वर्षा से हुए फसल नुकसान का मुआवजा देने के लिए सरकार ने 15 अक्टूबर तक मांगी गिरदावरी रिपोर्ट

बारिश से फसल नुकसान का मुआवजा

सितम्बर माह में देश के अलग–अलग राज्यों में हुई भारी वर्षा के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है | देश के कुछ जिलों तथा प्रखंडों में किसानों की फसल को 70 से 100 प्रतिशत तक की क्षति हुई है | फसल पकते समय हुई इस वर्षा से फसलों को काफी नुकसान हुआ है | फसलों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए हरियाणा सरकार ने विशेष गिरदवारी कर किसानों को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं |

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 5 सितम्बर 2021 से लेकर अब तक हुई भारी वर्षा और सेम के कारण कपास एवं मूंग की फसलों को हुए नुकसान को आंकने के लिए विशेष गिरदावरी करवाने और उसकी रिपोर्ट 15 अक्टूबर 2021 तक भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि गिरदावरी के बाद किसानों को समय पर मुआवजा दिया जा सके।

इन जिलों में की जाएगी विशेष गिरदावरी

हरियाणा के राजस्व विभाग को हरियाणा सरकार ने गिरदावरी कराने का निर्देश दिया है | मूंग की फसल के लिए राज्य के सभी जिलों में गिरदावरी की जाएगी तथा कपास की फसल के लिए राज्य के पंचकूला, अम्बाला, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर को छोड़कर शेष सभी जिलों में विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट तैयार की जाएगी |

कितना फसल नुकसान होने पर दिया जायेगा मुआवजा

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस विशेष गिरदावरी के तहत उन क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जहां कपास और मूंग की फसलों का खराबा 25 प्रतिशत या इससे अधिक है। सरकार ने मुआवजा वितरण के लिए फसल नुकसानी का वर्ग बनाया है, जो 4 प्रकार के है | फसल नुकसानी का आकलन 25 से 33 प्रतिशत, 33 से 50 प्रतिशत, 50 से 75 प्रतिशत और 75 से शत-प्रतिशत की श्रेणी में फसल नुकसानी को शामिल किया गया है |

अभी इन किसानों को दिया जायेगा मुआवजा

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना या किसी अन्य फसल बीमा योजना के तहत कवर खराबा क्षेत्र को इस विशेष गिरदावरी में शामिल नहीं किया जाएगा।  सभी उपायुक्तों को विशेष गिरदावरी के उपरांत प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के लाभानुभोगी का नाम हटाकर खराबा रिपोर्ट अपने मंडल आयुक्त के माध्यम से 15 अक्तूबर, 2021 तक भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

फसल क्षति का डेटाबेस तैयार करने के लिए एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन विकसित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे मामलों को गलती से मुआवजा न मिले जहां किसानों ने फसल बीमा के लिए आवेदन किया हुआ है। इसके लिए तहसील स्तर पर हैरिस और वैब हलरिस में डेटा प्रविष्टिïयां की जा रही हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऐसे किसानों को फसलों का मुआवजा न अदा किया जाए जिन्होंने फसल बीमा के लिए पहले ही आवेदन और पंजीकरण करवा रखा है।

फैटयुक्त दूध के भाव में की गई 20 रुपये प्रति किलो की वृद्धि

दूध के भाव में वृद्धि

सहकारी समिति के द्वारा जो दूध खरीदा जाता है उसमें पशुपालकों को दूध की कीमत उसमें उपस्थित फैट की मात्रा से तय होती है | ऐसे में मध्यप्रदेश के उज्जैन दुग्ध संघ ने सहकारी समिति के माध्यम से क्रय किये जा रहे दूध के भाव में 20 रूपये प्रति किलो फैट की वृद्धि कर दी है। इस वृद्धि का सीधा लाभ सहकारी समिति से जुड़े किसानों और पशुपालकों को होगा । सहकारी समिति को रहे लगातार लाभ को देखते हुए यह फैसला लिया गया है |

40 वें वार्षिक अधिवेशन में उज्जैन दुग्ध संघ के प्रशासन एवं संभागीय आयुक्त श्री संदीप यादव ने कहा कि सहकारी समिति के माध्यम से क्रय किये जा रहे दूध के भाव में 20 रूपये प्रति किलोग्राम प्रति किलो फैट की वृद्धि की गई है |

सहकारी समिति को हो रहे लाभ के चलते की गई वृद्धि

श्री यादव ने कहा कि विगत वर्ष 2020-21 में 1,241 सहकारी समितियों के माध्यम से प्रति-दिन औसतन 1.52 लाख लीटर दूध संकलित किया गया। दुग्ध संघ द्वारा अच्छी मात्रा में दूध संकलित करने के साथ वितरण व्यवस्था को योजनाबद्ध तरीके से सुव्यवस्थित किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल से अगस्त 2021 तक मात्र पाँच माह में लगभग 2 करोड़ 75 लाख रूपये लाभ अर्जित किया गया । इस वित्तीय वर्ष के अंत तक संघ अच्छा वित्तीय लाभ अर्जित कर लेगा। संघ की वित्तीय व्यवस्था सुदृढ़ होने से पहली बार दुग्ध उत्पादकों को लाभांश का वितरण किया जा सकेगा।

संभागायुक्त श्री यादव ने बताया कि दुग्ध समितियों द्वारा 6979 मीट्रिक टन पशु आहार, 15 मीट्रिक टन मिनरल मिक्चर और 15 मीट्रिक टन चारा बीज का विक्रय किया गया। संघ के प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा 112 सदस्यों को प्रशिक्षण देकर लाभान्वित किया गया। दुग्ध समितियों द्वारा वित्तीय वर्ष में 3.94 करोड़ रूपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया गया। कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में संघ द्वारा औसतन 46 हजार लीटर पैक्ड दूध का प्रतिदिन स्थानीय बाजार में विक्रय किया गया। संघ द्वारा 1475 मीट्रिक टन घी, 1279 मीट्रिक टन दुग्ध चूर्ण एवं 1805 में टन मिल्क पावडर का मुख्य रूप से विक्रय किया गया। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 6.8 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया गया।

पंजाब और हरियाणा में 1 अक्टूबर से नहीं शुरू होगी धान की खरीद

समर्थन मूल्य पर धान की खरीद

पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के कुछ संभागों में 1 अक्टूबर से धान की खरीदी शुरू की जानी थी परन्तु कल शाम केंद्र सरकार ने एक पत्र जारी कर हरियाणा तथा पंजाब सरकार को 11 अक्टूबर तक धान कि खरीदी करने पर रोक लगाने के निर्देश दिये हैं | केंद्र सरकार की सरकारी एजेंसियां 1 अक्टूबर से दोनों राज्यों में खरीदी नहीं करेगी | समर्थन मूल्य पर खरीद को आगे बढ़ाने के पीछे का कारण अभी हाल ही में हुई अधिक बारिश एवं खराब मौसम बताया गया है जिससे अभी धान में काफी नमी आ गई है और धान खराब होने का खतरा है |

केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर विभिन्न फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करती है | पत्र में कहा गया है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए और उन्हें किसी भी असुविधा से बचाने के लिए, मंत्रालय ने फैसला किया है कि इन दोनों राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत धान की खरीद 11 अक्टूबर से शुरू होगी | सभी एजेंसियों को पंजाब और हरियाणा में 11 अक्टूबर से धान की खरीद के लिए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं |

धान में पाई गई 22 प्रतिशत तक की नमी

हरियाणा सरकार ने भी उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को पत्र लिखकर बेमौसम वर्षा की सूचना देते हुए धान में नमी की मात्रा में छूट देने का अनुरोध किया है। पंजाब और हरियाणा में एफसीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा नमी की मात्रा की जांच के आधार पर यह बताया गया कि धान के नमूनों में 17% की स्वीकृति योग्य सीमा के मुकाबले पंजाब में 18% से 22% और हरियाणा में 18.2 से 22.7% के बीच नमी पाई गई है।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने लिखा पत्र

धान की खरीदी आगे बढ़ाये जाने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है जिसमें यह मांग की गई है कि राज्य में धान कि खरीदी तय समय से शुरू की जाए| लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से दोनों राज्यों को धान खरीदी की अनुमति नहीं दी गई है |

1 अक्टूबर से खरीदी शुरू होने कि सुचना पर दोनों राज्यों के किसान ट्रेक्टर में धान लेकर मंडी में पहुँच चुके हैं| सरकार के इस फैसले से किसानों के बीच काफी असंतोष है | एक तरफ किसानों को लंम्बा इंतजार करना पड़ेगा तो दूसरी तरफ बारिश में धान भीगकर खराब हो सकती है | जिससे किसानों को काफी नुकसानी उठाना पड़ सकता है |

हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चंढूनी ने वीडियो जारी कर के यह जानकारी दी है कि मंडी में किसानों की फसल खराब हो रही है | लेकिन सरकार खरीदी नहीं कर रही है | अगर सरकार 1 दिन में धान कि खरीदी शुरू नहीं करती है तो सत्ता पक्ष के सभी विधायकों कि आवास का घेराव किया जाए |

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रूपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल है |

अब इस राज्य में भी शुरू हुए धान की समर्थन मूल्य पर खरीद हेतु आवेदन

समर्थन मूल्य पर धान खरीद हेतु आवेदन

वर्ष 2021–22 के लिए खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए मध्यप्रदेश, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार राज्य में भी पंजीकरण शुरू हो गए हैं| बिहार सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए पंजीयन प्रक्रिया शुरू कर दी है | राज्य में पंजीकृत किसान ही सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेच सकते हैं | इस बार सरकार ने धान खरीदी के लिए लिमिट तय कर दी है जो रैयत तथा गैर रैयत किसानों के लिए अलग–अलग है |

किसान MSP पर धान बेचने के लिए कहाँ करें पंजीयन

बिहार सरकार ने राज्य के धान उत्पादित किसानों से न्यूतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करेगी, इसके लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू किए जा चुके हैं| किसानों को पंजीकरण के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण कृषि विभाग, बिहार सरकार (DBT Agriculture Bihar) पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा | किसान http://164.100.130.206/FDS/MappFarmerToLandDetails.aspx यहाँ पर क्लिक करके भी आवेदन कर सकते हैं | आवेदन करने के लिए पास के CSC सेंटर या फिर अपने कंप्यूटर से आवेदन कर सकते हैं |

किसान MSP पर धान बेचने के लिए पंजीयन कैसे करें ?

  • बिहार के किसान ऊपर दिये हुए लिंक पर जाकर क्लिक करें | इसके बाद किसान 13 नंबर का DBT पंजीयन संख्या डालें अगर किसी किसान के पास 13 नंबर का DBT पंजीयन संख्या नहीं है तो वह पहले DBT पंजीयन संख्या के लिए ऑनलाइन आवेदन करें | पंजीयन के लिए https://dbtagriculture.bihar.gov.in/RegFarmer यहाँ पर क्लिक करें | इसके 24 घंटों के बाद धान बेचने के लिए आवेदन करें |
  • आवेदन देने के लिए OTP उनके पंजीकृत मोबाइल पर भेजा जाएगा, जो आवेदन के लिए आवश्यक एवं गोपनीय है | कृपया एक हीं मोबाईल संख्या का प्रयोग करें |
  • किसान का प्रकार रैयत होने की स्थिति में भूमि विवरणी हेतु जमाबन्दी पंजी की भाग संख्या एवं पृष्ट संख्या देना जरुरी है | अगर किसान के पास भूमि विवरण जमाबन्दी नहीं है तो जानने के लिए http://biharbhumi.bihar.gov.in/Biharbhumi/ViewJamabandi लिंक पर जाएं |

किसानों से कब खरीदी जाएगी समर्थन मूल्य पर धान

बिहार सरकार ने राज्य के किसानों से 1 नवम्बर 2021 से खरीदी शुरू करने का फैसला लिया है | इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है | धान अधिप्रप्ति के समय आप अपनी पसंद के किसी भी पैक्स या व्यापार मंडल पर धान बेच सकते है | इस वर्ष सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रूपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल है |

राज्य सरकार ने धान बेचने के लिए लिमिट तय की है | इसमें रैयत तथा गैर रैयत किसानों के लिए अलग–अलग है | रैयत किसान अधिकतम 250 क्विंटल तक धान बेच सकते हैं जबकि गैर रैयत किसान अधिकतम 100 क्विंटल तक धान बेच सकते हैं |

समर्थन मूल्य पर धान एवं अन्य खरीफ फसलें बेचने के लिए पंजीयन करवाने का एक और मौका

मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर खरीफ फसलों का पंजीयन

फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन कराना जरुरी रहता है | कई राज्यों में अभी फसलों की सरकारी खरीद के लिए किसानों के पंजीयन चल रहे हैं तो कुछ राज्यों में पंजीयन पूर्ण हो चुके हैं| उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्य में एक अक्टूबर से खरीफ फसलों की खरीद शुरू होने वाली है| हरियाणा राज्य में फसल समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है परन्तु कई किसान पोर्टल पर अपना पंजीकरण अभी तक करवा नहीं पाए हैं |

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक बार फिर पोर्टल खोल दिया है | जिससे खरीफ फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए जो किसान पंजीयन नहीं करवा पाए थे उन्हें एक मौका और मिलेगा | हरियाणा के किसान अब पंजीयन कराकर अपनी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं | इसके साथ ही बाजरे की फसल पर 600 रूपये प्रति क्विंटल का भावांतर प्राप्त करने की योजना का लाभ भी ले सकते हैं |

किसान कब तक करवा सकेंगे पंजीयन

हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेचने एवं अन्य सरकार की योजनाओं के लाभ वितरण हेतु “मेरी फसल मेरा ब्यौरा”  पोर्टल है | खरीफ मौसम 2021–22 के लिए 31 अगस्त तक पंजीयन के बाद इस पोर्टल पर पंजीकरण बंद कर दिए गए थे | अब हरियाणा सरकार ने फिर से तीन दिनों के लिए पोर्टल खोलने का फैसला लिया है | जो किसान किसी कारणवश अपनी फसलों का अभी तक पंजीकरण नहीं करवा पाए हैं, वे अब 1 अक्टूबर से 3 अक्टूबर 2021 तक करवा सकते हैं। पंजीकरण के लिए परिवार पहचान पत्र होना अनिवार्य है।

कब से शुरू होगी खरीफ फसलों की खरीदी

हरियाणा में खरीफ सीजन 2021–22 के लिए मक्का, बाजरा, मूंग तथा धान की खरीदी 1 अक्टूबर 2021 से शुरू की जाएगी जो 15 नवम्बर 2021 तक चलेगी | इसके अलावा मूंगफली की खरीदी 1 नवम्बर 2021 से की जाएगी जो 31 दिसम्बर 2021 तक की जाएगी | अरहर, उड़द और तिल की खरीदी 1 दिसम्बर 2021 से प्रारंभ की जाएगी |

अभी तक कितने किसानों ने किया है पंजीयन

हरियाणा सरकार के पोर्टल “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पर खरीफ फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 31 अगस्त 2021 तक 7 लाख 50 हजार 949 किसानों ने 46 लाख 98 हजार 781 एकड़ भूमि के लिए पंजीयन किया है |

किसान मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए क्लिक करें 

किसानों को अनुदान पर दिए जाएंगे रबी फसलों के 10 हजार क्विंटल बीज

रबी सीजन के लिए बीजों का वितरण

रबी फसल की बुवाई का काम शुरू होने वाला है, ऐसे में सभी राज्य सरकारें राज्य में उत्पादकता बढ़ाने के लिए खाद, उन्नत बीज आदि इनपुट की व्यवस्था करने में लगी है | इस वर्ष हुई अच्छी वर्षा के कारण रबी फसल की बुवाई का रकबा बढ़ने की संभावना है | उत्तरप्रदेश में रबी फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए रबी उत्पादकता गोष्ठी-2021 का आयोजन किया जा रहा है |

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कृषि उत्पादकता गोष्ठी 2021-22 का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषकों एवं प्रदेश के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि रबी में अच्छी उत्पादकता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है इसके लिए उन्नतशील प्रजातियों के बीजों की व्यवस्था की गई है |

कुल कितने बीज वितरित किए जाएंगे

राज्य के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्य स्तरीय कृषि उत्पादकता गोष्ठी 2021–22 के योजना में जानकारी दी है | कृषि मंत्री ने बताया है कि राज्य के किसानों को रबी सीजन 2021-22 के लिए 50 हजार क्विंटल बीज वितरण का लक्ष्य रखा है | इसमें से 10 हजार क्विंटल बीज कृषि विभाग के राजकीय कृषि बीज भंडारों के माध्यम से अनुदान पर वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, शेष निजी संस्थाओं के माध्यम से कृषकों को उपलब्ध करने की रणनीति बनाई गई है |

अच्छी वर्षा होने के कारण राज्य में रबी की बुवाई में वृद्धि होने की उम्मीद है | दलहन तथा तिलहन का आच्छादन बढ़ाए जाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष रबी में 18 लाख हेक्टेयर में दलहन व 12 से 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में तिलहन के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |

किसानों को यहाँ से वितरित किए जाएंगे खाद एवं बीज

कृषकों को उर्वरक जोत बही के अनुसार ही उर्वरक का वितरण किया जायेगा । सहकारिता के प्रमुख सचिव ने बताया कि इसमें कुल लक्ष्य का लगभग 30 प्रतिशत उर्वरक सहकारिता के माध्यम से वितरित किया जाता है। लगभग 1200 केंद्रों के माध्यम से उर्वरकों का वितरण किया जाएगा। प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। बीज की व्यवस्था के सम्बन्ध में बीज विकास निगम के अधिकारी ने बताया कि बीजों की समय से उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी। दलहनों फसलों के बीज की आपूर्ति प्रारम्भ हो चुकी है। बीज विकास निगम द्वारा बीज की उपलब्धता जनपदों के निकटतम डिपो के माध्यम से तथा राष्ट्रीय बीज निगम से क्रय किये गए बीज को एफओआर के माध्यम से जनपदों को उपलब्ध कराया जाएगा।

भावांतर योजना के तहत बाजरा खरीदी पर किसानों को दिया जायेगा 600 रुपये प्रति क्विंटल का भावांतर

भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजरा खरीद

खरीफ फसल की खरीदी अलग–अलग राज्यों में 1 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है | हरियाणा सरकार राज्य में कुछ फसलों की खरीदी 1 अक्टूबर से तो कुछ फसलों की खरीदी बाद में शुरू करेगी | सरकार की खरीदी के बाबजूद भी किसानों से फसलों की शत प्रतिशत खरीद समर्थन मूल्य पर नहीं हो पाती है | ऐसे में किसानों को फसल बेचने पर नुकसान न हो, उसकी भरपाई करने के लिए हरियाणा सरकार ने बाजरे की खरीद “भावांतर भरपाई योजना” के अंतर्गत करने का फैसला लिया है |

किसानों को बाजरे की खरीद पर कितना भावांतर दिया जायेगा ?

हरियाणा सरकार राज्य के किसानों को बाजरा की खरीदी पर भावान्तर भुगतान करने जा रही है | बाजरे के औसतन बाजरा भाव व एम.एस.पी. के अंतर को भावांतर मानते हुए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल” पर पंजीकृत किसानों की फसल के सत्यापन उपरांत सही पाए गये किसानों को औसतन उपज पर 600 रूपये प्रति क्विंटल भावांतर औसत उपज के अनुसार दिया जाएगा | इस वर्ष बाजरे के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये प्रति क्विंटल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है |

सरकार खरीदेगी 25 प्रतिशत बाजरा

मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को 600 रूपये प्रति क्विंटल की दर से भावांतर भुगतान किया जायेगा | उपज भाव को मेनटेन करने के लिए बाजार भाव पर 25 प्रतिशत उपज सरकारी एजेंसी खरीदेगी | न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी किये जा रहे बाजरे पर भावांतर नहीं दिया जायेगा |

बाजरा बेचने के लिए कितने किसानों ने पंजीयन किया है ?

खरीफ सीजन 2021–22 के लिए “मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल” पर बाजरे की फसल बेचने के लिए 2 लाख 71 हजार किसानों ने 8 लाख 65 हजार एकड़ भूमि के लिए पंजीयन कराया है | इन सभी किसानों को सत्यापन के बाद 600 रूपये प्रति क्विंटल की दर से औसत उपज पर भावांतर का लाभ दिया जायेगा |

कब से शुरू होगी बाजरे की खरीद ?

हरियाणा में खरीफ सीजन 2021–22 में 7 फसलों (धान, मक्का, मूंग, उड़द, अरहर, तिल और मूंगफली) की खरीदी की जाएगी | इसमें से धान, मूंग, बाजरा तथा मक्के की खरीदी 1 अक्टूबर से की जानी है जबकि मूंगफली की खरीदी 1 नवम्बर से शुरू होगी | हरियाणा सरकार पहली बार अरहर, उड़द और तिल खरीदी करने जा रही है | दलहन तथा तिलहन की खरीदी 1 दिसम्बर से की जाएगी |  

कितने खरीदी केंद्र बनाए गये हैं ?

खरीफ फसल की खरीदी के लिए राज्य सरकार ने खरीदी केन्द्रों को बढ़ाया है | इस वर्ष बाजरे की खरीदी के लिए 86, मूंग की खरीदी के लिए 38, मक्का की खरीदी के लिए 19 तथा मूंग की खरीदी के लिए 7 केंद्र बनाए गये हैं | जबकि धान कि खरीदी के लिए 199 खरीदी केंद्र बनाए गये हैं |

इन सबके बावजूद भी 72 अतिरिक्त खरीदी केंद्र बनाने के लिए पहचान की गई हैं | अगर खरीदी केन्द्रों पर अधिक आवक होगी तो इन स्थलों का उपयोग धान की खरीद के लिए किया जाएगा |

बाजरा की खेती छोड़ने पर 4,000 रूपये प्रति एकड़ का अनुदान

किसानों को बाजरे के स्थान पर तिलहन और दलहन जैसे कि मूंग, अरहर, अरंडी, मूंगफली जैसी फसलें उगाने के लये प्रोत्साहन दिया जा रहा है | बाजरे के स्थान पर वैकल्पिक फसलों की बिजाई करने और कुल बाजरे का उत्पादन कम करने वाले किसानों को ही 4,000 रूपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा |

भारतीय कपास निगम ने 5,543 किसानों को निःशुल्क वितरित की कपास प्लकर मशीन

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कपास प्लकर मशीन वितरण

भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सीसीआई) ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत सभी कपास उत्पादक राज्यों (आकांक्षी जिलों सहित) में 5,543 सीमांत और छोटे किसानों के बीच करीब चार करोड़ रूपये की कीमत की कपास प्लकर मशीने वितरित की है | कपास प्लकर मशीने कपास उत्पादक सभी राज्यों के किसानों को दी गई है |

भारत में हाथों के द्वारा अधिकांश कपास पौधों से अलग किया जाता है, जिसके लिए ज्यादा श्रमबल की आवश्यकता पड़ती है | अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि जैसे दुसरे प्रमुख कपास उत्पादक देशों के विपरीत, भारत में कपास किसानों की छोटी भूमि जोत, बुवाई/कपास को पौधे से निकलने के पैटर्न (3 से 4 तुड़ाई) और अलग–अलग राज्यों में अलग–अलग जलवायु परिस्थितियों के कारण बड़ी मशीनों द्वारा पूरी तरह से मशीनीकृत कटाई भारत में सफल नहीं हुई है |

इसलिए किसानों के लिए लागत को कम करने के लिए हाथ से नियंत्रित कपास प्लकर मशीन (कपास को पौधे से अलग करने की मशीन) एक विकल्प है और मानव श्रम के साथ कपास को पौधे से अलग करने (मैनुअल पिंकिंग) के कारण खेतों के स्तर पर संदूषण को रोकने का एक हल है |

क्या है कपास प्लकर मशीन (Cotton Plucking Machine)

भारत में कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए बहुत काम की मशीन है | हाथ से नियंत्रित कपास प्लकर मशीन एक हल्के वजन (लगभग 600 ग्राम) की है, जिसके अंदर रोलर्स की एक जोड़ी होती है जिसके बाहरी परिधि पर छोटे किनारों वाले दांत होते हैं और यह हल्के वजन 12 वाल्ट द्वारा संचालित होता है | कपास रोलर्स में उलझ जाता है और सीधे उससे जुड़े कलेक्शन बैग में इकट्ठा हो जाता है | मशीन का डिज़ाइन उसे क्षेत्र में काम करने के लिहाज से आसान बनाता है और यह 8,000 रूपये (लगभग) प्रति मशीनों की कम कीमत के साथ किफायती भी है |

कपास प्लकर मशीन से क्या लाभ है ?

  • कपास किसानों के लिए मैनुअल पिकिंग में स्वास्थ खतरों के जोखिम को कम करना (यानी कीड़े के काटने का जोखिम, लंबे समय तक खड़े रहने के कारण पीठ दर्द, पैरों और हाथों में चोट लगना/काटना आदि) |
  • कपास की कटाई के कौशल में सुधार, दुर्लभ और महंगे श्रम पर निर्भरता कम करना तथा कपास किसानों को आत्मनिर्भर बनाना |
  • खेतों के स्तर पर संदूषण को कम करके कपास की गुणवत्ता में सुधार करना |
  • कटाई की लागत में कमी (श्रम की कम आवश्यकता), कम कचरा एवं संदूषण और बेहतर गुणवत्ता वाले कपास की बिक्री पर प्रीमियम के साथ कपास किसानों का वित्तीय लाभ बढ़ सकता है |
  • अच्छी गुणवत्ता वाले स्वदेशी कपास की उपलब्धता के कारण सूती धागे, वस्त्र और मूल्य वर्धित उत्पादनों की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी जिससे विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि हो सकती है |

किस राज्य में कितनी मशीनें वितरित की गई

भारतीय कपास निगम द्वारा देश के किसानों को 5,543 कपास प्लकर मशीन दी गई हैं | यह मशीन अलग–अलग कपास उत्पादक राज्यों को दी गई है | इसमें पंजाब (100), हरियाणा (135), राजस्थान (120), गुजरात (600), महाराष्ट्र (839), मध्यप्रदेश (626), तेलंगाना (547), कर्नाटक (1228), उड़ीसा (700) राज्य में कपास प्लकर मशीने दी गई हैं |

1 अक्टूबर से शुरू होगी मंडियों में धान की समर्थन मूल्य पर खरीद

धान की समर्थन मूल्य पर खरीद

देश के विभिन्न राज्यों में खरीफ फसल की कटाई शुरू होने वाली है तो कुछ राज्यों में खरीफ फसल की कटाई शुरू हो चुकी है | इसके साथ ही सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की तैयारी भी पूरी कर ली है | उत्तरप्रदेश एवं हरियाणा सरकार किसानों से धान की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू करने जा रही है | जिस राज्य में फसल की कटाई देर से शुरू होने वाली है उन राज्यों में खरीफ फसल की सरकारी खरीदी भी देर से शुरू की जाएगी |

हरियाणा सरकार राज्य के किसानों से धान की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू करने जा रही है, पहले खरीदी 25 सितम्बर से शुरू होने वाली थी | इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गई है | इस बार किसान राज्य में पंजीकृत फसल को बेचने के लिए समय का निर्धारण खुद से तय कर सकते हैं | इसके लिए किसान को ई-खरीफ सॉफ्टवेर के लिंक पर जाकर अपनी डेट चुनना होगा |

किसान स्वयं से कैसे शेड्यूल तय करें ?

किसान ई-खरीफ सॉफ्टवेर के माध्य से मंडियों में अपनी धान की फसल लाने के लिए शेड्यूलिंग स्वयं कर सकते हैं | किसानों को मंडियों में धान लाने से पूर्व ई-खरीफ सॉफ्टवेर के लिंक http://ekharid.haryana.gov.in/setschedule पर धान लाने के दिन व समय के बारे सूचित करना होगा |

कब से शुरू होगी अन्य फसलों की खरीद ?

हरियाणा सरकार के द्वारा धान की खरीदी 1 अक्टूबर 2021 से शुरू की जाएगी जो पहले 25 सितम्बर से शुरू होने वाली थी | यह खरीदी 15 नवम्बर 2021 तक की जानी है | इसके अलावा भी अन्य खरीफ फसलों की खरीदी भी सरकार द्वारा की जाएगी | मक्का, बाजरा और मूंग की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू होगी और 15 नवम्बर 2021 तक की जाएगी | इसके अलावा मूंगफली की खरीदी 1 नवम्बर 2021 से की जाएगी यह खरीदी 31 दिसम्बर 2021 तक किया जाना है |

7.5 लाख किसानों ने किया है पंजीयन

किसानों से खरीफ फसलों की खरीदी केवल “मेरी फसल,  मेरा ब्योरा” पोर्टल में पंजीकृत किसानों से ही की जाएगी | 31 अगस्त 2021 को खरीफ फसलों के पंजीयन के लिए पोर्टल बंद कर दिया गया था | इस बार हरियाणा के 22 जिलों के 7 लाख 50 हजार 949 किसानों ने 46 लाख 98 हजार 781 एकड़ भूमि के लिए पंजीयन कराया है | जबकि 88 लाख 92 हजार 329 एकड़ को कृषि योग्य संचयी क्षेत्र के रूप में पंजीकृत किया गया है | इस बार का पंजीयन 22 जिलों में लगभग 52.82 प्रतिशत है |

किस रेट पर होगी खरीफ फसलों की खरीद ?

केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2021–22 के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले से ही घोषित कर दिए गए हैं | सरकार द्वारा वर्ष 2021–22 के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है :-

  • धान – 1940 रूपये प्रति क्विंटल
  • ज्वार – 2738 रूपये प्रति क्विंटल
  • बाजरा – 2250 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली – 5550 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंग – 7275 रूपये प्रति क्विंटल
  • मक्का – 1870 रूपये प्रति क्विंटल

प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष गुणों वाली विभिन्न फसलों की 35 किस्में राष्ट्र को की समर्पित

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विशेष गुणों वाली किस्मों का विमोचन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विशेष गुणों वाली फसलों की 35 किस्में राष्ट्र को समर्पित कीं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर का नवनिर्मित परिसर भी राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवार्ड भी वितरित किये। उन्होंने उन किसानों के साथ बातचीत की, जो नवोन्मेषी तरीकों का उपयोग करते हैं तथा सभा को भी संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा सबसे ज्यादा ध्यान अधिक पौष्टिक बीजों पर है, जो खासकर बदलते मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल हैं।” उन्होंने कहा कि फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराना और इस प्रकार अधिक उपज प्राप्त करना है ।

इन विशेष गुणों वाली किस्मों का किया गया विमोचन

  • धान की 3 बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी किस्में – पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847 और पूसा बासमती 1885 विमोचित की गई |
  • गेहूं 6 किस्में जैसे डीबीडब्ल्यू 332, डीबीडब्ल्यू 327, HI 1636,  HUW 838,  MP (JW) 1358 और HI 8123 प्रोटीन, आयरन और जिंक से भरपूर सहित मक्का की सी.एफ.एम.वी-1, सी.एफ.एम.वी-2, 4 फसलों की 11 बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की गईं हैं।
  • 2 कम अवधि की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मटर और अरहर की दो किस्में आईपीएच 15-3 और आईपीएच 09-5 और कम अवधि की सोयाबीन किस्म एनआरसी 138 यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त भी जारी की गई |
  • सूखा सहिष्णु उच्च उपज रोग प्रतिरोध पूसा चना 4005, बाजरा संकर एचएचबी 67 किस्में ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ की अवधारणा पर विकसित की गई है।

विशेष गुणों वाली फसलों की किस्मों के बारे में

जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों को हल करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों को विकसित किया गया है। जलवायु को लेकर लचीलापन और ऊंची पोषक तत्व सामग्री जैसे विशेष गुणों वाली 35 ऐसी फसलों की किस्मों को साल 2021 में विकसित किया गया है। इनमें सूखे को बर्दाश्त करने वाली चने की किस्म, विल्ट और स्टरिलिटी मौज़ेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं, बाजरा, मक्का, चना, किनोवा, कुटु, विन्गड बीन और फाबा बीन की बायोफोर्डिफाइड किस्में शामिल हैं।

इन विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों में वे भी शामिल हैं जो कुछ फसलों में पाए जाने वाले ऐसे पोषण-विरोधी कारकों को हल करती हैं जो मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ऐसी किस्मों के उदाहरणों में पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 33, पहला कैनोला क्वालिटी हाइब्रिड आरसीएच 1 जिसमें <2% इरुसिक एसिड और <30 पीपीएम ग्लूकोसाइनोलेट्स और एक सोयाबीन की किस्म शामिल है जो दो पोषण-विरोधी कारकों से मुक्त है जिन्हें कुनिट्ज़ ट्रिप्सिन इनहिबिटर और लिपोक्सीजनेस कहते हैं। सोयाबीन, ज्वार, और बेबी कॉर्न सहित अन्य में विशेष गुणों वाली किस्में विकसित की गई हैं।