नई गन्ना सट्टा नीति के तहत किसान अधिकतम बेच सकेंगे 6,750 क्विंटल गन्ना

गन्ने के सट्टे एवं आपूर्ति नीति

गन्ने के मूल्य में बढ़ोत्तरी के बाद गन्ने के किसानों को अगले माह से गन्ने की आपूर्ति शुरू हो जाएगी | इस वर्ष केंद्र सरकार ने गन्ने के लाभकारी मूल्य FRP में 5 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है | जिससे केंद्र द्वारा गन्ने का मूल्य 290 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है | उतर प्रदेश सरकार ने गन्ने का मूल्य 315 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है | सरकार ने अगले पेराई सत्र के लिए गन्ने की नयी सट्टा नीति घोषित कर दी है। इसके तहत गन्ने के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए प्रति किसान प्रति हेक्टेयर गन्ने की आपूर्ति सीमा बढ़ा दी गयी है | इस लक्ष्य के अनुसार ही किसान गन्ना को चीनी मिल को बेच सकते हैं |

किसान प्रति हेक्टेयर कितना गन्ना बेच सकते हैं ?

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए नई गन्ना सट्टा नीति जारी की है | इस नीति के अनुसार ही किसानों को गन्ना बेचने का लक्ष्य दिया जा रहा है | राज्य के सीमांत, लघु सीमांत तथा सामन्य किसान अधिकतम गन्ना बेचने का लक्ष्य इस प्रकार निर्धारित किया गया है |

  • सीमांत कृषक (1 हेक्टेयर तक) – 850 क्विंटल
  • लघु सीमांत किसान (2 हेक्टेयर तक) – 1,700 क्विंटल
  • सामान्य कृषक (5 हेक्टेयर तक) – 4,250 क्विंटल

इसके अलावा उपज में बढ़ोतरी की दशा में गन्ने की खरीदी लक्ष्य को बढ़ाया जाएगा | प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए गन्ने के अधिक पैदावार होने पर लक्ष्य निर्धारित कर दिया है |

  1. सीमांत कृषक (1 हेक्टेयर तक) – 1,350 क्विंटल
  2. लघु सीमांत किसान (2 हेक्टेयर तक) – 2,700 क्विंटल
  3. सामान्य कृषक (5 हेक्टेयर तक) – 6,750 क्विंटल

गन्ने बेचने के लिए लक्ष्य कैसे निर्धारित किया गया ?

उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग के द्वारा आपूर्तिकर्ता कृषकों की अधिकतम गन्ना आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पिछले 2 वर्ष, 3 वर्ष तथा 5 वर्ष की औसत गन्ना आपूर्ति में से अधिकतम औसत गन्ना आपूर्ति को पेराई सत्र 2021–22 के लिए बेसिक कोटा माने जाने का निर्देश दिये गये हैं | जो किसान नये सदस्य बने हैं या एक वर्ष से गन्ने की आपूर्ति कर रहे हैं , उस किसान को एक वर्ष का ही बेसिक कोटा माना जायेगा |

गन्ना बेचने के लिए इन किसानों को दी जाएगी प्राथमिकता

  • किसान की मृत्यु हो जाने पर उसके परिवार के सदस्य को गन्ना बेचने के लिए मान्य रहेगा | लेकिन यह सुविधा सिर्फ इस गन्ना स्तर के लिए ही रहेगी |
  • इसके अलावा अर्द्ध सैनिकों, सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को गन्ना बेचने में प्राथमिकता दी जाएगी | इसके लिए उन्हें जारी प्रमाण-पत्र को दिखाना जरुरी है |

औसत उपज से ज्यादा होने पर किसान अधिक पैदावार को कैसे बढायें ?

किसी किसान को ऐसा लगता है की उनका गन्ने का उत्पादन पहले से अधिक होने वाला है तो ऐसी स्थिति में किसान क्राप कटिंग से पहले अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2021 तक शुल्क के साथ आवेदन कर लक्ष्य को बढा सकते हैं | इसके साथ ही ड्रिप सिंचाई से गन्ने का उत्पादन करने वाले किसानों को अतिरिक्त सट्टे में प्राथमिकता दी जाएगी तथा अतिरिक्त सट्टे में अस्वीकृति गन्ना प्रजातियों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी | ट्रेंच विधि से बुवाई, सहफसली खेती एवं ड्रिप के प्रयोग एक ही खेत पर शुरू करने वाले चयनित उत्तम गन्ना कृषकों से उपज बढ़ोत्तरी के प्रार्थना – पत्र नि:शुल्क प्राप्त किये जाएंगे |

गन्ने के सर्वे से लेकर गन्ने की आपूर्ति की समय सरणी जारी कर दिया गया है ?

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के गन्ना किसानों के लिये सर्वे से लेकर गन्ने की आपूर्ति के लिए समय सारणी जारी कर दी है | किसान इस समय सरणी के आधार पर गन्ने के नए सदस्य तथा गन्ने की आपूर्ति कर सकते हैं |

  • कृषकवार सर्वे एवं सट्टा सूची का ग्रामवार प्रदर्शन 20/072021 से 30/08/2021 के मध्य रहेगा |
  • प्री–कलेंडर का ऑनलाइन वितरण 01/09/2021 से 10/09/2021 तक है |
  • समिति स्तरीय सत्ता प्रदर्शन 11/09/2021 से 30/09/2021 तक है |
  • गन्ना समितियों के नये सदस्य की भर्ती 30/09/2021 तक है |
  • कृषकवार सत्ते की मात्रा का आगमन 10/10/2021 तक है |

किसान कब से गन्ना बेच सकते हैं ?

राज्य के किसानों को गन्ना बेचने के लिए मोबाईल पर मैसेज भेजा जायेगा | किसानों हेतु ई.आर.पी. एवं मोबाईल एप पर अंतिम व्यवस्था के अंतर्गत कृषकों के लिए सुलभ स्थान पर एक अतिरिक्त टर्मिनल लगा कर पूछ-ताछ केंद्र स्थापित किया जाएगा | गन्ना आपूर्ति के सम्बंध में कोई विशेष तात्कालिक समस्या उत्पन्न होने की स्थिति में जिला गन्ना अधिकारी एवं क्षेत्रीय उप गन्ना द्वारा नियमानुसार समस्या का त्वरित निराकरण कराया जाएगा | गन्ना किसान किसी भी समस्या के निराकरण के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-121-3203 पर फोन करके शिकायत दर्ज करा सकते हैं |

75 प्रतिशत की सब्सिडी पर 14,418 किसानों को दिए गए सोलर पम्प

कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प की स्थापना

केंद्र सरकार के नवीन एवं नवीनकरनीय ऊर्जा मंत्रालय MNRE के द्वारा शुरू की गई कुसुम योजना ने देश में रफ्तार पकड़ ली है | कुसुम योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प दिए जाते हैं, जिससे कृषि की लागत तो कम होती ही है साथ ही किसान निर्वाध रूप से फसलों की सिंचाई कर सकते हैं | केंद्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा दी जा रही सब्सिडी के कारण किसान को कम मूल्य में सोलर पम्प मिल जाते हैं | जिससे अधिक से अधिक किसान अपने खेतों पर सोलर पम्प की मदद से सिंचाई कर सकते हैं |

15 हजार के मुकाबले सरकार ने लगाये 14,418 सोलर पम्प

केंद्र सरकार के द्वारा हरियाणा को 520 करोड़ रूपये की लागत से 15,000 सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य दिया गया था | हरियाणा सरकार ने 14,418 सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है | इसके साथ ही देश भर में हरियाणा इस योजना को लागू करने में प्रथम स्थान प्राप्त किया है | हरियाणा में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान का लाभ हरियाणा के सीमांत किसान तथा डीजल पम्प से सिंचाई करने वाले किसान ज्यादा है | राज्य में सोलर पैनल से 105 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है |

राज्य में सोलर पम्प पर कितनी सब्सिडी दी जा रही है?

वैसे तो कुसुम योजना के तहत अधिकांश राज्यों में किसानों को 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है परन्तु हरियाणा में 75 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 3 एचपी से 10 एचपी क्षमता के स्टैंडअलोन सोलर पंप स्थापित किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत भारत सरकार 30 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता और राज्य सरकार 45 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है। किसानों को कुल पंप लागत का केवल 25 प्रतिशत भुगतान करना होता है।

इस योजना के तहत सोलर पम्प को सिंचाई  / जल प्रयोक्ता संघ / समुदाय / क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली आदि के लिए किया जा सकता है | इसके साथ ही सोलर पम्प के रख रखाव, आपदा से नुकसानी तथा चोरी होने पर भरपाई के लिए बीमा कराया जाएगा | सोलर पम्प का बीमा 5 वर्षों के लिए रहता है |

42 हजार से अधिक किसानों ने किया है सोलर पम्प के लिए आवेदन

सोलर पम्प लगाने के लिए किसानों के तरफ से मांग इतनी ज्यादा है कि 15000 पंपों के लक्ष्य के मुकाबले विभाग को 42,000 से अधिक ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस प्रतिक्रिया को देखते हुए विभाग ने चालू वित्त वर्ष के लिए 844 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ 22,000 पंप स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दरों एवं फर्मों को अंतिम रूप देने के तुरंत बाद आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। PM-KUSUM योजना के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-180-3333 पर कॉल कर अधिक जानकारी ले सकते हैं |

किसानों के लिए बहुत काम की है पॉवर टिलर मशीन, जानें इससे क्या-क्या काम कर सकते हैं किसान

पॉवर टिलर कृषि मशीन

देश में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या अधिक होने एवं जोतों का आकार कम होने के कारण ट्रेक्टर जैसे कृषि यंत्र सभी किसान नहीं ले सकते हैं | छोटे और अलग-अलग स्थानों पर खेत होने के कारण कृषि में मशीनों के उपयोग में किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | देश में किसानों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है की सभी किसान ट्रेक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर जैसे बड़े और महंगे कृषि यन्त्र नहीं खरीद सकते हैं | ऐसे किसानों के लिए पॉवर टिलर एक छोटा और सस्ता कृषि यंत्र उपलब्ध है | जिसका उपयोग खेती के कई कार्यों में किया जा सकता है |

पॉवर टिलर कृषि मशीन से किये जा सकने वाले कृषि कार्य

हल्के वजन तथा दो व्हील होने के कारण आसानी से खेत के मेड़ों पर भी लेकर चला जा सकता है | इसका उपयोग पानी भरे खेतों, पडलिंग, सूखे खेत की जुताई, समतलीकरण, बुआई, रोपाई, कीटनाशक छिडकाव, निंदाई-गुड़ाई, खेत में पानी पम्प करना, फसल कटाई, फसल ढुलाई आदि जैसे कई कार्य किये जा सकते हैं |

पॉवर टिलर कितने प्रकार के होते हैं ?

कृषि कार्यों में उपयोग के अनुसार बाजार में अलग-अलग हार्स पॉवर के पॉवर टिलर मौजूद हैं | इसमें मिनी पॉवर टिलर जो कि 9 एचपी तक होता है का उपयोग छोटे बगीचे एवं किचन गार्डन में आसानी से किया जा सकता है | वहीँ मध्यम आकार के टिलर जो की 9 से 14 हार्स पॉवर तक होता है का उपयोग छोटे खेत में हल्की जुताई एवं अन्य कृषि कार्यों में किया जा सकता है | इसके आलवा बड़े पॉवर टिलर भी बाजार में मौजूद हैं जो 20 हार्स पॉवर तक के होते हैं का उपयोग लगभग सभी प्रकार के कृषि कार्यों में आसानी से किया जा सकता है |

ट्रेक्टर की तुलना में पॉवर टिलर से लाभ

  • पॉवर टिलर ट्रेक्टर की तुलना में काफी सस्ता होता है एवं उन जगहों में आसानी से कार्य कर सकता है जहाँ ट्रेक्टर नहीं पहुँच सकता |
  • ट्रेक्टर की तुलना में इसमें ईंधन की खपत कम होती है जिससे कृषि की लागत कम की जा सकती है |
  • जहाँ खेती के कार्यों में श्रमिक कम है वहां यह अधिक उपयोगी होता है | छोटा होने के चलते इसका उपयोग, पहाड़ी, पठारी और छोटे जोत वाले किसानों के बीच अधिक किया जाता है |

पॉवर टिलर के साथ यह कृषि यंत्र लगाकर करें बुआई से लेकर कटाई तक के कार्य

वैसे तो पॉवर टिलर इंजन, ट्रांसमिशन, गियर, क्लच, ब्रेक और रोटरी के साथ आता है परन्तु इसके साथ अलग-अलग कृषि कार्यों के लिए अलग-अलग प्रकार के कृषि यंत्रों को जोड़ कर बुआई से लेकर कटाई एवं फसल ढुलाई का काम भी आसानी से कर सकते हैं |

रोटरी हल इकाई :-

रोटरी हल इकाई का प्रयोग सूखे तथा हल्की नमी वाले खेतों की जुताई में किया जाता है | यह झाड़ियाँ तथा खरपतवार को खत्म करने में काम आता है | इसका उपयोग रबी फसल की बुवाई में किया जाता है | इसके संचालन में 1.5 से 2.0 लीटर प्रति घंटे की दर से डीजल की खपत होती है |

केज व्हील :-

पावर टिलर के टायर के चक्कों को बदलकर केज व्हील लगाया जाता है | इसका उपयोग धान की खेती या फिर पानी भरे खेत की जुताई के लिए किया जाता है | केज व्हील से पॉवर टिलर खेत में आसानी से चलता है तथा मिट्टी को कर्षण बनाकर पडलिंग किया जाता है |

कल्टीवेटर इकाई :-

आमतौर पर इसमें पांच टाइन होते हैं | इससे हल्की से लेकर माध्यमिक जुताई की जा सकती है | जुताई के लिए टाइन को ऊपर या नीचे कर सकते हैं | इसके संचालन में लगभग 1.4 से 1.8 लीटर प्रति घंटे की दर से डीजल की खपत होती है |

रिज फरोवर :-

सब्जी, गन्ने या आलू की बुवाई के लिए किसान इस यंत्र का प्रयोग करते हैं | इस कृषि यंत्र से किसान पावर टिलर के सहयोग से मेड बना सकता है | इसका संचालन में 1.6 से 1.8 लीटर प्रति घंटे की दर से डीजल की खपत होती है |

भूमि समतलीकरण इकाई :-

खेत में पट्टा लगाने तथा मिट्टी के बड़े–बड़े ढेलों को छोटा करने के लिए इस कृषि यंत्र का प्रयोग किया जाता है | इसके उपयोग में 1.2 से 1.5 लीटर प्रति घंटे की दर से डीजल की खपत होती है |

बीज सह उर्वरक ड्रिल :-

बीज को निश्चित दुरी तथा गहराई पर रोपने के लिए इस कृषि यंत्र का उपयोग किया जाता है | इस कृषि यंत्र का उपयोग गेहूं, मूंगफली, सोयाबीन, चना आदि की बुवाई के लिए किया जाता है |

पम्प सेट :-

फसलों के सिंचाई के लिए पम्प सेट का प्रयोग किया जाता है | पॉवर टिलर पम्प सेट को एक जगह से दुसरे जगह ले जाने में काफी आसानी होती है | इसका प्रयोग कुआँ, तलाब, नदी से पानी को बाहर निकलने के लिए उपयोग किया जाता है | इसे संचालन में 1.2 से 1.4 लीटर प्रति घंटा डीजल की खपत होती है |

स्प्रेयर इकाई :-

इस कृषि यंत्र का प्रयोग कृषि फसलों तथा बागवानी में कीटनाशक या अन्य प्रकार के दवाईयों के छिडकाव के लिए किया जाता है | इस कृषि यंत्र की संचालन में 1.2 से 1.5 लीटर प्रति घंटे की दर से डीजल की खपत होती है |

आलू खुदाई यंत्र :-

खेत से आलू को निकालने के लिए बनाया गया है | इसको पॉवर टिलर के माध्यम से संचालित किया जाता है | इसको चलाने में 1.5 से 1.8 लीटर प्रति घंटा के दर से डीजल की खपत होती है |

रीपर इकाई :-

1 फीट से अधिक लम्बी फसलों की कटाई के लिए रीपर का प्रयोग किया जाता है | पावर टिलर से चलने वाले रीपर रबी तथा खरीफ दोनों प्रकार के फसलों की कटाई के लिए उपयोग किया जाता है | इसके संचालन में 1.5 से 1.8 लीटर डीजल की खपत होता है |

ट्राली :-

ट्रेक्टर की तरह ही पॉवर टिलर में ट्राली का उपोग किया जाता है | इसका आकर छोटा होता है तथा खेतों में समान ढोने के काम आता है | पावर टिलर ट्राली का उपयोग करने में 1.2 से 1.4 लीटर डीजल का खर्च होता है |

पॉवर टिलर की कीमत क्या है ?

इसकी कीमत की बात की जाए तो इसका दाम ट्रैक्टर की तुलना में काफी कम होता है। क्वालिटी और कंपनी के अनुसार इसके दाम अलग-अलग हो सकते हैं।  बाज़ार में 14 हॉर्स पावर  के पावर टिलर की कीमत 1.5 लाख रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक है | जो कम्पनी के अनुसार अलग-अलग हो सकती है | अलग-अलग राज्यों में सरकार द्वारा किसानों को पॉवर टिलर पर सब्सिडी भी दी जाती हैं | इसके लिए किसानों को पहले आवेदन करना होता है उसके बाद चयन होने पर किसान सब्सिडी पर पॉवर टिलर खरीद सकते हैं |

किसान अधिक आमदनी के लिए इस तरह करें काले गेहूं की खेती

काले गेहूं की खेती

समय के साथ देश में किसानों का नवाचार करने के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है, आज के समय में किसान अधिक आय के लिए खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं | इसके लिए किसानों द्वारा अलग-अलग तरह की फसलों के लिए नई किस्मों की खेती की जा रही है | ऐसे ही देश में उत्पादन होने वाली सबसे मुख्य फसल गेहूं एवं धान के साथ भी हो रहा है | आजकल किसानों के बीच काले गेहूं एवं काले धान की खेती के प्रति रुझान बढ़ा है |

जैसा की स्वाभाविक है, वैसे तो देश में गेहूं की कई प्रजातियां मौजूद हैं | इसमें से कुछ प्रजातियाँ रोग प्रतिरोधक है तो कुछ प्रजातियाँ ज्यादा उत्पादन देने वाली है | स्वाद के मामले में भी कुछ प्रजातियाँ मिलती हैं लेकिन देखने में सभी के बीज एक जैसे ही रहते हैं तथा सभी का महत्व भी एक समान ही है | परन्तु हाल ही में विकसित काले गेहूं की प्रजाति ने सभी किसानों क ध्यान आकर्षित किया है |

हाल ही में कई किसानों के द्वारा आमदनी बढ़ाने के लिए काले गेहूं की खेती की शुरुआत की है | इस गेहूं का उत्पादन भी सामान्य गेहूं की तरह ही होता है तथा खेती भी सामान्य गेहूं की तरह ही है | इसके बावजूद इसमें औषधीय गुण अधिक होने के कारण बाजार में इस गेहूं की मांग अधिक है |

सामान्य गेहूं की तुलना में काले गेहूं से होने वाले फायदे

काला गेहूं दिखने में काले या बैंगनी रंग के होते हैं, पर इसके गुण सामान्य गेहूं की तुलना में अधिक होते हैं | एन्थोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण इनका रंग काला होता है | साधारण गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है जबकि काले गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है |

यह गेहूं कई प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर हैं इसमें एंथ्रोसाइनीन जोकि एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है प्रचुर मात्रा में पाया जाता है | जो हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है | काले गेहूं रंग में काला तथा स्वाद में सामान्य गेहूं से थोडा अलग होता है |

किस समय पर करें काले गेहूं की बुआई

काले गेहूं की खेती भी सामान्य सिंचित गेहूं की तरह ही की जा सकती है, जैसा की आप सभी जानते हैं गेहूं एक रबी फसल है अतः काले गेहूं की खेती भी रबी मौसम में की जाती है | वैज्ञानिकों के अनुसार काले गेहूं की खेती के लिए नवम्बर का महीना उपयुक्त है | इस मौसम में खेतों में नमी होती है जो काले गेहूं के लिए काफी जरुरी है | नवम्बर के बाद काले गेहूं की बुआई करने पर पैदावार में कमी आती है |

काले गेहूं की खेती कैसे करें

गेहूं की बुवाई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है। काले गेहूं का उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता है। किसान भाई बाजार से या किसी किसान से इसके बीज खरीद कर बुवाई कर सकते हैं। खरीदने के बाद किसान बीज की गुणवत्ता की जांच कर लें | पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की आवश्यकता होती है। वहीं छिटकाव विधि से बुवाई में सामान्य दाना 125 किलोग्राम, मोटा-दाना 150 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले जमाव प्रतिशत अवश्य देख ले। राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा नि:शुल्क उपलबध है।

यदि बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा ले तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें। इसके लिए बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बुवाई कर लेना चाहिए। सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किलोग्राम तथा मोटा दाना 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

खाद व उर्वरक

खेत की तैयारी के समय जिंक व यूरिया खेत में डालें तथा डीएपी खाद को ड्रिल से दें। बोते समय 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ देना चाहिए। वहीं पहली सिंचाई के समय 60 किलो यूरिया दें।

सिंचाई

काले गेहूं की फसल की पहली सिंचाई तीन हफ्ते बाद करें। इसके बाद फुटाव के समय, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले, दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई अवश्य करें।

नाबी ने विकसित की काले गेहूं की नई किस्में

सात वर्ष के रिसर्च के बाद काले गेहूं की इस नई किस्म को पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट नाबी ने विकसित किया है। नाबी के पास इसका पेटेंट भी है। इस गेहूं की खास बात यह है कि इसका रंग काला है। इसकी बालियां भी आम गेहूं जैसी हरी होती हैं, पकने पर दानों का रंग काला हो जाता है। नाबी की साइंटिस्ट और काले गेहूं की प्रोजेक्ट हेड डॉ. मोनिका गर्ग के अनुसार नाबी ने काले के अलावा नीले और जामुनी रंग के गेहूं की किस्म भी विकसित की है।

नाबी ने किसानों को बीज उपलब्ध करवाने के लिए कई कंपनियों के साथ समझौता किया है, किसान इन कंपनियों के माध्यम से अलग-अलग राज्यों में उपलब्धता के अनुसार गेहूं के बीज खरीद सकते हैं | 

किसान यहाँ से खरीद सकते हैं काले गेहूं का बीज

काले गेहूं की खेती अभी देश में नई है, जिसके चलते देशभर में चुनिन्दा किसानों के द्वारा ही इसकी खेती की जाती है | कम खेती होने के कारण अभी इसके बीज बाजार में आसानी से किसानों को उपलब्ध नहीं हो पा रहें है | ऐसे किसान जो काले गेहूं की खेती करने में इच्छुक है वह किसान 6267086404 पर संपर्क कर काले गेहूं का बीज खरीद सकते हैं |

किसानों के लिए खुशखबरी: राज्य सरकार ने गन्ने का मूल्य बढ़ाकर किया 362 रुपये प्रति क्विंटल

गन्ने के मूल्य में वृद्धि

केंद्र सरकार ने अगस्त माह में गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) में 5 रूपये की वृद्धि की है | जिससे गन्ना का मूल्य 285 रूपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 290 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है | इसके अलावा राज्य सरकारें अपने राज्य के किसानों के लिए अलग से लाभकारी मूल्य जारी करती हैं | राज्यों के द्वारा जारी गन्ने के मूल्य को स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसपी) कहते हैं | राज्यों के द्वारा जारी एसपी केंद्र सरकार के द्वारा घोषित उचित एवं लाभकारी मूल्य से ज्यादा होता है |

हरियाणा सरकार ने वर्ष 2021–22 के लिए स्टेट एडवायजरी प्राईस जारी कर दिया है | राज्य सरकार का दावा है की हरियाणा देश के सभी राज्यों ने एसपी ज्यादा जारी किया है | हरियाणा ने राज्य के किसानों के लिए गन्ने के मूल्य में 12 से 15 रूपये की वृद्धि की है |

गन्ने के मूल्य में कितनी वृद्धि की गई ?

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए इस वर्ष गन्ने के मूल्य में वृद्धि की है | यह मूल्य वृद्धि 12 रूपये से लेकर 15 रूपये तक है | अगेती किस्म के गन्ने के मूल्य में वर्ष 2021–22 में 12 रूपये की वृद्धि करते हुए 362 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है | पहले अगेती गन्ने का मूल्य 350 रूपये प्रति क्विंटल था |

इसी प्रकार पिछेती गन्ने के मूल्य में वर्ष 2021–22 के लिए 15 रूपये की वृद्धि करते हुए 355 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है | पहले गन्ने का मूल्य 340 रूपये प्रति क्विंटल था |

किसानों को गन्ने की नई किस्में बोने की दी गई सलाह

हरियाणा में पहले से बुवाई की जा रही गन्ने की 0238 किस्म में बीमारिया आ रही है | इसलिए केंद्र व एचएयू के वैज्ञानिकों से चर्चा करने के उपरांत कृषि वैज्ञानिक ने किस्म 15023 विकसित की है | वर्तमान में बुवाई की जा रही गन्ने की किस्म से सामान्यत: 10.50 प्रतिशत के आस–पास चीनी की रिकवरी आती है, जबकि विकसित की गई 15023 नई गन्ने की किस्म की रिकवरी 14 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद जताई जा रही है | इस नई किस्म के गन्ने के उत्पादन में 30 प्रतिशत तक वृद्धि होने की उम्मीद है |

क्या है अन्य राज्यों में गन्ने का भाव

गन्ने के मूल्य में केंद्र सरकार ने 5 रूपये की वृद्धि कर के देश भर के किसानों के लिए 290 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है | जबकि अन्य राज्य ने एसपी के मूल्य में वृद्धि की है जो इस प्रकार है:-

  1. उत्तर प्रदेश – 315 रूपये प्रति क्विंटल
  2. पंजाब – 360 रूपये प्रति क्विंटल
  3. हरियाणा – 362 रूपये प्रति क्विंटल

30 सितम्बर तक 25 हजार किसानों को दिए जाएंगे सोलर पम्प

कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प की स्थापना

देशभर में सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए कुसुम योजना चलाई जा रही है | योजना के तहत किसानों को सोलर पम्प एवं सोलर उर्जा प्लांट की स्थापना पर सरकार द्वारा सहायता दी जाती है | सोलर पम्प से जहाँ किसान कम लागत में फसलों की सिंचाई कर सकते हैं वहीँ सोलर पम्पो का उपयोग ऐसे क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जहाँ बिजली नहीं है | सोलर पम्प के महत्व को देखते हुए सरकार द्वारा अधिक से अधिक किसानों को सोलर पम्प सब्सिडी पर उपलब्ध करवा रही है |

राजस्थान राज्य में गत बजट घोषणा के तहत राज्य में 25 हजार सोलर पम्प स्थापित किए जाने हैं। जिनमें करीब 22 हजार पम्प लगाने के कार्यादेश जारी कर दिए हैं, शेष रहे 3 हजार पम्प के लिए भी नियत तिथि 30 सितम्बर से पहले कार्यादेश जारी करने की बात प्रमुख शासन सचिव ने कही |

22 हजार सोलर पम्प के लिए आदेश जारी

कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री भास्कर ए सावंत ने आगामी 30 सितम्बर तक कुसुम योजना के तहत लक्षित सभी 25 हजार सोलर पम्प के कार्यादेश जारी करने के निर्देश दिए। प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि गत बजट घोषणा के तहत राज्य में 25 हजार सोलर पम्प स्थापित किए जाने हैं। करीब 22 हजार पम्प लगाने के कार्यादेश जारी कर दिए हैं, शेष रहे 3 हजार पम्प के लिए भी नियत तिथि 30 सितम्बर से पहले कार्यादेश जारी करना सुनिश्चित करें। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई योजना की समीक्षा करते हुए प्राप्त आवेदनों का शीघ्र सत्यापन कर काश्तकारों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सत्यापन की ज्यादा पेंडेंसी वाले जिलों को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्टीकरण नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

इस वर्ष स्थापित किए जाएंगे 50 हजार सोलर पम्प

उद्यानिकी विभाग के आयुक्त श्री अभिमन्यु कुमार ने विभागीय योजनाओं की प्रगति से अवगत कराते हुए बताया कि वर्ष 2020-21 की बजट घोषणा की अनुपालना में 25 हजार सोलर पम्प की प्रशासनिक स्वीकृति एवं 21 हजार 845 के कार्यादेश जारी किए गए हैं। इनमें से 18 हजार 808 पम्पों की आपूर्ति कर 17 हजार 530 पम्प स्थापित कर दिए गए हैं । उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार से इस वर्ष 50 हजार सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। इसके लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर फर्म एम्पेनलमेंट का कार्य किया जा रहा है, तब तक पिछली एम्पेनल्ड फर्मों से 25 प्रतिशत सोलर पम्प स्थापित कराने के निर्देश प्राप्त हुए हैं, जिसके लिए कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

राज्य में सोलर पम्प पर दी जाने वाली सब्सिडी

योजना के तहत स्टेण्ड अलोन सौर कृषि पम्प की लागत की बेंच मार्क लागत या निविदा लागत इनमें से जो भी कम हो, के लिये 30 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता, 30 प्रतिशत राज्य सहायता एवं शेष 40 प्रतिशत अंशदान का भुगतान किसान द्वारा किया जायेगा जिसमें भी केवल 10 प्रतिशत का भुगतान किसान देगा और शेष 30 प्रतिशत ऋण के रूप में बैंक से वित्तिय सहायता दी जायेगी | अर्थात सौर ऊर्जा पम्प सयंत्रों पर किसानों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया दिया जायेगा | किसान के हिस्से से लगने वाली 40 प्रतिशत राशि में से 30 प्रतिशत राशि तक का लोन किसान बैंक से ले सकते हैं जिससे उन्हें मात्र 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी | PM-KUSUM योजना के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-180-3333 पर कॉल कर अधिक जानकारी ले सकते हैं |

इस पोर्टल पर पंजीयन कर किसान एक साथ ले सकेंगे कई योजनाओं का लाभ

एकीकृत किसान पोर्टल

सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनओं का लाभ किसानों तक पारदर्शिता एवं आसानी से पहुँचाने के लिये योजनाओं को अब ऑनलाइन किया जा रहा है | अभी तक किसानों को विभिन्न योजनओं का लाभ लेने के लिए अलग-अलग कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और प्रत्येक योजना के लिए अलग-अलग आवेदन करना पड़ता है जिससे उन्हें समय पर योजना का लाभ नहीं मिल पाता | योजनाओ के डिजिटलीकरण से किसान पारदर्शिता से समय पर योजना का लाभ ले सकेंगे | छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने किसानों के लिए एक पोर्टल विकिसत किया है जिस पर पंजीयन कर किसान कई योजनाओं का लाभ ले सकते हैं |

छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों को शासन के विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने हेतु अलग-अलग योजनाओं/विभाग में पंजीयन करना होता है जिससे कृषकों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है | इस पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के कृषकों का एक ही बार पंजीयन होगा जो कि शासन द्वारा निर्धारित विभिन्न योजनाओं हेतु उपयोग किया जा सकेगा |

मुख्यमंत्री ने लांच किया “एकीकृत किसान पोर्टल”

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में कैबिनेट की बैठक के पहले एकीकृत किसान पोर्टल लॉन्च किया। कृषि विभाग के सहयोग से एनआईसी द्वारा तैयार एकीकृत किसान पोर्टल पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना तथा कोदो-कुटकी, रागी उपार्जन योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को एक बार ही पंजीयन कराना होगा।

किसान आसानी से कर सकेंगे पंजीयन

कृषि उत्पादन आयुक्त एवं कृषि विभाग की सचिव डॉ.एम.गीता ने एकीकृत पोर्टल के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न योजनाओं के लिए किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया का इस पोर्टल के माध्यम से सरलीकरण किया गया है, इससे विभिन्न योजनाओं के लिए किसानों का सुगमतापूर्वक पंजीयन हो सकेगा। एकीकृत पोर्टल के माध्यम से योजनाओं के क्रियान्वयन, प्रबंधन, पर्यवेक्षण एवं रिपोर्टिंग में आसानी होगी। एकीकृत किसान पोर्टल में भूमि एवं गिरदावरी के भुइंया पोर्टल से ऑनलाईन सत्यापन होगा तथा सटीक एवं त्वरित डाटा प्राप्त किया जा सकेगा। किसानों की जमीन के भौतिक सत्यापन तथा योजनाओं के तहत किसानों को दी जाने वाली राशि की गणना में भी पोर्टल से आसानी से होगा। इस पोर्टल पर उपलब्ध डाटा को आवश्यकतानुसार कैरी फार्वर्ड भी किया जा सकेगा।

30 सितम्बर तक करें राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत आवेदन

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों का खसरावार, फसलवार पंजीयन एकीकृत पोर्टल में सहकारी समिति के माध्यम से 30 सितम्बर तक किया जाएगा। कृषक के आवेदन तथा दस्तावेज का प्रारंभिक परीक्षण ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा किया जाएगा। वर्ष 2020-21 में धान उपार्जन हेतु पंजीकृत किसानों को पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं है। इन पंजीकृत किसानों के डाटा को एकीकृत पोर्टल में उपयोग किया जाएगा। एकीकृत पोर्टल को भुंईयां पोर्टल से लिंक किया गया है। पंजीयन के समय सहकारी समिति द्वारा कृषक के खसरावार भूमि का विवरण भुंईयां से मिलान किया जाएगा।

भूमि विवरण एवं गिरदावरी आंकड़े का भुंईयां पोर्टल से स्वमेव ऑनलाईन सत्यापन होगा। राजीव गांधी किसान न्याय योजना तथा धान उपार्जन के लिए वन पट्टाधारी कृषकों का पंजीयन एकीकृत पोर्टल से सहकारी समिति के माध्यम से किया जाएगा। कृषक के आवेदन तथा दस्तावेज का प्रारंभिक परीक्षण ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा किया जाएगा। संस्थागत, लिजी, अधिया, रेगहा, बटाईदार, डूबान क्षेत्र हेतु धान उर्पाजन से संबंधित कृषकों के पंजीयन की कार्यवाही खाद्य विभाग द्वारा सहकारी समिति के माध्यम से की जाएगी। इस हेतु पृथक से लिंक एकीकृत पोर्टल पर दिया जाएगा।

फसल उपार्जन के लिए भी किया जायेगा पंजीयन

धान उर्पाजन हेतु नवीन पंजीयन, संशोधन राजीव गांधी किसान न्याय योजना के एकीकृत पोर्टल में किया जाएगा। गत वर्ष में धान पंजीकृत एवं विक्रय रकबे में धान के बदले अन्य वैकल्पिक फसल व वृक्षारोपण करने वाले कृषकों का पंजीयन एकीकृत पोर्टल में किया जाएगा। वन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना अंतर्गत वन अधिकार पट्टाधारक, ग्राम पंचायतों एवं संयुक्त वन समिति के पंजीयन हेतु विकसित पोर्टल एकीकृत पोर्टल से लिंक किया गया है, ताकि आवेदकों को पंजीयन हेतु सिंगल विंडो प्रदाय किया जा सके।

वृक्षारोपण का पंजीयन 30 नवम्बर तक होगा। आवेदन पत्र को संबंधित वन परिक्षेत्र कार्यालय में जमा किया जाएगा। परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा दस्तावेज सत्यापन उपरांत पोर्टल में दर्ज किया जाएगा। स्थल सत्यापन जी.पी.एस. के माध्यम से वन मंडलाधिकारी द्वारा किया जाएगा। राजीव गांधी किसान न्याय योजनांतर्गत कोदो-कुटकी एवं रागी फसल भी सम्मिलित है। अनुसूचित क्षेत्र के कृषकों से कोदो-कुटकी एवं रागी का उपार्जन एकीकृत पोर्टल में पंजीकृत कृषकों के डॉटा के अनुसार लघु वनोपज संघ द्वारा उपार्जन किया जाएगा।

एकीकृत किसान पोर्टल पर पंजीकरण हेतु क्लिक करें

60 लाख रुपये तक के अनुदान पर बांस आधारित उद्योग लगाने के लिए आवेदन करें

सब्सिडी पर बांस उद्योग की स्थापना

किसानों को उद्यमी बनाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार देश भर में कृषि से जुडी कई योजनायें चला रही है | जिससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिले बल्कि किसानों की आय भी बढाई जा सके | किसानों की आय बढ़ाने के लिए ही सरकार ने बांस की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन की शुरुआत की है | जिसमें बांस की खेती करने वाले किसानों को एवं बांस आधारित उद्योग की स्थापना करने वाले व्यक्तियों को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है |

राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत मध्य प्रदेश में बांस उद्धयोग बनाने के लिए सरकार भारी सब्सिडी उपलब्ध करा रही है | इसके लिए किसानों को बांस से जुड़े गाँव कस्बे में लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है | राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत मध्य प्रदेश में इच्छुक व्यक्तियों से आवेदन मांगे गये हैं | इसके तहत विभिन्न प्रकार के उद्धयोग लगाए जाएंगे | यह सभी उद्योग बांस आधारित हैं | इसके लिए हितग्राही को लागत का 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जायेगा |

अनुदान पर पर बांस आधारित यह उद्योग कर सकते हैं स्थापित

मध्य प्रदेश सरकार राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत विभिन्न प्रकार के उद्योग लगाने पर सब्सिडी दे रही है | जो इस प्रकार है :-

  1. बांस के ट्रीटमेंट एवं सीजनिंग प्लान्ट की स्थापना
  2. बांस प्रसंस्करण केंद्र एवं मूल्य सवंर्धन इकाई
  3. प्राथमिक बांस इकाई में बांस कचड़ा प्रबंधन
  4. अगरबत्ती इकाई
  5. बांस फर्नीचर
  6. बांस हस्तशिल्प / काटेज इंडस्ट्रीज
  7. एक्टिवेटेड कार्बन प्रोडक्ट इकाई
  8. बैम्बू बोर्ड/ मेट / कोरुगेटेड शीट्स / फ्लोर टाईल्स
  9. हाईटेक नर्सरी
  10. बिग नर्सरी

बांस आधारित उद्योग स्थापित करने हेतु कितनी सब्सिडी दी जाएगी

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत 10 प्रकार के उद्धयोग शुरू करने के लिए सरकार लागत पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही है | यह सब्सिडी 7.50 लाख से 60 लाख रूपये तक है जोकि लाभार्थी द्वारा लगाये जा रहे उद्योग की लागत पर निर्भर करता है |

बांस के ट्रीटमेंट एवं सीजनिंग प्लान्ट की स्थापना :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 20 लाख रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 10 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

बांस प्रसंस्करण केंद्र एवं मूल्य सवंर्धन इकाई :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 30 लाख रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 15 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

प्राथमिक बांस इकाई में बांस कचड़ा प्रबंधन :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 25 लाख रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 12.5 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

अगरबत्ती इकाई :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 25 लाख रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 12.5 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

बांस फर्नीचर :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 25 लाख रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 12.5 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

बांस हस्तशिल्प / काँटेज इंडस्ट्रीज :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 15 लाख रूपये का तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 7.5 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

एक्टिवेटेड कार्बन प्रोडक्ट इकाई :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 2.0 करोड़ रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 30 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 60 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

बैम्बू बोर्ड / मेट / कोरुगेटेड शीट्स / फ्लोर टाईल्स :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 2.0 करोड़ रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 30 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 60 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

हाईटेक नर्सरी :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 50 लाख रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 25 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

बिग नर्सरी :-

इस योजना की लागत सरकार द्वारा 16 लाख रूपये तय की गई है, जिसपर सरकार की ओर से लाभार्थी को 50 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 8 लाख रुपये है तक दी जाएगी |

योजना के तहत कितना व्यय करना होगा ?

 राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत लाभार्थी को लागत का 10 प्रतिशत कम से कम खुद से पैसा लगाना होगा | इसके साथ ही शेष पैसा सब्सिडी को छोड़कर जो 40 प्रतिशत होता है, उसे किसान बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते हैं | यह ऋण प्राप्ति लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत तक होगी |

योजना के तहत विभिन्न उद्योगों हेतु लक्ष्य

ऊपर दिये गये बांस उद्योग के लिए अलग-अलग लक्ष्य रखा गया है | लक्ष्य के अनुसार ही आवेदन स्वीकार किये जाएंगे |

  1. बांस के ट्रीटमेंट एवं सीजनिंग प्लान्ट की स्थापना :- इस योजना के तहत 4 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  2. बांस प्र्स्रन्स्क्रण केंद्र एवं मूल्य सवंर्धन इकाई :- इस योजना के तहत 2 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  3. प्राथमिक बांस इकाई में बांस कचड़ा प्रबंधन :- इस योजना के तहत 2 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  4. अगरबत्ती इकाई :- इस योजना के तहत 3 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  5. बांस फर्नीचर :- इस योजना के तहत 2 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  6. बांस हस्तशिल्प / काँटेज इंडस्ट्रीज :- इस योजना के तहत 1 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  7. एक्टिवेटेड कार्बन प्रोडक्ट इकाई :- इस योजना के तहत 1 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  8. बैम्बू बोर्ड / मेट / कोरुगेटेड शीट्स / फ्लोर टाईल्स :- इस योजना के तहत 1 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  9. हाईटेक नर्सरी :- इस योजना के तहत 1 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |
  10. बिग नर्सरी :- इस योजना के तहत 1 यूनिट का लक्ष्य रखा गया है |

अनुदान पर बांस उद्योग लगाने के लिए आवेदन कब करें ?

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत बांस उद्योग लगाने के लिए आवेदन प्रक्रिया मध्यप्रदेश में अभी चल रही है | यह आवेदन पहले 15 सितम्बर 2021 तक थी जिसे बढ़कर 30 सितम्बर 2021 तक कर दिया गया है |

आवेदन कैसे करें ?

ऊपर दिये गये किसी भी योजना के लिए आवेदक एक प्रोजेक्ट तैयार करें | जिसमें योजना के तहत उद्योग लगाने का खर्च, कैसे लगाया जाएगा तथा कहाँ बेचा जायेगा तथा मुनाफाआदि जानकारी विस्तार से दें| आवेदक भूमि का विवरण भी प्रोजेक्ट के साथ लगायें, जिस पर उद्योग लगाया जाएगा |

आवेदक को ऋण प्राप्त करने और सब्सिडी प्राप्त करने के लिए प्रोजेक्ट की तीन प्रति बनाना होगा | इनमें से एक प्रति बैंक द्वारा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन के साथ बैंक को, दूसरा प्रति निर्धारित प्रपत्र में आवेदन के साथ मिशन मुख्यालय को एवं तीसरा प्रति वनमंडलाधिकारी कार्यालय को दी जाएगी | यहाँ पर यह ध्यान देना होगा की किसी भी आवेदक को पहले बैंक का सहमति लेना जरुरी है | बैंक के सहमती के बाद ही आप के आवेदन को प्राथमिकता दिया जाएगा |

subsidy par baans udhyog hetu aavedan form
सब्सिडी पर बांस आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए आवेदन फार्म

वर्ष 2022-23 हेतु गेहूं, चना एवं सरसों सहित अन्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई भारी वृद्धि

रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 2022-23

केंद्र सरकार ने रबी फसल की बुवाई से पहले रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी कर दिया है | यह न्यूनतम समर्थन मूल्य आगामी रबी सीजन वर्ष 2022–23 के लिए जारी किया गया है | केंद्र सरकार ने इस वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा देने की बात कही है | कुछ फसलों जैसे गेहूं में लागत का 100 प्रतिशत, मसूर में लागत का 79 प्रतिशत, चना में लागत का 74 प्रतिशत, जौ में लागत का 60 प्रतिशत तथा कुसुम में लागत का 50 प्रतिशत देने की बात कही गई है |

MSP में कितने रुपयों की वृद्धि की गई

पिछले वर्ष के एमएसपी में मसूर की दाल और कैनोला (रेपसीड) तथा सरसों में उच्चतम संपूर्ण बढ़ोतरी (प्रत्येक के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल) करने की सिफारिश की गई है। इसके बाद चने (130 रुपये प्रति क्विंटल) को रखा गया है। पिछले वर्ष की तुलना में कुसुम के फूल का मूल्य 114 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है। कीमतों में यह अंतर इसलिए रखा गया है, ताकि भिन्न-भिन्न फसलें बोने के लिये प्रोत्साहन मिले।

विपणन मौसम 2022-23 के लिए सभी रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (रुपये/क्विंटल में)

फसल
MSP (2021 – 22)
MSP (2022 – 23)
MSP में बढ़ोतरी

गेहूं

1975

2015

40

जौ

1600

1635

35

चना

5100

5230

130

दाल (मसूर)

5100

5500

400

कैनोला और सरसों

4650

5050

400

कुसुम के फूल

5327

5441

114

फसलों की उत्पादन लागत किस आधार पर जोड़ी गई है ?

सरकार का कहना है कि सभी फसलों पर लागत का 50 प्रतिशत से अधिक मुनाफ किसानों को दिया जा रहा है | कुछ फसलों पर तो 100 प्रतिशत के मुनाफे की बात भी कही गई है | फसलों की लागत मूल्य जोड़ने का विवरण जारी किया है जो इस प्रकार है | कुल लागत का उल्लेख का मतलब, जिसमें चुकाई जाने वाली कीमत शामिल है, यानी मजदूरों की मजदूरी, बैल या मशीन द्वारा जुताई और अन्य काम, पट्टे पर ली जाने वाली जमीन का किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरों और खेत निर्माण में लगने वाला खर्च, गतिशील पूंजी पर ब्याज, पम्प सेटों इत्यादि चलाने पर डीजल/बिजली का खर्च इसमें शामिल है | इसके अलावा अन्य खर्च तथा परिवार द्वारा किये जाने वाले श्रम के मूल्य को भी इसमें रखा गया है |

क्या है रबी फसलों के उत्पादन में आने वाला खर्च

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने फसलों के MSP जारी करते हुए फसलों का लागत मूल्य जारी किया है | केंद्र सरकार के अनुसार गेहूं का लागत मूल्य 1008 रुपये प्रति क्विंटल, जौ का लागत मूल्य 1019 रुपया प्रति क्विंटल, चना का लागत मूल्य 3004 रुपया प्रति क्विंटल, दाल (मसूर) का लागत मूल्य 3079 रुपया प्रति क्विंटल, कैनोला और सरसों का लागत मूल्य 2523 रुपया प्रति क्विंटल, कुसुम के फूल का लागत मूल्य 3627 रुपये प्रति क्विंटल है |

इन योजनाओं के तहत की जाती है MSP पर खरीदी

किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी के लिए कई योजनायें चलाई जा रही है,जिसके तहत देश भर के किसानों से विभिन्न फसलों को ख़रीदा जाता है | ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-एएएसएचए) नामक ‘अम्ब्रेला स्कीम’ की घोषणा सरकार ने 2018 में की थी। इस योजना से किसानों को अपने उत्पाद के लिये लाभकारी कीमत मिलेगी। इस अम्ब्रेला स्कीम में तीन उप-योजनाएं शामिल हैं, जैसे मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद व स्टॉकिस्ट योजना (पीपीएसएस) को प्रायोगिक आधार पर शामिल किया गया है।

मछुआरों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में की गई वृद्धि, दिसम्बर तक सभी को दिए जाएंगे क्रेडिट कार्ड

मछली पालकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन एवं आय बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है | देश में मछली पालन को बढ़ाने एवं मछली पालकों की आय में वृद्धि के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही है | मध्यप्रदेश सरकार ने मछली पालकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मछली पालकों के लिए चल रही योजनाओं में दी जाने वाली आर्थिक सहायता में वृद्धि करने के निर्देश दिए हैं |

मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने महासंघ की 25वीं वार्षिक साधारण सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य अंतिम छोर तक के व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है | मछुआरों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए ही मत्स्य महासंघ का स्थापना की गई थी। लड़कियों के विवाह के लिए “मीनाक्षी कन्या विवाह” जाल-नाव सहित अन्य आर्थिक संबल प्रदान करने वाली योजनायें मत्स्य महासंघ संचालित कर रहा है।

मछुआ परिवारों को दी जाने वाली सहायता राशि में वृद्धि

मंत्री श्री सिलावट ने मछुआ महासंघ की महासभा में गंभीर बीमारी के लिए आर्थिक सहायता राशि को बढ़ाकर 40 हजार से 50 हजार, तकनीकी शिक्षा छात्रवृत्ति योजना में 20 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रुपए और मछुआ सोसाइटी के सदस्यों में किसी की मृत्यु होने पर आर्थिक सहायता राशि 7500 से बढ़ाकर 10 हजार रूपये कर दी है।

मछली पकड़ने की राशि में की गई वृद्धि

मेजर कॉर्प और अन्य प्रजाति की मछली पकड़ने पर 32 रूपए किलो के स्थान पर अब 34 रुपए किलो और अन्य छोटी मछलियों को पकड़ने पर 19 रूपए प्रति किलो के स्थान पर 20 रूपए प्रति किलो मत्स्याखेट की दर निर्धारित कर दी है। इसके साथ ही मछुआ समिति की मांग पर सभी मछुआरों को लाइफ जैकेट उपलब्ध कराने के संबंध में श्री सिलावट ने निर्देश दिए हैं।

मछुआरों को दिए जाएंगे क्रेडिट कार्ड

मंत्री श्री सिलावट ने संचालक मत्स्य विकास और मत्स्य महासंघ के प्रबंध संचालक को निर्देश दिए कि सभी मछुआरों के क्रेडिट कार्ड दिसंबर तक बन जाने चाहिए, जिससे बैंको से जीरो ब्याज दर पर ऋण राशि दी जाएगी |

साधारण सभा में मत्स्य महासंघ द्वारा प्रस्तुत 56 करोड़ की आय और 36 करोड़ के व्यय का बजट सर्वसम्मति से पारित किया गया। प्रदेश के 27 जिलों के जलाशय में मछुआ समिति क्रियाशील हैं। इस वर्ष 445 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 20 करोड़ की राशि मछुआरों को प्रदान की गई है। मत्स्य महासंघ में 216 और विभाग में 2 हजार मछुआ समिति कार्यरत हैं।