1 अक्टूबर से यहाँ शुरू होगी 1940 रुपये प्रति क्विंटल पर धान की खरीदी

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी

इस माह के अंतिम सप्ताह या अगले माह के प्रथम सप्ताह से खरीफ फसलों की कटाई का कार्य शुरू हो जाएगा | कटाई के बाद किसानों से समय पर फसलों का उपार्जन हो सके इसके लिए राज्य सरकारों के द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई है | जहाँ मध्यप्रदेश में खरीफ फसलों की खरीदी के लिए पंजीकरण शुरू किए जा चुके हैं वहीँ उत्तरप्रदेश में कैबिनेट कि बैठक में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को मंजूरी दे दी गई है | इस खरीफ सीजन में राज्य सरकार 70 लाख टन धान की खरीदी करेगी | इसके लिए खरीदी केन्द्रों तथा खरीदी का समय निर्धारित कर दिया गया है |

किसानों से कब खरीदा जायेगा धान ?

उत्तर प्रदेश में धान की खरीदी अगले माह से शुरू हो जाएगी | धान की खरीदी संभाग के अनुसार अलग–अलग समय पर शुरू की जाएगी | लखनऊ संभाग के जनपद हरदोई, लखीमपुर, तथा सम्भाग बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, झाँसी में धान की खरीदी 1 अक्टूबर 2021 से शुरू की जाएगी तथा यह खरीदी 31 जनवरी 2022 तक चलेगी | इसके अलावा लखनऊ संभाग के जनपद लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव व चित्रकूट, कानुपर, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर एवं प्रयागराज मंडलों में 01 नवम्बर 2021 से खरीदी शुरू हो जाएगी जो  28 फरवरी 2022 तक चलेगी |

कितने क्रय केन्द्रों पर खरीदी जाएगी धान

खरीफ विपणन वर्ष 2021–22 में 4,000 क्रय केन्द्र स्थापित किए जाएंगे | इसमें खाद्ध विभाग की विपणन शाखा के 1100, उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (पी.एस.एफ.) के 1500, उत्तर प्रदेश कोआँपरेटिव यूनियन लिमिटेड (पी.सी.यू.) के 600, उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के 200, उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के 200, उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (यू.पी.एस.एस.) के 300 तथा भारतीय खाद्ध निगम के 300 क्रय केंद्र सम्मिलित हैं |

उत्तरप्रदेश में धान सभी खरीदी केन्द्रों पर सुबह के 9:00 बजे से शाम को 5:00 बजे तक की जाएगी | लेकिन जरूरत पड़ने पर जिले के जिला अधिकारी क्रय केंद्र खुलने तथा बंद करने का निर्णय ले सकते हैं | रविवार तथा राज्य सरकार के तरफ से घोषित अवकाश को खरीदी नहीं की जाएगी |

72 घंटों के अंदर किया जाएगा धान खरीदी का भुगतान

राज्य में धान खरीदी के बाद किसानों को धान के मूल्य का भुगतान भारत सरकार के पी.एफ.एम.एस. पोर्टल के माध्यम से धान क्रय के 72 घंटे के अंदर किया जाएगा |

चावल मिल मालिकों को दिया जायेगा धान खरीदी पर बोनस

राज्य में चावल मिलर को दिये गये धान के सापेक्ष 45 दिनों के अंदर मिलर द्वारा केन्द्रीय पुल में चावल सम्प्रदान करना होता है, तो उसे प्रोत्साहन राशि की दर अरवा चावल तथा सेला चावल के लिए 20 रूपये प्रति क्विंटल मिलिंग किए गए धान पर देय होगा | 45 दिनों में चावल का सम्प्रदान न होने पर 01 रूपये प्रति क्विंटल की दर से होल्डिंग प्रभार देय होगा |

प्रोत्साहन धनराशि की प्रतिपूर्ति केवल उन्हीं चावल मीलों को देय होगी, जिनका सम्बद्धीकरण जिलाधिकारी / सम्भागीय खाद्ध नियंत्रक / आयुक्त, खाद्ध एवं रसद द्वारा क्रमश: जनपद की, मंडल की व मंडल के बाहर की चावल मिल होने की स्थिति में किया जाएगा |

किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए कहाँ करें पंजीयन

उत्तरप्रदेश राज्य में धान की खरीदी खाद्य एवं रसद विभाग के द्वारा की जाती है | किसानों को धान समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए www.fsc.up.gov.in पर पंजीकरण करवाना आवश्यक होता है | किसान अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-1800-150 पर कॉल कर सकते हैं | किसनों को पंजीकरण के लिए जोतबही / खाता नम्बर अंकित कमप्यूटराइज़्ड खतौनी, आधार पत्र, बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ (जिसमे खाता धारक का विवरण अंकित हो) की छाया प्रति, एक अद्यतन पासपोर्ट साइज फोटो की आवश्यकता होगी |

क्या है इस वर्ष के लिए धान का न्यूनतम समर्थन का मूल्य

केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष खरीफ तथा रबी फसल को मिलाकर 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है | यह मूल्य देश के सभी राज्यों के लिए एक सामान लागू होते हैं | इस वर्ष सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रूपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल है |

2 लाख 20 हजार से अधिक किसानों को दिए गए कृषि कनेक्शन

सिंचाई के लिए कृषि कनेक्शन

कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई एक महत्वपूर्ण घटक है | सरकार द्वारा अधिक से अधिक किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है | किसानों को इसके लिए न केवल सस्ती बिजली उपलब्ध करवाई जाती है बल्कि अधिक से अधिक किसानों को बिजली कनेक्शन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं | जिन स्थानों पर बिजली नहीं पहुँच पा रही है वहां किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प दिए जा रहे हैं ताकि सभी किसान समय पर फसलों की सिंचाई कर उत्पादन बढ़ा सकें |

राजस्थान राज्य सरकार ने पिछले ढाई साल में 2 लाख 19 हजार 779 कृषि कनेक्शन दिये है, यह बात राजस्थान के ऊर्जा मंत्री  डॉ. बी.डी. कल्ला ने मंगलवार को विधानसभा में दी | ऊर्जा मंत्री ने कृषि विद्युत कनेक्शन के संबंध में बताया कि गत सरकार के समय 5 साल में 2 लाख 68 हजार 522 कृषि कनेक्शन दिये, हमने ढाई साल में 2 लाख 19 हजार 779 कृषि कनेक्शन दिये है, बजट घोषणा के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य में 50 हजार कृषि कनेक्शन दिया जाना लक्षित है। दिनांक 12.09.2021 तक 33,240 कृषि कनेक्शन जारी किये जा चुके हैं। शेष कृषि कनेक्शनों को जारी किये जाने हेतु आवश्यक संसाधन एवं सामान की समुचित व्यवस्था की गई है।

90 पैसे प्रति यूनिट की दर पर किसानों को दी जा रही है बिजली

उर्जा मंत्री ने कहा कि जब पहली बार श्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने घोषणा की थी कि खेती की बिजली के दाम नहीं बढ़ेगें और हमने तबसे 90 पैसे प्रति यूनिट बिजली किसानों को दे रहे है। सरकार ने यह घोषणा की थी कि 5 वर्ष तक किसानों की विद्युत दरों में वृद्धि का भार सरकार स्वयं वहन करेगी। इसके अनुरूप विद्युत विनियामक आयोग दिनांक 06.02.2020 के आदेश द्वारा किसानों के लिए बढ़ायी गई विद्युत दरों का भार राज्य सरकार वहन कर रही है। विद्युत दरों में वृद्धि से 20 लाख बीपीएल, 42 लाख छोटे घरेलू उपभोक्ताओं व 14 लाख किसानों  सहित 76 लाख उपभोक्ताओं पर विद्युत दरों में कोई प्रभावी वृद्धि नहीं की गई है।

किसानों को दिया जा रहा है 1,000 रुपये प्रति माह का अनुदान

किसान मित्र ऊर्जा योजना” के तहत प्रति माह किसानों को 1,000 रूपये तक का अनुदान दिया जा रहा है | अगर किसी किसान को एक माह में कृषि बिजली बिल 1,000 रूपये आता है तो उसे किसी प्रकार की राशि नहीं चुकानी पड़ेगी | 1,000 रूपये से कम बिजली बिल आने पर किसान को उस माह की सब्सिडी अगले माह में जोड़ दी जाएगी | इस योजना के तहत किसान को प्रति वर्ष 12,000 रूपये तक की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है |

जैविक खेती करने वाले किसान यहाँ बेच सकते हैं अपनी उपज

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जैविक उत्पाद हेतु ऑनलाइन बाजार

देश भर में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तथा रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशक जैसे रसायनों के उपयोग को कम करने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकार विभिन्न प्रकार की योजनायें चला रही है | जैविक खेती को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य यह है कि कृषि लागत को कम से कम कर गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त कर रसायन मुक्त भारत बनाया जाये| जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि की जा सके | 

सरकार के द्वारा इसके लिए किसानों को जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण तथा सब्सिडी पर उपकरण उपलब्ध करा रही है | सरकार के प्रयासों से किसानों के बीच में जैविक खेती के प्रति उत्साह काफी बढ़ा है | पर जैविक खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बाजार की है | किसानों को उनके जैविक उत्पादों का सही दाम नहीं मिल पाता है, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए वेब पोर्टल एवं एप शुरू की गई है जिस पर किसान पंजीकरण कर अपने जैविक उत्पाद को बेच सकते हैं | 

किसानों को दिया जायेगा जैविक खेती का पंजीयन

देशभर में जैविक खेती के प्रति किसानों का रुझान लगतार बढ़ रहा है | जैविक खेती की पहचान देने तथा जैविक उत्पाद को बाजार में आसानी से बेचने के लिए केंद्र सरकार किसानों को भूमि का प्रमाण पत्र दे रही है | जैविक खेती की प्रमाणिकता देने के लिए केंद्र सरकार ने पंजीयन करना शुरू कर दिया है | तीन वर्षों में जैविक खेती का तथा 2 वर्षों में जैविक उद्धानिकी का प्रमाण पत्र दिया जाता है |

केंद्र सरकार ने किसानों के द्वारा उत्पादित फसल को उपभोगता तक पहुँचाने के लिए ऑनलाइन सेवा jaivikkheti.in शुरू की है | जहाँ पर खरीदार तथा आपूर्तिकर्ता या उत्पादक एक साथ व्यापर कर सकते हैं | इसके अलावा अपनी सुविधा के अनुसार भाव भी तय कर सकते हैं |

4 लाख से अधिक किसानों ने कराया है जैविक उत्पाद बेचने के लिए पंजीकरण

देश भर में अभी तक 4 लाख 93 हजार 563 किसानों ने पंजीयन कराया है | इसके अलावा 15,717 कृषि समूहों ने जैविक उत्पाद बेचने के लिए आवेदन किया है | देश भर में जैविक खेती के उत्पाद बेचने के लिए उत्तराखंड के किसानों ने सबसे ज्यादा आवेदन किया है | राज्य के 1 लाख 62 हजार 876 किसानों ने आवेदन किया है | जबकि दुसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश के 60 हजार 023 किसानों ने आवेदन किया है | जैविक उत्पाद बेचने के लिए 25 राज्यों के किसानों ने रूचि दिखाई है |

अभी तक इस वेबसाईट पर 1 लाख 42 हजार 205 उत्पादों का पंजीयन कराया गया है | इसके लिए 7,763 खरीदारों ने इस वेबसाईट से जैविक उत्पाद खरीदने में रूचि दिखाई है | जैविक उत्पाद का 75 आपूर्तिकर्ता ने भी पंजीयन कराया है |

आप भी अपने जैविक उत्पाद बेचने के लिए करा सकते हैं पंजीयन

देश के किसी भी राज्य के किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं | इसके लिए किसान के पास जैविक उत्पाद का प्रमाणपत्र होना चाहिए | किसान जैविक खेती की वेबसाइट पर जाकर विक्रेता पर क्लिक करें | इसके बाद तीन आप्शन आएंगे | जिसमें व्यक्तिगत किसान, स्थानीय समूह, तथा एग्रीगेटर / प्रोसेसर का आँपसन आएगा | इसमें अपने सुविधा के अनुसार चुन करके पंजीयन करायें |

जैविक उत्पाद बेचने हेतु पंजीकरण के लिए क्लिक करें 

 

किसान अधिक पैदावार के लिए कब करें सोयाबीन की कटाई

सोयाबीन की कटाई

सोयाबीन की कटाई इस माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाएगी, इसके साथ ही किसान सोयाबीन की गहाई तथा भंडारण का काम शुरू कर देंगे | इस समय देश के अनेक राज्यों में बारिश का दौर लगातार जारी है | जिससे इसकी गहाई में देर हो सकती है तथा फसल को काफी नुकसान भी हो सकता है | इसको देखते हुए किसानों को सोयाबीन की कटाई करने से पहले कई प्रकार की सावधानियाँ बरतना होगा |

किसान इस समय करें सोयाबीन की कटाई

ऐसे किसान जिन्होंने सोयाबीन की शीघ्र पकने वाली सोयाबीन की किस्में (जे.एस. 90 – 60), जे.एस. 20–34, एन.आर.सी. 130, जे.एस. 93–05, एन.आर.सी.-138 आदि उगाई गई है | वे सभी किसान परिपक्व फलियों का रंग जैसे ही बदलना प्रारंभ हो (फिजियोलोजिकल मेचुरिटी), अपनी सुविधानुसार फसल की कटाई करें |

सोयाबीन की फलियों में दाने भरने या परिपक्वता की अवस्था में फसल पर होने वाली लगातार बारिश से सोयाबीन की गुणवत्ता में कमी आ सकती है या फलियों के दाने अंकुरित होने की भी सम्भावना हो सकती है | अत: किसान सुविधानुसार उचित समय पर फसल की कटाई करें | जिससे फलियों के चटकने से होने वाले नुकसान या फलियों के अंकुरित होने से बीज की गुणवत्ता में आने वाली कमी से बचा जा सके |

कटी हुयी फसल को धुप में सुखाने के पश्चात् सुविधानुसार गहाई करें | यदि तुरंत गहाई करना संभव नहीं हो तो कटी हुई फसल को सुरक्षित स्थान पर इकट्ठा कर ढेर लगाये तथा तारपोलिन से ढक कर रखें | जिससे चटकने से होने वाले नुक्सान से बचा जा सके |

बीज उत्पदान करने के लिए क्या करें 

आगामी वर्ष बीज के रूप में उपयोगी सोयाबीन की फसल की गहाई 350 से 400 आर.पी.एम. पर करें | जिससे बीज की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ें | बीज उत्पादन करने वाले किसान लगाई गई किस्म/फसल से फूलों का रंग, पत्तियों का आकर/बनावट या रोये की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर अन्य/मिश्रित किस्म के पौधे निकालकर खेत से निष्कासित करें | जिससे बीज उत्पादन में अधिकाधिक शुद्धता सुनिश्चित की जा सके |

अधिक पैदावार के लिए धान की फसल में किसान इस समय करें यूरिया का छिड़काव

धान की फसल में यूरिया का छिड़काव

देश में अभी किसानों द्वारा खरीफ फसलों की खेती की जा रही है, जिसमें धान, मक्का एवं सोयाबीन की खेती महत्वपूर्ण है | धान की खेती उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक सभी राज्यों में की जाती है | धान की खेती के लिए अलग-अलग राज्यों के किसानों के द्वारा अलग-अलग समय पर बुआई की गई है, जिससे अभी धान की फसल अलग-अलग अवस्था में हैं | जहाँ धान की फसल में कन्से निकलना प्रारंभ हो गए हैं इस अवस्था में पौधों को ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है | इसको देखते हुए छत्तीसगढ़ कृषि विभाग के द्वारा किसानों धान की फसल में उर्वरक कब एवं कितना देना है इसके लिए सलाह जारी की गई है |

किसान कब करें धान में यूरिया का छिड़काव

धान की फसल में जहां कन्से निकलने की अवस्था आ गई हो वहां किसान नत्रजन की दूसरी मात्रा का छिड़काव कर सकते हैं । इससे धान के कन्से की स्थिति में सुधार आएगा। फसल में कीट या खरपतवार होने की स्थिति में दोनों को नियंत्रित करने के बाद ही प्रति हेक्टेयर 40 किलो यूरिया के छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने धान फसल के प्रारंभिक गभोट अवस्था में मध्यम एवं देर अवधि वाले धान फसल के 60-75 दिन के होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव करने को कहा है । पोटाश की सिफारिश मात्रा का 25 प्रतिशत भाग फूल निकलने की अवस्था पर छिड़काव करने से धान के दानों की संख्या और वजन में वृद्धि होती है।

धान में कीट-रोग लगने पर क्या करें

अभी धान फसल पर पीला तना छेदक कीट के वयस्क दिखाई देने पर तना छेदक के अण्डा समूह हो एकत्र कर नष्ट करने के साथ ही सूखी पत्तियों को खींचकर निकालने की सलाह दी गई है। तना छेदक की तितली एक मोथ प्रति वर्ग मीटर में होने पर फिपरोनिल 5 एससी एक लीटर प्रति दर से छिडकाव करने की सलाह कृषकों को दी गई है।

पत्ती मोडक (चितरी) रोग के नियंत्रण के लिए प्रति पौधा एक-दो पत्ती दिखाई देने पर फिपरोनिल 5 एससी 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने को कहा गया है। धान की फसल में रोग के प्रारंभिक अवस्था में निचली पत्ती पर हल्के बैगनी रंग के धब्बे पड़ते हैं जो धीरे-धीरे बढ़कर चौड़े और किनारों में सकरे हो जाते हैं, इन धब्बों के बीच का रंग हल्का भूरा होता है। इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 750 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई है।

सब्सिडी पर आम, अमरुद, नींबू, केला, संतरा एवं सीताफल की बागवानी के लिए आवेदन करें

आम,अमरुद, नींबू, केला, संतरा एवं  सीताफल पर अनुदान हेतु आवेदन

भारत में मानसून का अंतिम माह चल रहा है, इसके बाद देश से धीरे–धीरे मानसून लौटने लगेगा | यह समय फलों के पौधे लगाने के लिए अच्छा है | इसको देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार के उद्यानिकी विभाग द्वारा फलों के उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य प्रायोजित “फल क्षेत्र विस्तार योजना” के तहत किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं | एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत विभिन्न फलों की बागवानी के लिए अलग-अलग जिलों का चयन किया गया है |

उद्यानिकी विभाग द्वारा अलग-अलग फलों की बागवानी के लिए चयनित जिलों के किसानों से आवेदन मांगे गए हैं | इच्छुक किसान अनुदान पर दिए गए फलों की बागवानी हेतु ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

योजना के तहत किन फलों की बागवानी के लिए आवेदन कर सकते हैं ?

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए राज्य प्रायोजित योजना “फल क्षेत्र विस्तार” के तहत विभिन्न प्रकार के फलों की बागवानी के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है | किसान सीताफल, संतरा, आम, अमरुद, नींबू, केला जैसे फलों की बागवानी फसलों के लिए जारी लक्ष्य के अनुसार आवेदन कर सकते हैं |

सीताफल (ग्राफ्टेड), संतरा (ग्राफ्टेड/ टिशुकल्चर), आम (ग्राफ्टेड), अमरुद (ग्राफ्टेड/टिशुकल्चर) के लिए मध्य प्रदेश के अलीराजपुर, धार, सिवनी, आगर–मालवा, राजगढ़, अनुपपुर, बैतूल, सीधी, सिंगरौली, उमरिया, भोपाल, होशंगाबाद एवं सीहोर जिले के किसान आवेदन कर सकते हैं | वहीँ अमरुद (उच्च घनत्व ड्रिप रहित) के लिए मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसान आवेदन कर सकते हैं |

अमरुद (उच्च घनत्व ड्रिप रहित), नींबू (उच्च घनत्व ड्रिप रहित), केला (उच्च घनत्व ड्रिप रहित) के लिए  प्रदेश के विदिशा जिले के सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसान योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं |

अनुदान हेतु किसान आवेदन कब करें ?

ऊपर दिये हुए जिलों के किसान फलों की बागवानी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | आवेदन 15/09/2021 को सुबह 11.00 बजे से किये जा सकेंगे | किसान जारी लक्ष्य के विरुद्ध 10 प्रतिशत अधिक तक ही आवेदन कर सकेंगे |

किसान फलों के पौधे कहाँ से ले सकेंगे ?

ग्राफ्टेड आम/अमरुद के पौधे विभागीय नर्सरियों से लिए जाएंगे, जिन किस्मों के पौधे विभाग की रोपणियों में उपलब्ध नहीं है उन पौधों की व्यवस्था विभाग द्वारा प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त रोपणियों से कराकर रोपण करवाया जायेगा | संतरा एवं अमरुद के पौधों का रोपण प्रदेश में स्थापित टिशुकल्चर लैब में उत्पादित पौधों से कराया जायेगा |

योजना के तहत फलों की बागवानी पर दी जाने वाली सब्सिडी

राज्य में किसानों को फल क्षेत्र विस्तार योजना के तहत 40 से 50 प्रतिशत अनुदान सहयता तीन वर्षों में 60:20:20 के अनुपात में दी जाती है | इसमें सामान्य दूरी पर बागवानी पर किसानों को 40-50 प्रतिशत तथा उच्च घनत्व एवं अति उच्च घनत्व (ड्रिप रहित) पर फलों की बागवानी पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी किसानों को दी जाती है |

अनुदान हेतु कहाँ आवेदन करें ?

आम, अमरुद, नींबू, केला, संतरा एवं  सीताफल पर अनुदान हेतु आवेदन राज्य के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं या विकासखंड स्तर पर कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं | मध्यप्रदेश में उद्यानिकी विभाग से संचालित सभी योजनाओं हेतु आवेदन ऑनलाइन किये जाते हैं अतः इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते अपना पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर कर सकते हैं |

किसानों को जल्द किया जायेगा गन्ना खरीदी की बकाया राशि का भुगतान

गन्ना बकाया राशि का भुगतान

खरीफ फसलों की खरीदी शुरू होने वाली है इसके साथ ही गन्ना खरीदी भी अगले माह से शुरू हो जाएगी | इसके लिए केंद्र तथा अलग–अलग राज्य सरकार ने गन्ने की सरकारी दर घोषित कर दी है | किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें चीनी मीलों के द्वारा पिछले सीजन में की गई गन्ना खरीदी की बकाया राशि का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है | अलग–अलग राज्यों में गन्ने का भुगतान रुका हुआ है |

कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गन्ना खरीदी भुगतान की समीक्षा कर रहे थे | उन्होंने बताया है कि इस सरकार में अब तक का सबसे ज्यादा किसानों को गन्ने का भुगतान किया गया है | इसके बावजूद भी किसानों को पिछले सत्र की गन्ना खरीदी का भुगतान रुका हुआ है | इसको लेकर मुख्यमंत्री ने चीनी मीलों को गन्ना किसानों को जल्द से जल्द भुगतान करने को कहा है |

45 लाख किसानों को किया गया गन्ना खरीद का भुगतान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बकाये गन्ना मूल्य का भुगतान अविलम्ब कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि डिफॉल्टर चीनी मिलों से गन्ना किसानों के बकाया मूल्य का तत्काल भुगतान कराया जाए। गन्ना किसानों के हितों की अनदेखी करने वाली चीनी मिलों के प्रबन्धन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उनके तरफ से बताया गया है कि पिछले वर्षों में सरकार के द्वारा 45 लाख किसानों को 1 लाख 42 हजार 650 करोड़ रूपये की भुगतान किया गया है |

चीनी मीलों पर किसानों का कितना रुपये बकाया है ?

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2020–21 के गन्ना पेराई सत्र में 120 चीनी मीलों ने किसानों से गन्ना खरीदा था | इस सीजन में 120 चीनी मीलों के द्वारा कुल 1,028 लाख टन गन्ना की खरीदी की गई है | जिसका कुल मूल्य 33,025 करोड़ रुपए है |

इसमें से 27,750 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है | शेष 5,275 करोड़ रुपये चीनी मीलों को गन्ना किसानों को भुगतान करना होगा | राज्य के 120 चीनी मिलों में से 53 चीनी मीलों के पास किसी भी प्रकार का बकाया नहीं है | शेष 67 चीनी मीलों पर 5,750 करोड़ रूपये का भुगतान करना बचा हुआ है |

क्या है गन्ने का मूल्य ?

पिछले माह के 28 तारीख को केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य FRP में 5 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि किया है | जिसके बाद गन्ना का मूल्य 285 रूपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 290 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है | इसके साथ ही अलग–अलग राज्य सरकारें गन्ना का अपना मूल्य तय करती है | उतर प्रदेश में गन्ने का मूल्य 315 रूपये प्रति क्विंटल है | ऐसी उम्मीद की जा रही है कि पेराई सत्र शुरू होने से पहले गन्ने के मूल्य में वृद्धि की जाएगी |

किसान इस तरह करें धान की फसल में लगने वाले रोग की पहचान एवं उनका नियंत्रण

धान की फसल में रोग की पहचान एवं नियंत्रण

अभी देश में खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान खेत में लगी हुई है | ऐसे में अभी किसानों द्वारा धान की फसल में निराई-गुड़ाई के बाद दूसरी बार खाद दी जा रही होगी | कई राज्यों में धान की फसल में अब फूल आने लगे हैं | धान की इस अवस्था में कई प्रकार के रोग लगने की सम्भावना रहती है | कुछ रोग तो ज्यादा यूरिया के प्रयोग के कारण एवं जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण भी लग सकते हैं | इस समय किसानों को धान की फसल की लगातार निगरानी करते रहना चाहिए ताकि धान की फसल को समय पर कीट एवं रोगों से बचाया जा सकें |

धान की खड़ी फसल में मुख्यतः पत्ती झुलसा रोग, ब्लास्ट या झोंका रोग, जीवाणु पर्ण अंगमारी रोग, गुटन झुलसा रोग, खैरा रोग या बकानी जैसे रोग लग सकते हैं | किसान धान के रोगों की पहचान एवं उनका नियंत्रण कैसे करें इसकी जानकारी नीचे दी गई है |

पत्ती का झुलसा रोग :-

पौधे की छोटी अवस्था से लेकर परिपक्व अवस्था तक यह रोग कभी भी हो सकता है | पत्तियों में किनारे उपरी भाग से शुरू होकर मध्य भाग तक सूखने लगते हैं | सूखे पत्ते के साथ–साथ राख के रंग के चकत्ते भी दिखाई देते हैं | इस रोग से बालियां दानारहित रह जाती है |

पत्ती का झुलसा रोग का नियंत्रण

किसान इस रोग के नियंत्रण के लिए 74 ग्राम एग्रीमाइसीन–100 और 500 ग्राम काँपर आँक्सीक्लोराइड (फाइटोलान /ब्लाइटाक्स–50 /क्यूप्राविट का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से 3–4 बार 10 दिनों के अंतराल से छिड़काव करें |

  • ट्रेप्टोमाइसीन / एग्रीमाइसीन से बीज को उपचारित करके बोएं |
  • इस रोग के लगने पर नाइट्रोजन की मात्रा कम कर देनी चाहिए |

ब्लास्ट या झोंका रोग :-

यह रोग फफूंद से फैलता है | पौधे के सभी भाग इस रोग से प्रभावित होते हैं | इस रोग में पतियों पर भूरे धब्बे, कत्थई रंग एवं बीच वाला भाग राख के रंग का हो जाता है | फलस्वरूप बाली आधार से मुड़कर लटक जाती है एवं दाने का भराव भी पूरा नहीं हो पता है |

झोंका रोग या ब्लास्ट तोग का नियंत्रण

ब्लास्ट या झोंका रोग जुलाई के प्रथम पखवाड़े में रोपाई पूरी कर लें | देर से रोपाई करने पर झोंका रोग लगने की आशंका बढ़ जाती है | बीज का कार्बेन्डाजिम एवं थीरम (1:1) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम या फंगोरिन 6 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीजोपचार करना चाहिए |

रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम (50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) 500 ग्राम या ट्राइसायक्लेजोल या एडीफेनफाँस (50 प्रतिशत ई.सी.) 500 मि.ली. या हेक्साकोनाजोल (50 प्रतिशत ई.सी.) 1.0 लीटर या मैंकोजेब (75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) 2.0 किलोग्राम या जिनेब (75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) 2.0 किलोग्राम या कार्बेन्डाजिम (12 प्रतिशत) +मैंकोजेब (63 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) 750 ग्राम या आइसोप्रोथपलीन (40 प्रतिशत ई.सी.) 750 मि.ली. या कासूगामाइसिन (3 प्रतिशत एम.एल.) 1.15 लीटर दवा 500–750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें |

कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से दुसरा छिडकाव कल्ले फूटते समय, तीसरा छिड़काव बालियां निकलते समय और ग्रीवा संक्रमण रोकने के लिए करना चाहिए |

झुलसा या जीवाणु पर्ण अंगमारी रोग :-

यह रोग जीवाणु द्वारा होता है | पौधों की छोटी अवस्था से लेकर परिपक्व अवस्था तक यह रोग कभी भी हो सकता है | इस रोग में पत्तियों के किनारे उपरी भाग से शुरू होकर मध्य भाग तक सूखने लगते हैं | सूखे पीले पत्तों के साथ–साथ राख के रंग के चकते भी दिखाई देते हैं | पत्तों पर जीवाणु के रिसाव से छोटी–छोटी बूंदे नजर आती है तथा पौधों में शिथिलता आ जाती है | अंतत: बालियां दानों से रहित रह जाती है |

झुलसा या जीवाणु पर्ण अंगमारी रोग का नियंत्रण

झुलसना रोगने की अवस्था में नाईट्रोजन का प्रयोग कम कर देना चाहिए | इसके अलावा जिस खेत में झुलसा रोग लगा है उस खेत का पानी दुसरे खेत में नहीं जाना चाहिए | खेत में रोग को फैलने से रोकने के लिए खेत से समुचित जल निकास की व्यवस्था की जाए तो रोग को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है | रोग के नियंत्रण के लिए 74 ग्राम एग्रीमाइसीन–100 और 500 ग्राम काँपर आँक्सीक्लोराइड (फाइटोलान/ब्लाइटाक्स–50/क्युप्राविट) का 500 लीटर पानी में घोलकर बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से तीन–चार बार छिडकाव करें | पहला छिड़काव रोग प्रकट होने पर तथा आवश्यकतानुसार 10 दिनों के अंतराल पर करें |

नियंत्रण के लिए 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट (90 प्रतिशत) या 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइक्लिन या टेट्रासाक्लिन हाईड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत को 500 ग्राम काँपर आँक्सीक्लोराइड (50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) के साथ मिलाकर प्रति हैक्टेयर 500 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर 10–12 दिनों के अंतराल पर 2–3 छिड़काव करना चाहिए |

गुतान झुलसा (शीथ ब्लाइट) :-

यह रोग फफूंद द्वारा होता है | पत्ती की शीथ पर 2–3 से.मी. लंबे हरे से भूरे रंग के धब्बे पड़ते हैं जोकि बाद में चलकर भूरे रंग के हो जाते हैं | धब्बों के चारों तरफ बैंगनी रंग की पतली धारी बन जाती है |

इस तरह करें नियंत्रण

गुतान झुलसा रोग की रोकथाम के लिए ट्राईकोडर्मा विरिडी 1 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 5 से 10 ग्राम प्रति लीटर पानी (2.5 किलोग्राम), 500 लीटर पानी में घोलकर पर्णीय छिडकाव करें |

रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम (50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) 500 ग्राम या थायोफिनेट मिथाइल (70 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) 1.0 किलोग्राम कार्बेन्डाजिम (50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी.) 500 ग्राम या कार्बेन्डाजिम (12 प्रतिशत)+मैंकोजेब (63 प्रतिशत डब्यू.पी.) 750 ग्राम या प्रोपिकोनाजोल (25 प्रतिशत ई.सी.) 500 मि.ली. या हेक्साकोनाजोल (5.0 प्रतिशत ई.सी.) 1.0 लीटर दवा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से पर्णीय छिड़काव करें |

बकानी रोग :-

बकानी रोग के लक्षणों में प्राथमिक पत्तियों का दुर्बल तथा असामान्य रूप से लंबा होना है | फसल की परिपक्वता के समीप होने के समय संक्रमित पौधे, फसल के सामान्य स्तर से काफी ऊपर निकले हुए, हल्के हरे रंग के ध्वज–पत्रयुक्त लंबे टिलर्स दर्शाते हैं | संक्रमित पौधे में टिलर्स की संख्या प्राय: कम होती है और कुछ सप्ताह के भीतर ही नीचे से ऊपर की ओर एक के बाद दूसरी, सभी पत्तियां सुख जाती हैं | संक्रमित पौधे की जड़ें सड़कर काली हो जाती है और उनमें दुर्गंध आने लगती है |

रोग का नियंत्रण इस तरह करें

धान की फसल में बकानी रोग को रोकने के लिए कवकनाशियों के साथ बीजोपचार की संस्तुति की जाती है | कार्बेन्डाजिम के 0.1 प्रतिशत (1 ग्राम/लीटर पानी) घोल में बीजों को 24 घंटे भिगोयें तथा अंकुरित करके नर्सरी में बीजाई करें | रोपाई से पहले पौध का 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम के घोल में 12 घंटे तक उपचार भी प्रभावी पाया गया है |

खैरा रोग :-

यह रोग मृदा में जिंक की कमी के कारण होता है, जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है | खैरा रोग के कारण नर्सरी या मुख्य खेत में पौधों में छोटे–छोटे पैच में दिखाई देते है | इसके कारण पत्तियों पर हल्के पीले रंगे के धब्बे बनते हैं, जो बाद में कत्थई रंग के हो जाते हैं | पत्तियां मुरझा जाती है और इनके मध्य भाग क्लोरोटिक हो जाते हैं | पौधा बौना रह जाता है और पैदावार कम होती है |

प्रभावित पौधों की जड़ें भी कत्थई रंग की हो जाती हैं | पहले खेत के एक कोने में दिखने वाले धब्बे देखते ही देखते पूरी फसल में फैल जाते हैं | तेज धुप में दिनों में लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं | रोगग्रस्त पौधों पर कोई स्पाइक नहीं बनता है या अगर स्पाइक बनता भी है , तो दाना नहीं बनता |

रोग का नियंत्रण

खैर रोग से धान को बचाने के लिए 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हैक्टेयर की दर से रोपाई से पहले खेत की तैयारी के समय डालना चाहिए | रोकथाम के लिए 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा 2.5 किलोग्राम चुना 6,000 से 7,000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर का छिडकाव करें |

इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ 3 दोस्तों ने शुरू किया बकरी पालन, अब हो रही लाखों रुपये की कमाई

बकरी पालन से लाखों की आमदनी

एक तरफ जहाँ देश में लाखों युवा नौकरी के लिए परेशान हो रहे हैं वहीँ कुछ युवा ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी राह खुद ही बना ली है | जहाँ किसान खेती की घटती लागत को लेकर परेशान हैं वहीँ कई किसान ऐसे भी है जो खेती में नए तरीकों को अपनाकर मुनाफा कमा रहे हैं | ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल शहर के तीन युवाओं ने | हेमंत माथुर, प्रवीन गुप्ता, सुनील वर्मा पेशे से इंजीनियर हैं | वर्ष 2012 से पहले देश की बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे | लाखों रूपये के सालाना पैकेज होने के बाबजूद भी कुछ अलग करने की चाहत में नौकरी छोड़ बकरी पालन के क्षेत्र में आकर अपना बिजनेस शुरू किया |

तीनों दोस्त न केवल “गोकुल एग्रोनोमिक्स” कंपनी बनाकर न सिर्फ खुद बकरी पालन कर रहे हैं बल्कि ट्रेनिंग देकर किसानों तथा पशुपालकों से बकरी पालन करा भी रहे हैं | सबसे बड़ी बात यह है कि अन्य बकरी पालकों को जो गोकुल कंपनी से जुड़कर बकरी पालन कर हे रहे हैं उन सभी को बकरी बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध करवा रहे हैं |

2 लाख रूपये की लागत से शुरू किया था बकरी पालन

आज किसान के सामने सबसे बड़ा सवाल यही रहता है की वह कितनी लागत से बकरी पालन शुरू कर सकते हैं | ऐसे किसानों के लिए इन तीन दोस्तों ने किस तरह बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया यह जानना जरुरी है |

हेमंत माथुर, प्रवीण गुप्ता और सुनील वर्मा ने बकरी पालने के लिए पहले एक छोटी सी जगह में 1 लाख रूपये की लागत से बकरी के लिए शेड (आवास) का निर्माण किया | इसके बाद 1 लाख रूपये की लागत से कुछ बकरियों को खरीद कर बकरी पालन का कार्य शुरू किया | यह बकरी फार्म अब लगभग 1 एकड़ क्षेत्र में फ़ैल चूका है |

प्रतिदिन कितनी लागत आती है ?

पशुपालन व्यवसाय में आवश्यक है कि पशुओं को संतुलित आहार दिया जाये जिससे बकरी को कोई रोग न हो और वह पूरी तरह स्वस्थ रहें ताकि उनके भार में वृद्धि के सामने कोई बाधा न आये तीनों दोस्तों का कहना है की उन्हें प्रति बकरी के आहार पर प्रति दिन 20 रुपये का खर्च आता है | इसमें दाना मिश्रण, हरा चारा, सुखा भूसा आदि सम्मलित है |

बकरियों की इन नस्लों का कर रहे हैं पालन

अच्छी आमदनी के लिए आवश्यक है की बकरे की सही नस्लों का पालन किया जाए ताकि प्रति बकरी/बकरा सही आमदनी प्राप्त हो सके | तीनों दोस्तों ने बताया की अभी उनके फार्म में अभी 4 प्रकार की नस्लों का पालन किया जा रहा है: बीटल,सिरोही, बारबरी और सोजट |

बकरी पालन से होने वाली आमदनी

तीनों दोस्तों का कहना है कि वह प्रतिवर्ष लगभग 1200 बकरे बेचते हैं जो की 400 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बिकता है | इसके अतिरिक्त फार्म पर इच्छुक व्यक्तियों को बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है |

बकरी पालन शुरू करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है

तीनों दोस्तों के द्वारा स्थापित बकरी फार्म पर इच्छुक व्यक्तियों को समय-समय पर बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है | तीनो दोस्तों के मुताबिक अभी तक 1 हजार से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जा चूका है जो सफल रूप से बकरी पालन फार्म शुरू कर चुके हैं |

bakri palan Training
बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण

प्रशिक्षण के बाद पशुपालकों को बकरी का बच्चा या बकरी गोकुल बकरी पालन के तरफ से उपलब्ध कराई जाती है | इसके अलावा पशुपालक चाहे तो बकरी अपने स्तर पर बेच सकते हैं या फिर गोकुल बकरी पालक को ही देकर नगद पैसा प्राप्त कर सकते हैं | गोकुल बकरी पालन किसानों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर बकरी पालन कर रहा है, जिससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार मिल रहा है तथा आमदनी का अच्छा स्रोत उत्पन्न किया है |

सब्सिडी पर यह कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

खरीफ फसल की कटाई इस माह के अंतिम सप्ताह में शुरू हो जाएगी | इसके साथ ही रबी फसल की बुवाई की तैयारी भी किसान करने लगेंगे | किसानों को समय पर योजना के तहत सब्सिडी पर कृषि यंत्र मिल सके इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों ने प्रक्रिया शुरू कर दी है | इस कड़ी में मध्यप्रदेश कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए उपयोगी कुछ कृषि यंत्रों के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं | इच्छुक किसान इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेने हेतु आवेदन कर सकते हैं |

इस बार मध्यप्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचनालय द्वारा कृषि यंत्र के आवेदन के लिए 5,000 रूपये का बैंक ड्राफ्ट अनिवार्य कर दिया गया है | जिससे कोई भी किसान नाम चयन होने पर कृषि यंत्र जरुर खरीदे | इच्छुक किसान इस बार आवेदन करते समय 5,000 रूपये का बैंक ड्राफ्ट अवश्य बना कर रखें |

किसान इन कृषि यंत्रों पर सब्सिडी हेतु कर सकते हैं आवेदन

खरीफ फसल की कटाई और रबी फसल हेतु खेत की तैयारी को देखते हुए किसानों को विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र दिये जा रहे हैं | इच्छुक किसान आवश्यकता अनुसार इन कृषि यंत्रों को अनुदान पर प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं :-

  • श्रेडर / मल्चर
  • पॉवर टिलर (8 बी.एच.पी. से अधिक)
  • लेजर लेंड लेवलर
  • रीपर कम बाइंडर
  • लेवलर ब्लेड (हैवी ड्यूटी)

ऊपर दिये गये कृषि यंत्रों में से लेजर लैंड लेवलर एवं लेवलर ब्लेड (लाइट ड्यूटी एवं हैवी ड्यूटी) के लक्ष्य केवल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ग्वालियर एवं चम्बल संभाग के लिए जारी किये गए हैं |

कृषि यंत्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी

मध्यप्रदेश में किसानों को अलग-अलग योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों पर किसान वर्ग एवं श्रेणी के अनुसार अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है, जो 40 से 50 प्रतिशत तक है | किसान जो कृषि यंत्र लेना चाहते हैं वह किसान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं |

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन के लिए किसानों को बनवाना होगा बैंक ड्राफ्ट

कृषि यंत्रों के आवेदन से पहले जिले के सहायक कृषि यांत्रिक के नाम से बैंक ड्राफ्ट बनाना जरुरी है | ऑनलाइन आवेदन करते समय उस ड्राफ्ट की स्कैन कॉपी अपलोड करना अनिवार्य है | ऊपर के सभी कृषि यंत्रों के लिए 5,000 रूपये का बैंक ड्राफ्ट बनाना जरुरी है | जिलेवार सहायक कृषि यंत्री की सूची देखने के लिए नीचे लिंक दी गई है |

जिलेवार सहायक कृषि यंत्री की लिस्ट हेतु क्लिक करें

जिस किसान का लाँटरी में नाम चयन नहीं होगा उन सभी किसानों को बैंक ड्राफ्ट लौटा दिया जाएगा | चयनित आवेदकों को अपना बैंक ड्राफ्ट लाटरी के बाद तीन दिवस की अवधि में सम्बंधित सहायक कृषि यंत्री, कार्यालय में जमा किया जाना आवश्यक होगा। इस व्यवस्था अंतर्गत लॉटरी से चयनित एवं प्रतीक्षा सूची के आवेदनों हेतु धरोहर राशि उनके प्रकरण के अंतिम निराकरण तक जमा रहेगा तथा उसके उपरांत कृषको को वापस लौटा दिया जाएगा।

किसान कब कर सकते हैं आवेदन ?

मध्य प्रदेश कृषि यांत्रिक विभाग द्वारा ऊपर दिए गए कृषि यंत्रों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है | मध्य प्रदेश के किसान 10 सितम्बर 2021 से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 सितम्बर 2021 है इसके पश्चात आवेदन बन्द कर दिए जाएंगे | इसके बाद 21 सितम्बर 2021 को लाँटरी जारी कर दिया जायेगा |

कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन कहाँ करें ?

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं परन्तु सभी किसान भाइयों को यह बात ध्यान में रखना होगा की आवेदन के समय उनके पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर OTP वन टाइम पासवर्ड प्राप्त होगा | इसलिए किसान अपना मोबाइल अपने पास रखें | किसान https://dbt.mpdage.org/ पर जाकर आवेदन करें |

सब्सिडी पर दिए गए कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें