सब्सिडी पर प्याज भंडार गृह निर्माण हेतु आवेदन करें

प्याज भंडार गृह निर्माण हेतु आवेदन

कृषि क्षेत्र में अच्छी आमदनी के लिए अच्छे उत्पादन के साथ–साथ बाजार में फसल का सही मूल्य मिलना जरुरी रहता है | अक्सर ऐसा देखा जाता है कि फसल उत्पादन के समय भाव कम हो जाते हैं जबकि उत्पादन के कुछ समय बाद उसी फसल के अच्छे दाम मिलते हैं | ऐसे में फसल का भंडारण बहुत जरुरी हो जाता है | अनाज के लिए घर पर ही भंडारण हो जाता है लेकिन प्याज के भंडारण के लिए यह जरुरी रहता है की भंडारण गृह तय मापदंड में ही रहे |

अधिक से अधिक किसानों को आलू प्याज जैसे नश्वर उत्पाद के भंडारण की सुविधा मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को भंडार गृह बनवाने पर सब्सिडी देती है | अभी मध्यप्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा 50 मीट्रिक तन क्षमता वाले भंडार गृह निर्माण पर सब्सिडी हेतु किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं | राज्य के सभी जिलों के किसानों के लिए नश्वर उत्पादों की भंडारण क्षमता में वृद्धि के लिए योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं|

प्यज भंडार गृह (warehouse) निर्माण पर दिया जाने वाला अनुदान

मध्यप्रदेश राज्य में उद्यानिकी विभाग द्वारा नश्वर उत्पादों की भण्डारण क्षमता में वृद्धि की विशेष योजना चलाई जा रही है | योजना के तहत लाभार्थी किसानों को प्याज भंडार गृह पर 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिए जाने का प्रावधान है | मध्यप्रदेश उधानिकी विभाग के तरफ से 50 मीट्रिक टन क्षमता वाले भंडारण के लिए अधिकतम 3,50,000 /- रूपये की लागत निश्चित की गई है | इसमें किसानों को लागत का अधिकतम 1,75,000 रूपये तक का अनुदान दिया जाता है |

किन जिलों के किसान कर सकते हैं अनुदान हेतु आवेदन

राज्य में अभी सभी जिलों के अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं | एक पोर्टल पर जारी किया गया है तो दूसरा लक्ष्य अतरिक्त प्रदाय किए गए है | दोनों ही लक्ष्यों में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसान आवेदन कर सकते हैं | योजना के तहत अनुसूचित जाति के लिए कुल 351 का लक्ष्य जारी किया गया है तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 267 का लक्ष्य जारी किया गया है |

पोर्टल पर अपलोड किये गये लक्ष्य :- अनुसूचित जाति के लिए 188 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 266 | अतरिक्त प्रदाय लक्ष्य :- अनुसूचित जाति के लिए 163 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए |

इच्छुक किसान अनुदान हेतु कब कर सकते हैं आवेदन

राज्य के किसान से सभी आवेदन ऑनलाइन ही आमंत्रित किये जाते हैं ऐसे में जो भी इच्छुक किसान प्याज भंडारण गृह निर्माण के लिए आवेदन करना चाहते हैं वह 23 सितम्बर 2021 के दिन सुबह 11:00 बजे से आवेदन कर सकते है | यह आवेदन जिले के दिये हुए लक्ष्य के अनुसार किया जायेगा | आवेदन लक्ष्य से 10% अधिक तक आवेदन किया जा सकता है |

योजना का लाभ लेने के लिए दिशा-निर्देश

  • हितग्राही किसान को कम से कम 2 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्याज का उत्पादन करना आवश्यक है | इसके साथ ही प्याज भंडारण का उपयोग किसी अन्य कामों के लिए नहीं किया जा सकता |
  • प्याज भंडारण गृह का निर्माण NHRDF द्वारा जारी डिजाईन/ड्राइंग एवं निर्धारित मापदण्ड अनुसार होना चाहिए एवं आशय पत्र जारी होने के बाद अधिकतम 06 माह के भीतर प्याज भण्डार गृह का निर्माण पूर्ण करना आवश्यक होगा |
  • कृषकों द्वारा निर्मित प्याज भंडारण गृह का शत प्रतिशत भौतिक सत्यापन हेतु जिले के उप / सहायक संचालक उद्यान की अध्यक्षता में 03 सदस्यीय समिति गठित की जाएगी |
  • समिति के मूल्यांकन एवं भौतिक सत्यापन तथा अनुसंशा के आधार पर संबंधित कृषक को अनुदान की राशि का भुगतान नियमानुसार एम.पी.एगो द्वारा डी.बी.टी. के माध्यम से कृषकों के बैंक खातों में किया जायेगा |

प्याज भंडार गृह हेतु अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें

अनुदान हेतु आवेदन राज्य के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं, या विकासखंड स्तर पर कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं | मध्यप्रदेश में उद्यानिकी विभाग से संचालित सभी योजनाओं हेतु आवेदन ऑनलाइन किये जाते हैं अतः इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते अपना पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर कर सकते हैं |

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देश के 50.2 प्रतिशत किसानों पर कर्ज का बोझ, प्रत्येक किसान परिवार पर है 74121 रुपये का कर्ज: NSO रिपोर्ट

देश के कृषक परिवारों की स्थिति और भूमि: NSO रिपोर्ट

देश में अभी कई किसान संगठन तीन कृषि कानूनों के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं वही मोदी सरकार वर्ष 2022 तक किसानों कि आमदनी दुगना करने की बात कह रही है | इस बीच NSO के रिपोर्ट सामने आई है जिसमें देश में किसानों की स्थिति को बताया गया है | रिपोर्ट के अनुसार कृषक परिवारों की आमदनी 2012-13 के 6426 के मुकाबले 2018-19 में बढ़कर 10,218 रुपये हो गई है वहीँ किसानों पर कर्ज भी लगातार बढ़ता चला जा रहा है | इतना ही नहीं प्रति परिवार किसानों की भूमि में भी कमी आई है | जिससे किसानों की निर्भरता कृषि पर कम हो रही है |

भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के द्वारा जारी रिपर्ट में चौकाने वाली खबर आई है | दरअसल NSO ने “ग्रामीण भारत के कृषक परिवारों की स्थिति और परिवारों की भूमि एवं पशुधन धृतियों पर मुल्यांकन 2019” रिपोर्ट जारी की है | यह रिपोर्ट जनवरी 2019 से दिसम्बर 2019 के बीच सर्वे सेंपल के आधार पर जारी की गई है |

किसान परिवार पर औसतन 74,121 रुपये का कर्ज

रिपोर्ट के अनुसार देश भर में किसान परिवारों के ऊपर 74,121 रूपये का औसतन कर्ज है | देश के कुल किसानों में से 50.2 प्रतिशत किसानों ने यह कर्ज लिया है | किसानों ने यह ऋण बैंक, सरकारी समिति, सरकार तथा अन्य स्रोतों से लिया है | किसान ने बैंक, सहकारी समिति एवं सरकार के द्वारा 69.6 प्रतिशत का कर्ज लिया है, जबकि 20.5 प्रतिशत कर्ज कृषि/वृत्तिक कर्ज देने वाले से था | किसानों के द्वारा लिए गये कर्ज में से 57.5 प्रतिशत कर्ज कृषि कार्यों के लिए लिया गया है |

avg amount of loan on farmer

कितनी है एक किसान परिवार की प्रतिमाह आमदनी

average monthly income of farmer

एक किसान परिवार की (कृषि, पशुपालन, मजदुर, भूमि पट्टे से आमदनी, गैर कृषि कार्य से आमदनी) औसतन आमदनी 10,218 रुपये मासिक है | देश में फसल उत्पादक किसानों की संख्या सबसे जायदा है | इनकी औसतन आमदनी 3,798 रुपये प्रति महिना है | यह आय किसानों की कुल आय के 37.2 प्रतिशत है | जबकि पशुपालन से किसानों कि आमदनी 1,582 रुपये प्रति माह है | किसानों की पशुपालन से होने वाली आमदनी किसानों की कुल आमदनी का 15.5 प्रतिशत है |

agriculture income

दूसरी तरफ किसान मजदुर गैर कृषि कार्यों से 641 रुपये प्रति माह कमाते हैं | यह आमदनी किसानों की कुल आमदनी का 6.3 प्रतिशत है | जबकि मजदूरी से होने वाली आय 4,063 रुपये है | किसानों की मजदूरी से होने वाली आय कृषि कार्यों से होने वाली आय से कहीं ज्यादा है | मजदूरी से 39.8 प्रतिशत की आमदनी होती है | किसान अपने भूमि को पट्टे पर देकर 134 रुपये मासिक आय प्राप्त करता है, जो किसानों की कुल आमदनी का 1.3 प्रतिशत है |

कितने किसान परिवारों पर किया गया यह सर्वे

दरअसल सांख्यिकी विभाग के द्वारा 1 लाख 14 हजार 929 ग्रामीण परिवारों पर दो चरणों में सर्वेक्षण किया गया | दोनों चरणों को मिलाकर कुल 11,834 ईकाइयां सर्वेक्षित की गई है | सर्वेक्षण के अनुसार देश भर में कुल 93.0 मिलियन कृषक परिवार है, जो कुल ग्रामीण परिवारों का 54.0 प्रतिशत है | जबकि गैर कृषक परिवारों कि संख्या 79.3 मिलयन है, जो कुल ग्रामीण परिवारों कि संख्या का 46.0 प्रतिशत है |

समय के साथ किसानों की भूमि भी प्रति परिवार कम हो रही है | वर्ष 2015–16 के एग्रीकल्चर सेंसस की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में किसान परिवार की औसतन भूमि 1.1 हेक्टेयर थी जो घट कर अब 0.876 हेक्टेयर रह गयी है | यह संख्या ग्रामीण क्षेत्र के कुल परिवारों की संख्या का 70.4 प्रतिशत है | जबकि केवल ग्रामीण परिवार का प्रति परिवार के औसतन क्षेत्र पर स्वामित्व 0.512 हेक्टेयर रह गया है | दूसरी तरफ बड़े जोत वाले किसानों की संख्या में भी भारी कमी हो रही है | देश में 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसानों कि संख्या मात्र 0.4 प्रतिशत है |

किसानों परिवारों की कम होती भूमि तथा कृषि में हो रहे घाटे से बढ़ते हुए कर्ज के बीच वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी कैसे होगी | एक तरफ किसान बढ़े हुए कर्ज से आत्महत्या कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि वर्ष 2022 तक किसानों कि आमदनी दुगना कर देंगे |

जानिए कब से शुरू होगी धान एवं अन्य खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद

धान एवं अन्य खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद

खरीफ फसल की कटाई का कार्य कई राज्यों में शुरू किया जा चूका है | इसके साथ ही अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा फसल खरीदी के लिए किसानों से पंजीकरण की व्यवस्था शुरू की जा चुकी है| धान तथा अन्य खरीफ फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह या अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह से शुरू कर दी जाएगी | हरियाणा सरकार ने खरीदी की संभावित तारीख एवं खरीदी केन्द्रों के विषय में जानकारी दी है |

हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ या सरकारी खरीदी में वही किसान लाभ ले पाएंगे जिन किसानों “मेरी फसल, मेरा ब्योरा” पोर्टल पर पंजीयन किया है | इस वर्ष भी हरियाणा एवं अन्य राज्यों के किसान हरियाणा में अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे |

कब शुरू होगी धान एवं अन्य खरीफ फसलों की खरीद

खरीफ सीजन 2021–22 के लिए खरीदी शुरू होने वाली है | अलग–अलग फसलों कि खरीदी शुरू करने के लिए अलग-अलग तारीखों का चयन किया गया है | धान की खरीदी 25 सितम्बर 2021 से शुरू होगी तथा यह खरीदी 15 नवम्बर 2021 तक की जाएगी | मक्का, बाजरा और मूंग की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू होगी और यह 15 नवंबर 2021 तक जारी रहेगी। इसी प्रकार मूंगफली की खरीद 1 नवंबर से की जाएगी और 31 दिसंबर 2021 तक जारी रहेगी।

कितने खरीदी केंद्र बनाये गए हैं ?

सरकारी खरीदी को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार ज्यादा से ज्यादा खरीदी कन्द्रों की स्थापना कर रही है | हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए खरीदी केन्द्रों की जानकारी दी है | धान के लिए 199 केंद्र, बाजरा खरीदी के लिए 86 केंद्र, मक्का की खरीदी के लिए 19 केंद्र, मूंगफली की खरीदी के लिए 7 केंद्र और मूंग की खरीदी के लिए 38 खरीदी केन्द्रों की स्थापना की गई है | इसके अलावा जरूरत पड़ने पर और ज्यादा खरीदी केंद्र बनाए जायेंगे |

7.5 लाख किसानों ने किया फसल बेचने के लिए पंजीकरण

किसानों से खरीफ फसलों की खरीदी केवल “मेरी फसल, मेरा ब्योरा” पोर्टल में पंजीकृत किसानों से ही खरीदा जाएगा | 31 अगस्त 2021 को खरीफ फसलों के पंजीयन के लिए पोर्टल बंद कर दिया गया था | इस बार हरियाणा के 22 जिलों के 7 लाख 50 हजार 949 किसानों ने 46 लाख 98 हजार 781 एकड़ भूमि के लिए पंजीयन कराया है | जबकि 88 लाख 92 हजार 329 एकड़ को कृषि योग्य संचयी क्षेत्र के रूप में पंजीकृत किया गया है | इस बार का पंजीयन 22 जिलों में लगभग 52.82 प्रतिशत है |

इस बार का पंजीयन पिछले वर्ष के मुकाबले सभी फसलों में ज्यादा हुआ है | धान में 114 प्रतिशत, मक्का में 115 प्रतिशत, मूंग, अरहर, उड़द सहित अन्य खरीफ दलहन में 214 प्रतिशत, मूंगफली, तिल, अरंडी सही खरीफ तिलहनों में 222 प्रतिशत की वृद्धि हुई है | जबकि बागवानी में 319 प्रतिशत और चारा में 84 प्रतिशत की वृद्धि हुई है |

किस भाव पर होगी मंडियों में सरकारी खरीद ?

प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार रबी एवं खरीफ की 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है | इस वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है:-

  • धान – 1940 रूपये प्रति क्विंटल
  • ज्वार – 2738 रूपये प्रति क्विंटल
  • बाजरा – 2250 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली- 5550 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंग- 7275 रूपये प्रति क्विंटल
  • मक्का- 1870 रूपये प्रति क्विंटल

सीएनजी से चलने वाले वाले ट्रैक्टर से किसानों को मिलेगी राहत: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी

CNG से चलने वाले वाले ट्रैक्टर

बढ़ती महंगाई एवं कृषि के आधुनिकीकरण से फसल उत्पादन की लागत में ऐसे ही बहुत अधिक वृद्धि हो चुकी है | ऐसे में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की मार किसानों पर पड़ रही है | ऐसे में जरुरी है की कृषि क्षेत्र में भी उर्जा के दुसरे विकल्प देखें जाएँ | देश में वैसे भी स्वच्छ उर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जोर दिया जा रहा है | लोगों के बीच भी इनकी मांग बढ़ी है | वहीँ इस वर्ष देश में बैटरी एवं सीएनजी से चलने वाले ट्रेक्टर लांच किए गए हैं ताकि किसानों की फसलों की लागत भी कम की जा सके | यह तकनीक जलवायु संरक्षण के लिए भी बहुत काम की है |

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि मालवा का क्षेत्र यहाँ के किसानों के लिए जाना जाता है। यदि यहाँ ट्रैक्टर सीएनजी से संचालित होने लगे तो न केवल किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी बल्कि प्रदेश के विकास की गति भी दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने यह बात इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन में सड़क परियोजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही |

सीएनजी से चलने वाले ट्रैक्टर का करें इंतजाम

उन्होंने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से कहा कि आप सीएनजी से चलने वाले ट्रैक्टर का इंतजाम करें। सीएनजी पंप केंद्र सरकार आपको उपलब्ध कराएगी। यह मध्यप्रदेश में जलवायु संरक्षण के क्षेत्र में एक बहुत ही उम्दा पहल होगी। जिस तरह इंदौर में वेस्ट टू वेल्थ का रूपांतरण हो रहा है। उसी तरह से मैं इंदौर नगर निगम आयुक्त को सुझाव दूंगा कि वे टॉयलेट के गंदे पानी से ग्रीन हाइड्रोजन के निर्माण के क्षेत्र में भी कार्य करें। भविष्य में पेट्रोल और डीजल की जगह ग्रीन हाइड्रोजन से गाड़ियों को चला सकेंगे। आज भारत ऑयल के इंपोर्ट के लिए जाना जाता है, यदि हमने इस दिशा में कार्य किया तो हम भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन के एक्सपोर्ट के लिए जाने जाएँगे।

CNG गैस से चलने वाले ट्रेक्टर से इस प्रकार लाभ होगा

  • डीजल से सीएनजी कम मूल्य पर देश में उपलब्ध है,जिसके कारण ट्रेक्टर को चलाने का खर्च कम आएगा,
  • यह डीजल के मुकाबले अधिक सुरक्षित है, इसमें विस्फोट होने की संभावना कम रहती है,
  • इससे वायु प्रदुषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी,
  • इंजन को कम नुकसान करता है जिससे ट्रेक्टर पर रख रखाव पर खर्च कम आएगा,
  • CNG से चलने वाले ट्रेक्टर की संख्या बढने पर पराली का उपयोग बायो गैस बनाने में किया जा सकता है |

किसान अधिक पैदावार के लिए सितम्बर महीने में लगाएं टमाटर की यह किस्में

टमाटर की बुआई के लिए किस्में

सब्जियों की खेती किसानों के लिए दैनिक आय का एक जरिया है | अधिक आय के लिए आवश्यक है कि किसान सब्जियों की सही समय पर उचित किस्में लगाएं ताकि अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके | टमाटर एक ऐसी ही फसल है जो भारतीय लोगों द्वारा रोजाना खाई जाती है जिससे इसकी मांग हमेशा बनी रहती है | ऐसे में किसान टमाटर की वैज्ञानिक खेती कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं |

टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए तापमान का बहुत बड़ा योगदान होता है | इसकी खेती के लिए 18 डिग्री से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान उपयुक्त रहता है | टमाटर जिस भूमि में लगाया जाता है वहां जल का जमाव नहीं होना चाहिए अतः किसानों को जल निकासी की उपयुक्त व्यवस्था करना चाहिए | टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए भूमि का पी-एच मान 6-7 के मध्य होना चाहिए | किसान इसकी खेती के लिए उन्नत एवं संकर किस्मों के बीज की बुआई नर्सरी में करें |

टमाटर की उन्नत एवं विकसित किस्में

सितम्बर माह टमाटर की बुआई के लिए उपयुक्त रहता है | किसान इसकी अगेती किस्में जैसे गोल्डन, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा सदाबहार, पूसा रोहणी, पूसा-120, पूसा गौरव, काशी अभिमान, काशी अमृत, काशी विशेष, पीएच-4, पीएच-8 की बुआई 15 सितम्बर तक एवं पछेती/संकर किस्मों की बुआई 15 सितम्बर के बाद प्रारंभ कर सकते हैं |

टमाटर की अन्य उन्नत किस्में एवं उनसे होने वाली पैदावार के बारे में जानने के लिए क्लिक करें

बीजदर एवं बुआई

टमाटर का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए संकर प्रजातियों के लिए 250-300 ग्राम और और उन्नत प्रजातियों के लिए 500-600 ग्राम प्रति हैक्टयर बीज की मात्रा का उपयोग किसान भाई कर सकते हैं | टमाटर की बोनी किस्मों की रोपाई 60X60 से.मी. तथा अधिक बढ़ने वाली किस्मों की रोपाई 75-90X60 से.मी. पर करें |

खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

टमाटर की रोपाई के समय प्रति हैक्टर 250 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद या 80 क्विंटल नाडेप कम्पोस्ट के साथ 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, 60-80 किलोग्राम पोटाश, 20-25 किलोग्राम जिंक सल्फेट एवं 8-12 किलोग्राम बोरेक्स का छिडकाव करें | संकर/असीमित बढ़वार किस्मों के लिए प्रति हैक्टर 50-55 किलोग्राम नाइट्रोजन का प्रयोग करें |

अधिक पैदावार के लिए किसान इस वर्ष लगाएं सरसों की यह उन्नत एवं विकसित किस्में

सरसों की उन्नत एवं विकसित किस्में

खरीफ की कटाई के बाद किसान रबी फसलों की तैयारी में लग जाएंगे | इस वर्ष न केवल खुले बाजार में तिलहन के अधिक भाव हैं बल्कि सरकार ने भी सरसों जैसी तिलहन फसल के न्यूनतम समर्थन में काफी वृद्धि की है | जिससे किसानों का रुझान तिलहन फसलों की ओर बढ़ा है | ऐसे में किसानों को अधिक लाभ के लिए अधिक उत्पादन देने वाली सरसों की किस्मों का चयन करना बहुत जरुरी है |

किसानों को सरसों की खेती से अधिक पैदावार के लिए ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए जो वहां की जलवायु के लिए उपयुक्त हो साथ ही वह विभन्न कीट रोगों के प्रति रोधक क्षमता रखती हो | इसके अलावा सरसों में तेल की मात्रा एवं उत्पादन क्षमता भी अधिक होना चाहिए | किसान समाधान सरसों कि उच्च उत्पादन देने वाल तथा अधिक तेल की मात्रा वाली सरसों की किस्मों की जानकारी लेकर आया है |

सरसों कि उन्नत किस्में

आरएच30 :-

सरसों कि यह किस्म सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं | यह किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है | इस किस्म की उत्पादन क्षमता 16 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है तथा इसमें तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत तक होती है | यह किस्म 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

पूसा बोल्ड :-

सरसों की पूसा बोल्ड किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं | इसकी फलियाँ मोटी एवं इसके एक हजार दानों का वजन लगभग 6 ग्राम होता है | इस प्रजाति का उत्पादन 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं तथा इसमें तेल कि मात्रा सबसे अधिक 42 प्रतिशत होती है | यह किस्म 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

आरजीएन – 73 :-

सरसों कि यह प्रजाति सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं | यह किस्म कई खूबियों के लिए जानी जाती है | इस किस्म कि सरसों कि फलियाँ पकने पर चटकती नहीं हैं तथा तना सडन के प्रति रोधक क्षमता होती है | यह किस्म 120 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस किस्म के सरसों का उत्पादन 17 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा इसमें तेल कि मात्रा 40 प्रतिशत तक होती है |

पूसा जय किसान (बायो – 902) :-

सरसों कि यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में सबसे ज्यादा प्रचलित है | इसमें विल्ट, तुलासिता एवं सफेद रोली का प्रकोप कम होता है | यह सरसों की पहली टिशु कल्चर किस्म है | इस प्रजाति के सरसों का उत्पादन 18 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रहता है तथा इसमें तेल की मात्रा 38 से 40 प्रतिशत तक रहती है | यह 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

पूसा मस्टर्ड – 21 :-

सिंचित क्षेत्र के लिए यह किस्म उपयुक्त है | पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश राज्यों में इस किस्म के सरसों की खेती ज्यादा उपयुक्त है | सरसों कि यह किस्म 18 से 21 किवंटल प्रति हेक्टेयर कि दर से उत्पादन देती है तथा इसमें तेल कि मात्रा 37 प्रतिशत है | इसका उत्पादन समय 137 से 152 दिनों का है |

सरसों की संकर किस्में

एनआरसीएचबी–506 :-

सरसों कि यह किस्म समय पर बुवाई तथा सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है | इस किस्म की उत्पादन क्षमता 16 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं तथा तेल कि मात्रा 41 प्रतिशत रहती है | यह किस्म 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

डीएमएच–1 :-

सरसों कि यह किस्म रोग तथा कीटों के प्रति सहनशील है | इस किस्म की उत्पादन क्षमता 17 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं तथा तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत तक रहती है | यह 145 से 150 दिनों में तैयार होने वाला किस्म है |

पीएसी–432 :-

सरसों कि यह किस्म उत्तर भारत, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान जैसे राज्यों के लिये उपयुक्त है | इस किस्म कि सरसों से 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कि दर से उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है | सरसों की संकर किस्म में तेल कि मात्रा 41 प्रतिशत रहती है | यह किस्म 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

लवणीय एवं क्षारीय क्षेत्रों के लिए किस्में

सीएस-54 :-

सरसों कि यह किस्म कम तापमान में भी अच्छी उत्पादन देती है | यह 6 से 9 डिग्री सेल्सियस मान तक लवणता व 9.2 पी.-एच. मान की ऊसरता को सहन कर सकती है | सरसों कि यह किस्म 16 से 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने में सक्षम है तथा इसमें तेल कि मात्रा 40 प्रतिशत रहती है | यह किस्म 120 से 122 दिनों में पककर तैयार हो जाती है |

नरेंद्र राई–1 :-

सरसों कि यह किस्म सभी प्रकार के लवणीयता प्रभावित वाले क्षेत्रों में उत्पादित की जा सकती है | सरसों कि यह किस्म 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | सरसों की इस किस्म की उत्पादन क्षमता 11 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा इसमें तेल कि मात्रा 39 प्रतिशत है |

किसान कब करें सरसों की इन उन्नत किस्मों की बुआई

रबी सीजन में तिलहन फसल में सरसों सबसे महत्वपूर्ण है | इसकी पैदावार इस बात पर भी निर्भर करती है की किसानों ने किस समय इसकी बुआई की है | समय पर सरसों कि बुवाई से फसल को रोग तथा कीट से बचाया जा सकता है | बारानी क्षेत्र में सरसों कि बुवाई 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर के बीच की जा सकती है वहीँ सिंचित क्षेत्र में सरसों कि बुवाई 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक करना चाहिए | देर से बुवाई की जाने वाली किस्मों की बुवाई 10 नवंबर तक की जा सकती है |

बीज कि मात्रा कितना होना चाहिए ?

अलग–अलग क्षेत्रों के लिए बीज कि मात्रा भी अलग होता है | बीज की दर सिंचित तथा बारानी क्षेत्रों पर निर्भर करता है | सिंचित क्षेत्रों के लिए सरसों का बीज 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कि दर से बीज का उपयोग करना चाहिए | बारानी क्षेत्रों के लिए बीज का दर 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज की बुवाई किसान कर सकते हैं|

सब्सिडी पर पाईप लाईन, विद्युत पंप, स्प्रिंकलर सेट एवं रेनगन लेने हेतु आवेदन करें

पाईप लाईन, विद्युत पंप, स्प्रिंकलर सेट एवं रेनगन अनुदान हेतु आवेदन

रबी फसल की खेती के लिए किसानों को जुताई से लेकर सिंचाई और गहाई तक के लिए कृषि यंत्रों की आवश्यकता होती है | किसानों को यह कृषि यंत्र सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी पर दिए जाते हैं | किसानों को सिंचाई यंत्रों (पाईप लाइन,स्प्रिंकलर सेट, विद्युत पम्प सेट,रेनगन ) पर अनुदान देने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा समय-समय पर आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं | चयन हो जाने पर किसानों को इन यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है |

अभी मध्यप्रदेश सरकार के कृषि विभाग द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (गेहूँ) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (टर्फा) के तहत किसानों से सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन मांगे गए हैं | इच्छुक किसान आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं | आवेदन में चयनित कृषकों को सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी |

इन सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी हेतु कर सकते हैं आवेदन ?

मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (गेहूँ) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (टर्फा) के अंतर्गत सिंचाई उपकरण के लिए लक्ष्य जारी किए हैं | राज्य के किसान नीचे दिए गए निम्न सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं :-

दिए गए सिंचाई यंत्रों पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

वर्ष 2021-2022 हेतु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (गेहूँ) के अंतर्गत सिंचाई उपकरण (पाईप लाईन, विद्युत पंप, स्प्रिंकलर सेट, एवं मोबाइल रेनगन) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (टर्फा) के अंतर्गत सिंचाई उपकरण (पाईप लाईन और स्प्रिंकलर सेट) के तहत किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | किसान पोर्टल पर सब्सिडी कैलकुलेटर पर यंत्र पर आने वाली कुल लागत की तुलना में अपने वर्ग एवं श्रेणी के अनुसार सब्सिडी की मात्रा देख सकते हैं |

किसान सिंचाई यंत्र अनुदान हेतु कब करें आवेदन

राष्ट्रीय खाद्ध सुरक्षा मिशन (गेहूं) तथा टर्फा के अंतर्गत सिंचाई उपकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है | मध्य प्रदेश के सभी वर्ग के किसान 17 सितम्बर 2021 को दोपहर 12 बजे से 27 सितम्बर 2021 तक आवेदन कर सकते हैं | जो किसान ऊपर दिये गये सिंचाई यंत्रों के लिए इसी वर्ष पहले भी आवेदन कर चुके हैं तथा उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला है वैसे किसानों को दुबारा आवेदन करने कि जरूरत नहीं है | उन सभी किसानों को आवेदक को लाँटरी प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा |

कब जारी की जाएगी चयनित किसानों की सूचि (List)

ऊपर दिये सभी गये सभी सिंचाई यंत्रों के लिए किसान 27 सितम्बर तक आवेदन कर सकते हैं | आवेदन पूर्ण होने के बाद कंप्यूटरीकृत सिस्टम से लोटरी निकाली जाएगी, जिसके अनुसार जिलेवार जारी लक्ष्य के अनुसार किसानों का चयन किया जायेगा | 28 सितम्बर 2021 को शाम 5 बजे लाँटरी सिस्टम के तहत चयनित किसानों की सूची जारी की जाएगी |

सिंचाई यंत्र आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

  • आधार कार्ड की कॉपी
  • बैंक पासबुक के प्रथम प्रष्ठ की कॉपी
  • जाति प्रमाण पत्र ( केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कृषकों हेतु )
  • बिजली कनेक्शन का प्रमाण जैसे बिल सिंचाई यंत्र

सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आवेदन

मध्यप्रदेश के किसान दिए गए सिंचाई यंत्रों हेतु ऑनलाइन आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | किसान मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे। आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी (OTP) प्राप्त होगा। इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे।

सब्सिडी पर पाईप लाईन, विद्युत पंप, स्प्रिंकलर सेट, एवं मोबाइल रेनगन हेतु आवेदन के लिए क्लिक करें

1 अक्टूबर से यहाँ शुरू होगी 1940 रुपये प्रति क्विंटल पर धान की खरीदी

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी

इस माह के अंतिम सप्ताह या अगले माह के प्रथम सप्ताह से खरीफ फसलों की कटाई का कार्य शुरू हो जाएगा | कटाई के बाद किसानों से समय पर फसलों का उपार्जन हो सके इसके लिए राज्य सरकारों के द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई है | जहाँ मध्यप्रदेश में खरीफ फसलों की खरीदी के लिए पंजीकरण शुरू किए जा चुके हैं वहीँ उत्तरप्रदेश में कैबिनेट कि बैठक में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को मंजूरी दे दी गई है | इस खरीफ सीजन में राज्य सरकार 70 लाख टन धान की खरीदी करेगी | इसके लिए खरीदी केन्द्रों तथा खरीदी का समय निर्धारित कर दिया गया है |

किसानों से कब खरीदा जायेगा धान ?

उत्तर प्रदेश में धान की खरीदी अगले माह से शुरू हो जाएगी | धान की खरीदी संभाग के अनुसार अलग–अलग समय पर शुरू की जाएगी | लखनऊ संभाग के जनपद हरदोई, लखीमपुर, तथा सम्भाग बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, झाँसी में धान की खरीदी 1 अक्टूबर 2021 से शुरू की जाएगी तथा यह खरीदी 31 जनवरी 2022 तक चलेगी | इसके अलावा लखनऊ संभाग के जनपद लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव व चित्रकूट, कानुपर, अयोध्या, देवीपाटन, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर एवं प्रयागराज मंडलों में 01 नवम्बर 2021 से खरीदी शुरू हो जाएगी जो  28 फरवरी 2022 तक चलेगी |

कितने क्रय केन्द्रों पर खरीदी जाएगी धान

खरीफ विपणन वर्ष 2021–22 में 4,000 क्रय केन्द्र स्थापित किए जाएंगे | इसमें खाद्ध विभाग की विपणन शाखा के 1100, उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (पी.एस.एफ.) के 1500, उत्तर प्रदेश कोआँपरेटिव यूनियन लिमिटेड (पी.सी.यू.) के 600, उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के 200, उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के 200, उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (यू.पी.एस.एस.) के 300 तथा भारतीय खाद्ध निगम के 300 क्रय केंद्र सम्मिलित हैं |

उत्तरप्रदेश में धान सभी खरीदी केन्द्रों पर सुबह के 9:00 बजे से शाम को 5:00 बजे तक की जाएगी | लेकिन जरूरत पड़ने पर जिले के जिला अधिकारी क्रय केंद्र खुलने तथा बंद करने का निर्णय ले सकते हैं | रविवार तथा राज्य सरकार के तरफ से घोषित अवकाश को खरीदी नहीं की जाएगी |

72 घंटों के अंदर किया जाएगा धान खरीदी का भुगतान

राज्य में धान खरीदी के बाद किसानों को धान के मूल्य का भुगतान भारत सरकार के पी.एफ.एम.एस. पोर्टल के माध्यम से धान क्रय के 72 घंटे के अंदर किया जाएगा |

चावल मिल मालिकों को दिया जायेगा धान खरीदी पर बोनस

राज्य में चावल मिलर को दिये गये धान के सापेक्ष 45 दिनों के अंदर मिलर द्वारा केन्द्रीय पुल में चावल सम्प्रदान करना होता है, तो उसे प्रोत्साहन राशि की दर अरवा चावल तथा सेला चावल के लिए 20 रूपये प्रति क्विंटल मिलिंग किए गए धान पर देय होगा | 45 दिनों में चावल का सम्प्रदान न होने पर 01 रूपये प्रति क्विंटल की दर से होल्डिंग प्रभार देय होगा |

प्रोत्साहन धनराशि की प्रतिपूर्ति केवल उन्हीं चावल मीलों को देय होगी, जिनका सम्बद्धीकरण जिलाधिकारी / सम्भागीय खाद्ध नियंत्रक / आयुक्त, खाद्ध एवं रसद द्वारा क्रमश: जनपद की, मंडल की व मंडल के बाहर की चावल मिल होने की स्थिति में किया जाएगा |

किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए कहाँ करें पंजीयन

उत्तरप्रदेश राज्य में धान की खरीदी खाद्य एवं रसद विभाग के द्वारा की जाती है | किसानों को धान समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए www.fsc.up.gov.in पर पंजीकरण करवाना आवश्यक होता है | किसान अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-1800-150 पर कॉल कर सकते हैं | किसनों को पंजीकरण के लिए जोतबही / खाता नम्बर अंकित कमप्यूटराइज़्ड खतौनी, आधार पत्र, बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ (जिसमे खाता धारक का विवरण अंकित हो) की छाया प्रति, एक अद्यतन पासपोर्ट साइज फोटो की आवश्यकता होगी |

क्या है इस वर्ष के लिए धान का न्यूनतम समर्थन का मूल्य

केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष खरीफ तथा रबी फसल को मिलाकर 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है | यह मूल्य देश के सभी राज्यों के लिए एक सामान लागू होते हैं | इस वर्ष सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रूपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल है |

2 लाख 20 हजार से अधिक किसानों को दिए गए कृषि कनेक्शन

सिंचाई के लिए कृषि कनेक्शन

कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई एक महत्वपूर्ण घटक है | सरकार द्वारा अधिक से अधिक किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है | किसानों को इसके लिए न केवल सस्ती बिजली उपलब्ध करवाई जाती है बल्कि अधिक से अधिक किसानों को बिजली कनेक्शन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं | जिन स्थानों पर बिजली नहीं पहुँच पा रही है वहां किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प दिए जा रहे हैं ताकि सभी किसान समय पर फसलों की सिंचाई कर उत्पादन बढ़ा सकें |

राजस्थान राज्य सरकार ने पिछले ढाई साल में 2 लाख 19 हजार 779 कृषि कनेक्शन दिये है, यह बात राजस्थान के ऊर्जा मंत्री  डॉ. बी.डी. कल्ला ने मंगलवार को विधानसभा में दी | ऊर्जा मंत्री ने कृषि विद्युत कनेक्शन के संबंध में बताया कि गत सरकार के समय 5 साल में 2 लाख 68 हजार 522 कृषि कनेक्शन दिये, हमने ढाई साल में 2 लाख 19 हजार 779 कृषि कनेक्शन दिये है, बजट घोषणा के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य में 50 हजार कृषि कनेक्शन दिया जाना लक्षित है। दिनांक 12.09.2021 तक 33,240 कृषि कनेक्शन जारी किये जा चुके हैं। शेष कृषि कनेक्शनों को जारी किये जाने हेतु आवश्यक संसाधन एवं सामान की समुचित व्यवस्था की गई है।

90 पैसे प्रति यूनिट की दर पर किसानों को दी जा रही है बिजली

उर्जा मंत्री ने कहा कि जब पहली बार श्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने घोषणा की थी कि खेती की बिजली के दाम नहीं बढ़ेगें और हमने तबसे 90 पैसे प्रति यूनिट बिजली किसानों को दे रहे है। सरकार ने यह घोषणा की थी कि 5 वर्ष तक किसानों की विद्युत दरों में वृद्धि का भार सरकार स्वयं वहन करेगी। इसके अनुरूप विद्युत विनियामक आयोग दिनांक 06.02.2020 के आदेश द्वारा किसानों के लिए बढ़ायी गई विद्युत दरों का भार राज्य सरकार वहन कर रही है। विद्युत दरों में वृद्धि से 20 लाख बीपीएल, 42 लाख छोटे घरेलू उपभोक्ताओं व 14 लाख किसानों  सहित 76 लाख उपभोक्ताओं पर विद्युत दरों में कोई प्रभावी वृद्धि नहीं की गई है।

किसानों को दिया जा रहा है 1,000 रुपये प्रति माह का अनुदान

किसान मित्र ऊर्जा योजना” के तहत प्रति माह किसानों को 1,000 रूपये तक का अनुदान दिया जा रहा है | अगर किसी किसान को एक माह में कृषि बिजली बिल 1,000 रूपये आता है तो उसे किसी प्रकार की राशि नहीं चुकानी पड़ेगी | 1,000 रूपये से कम बिजली बिल आने पर किसान को उस माह की सब्सिडी अगले माह में जोड़ दी जाएगी | इस योजना के तहत किसान को प्रति वर्ष 12,000 रूपये तक की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है |

जैविक खेती करने वाले किसान यहाँ बेच सकते हैं अपनी उपज

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जैविक उत्पाद हेतु ऑनलाइन बाजार

देश भर में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तथा रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशक जैसे रसायनों के उपयोग को कम करने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकार विभिन्न प्रकार की योजनायें चला रही है | जैविक खेती को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य यह है कि कृषि लागत को कम से कम कर गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त कर रसायन मुक्त भारत बनाया जाये| जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि की जा सके | 

सरकार के द्वारा इसके लिए किसानों को जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण तथा सब्सिडी पर उपकरण उपलब्ध करा रही है | सरकार के प्रयासों से किसानों के बीच में जैविक खेती के प्रति उत्साह काफी बढ़ा है | पर जैविक खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बाजार की है | किसानों को उनके जैविक उत्पादों का सही दाम नहीं मिल पाता है, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए वेब पोर्टल एवं एप शुरू की गई है जिस पर किसान पंजीकरण कर अपने जैविक उत्पाद को बेच सकते हैं | 

किसानों को दिया जायेगा जैविक खेती का पंजीयन

देशभर में जैविक खेती के प्रति किसानों का रुझान लगतार बढ़ रहा है | जैविक खेती की पहचान देने तथा जैविक उत्पाद को बाजार में आसानी से बेचने के लिए केंद्र सरकार किसानों को भूमि का प्रमाण पत्र दे रही है | जैविक खेती की प्रमाणिकता देने के लिए केंद्र सरकार ने पंजीयन करना शुरू कर दिया है | तीन वर्षों में जैविक खेती का तथा 2 वर्षों में जैविक उद्धानिकी का प्रमाण पत्र दिया जाता है |

केंद्र सरकार ने किसानों के द्वारा उत्पादित फसल को उपभोगता तक पहुँचाने के लिए ऑनलाइन सेवा jaivikkheti.in शुरू की है | जहाँ पर खरीदार तथा आपूर्तिकर्ता या उत्पादक एक साथ व्यापर कर सकते हैं | इसके अलावा अपनी सुविधा के अनुसार भाव भी तय कर सकते हैं |

4 लाख से अधिक किसानों ने कराया है जैविक उत्पाद बेचने के लिए पंजीकरण

देश भर में अभी तक 4 लाख 93 हजार 563 किसानों ने पंजीयन कराया है | इसके अलावा 15,717 कृषि समूहों ने जैविक उत्पाद बेचने के लिए आवेदन किया है | देश भर में जैविक खेती के उत्पाद बेचने के लिए उत्तराखंड के किसानों ने सबसे ज्यादा आवेदन किया है | राज्य के 1 लाख 62 हजार 876 किसानों ने आवेदन किया है | जबकि दुसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश के 60 हजार 023 किसानों ने आवेदन किया है | जैविक उत्पाद बेचने के लिए 25 राज्यों के किसानों ने रूचि दिखाई है |

अभी तक इस वेबसाईट पर 1 लाख 42 हजार 205 उत्पादों का पंजीयन कराया गया है | इसके लिए 7,763 खरीदारों ने इस वेबसाईट से जैविक उत्पाद खरीदने में रूचि दिखाई है | जैविक उत्पाद का 75 आपूर्तिकर्ता ने भी पंजीयन कराया है |

आप भी अपने जैविक उत्पाद बेचने के लिए करा सकते हैं पंजीयन

देश के किसी भी राज्य के किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं | इसके लिए किसान के पास जैविक उत्पाद का प्रमाणपत्र होना चाहिए | किसान जैविक खेती की वेबसाइट पर जाकर विक्रेता पर क्लिक करें | इसके बाद तीन आप्शन आएंगे | जिसमें व्यक्तिगत किसान, स्थानीय समूह, तथा एग्रीगेटर / प्रोसेसर का आँपसन आएगा | इसमें अपने सुविधा के अनुसार चुन करके पंजीयन करायें |

जैविक उत्पाद बेचने हेतु पंजीकरण के लिए क्लिक करें