राज्य में अब 7 फरवरी तक होगी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी

समर्थन मूल्य पर धान की खरीद

सभी राज्यों में अभी धान सहित अन्य खरीफ फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जोरों पर चल रही है | सभी पंजीकृत किसान अपनी उपज MSP पर बेच सकें इसके लिए कुछ राज्य सरकारों के द्वारा खरीद की अवधि को आगे बढाया जा रहा है | छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य के किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है | मुख्यमंत्री ने धान खरीदी की निर्धारित अवधि में एक सप्ताह की वृद्धि किए जाने का एलान किया। राज्य में अब 7 फरवरी तक किसानों से धान खरीदी की जाएगी।

24 लाख से अधिक किसानों ने कराया है धान बेचने के लिए पंजीयन

राज्य में 21 जनवरी तक 78.92 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है, जो कि इस साल के अवमानित लक्ष्य का 75 प्रतिशत है। इस साल धान बेचने के लिए 24 लाख 5 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। धान का पंजीकृत रकबा 30 लाख 21 हजार हेक्टेयर है। इस साल पंजीकृत किसानों की संख्या में 2 लाख 52 हजार तथा रकबे में 2 लाख 28 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जो कि गत वर्ष की तुलना में क्रमशः 11.76 प्रतिशत एवं 8.20 प्रतिशत अधिक है।

अभी तक 19 लाख किसानों ने बेचीं है समर्थन मूल्य पर धान

राज्य में अब तक लगभग 19 लाख किसान धान बेच चुके हैं। समर्थन मूल्य पर क्रय किए जा चुके धान का मूल्य 15 हजार 335 करोड़ रूपए है। किसानों को शत-प्रतिशत राशि का भुगतान किया जा चुका है। किसानों द्वारा इस साल 71 हजार गठान बारदाना धान खरीदी के लिए उपलब्ध कराया गया, जिसकी कुल राशि 88.20 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 

धान खरीदी के लिए राज्य में पर्याप्त बारदाना उपलब्ध है। राज्य में अब शेष अवधि में धान की खरीदी के लिए 1.30 लाख गठान बारदाने की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए 1.52 गठान बारदाना उपलब्ध है। इस साल उपार्जित धान के एवज में एफसीआई में लगभग 6 लाख मीट्रिक टन तथा नान में 4.63 लाख मीट्रिक टन इस प्रकार कुल 10.57 लाख मीट्रिक टन जमा कराया जा चुका है।

खेती के लिए ड्रोन खरीदने पर सरकार देगी 10 लाख रुपये तक का अनुदान

कृषि के लिए ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी

कृषि क्षेत्र में आधुनिक मशीनों का प्रयोग बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें किसानों को कृषि से जुडी मशीने एवं उपकरण खरीदने पर किसानों को सब्सिडी दी जाती है | सरकार द्वारा दिए जाने वाले इन कृषि यंत्रों की सूचि में अब ड्रोन को भी शामिल कर लिया गया है | भारत में गुणवत्तापूर्ण खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल करते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को किफायती बनाने के दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं |

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए “कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन” (एसएमएएम) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है । इसमें अलग-अलग कृषि संस्थानों, उद्यमियों, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) एवं किसानों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है |

इन्हें मिलगा ड्रोन खरीदने पर 10 लाख रुपये का अनुदान

कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा ड्रोन की खरीद पर कृषि ड्रोन की लागत का 100 प्रतिशत तक या 10 लाख रुपये, जो भी कम हो का अनुदान दिया जायेगा। इसके तहत किसानों के खेतों में बड़े स्तर पर इस तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा।

अन्य लाभार्थियों को ड्रोन खरीदने पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन की लागत का 75 फीसदी तक अनुदान पाने के लिए पात्र होंगे। मौजूदा कस्टम हायरिंग सेंटर्स द्वारा ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की खरीद पर 40 प्रतिशत मूल लागत या 4 लाख रुपये, जो भी कम हो, वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे।

कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना कर रहे कृषि स्नातक ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की मूल लागत का 50 प्रतिशत हासिल करने या ड्रोन खरीद के लिए 5 लाख रुपये तक अनुदान समर्थन लेने के पात्र होंगे। ग्रामीण उद्यमियों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या उसके समान परीक्षा उत्तीर्ण होने चाहिए और उनके पास नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा निर्दिष्ट संस्थान या किसी अधिकृत दूरस्थ पायलट प्रशिक्षण संस्थान से दूरस्थ पायलट लाइसेंस होना चाहिए।

यह कस्टम हायरिंग केंद्र ले सकेंगे सब्सिडी पर ड्रोन

कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा की जाती है। वहीं एसएमएएम, आरकेवीवाई या अन्य योजनाओं से वित्तीय सहायता के साथ किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा स्थापित किए जाने वाले नए सीएचसी या हाई-टेक हब्स की परियोजनाओं में ड्रोन को भी अन्य कृषि मशीनों के साथ एक मशीन के रूप में शामिल किया जा सकता है।

ड्रोन के प्रदर्शन के लिए दी जाएगी वित्तीय सहायता

ड्रोन तकनीक प्रदर्शन करने वाली कार्यान्वयन एजेंसियों को 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर आकस्मिक व्यय उपलब्ध कराया जाएगा, जो ड्रोन खरीदने की इच्छुक नहीं हैं लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर्स, हाई-टेक हब्स, ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स और स्टार्ट-अप्स से किराये पर लेना चाहते हैं। उन कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक सीमित रहेगा, जो ड्रोन के प्रदर्शन के लिए ड्रोन खरीदना चाहते हैं। वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च, 2023 तक उपलब्ध होगा।

कृषि में ड्रोन के उपयोग के लिए इन नियमों का करना होगा पालन

नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) और नागर विमानन महानिदेशक (डीजीसीए) द्वारा सशर्त छूट सीमा के माध्यम से ड्रोन परिचालन की अनुमति दी जा रही है। एमओसीए ने भारत में ड्रोन के उपयोग और संचालन को विनियमित करने के लिए 25 अगस्त, 2021 को जीएसआर संख्या 589 (ई) के माध्यम से ‘ड्रोन नियम 2021’ प्रकाशित किए थे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि, वन, गैर फसल क्षेत्रों आदि में फसल संरक्षण के लिए उर्वरकों के साथ ड्रोन के उपयोग और मिट्टी तथा फसलों पर पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं(एसओपी) भी लाई गई हैं। प्रदर्शन करने वाले संस्थानों और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से कृषि सेवाओं के प्रदाताओं को इन नियमों/ विनियमों और एसओपी का पालन करना होगा।

बैंकों से कृषि एवं अकृषि ऋण लेने वाले किसानों को मिलेगी ब्याज एवं अन्य छूट

किसानों को ऋण पर ब्याज में छूट

समय-समय पर किसानों को कर्ज मुक्त करने एवं लोन पर लगने वाले ब्याज से राहत देने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएं लाई जाती है, जिसमें किसानों को कर्ज माफी या ब्याज माफ किया जाता है | ऐसी ही एक योजना राजस्थान सरकार राज्य के किसानों के लिए लाने जा रही है, जिसमें किसानों के द्वारा लिए गए लोन का ब्याज माफ किया जायेगा | कोरोना महामारी के कारण आर्थिक समस्या का सामना कर रहे किसानों को ऋण चुकाने में परेशानी हो रही है। ऐसे में अपेक्स बैंक एवं एसएलडीबी किसानों के हित में एकमुश्त समझौता योजना तैयार की जाएगी |

राजस्थान के सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के चलते किसान वर्ग को राहत देने के लिए एकमुश्त समझौता योजना लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सहकारी बैंकों एवं प्राथमिक भूमि विकास बैंकों के माध्यम से कृषि एवं अकृषि ऋण लेने वाले किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा, जिससे ऋण चुकारे में किसान को आसानी हो सके।

कृषि एवं अकृषि ऋण पर लगने वाले ब्याज को किया जायेगा माफ

श्री आंजना ने बताया कि एकमुश्त समझौता योजना के माध्यम से किसानों के ऋणों पर ब्याज दर को कम करने के साथ ही अवधिपार एवं दण्डनीय ब्याज को भी कम किया जाएगा। ऐसे अवधिपार ऋणी किसानों को भी राहत दी जाएगी, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। ऐसे किसान परिवार को किसान की मृत्यु तिथि से सम्पूर्ण बकाया ब्याज, दण्डनीय ब्याज एवं वसूली खर्च को पूर्णतया माफ किया जाएगा।

मुख्य शासन सचिव सहकारिता एवं कृषि श्री दिनेश कुमार ने निर्देश दिए कि एकमुश्त समझौता योजना बनाते समय किसानों की संख्या, उनकी ऋण राशि एवं योजना को प्रमुखता से लागू करने के लिए विशेष प्लान भी तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि योजना की क्रियान्विति को इस तरह से किया जाए की पात्र किसानों को उसका लाभ आवश्यक रूप से मिले।

अब घर की छत पर सोलर पैनल लगाने पर 30 दिनों के अंदर दी जाएगी सब्सिडी

घर पर सोलर पैनल लगाने पर सब्सिडी

देश में अक्षय उर्जा को बढ़ावा देने एवं लोगों को उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश भर में केंद्र सरकार के द्वारा सौर संयंत्रों की स्थापना के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है | योजना के तहत लाभार्थी को घर की छत पर सोलर संयंत्र लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है | इन संयंत्रों की स्थापना से उपभोक्ताओं को न केवल सस्ती बिजली प्राप्त होती है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी यह संयंत्र अहम भूमिका निभाते है। सोलर संयंत्र स्थापित करने में जहाँ 4 वर्ष में लागत निकल जाती है वहीँ इसकी आयु भी लगभग 25 वर्ष होती है |

केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह ने 19 जनवरी, 2022 को रूफ टॉप (घर की छत पर सौर संयंत्र) योजना की प्रगति की समीक्षा की। इसके बाद मंत्री ने रूफ टॉप योजना को सरल बनाने के निर्देश दिए, जिससे इस तक लोगों की पहुंच आसान हो सके।

इस तरह लगवा सकेंगे सोलर पैनल

उर्जा मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि अब से लाभार्थी को किसी भी सूचीबद्ध विक्रेता से ही रूफ टॉप लगवाना जरूरी नहीं होगा। इसकी जगह वे खुद भी रूफ टॉप लगा सकते हैं या अपनी पसंद के किसी भी विक्रेता से इसे लगवा सकते हैं। साथ ही, लगाई गई प्रणाली की एक फोटो के साथ वितरण कंपनी को इस बारे में सूचित किया जाए। डिस्कॉम (विद्युत वितरण कंपनी) को रूफ टॉप को लगाए जाने की सूचना सामग्री के रूप में पत्र/आवेदन के जरिए या निर्दिष्ट वेबसाइट पर दी जा सकती है, जिसे हर एक डिस्कॉम और भारत सरकार ने रूफ टॉप योजना के लिए शुरू किया है।

सौर पैनल और इन्वर्टर की गुणवत्ता निर्धारित मानक के अनुसार है, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार समय-समय पर वैसे सोलर पैनल और इन्वर्टर निर्माताओं की सूची प्रकाशित करेगी, जिनके उत्पाद अपेक्षित गुणवत्ता मानकों और उनकी मूल्य सूची के अनुरूप हैं। वहीं, लाभार्थी अपनी पसंद के सोलर पैनल और इन्वर्टर का चयन कर सकते हैं।

30 दिनों के अंदर दी जाएगी सौर संयंत्र पर सब्सिडी

वितरण कंपनी (डिस्कॉम) यह सुनिश्चित करेगी कि सूचना मिलने के 15 दिनों के भीतर नेट मीटरिंग उपलब्ध करा दी जाए। भारत सरकार 3 किलोवाट क्षमता तक की रूफ टॉप के लिए 40 फीसदी और 10 किलोवाट तक के लिए 20 फीसदी सब्सिडी प्रदान करती है। सौर संयंत्र लगाए जाने के 30 दिनों के भीतर डिस्कॉम यह सब्सिडी लाभार्थी के खाते में जमा करेगी।

घरेलू सोलर पैनल (Rooftop Solar Scheme ) योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी

भारत-सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रदेश के घरेलू उपभेक्ताओं द्वारा स्थापित 3 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्रों पर 40 प्रतिशत अनुदान तथा 3 किलोवॉट से 10 किलोवाट क्षमता तक 20 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में उपलब्ध कराती है। इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से प्रति किलोवॉट प्रति दिवस लगभग 4 यूनिट विद्युत का उत्पादन होता है तथा उपभोक्ता द्वारा व्यय की गई समस्त राशि लगभग 4 वर्ष में वसूल हो जाती है तथा संयंत्र की आयु लगभग 25 वर्ष होती है । इन संयंत्रों की स्थापना के उपरांत 5 वर्ष तक रख-रखाव की जिम्मेदारी भी निगम के अनुमोदित वेंडर्स की होती है।

रूफटॉप सोलर संयंत्र स्थापना के लिए आवेदन

एमएनआरई योजना के तहत रूफटॉप सोलर संयंत्र स्थापित करने के इच्छुक आवासीय उपभोक्ता ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक व्यक्तियों को अपने क्षेत्र से संबंधित डिस्कॉम या बिजली कार्यालय में जाकर सम्पर्क कर आवेदन कर सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए, संबंधित डिस्कॉम से संपर्क करें या एमएनआरई के टोल फ्री नंबर 1800-180-3333 पर कॉल करें। अपने डिस्कॉम के ऑनलाइन पोर्टल को जानने के लिए https://solarrooftop.gov.in पर क्लिक करें।

29 जनवरी तक मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं 15 फरवरी तक होगी मूंगफली की समर्थन मूल्य पर खरीद

मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की समर्थन मूल्य पर खरीद

मंडियों में अभी खरीफ फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है| पंजीकृत किसान जारी टोकन के अनुसार अपनी फसलों को मंडी में बेचने के लिए ले जा रहे हैं परन्तु ऐसे भी कई किसान है जो किन्हीं कारणों से अपनी उपज का पंजीयन नहीं करा पाए हैं | राजस्थान राज्य सरकार ने ऐसे किसानों के लिए अहम फैसला लिया है अब राज्य में समर्थन मूल्य पर मूंग एवं मूंगफली बेचने के लिए 20 प्रतिशत अधिक किसान पंजीयन करा सकते हैं |

चयनित खरीद केन्द्रों के लिए किसान करा सकते हैं मूंग एवं मूंगफली का पंजीयन

सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने बताया कि राज्य में समर्थन मूल्य पर मूंगफली के 7 जिलों (बीकानेर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, सीकर एवं टोंक) के 24 खरीद केन्द्रों पर तथा मूंग के 11 जिलों अजमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, झुंझुनूं, जोधपुर, नागौर, सीकर एवं टोंक) के 48 खरीद केन्द्रों पर पंजीयन सीमा को 20 प्रतिशत बढ़ाया है। मूंग के लिए 23 जनवरी तक मूंगफली के लिए 5 फरवरी तक किसान क्रय केन्द्र या ई-मित्र केन्द्रों पर पंजीयन करा सकते है।

93 हजार 475 किसानों को उपज बेचने के लिए जारी की गई डेट

श्री आंजना ने बताया कि खरीफ 2021 में समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द एवं मूंगफली की अब तक 489 करोड़ रुपये की खरीद कर ली गयी है। भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 90 दिवस की खरीद अवधि के तहत 29 जनवरी तक मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की खरीद होगी तथा मूंगफली की खरीद 15 फरवरी तक होगी। अब तक कुल पंजीकृत 98 हजार 149 किसानों में से 93 हजार 475 किसानों को जिन्स तुलाई की दिनांक राजफैड़ द्वारा आवंटित कर दी गयी है। सोयाबीन के बाजार भाव समर्थन मूल्य दर से अधिक होने के कारण किसानों द्वारा समर्थन मूल्य योजना में सोयाबीन का बेचान नहीं किया गया है।

निर्धारित मापदंडो के अनुसार ही होगी मूंग की खरीद

सहकारिता मंत्री ने बताया कि इस वर्ष असमय वर्षा होने के कारण मूंग की गुणवत्ता प्रभावित हुई है जिससे कई मण्डियों में बदरंग व क्षतिग्रस्त मूंग की मात्रा अधिक है। इस पर भारत सरकार को मूंग के गुणवत्ता मापदण्डों में क्षतिग्रस्त दानों की स्वीकार्य मात्रा 3 प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत मात्रा तक खरीद करने की अनुमति प्रदान करने हेतु अनुरोध किया गया था। भारत सरकार द्वारा इस अनुरोध को स्वीकार न कर मूंग की निर्धारित गुणवत्ता मापदण्डों के अनुरूप ही खरीद करने के निर्देश दिये गये है।

कितने किसानों से खरीदी गई फसल?

अभी तक राज्य में 1 हजार 900 किसानों से 41 हजार 561 मीट्रिक टन मूंग खरीदा गया है। जिसकी राशि लगभग 302 करोड़ रूपये है। 14 हजार 814 किसानों से 33 हजार 647 मीट्रिक टन मूंगफली की खरीद की गई है। जिसकी राशि 187 करोड़ रूपये है। किसानों से समर्थन मूल्य पर क्रय किये गये दलहन-तिलहन पेटे 308 करोड़ रुपये का 23 हजार 162 किसानों को उनके खाते में ऑनलाइन भुगतान किया जा चुका है।

21 से 23 जनवरी के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

21 से 23 जनवरी के लिए वर्षा का पूर्वानुमान

उत्तर भारतीय राज्यों में पिछले दिनों हुई बारिश एवं ओलावृष्टि के बाद एक बार फिर से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आने वाले दिनों में बारिश एवं ओलावृष्टि के लिए चेतावनी जारी की है | मौसम विभाग के अनुसार एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के चलते 21 से 24 तारीख के दौरान उत्तर-पश्चिम और इससे सटे मध्य भारत में बारिश का मौसम रहेगा | 21 से 23 जनवरी के दौरान पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के अधिकांश हिस्सों में गरज-चमक एवं तेज बारिश एवं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है |

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग भोपाल केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 21 से 23 जनवरी के दौरान भोपाल,रायसेन, राजगढ़, विदिशा, सिहोरे, धार, अलीराजपुर, बडवानी, झाबुआ, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोक नगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योंपुर कला, उमरिया, अनुपपुर, शाडोल, डिंडौरी, कटनी, जबलपुर, नरसिंगपुर, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, छतरपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह एवं निवाड़ी जिलों में अधिकांश स्थानों पर कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ बारिश एवं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है |

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग भोपाल केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 21 एवं 22 जनवरी के दौरान अजमेर, अलवर, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, जयपुर, झुंझनु, करौली, सीकर, सवाई-माधोपुर, टोंक, कोटा, बूंदी, भीलवाडा, बीकानेर, चुरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, जोधपुर एवं पाली जिलों में अधिकांश स्थानों पर कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ बारिश एवं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है |

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के रायपुर केंद्र के अनुसार 22 एवं 23 जनवरी के दौरान सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, धमतरी, कबीरधाम, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाडा, सुकमा, कांकेर, बीजापुर एवं नारायणपुर जिलों में अधिकांश स्थानों पर कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ बारिश एवं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है |

पंजाब एवं हरियाणा राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 21 से 23 जनवरी के दौरान पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरन-तारण, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, भटिंडा, लुधियाना, बरनाला, मनसा, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, रूपनगर, पटियाला एवं सास नगर जिलों में अधिकांश स्थानों पर पर गरज-चमक के साथ बारिश एवं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है |

वहीँ हरियाणा राज्य के चंडीगढ़, पंचकुला, अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, महेंद्र गढ़, रेवारी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी एवं चरखी दादरी जिलों में अधिकांश स्थानों कहीं-कहीं पर गरज-चमक के साथ बारिश एवं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है |

बिहार राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग पटना के अनुसार 21 जनवरी को पश्चिमी चंपारण पूर्वी चंपारण, सीवान, सारण, गोपालगंज, बक्सर, आरा, अरवल, रोहतास, भभुआ और औरंगाबाद जिलों में 22 जनवरी के दौरान बिहार राज्य के दक्षिण-पश्चिम एवं दक्षिण-मध्य के अलग-अलग भागों में गरज-चमक के साथ बिजली चकने और ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | वही 23 जनवरी के दिन राज्य के उत्तर-पश्चिम, उत्तर-मध्य, उत्तर-पूर्व के अलग-अलग भागों में एवं दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण-मध्य, दक्षिण पूर्व के अलग-अलग भागों में गरज-चमक के साथ बारिश एवं ओलावृष्टि की सम्भावना है |

किसानों की समस्याओं एवं सुझावों को जानने के लिए सरकार ने शुरू किया किसान कॉल सेंटर

किसान कॉल सेंटर की शुरुआत

आये दिन किसानों को किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ता है, ऐसे में जरुरी है की उनकी समस्याओं का समाधान जल्द किया जा सके | देश में किसानों की समस्याओं के समाधान एवं अन्य जानकारी के लिए केंद्र सरकार एवं अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा कॉल सेंटर बनाएं गए हैं | जिन पर किसान कॉल कर खेती-किसानी, योजनाओं आदि की जानकारी के साथ ही अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं | किसान कॉल सेंटर की उपयोगिता को देखते हुए झारखण्ड सरकार ने भी राज्य के किसानों के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया है |

झारखंड के कृषि मंत्री बादल ने 19 जनवरी के दिन राज्य के किसानों के लिए “किसान कॉल सेंटर” की शुरुआत की | इस अवसर पर उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं एवं उनके सुझावों से अवगत होने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने ‘‘किसान कॉल सेंटर‘‘ शुरू करने की पहल की है।

क्या है किसान कॉल सेंटर के लिए टोल फ्री नम्बर

किसान कॉल सेंटर कृषि निदेशालय से संचालित किया जायेगा | राज्य के किसान कहीं से भी इस किसान कॉल सेंटर (जिसका टॉल फ्री नं.1800-123-1136 है) में अपनी समस्याओं एवं सुझावों को दर्ज करा सकते हैं। उनकी समस्याओं को प्रखण्ड स्तर से लेकर मुख्यालय स्तर तक हल करने का प्रयास किया जायेगा। टॉल फ्री नंबर पर किसानों के सुझावों को भी प्राप्त कर उस पर कार्रवाई की पहल की जायेगी। वहीं पदाधिकारी भी लगातार इसकी मॉनिटरिंग करेंगें। किसान अपनी समस्याओं एवं सुझावों को किसान कॉल सेंटर के टॉल फ्री नं. 1800-123-1136 पर करा सकेगें दर्ज

किसानों की भाषा में दिया जायेगा जबाब

कृषि मंत्री श्री बादल ने कहा कि राज्य में विभिन्न प्रकार की ‘‘भाषा एवं बोली‘‘ बोली जाती हैं। किसानों को संवाद करने में कोई परेशानी न हो, इस हेतु ‘‘किसान कॉल सेंटर‘‘ में किसानों की भाषा के अनुरूप ही उन्हें जवाब भी दिया जायेगा। किसान कॉल सेंटर में किसान अपनी समस्याओं एवं सुझावों को दर्ज करा सकेंगे। इस कार्य से विभाग को किसानों की प्रतिक्रिया मिलेगी और उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से होगा।

सरसों की फसल में लगने वाले मुख्य कीट एवं उनका नियंत्रण

सरसों की फसल में कीट एवं उनका नियंत्रण

देश में रबी फसलों में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, सोयाबीन, मूंगफली के बाद सरसों की खेती देश भर में सबसे ज्यादा होती है | खाद्य तेल के रूप में सरसों की मांग अधिक रहने के कारण पिछले कुछ वर्षों से किसानों को सरसों की खेती से अच्छा मुनाफा हो रहा है | सरसों का अच्छा उत्पादन कई कारणों पर निर्भर करता है जैसे मिट्टी, जलवायु, बीज, रोग तथा कीट | कीट एवं रोगों का प्रभाव सीधे सरसों के उत्पादन पर होता है इसलिए किसानों को समय पर इनकी पहचान कर उन पर नियंत्रण पाना आवश्यक है |

सरसों की फसल में समय-समय पर विभिन्न कीट एवं रोग काफी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उपज में कमी आती है | यदि समय रहते इन रोगों एवं कीटों का नियंत्रण कर लिया जाए तो सरसों के उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है | चेंपा या माहू, आरामक्खी, चितकबरा कीट, मटर का पर्ण सुरंगक कीट आदि सरसों के मुख्य कीट हैं |

सरसों का माहूं (चैपा /मोयला /एफिडा) कीट

सरसों का माहू छोटा, लंबा व कोमल शरीर वाला कीट है | प्रौढ़ माहूं दो अवस्थाओं में पाया जाता है: पहला पंखरहित और दूसरा पंखसहित | पंखरहित प्रौढ़ 2 मि.मी. लंबे, गोलाकार व हरे रंग के या हल्के हरे पीले रंग के होते है | पंखसहित प्रौढ़ पीले उदर वाले व पंख पारदर्शी होते हैं | शिशु पंखरहित अवस्था के समान होते हैं, परन्तु आकार में छोटे होते हैं | दो नलीनुमा संरचनाएं (कोर्निक्ल्स) उदर के अंतिम भाग में उपस्थित होती है |

हानि के लक्षण

ये कीट प्राय: दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में प्रकट होते हैं और मार्च के अंत तक सक्रिय रहते हैं और मार्च के अंत तक विभिन्न भागों जैसे – पुष्पक्रम, पत्ती, तना, टहनी व फलियों से रस चूसकर नुक्सान पहुंचाते हैं | ये कीट समूहों में रहते हैं व तीव्रता से वंशवृद्धि करते हैं | माहूं पहले फसल की वानस्पतिक कलिका पर प्रकट होते हैं व धीरे–धीरे पुरे पौधे को ढक लेते हैं | ये कीट मधुस्राव निकालते हैं और पौधों पर काले कवक का आक्रमण हो जाता है | तना व पत्तियाँ काली हो जाती हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है | इस प्रकाश यह कीट उपज व तेल की मात्रा में कमी करता है | बादालयुक्त व ठंडा मौसम वंशवृद्धि के लिए अत्यंत उपयुक्त होता है |

समन्वित कीट प्रबंधन
  • जहाँ तक संभव हो सरसों की बुआई 15 अक्टूबर तक कर देनी चाहिए, इससे फसल माहूँ के प्रकोप से बच जाती है | उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा का ही प्रयोग करना चाहिए |
  • माहूँ के प्राथमिक आक्रमण पर 10 दिनों के अन्तराल पर 2-3 बार माहूँ ग्रसित टहनियों को तोड़कर नष्ट कर देने से माहूँ की वंशवृद्धि को कम किया जा सकता है |
  • फसल में कम से कम 10 प्रतिशत पौधे माहूँ से ग्रसित हों तथा प्रत्येक पौधे पर 26 से 28 माहूँ हों, तभी छिड़काव करना चाहिए |
  • ऑक्सी-डेमेटान मिथाइल (मेटासिस्टाक्स) 25 पायस सांद्रण अथवा डाइमिथोएट (रोगोर) 30 पायस सांद्रण अथवा मैलाथियान 50 पायस सांद्रण की एक लीटर मात्र को 600-800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें
  • अथवा इमिडाक्लोप्रिड 1708 एस.एल. को 5 मि.ली. / 15 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें | यदि दोबारा से कीट का प्रकोप हो तब 15 दिनों के अन्तराल से पुनः छिड़काव करें |

सरसों की आरा मक्खी

इस कीट की प्रौढ़ मक्खी 8–11 मि.मी. लंबी, पीले–नारंगी रंग की ततैया की तरह होती है | इसके पंख धूसर रंग के व काली शिरायें लिए हुए होते हैं | इसका अंडरोपक दांतेदार व आरिनुमा होता है इसलिए इसे आरा मक्खी कहते हैं | सर व टाँगे काली होती है | इसकी सुंडी गहरे हरे रंग की होती है, जिसकी पीठ पर पांच लंबवत धारियां होती है |

हानि के लक्षण

यह कीट मुख्य रूप से फसल की पौधावस्था (अक्टूबर-नवंबर) में ही नुक्सान पहुंचाता है | सूंडी, पत्तियों को काटकर उनमें अनियमित आकार के छेद कर देती हैं | अधिक प्रकोप की अवस्था में पौधे को कंकालित कर देती हैं | फसल में आक्रमण पौधावस्था में अधिक होता है और 3–4 सप्ताह पुरानी फसल में ज्यादा नुक्सान होता है | मध्य जलवायु और कम आर्द्रता इसकी वंशवृद्धि के लिए अनुकूल है |

समन्वित कीट प्रबंधन
  • स्वच्छ कृषि क्रियाएं (खरपतवार नियंत्रण, वैकल्पिक पोषक पौधे व फसल अवशेषों आदि को नष्ट करना) अपनाना चाहिए |
  • गर्मियों के दिनों (मई-जून) में खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करनी चाहिए |
  • फसल लगभग एक माह की हो जाए तब सिंचाई करनी चाहिए | इससे इस कीट की सूंडी पानी में डूबकर मर जाती है |
  • इस कीट के प्रकोप की अवस्था में मैलाथियान 50 पायस सांद्रण की एक लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए |

मटर का पर्ण सुरंगक कीट

प्रौढ़ मक्खी छोटी काले रंग की होती है और इसका सिर पिला होता है | प्रौढ़ मक्खी की लंबाई 1.5 मि.मी., पंख विन्यास लगभग 4 मि.मी. व घरेलू मक्खी के समान परन्तु आकार में छोटी होती है | नए मेगेट्स कीट धूसर सफेद रंग के होते हैं और इनके मुखांग काले भूरे रंग के होते हैं | पूर्ण विकसित कीट हरा पीला रंग का लगभग 3 मि.मी. चौड़ा, जिनका मध्य भाग मोटा और आगे से चपटा होता है | कीट पत्ती में सुरंग के अंदर रहता है और सुरंग में ही कृमिकोष में चला जाता है |

हानि के लक्ष्ण

पौधे की पत्तियों में प्रौढ़ मादा के अन्डरोपक से अंडे देने के लिए छोटे–छोटे छेद करती है | प्रौढ़ मादा व नर इन छेदों से निकलने वाले रस को चूसते हैं | ये कीट पत्ती के पैरेनकाइमा ऊतकों को खाकर टेढ़ी–मेढ़ी सुरंग बनाते हैं | अत्यधिक ग्रसित पत्तियां पीली होकर गिर जाती है व उपज पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है | अधिक प्रकोप की दशा में ग्रसित पत्तियां छितर जाती हैं | पौधों का ओज प्रभावित होता है और पुष्पं एवं फलन गतिविधियाँ प्रभावित होती है | इस कीट का प्रकोप प्राय: पुरानी पत्तियों पर अधिक होता है |

समन्वित कीट
  • ग्रसित पत्तियों को तोड़कर जमीन में दबा देना चाहिए, ताकि पत्तियों में छिपे कीट व कृमिकोष नष्ट हो जाएं |
  • आँक्सी–डेमेटोन मिथाइल 25 पायस सांद्रण या डाइमिथोएट 30 पायस सांद्रण की एक लीटर मात्रा को 600–800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करें अथवा इमिडाक्लोप्रिड 1708 एस.एल. को 5 मि.ली. / 15 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें |

चितकबरा कीट

प्रौढ़ कीट के शरीर के ऊपर काले व चमकीले नारंगी रंग के धब्बे होते हैं | प्रौढ़ 6.5–7.0 मि.मी. चौड़ा व पूर्ण विकसित शिशु 4 मि.मी. लंबा व 2.6 मि.मी. चौड़ा होता है | इन पर भूरी धारियां पाई जाती हैं | पहली व दूसरी अवस्था शिशु कीट का रंग चमकीला नारंगी और तीसरी व चौथी अवस्था का रंग लाल होता है | मुखांग चुभाने–चूसने वाले एवं पश्चोंमुखी होते हैं |

हानि के लक्ष्ण

ये कीट फसल के छोटे–छोटे पौधों को या पौध अवस्था में अधिक नुक्सान पहुंचाते है | शिशु एवं प्रौढ़ दोनों ही पौधे की पत्तियों एवं प्ररोह से रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं | फसल की दो पत्ती अवस्था में नुक्सान होने पर ग्रसित उपरी भाग मुरझाकर सुख जाता है | वानस्पतिक अवस्था में प्रकोप के समय पत्तियों पर सफेद धब्बे हो जाते हैं | पौधे का विगलन हो जाता है व पौधे पूर्णत: सुख जाते हैं | दोनों मामलों में फसल की दोबारा बुआई आवश्यक हो जाती है | यह कीट फली बनने व पकने की अवस्था में भी आक्रमण करता है, जिससे फलियाँ व दाने सिकुड़ जाते हैं | खलिहानों में कटी हुई फसल पर इन कीटों का आक्रमण व हानि को देखा जा सकता है | इस प्रकार यह कीट उपज व तेल की मात्रा में कमी करता है | मध्यम तापमान 20 से 40 डिग्री सेल्सियस व कम आर्द्रता इस कीट के गुणन के लिए उपयुक्त है |

समन्वित कीट प्रबंधन

  • खेत में साफ़–सफाई रखनी चाहिए | खेतों के आसपास खरपतवार तथा फसल अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए |
  • खेतों की गर्मियों के दिनों (मई-जून) में मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करनी चाहिए |
  • बुआई के 3–4 सप्ताह बाद यदि संभव हो, तो पहली सिंचाई कर देनी चाहिए |
  • पौधावस्था में इस कीट का आक्रमण होने पर क्यूनालफाँस 10 प्रतिशत अथवा मैलाथियान 5 प्रतिशत धुल की 20–25 किलोग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करें |
  • अत्यधिक प्रकोप की अवस्था में मेलाथियान 50 पायस अथवा डाइमिथोएट (रोगोर) 30 पायस सांद्रण की एक लीटर अथवा इमिडाक्लोप्रिड 1708 एस.एल. की 150 मि.ली.मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करें |
  • फसल का रंग सुनहरा होने पर ही कटाई कर लेनी चाहिए | फसल की जल्द से जल्द मड़ाई कर लेनी चाहिए, जिसमें अधिक हानि न हो व पादप अवशेषों को तुरंत नष्ट कर देना चाहिए |

किसानों को सहायता राशि के साथ दिया जायेगा 25 प्रतिशत एडवांस फसल बीमा क्लेम

फसल बीमा राशि का भुगतान

पिछले दिनों हुई बारिश एवं ओलावृष्टि से किसानों की रबी फसलों को काफी नुकसान हुआ है | ऐसे में राज्य सरकारों के द्वारा सर्वे कार्य प्रारंभ किया जा चूका है | राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए सहायता राशि एवं बीमित किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि दी जाएगी | मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 18 जनवरी तक फसल क्षति का आंकलन करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही उन्होंने किसानों को जल्द ही सहायता राशि देने के बात भी कही है |

मुख्यमंत्री श्री चौहान राजगढ़ जिले के छायन ग्राम में ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त सरसों, गेहूँ, चना और मसूर की फसलों का जायजा लेने पहुँचे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसान भाई परेशान न हो, संकट के समय सरकार उनके साथ है और उन्हें इस संकट से भी निकालेगी। प्रभावित कृषकों की बेटियों का विवाह है, तो वह भी राज्य सरकार कराएगी। प्रभावित किसानों के कर्ज को अल्पकालीन से मध्यमकालीन करने और एक वर्ष के ब्याज की राशि राज्य शासन द्वारा भरे जाने की घोषणा भी की।

बीमा कम्पनी देगी 25 प्रतिशत अग्रिम क्लेम

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान की पूरी भरपाई की जाएगी। फसलों में 50 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर 30 हज़ार रुपये की क्षतिपूर्ति के साथ ही फसल बीमा योजना का लाभ भी दिया जाएगा। बीमा कम्पनी से 25 प्रतिशत क्लेम राशि अग्रिम रूप से दिलाई जाएगी और शेष 75 प्रतिशत राशि क्लेम फाइनल होने पर दी जाएगी। राहत राशि राज्य सरकार देगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा और राहत राशि मिलाकर किसानों को उनकी फसल क्षति की भरपाई की जाएगी।

सर्वे सूचि ग्राम पंचायत में होंगी चस्पा

मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को निर्देश दिए कि फसलों के सर्वे कार्य में पारदर्शी व्यवस्था अपनाई जाए और सर्वे सूची ग्राम पंचायत भवन में चस्पा करें। कोई भी किसान सर्वे से छूटना नहीं चाहिये। जिन किसानों को आपत्ति हो उनकी फसल का पुनः सर्वे किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सर्वे कार्य चोरी-छुपे नहीं हो, कोई भी प्रभावित कृषक छूटे नहीं। सभी संबंधित अधिकारी सुनिश्चित करें की सर्वे का कार्य पारदर्शिता और संवदेनशीलता के साथ हो।

पशुओं की मुत्यु पर भी दी जाएगी सहायता राशि

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जहाँ गेहूँ, सरसों, चना, मसूर की फसल को ओलावृष्टि से 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है वहाँ प्रति हेक्टेयर 30 हजार रूपये की राहत राशि प्रदान की जाएगी। पशुओं की मुत्यु होने पर गाय-भैंस के मामले में 30 हजार रूपये प्रति पशु, बैल-भैंसा की मृत्यु होने पर 25 हजार रूपये, बछड़ा-बछड़ी की मृत्यु होने पर 16 हजार रूपये, बकरा-बकरी की मृत्यु होने पर 3 हजार रूपये तथा मुर्गा-मुर्गी की मृत्यु होने पर 60 रूपये प्रति मुर्गा-मुर्गी राहत राशि प्रदान की जायेगी।

किसानों को कृषि की नई तकनीकें सिखाने के लिए राज्य में खोली जाएँगी 100 कृषक पाठशाला

कृषक पाठशाला

कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों को बढ़ावा देने एवं किसानों को इससे अवगत कराने के लिए समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है | इसके तहत झारखंड सरकार ने किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए बिरसा विकास योजना की शुरुआत की है | इस योजना के तहत किसानों को कृषि के सभी क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा | प्रशिक्षण के बाद किसानों को तकनीक के साथ खेती करने के लिए आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी |

झारखंड राज्य में 75 प्रतिशत आबादी गाँव पर निर्भर हैं, इसमें 54.20 प्रतिशत के साथ फसल उत्पादन में प्रमुख उपक्षेत्र बना हुआ है। राज्य की अर्थव्यवस्था में रोजगार और आजीविका सृजन करने में कृषि की काफी अधिक हिस्सेदारी है। इसको और गति देने की प्राथमिकता के साथ सरकार किसानों को उन्नत खेती हेतु प्रोत्साहित करेगी।

किसानों को इन विषयों पर दिया जायेगा प्रशिक्षण

कृषक पाठशाला के माध्यम से कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग द्वारा कृषकों को क्षमता विकास एवं प्रत्यक्षण पर वैज्ञानिक विधि से प्रशिक्षित किया जाएगा। कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग तथा सरकार के अन्य विभागों के बीच योजनाओं का लक्षित अभिसरण तय किया गया है। उसमें क्लस्टर आधारित बिरसा गांव में मलचिंग तकनीक द्वारा सिंचाई सुविधा विकसित करना, फॉरवर्ड लिंकेज सेवा के माध्यम से लाभुक कृषकों को आर्थिक सुदृढीकरण प्रदान करना है। साथ ही फसल की कटनी के उपरांत आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना है, ताकि उत्पाद को सुरक्षित रखा जा सके। वहीं कृषकों को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग एवं अन्य दूसरे सरकारी विभागों की योजनाओं के बारे में जागरूक करना भी उसमें शामिल है।

कितने पाठशाला खोला जाएगा ?

समेकित बिरसा विकास योजना के मांडल के पहले चरण में 17 कृषक पाठशाला राज्य के विभिन्न कृषि प्रक्षेत्रों में विकसित की जाएगी | फिर अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 100 कृषक पाठशाला विकसित की जाएगी | प्रत्येक कृषक पाठशाला में 3 से 5 बिरसा गाँव को क्लस्टर एप्रोच के अन्तर्गत आच्छदित किया जाएगा | कृषक पाठशाला में बिरसा गाँव के किसानों को 50–100 किसान प्रति गाँव क्षमता विकास कर प्रशिक्षण एवं टिकाऊ खेती के बारे में वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा |

ऐसी होगी कृषक पाठशाला

कृषि, पशुधन एवं मत्स्य उत्पादन हेतु प्रत्यक्षण 10 एकड़ क्षेत्र में उच्च मूल्य वाली कृषि फसलों का कृषि कार्य किया जाएगा | 7.5 एकड़ क्षेत्र में फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा | 50 बकरी, 25 सूअर, 500 वाँयलर चिक्स, 400 लेयर चिक्स, 500 बत्तख एवं 10 गाय का पालन किया जाएगा | जिसके लिए सहेज, फ्लोर, यूरिन टैंक एवं फाँडर का निर्माण किया जाएगा | मल्चिंग की तकनीक अपनाते हुए मैक्राएरिगेशन की व्यवस्था भी होगी | सिंचाई हेतु कृषक पाठशाला में जेनरेटर के साथ बाँवेल शेड डिलीवरी एवं समरसेबुल की व्यवस्था, 1,लाख वर्ग फीट का पाँली हाउस का निर्माण, मधुमक्खी पालन हेतु 100 बाक्स का निर्माण, 10 किलो प्रतिदिन मसरूम उत्पादन की क्षमता का विकास, 2 एकड़ क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जाएगा |

किसानों को प्रशिक्षण कौन देगा ?

बिरसा विकास योजना के तहत राज्य में कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य से संबंधित विशेष एजेन्सी को सूचीबद्ध किया जाएगा | साथ ही कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए 3–4 सदस्यीय राज्य स्तर पर पीएमयू का गठन किया जाएगा | कार्यकारणी एजेन्सी एवं गठित पीएमयू को कार्य एवं दायित्व दिया जाएगा | सफलता पूर्वक कृषक पाठशाला की स्थापना के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य एवं प्रत्यक्षण जो कृषि, पशुधन एवं मत्स्य इत्यादि से संबंधित होगा, उसे एजेंसियों के द्वारा सम्पादित किया जाएगा |

किसानों को प्रशिक्षण के बाद दी जायेगीं यह सुविधाएँ

किसानों को प्रशिक्षण के बाद विभिन्न प्रकार के सुविधाएं दी जाएँगी, जिससे किसान अत्याधुनिक तरीके से काम कर सके | उत्पादित वस्तुओं को कृषक पाठशाला के माध्यम से सप्लाई चेन, कस्टम हायरिंग सेंटर एवं मार्केट लिंकेज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी | सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का अभिश्रण किया जाएगा | क्लस्टर आधारित मलचिंग सुविधा, ड्रीप एरिगेशन, बाँवेल, रोड, डिलीवरी पाईप, समरसेबुल पम्प, कैरेट एवं अन्य स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी |