अब किसानों से गोबर खरीदकर किया जाएगा बिजली का उत्पादन

गोबर से बिजली उत्पादन

अभी तक गोबर का उपयोग उपले बनाने, जैविक खाद एवं गोबर गैस बनाने में होता आ रहा है परन्तु पहली बार गोबर से बिजली बनाई जाएगी, जिसके जरिये बिजली से चलने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरण चलाये जाएंगे साथ ही जो खाद बनेगी उसे भी किसानों को कम दरों पर उपलब्ध करवाई जाएगी | सबसे बड़ी बात यह है कि यह काम एक राज्य सरकार करने जा रही है |

छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के तहत गोठानो के जरिये किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीद कर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद पहले से बना रही है | अब उसी गोबर से बिजली तैयार करने की शुरुआत भी 2 अक्टूबर से की जा चुकी है| गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में विभिन्न प्रकार के उत्पादों को तैयार करने के लिए लगी मशीनें भी गोबर की बिजली से चलेंगी।

गोबर से बिजली उत्पादन का हुआ शुभारम्भ

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 2 अक्टूबर के दिन बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल ग्राउंड में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया | मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब विद्युत उत्पादन का काम सरकार और बड़े उद्योगपति किया करते थे। अब हमारे राज्य में गांव के ग्रामीण टेटकू, बैशाखू, सुखमती, सुकवारा भी बिजली बनाएंगे और बेचेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर खरीदी का मजाक उड़ाने वाले लोग अब इसकी महत्ता को देख लें।

गोठानों में गोबर से कितनी बिजली बनाई जाएगी 

छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार एक यूनिट से 85 क्यूबिक घनमीटर गैस बनेगी | चूँकि एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है | इससे एक यूनिट में 153 किलोवाट विद्धुत का उत्पादन होगा | इस प्रकार उक्त तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाईयों से लगभग 460 किलोवाट विद्धुत का उत्पादन होगा, जिससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ–साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा |

इस यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी। इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त होगी। इससे गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ मिलेगा।

गोठानों के माध्यम से की जाती है गोबर की खरीद

छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गाँव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है | जिसमें से 6,112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है | गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक गोबर खरीदी की जा चुकी है | जिसके एवज में किसानों को 102 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चूका है | गोबर गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है |

गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए प्रति किलोग्राम पर ग्रमीणों, किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीदी की जा रही है। वहीँ गोठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट किसानों को 10 रुपये प्रति किलो के दर से दी जाती है |

अब 11 नहीं बल्कि 3 अक्टूबर से शुरू होगी धान एवं अन्य फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद

धान एवं अन्य खरीफ फसलों की MSP पर खरीद

1 अक्टूबर से प्रस्तावित खरीफ फसल की खरीदी को आगे 11 अक्टूबर तक बढ़ा देने के बाद पंजाब तथा हरियाणा राज्य के किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था | आन्दोलन का आह्वान 1 अक्टूबर को कई किसान संगठनों के तरफ से किया गया था | आज दिन भर किसानों के आन्दोलन को देखते हुए हरियाण सरकार ने केन्द्रीय मंत्री से बात करके खरीफ फसल की खरीदी शुरू करने की घोषणा कर दी है |

हरियाणा के मुख्य मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने आज दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री श्री अश्वनी कुमार चौबे से मुलाकात के बाद मिडिया से बात करते हुए बताया है कि 3 अक्टूबर 2021 से खरीफ फसलों की खरीदी शुरू कर दी जाएगी | इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की मंडियों में किसानों के द्वारा काफी मात्रा में धान तथा अन्य फसल को लाया गया है | जिसको देखते हुए खरीदी 3 अक्टूबर 2021 से शुरू की जा रही है |

इससे पहले 1 अक्टूबर को पंजाब के मुख्यमंत्री श्री चरनजीत सिंह चन्नी ने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर धान कि खरीदी जल्द शुरू करने की मांग की थी | पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के द्वारा धान सहित अन्य फसलों की खरीदी शुरू करने की मांग को ध्यान में रखते हुए खरीफ फसल की खरीदी 3 अक्टूबर 2021 से शुरू की जा रही है |

धान में नमी के चलते आगे बढाई गई थी खरीद

हरियाणा तथा पंजाब में खरीफ फसल की खरीदी 1 अक्टूबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर शुरू होने वाली थी लेकिन 30 सितम्बर की शाम दोनों राज्यों को धान तथा अन्य फसलों की सरकारी खरीदी पर रोक लगाने को कहा गया था | इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि धान में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण धान खरीद को स्थगित किया गया है | शुक्रवार को केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि धान के नमूने–पंजाब और हरियाणा में सरकारी उपक्रम, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा जांचे गए | इससे पता चला कि पंजाब के धान में 18 से 22 प्रतिशत नमी थी, जबकि हरियाणा में 18.2 से 22.7 प्रतिशत नमी थी जबकि 17 प्रतिशत की अनुमति योग्य सीमा है |

किसान क्यों हुए आक्रोशित

पहले से तय 1 अक्टूबर को धान तथा अन्य फसलों की खरीदी को ध्यान में रखते हुए पंजाब तथा हरियाणा के किसान पहले से ही मंडियों में धान लेकर आ गये थे | किसान मंडियों में ट्रेक्टर ट्राली में फसल उत्पाद लेकर फसल खरीदी की राह देख रहे थे| जिसके कारण किसानों को काफी परेशानी हो रही है तथा दूसरी तरफ बारिश होने कि संभावना बनी हुई है |

31 मार्च तक सभी किसानों को दिया जाए केसीसी: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

सभी किसानों को दिया जाए किसान क्रेडिट कार्ड

किसानों को आसानी कम ब्याज दरों पर कृषि कार्यों, पशुपालन एवं मछली पालन के लिए बैंक से लोन मिल सके इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई जा रही है | झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने प्रोजेक्ट भवन सभागार में कृषि से जुड़ी केंद्र एवं राज्य प्रायोजित योजनाओं की समीक्षा की | इस दौरान उन्होंने कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग को यूरिया व अन्य खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड निर्गत करने की धीमी गति पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि हर किसान के हाथ में किसान क्रेडिट कार्ड होना चाहिए। यह किसानों के लिए बेहद जरूरी है।

31 मार्च तक सभी किसानों को दिया जाये किसान क्रेडिट कार्ड KCC

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी जिला उपायुक्त केसीसी निर्गत करने के कार्य को गंभीरता से लें। बैंक के साथ समन्वय बनाकर कार्य करें। जिस जिला में केसीसी की स्थिति ठीक नहीं, वहां बेहतर ढंग से कार्य करने की आवश्यकता है। नये किसानों को भी योजना से जोड़ें। सभी उपायुक्त हर सप्ताह बैंक प्रबंधन के साथ बैठक कर अड़चनों को दूर कर किसानों को केसीसी का लाभ दें। 31 मार्च 2022 तक सभी किसानों का केसीसी से आच्छादन सुनिश्चित करें। यह राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना है।

किसानों को दे पशु धन योजना का लाभ

मुख्यमंत्री ने कहा कई जिलों में पशुधन योजना की प्रगति रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है | सभी जिलों के उपायुक्त संबंधित जिलों के जिला पशुपालन पदाधिकारी के साथ बैठक कर योजना में तेजी लाने का कार्य करें | समूह में भी पशुपालन करने वालों को सहयोग दें | इसके लिए क्लस्टर के तौर पर कार्य करें | नवंबर तक पशुधन योजना से अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हों, यह सुनिश्चित होना चाहिए |

राज्य में अभी किसान क्रेडिट कार्ड की स्थिति

पूरे राज्य में 30 लाख किसानों का पीएम किसान योजना के तहत निबंधन हुआ था, उन सभी को केसीसी से लाभान्वित करने का निर्देश दिया गया है | वित्तीय वर्ष 2020-21 में 13 लाख केसीसी के चालू अकाउंट हैं, जिनमें 82,421 नए किसानों को केसीसी प्रदान किया गया है |

आकंड़ों को देखें तो 2016-17 में 5,57,993 केसीसी, 2017-18 में 3,16,218 केसीसी, 2018-19 में 1,55,953 केसीसी, 2019-20 में 5,01,527 केसीसी और 31 मार्च 2021 तक 8,67,609 केसीसी किसानों को जारी किया गया है।

क्या है किसान क्रेडिट कार्ड योजना

केसीसी योजना 1998 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य किसानों को कृषि गतिविधियों के लिए बिना किसी बाधा के समय पर ऋण उपलब्ध कराना था। भारत सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के तहत किसानों को ब्याज़ पर 2 प्रतिशत की आर्थिक सहायता देती है और समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को 3 प्रतिशत की प्रोत्साहन छूट देती है। इस तरह केसीसी पर सालाना ब्याज़ दर 4 प्रतिशत की आती है। सरकार ने किसानों के हित में बड़े कदम उठाते हुए 2019 में केसीसी में ब्याज़ दर में आर्थिक सहायता का प्रावधान शामिल करते हुए इसका लाभ डेयरी उद्योग समेत पशुपालकों और मछ्ली पालकों को भी देने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। साथ ही बिना किसी गारंटी के दिये जाने वाले केसीसी ऋण की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 1.60 लाख कर दिया है।

वर्षा से हुए फसल नुकसान का मुआवजा देने के लिए सरकार ने 15 अक्टूबर तक मांगी गिरदावरी रिपोर्ट

बारिश से फसल नुकसान का मुआवजा

सितम्बर माह में देश के अलग–अलग राज्यों में हुई भारी वर्षा के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है | देश के कुछ जिलों तथा प्रखंडों में किसानों की फसल को 70 से 100 प्रतिशत तक की क्षति हुई है | फसल पकते समय हुई इस वर्षा से फसलों को काफी नुकसान हुआ है | फसलों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए हरियाणा सरकार ने विशेष गिरदवारी कर किसानों को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं |

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 5 सितम्बर 2021 से लेकर अब तक हुई भारी वर्षा और सेम के कारण कपास एवं मूंग की फसलों को हुए नुकसान को आंकने के लिए विशेष गिरदावरी करवाने और उसकी रिपोर्ट 15 अक्टूबर 2021 तक भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि गिरदावरी के बाद किसानों को समय पर मुआवजा दिया जा सके।

इन जिलों में की जाएगी विशेष गिरदावरी

हरियाणा के राजस्व विभाग को हरियाणा सरकार ने गिरदावरी कराने का निर्देश दिया है | मूंग की फसल के लिए राज्य के सभी जिलों में गिरदावरी की जाएगी तथा कपास की फसल के लिए राज्य के पंचकूला, अम्बाला, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर को छोड़कर शेष सभी जिलों में विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट तैयार की जाएगी |

कितना फसल नुकसान होने पर दिया जायेगा मुआवजा

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस विशेष गिरदावरी के तहत उन क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जहां कपास और मूंग की फसलों का खराबा 25 प्रतिशत या इससे अधिक है। सरकार ने मुआवजा वितरण के लिए फसल नुकसानी का वर्ग बनाया है, जो 4 प्रकार के है | फसल नुकसानी का आकलन 25 से 33 प्रतिशत, 33 से 50 प्रतिशत, 50 से 75 प्रतिशत और 75 से शत-प्रतिशत की श्रेणी में फसल नुकसानी को शामिल किया गया है |

अभी इन किसानों को दिया जायेगा मुआवजा

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना या किसी अन्य फसल बीमा योजना के तहत कवर खराबा क्षेत्र को इस विशेष गिरदावरी में शामिल नहीं किया जाएगा।  सभी उपायुक्तों को विशेष गिरदावरी के उपरांत प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के लाभानुभोगी का नाम हटाकर खराबा रिपोर्ट अपने मंडल आयुक्त के माध्यम से 15 अक्तूबर, 2021 तक भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

फसल क्षति का डेटाबेस तैयार करने के लिए एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन विकसित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे मामलों को गलती से मुआवजा न मिले जहां किसानों ने फसल बीमा के लिए आवेदन किया हुआ है। इसके लिए तहसील स्तर पर हैरिस और वैब हलरिस में डेटा प्रविष्टिïयां की जा रही हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऐसे किसानों को फसलों का मुआवजा न अदा किया जाए जिन्होंने फसल बीमा के लिए पहले ही आवेदन और पंजीकरण करवा रखा है।

फैटयुक्त दूध के भाव में की गई 20 रुपये प्रति किलो की वृद्धि

दूध के भाव में वृद्धि

सहकारी समिति के द्वारा जो दूध खरीदा जाता है उसमें पशुपालकों को दूध की कीमत उसमें उपस्थित फैट की मात्रा से तय होती है | ऐसे में मध्यप्रदेश के उज्जैन दुग्ध संघ ने सहकारी समिति के माध्यम से क्रय किये जा रहे दूध के भाव में 20 रूपये प्रति किलो फैट की वृद्धि कर दी है। इस वृद्धि का सीधा लाभ सहकारी समिति से जुड़े किसानों और पशुपालकों को होगा । सहकारी समिति को रहे लगातार लाभ को देखते हुए यह फैसला लिया गया है |

40 वें वार्षिक अधिवेशन में उज्जैन दुग्ध संघ के प्रशासन एवं संभागीय आयुक्त श्री संदीप यादव ने कहा कि सहकारी समिति के माध्यम से क्रय किये जा रहे दूध के भाव में 20 रूपये प्रति किलोग्राम प्रति किलो फैट की वृद्धि की गई है |

सहकारी समिति को हो रहे लाभ के चलते की गई वृद्धि

श्री यादव ने कहा कि विगत वर्ष 2020-21 में 1,241 सहकारी समितियों के माध्यम से प्रति-दिन औसतन 1.52 लाख लीटर दूध संकलित किया गया। दुग्ध संघ द्वारा अच्छी मात्रा में दूध संकलित करने के साथ वितरण व्यवस्था को योजनाबद्ध तरीके से सुव्यवस्थित किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल से अगस्त 2021 तक मात्र पाँच माह में लगभग 2 करोड़ 75 लाख रूपये लाभ अर्जित किया गया । इस वित्तीय वर्ष के अंत तक संघ अच्छा वित्तीय लाभ अर्जित कर लेगा। संघ की वित्तीय व्यवस्था सुदृढ़ होने से पहली बार दुग्ध उत्पादकों को लाभांश का वितरण किया जा सकेगा।

संभागायुक्त श्री यादव ने बताया कि दुग्ध समितियों द्वारा 6979 मीट्रिक टन पशु आहार, 15 मीट्रिक टन मिनरल मिक्चर और 15 मीट्रिक टन चारा बीज का विक्रय किया गया। संघ के प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा 112 सदस्यों को प्रशिक्षण देकर लाभान्वित किया गया। दुग्ध समितियों द्वारा वित्तीय वर्ष में 3.94 करोड़ रूपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया गया। कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में संघ द्वारा औसतन 46 हजार लीटर पैक्ड दूध का प्रतिदिन स्थानीय बाजार में विक्रय किया गया। संघ द्वारा 1475 मीट्रिक टन घी, 1279 मीट्रिक टन दुग्ध चूर्ण एवं 1805 में टन मिल्क पावडर का मुख्य रूप से विक्रय किया गया। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 6.8 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया गया।

पंजाब और हरियाणा में 1 अक्टूबर से नहीं शुरू होगी धान की खरीद

समर्थन मूल्य पर धान की खरीद

पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के कुछ संभागों में 1 अक्टूबर से धान की खरीदी शुरू की जानी थी परन्तु कल शाम केंद्र सरकार ने एक पत्र जारी कर हरियाणा तथा पंजाब सरकार को 11 अक्टूबर तक धान कि खरीदी करने पर रोक लगाने के निर्देश दिये हैं | केंद्र सरकार की सरकारी एजेंसियां 1 अक्टूबर से दोनों राज्यों में खरीदी नहीं करेगी | समर्थन मूल्य पर खरीद को आगे बढ़ाने के पीछे का कारण अभी हाल ही में हुई अधिक बारिश एवं खराब मौसम बताया गया है जिससे अभी धान में काफी नमी आ गई है और धान खराब होने का खतरा है |

केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर विभिन्न फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करती है | पत्र में कहा गया है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए और उन्हें किसी भी असुविधा से बचाने के लिए, मंत्रालय ने फैसला किया है कि इन दोनों राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत धान की खरीद 11 अक्टूबर से शुरू होगी | सभी एजेंसियों को पंजाब और हरियाणा में 11 अक्टूबर से धान की खरीद के लिए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं |

धान में पाई गई 22 प्रतिशत तक की नमी

हरियाणा सरकार ने भी उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को पत्र लिखकर बेमौसम वर्षा की सूचना देते हुए धान में नमी की मात्रा में छूट देने का अनुरोध किया है। पंजाब और हरियाणा में एफसीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा नमी की मात्रा की जांच के आधार पर यह बताया गया कि धान के नमूनों में 17% की स्वीकृति योग्य सीमा के मुकाबले पंजाब में 18% से 22% और हरियाणा में 18.2 से 22.7% के बीच नमी पाई गई है।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने लिखा पत्र

धान की खरीदी आगे बढ़ाये जाने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है जिसमें यह मांग की गई है कि राज्य में धान कि खरीदी तय समय से शुरू की जाए| लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से दोनों राज्यों को धान खरीदी की अनुमति नहीं दी गई है |

1 अक्टूबर से खरीदी शुरू होने कि सुचना पर दोनों राज्यों के किसान ट्रेक्टर में धान लेकर मंडी में पहुँच चुके हैं| सरकार के इस फैसले से किसानों के बीच काफी असंतोष है | एक तरफ किसानों को लंम्बा इंतजार करना पड़ेगा तो दूसरी तरफ बारिश में धान भीगकर खराब हो सकती है | जिससे किसानों को काफी नुकसानी उठाना पड़ सकता है |

हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चंढूनी ने वीडियो जारी कर के यह जानकारी दी है कि मंडी में किसानों की फसल खराब हो रही है | लेकिन सरकार खरीदी नहीं कर रही है | अगर सरकार 1 दिन में धान कि खरीदी शुरू नहीं करती है तो सत्ता पक्ष के सभी विधायकों कि आवास का घेराव किया जाए |

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रूपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल है |

अब इस राज्य में भी शुरू हुए धान की समर्थन मूल्य पर खरीद हेतु आवेदन

समर्थन मूल्य पर धान खरीद हेतु आवेदन

वर्ष 2021–22 के लिए खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए मध्यप्रदेश, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार राज्य में भी पंजीकरण शुरू हो गए हैं| बिहार सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए पंजीयन प्रक्रिया शुरू कर दी है | राज्य में पंजीकृत किसान ही सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेच सकते हैं | इस बार सरकार ने धान खरीदी के लिए लिमिट तय कर दी है जो रैयत तथा गैर रैयत किसानों के लिए अलग–अलग है |

किसान MSP पर धान बेचने के लिए कहाँ करें पंजीयन

बिहार सरकार ने राज्य के धान उत्पादित किसानों से न्यूतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करेगी, इसके लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू किए जा चुके हैं| किसानों को पंजीकरण के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण कृषि विभाग, बिहार सरकार (DBT Agriculture Bihar) पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा | किसान http://164.100.130.206/FDS/MappFarmerToLandDetails.aspx यहाँ पर क्लिक करके भी आवेदन कर सकते हैं | आवेदन करने के लिए पास के CSC सेंटर या फिर अपने कंप्यूटर से आवेदन कर सकते हैं |

किसान MSP पर धान बेचने के लिए पंजीयन कैसे करें ?

  • बिहार के किसान ऊपर दिये हुए लिंक पर जाकर क्लिक करें | इसके बाद किसान 13 नंबर का DBT पंजीयन संख्या डालें अगर किसी किसान के पास 13 नंबर का DBT पंजीयन संख्या नहीं है तो वह पहले DBT पंजीयन संख्या के लिए ऑनलाइन आवेदन करें | पंजीयन के लिए https://dbtagriculture.bihar.gov.in/RegFarmer यहाँ पर क्लिक करें | इसके 24 घंटों के बाद धान बेचने के लिए आवेदन करें |
  • आवेदन देने के लिए OTP उनके पंजीकृत मोबाइल पर भेजा जाएगा, जो आवेदन के लिए आवश्यक एवं गोपनीय है | कृपया एक हीं मोबाईल संख्या का प्रयोग करें |
  • किसान का प्रकार रैयत होने की स्थिति में भूमि विवरणी हेतु जमाबन्दी पंजी की भाग संख्या एवं पृष्ट संख्या देना जरुरी है | अगर किसान के पास भूमि विवरण जमाबन्दी नहीं है तो जानने के लिए http://biharbhumi.bihar.gov.in/Biharbhumi/ViewJamabandi लिंक पर जाएं |

किसानों से कब खरीदी जाएगी समर्थन मूल्य पर धान

बिहार सरकार ने राज्य के किसानों से 1 नवम्बर 2021 से खरीदी शुरू करने का फैसला लिया है | इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है | धान अधिप्रप्ति के समय आप अपनी पसंद के किसी भी पैक्स या व्यापार मंडल पर धान बेच सकते है | इस वर्ष सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रूपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल है |

राज्य सरकार ने धान बेचने के लिए लिमिट तय की है | इसमें रैयत तथा गैर रैयत किसानों के लिए अलग–अलग है | रैयत किसान अधिकतम 250 क्विंटल तक धान बेच सकते हैं जबकि गैर रैयत किसान अधिकतम 100 क्विंटल तक धान बेच सकते हैं |

समर्थन मूल्य पर धान एवं अन्य खरीफ फसलें बेचने के लिए पंजीयन करवाने का एक और मौका

मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर खरीफ फसलों का पंजीयन

फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन कराना जरुरी रहता है | कई राज्यों में अभी फसलों की सरकारी खरीद के लिए किसानों के पंजीयन चल रहे हैं तो कुछ राज्यों में पंजीयन पूर्ण हो चुके हैं| उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्य में एक अक्टूबर से खरीफ फसलों की खरीद शुरू होने वाली है| हरियाणा राज्य में फसल समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है परन्तु कई किसान पोर्टल पर अपना पंजीकरण अभी तक करवा नहीं पाए हैं |

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक बार फिर पोर्टल खोल दिया है | जिससे खरीफ फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए जो किसान पंजीयन नहीं करवा पाए थे उन्हें एक मौका और मिलेगा | हरियाणा के किसान अब पंजीयन कराकर अपनी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं | इसके साथ ही बाजरे की फसल पर 600 रूपये प्रति क्विंटल का भावांतर प्राप्त करने की योजना का लाभ भी ले सकते हैं |

किसान कब तक करवा सकेंगे पंजीयन

हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेचने एवं अन्य सरकार की योजनाओं के लाभ वितरण हेतु “मेरी फसल मेरा ब्यौरा”  पोर्टल है | खरीफ मौसम 2021–22 के लिए 31 अगस्त तक पंजीयन के बाद इस पोर्टल पर पंजीकरण बंद कर दिए गए थे | अब हरियाणा सरकार ने फिर से तीन दिनों के लिए पोर्टल खोलने का फैसला लिया है | जो किसान किसी कारणवश अपनी फसलों का अभी तक पंजीकरण नहीं करवा पाए हैं, वे अब 1 अक्टूबर से 3 अक्टूबर 2021 तक करवा सकते हैं। पंजीकरण के लिए परिवार पहचान पत्र होना अनिवार्य है।

कब से शुरू होगी खरीफ फसलों की खरीदी

हरियाणा में खरीफ सीजन 2021–22 के लिए मक्का, बाजरा, मूंग तथा धान की खरीदी 1 अक्टूबर 2021 से शुरू की जाएगी जो 15 नवम्बर 2021 तक चलेगी | इसके अलावा मूंगफली की खरीदी 1 नवम्बर 2021 से की जाएगी जो 31 दिसम्बर 2021 तक की जाएगी | अरहर, उड़द और तिल की खरीदी 1 दिसम्बर 2021 से प्रारंभ की जाएगी |

अभी तक कितने किसानों ने किया है पंजीयन

हरियाणा सरकार के पोर्टल “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पर खरीफ फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 31 अगस्त 2021 तक 7 लाख 50 हजार 949 किसानों ने 46 लाख 98 हजार 781 एकड़ भूमि के लिए पंजीयन किया है |

किसान मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए क्लिक करें 

किसानों को अनुदान पर दिए जाएंगे रबी फसलों के 10 हजार क्विंटल बीज

रबी सीजन के लिए बीजों का वितरण

रबी फसल की बुवाई का काम शुरू होने वाला है, ऐसे में सभी राज्य सरकारें राज्य में उत्पादकता बढ़ाने के लिए खाद, उन्नत बीज आदि इनपुट की व्यवस्था करने में लगी है | इस वर्ष हुई अच्छी वर्षा के कारण रबी फसल की बुवाई का रकबा बढ़ने की संभावना है | उत्तरप्रदेश में रबी फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए रबी उत्पादकता गोष्ठी-2021 का आयोजन किया जा रहा है |

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कृषि उत्पादकता गोष्ठी 2021-22 का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषकों एवं प्रदेश के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि रबी में अच्छी उत्पादकता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है इसके लिए उन्नतशील प्रजातियों के बीजों की व्यवस्था की गई है |

कुल कितने बीज वितरित किए जाएंगे

राज्य के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्य स्तरीय कृषि उत्पादकता गोष्ठी 2021–22 के योजना में जानकारी दी है | कृषि मंत्री ने बताया है कि राज्य के किसानों को रबी सीजन 2021-22 के लिए 50 हजार क्विंटल बीज वितरण का लक्ष्य रखा है | इसमें से 10 हजार क्विंटल बीज कृषि विभाग के राजकीय कृषि बीज भंडारों के माध्यम से अनुदान पर वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, शेष निजी संस्थाओं के माध्यम से कृषकों को उपलब्ध करने की रणनीति बनाई गई है |

अच्छी वर्षा होने के कारण राज्य में रबी की बुवाई में वृद्धि होने की उम्मीद है | दलहन तथा तिलहन का आच्छादन बढ़ाए जाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष रबी में 18 लाख हेक्टेयर में दलहन व 12 से 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में तिलहन के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |

किसानों को यहाँ से वितरित किए जाएंगे खाद एवं बीज

कृषकों को उर्वरक जोत बही के अनुसार ही उर्वरक का वितरण किया जायेगा । सहकारिता के प्रमुख सचिव ने बताया कि इसमें कुल लक्ष्य का लगभग 30 प्रतिशत उर्वरक सहकारिता के माध्यम से वितरित किया जाता है। लगभग 1200 केंद्रों के माध्यम से उर्वरकों का वितरण किया जाएगा। प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। बीज की व्यवस्था के सम्बन्ध में बीज विकास निगम के अधिकारी ने बताया कि बीजों की समय से उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी। दलहनों फसलों के बीज की आपूर्ति प्रारम्भ हो चुकी है। बीज विकास निगम द्वारा बीज की उपलब्धता जनपदों के निकटतम डिपो के माध्यम से तथा राष्ट्रीय बीज निगम से क्रय किये गए बीज को एफओआर के माध्यम से जनपदों को उपलब्ध कराया जाएगा।

भावांतर योजना के तहत बाजरा खरीदी पर किसानों को दिया जायेगा 600 रुपये प्रति क्विंटल का भावांतर

भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजरा खरीद

खरीफ फसल की खरीदी अलग–अलग राज्यों में 1 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है | हरियाणा सरकार राज्य में कुछ फसलों की खरीदी 1 अक्टूबर से तो कुछ फसलों की खरीदी बाद में शुरू करेगी | सरकार की खरीदी के बाबजूद भी किसानों से फसलों की शत प्रतिशत खरीद समर्थन मूल्य पर नहीं हो पाती है | ऐसे में किसानों को फसल बेचने पर नुकसान न हो, उसकी भरपाई करने के लिए हरियाणा सरकार ने बाजरे की खरीद “भावांतर भरपाई योजना” के अंतर्गत करने का फैसला लिया है |

किसानों को बाजरे की खरीद पर कितना भावांतर दिया जायेगा ?

हरियाणा सरकार राज्य के किसानों को बाजरा की खरीदी पर भावान्तर भुगतान करने जा रही है | बाजरे के औसतन बाजरा भाव व एम.एस.पी. के अंतर को भावांतर मानते हुए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल” पर पंजीकृत किसानों की फसल के सत्यापन उपरांत सही पाए गये किसानों को औसतन उपज पर 600 रूपये प्रति क्विंटल भावांतर औसत उपज के अनुसार दिया जाएगा | इस वर्ष बाजरे के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये प्रति क्विंटल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है |

सरकार खरीदेगी 25 प्रतिशत बाजरा

मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को 600 रूपये प्रति क्विंटल की दर से भावांतर भुगतान किया जायेगा | उपज भाव को मेनटेन करने के लिए बाजार भाव पर 25 प्रतिशत उपज सरकारी एजेंसी खरीदेगी | न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी किये जा रहे बाजरे पर भावांतर नहीं दिया जायेगा |

बाजरा बेचने के लिए कितने किसानों ने पंजीयन किया है ?

खरीफ सीजन 2021–22 के लिए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल” पर बाजरे की फसल बेचने के लिए 2 लाख 71 हजार किसानों ने 8 लाख 65 हजार एकड़ भूमि के लिए पंजीयन कराया है | इन सभी किसानों को सत्यापन के बाद 600 रूपये प्रति क्विंटल की दर से औसत उपज पर भावांतर का लाभ दिया जायेगा |

कब से शुरू होगी बाजरे की खरीद ?

हरियाणा में खरीफ सीजन 2021–22 में 7 फसलों (धान, मक्का, मूंग, उड़द, अरहर, तिल और मूंगफली) की खरीदी की जाएगी | इसमें से धान, मूंग, बाजरा तथा मक्के की खरीदी 1 अक्टूबर से की जानी है जबकि मूंगफली की खरीदी 1 नवम्बर से शुरू होगी | हरियाणा सरकार पहली बार अरहर, उड़द और तिल खरीदी करने जा रही है | दलहन तथा तिलहन की खरीदी 1 दिसम्बर से की जाएगी |  

कितने खरीदी केंद्र बनाए गये हैं ?

खरीफ फसल की खरीदी के लिए राज्य सरकार ने खरीदी केन्द्रों को बढ़ाया है | इस वर्ष बाजरे की खरीदी के लिए 86, मूंग की खरीदी के लिए 38, मक्का की खरीदी के लिए 19 तथा मूंग की खरीदी के लिए 7 केंद्र बनाए गये हैं | जबकि धान कि खरीदी के लिए 199 खरीदी केंद्र बनाए गये हैं |

इन सबके बावजूद भी 72 अतिरिक्त खरीदी केंद्र बनाने के लिए पहचान की गई हैं | अगर खरीदी केन्द्रों पर अधिक आवक होगी तो इन स्थलों का उपयोग धान की खरीद के लिए किया जाएगा |

बाजरा की खेती छोड़ने पर 4,000 रूपये प्रति एकड़ का अनुदान

किसानों को बाजरे के स्थान पर तिलहन और दलहन जैसे कि मूंग, अरहर, अरंडी, मूंगफली जैसी फसलें उगाने के लये प्रोत्साहन दिया जा रहा है | बाजरे के स्थान पर वैकल्पिक फसलों की बिजाई करने और कुल बाजरे का उत्पादन कम करने वाले किसानों को ही 4,000 रूपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा |