदक किसानों के फोटो के साथ समय, तारीख और स्थान आएगा। कार्यालय में प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति भी ऑनलाइन जारी होगी और लाभार्थी के जनाधार से जुड़े बैंक खाते में अनुदान सहायता का भुगतान कर दिया जाएगा। यानि आवेदन से लेकर भुगतान तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।

अब तक 2 लाख से अधिक आवेदन पोर्टल पर आए

कृषि आयुक्त डॉ. ओमप्रकाश ने बताया कि कृषि, उद्यान और कृषि विपणन की प्रमुख योजनाएं जैसे फार्म पौण्ड, डिग्गी, जल हौज, सिंचाई पाइप लाइन, कृषि यंत्र, ड्रिप, स्प्रिंकलर, ग्रीन हाऊस, शैडनेट, राजीव गांधी कृषक साथी योजना, कृषि विषय लेकर पढ़ाई करने वाली छात्राओं को प्रोत्साहन राशि आदि के अब तक 2 लाख से अधिक आवेदन इस पोर्टल पर आए हैं।

बीज, खाद और कीटनाशी के लाइसेन्स भी ऑनलाइन

कृषि प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही पूंजी निवेश और भाड़ा अनुदान योजना के ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी इसी पोर्टल पर दी गई है। बीज, खाद और कीटनाशी के निर्माता और विक्रेताओं को लाइसेन्स भी ऑनलाइन जारी किए जा रहे हैं। स्प्रिंकलर, ड्रिप, पाइपलाइन निर्माताओं एवं बीटी कपास के विक्रेताओं का पंजींयन भी ऑनलाइन किया जा रहा है।

प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर आएगा मोबाइल संदेश

आवेदक किसान एवं व्यापारियों को एक और सुविधा है कि प्रक्रिया के प्रत्येक चरण की जानकारी उनके मोबाइल पर संदेश के माध्यम से भेजी जाती है। आवदेक को कार्यालय में संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। वह अपने आवेदन की स्थिति की जांच ऑनलाइन भी कर सकते हैं।

इस वर्ष 4443 हेक्टेयर क्षेत्र में 10 करोड़ रुपये से अधिक के अनुदान पर की जाएगी बांस की खेती

अनुदान पर बांस की खेती

कम समय में लकड़ी के लिए तैयार होने वाले पौधों में बांस महत्वपूर्ण है | बांस की खेती कम समय में अधिक मुनाफा देने के लिए जानी जाती है | इसकी खेती में एक और भी खासियत यह है की इसकी एक बार बुवाई के बाद सालों–साल बुवाई करने की जरूरत नहीं होती है | किसानों की आमदनी बढ़ाने में बांस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है |

किसानों का बांस के प्रति रुझान लाने तथा अधिक से अधिक खेती करने के लिए सरकार सब्सिडी के रूप में प्रोत्साहन भी किसानों को दे रही है | केंद्र सरकार ने देश भर में बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन की शुरुआत की है | मध्य प्रदेश में भी बांस की खेती पर अनुदान दिया जा रही है तथा इसकी खेती में लगतार वृद्धि हो रही है |

7.20 करोड़ रूपये का दिया गया अनुदान

मध्य प्रदेश के वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि मध्य प्रदेश मिशन बोर्ड द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 3,597 किसानों द्वारा 3520 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया गया था | इन किसानों को तकरीबन 7 करोड़ 20 लाख रूपये की सब्सिडी (अनुदान) उपलब्ध कराया गया | स्व-सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से 83 स्व-सहायता समूहों द्वारा मनरेगा में 1020 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपण किया गया |

4443 हेक्टेयर क्षेत्र में होगा बाँस रोपण

वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि चालु वित्तीय साल में 3 हजार से ज्यादा किसानों द्वारा 4,443 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किय जा रहा है | इसके लिए 10 करोड़ 60 लाख रूपये का अनुदान दिया जाएगा | इसी तरह पिछले साल में इस साल 46 और स्व-सहायता समूहों को जोड़ा गया है | इसी तरह कूल 129 स्व-सहायता समूहों द्वारा 2428 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया जा रहा है |

बांस की खेती से कितना लाभ होता है ?

यह एक ऐसा पौधा है जो कम समय में तैयार हो जाता है | इसकी खेती बहुत ही आसानी और कम खर्चे में हो जाती है | बांस लगाने के चौथे साल से प्रति भिर्रा न्यूनतम 10 बांस तकरीबन 40 फीट लम्बे हो जाते हैं | इस तरह 40 हजार पौधे से इतने ही बांस उपलब्ध हो जाते हैं | प्रति बांस 100 रूपये के हिसाब से बिकता है | इनकी बिक्री से 40 लाख रूपये की फसल हितग्राही को मिल सकती है | इसके अलावा बांस के पत्ते से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा सकता है | बांस प्रति एकड़ एक वर्ष में 1,000 क्विंटल पत्ती उपलब्ध कराती है |

कितना अनुदान दिया जाता है ?

रष्ट्रीय बांस मिशन के तहत बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है | बांस की खेती पर हितग्राही को प्रति पौधा 120 रूपये का अनुदान तीन वर्ष में मिलता है | पहले साल 60 रूपये, दुसरे साल 36 रूपये और तीसरे साल 24 रूपये का अनुदान मिलता है |

किसान बांस की खेती के लिए कैसे आवेदन करें ?

बांस की खेती पर अनुदान प्राप्ति के लिए किसान को ऑनलाइन आवेदन करना होगा | किसान अपना आवेदन आँन–लाइन पोर्टल के माध्यम से ebamboobazor.com से आवेदन कर सकते हैं | इसके अलावा किसान स्थानीय वनाधिकारी के कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं |

सूखा प्रभावित किसानों को सरकार देगी 9000 रूपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान

सूखा प्रभावित किसानों को मुआवजा

इस वर्ष देश में मानसूनी बारिश का वितरण असामान्य रहा है, जिसके चलते कई जिलों में जहाँ अधिक बारिश के चलते किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है तो कई जिलों में कम बारिश के चलते किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है | ऐसे में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों के हित में एक बड़ा ऐलान किया है | सरकार ने किसानों को सूखे से प्रभावित फसलों के लिए 9000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने का फैसला लिया है |

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अभी राज्य के कई क्षेत्रों में अल्पवृष्टि और अनावृष्टि के चलते सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। छत्तीसगढ़ की सरकार विपदा की हर घड़ी में किसानों के साथ खड़ी है। जिन किसान भाईयों ने अभी खरीफ सीजन में धान, कोदो-कुटकी, अरहर की बुवाई की है, यदि वर्षा के अभाव में उनकी फसल खराब हो जाती है। चाहे उत्पादन हो अथवा न हो, उन्हें सरकार प्रति एकड़ 9000 रुपये की सहायता देगी। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत सूखा प्रभावित किसानों को भी गिरदावरी सर्वे के आधार पर प्रति एकड़ 9000 रुपये के मान से मदद दी जाएगी।

किसान न्याय योजना के तहत भी दी जाएगी सहायता

राज्य में किसानों को राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ वर्ष-2021 के लिए 14 फसलों पर 9,000 रूपये की इनपुट सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | यह 14 फसलें इस प्रकार है – धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, रामतिल, कोदो, कुटकी, कुल्थी, रागी तथा गन्ना |

इसके अलावा खरीफ वर्ष 2020-21 में जिन खेतों में धान लगाई थी यदि किसान उन खेतों में धान को छोड़कर अन्य फसल जैसे कोदो–कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान अन्य फोर्टीफाईड धान, केला, पपीता लगता है, अथवा वृक्षारोपण करता है तो उसे प्रति एकड़ 10,000 रूपये इनपुट सब्सिडी दी जाएगी | वृक्षा रोपण करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 10,000 रुपये तीन वर्षों तक दिए जाएंगे |

सोयाबीन की फसल में इस समय लगने वाले इन कीट-रोगों का नियंत्रण इस तरह करें

सोयाबीन की फसल में कीट-रोग

इस समय सोयाबीन की फसल में फूल आने की शुरूआत हो चुकी है | कुछ राज्यों में अगेती बुवाई वाली सोयाबीन में फल लगना भी शुरू हो गए है | इसके साथ ही फसलों पर इल्लियों के साथ–साथ चूहों एवं अन्य कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ने लगा है | सोयाबीन की फसल को नुकसान से बचाने के लिए जरुरी है कि किसान समय पर कीट-रोगों की पहचान कर उनका नियंत्रण करें | किसानों को सोयाबीन की फसल में इस समय पर लगने वाले कीट-रोगों से बचाव के लिए यह कार्य करना चाहिए:-

सोयाबीन की फसल में लगने वाले फफूंदजनित रोग का नियंत्रण

एथ्राक्नोज तथा रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफुन्द्जनित रोगों के नियंत्रण हेतु किसानों को टेबूकोनाजोल (625 मिली/हे.) या टेबूकोनाजोल+सल्फर (1 किलोग्राम/हे.) या पायराक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्लू.जी. (500 ग्राम/हे.) या पायराक्लोस्ट्रोबीन + इपोक्सीकोनाजोल (750 मिली/हे.) या फ्लुक्सापायरोक्साड + पायराक्लोस्ट्रोबिन 350 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिडकाव करना चाहिए |

पीला मोजेक रोग का नियंत्रण कैसे करें ?

पीला मोजेक वायरस व सोयाबीन मोजेक वायरस जैसे विषाणु जनित रोगों के नियंत्रण हेतु किसानों को प्रारंभिक अवस्था में ही ग्रसित पौधों को उखाड़कर तुरंत खेत से निष्काषित कर देना चाहिए तथा सफेद मक्खी व एफिड जैसे रस चूसने वाले रोग वाहक कीटों के नियंत्रण हेतु अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पिला स्टिकी ट्रैप लगाएं | यह भी सलाह हैं कि रोग – वाहकों की रोकथाम हेतु अनुशंसित पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव करें | (इन दवाओं के छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है)

चक्र भृंग का नियंत्रण कैसे करें ?

चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. 750 मिली./हे. या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1250 मि.ली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोयेट (425 मिली./हे.) का 500 लीटर पानी के साथ 1 हेक्टेयर में छिड़काव करें | इसके साथ ही ग्रसित पौधे को तोड़कर फेक दें |

पत्ती खाने वाली इल्लियों को नियंत्रण कैसे करें ?

चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक नोवाल्युरौन + इंडोक्साकार्ब (850 मिली./हे.) या बीटासायफ्लूथ्रिन (125 मिली./हे) का छिड़काव करें | इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है |

चने की इल्ली का नियंत्रण कैसे करें ?

जहाँ पर केवल चने के इल्ली (हेलिकोवेर्पा अर्मिजेरा) का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रैप (हेलिल्युर) लगाये तथा अनुसंशित कीटनाशक लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली./हे.) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मिली/हे.) या इमामेकटीन बेंजोएट (425 मिली.हे.) का छिड़काव करें |

चना मक्खी का नियंत्रण कैसे करें ?

जिन क्षेत्रों में तना मक्खी का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु पुर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + एमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या थायमिथोकसम + लैम्बाडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे.) का छिडकाव करें |

चूहे का नियंत्रण कैसे करें ?

सोयाबीन की शीघ्र पकने वाली किस्में (जे.एस. 95 – 60, जे.एस. 20 – 34 आदि) अभी फलियों में दाने भरने की स्थिति में हैं | इसमें कई जगहों पर सोयाबीन की फलियां टूटकर / कटकर गिर रही हैं | अगर ऐसा हैं तो यह चूहे के काटने से हो सकता है | इसके लिए सोयाबीन की खेत में चूहे की रोकथाम करें | चूहे की रोकथाम के लिए बिस्किट या रोटी में जिंक फास्फाइड मिले आटे की गोलियों को खेत के मेड / चूहों के बील के पास रखें |

सोयाबीन के फूल-फल खाने वाली इल्ली का नियंत्रण कैसे करें ?

फूल लगने की अवस्था में इल्लियों द्वारा फूलों के खाने से अफलन की स्थिति से बचाने हेतु सलाह है की लैम्बडा सायहलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली./हे.) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मिली/हे.) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी. 450 मि.ली. या कलोरएन्ट्राईनिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली./हे.) क छिडकाव करें |

सफेद सूंडी का नियंत्रण कैसे करें ?

कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल में सफेद सुंडी (वाइट ग्रब) का प्रकोप देखा गया है | उसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि कलोरपायरिफाँस (2.5% दानेदार) दवा को 16 किलोग्राम/हैक्टेयर की दर से सोयाबीन की कतारों के बीच बिखेरें |

तूफान एवं अधिक बारिश के चलते हुए फसल नुकसान की भरपाई हेतु अनुदान लेने के लिए अभी आवेदन करें

फसल नुकसान की भरपाई हेतु अनुदान के लिए आवेदन

इस वर्ष देश में कई चक्रवाती तूफान के आने के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है | ऐसे ही एक तूफान “यास” जो इस वर्ष मई माह के अंतिम सप्ताह में आया था जिसके चलते कुछ राज्यों जैसे उड़ीसा, पश्चिम बंगाल एवं बिहार में किसानों की फसलों को अधिक नुकसान हुआ था | अब बिहार सरकार ने राज्य में यास तूफान से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई करने जा रही है | इसके लिए राज्य के किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये हैं |

कृषि इनपुट योजना के तहत कितना अनुदान दिया जायेगा  

योजना का लाभ दो हेक्टेयर तक के किसानों को दिया जायेगा | अगर 2 हेक्टेयर से अधिक में फसलों की नुकसानी हुई है तो भी किसान को 2 हेक्टेयर भूमि पर ही कृषि इनपुट अनुदान दिया जायेगा | फ़ार्म भरते समय किसान को भूमि की जानकारी डिसमिल में देना होता है | 1 हेक्टेयर बराबर 247 डिसमिल होता है | इसलिए कृषि इनपुट अनुदान अधिकतम 494 डिसमिल के लिए दिया जायेगा |

बिहार के 16 जिलों के किसानों को कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत सिंचित तथा असिंचित भूमि के लिए अलग–अलग अनुदान दिया जाएगा | सिंचित क्षेत्र के लिए 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर है तो वहीँ असिंचित क्षेत्र के लिए 6800 प्रति हेक्टेयर दिया जा रहा है | इसके साथ ही गन्ना किसानों को 18,000 रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जायेगा |

इन जिलों के किसान कर सकते हैं कृषि इनपुट अनुदान हेतु आवेदन

यास तूफान से राज्य में हुए फसल नुकसानी की भरपाई के लिए बिहार सरकार ने 16 जिलों का चयन किया है | इन 16 जिलों के किसानों के द्वारा योजना के लाभ के लिए आवेदन करना होगा | राज्य के 16 जिलों के 95 प्रखंडों के 1365 पंचायतों के किसान योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं |

योजना के तहत जिला इस प्रकार है :- पटना, भोजपुर, बक्सर, अरवल, प. चंपारण, वैशाली. दरभंगा, मधुबनी, शेखपुरा, लखीसराय, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया एवं कटिहार

पंचायतों की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें :- http://164.100.130.206/FDSNew/Images/Panchayat_YT.pdf

कौन से किसान पात्र हैं ?

कृषि इनपुट अनुदान के लिए बिहार के 16 जिलों के किसान ही इस योजना के लिए पात्र हैं | इसके साथ ही किसान के पास स्वयं की भूमि होना चाहिए या फिर पट्टाधारी भी इस योजना का लाभ उठा सकता है |

स्वयं भू – धारी होने की स्थिति में भूमि के दस्तावेज के लिए (एलपीसी/जमीन रसीद/वंशावली/जमाबंदी/विक्रय – पत्र), “वास्तविक खेतिहर” के स्थिति में स्व – घोषणा प्रमाण पत्र तथा “वास्तविक खेतिहर + स्वयं भू – धारी” के स्थिति में भूमि के दस्तावेज के साथ – साथ स्व – घोषित पत्र संलग्न करना अनिवार्य है |

स्व- प्रमाणपत्र के लिए यहाँ से डाऊनलोड करें :- http://164.100.130.206/FDSNew/Images/SelfDeclaration_Yas.pdf

कृषि इनपुट सब्सिडी हेतु प्राप्त करने के लिए कहाँ करें आवेदन

यास तूफान से हुए फसलों की नुकसानी के तहत कृषि इनपुट के लिए आवेदन शुरू हो चुके हैं | राज्य के 16 जिलों के 95 प्रखंडों के 1365 पंचायतों के किसान 27 अगस्त से 12 सितम्बर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए किसान को पहले DBT में पंजीयन करना जरुरी है | अगर किसान पहले से पंजीयन करा चुके हैं तो उस पंजीयन संख्या से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन करने के बाद गलती होने पर आवेदन से 48 घंटे के अंदर सुधार कर सकते हैं |

कृषि इनपुट सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

25 सितम्बर से होगी धान एवं अन्य फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद, जल्द ही करें पंजीयन

धान एवं अन्य खरीफ फसलों की खरीद हेतु पंजीयन

खरीफ फसलों की बुवाई हुए लगभग 60 से 90 दिन हो गये हैं, किसान सतम्बर माह के मध्य से खरीफ फसलों की कटाई शुरू करेंगे | खरीफ फसलों में मुख्य: धान, बाजरा, मूंग, सोयाबीन, मक्का, तिल इत्यादि है | किसानों को इन फसलों का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए राज्य सरकारें ज्यादा से ज्यादा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीदती है | सभी सरकारें राज्य के किसानों से फसल बीज खरीदने के लिए पंजीयन शुरू करने जा रही है |

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों से धान सहित अन्य फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य शुरू करने की घोषणा कर दी है | धान की फसल अगले माह से तो अन्य फसलों की खरीदी अक्टूबर माह से प्रारम्भ होगी | जो भी इच्छुक किसान इन फसलों को समर्थन मूल्य पर बेचना चाहते हैं वे किसान जल्द ही अपना पंजीकरण करवा लें |

धान तथा अन्य फसलों की खरीदी कब किया जायेगा ?

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया की राज्य में खरीफ फसलों की खरीदी की तैयारी जोरों पर चल रही है | उन्होंने ने बताया की राज्य में 25 सितम्बर से धान की खरीदी शुरू कर दी जाएगी तथा 15 नवम्बर तक धान की खरीदी किया होगी | वहीँ बाजरा, मक्का और मूंग जैसी फसलों की खरीदी एक अक्टूबर से 15 नवम्बर तक चलेगा |

धान एवं अन्य खरीफ फसलों के लिए केंद्र

खरीफ फसल की खरीदी सुचारू रूप से चले इसके लिए राज्य सरकारें खरीदी केन्द्रों को बाधा रही है | खरीदी केंद्र के बारे में बताया गया है कि धान के लिए 200, बाजरा के लिए 86, मूंग के लिए 38, मक्का के लिए 19 केंद्र बनाए जा रहे हैं |

इस भाव पर खरीदी जाएगी धान एवं अन्य खरीफ फसलें

राज्य में खरीफ फसलों की खरीदी केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2021 में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जायेगा | केंद्र सरकार ने धान के लिए 1940 रूपये प्रति क्विंटल, मक्का के लिए 1870 रूपये प्रति क्विंटल, बाजरा के लिए 2250 रूपये प्रति क्विंटल , मूंग के लिए 7275 रूपये प्रति क्विंटल और मूंगफली के लिए 5550 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया है | इसी मूल्य पर राज्य सरकारें किसानों से खरीफ फसल की खरीदी किया जायेगा |

किसान पंजीयन कहाँ से करायें ?

राज्य के उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि मेरी फसल मेरा व्योरा पोर्टल पर पंजीयन चल रहा है | अभी तक इस पोर्टल पर धान के लिए 2.9 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है तो वहीँ बाजरा के लिए 2.45 लाख और मूंग के लिए 66,000 किसानों ने पंजीयन कराया है |

हरियाणा राज्य के किसानों के लिए तथा अन्य राज्यों के किसानों से फसल खरीदी के लिए पंजीयन चल रहा है | किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसल बेचने के लिएमेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टलपर पंजीयन करना जरुरी है | यह पंजीयन 31 अगस्त तक चलेगा | पंजीयन नहीं कराने पर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार को अपना फसल नहीं बेच पायेंगे | किसान पंजीयन के लिए यहाँ https://fasal.haryana.gov.in/farmer/farmerhome क्लिक करें |