अधिक पैदावार वाली मिर्च की किस्में और उनकी विशेषताएं

मिर्च की किस्में एवं उनकी विशेषताएं

देश में मिर्च उत्पादन एवं उपभोक्ता के हिसाब से महत्वपूर्ण मसाला एवं नगदी फसल है | मसाले के लिए मिर्च में तीखापन होना जरुरी है | देश में हरी एवं लाल दोनों ही प्रकार की मिर्च का उपयोग वर्ष भर किया जाता है, साथ ही भारत मिर्च का एक बहुत बड़ा निर्यातक देश भी है | जिससे मिर्च की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है और यह किसानों के लिए अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है |

किसान अधिक पैदावार एवं लाभ के लिए अपने क्षेत्र की जलवायु एवं भूमि के अनुसार मिर्च की संकर एवं मुक्त परागित किस्मों का चयन कर अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं | किसान समाधान कुछ ऐसे ही किस्मों की जानकारी एवं उनकी विशेषताएं लेकर आया है |

मिर्च की उन्नत एवं विकसित किस्में

अर्का श्वेता

मिर्च की इस किस्म की लम्बाई लगभग 13 से.मी. एवं मोटाई 1.2 से 1.5 से.मी तक होती है | मिर्च की इस किस्म से 30-40 टन हरी मिर्च एवं 4-5 टन लाल मिर्च प्रति हैक्टेयर के अनुसार पैदावार प्राप्त की जा सकती है | यह किस्म विषाणु रोग के प्रति सहनशील होती है |

अर्का मेघना –

इस प्रजाति के मिर्च के पौधे लंबे, ओजस्वी एवं गहरे रंग के होते हैं | इसके फल की लम्बाई 10 से.मी. एवं रंग गहरा हरा होता है | इसकी परिपक्वता अवधि 150 से 160 दिनों की होती है | यह हरे एवं लाल दोनों तरह के फलों के लिए उपयुक्त किस्म है | हरी मिर्च से 30–35 टन व सूखी लाल मिर्च 5–6 टन प्रति हैक्टेयर का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है | यह प्रजाति चूर्णिल आसिता व वायरस के प्रति सहनशील होती है |

काशी सुर्ख –

मिर्च की इस प्रजाति के पौधे लगभग 70 से 100 से.मी. मोटे ऊँचे एवं सीधे होते हैं | फल 10 से 12 से.मी. लंबे, हल्के हरे, सीधे तथा 1.5 से 1.8 से.मी. मोटे होते हैं | प्रथम तुडाई पौध रोपण के 50 से 55 दिनों बाद मिल जाती है | यह फल सूखे एवं लाल दोनों प्रकार के लिए उत्तम किस्म है | हरी मिर्च का उत्पादन 20 से 25 टन एवं सूखी लाल मिर्च 3 से 4 टन प्रति हैक्टेयर तक मिल जाती है |

काशी अर्ली –

इस प्रजाति की मिर्च के पौधे 60 से 75 से.मी. लंबे तथा छोटी गांठों वाले होते हैं | फल 7 से 8 से.मी. लंबे, सीधे 1 से.मी. मोटे तथा गहरे होते हैं | पौध रोपण के मात्र 45 दिनों में प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है, जो सामान्य संकर किस्मों से लगभग 10 दिनों पहले होती है | हरे फल का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्राप्त होता है |

पूसा सदाबहार

मिर्च कि यह किस्म पत्ती मोड़कर विषाणु, फल–सडन, थ्रिप्स एवं माइटस अवरोधी हैं | इसके पौधे लंबे व फल गुच्छों में लगते हैं हरी मिर्च का उत्पादन 8 से 10 टन प्रति हैक्टेयर मिल जाता है |

पूसा ज्वाला –

इसके फल लंबे, पतले, मुड़े हुए, कच्ची अवस्था में हरे एवं पकने पर गहरे लाल होते हैं | यह किस्म थ्रिप्स, माइट एवं माहू के प्रति सहनशील होती है | चरकाहट अधिक होने एवं छिलका पतला होने के कारण निर्यात के लिए उत्तम किस्म है | हरे फलों की औसत उपज 90 से 100 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है |

काशी अनमोल –

इस किस्म के पौधे सिमित बढवार वाले 40 से 50 से.मी. और छातानुमा होते हैं | फल ठोस सीधे एवं 6 से 7 से.मी. लंबे होते हैं | हरे फल के उत्पादन के लिए अच्छी किस्म है | फलों की औसत उपज 200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है |

आए.सी.एच.-1 –

यह किस्म कृषि अनुसंधान केंद्र, मंडोर, जोधपुर द्वारा विकसित की गई हैं | राजस्थान के शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों के लिए अच्छी प्रजाति है तथा खरीफ की फसल के लिए उपयुक्त है | यह किस्म सूखी मिर्च के रूप में अधिक उपज देती है और मसाले के लिए अधिक उपयोगी है |

फलों की तुडाई व उपज

किस्म के आधार पर फलों की तुडाई का सही समय उगाई जाने वाली किस्म पर निर्भर करता है | सामान्य: रोपाई के लगभग 80 से 90 दिनों बाद हरी मिर्च तोड़ने योग्य हो जाती है | एक सप्ताह के अंतराल पर मिर्च तोड़ते रहना चाहिए | सूखी मिर्च के लिए फलों को 140 से 145 दिनों बाद, जब मिर्च का रंग लाल हो जाता है, तब तोड़ा जाता है | बार–बार मिर्च तोड़ने से फलन अधिक होता है | हरी मिर्च की पैदावार 150 से 200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तथा सूखी लाल मिर्च की उपज 15 से 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है |

रबी सीजन में इन उर्वरकों पर सरकार देगी 28,655 करोड़ रुपये की सब्सिडी

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उर्वरक पर सब्सिडी

रबी सीजन की बुवाई के साथ ही उर्वरकों की मांग भी तेजी से बढ़ गई है | फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए एनपीके खाद का उपयोग किसानों के द्वारा किया जाता है | किसानों को रबी फसलों की बुवाई के लिए सस्ती कीमतों पर खाद उपलब्ध हो सके इसके लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2021–22 के रबी सीजन के लिए उर्वरक पर सब्सिडी की दर जारी कर दी है | इससे किसानों को मिलने वाला उर्वरक सब्सिडाईज रहेगा |

केंद्र सरकार ने नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा सल्फर जैसे उर्वरकों पर अलग–अलग सब्सिडी देने का फैसला लिया है | आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक के लिए पीएंडके उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी दरों के निर्धारण के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

किस पोषक तत्व पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी

केंद्र सरकार ने सभी उर्वरकों पर कुल 28,602 करोड़ रूपये कि सब्सिडी जारी की है | यह सब्सिडी अलग–अलग उर्वरकों पर है, जो इस प्रकार है:-

  • नाईट्रोजन – 18.789 रुपये प्रति किलोग्राम
  • फास्फोरस – 45.323 रुपये प्रति किलोग्राम
  • पोटाश – 10.116 रुपये प्रति किलोग्राम
  • सल्फर – 2.374 रुपये प्रति किलोग्राम

डीएपी पर लागत राशि बढने से मूल्य में भी वृद्धि हुई है | यह वृद्धि इस रबी वर्ष के लिए 5,716 करोड़ रुपये है | इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने डीएपी पर अतिरिक्त सब्सिडी जारी की है | यह अतिरिक्त सब्सिडी 438 रुपये प्रति बैग है |

837 करोड़ रूपये की अस्थायी लागत पर तीन सबसे अधिक खपत वाले एनपीके ग्रेड अर्थात एनपीके 1–26–26, एनपीके 20–20–0–13 और एनपीके 12–32–16 पर अतिरिक्त सब्सिडी के लिए विशेष एकमुश्त पैकेज | कुल आवश्यक सब्सिडी 35,115 करोड़ रूपये होगी |

किसानों को क्या लाभ होगा ?

उर्वरक पर दी जा रही सब्सिडी के कारण किसानों को सीधा लाभ होगा | इससे किसानों को प्रति बैग लाभ दिया जायेगा | जिससे कृषि में लागत मूल्य में काफी कमी आएगी | यह डी – अमोनिया फास्फेट (डीएपी) पर 438 रूपये प्रति बैग और एनपीके 10–26–26 एनपीके 20–20–0–13 और एनपीके 12–32–16 पर 100 रूपये प्रति बैग का लाभ देगा ताकि किसानों के लिए उर्वरकोण की कीमतें सस्ती बनी रहें |

राइपनिंग चैंबर, वर्मी बेड कम्पोस्ट, प्याज भंडार गृह तथा पैक हॉउस पर सब्सिडी के लिए आवेदन करें

राइपनिंग चैंबर, वर्मी बेड कम्पोस्ट, प्याज भंडार गृह तथा पैक हॉउस अनुदान हेतु आवेदन

किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें कृषि क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना भी शामिल है | बागवानी क्षेत्र में फसलों को स्टोरेज करना एवं उनका प्रसंस्करण कर उत्पाद तैयार करना आदि कार्यों के लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी देती है | मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राइपनिंग चैंबर, जैविक खेती, प्याज भंडार गृह तथा पैक हॉउस अनुदान हेतु आवेदन आमंत्रित किए हैं | इसके तहत लाभार्थी किसानों को 35 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध जाएगी | किसान इन घटकों के लिए आवेदन 13 अक्टूबर से लक्ष्य पूर्ति तक आवेदन कर सकते हैं |

राइपनिंग चैंबर

मध्य प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा राइपनिंग योजना के तहत कुल 200 मैट्रिक टन के लक्ष्य हेतु किसानों से आवेदन मांगे हैं | इस योजना के तहत अभी राज्य के 11 जिलों को शामिल किया गया है | यह 11 जिले इस प्रकार है – बुरहानपुर, खंडवा, खरगौन, बडवानी, इंदौर, उज्जैन, भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर तथा ग्वालियर है |

योजना के तहत 191.4 इकाई का लक्ष्य है | इस पर 171.4 इकाई का लक्ष्य सामान्य वर्ग के लिए, अनुसूचित जाति के लिए 10 इकाई तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 10 इकाई का लक्ष्य है | लक्ष्य से ज्यादा आवेदन आने पर 10 प्रतिशत अधिक स्वीकार किया जाएगा |

राइपनिंग चैंबर पर दी जाने वाली सब्सिडी

योजना के तहत हितग्राही को इकाई लागत का 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी | राज्य सरकार ने प्रति मैट्रिक टन लागत राशि रूपये 1,00,000 रुपये लागत तय की है जिस पर 35 प्रतिशत की सब्सिडी अधिकतम 35,000 रूपये दिए जाएंगे |

वर्मी बेड कम्पोस्ट इकाई

उद्यानिकी विभाग मध्य प्रदेश ने राज्य के किसानों के लिए वर्मी कम्पोस्ट इकाई स्थापना के लिए लक्ष्य जारी किए हैं | योजना के तहत रीवा, सतना, सिंगरौली, सागर, दमोह, टीकमगढ़ एवं होशंगाबाद जिलों के लिए है |

वर्मी बेड कम्पोस्ट इकाई के तहत अनुदान

राज्य शासन के निर्देशनुसार योजनान्तर्गत इकाई लागत राशि का 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा | राज्य सरकार ने प्रति इकाई 20,025 रुपये प्रति इकाई लागत तय किया है जिस पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है जो अधिकतम प्रति इकाई 9,998 रुपये है |

HDPE वर्मी बेड, शेडनेट एवं केचुआ की कुल राशि रूपये 11,125 रुपये प्रति इकाई है | इसमें देय अनुदान राशि रूपये 9,998 रुपया प्रति इकाई को छोड़कर शेष राशि 1127 रुपये प्रति इकाई हितग्राही द्वारा कृषक अंश के रूप में संबंधित कंपनी के पास जमा की जाएगी |

योजना का लक्ष्य कितना है ?

वर्मी बेड इकाई स्थापना हेतु तीन प्रकार के लाभ प्राप्त किया जा सकता है | सभी के लिए लक्ष्य अलग – अलग है | HDPE वर्मी कम्पोस्ट इकाई के तहत 4 इकाई का लक्ष्य है | केंचुआ के तहत केंचुआ खरीदी 4 किलोग्राम, खाद छन्ना के लिए 2, तगाड़ी के लिए 6 संख्या निर्धारित किया गया है | इसी प्रकार शेडनेट के लिए 72 मीटर, बल्ली के लिए 12 मीटर, जी.आई.वायर के लिए 25 किलोग्राम का लक्ष्य है | ऊपर दिये गये सभी योजनाओं के लिए 20,025 का लक्ष्य दिया गया है | जिलों के लिए कुल 1,802 इकाई का लक्ष्य है | इसमें सामान्य वर्ग के लिए 1462 , अनुसूचित जनजाति के लिए 200 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 140 का लक्ष्य रखा गया है |

प्याज भंडार गृह

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना – रफ्तार के तहत वर्ष 2021–22 के लिए प्याज भंडारण गृह परियोजना के तहत चुनिन्दा जिलों के लिए लक्ष्य जारी किया गया है | यह जिला इस प्रकार है :- बैतूल, खरगौन, नीमच, छिंदवाडा, सागर, शिवपुरी, खंडवा, दमोह एवं पन्ना | प्याज भंडारण गृह के तहत 9 जिलों के लिए कुल 90 इकाई का लक्ष्य जारी किया गया है | इसमें सामान्य वर्ग के हितग्राही के लिए 75, अनुसूचित जाति के हितग्राही के लिए 5 तथा अनुसूचित जनजाति के हितग्राही के लिए 10 इकाई का लक्ष्य जारी किया गया है | आवेदन अधिक आने कि स्थिति में 10 प्रतिशत अधिक्त तक का आवेदन स्वीकार किया जाएगा |

योजना के तहत किसान 50 मीट्रिक टन क्षमता वाले प्याज भंडार गृह का निर्माण अनुदान पर करा सकते हैं  | योजना के तहत सामान्य वर्ग के हितग्राही को कम से कम 2.00 हेक्टेयर एवं अजजा.अजा वर्ग के हितग्राही को 1.75 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्याज का उत्पादन करना आवश्यक है |

प्याज भंडार गृह पर दी जाने वाली सब्सिडी

50 मीट्रिक टन क्षमता वाले प्याज भंडारण के लिए किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है | इसके तहत किसानों को लागत के 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी | 50 मीट्रिक टन क्षमता वाले प्याज भंडारण के लिए इकाई लागत मूल्य 3,50,000 /- रुपये है | इस पर किसानों को अधिकतम अनुदान राशि 1,75,000 रुपये देय होगी |

पैक हाउस

मध्य प्रदेश के 6 जिलों से पैक हॉउस के लिए आनलाइन आवेदन माँगा गया है | यह जिला इस प्रकार है – बैतूल, नीमच, छिंदवाडा, दमोह एवं पन्ना | राज्य सरकार ने पैक हॉउस निर्माण पर किसानों को सब्सिडी उपलब्ध करा रहा है | इसके साथ ही किसानों को 9 मीटर गुणे 6 मीटर के पैक हाउस निर्माण कराना होगा | किसान को कम से कम 2 हेक्टेयर में उधानिकी फसलों की खेती भी अनिवार्य रूप से करना होगा |

पैक हाउस के तहत दी जाने वाली सब्सिडी

पैक हाउस निर्माण योजना के तहत किसानों को लागत का 50 प्रतिशत की सब्सिडी उपलब्ध कराया जा रहा है | सरकार ने पैक हाउस निर्माण के लिए 4 लाख रूपये का लागत राशि रखा है | इस पर किसान को 50 प्रतिशत अधिकतम 2 लाख रूपये की सब्सिडी लाभार्थी किसान को दी जाएगी |

योजना के तहत लक्ष्य कितना है ?

पैक हॉउस निर्माण के लिए मध्य प्रदेश के 5 जिलों को शामिल किया गया है | इन जिलों के लिए 40 इकाई का लक्ष्य रखा गया है | इसमें 31 इकाई सामान्य वर्ग के लिए 5 इकाई अनुसूचित जनजाति के लिए तथा 4 इकाई अनुसूचित जाति के लिए रखा गया है | इसके अलावा लक्ष्य से ज्यादा आवेदन आने पर 10 प्रतिशत अधिक तक स्वीकार किया जाएगा |

अनुदान हेतु आवेदन कहाँ से करें ?

अनुदान हेतु आवेदन राज्य के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं, या विकासखंड स्तर पर कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं | मध्यप्रदेश में उद्यानिकी विभाग से संचालित सभी योजनाओं हेतु आवेदन ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाते हैं अतः इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते अपना पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर कर सकते हैं |

 

सब्सिडी पर श्रेडर/मल्चर कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करें

श्रेडर/मल्चर कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

अभी खरीफ फसलों की कटाई का काम चल रहा है, ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न कृषि यंत्र किसानों को सब्सिडी पर दिए जा रहे हैं ताकि किसानों को समय पर कृषि यंत्र मिल सके और वह इसका लाभ ले सकें | पिछले माह किसानों के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र सब्सिडी पर देने के लिए आवेदन मांगे थे परन्तु अभी तक यह लक्ष्य पूरे नहीं हुए हैं | इसको देखते हुए नए लक्ष्य जारी कर किसानों से पुनः आवेदन आमंत्रित किए गए हैं | इसके अलावा किसी कारण से किसानों का आवेदन निरस्त कर दिया गया है वह भी किसान योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं |

यह योजना मध्य प्रदेश के सभी जिलों के लिए लागू है लेकिन जिन जिलों में विधानसभा उप चुनाव होने वाले हैं उन जिलों में किसानों के लिए अभी लक्ष्य नहीं जारी किए गए हैं | शेष सभी जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | यह योजना सभी वर्गों के लिए जारी किया गया है |

श्रेडर/मल्चर कृषि यंत्र पर दी जाने वाली सब्सिडी

मध्यप्रदेश में किसानों को अलग-अलग योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों पर किसान वर्ग एवं श्रेणी के अनुसार अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है, जो 40 से 50 प्रतिशत तक है | किसान श्रेडर/मल्चर कृषि यंत्र लेना चाहते हैं वह किसान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं |

आवेदन से पहले बनवाएं बैंक ड्राफ्ट

योजना के लाभ के लिए किसानों को बैंक ड्राफ्ट बनाना जरुरी है | श्रेडर / मल्चर के लिए किसानों को 5,000 रूपये का बैंक ड्राफ्ट स्वयं के नाम से बनवाना होगा | आवेदन करते समय किसान बैंक ड्राफ्ट की छाया प्रति तथा नंबर अपलोड करना होगा | बैंक ड्राफ्ट उसी के नाम से होना चाहिए जिसके नाम से आवेदन किया जा रहा है | अगर किसी और के नाम से बैंक ड्राफ्ट बनाया जाता है तो आवेदन निरस्त कर दिया जायेगा |

नोट:- पूर्व में कुछ कृषको के आवेदन गलत तरीके से बैंक ड्राफ्ट बनवाये जाने के कारण निरस्त हुए थे अतः अब बैंक ड्राफ्ट हेतु निम्न निर्देशों का पालन भी किया जाना सुनिश्चित किया जाये-

  • बैंक ड्राफ्ट पर आवेदक का नाम व पोर्टल में आवेदन के कृषक का नाम सामान होना अनिवार्य है।
  • आवेदक को स्वयं के नाम से बैंक ड्राफ्ट बनवाकर आवेदन के साथ अपलोड करना होगा यदि आवेदन एवं बैंक ड्राफ्ट बनवाने वाले व्यक्ति भिन्न पाए जातें है तो आवेदन निरस्त किया जाएगा।

किसान कब से जार सकते हैं आवेदन

श्रेडर/ मल्चर के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन 12/10/2021 दोपहर 12 बजे से 22 /10/2021 तक कर सकते हैं | सभी आवेदन ऑनलाइन ही स्वीकृत किए जाएंगे | लाँटरी सिस्टम रहने के कारण किसान आवेदन के डेट में कभी भी आवेदन कर सकते हैं | आवेदन के बाद चयनित लाभर्थियों कि सूचि 25 अक्टूबर 2021 को दोपहर 3 बजे लॉटरी के माध्यम से जारी की जाएग| किसान लॉटरी सूचि में अपना नाम 25 अक्टूबर से देख सकते हैं |

श्रेडर/मल्चर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें ?

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं परन्तु सभी किसान भाइयों को यह बात ध्यान में रखना होगा की आवेदन के समय उनके पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर OTP वन टाइम पासवर्ड प्राप्त होगा | इसलिए किसान अपना मोबाइल अपने पास रखें | किसान https://dbt.mpdage.org/ पर जाकर आवेदन करें |

सब्सिडी पर श्रेडर/मल्चर कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को फ्री में दिए जाएंगे 8.20 लाख हाईब्रिड बीज मिनी किट

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हाईब्रिड बीज मिनी किट वितरण

देश को दलहन-तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत दलहन एवं तिलहन फसलों के उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है | किसानों को इन फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा उच्च उत्पादकता वाले बीज मुफ्त में दिए जा रहे हैं | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा एक विशेष कार्यक्रम के तहत देश के 15 प्रमुख उत्पादक राज्यों के 343 चिन्हित जिलों में निःशुल्क 8,20,600 बीज मिनी किट बांटे जाएंगे। इस कार्यक्रम से बीज प्रतिस्थापन दर में वृद्धि होकर उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ सकेगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।

इसकी शुरूआत मध्य प्रदेश के मुरैना व श्योपुर जिले से हुई जहां लगभग दो करोड़ रुपये मूल्य के सरसों बीज मिनी किट वितरण किया गया, केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी शुरुआत की | यह कार्यक्रम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)-ऑयलसीड व ऑयलपाम योजना के अंतर्गत प्रारंभ किया गया है। देश के प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों के लिए सूक्ष्म स्तरीय योजना के बाद इस वर्ष रेपसीड व सरसों कार्यक्रम के बीज मिनी किट वितरण कार्यान्वित करने की मंजूरी दी गई है |

इन राज्यों के किसानों को वितरीत किए जाएंगे बीज मिनी किट

इस कार्यक्रम में सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के विभिन्न जिलों को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम के लिए 1066.78 लाख रु.आवंटित किए गए है।

मध्यप्रदेश के मुरैना व श्योपुर, गुजरात के बनासकांठा, हरियाणा के हिसार, राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के एटा तथा वाराणसी जिलों को इस वर्ष के दौरान पायलट प्रोजेक्ट के तहत हाइब्रिड बीज मिनीकिट के वितरण के लिए चुना गया है। 5 राज्यों के इन 7 जिलों में कुल 1615 क्विंटल बीज से 1,20,000 बीज मिनी किट तैयार करके वितरण किया जाएगा। हरेक जिले को 15 हजार से 20 हजार बीज मिनी किट दिए जाएंगे।

इन किस्मों के बीज दिए जाएंगे

नियमित कार्यक्रम के अलावा, सरसों की तीन टीएल हाइब्रिड उच्च उपज देने वाली किस्मों को बीज मिनीकिट वितरण के लिए चुना गया है। चयनित किस्में जेके-6502, चैंपियन व डॉन हैं। एचवाईवीकी तुलना में अधिक उपज देने के कारण हाइब्रिड का चयन किया जाता है। बीज मिनीकिट कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च उपज क्षमता व अन्य उपयोगी विशेषताओं वाली नई किस्मों का ध्रुवीकरण करना है। आसपास के जिलों के किसानों को इन किस्मों पर भरोसा होगा, जिसके परिणाम स्वरूप किसान इसे बड़े पैमाने पर अपनाएंगे।

DAP की कमी के चलते किसानों को दी जा रही है यूरिया के साथ सिंगल सुपर फास्फेट उपयोग करने की सलाह

यूरिया के साथ सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग

देश के कई क्षेत्रों में रबी फसलों खासकर तिलहन फसलों की बुआई का काम शुरू हो गया है | बुआई के समय किसानों को बीज के साथ सबसे अधिक जरुरत उर्वरक की होती है परन्तु कई जगहों पर DAP खाद की कमी देखी जा रही है | कमी को देखते हुए कृषि विभाग DAP की जगह SSP उर्वरक के उपयोग की सलाह दे रहा हैं | बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा अन्य राज्यों के तरफ से किसानों के लिए यह सलाह लगातार जारी की जा रही है कि किसान DAP के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग यूरिया के साथ करें |

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में डीएपी आपूर्ति में सुधार लाने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। साथ ही उन्होंने किसानों से विकल्प के तौर पर सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) एवं एनपीके का उपयोग करने की अपील की है। SSP जहाँ बाजार में आसानी से उपलब्ध है वहीँ यह DAP की तुलना में सस्ता भी होता है साथ ही इससे मिट्टी को अधिक पोषक तत्व भी मिल जाते हैं |

राज्य में अभी है DAP की कमी

कृषि मंत्री ने बताया कि हमारे देश में डीएपी उर्वरक की आपूर्ति काफी हद तक विदेशी आयात पर निर्भर है। इस साल आयात कम होने से पूरे देश में ही डीएपी की मांग एवं आपूर्ति में अंतर बढ़ गया है, जिससे अन्य राज्यों के साथ ही राजस्थान भी प्रभावित हुआ है। केन्द्र सरकार ने राज्य में इस साल अप्रेल से सितम्बर माह के दौरान 4.50 लाख मैट्रिक टन मांग के विरूद्ध 3.07 लाख मैट्रिक टन डीएपी ही आपूर्ति की है। साथ ही अक्टूबर महीने में 1.50 लाख मैट्रिक टन मांग के विरूद्ध 68 हजार मैट्रिक टन डीएपी स्वीकृत की है। इससे राज्य में डीएपी की कमी हो गई है। राज्य सरकार डीएपी की आपूर्ति में सुधार के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) के छिड़काव से किसानों को लाभ

कृषि विभाग किसानों को वैकल्पिक फॉस्फेटिक उर्वरक सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) एवं एनपीके का उपयोग करने की सलाह दे रहा है, ताकि डीएपी की कमी से संभावित नुकसान से बचा जा सके। एसएसपी एक फॉस्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें 18 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पाई जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है।

यूरिया के साथ SSP का छिड़काव करने से होती है 5 पोषक तत्वों की पूर्ति

कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि वे डीएपी की जगह सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया खाद को बेसल डोज के रूप में उपयोग करेंगे तो वह डीएपी से ज्यादा कारगर साबित होगी, क्योंकि डीएपी में दो पोषक तत्व नाइट्रोजन 18 प्रतिशत और फास्फोरस 46 प्रतिशत पाया जाता है जबकि सिंगल सुपर फास्फेट में फास्फोरस 16 प्रतिशत, कैल्शियम 18.5 प्रतिशत, सल्फर 12, प्रतिशत मैग्निशियम 0.5 प्रतिशत पाया जाता है। यूरिया में नाइट्रोजन 46 प्रतिशत पाया जाता है इसलिए किसान एसएसपी व यूरिया को मिलाकर 5 पोषक तत्वों की पूर्ति कर सकते हैं।

एसएसपी डीएपी की तुलना में सस्ता एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध

SSP उर्वरक डीएपी की तुलना में सस्ता एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध है। प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 9 किलोग्राम नाइट्रोजन पायी जाती है। यदि विभागीय सलाह अनुसार डीएपी के विकल्प के रूप में 3 बैग एसएसपी एवं 1 बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है, तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस तथा अतिरिक्त सल्फर प्राप्त किया जा सकता है। इससे 24 किलोग्राम फॉस्फोरस, 20 किलोग्राम नाइट्रोजन एवं 16 किलोग्राम सल्फर मिलता है। डीएपी के एक बैग की कीमत 1200 रूपए है, वहीं एसएसपी के 3 बैग की लागत 900 रूपए एवं यूरिया के एक बैग की लागत 266 रूपए सहित कुल 1,166 रूपए खर्च होंगे जो डीएपी के खर्चे से कम है।

धान में भूरा माहो के नियंत्रण के लिए वैज्ञानिको ने जारी की सलाह

भूरा माहो का नियंत्रण

जहाँ कई स्थानों पर धान की फसल की कटाई का कार्य शुरू हो गया है वहीँ अभी कई जगहों पर धान की कटाई में अभी कुछ समय बाकि हैं | जिन स्थानों पर अभी धान की फसल में दाने आ रहे हैं वहां कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है | भूरा माहो एवं अन्य कीट पतंगों के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए छतीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जरुरी सलाह जारी की गई है |

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसान अभी धान में भूरामाहो, पेनिकल माइट, तना छेदक जैसी कीट की समस्या से जुझ रहे है। मेडों की साफ-सफाई नही होना और पौध संख्या का अधिक होना कीट पतंगों के प्रकोप का कारण है। साथ ही देख-रेख व सस्य क्रियाओं हेतु निरक्षण पट्टिका का न छोड़ा जाना, रासायनिक उर्वरकों का अनियंत्रित प्रयोग के कारण भी कीट व्याधि का प्रकोप बढ़ता है।

भूरा माहो के नियंत्रण के लिए किसान क्या करें ?

जिन किसानों के पास पानी की सुविधा है वे खेतो में धान की मुंदरी तक पानी भरें। मेडों की मुही को अच्छी तरह बांधे फिर अनुशंसित दवा का छिड़काव करें। अंतः प्रवाही दवा व संपर्क/स्पर्थी दवा का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। जिन खेतों में माहो का प्रकोप अधिक एवं धान हरा हो तो ट्राईफ्लूमेजोपाइरिन 10 प्रतिशत एस.सी. दवा 94 मि. ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

भूरा माहो के नियंत्रण के लिए इनमें से किसी एक दवा का करें प्रयोग

  • पायमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्ल्यूजी 300 ग्राम/हेक्टेयर,
  • थायोमेथेक्जाम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 100-120 ग्राम/हेक्टेयर,
  • इमीडाक्लोरोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल 150-200 मि.ली./हेक्टेर,
  • फिप्रोनिल 3 प्रतिशत $ ब्यूप्रोफेजिन 22 प्रतिशत 500 मि.ली./हेक्टेयर,
  • ब्यूप्रोफेजिन 15 प्रतिशत $ एसीफेट 35 प्रतिशत 50 ग्राम/हेक्टेयर,
  • डाइनोटेफ्यूरॉन 20 प्रतिशत एस.जी. 175 ग्राम/हेक्टेयर |

किसान ऊपर दी गई दवाओं में से किसी भी एक रासायनिक दवा का प्रयोग कर सकते हैं | वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि दवा को पौधे के नीचे तक पहुचाना जरूरी है। धान की लंबाई ज्यादा होने पर पानी का भराव अवश्य करे। जिससे माहू कुछ ऊपर की ओर आयेगें व एक एकड़ में 150-200 लीटर पानी या 10-12 स्प्रेयर दवा का इस्तेमाल जरूर करें।

नई किस्मों के प्रमाणित बीजों पर सरकार दे रही है 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक की सब्सिडी

रबी सीजन के लिए बीज पर सब्सिडी

सरकार द्वारा रबी सीजन में विभीन्न फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं | इसके लिए किसानों को समय पर खाद एवं बीज उपलब्ध हो सके इसकी पूरी तैयारी राज्य सरकारों के द्वारा की जा रही है | फसलों की अधिक पैदावार के लिए आवश्यक है कि किसान फसलों की नई किस्मों के प्रमाणित बीजों का उपयोग करें, सरकार किसानों को इसके लिए इन बीजों पर सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है| हरियाणा में आगामी रबी फसल के सीजन 2021-22 में बीज को लेकर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की एसीएस डॉ. सुमिता मिश्रा की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक आयोजित की गई।

किसानों को बीज पर दी जा रही है सब्सिडी

हरियाणा में राज्य के किसानों को नई किस्म अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग द्वारा नई किस्मों के प्रमाणित बीजों की खरीद पर सब्सिडी प्रदान की जा रही है। गेहूं के बीज पर 1000/- रुपये प्रति क्विंटल, जौ के बीज पर 1500/- रुपये प्रति क्विंटल, दलहन के बीज पर 2500/- रुपये प्रति क्विंटल और तिलहन के बीज पर 4000/- रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी दी जा रही है। एक सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी सीजन 2021-22 में बीज की कोई कमी नहीं है। प्रदेश में 21.99 लाख क्विंटल बीज उपलब्ध है जबकि 17.64 लाख क्विंटल बीज की मांग है।

कहाँ से वितरित होंगे किसानों को बीज

बीज वितरण का काम हरियाणा राज्य बीज विकास निगम (एचएसडीसी), एचएलआरडीसी, इफ्को, एनएफएल, एनएससी व हैफेड को सौंपा गया है। यह फैसला हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और राज्य में स्थित आईसीएआर संस्थानों के वैज्ञानिकों के परामर्श से किया गया। बता दें कि कृषि और किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा हरियाणा में बीज उत्पादन और वितरण की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है।

सरसों बीज मिनिकिट दी जाएगी निःशुल्क

हरियाणा राज्य में सरसों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 3.10 लाख एकड़ भूमि के लिए किसानों को प्रमाणित सरसों बीज की मिनिकिट व 22,500 एकड़ के लिए हाईब्रिड सरसों बीज नि:शुल्क वितरित किया जाएगा।

बागवानी महानिदेशक और एचएयू को अपने ब्रांड के तहत प्रमुख सब्जी फसलों के लिए राज्य निर्मित संकर बीज का उत्पादन और प्रचार करने के लिए निर्देशित किया गया है। इस संबंध में एक एक्शन प्लान अगले 2 सप्ताह में सरकार के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

किसानों को जल्द दिया जाएगा अधिक बारिश से हुए फसल नुकसान का मुआवजा

फसल नुकसान का मुआवजा

मानसून सीजन में अतिवृष्टि के कारण देश के कई राज्यों में बाढ़ कि स्थिति बन गई थी, जिसके कारण किसानों कि खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है | बिहार राज्य में अत्याधिक बारिश से किसान खरीफ फसल की बुवाई ही नहीं कर पाए और जहाँ फसल लगाई गई वह अधिक बारिश के चलते खराब हो गई | बिहार सरकार ने वर्ष 2021 में बाढ़/अतिवृष्टि तथा विभिन्न कारणों से परती रह गई भूमि के कारण फसल क्षति का आकलन करा लिया है। आंकलन के अनुसार जल्द ही किसानों को नियमानुसार समुचित फसल क्षतिपूर्ति हेतु सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी |

परती जमीन  एवं फसल क्षति के लिए दिया जायेगा मुआवजा

बिहार में समय से पूर्व तथा अत्याधिक वर्षा के कारण कई जिलों के किसान खरीफ फसल की बुवाई करने से वंचित रह गये थे | इसके अलावा जिस किसान ने खरीफ फसल की बुवाई की थी उनका भी बाढ़ तथा अतिवृष्टि के कारण फसल को काफी नुकसान हुआ है | फसल नुकसानी को देखते हुए राज्य सरकार ने राज्य के 30 जिलों के किसानों से फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन मांगे थे | यह आवेदन 30 सिम्बर से 4 अक्टूबर के बीच किसानों द्वारा किए गए थे |

इसके अलावा अधिक वर्षा तथा जलजमाव के कारण खरीफ फसल की बुवाई कम हुई थी तथा किसानों ने अपनी जमीन को खाली छोड़ दी थी | सरकार ने प्राप्त आवेदन के आधार पर राज्य में फसल नुकसानी की जानकारी उपलब्ध कराई है | राज्य सरकार उन सभी किसानों को मुआवजा राशि देने जा रही है जिनकी फसल को काफी नुकसानी हुई है |

33 प्रतिशत फसल को हुआ है नुकसान

राज्य के कृषि विभाग को प्राप्त आवेदन के आधार पर 30 जिलों के 283 प्रखंडों के 6 लाख 45 हजार 708.63 हेक्टेयर भूमि में फसल नुकसानी हुई है | जो कुल खरीफ फसल बुवाई का 33 प्रतिशत है | जिसकी कुल अनुमानित राशि 875.27 करोड़ रूपये है | इसी प्रकार विभिन्न कारणों से जिलों में परती रह गई 1,41,227.71 हेक्टेयर क्षति के लिए 96.03 करोड़ अर्थात कुल 7,86,936.34 हेक्टेयर क्षति के लिए 971.30 करोड़ क्षति का आकलन किया गया है |

इस प्रकार सितम्बर माह के अंतिम में आकलन कराया गया है, जिसमें 6 जिले पटना, नालन्दा, बेगुसराय, लखीसराय, प. चम्पारण एवं पूर्वी चम्पारण में क्षति प्रतिवेदित हुई है | इन 6 जिलों में 18,067.65 हेक्टेयर में 33 प्रतिशत से अधिक क्षति के लिए 26.81 करोड़ रूपये की आवश्यकता का आकलन किया गया है |

किसानों को कितना मुआवजा दिया जाएगा ?

खड़ी फसल की नुकसानी तथा अधिक वर्षा तथा जलजमाव के कारण परती जमीन रहने के कारण हुई फसल नुकसानी की भरपाई सरकार इनपुट सब्सिडी से करने जा रही है | इसके लिए सरकार ने बाढ़ से प्रभावित किसानों को एवं अतिवृष्टि से परती भूमि 971.30 तथा अतिवृष्टि के कारण नुकसान हुए खड़ी फसल के लिए 26.81 करोड़ जारी किए है | कुल किसानों को 998.11 करोड़ रूपये के नुकसान का आंकलन किया गया है | यह पैसा कृषि विभाग के द्वारा आपदा प्रबंधन विभाग के पास भेज दिया गया है | जल्द ही किसानों के खातों में यह पैसा दे दिया जायेगा |

किसानों को उपज का मिलेगा उचित मूल्य, राज्यों के खरीद पोर्टल को एकीकृत करने के लिए बनाया गया एप्लीकेशन

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उपज खरीद को एकीकृत करने के लिए एप्लीकेशन

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में किसानों से जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है एवं उसके लिए जो राज्य के किसानों से पंजीयन करवाएं जाते हैं उन्हें एकीकृत करने के लिए एक एप्लीकेशन विकसित किया है | यह एप्लीकेशन इकोसिस्टम व्यापारियों एवं बिचौलियों को दूर रखने के साथ-साथ किसानों के लाभ को ध्यान में रखते हुए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने विकसित किया है, जो निगरानी और रणनीतिक फैसला लेने के लिए न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर (एमटीपी) की व्यवस्था वाले सभी राज्यों के खरीद पोर्टल के एकीकरण में मदद करेगा।

यह प्रक्रिया अक्टूबर 2021 में केएमएस 2021-22 की शुरुआत के साथ शुरू की जा चुकी है | खरीद में बिचौलियों से बचने और किसानों को उनकी उपज का सर्वश्रेष्ठ मूल्य प्रदान करने के लिए खरीद कार्यों में न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर्स (एमटीपी) का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ी। केंद्रीय पोर्टल के साथ एकीकरण राज्यों के साथ खरीद के आंकड़ों के समाधान में तेजी लाने और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को धन जारी करने में काफी मदद करेगा।

न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर (एमटीपी) एप्लीकेशन से लाभ

इस एप्लिकेशन से किसान अपनी उपज को उचित मूल्य पर बेच सकेंगे और संकटग्रस्त बिक्री से बच सकेंगे। वहीँ खरीद एजेंसियां खरीद संचालन के बेहतर प्रबंधन के साथ, राज्य एजेंसियां ​​और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) सीमित संसाधनों के साथ कुशलतापूर्वक खरीद करने में सक्षम होंगे।

  • किसानों/बटाईदारों का ऑनलाइन पंजीकरण: नाम, पिता का नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, बैंक खाता विवरण, भूमि विवरण (खाता/खसरा), स्व-खेती या किराए पर जमीन/बटाईदारी/अनुबंध।
  • राज्य के भूमि रिकॉर्ड पोर्टल के साथ पंजीकृत किसान डेटा का एकीकरण
  • डिजिटलीकृत मंडी/ खरीद केंद्र के संचालन का एकीकरण: क्रेता/विक्रेता फॉर्म, बिक्री से होने वाली आय के बिल तैयार करना आदि।
  • किसानों को एमएसपी के सीधे और त्वरित हस्तांतरण के लिए पीएफएमएस के व्यय अग्रिम हस्तांतरण (ईएटी) मॉड्यूल के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान।
  • सीएमआर/गेहूं वितरण प्रबंधन-स्वीकृति नोट/वेट चेक मेमो अपलोड करने और स्टॉक के अधिग्रहण पर बिलिंग का स्वत: उत्पादन (उत्तर प्रदेश मॉडल)

भारत सरकार के प्रस्तावित एकीकृत पोर्टल पर एपीआई आधारित एकीकरण के माध्यम से डेटा भेजा जाएगा जिससे लाभान्वित किसानों/बटाईदारों, छोटे/सीमांत किसानों की संख्या, उपज, खरीद की मात्रा, भुगतान, केंद्रीय पूल स्टॉक की सूची प्रबंधन की रियल टाइम जानकारी मिलेगी

यहां यह उल्लेखनिय है कि सभी राज्यों में सूचना प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों के कार्यान्वयन के विभिन्न पैमाने हैं। इसके अलावा, स्थानीय आवश्यकताओं और प्रथाओं की प्राथमिकता के कारण, एक अखिल भारतीय मानक खरीद पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद नहीं था। जिसे इस एप्लीकेशन के माध्यम से किया जा रहा है |