किसानों के बैंक खातों में भेजे गए फसल बीमा योजना के 7618 करोड़ रुपए

फसल बीमा राशि का भुगतान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मध्य प्रदेश के किसानों को वर्ष 2020–21 में खरीफ तथा रबी फसलों की नुकसानी का पैसा भेजा गया है | राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बैतूल जिले में एक सभा के दौरान किसानों के बैंक खातों में एक क्लिक से बीमा राशि का हस्तांतरण किया | इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एक सभा को संबोधित करते हुए बताया है कि वर्ष 2020–21 के खरीफ तथा रबी फसलों के नुकसानी के बीमा क्लेम के रूप में राज्य के 49 लाख से अधिक फसल बीमा दावों के भुगतान के रूप में 7618 करोड़ रूपये हस्तांतरित किये गये हैं |

मुख्यमंत्री ने बताया की इसके पहले भी राज्य सरकार किसानों को फसलों की नुकसानी पर किसानों के द्वारा किये गये क्लेम के आधार पर बीमा राशि का भुगतान कर चुकी है | पहले हुए फसलों की नुकसानी पर राज्य सरकार ने किसानों को 2 हजार 876 करोड़ रुपए दिए हैं |

फसल बीमा राशि कैसे निर्धारित किया गया है ?

यह राशि किसानों के द्वारा किये गये दावों तथा सर्वे के आधार पर किसानों को भुगतान किया गया है | किसानों को प्रति हेक्टेयर के आधार पर तथा फसलों के नुकसान के आधार पर बीमा राशि तय की गई है | इसलिए किसानों के बीच ऐसा हो सकता है कि एक ही गांव के दो अलग–अलग भूमि का अलग–अलग मुआवजा राशि बनेगी | इसके अलावा जिले के अनुसार भी बीमा राशि अलग हो सकती है | 

मध्य प्रदेश में किस वर्ष कितना दावों का भुगतान किया गया है ?

वर्ष 2016–17 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है | इस योजना के तहत किसानों तथा केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा प्रीमियम राशि फसल बीमा कम्पनी को दी जाती है | फसल नुकसानी पर किसानों को दावे के अनुसार भुगतान किया जाता है | किसान समाधान अपने पाठकों के लिए मध्य प्रदेश में अभी तक किये गये दावों तथा भुगतान की जानकारी वर्ष दर वर्ष लेकर आया है |

वर्ष 2016–17 :- वर्ष 2016–17 के वित्त वर्ष में खरीफ तथा रबी फसलों के लिए कुल 3,778 करोड़ रूपये का प्रीमियम भुगतान किया गया था इसमें किसानों का अंश प्रीमियम राशि 723.9 करोड़ रुपए था | प्राकृतिक कारणों से फसल नुकसानी पर किसानों के द्वारा 2,043.8 करोड़ रुपए तथा जिस पर कंपनी ने शत प्रतिशत भुगतान किया है | 

वर्ष 2017–18 :- वर्ष 2017–18 के वित्त वर्ष में खरीफ तथा रबी फसलों के लिए कुल 4,663.2 करोड़ रूपये का प्रीमियम भुगतान किया गया था इसमें किसानों का अंश प्रीमियम राशि 795.7 करोड़ रुपए है | प्राकृतिक कारणों से फसल नुकसानी पर किसानों के द्वारा 5,880.4 करोड़ रुपए तथा जिस पर कंपनी ने शत प्रतिशत भुगतान किया है |

वर्ष 2018 –19 :- इस वित्त वर्ष में खरीफ तथा रबी फसलों के लिए कुल 5,499.1 करोड़ रूपये का प्रीमियम भुगतान किया गया था इसमें किसानों का अंश प्रीमियम राशि 921.0 करोड़ रुपए  है | प्राकृतिक कारणों से फसल नुकसानी पर किसानों के द्वारा 3,777.3 करोड़ रुपए तथा जिस पर कंपनी ने 3,776.3 भुगतान किया है | कंपनी के तरफ से किसानों को 1 करोड़ रुपए बकाया रह जाता है |

वर्ष 2019 – 20 :- वित्त वर्ष में खरीफ तथा रबी फसलों के लिए कुल 3,908.5 करोड़ रूपये का प्रीमियम भुगतान किया गया था इसमें किसानों का अंश प्रीमियम राशि 653.1 करोड़ रुपया है | प्राकृतिक कारणों से फसल नुकसानी पर किसानों के द्वारा 5,898.8 करोड़ रुपया तथा जिस पर कंपनी ने 5,861.3 भुगतान किया है | कंपनी के तरफ से किसानों को 37.5 करोड़ रुपया बकाया रह जाता है |

केंद्रीय कृषि मंत्री ने जारी की फल और सब्जियों की 6 उन्नत विकसित किस्में

फल और सब्ज़ियों की 6 विकसित किस्में जारी

किसानों की आय बढ़ाने के लिए अलग-अलग फसलों, फल एवं सब्ज़ियों की उन्नत क़िस्में विकसित की जा रही है, जिससे किसान कम क्षेत्र, कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें | केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-आईसीएआर के स्नातकोत्तर विद्यालय के 284 विद्यार्थियों को पुरस्कार और डिग्री प्रदान की। पुरस्कार और डिग्री प्राप्त करने वाले इन विद्यार्थियों में 8 विदेशी छात्र भी शामिल हैं। इस अवसर पर श्री तोमर ने फलों और सब्जियों की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित भी किया|

फल एवं सब्ज़ियों की इन क़िस्मों को किया गया जारी

केंद्रीय कृषि मंत्री ने फल एवं सब्जियों की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया, जिनमें आम की दो किस्में पूसा लालिमा, पूसा श्रेष्ठ, बैगन की पूसा वैभव किस्म, पालक की पूसा विलायती किस्म, ककड़ी किस्म पूसा गाइनोशियस ककड़ी हाइब्रिड-18 और पूसा गुलाब की अल्पना किस्म शामिल हैं। सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा विकसित जैव उर्वरक ‘पूसा संपूर्ण’ का भी विमोचन किया गया।

कृषि संस्थानों को ड्रोन ख़रीद पर शत प्रतिशत दी जाएगी सब्सिडी

किसानों के लाभ के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग और विभिन्न हितधारकों के लिए रोजगार सृजन पर बोलते हुए, कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि संस्थानों को ड्रोन की खरीद के लिए 100 प्रतिशत अनुदान दे रही है ताकि इस प्रौद्योगिकी को संस्थानों में पढ़ाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि स्नातक भी ड्रोन खरीद के लिए अनुदान सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। कृषि मंत्री ने नए स्नातकों को इसे ड्रोन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़े अवसर के रूप में देखने की सलाह दी।

पूसा द्वारा विकसित क़िस्मों का देश में प्रमुख योगदान

संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की किस्में देश के अन्न भंडार में सालाना 80,000 करोड़ रुपए राशि के लगभग 60 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती हैं। इसी तरह, संस्थान द्वारा विकसित बासमती की किस्में भारत में बासमती की खेती में प्रमुख रूप से योगदान करती हैं, जो बासमती चावल के निर्यात के माध्यम से अर्जित होने वाली कुल विदेशी मुद्रा 32,804 करोड़ रुपए का 90 प्रतिशत (29524 करोड़ रुपये) है। देश में लगभग 48 प्रतिशत भू-भाग में सरसों की खेती आईएआरआई किस्मों से की जाती है। पूसा सरसों 25 से उत्पन्न कुल आर्थिक अधिशेष पिछले 9 वर्षों के दौरान 14323 करोड़ रुपये (2018 की कीमतों पर) होने का अनुमान है।

सब्सिडी पर यह कृषि सिंचाई यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

कृषि सिंचाई यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

वित्त वर्ष 2021-22 समाप्त होने वाला है, ऐसे में राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत शेष रहे लक्ष्यों को पूरा करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है | इस कड़ी में मध्य प्रदेश के कृषि विभाग के द्वारा खेती के लिए उपयोगी कृषि सिंचाई यंत्रों के लक्ष्य की पूर्ति के लिए नए लक्ष्य जारी किए हैं | कृषि विभाग ने राज्य के किसानों से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत ड्रिप, स्प्रिंकलर, रेनगन, विधुत पम्प सब्सिडी पर देने के लिए नए आवेदन आमंत्रित किए हैं | वहीं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिस्टम सब्सिडी पर उन किसानों को दिए जाएँगे जो पहले आवेदन कर चुके हैं तथा वह पहले जारी लॉटरी में प्रतीक्षा सूचि में शामिल थे |

इन किसानों को अनुदान पर दिए जाएँगे कृषि सिंचाई यंत्र

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत ड्रिप सिस्टम एवं स्प्रिंकलर सेट की समस्त प्रतीक्षा सूची को अतिरिक्त लक्ष्य जारी कर समायोजित किया गया है। किसान समयावधि में कार्यवाही पूर्ण कर योजना का लाभ ले सकते हैं |

वर्ष 2021-22 प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (माइक्रो इरिगेशन) के अंतर्गत सिंचाई उपकरण (ड्रिप और स्प्रिंकलर) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अंतर्गत (पाइप लाइन, विद्युत पंप, स्प्रिंकलर सेट, मोबाइल रेनगन) के जारी लक्ष्यों विरुद्ध जिन विशेष वर्ग / श्रेणी में एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।

शेष जारी लक्ष्यों की जानकारी देखने के लिए क्लिक करें

किसानों को सिंचाई यंत्रों पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना 2020-21 के तहत किसानों को पाइप लाइन सेट 50 प्रतिशत अनुदान पर, पम्प सेट पर 50 प्रतिशत का अनुदान या 10 हजार रुपये जो भी कम हो, रेनगन पर रू. 15,000/- प्रति मोबाइल रेन गन या लागत का 50%, जो भी कम हो दिया जाता है वहीं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को स्प्रिंकलर सेट पर लघु/सीमांत कृषक – समस्त वर्ग के किसानों को इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान देय हैं, अन्य कृषक–समस्त वर्ग के किसानों को इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान देय हैं | इसके अतिरिक्त किसान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर भी दी जाने वाली सब्सिडी एवं कृषक अंश की जानकारी देख सकते हैं |

अनुदान पर कृषि सिंचाई यंत्र लेने हेतु आवेदन कहाँ करें

मध्यप्रदेश के किसान दिए गए सिंचाई यंत्रों हेतु ऑनलाइन आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल https://dbt.mpdage.org/index.htm पर कर सकते हैं | Covid -19 महामारी जनित परिस्थितियों के कारण पोर्टल पर अनुदान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया गया है जिसके अंतर्गत आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक प्रक्रिया के स्थान पर कृषकों के मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे। आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी  (OTP) प्राप्त होगा। इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे। पोर्टल अंतर्गत आगे सम्पादित होने वाली सभी प्रक्रियाओं में भी बायोमेट्रिक के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू होगी।

सब्सिडी पर कृषि सिंचाई यंत्र के लिए अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

किसानों को 12 फरवरी के दिन किया जाएगा फसल बीमा योजना के 49 लाख दावों का भुगतान 

फसल बीमा के दावों का भुगतान

अधिक बारिश, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि एवं कीट रोगों के चलते किसानों की फसलों काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ता है, जिसकी भरपाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को की जाती है | इसको देखते हुए किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपना पंजीयन कराते हैं | वर्ष 2020 के खरीफ सीजन एवं रबी सीजन में मध्य प्रदेश के किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ था, जिसका बीमा अभी तक किसानों को नहीं दिया गया है | इसको देखते हुए सरकार ने फसलों का सर्वे कराकर नियम अनुसार फसल बीमा देने का घोषणा की है | 

मध्य प्रदेश के सरकार ने राज्य में किसानों को वर्ष 2020 के खरीफ तथा 2020–21 के रबी सीजन में खराब हुई फसलों का बीमा क्लेम 12 फरवरी को देने जा रही है | यह बीमा राशि राज्य के सभी जिलों के किसानों को उनके द्वारा किए गए बीमा क्लेम दावों एवं सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दी जाएगी | 

12 फरवरी के दिन किसानों को दी जाएगी बीमा राशि

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान राज्य के 49 लाख बीमा दावों का भुगतान 12 फरवरी 2022 के दिन बैतूल जिले से दोपहर 12:00 बजे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत देश में फसल क्षति की सबसे बड़ी सहायता राशि का वितरण करेंगे। इस अवसर पर किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल भी उपस्थित रहेंगे। 

49 लाख किसानों को दी जाएगी फसल बीमा की राशि

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मध्य प्रदेश के सभी ऐसे किसानों को जिनकी फसलों को खरीफ 2020 तथा रबी फसल 2020–21 में प्रक्रतिक आपदाओं के चलते फसलों का नुक़सान हुआ था एवं उनकी फसलों का बीमा था राशि दी जाएगी | खरीफ 2020 व रबी 2020-21 के 49 लाख दावों के भुगतान के रूप में 7,600 करोड़ रुपये का वितरण किया जाएगा। यह राशि सीधे किसान भाइयों के खातों में अंतरित की जाएगी |

रबी 2020 में लगभग 20 लाख किसानों ने कराया था फसलों का बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2020 के रबी सीजन के लिए 20,07,830 किसानों ने 5,229.40 हजार हेक्टेयर का फसल बीमा कराया था | इसमें 45,33,251 ऋणी किसान तथा 14,023 अऋणी किसान शामिल हैं | इसके लिए किसानों ने 30,979.06 लाख किसानों ने प्रीमियम दिया है | इसके अलावा राज्य सरकार 1,08,752,.81 लाख का प्रीमियम तथा केंद्र सरकार ने 1,08,752.81 लाख का प्रीमियम दिया है | मध्य प्रदेश सरकार में खरीफ सीजन के लिए कुल 2,48,484.68 लाख का प्रीमियम दिया गया है | 

खरीफ 2020 में कुल कितने किसानों ने बीमा किया है ?

फसल बीमा योजना के तहत खरीफ सीजन 2020 के तहत 24,66,397 किसानों ने फसल बीमा कराया था | योजना के तहत कुल 6,433.02 हजार हेक्टेयर भूमि के फसल के लिए बीमा किया गया था | इसके लिए किसानों ने 50,818.58 का प्रीमियम तथा केंद्र और राज्य सरकारें ने 1,88,937.40 लाख और 1,88,937.40 का प्रीमियम दिया है | किसान, राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को मिलाकर 4,28,693.38 लाख करोड़ रूपये का प्रीमियम दिया है |

मध्य प्रदेश में उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में हुई सात गुना की वृद्धि

उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र एवं उत्पादन में वृद्धि

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लगातार उद्यानिकी फसलों के उत्पादन पर ज़ोर दिया जा रहा है | अधिक से अधिक किसान उद्यानिकी फसलों की खेती करें इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जिसके तहत किसानों को बाग़वानी फसलों की खेती पर प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है | उद्यानिकी उत्पादन बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिलों के लिए एक ज़िला–एक उत्पाद योजना को लागू कर दिया है | राज्य में वर्ष 2006 में उधानिकी फसलों का कुल रकबा 4 लाख 69 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 23 लाख 43 हजार हेक्टेयर हो गया है | इसी अवधि में उधानिकी फसलों का उत्पादन भी 42 लाख 98 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर अब सात गुना से अधिक 340 लाख 31 हजार मीट्रिक टन हो गया है |

फल, सब्ज़ियों एवं मसला फसलों के उत्पादन में हुई वृद्धि

मध्य प्रदेश में वर्ष 2006 का फलों की खेती का रकबा 46 हजार 777 हेक्टेयर से बढ़कर 4 लाख 5 हजार हेक्टेयर और उत्पादन 11 लाख 73 हजार मीट्रिक टन से 82 लाख 44 हजार मीट्रिक टन बढ़ा है। इस अवधि में सब्जी का क्षेत्र एक लाख 96 हजार हेक्टेयर और उत्पादन 27 लाख 97 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर क्षेत्र 10 लाख 40 हजार हेक्टेयर और उत्पादन 206 लाख 31 हजार मीट्रिक टन हो गया। मसाला फसलों का क्षेत्र भी 2 लाख 7 हजार 563 हेक्टेयर और उत्पादन 2 लाख 33 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 82 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 46 लाख 37 हजार मीट्रिक टन हो गया। फूलों की खेती जो वर्ष 2006 में मात्र 3 हजार 667 हेक्टेयर में होती थी, वह 35 हजार 554 हेक्टेयर में हो रही है।

उद्यानिकी फसलों की खेती में प्रदेश देश के पहले पाँच राज्यों में

राज्य सरकार ने मसाला तथा उधानिकी फसलों की संभावना को देखते हुए राज्य में बढ़ावा दिया है | वर्ष 2018 के उधानिकी राष्ट्रीय सांखियकी में मध्य प्रदेश ने देश के कुल 8123.87 हजार मीट्रिक टन मसाला उत्पादन में 1191.81 हजार मीट्रिक टन का योगदान किया है | यह देश के सकल मसाला उत्पादन का 14.67 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है | सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में देश के कुल 184394.51 हजार मीट्रिक टन उत्पादन मध्य प्रदेश ने 17545.48 हजार मीट्रिक टन सब्जी का योगदान कर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के बाद तीसरा स्थान प्राप्त किया है |

राज्य सरकार के अनुसार मध्य प्रदेश फल और फूलों के उत्पादन में भी विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है | प्रदेश में औषधीय एवं सुगंधित फूलों की खेती जो मात्र 15 हजार 650 हेक्टेयर में होती थी, अब 42 हजार 956 हेक्टेयर में हो रही है | यह देश के कुल उत्पादन का 10.15 प्रतिशत है | इसी प्रकार देश के कुल 97357.51 हजार मीट्रिक टन फल उत्पादन में 7416.91 हजार मीट्रिक टन योगदान कर मध्यप्रदेश देश के कुल उत्पादन में 7.62 प्रतिशत हिस्सा है |

एक जिलाएक उत्पाद योजना के तहत इन फसलों को किया गया शामिल

केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत मध्य प्रदेश में फसलों के अनुसार जिलों का निर्धारण कर दिया गया है | एक जिला एक उत्पाद के अनुसार मध्य प्रदेश के जिले इस प्रकार है |

  1. संतरा / नींबू – आगर–मालवा और राजगढ़ 
  2. सीताफल – अलीराजपुर, धार और सिवनी 
  3. आम – अनुपूर, बैतूल, उमरिया, सीधी और सिंगरौली 
  4. टमाटर – अशोकनगर, दमोह, दतिया, झाबुआ, कटनी, रायसेन, सागर, सतना और शिवपुरी 
  5. कोदो/कुटकी – बालाघाट, डिंडोरी और मंडला 
  6. अदरक – बड़वानी, निवाड़ी और टीकमगढ़ 
  7. बाजरा – भिण्ड 
  8. अमरुद – भोपाल, होशंगाबाद, सीहोर और श्योपुर 
  9. केला – बुरहानपुर 
  10. पान – छतरपुर 
  11. आलू – छिदंवाडा, देवास, ग्वालियर और इंदौर 
  12. धनिया – गुना और नीमच 
  13. प्याज – हरदा, शाजापुर, खण्डवा, उज्जैन और विदिशा 
  14. मटर – जबलपुर 
  15. मिर्च – खरगौन 
  16. लहसुन – मंदसौर, रतलाम 
  17. सरसों – मुरैना 
  18. गन्ना – नरसिंहपुर 
  19. हल्दी – शहडोल और रीवा 
  20. आंवला – पन्ना 

राज्य में फसलों के भंडारण में हुआ है वृद्धि 

पिछले डेढ़ दशक में प्रदेश में उद्यानिकी फसल उत्पादों के भण्डारण के लिये बढ़ी संख्या में कोल्ड-स्टोरेज और भण्डार-गृह बनाये गये हैं। वर्ष 2008 में प्रदेश में करीब एक लाख 19 हजार मीट्रिक टन क्षमता के 2,890 प्याज भण्डार-गृह थे, जो अब 3 लाख 79 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा क्षमता के 8,530 भण्डार गृह हो गये हैं।

जानिए कब से शुरू होगी चना, सरसों और सूरजमुखी की समर्थन मूल्य पर ख़रीद

चना, सरसों और सूरजमुखी की समर्थन मूल्य पर ख़रीद

किसानों से रबी फसलों की ख़रीद समर्थन मूल्य पर करने के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा किसानों की पंजीयन प्रक्रिया चल रही है, जिसमें हरियाणा के किसान 15 फ़रवरी तक तो मध्य प्रदेश के किसान 5 मार्च तक अपना पंजीयन करा सकते हैं | इस बीच हरियाणा सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर चना, सरसों और सूरजमुखी फसलें ख़रीदने के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है |

हरियाणा के मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने अधिकारियों निर्देश दिये हैं कि आगामी खरीद सीजन 2022-23 के दौरान खरीद केंद्रों की पहचान करने, समय पर खरीद शुरू करने व भंडारण आदि व्यवस्थाओं का किया जाना सुनिश्चित करें | संजीव कौशल मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत आगामी रबी खरीद सीजन 2022-23 में चना, सरसों और सूरजमुखी की फसलों की खरीद हेतु किए जा रहे प्रबंधों की समीक्षा बैठक कर रहे थे |

किस भाव पर कब से होगी समर्थन मूल्य पर ख़रीद

सरकार द्वारा सरसों की खरीद 28 मार्च, चने की खरीद 1 अप्रैल व सुरजमुखी की खरीद 1 जून से शुरू की जाएगी। यह भी बताया गया कि खरीद सीजन के दौरान, राज्य सरकार सरसों 5050 रूपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), चना 5230 रुपये प्रति क्विंटल और सूरजमुखी 6015 रूपए प्रति क्विंटल की दर पर की खरीद करेगी।

इस वर्ष कितना हो सकता है राज्य में इन फसलों का उत्पादन

वर्ष 2020-21 के दौरान 15.98 लाख एकड. भूमि पर 13.13 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन हुआ, जबकि वर्ष 2021-22 के दौरान 18.67 लाख एकड भूमि पर 14.82 लाख मीट्रिक टन सरसों के उत्पादन की संभावना है । इसी प्रकार, वर्ष 2020-21 के दौरान 88 हजार एकड. भूमि पर 36 हजार मीट्रिक टन चने के उत्पादन हुआ, जबकि वर्ष 2021-22 के दौरान 89 हजार एकड भूमि पर 40 हजार मीट्रिक टन चने के उत्पादन होने की संभावना है। इसके अलावा, वर्ष 2020-21 के दौरान 30 हजार एकड. भूमि पर 25 हजार मीट्रिक टन सुरजमुखी का उत्पादन हुआ, जबकि वर्ष 2021-22 के दौरान 37 हजार एकड भूमि पर 30 हजार मीट्रिक टन सुरजमुखी के उत्पादन की संभावना है।

किसान कहाँ करें ऑनलाइन पंजीयन 

हरियाणा सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल उत्पाद बेचने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल को शुरू किया है | जहाँ से किसान ऑनलाइन पंजीयन 15 फरवरी तक करा सकते हैं | किसान पंजीयन https://fasal.haryana.gov.in पोर्टल पर जल्द करवाना सुनिश्चित करें | किसानों को फसल समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन करना आवश्यक है, पंजीकरण के बाद फसल का वेरिफ़िकेशन कृषि विभाग के द्वारा किया जाएगा |

एक हेक्टेयर में 70 तरह की फसलों की खेती कर रहा है यह किसान

मल्टी लेयर, मल्टी क्रॉप, फ्रूट फॉरेस्ट, फेमिली, फॉर्मिंग मॉडल

कृषि में आय बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा लगातार नवाचार किए जा रहे हैं, जिसमें किसान खेती के साथ पशुपालन, मछली पालन आदि कार्य साथ में कर रहे हैं | किसान फसलों की नई उन्नत क़िस्में, अंतरवर्तिय एवं सह फ़सली खेती का काम कर अधिक आय अर्जित कर रहे हैं | ऐसे ही मध्यप्रदेश के एक किसान ने एक हेक्टेयर कृषि भूमि में 70 तरह की फसलों की खेती कर खेती को लाभ का धंधा बनाया है | मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के बिस्टान क्षेत्र के किसान श्री अविनाश दांगी ने किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए कृषि का आत्म-निर्भर मॉडल तैयार किया है। उनका यह मॉडल “मल्टी लेयर, मल्टी क्रॉप, फ्रूट फॉरेस्ट, फेमिली, फॉर्मिंग मॉडल” है, जिसे अपना कर उन्होंने अच्छा लाभ अर्जित किया है।

इस मॉडल से किसान के साथ कृषि भूमि और पर्यावरण को सीधा लाभ मिलेगा। इस मॉडल पर आधारित कृषि से पोषण तत्व और कीट प्रबंधन, सिंचाई जल का सदुपयोग, कम लागत से अधिक उत्पादन और समय की बचत हो सकेगी। परिवार की आवश्यकता की जरूरी फसलों का उत्पादन एक ही स्थान पर हो सकेगा।

70 तरह की फसलों में सब्ज़ियाँ, फल एवं मसाला फसलें हैं शामिल

किसान श्री दांगी ने गत जून माह से अपनी एक हेक्टेयर कृषि भूमि में इस मॉडल के अनुसार खेती की शुरूआत की है। वे 70 तरह की फसल लेकर अभिनव प्रयोग कर रहे हैं। उनके खेत में अभी 18 तरह की सब्जियाँ, 32 प्रकार के फल और चार मसाला फसलें लगी हैं। ये फसलें 360 फीट लम्बी इक्कीस कतार में लगी है। उन्नत कृषि तकनीक का उपयोग कर लगायी गयी एक फसल को दूसरी फसल से बेहतर उत्पादन के लिए सहयोग मिल रहा है।

किसान दांगी जून से दिसम्बर 2021 की अवधि में हरा धनिया, मूंगफली, उड़द, गेंदा फूल और स्वीट कार्न की फसल ले चुके हैं, जिससे उन्हें करीब एक लाख रूपये का लाभ मिला है। उनके मॉडल में कृषि भूमि पर कई कतार में एक परिवार की हर सीजन की जरूरत को ध्यान में रखकर फल, सब्जी, अनाज और दालें पैदा की जा रही हैं। वर्तमान में मौसम के अनुकूल फसलें लगायी गयी हैं। ड्रिप और फ्लड सिंचाई का भी उपयोग किया जा रहा है।

मल्टी लेयर, मल्टी क्रॉप मॉडल में इन फसलों का किया जा रहा है उत्पादन

किसान अविनाश द्वारा तैयार कृषि के आत्म-निर्भर मॉडल में फास्ट फूड में उपयोग में आने वाली सब्जियों का उत्पादन भी किया जा रहा है। उन्होंने अपने खेत में देश में पैदा होने वाली सब्जियों के साथ दक्षिण-चीन और पूर्वी-एशिया में पैदा होने वाली सब्जियों को भी उगाया है। इसमें ग्रीन और ब्लैक बॉकचोय, ग्रीन एवं रेड लेट्यूस, बाकला, बरबटी, ब्रोकली, फ्रेंच बीन्स, फूलगोभी, लाल एवं सफेद मूली, लाल एवं हरी पत्तागोभी, पर्पल एवं ऑरेंज फूलगोभी, पालक और मेथी की फसलें प्रमुख हैं।

खेत में पपीता, सुरजना, केला, चार प्रजाति के सीताफल, सात प्रजाति के अमरूद, नारियल, मोसंबी, संतरा, आम, नींबू, कटहल, चीकू, अंजीर, लाल एवं हरा आँवला, जामुन, अनार, वाटर-एप्पल, लीची, चेरी, फालसा, काजू और रामफल के पौधे भी लगाए हैं। अभी अरहर, चना, हल्दी और अदरक की फसल पकने की स्थिति है। इनके स्थान पर खीरा, करेला, धनिया, टमाटर, मूंग और औषधियों की फसल लगाने की तैयारी की जा रही है।

जैविक खेती से लाखों कमा रहा है यह किसान

जैविक खेती से कमाई

खेती में लगातार लागत बढ़ने से किसानों का रुझान जैविक खेती की ओर बढ़ा है, जैविक खेती के लाभकारी होने के चलते अब सरकारों के द्वारा भी जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है | जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएँ भी चलाई जा रही है | यहाँ तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सभी किसानों को अपनी जमीन के थोड़े हिस्से में जैविक खेती करनी चाहिए| मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के ग्राम बघोली के किसान जयराम गायकवाड़ ऐसे ही किसान हैं | उनके पास अपनी 30 एकड़ जमीन है, जिसमें से सिर्फ 10 एकड़ जमीन का उपयोग जैविक खेती के लिये करके वो सालाना 35 लाख रुपये कमा रहे हैं |

जयराम पाँच एकड़ में गन्ने की खेती, दो एकड़ में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट, गौशाला और गोबर गैस संयंत्र, डेढ़ एकड़ में जैविक गेहूँ और शेष डेढ़ एकड़ में जैविक सब्जियाँ उगा रहे हैं। गौशाला में उनके पास 55 गौवंश हैं, जिनसे उन्हें रोज लगभग डेढ़ सौ लीटर दूध मिलता है।

 जैविक गुड़, दूध एवं मावा बेचकर भी करते हैं कमाई

जयराम बताते हैं कि वह मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था, भोपाल से पंजीकृत होने के बाद पिछले 15 सालों से जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गन्ने से वह जैविक गुड़ का निर्माण करते हैं, जो बाजार में 60 रुपये प्रति किलो के अच्छे दाम पर बिक जाता है। सुबह का दूध वह बाजार में बेच देते हैं और शाम के दूध से वह मावा, पनीर, दही एवं मठा तैयार कर बेचते हैं। इससे उन्हें काफी अच्छी आमदनी हो जाती है।

वर्मी कम्पोस्ट खाद बेचकर भी करते हैं कमाई 

जैविक खाद के रूप में वे वर्मी कम्पोस्ट भी बनाते हैं, जिसकी बिक्री से भी उन्हें अच्छी आमदनी होने के साथ जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि वह जरूरत होने पर किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर कृषि क्षेत्र में आई नई तकनीकी से स्वयं के काम और जानकारी को अद्यतन भी करते रहते हैं। अब आसपास के गाँव के किसान भी जयराम से मार्गदर्शन लेने आने लगे हैं।

अधिक पैदावार के लिए केले की खेती करने वाले किसान हर महीने करें यह काम

केले की खेती में महीने के अनुसार यह काम करें किसान

पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण केले की मांग देश एवं दुनिया में बढ़ी है, जिससे देश के कई राज्यों के किसान केला उत्पादन का कार्य कर रहे हैं | देश के कई राज्यों में किसानों के लिए यह महत्वपूर्ण फसल है | केले की खेती साल भर चलती है, पिछले कुछ वर्षों से केले के पेड़ों पर विभिन्न प्रकार के रोग तथा कीट लगने लगे हैं| जिसके कारण फसल तथा उत्पादन दोनों प्रभावित होते हैं | केले की खेती का क्षेत्रफल बढ़ने के साथ ही इसमें कई नई चुनौतियाँ भी सामने आई है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है | ऐसे में केला उत्पादक किसानों को वैज्ञानिक तरीक़ों से खेती कर अधिक लाभ लेना चाहिए |

किसानों को केले की अधिक पैदावार के लिए उसके क्षेत्र के अनुसार अनुशंसित प्रजाति का चयन ही करना चाहिए, साथ ही रोपाई के लिए जो भी आवश्यक सामग्री है वह पौध सामग्री किसी विश्वसनीय स्त्रोत से ही लेना चाहिए | इसके अलावा पौध सामग्री उपचारित करके ही अनुशंसित समय एवं दूरी पर रोपाई करना चाहिए | किसान समाधान केले की रोपाई के बाद प्रतिमाह केला किसान क्या करें इसकी जानकारी लेकर आया है :-

प्रथम माह में यह करें केला किसान

  • पौध लगाने के बाद इसके चारों तरफ की मिट्टी अच्छी तरह से दबा दें, जिससे अच्छा एवं शीघ्र विकास हो |
  • बिना अंकुरित या सड़े हुए सकर्स की जगह गैप फिलिंग की प्रक्रिया कर प्रति इकाई पौध संख्या सुनिश्चित कर लें |
  • हरी खाद के लिए लोबिया या ढैंचा के बीच की बुआई इस की शुरुआत में करें |
  • अतिरिक्त आय के लिए कम अवधि वाली फसलें जैसे मूंग, उड़द एवं सब्जियों की खेती अंत: फसल के रूप में ले सकते हैं | यह ध्यान रहे कि टमाटर, मिर्च एवं क्द्दुवर्गीय फसलें अंत: फसल के रूप में न लें |

दिव्तीय माह में यह करें केला किसान

  • खरपतवार नियंत्रण के लिए दो पंक्तियों के बीच गुडाई करें एवं मिट्टी चढा दें |
  • फ्यूजेरियम विल्ट (उकठा) रोग से बचने के लिए सुरक्षात्मक छिड़काव के रूप में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी की दर से छिडकाव इस प्रकार करें कि पौध के साथ–साथ जड़ के पास मिट्टी में भी फफुन्द्नाश्क पहुँच जाए |
  • 30 ग्राम ट्राईकोडर्मा विरिडी 1 किलोग्राम कम्पोस्ट या एफवाईएम में मिलाकर पौधों के चारों तरफ मिट्टी में मिला दें | जिससे उकठा की समस्या को रोका जा सके |
  • रोपाई के 30 दिनों के बाद 60 ग्राम यूरिया प्रति पौधा की दर से पौधों के चारों तरफ मिट्टी में मिला दें |

तीसरे महीने में यह काम करें केला किसान

  • यदि सूत्रकृमि की समस्या दिखाई पड़े तो 20–25 ग्राम कार्बोफ्यूरान प्रति पौधे की दर से पौधे के चारों तरफ मिट्टी में मिला दें |
  • खेत की हल्की गुडाई कर खरपतवार का नियंत्रण करते रहें |
  • उर्वरक की दूसरी खुराक रोपाई के 75 दिनों बाद दें, जिसमें यूरिया 60 ग्राम + सुपर फास्फेट 125 ग्राम + सूक्ष्म पोषक तत्व 25 ग्राम + मैग्नीशियम सल्फेट 25 ग्राम प्रति पौधा उपयोग करें |

चौथे महीने में यह काम करें केला किसान

  • फास्फोबैक्टोरिया 30 ग्राम+ट्राईकोडर्मा विरिडी 30 ग्राम 5 किलोग्राम एफवाईएम के साथ मिलाकर प्रति पौधा प्रयोग करें | यह ध्यान रहे कि कम से कम दो सप्ताह का अंतराल रासायनिक खाद एवं जैव उर्वरक के बीच होना चाहिए |
  • 30 से 40 दिनों के अंतराल पर मातृ पौधे के आस–पास उग रहे सकर्स की कटाई सामान्य रूप से करते रहें | कटे भाग के मध्य पर 2–3 मि.ली. केरोसिन तेल डाल दें |
  • खेत का निरिक्षण करते रहें, यदि एक भी पौधा विषाणु से ग्रसित दिखाई पड़ता है, तो उसे अविलंब उखाड़कर नष्ट कर दें एवं कीटनाशक का छिडकाव कर रोगवाहक कीट को नियंत्रित करें |
  • फफूंदजनित और सिगाटोका रोग की समस्या से बचने के लिए पहला छिडकाव रोपाई के 120–125 दिनों बाद करें | जिसमें कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें |

पांचवे महीने में यह काम करें केला किसान 

  • रोपाई के 125 दिनों बाद उर्वरक की तीसरी खुराक में यूरिया 60 ग्राम + सुपर फास्फेट 125 ग्राम प्रति पौधा प्रयोग करें |
  • सूखी एवं ग्रसित पत्तियों को निकालकर जला दें या नष्ट कर दें |
  • खुदाई एवं खरपतवार की सफाई सामान्य रूप से करते रहें |
  • सिगाटोका रोग की समस्या से बचने के लिए दूसरा छिडकाव रोपाई के 150 दिनों के बाद करें, जिसमें प्रोपिकोनाजोल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |

छठवें महीने में क्या करें केला किसान

  • गुडाई कर पौधों पर मिट्टी चढ़ा दें | 
  • सूखी एवं ग्रसित पत्तियों को निकालकर जला दें या नष्ट करने की प्रक्रिया करते रहें |
  • रोपाई के 165 दिनों बाद उर्वरक की चौथी खुराक में 60 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम पोटाश प्रति पौधा प्रयोग करें |
  • पीली पड़ रही पत्तियां लौह की कमी का लक्षण है | इसी कमी को दूर करने के लिए 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट + 1 प्रतिशत यूरिया के साथ चिपकने वाले पदार्थ का घोल बनाकर छिडकाव करें |
  • जिंक की कमी को पूरा करने के लिए 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट + वेंटिंग एजेंट के घोल का छिड़काव करें | बोरान की कमी को पूरा करने के लिए 0.5 प्रतिशत बोरेक्स का छिडकाव करें |
  • सिंगाटोका रोग की समस्या से बचने के लिए तीसरा छिड़काव रोपाई के 175 दिनों बाद करें | इसमें क्म्पेनियम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें |

सातवें महीने में क्या करें केला किसान

  • रोपाई के 210 दिनों बाद उर्वरक की पांचवी खुराक में यूरिया 60 ग्राम प्रति पौधा प्रयोग करें |
  • सूखी पत्तियों की सफाई करते रहें एवं सिगाटोका रोग की समस्या से बचाव के लिए चौथा छिड़काव रोपाई के 200 दिनों बाद करें | इसमें ट्राइडमार्फ़ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |
  • मातृ पौधे के पास उग रहे सकर्स की कटाई की प्रक्रिया 25 से 30 दिनों के अंतराल पर करते रहें |

आठवें महीने में क्या करें केला किसान

  • फूल आने के बाद केवल एक स्वस्थ सकर्स को छोड़कर बाकी सभी सकर्स को पहले रैटून फसल के रूप में बढने दें 
  • गहर (घौद) में फल पूर्ण रूप से लग जाने के बाद अग्र भाग यानी नर पुष्प को काटकर अलग कर दें |
  • 20 ग्राम पोटेशियम सल्फेट प्रति लीटर पानी में घोलकर गहर (घौद) पर अच्छी तरह से छिड़काव करें, ऐसा करने से फलों की बढवार एवं गुणवत्ता अच्छी होगी |
  • सिगाटोका रोग की समस्या से बचने के लिए पांचवा छिड़काव रोपाई के 230 दिनों बाद करें, जिसमें प्रोपीकोनाजोल 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |

नवें महीने में क्या करें केला किसान

  • रोपाई के 255 दिनों बाद उर्वरक की छठी खुराक में यूरिया 60 ग्राम एवं 100 ग्राम पोटाश प्रति पौधा डालें |
  • पोटेशियम सल्फेट का दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 30 दिनों बाद करें |
  • केले की खेती को तेज हवा से बचाने के लिए दो बांसों को आपस में बांधकर कैंची की तरह फलों के गुच्छों के बीच से लगाकर सहारा देते हैं |
  • सिगाटोका रोग की समस्या से बचने के लिए छठा छिड़काव रोपाई के 250 दिनों बाद करें, जिसमें कम्पेनियां 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें |
  • पौधों में गहर (घौद) आ जाने पर वे एक तरफ झुक जाते हैं | यदि उनका झुकाव पूर्व या दक्षिण की तरफ होता है, तो फल तेज धुप से खराब हो जाते हैं | अत: केले के अयन को पौधे की ऊपर वाली पत्तियों से ढक देना चाहिए |
  • अयन (घड) में कुछ अपूर्ण हत्थे होते है, जो गुणवत्तायुक्त फल उत्पादन में बाधक होते हैं | ऐसे अपूर्ण हत्थों को अयन से अविलंब काटकर हटा देना चाहिए |

दसवें महीने में क्या करें केला किसान

रोपाई के 300 दिनों बाद उर्वरक की सातवीं खुराक में यूरिया 60 ग्राम एवं पोटाश 100 ग्राम प्रति पौधा उपयोग करें |

 

सब्सिडी पर पॉली हाउस एवं नेट हाउस लगाने के लिए 15 फरवरी तक करें आवेदन

पॉली हाउस एवं नेट हाउस अनुदान हेतु आवेदन

बाज़ार माँग के अनुसार हर समय बाग़वानी फसलों की खेती के लिए सरकार द्वारा सरंक्षित खेती को बढ़ाबा दिया जा रहा है | बेमौसम बारिश, ओला वृष्टि, आंधी तूफ़ान, कीट-रोगों से फसलों को काफ़ी नुक़सान होता है, ऐसे में सरंक्षित खेती कर किसान अपनी उपज को इन प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकते हैं | कई किसान सरंक्षित खेती कर अधिक मुनाफ़ा भी कमा रहे हैं जिससे संरक्षित खेती के तरफ किसानों का रुझान तेजी से बढ़ा रहा है | इसको देखते हुए सरकार किसानों को पॉली हाउस, नेट हाउस आदि पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही है |

हरियाणा सरकार राज्य में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए पॉली हाउस तथा शेड नेट पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही है | इसके लिए हरियाणा के उद्यानिकी विभाग ने किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं | पूर्व में भी हरियाणा सरकार राज्य के किसानों को संरक्षित खेती पर सब्सिडी के लिए आवेदन माँगे गए थे जिसे किसानों के  बढ़ते रुझान के बाद एक बार फिर से आवेदन माँगे हैं |

इन ज़िलों के किसान कर सकते हैं आवेदन

बागवानी विभाग के द्वारा किसान भाईयों के संरक्षित खेती में रुझान को देखते हुए संरक्षित ढांचा निर्माण के लिए किसानों से आवेदन मांगे गये हैं | योजना के अनुसार हरियाणा के 21 जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | यह 21 ज़िले इस प्रकार है :-

पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद, गुरुग्राम, भिवानी, फतेहबाद, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, नूंह, नारनौल, रेवाड़ी सिरसा, यमुनानगर, पलवल, रोहतक व चरखीदादरी के किसान आवेदन कर सकते हैं |

सब्सिडी पर पॉली हाउस एवं नेट हाउस के लिए आवेदन कब एवं कहाँ से करें ?

हरियाणा के उध्यनिकी विभाग द्वारा ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चूकी है, राज्य के किसान जारी लक्ष्य के विरुद्ध 15 फरवरी 2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | पूर्व में आवेदन कर चुके आवेदकों को फिर से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है | अगर उनके द्वारा आवेदन किया जाता है तो उनका पूर्व के आवेदन को निरस्त कर दिया जाएगा | आवेदक का चयन पहले आव, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा | हरियाणा के किसान संरक्षित खेती के तहत पॉली हाउस तथा नेट हाउस के लिए उद्ध्यानिकी विभाग हरियाणा के पोर्टल http://polynet.hortharyana.gov.in/FarmerLogin.aspx से आवेदन कर सकते हैं | किसान अधिक जानकारी के लिए बाग़वानी सहायता केंद्र के टोल फ़्री नम्बर 1800-180-2021 पर सभी कार्य दिवसों पर प्रातः 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक कॉल कर सकते हैं |

शेड हाउस और नेट हाउस सब्सिडी पर लगाने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें