back to top
28.6 C
Bhopal
सोमवार, दिसम्बर 2, 2024
होमविशेषज्ञ सलाहअधिक पैदावार के लिए किसान इस वर्ष लगाएं सरसों की यह...

अधिक पैदावार के लिए किसान इस वर्ष लगाएं सरसों की यह उन्नत एवं विकसित किस्में

सरसों की उन्नत एवं विकसित किस्में

खरीफ की कटाई के बाद किसान रबी फसलों की तैयारी में लग जाएंगे | इस वर्ष न केवल खुले बाजार में तिलहन के अधिक भाव हैं बल्कि सरकार ने भी सरसों जैसी तिलहन फसल के न्यूनतम समर्थन में काफी वृद्धि की है | जिससे किसानों का रुझान तिलहन फसलों की ओर बढ़ा है | ऐसे में किसानों को अधिक लाभ के लिए अधिक उत्पादन देने वाली सरसों की किस्मों का चयन करना बहुत जरुरी है |

किसानों को सरसों की खेती से अधिक पैदावार के लिए ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए जो वहां की जलवायु के लिए उपयुक्त हो साथ ही वह विभन्न कीट रोगों के प्रति रोधक क्षमता रखती हो | इसके अलावा सरसों में तेल की मात्रा एवं उत्पादन क्षमता भी अधिक होना चाहिए | किसान समाधान सरसों कि उच्च उत्पादन देने वाल तथा अधिक तेल की मात्रा वाली सरसों की किस्मों की जानकारी लेकर आया है |

सरसों कि उन्नत किस्में

आरएच30 :-

सरसों कि यह किस्म सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं | यह किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है | इस किस्म की उत्पादन क्षमता 16 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है तथा इसमें तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत तक होती है | यह किस्म 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

पूसा बोल्ड :-

सरसों की पूसा बोल्ड किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं | इसकी फलियाँ मोटी एवं इसके एक हजार दानों का वजन लगभग 6 ग्राम होता है | इस प्रजाति का उत्पादन 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं तथा इसमें तेल कि मात्रा सबसे अधिक 42 प्रतिशत होती है | यह किस्म 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

आरजीएन – 73 :-

सरसों कि यह प्रजाति सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं | यह किस्म कई खूबियों के लिए जानी जाती है | इस किस्म कि सरसों कि फलियाँ पकने पर चटकती नहीं हैं तथा तना सडन के प्रति रोधक क्षमता होती है | यह किस्म 120 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस किस्म के सरसों का उत्पादन 17 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा इसमें तेल कि मात्रा 40 प्रतिशत तक होती है |

यह भी पढ़ें:  सुपर सीडर मशीन से बुआई करने पर पैसे और समय की बचत के साथ ही मिलते हैं यह फायदे
पूसा जय किसान (बायो – 902) :-

सरसों कि यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में सबसे ज्यादा प्रचलित है | इसमें विल्ट, तुलासिता एवं सफेद रोली का प्रकोप कम होता है | यह सरसों की पहली टिशु कल्चर किस्म है | इस प्रजाति के सरसों का उत्पादन 18 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रहता है तथा इसमें तेल की मात्रा 38 से 40 प्रतिशत तक रहती है | यह 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

पूसा मस्टर्ड – 21 :-

सिंचित क्षेत्र के लिए यह किस्म उपयुक्त है | पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश राज्यों में इस किस्म के सरसों की खेती ज्यादा उपयुक्त है | सरसों कि यह किस्म 18 से 21 किवंटल प्रति हेक्टेयर कि दर से उत्पादन देती है तथा इसमें तेल कि मात्रा 37 प्रतिशत है | इसका उत्पादन समय 137 से 152 दिनों का है |

सरसों की संकर किस्में

एनआरसीएचबी–506 :-

सरसों कि यह किस्म समय पर बुवाई तथा सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है | इस किस्म की उत्पादन क्षमता 16 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं तथा तेल कि मात्रा 41 प्रतिशत रहती है | यह किस्म 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

डीएमएच–1 :-

सरसों कि यह किस्म रोग तथा कीटों के प्रति सहनशील है | इस किस्म की उत्पादन क्षमता 17 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं तथा तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत तक रहती है | यह 145 से 150 दिनों में तैयार होने वाला किस्म है |

पीएसी–432 :-

सरसों कि यह किस्म उत्तर भारत, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान जैसे राज्यों के लिये उपयुक्त है | इस किस्म कि सरसों से 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कि दर से उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है | सरसों की संकर किस्म में तेल कि मात्रा 41 प्रतिशत रहती है | यह किस्म 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

लवणीय एवं क्षारीय क्षेत्रों के लिए किस्में

सीएस-54 :-

सरसों कि यह किस्म कम तापमान में भी अच्छी उत्पादन देती है | यह 6 से 9 डिग्री सेल्सियस मान तक लवणता व 9.2 पी.-एच. मान की ऊसरता को सहन कर सकती है | सरसों कि यह किस्म 16 से 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने में सक्षम है तथा इसमें तेल कि मात्रा 40 प्रतिशत रहती है | यह किस्म 120 से 122 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

यह भी पढ़ें:  गर्मियों के मौसम में किसान इस तरह करें बैंगन की खेती, मिलेगी भरपूर उपज
नरेंद्र राई–1 :-

सरसों कि यह किस्म सभी प्रकार के लवणीयता प्रभावित वाले क्षेत्रों में उत्पादित की जा सकती है | सरसों कि यह किस्म 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | सरसों की इस किस्म की उत्पादन क्षमता 11 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा इसमें तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत है |

किसान कब करें सरसों की इन उन्नत किस्मों की बुआई

रबी सीजन में तिलहन फसल में सरसों सबसे महत्वपूर्ण है | इसकी पैदावार इस बात पर भी निर्भर करती है की किसानों ने किस समय इसकी बुआई की है | समय पर सरसों कि बुवाई से फसल को रोग तथा कीट से बचाया जा सकता है | बारानी क्षेत्र में सरसों कि बुवाई 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर के बीच की जा सकती है वहीँ सिंचित क्षेत्र में सरसों कि बुवाई 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक करना चाहिए | देर से बुवाई की जाने वाली किस्मों की बुवाई 10 नवंबर तक की जा सकती है |

बीज कि मात्रा कितना होना चाहिए ?

अलग–अलग क्षेत्रों के लिए बीज कि मात्रा भी अलग होता है | बीज की दर सिंचित तथा बारानी क्षेत्रों पर निर्भर करता है | सिंचित क्षेत्रों के लिए सरसों का बीज 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कि दर से बीज का उपयोग करना चाहिए | बारानी क्षेत्रों के लिए बीज का दर 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज की बुवाई किसान कर सकते हैं|

download app button
google news follow
whatsapp channel follow

Must Read

14 टिप्पणी

    • सर यदि सिंचित क्षेत्र है तो आरएच 30 अच्छी रहेगी | इसके अलावा हरियाणा राज्य के लिए अनुशंसित किस्में किरण(PBC-9221), अरावली (RN-393), नव गोल्ड (YRN-6) , RGM-48, वसुंधरा (RH-9304), RH-9801 (स्वर्णा) वसुंधरा CS-52 (DIAR-343), पूसा मस्टर्ड-21(LES-1-27), NRCDR-02 , CS-56 (CS 234-2), RGN-145, धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-1 (DMH-1) पूसा मस्टर्ड -25 (NPJ-112) , DRMR 601 (NRCDR 601, पीताम्बरी (RYSK-05-02), पूसा मस्टर्ड -28 (NPJ-124) आदि हैं |

    • सर ऊपर किस्में दी गई हैं | जैसे पूसा बोल्ड में तेल की मात्रा अच्छी है | इसके अलावा आप अपने जिले के कृषि विज्ञानं केंद्र में सम्पर्क कर वहां के वैज्ञानिकों से सलाह ले सकते हैं | आपके जिले के अनुकूल किस्म के लिए |

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

Latest News