बजट 2022-23: जानिए इस वर्ष मोदी सरकार के बजट में किसानों के लिए क्या रहा खास

केंद्रीय कृषि बजट 2022 -23

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 1 फरवरी को संसद में केन्‍द्रीय बजट 2022-23 पेश किया। वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र किसानों के लिए डिजिटल और हाइटेक सेवाएं देने, कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाने, तिलहन फसलों में देश को आत्मनिर्भर बनाने एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कही | उन्होंने कहा कि राज्यों को अपने कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संशोधन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि वे प्राकृतिक, जीरो-बजट और ऑर्गेनिक कृषि, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन एवं प्रबंधन की जरूरतों को पूरा कर सके।

केन्‍द्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए उन्होंने कहा कि रबी 2021-22 में गेहूं की खरीद व खरीफ 2021-22 में धान की अनुमानित खरीद में 1 करोड़ 63 लाख किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूं एवं धान शामिल होगा तथा एमएसपी मूल्य के 2.37 लाख करोड़ रुपए का भुगतान सीधा किसानों के खाते में किया जाएगा। इसके अलावा वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए निम्न बातें कहीं:-

कृषि क्षेत्र में बढाया जायेगा डिजिटलीकरण

वित्त मंत्री ने कहा कि पीपीपी मोड में एक नई योजना शुरू की जाएगी जिसके तहत किसानों को डिजिटल और हाइटेक सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थाओं के साथ-साथ निजी कृषि प्रौद्योगिकी कंपनियां और कृषि मूल्य श्रृंखला के हितधारक शामिल होंगे।

कृषि क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने के लिए बनाया जायेगा स्टार्ट-अप कोष

श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि सह-निवेश मॉडल के अंतर्गत सृजित मिश्रित पूंजीयुक्त कोष के लिए नाबार्ड से सहायता प्रदान की जाएगी। इस कोष का उद्देश्य कृषि उत्पाद मूल्य श्रृंखला के लिए उपयुक्त कृषि और ग्रामीण उद्यमों से संबंधित स्टार्ट-अप्स का वित्त पोषण करना होगा। इन स्टार्ट-अप्स के क्रियाकलापों में अन्य बातों के अलावा किसानों को फॉर्म स्तर पर किराये के आधार पर विकेन्द्रीकृत मशीनरी उपलब्ध कराना, एफपीओ के लिए आईटी आधारित सहायता उपलब्ध कराना जैसे कार्य शामिल होंगे।

सिंचाई रकबा बढ़ाने के लिए 5 नदियों को जोड़ा जायेगा

वित्त मंत्री ने कहा, “44,605 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना को लागू किया जाएगा।” इस योजना का उद्देश्य 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना है। यह परियोजना 62 लाख लोगों के लिए पेयजल की आपूर्ति करने के अलावा 103 मेगावाट हाइड्रो और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी उपलब्ध कराएगी। इस परियोजना के लिए संशोधित अनुमान 2021-22 में 4,300 करोड़ रुपए और 2022-23 में 1,400 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि पांच रीवर लिंक्स जिसमें दमनगंगा-पिनजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार-कावेरी के ड्राफ्ट डीपीआर को अंतिम रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे लाभान्वित होने वाले राज्यों के बीच इन पर सहमति कायम होते ही केन्द्र सरकार इनके क्रियान्वयन के लिए सहायता जारी कर देगी।

कृषि क्षेत्र में बढाया जायेगा ड्रोन का उपयोग

नई प्रौद्योगिकी के उपयोग को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि फसलों का आकलन करने, भूमि दस्तावेजों का डिजिटीकरण करने, कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए ‘किसान ड्रोन्स’ के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

जैविक खेती को दिया जायेगा बढ़ावा

बजट में रसायनों का उपयोग न करके प्राकृतिक खेती पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है। देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके प्रथम चरण में गंगा नदी से सटे पांच किमी चौड़े गलियारों (कोरिडोर्स) के अंतर्गत आने वाली किसानों की जमीनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

मोटे अनाज के उत्पादन को दिया जायेगा बढ़ावा

बजट में फसल के उपरान्त मूल्य संवर्धन, घरेलू खपत को बढ़ाने तथा कदन्न उत्पादों की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड्रिंग करने के लिए प्रावधान किया गया है। 2023 को ‘अंतर्राष्‍ट्रीय कदन्‍न वर्ष’ घोषित किए जाने को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने कटाई उपरांत मूल्‍यवर्धन के साथ-साथ घरेलू खपत बढ़ाने, देश-विदेश में बाजरा उत्‍पादों की ब्रांडिंग करने को पूर्ण सहयोग देने की घोषणा की है।

तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए लाई जाएगी नई योजना

वित्त मंत्री ने घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समग्र योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की है। उन्होंने कहा, तिलहनों के आयात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए तिलहनों के घरेलू उत्पादन को बढाने के उद्देश्य से एक तर्कसंगत और व्यापक योजना लागू की जाएगी।

खाद्य प्रसंस्करण पर दिया जायेगा जोर

वित्त मंत्री ने घोषणा की कि फलों और सब्जियों की उपयुक्त किस्मों को अपनाने तथा उत्पादन और फसल कटाई की यथोचित तकनीक का प्रयोग करने के लिए किसानों की सहायता करने हेतु केन्द्र सरकार, राज्यों सरकारों की भागीदारी से एक व्यापक पैकेज प्रदान करेगी।

3 फरवरी को इन्हें दी जाएगी 2000 रुपये की किश्त

ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत 2000 रुपये की किश्त

खेती-किसानी के कार्यो में काफी संख्या में कृषि मजदूर जुड़े होते हैं। इनमें से कई ऐसे कृषि मजदूर हैं जिनके पास स्वयं की कृषि भूमि नहीं है और वे दूसरों की कृषि भूमि में श्रमिक के तौर पर काम कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं, अधिकांश ऐसे श्रमिक सरकार की कई योजनाओं से वंचित रहते हैं। अभी तक चल रही अधिकांश योजना का लाभ ऐसे किसानों को दिया जा रहा है जिनके पास स्वयं की भूमि है | ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के भूमिहीन मजदूरों के लिए “राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना” की शुरुआत करने जा रही है |

इस योजना की शुरुआत आगामी 3 फरवरी को होगी। सांसद श्री राहुल गांधी राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में इस योजना का शुभारंभ करेंगे। सरकार द्वारा शुरू की जा रही इस योजना के तहत ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके लिए राज्य के अनुपूरक बजट में 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। कार्यक्रम में सांसद श्री राहुल गांधी योजना के लिए पात्र 3 लाख 55  हजार भूमिहीन कृषक मजदूरों को डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों राशि अंतरण करेंगे।

क्या है राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना?

राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र मे भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों की पहचान करना तथा भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को वार्षिक आधार पर आर्थिक अनुदान उपलब्ध कराना है। जिससे की आर्थिक अनुदान के माध्यम से भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के शुद्ध आय मे वृद्धि हो सके। योजनांतर्गत अनुदान सहायता राशि मे अंतिम रुप से चिन्हांकित हितग्राही परिवार के मुखिया को राशि 6000 रु. अनुदान सहायता राशि प्रतिवर्ष दो किश्तों में दी जायेगी।

योजना की पहली किश्त कब दी जाएगी ?

छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के कृषि मजदरों को योजना की पहली किश्त के रूप में 2000 रुपये 3 फरवरी को देने जा रही है | कार्यक्रम में सांसद राहुल गांधी योजना के लिए 3 लाख 55 हजार भूमिहीन कृषिक मजदूरों को डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों राशि अंतरण करेंगे |

योजना के लिए यह व्यक्ति होंगे पात्र

योजना के अंतर्गत पात्रता केवल छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को होगी। ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी और पुरोहित जैसे पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा समय-समय पर नियत अन्य वर्ग भी पात्र होंगे। इस योजना के हितग्राहियों के लिए आवश्यक शर्त यह है कि हितग्राही परिवार के पास कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए। आवासीय प्रयोजन के लिए धारित भूमि कृषि भूमि नहीं मानी जाएगी।

योजना का आवेदन कब हुआ था ?

राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदुर न्याय योजना के तहत आवेदन 1 सितम्बर 2021 से 30 नवम्बर 2021 तक भूमिहीन कृषि मजदूरों का पंजीयन किया गया था | 30 दिसम्बर 2021 तक सभी किसानों की आवेदन की जांच पूरी कर ली गई है |

सौर सुजला योजना के तहत 1 लाख से अधिक किसानों को दिए गए सोलर पम्प

सब्सिडी पर सोलर पम्प की स्थापना

किसान वर्ष में एक से अधिक फसल लेकर अपनी आमदनी बढ़ा सके इसके लिए सिंचाई की व्यवस्था होना आवश्यक है | इसके लिए सरकार दूर-दराज क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प उपलब्ध करा रही है | छत्तीसगढ़ सरकार  राज्य के किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प उपलब्ध करने के लिए सौर सुजला योजना चला रही है | योजना के अंतर्गत अब तक एक लाख से अधिक किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था की जा चुकी है। इनमें नक्सल प्रभावित और आदिवासी क्षेत्रों के हजारों किसान भी शामिल हैं।

एक लाखवें किसान को किया गया सम्मानित

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस पर जगदलपुर में योजना के एक लाखवें हितग्राही श्री सुरेन्द्र नाग को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। क्रेडा (CREDA – छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) द्वारा सौर सुजला योजना के तहत बस्तर जिले के किसान श्री नाग की कृषि भूमि में एक लाखवां सोलर पंप स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें सोलर पंप का कट-आउट प्रदान कर योजना की सफलता को रेखांकित किया।

राज्य में सोलर पम्प से 1.20 लाख हेक्टेयर में हो रही है सिंचाई

प्रदेश में कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि और अविद्युतीकृत क्षेत्रों में कृषि का सिंचित रकबा बढ़ाने के लिए क्रेडा द्वारा सौर सुजला योजना संचालित की जा रही है। इसके अंतर्गत कृषि भूमि में तीन और पांच हॉर्स-पॉवर क्षमता के सोलर पम्प स्थापित किए जा रहे हैं। कृषि भूमि के साथ ही योजना के माध्यम से राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी कार्यक्रम के अंतर्गत गौठानों, चारागाहों और पंजीकृत गौशालाओं में भी सोलर पम्प लगाए जा रहे हैं। योजना के तहत प्रदेश भर में स्थापित सोलर पंपो से एक लाख 20 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई हो रही है। इससे पिछले पांच वर्षों में करीब छह लाख 55 हजार टन कार्बन उत्सर्जन में कमी हुई है।

क्या है सौर सुजला योजना

सौर सुजला योजना (Saur Sujala Yojana) का मुख्य उद्देश्य रियायती दरों (subsidized rates) पर उन्हें सौर सिंचाई पंप (Solar Irrigation Pumps) प्रदान करके किसानों को सशक्त बनाना है | इस योजना से न केवल किसान अपनी भूमि पर खेती करने के लिए अधिक सक्षम होंगे बल्कि इस योजना के तहत ग्रामीण छत्तीसगढ़ में कृषि और ग्रामीण विकास को मजबूत बनाने में भी मदद मिलेगी |सौर सुजला योजना के तहत सरकार क्रमश: 3HP और 5HP क्षमता वाले सौर ऊर्जा संचालित सिंचाई पंपों (Solar Irrigation Pumps) को किसानों को वितरित करेगी |

सोलर पम्प पर दिया जाने वाला अनुदान

सौर सुजला योजना (Saur Sujala Yojana) के तहत ये सोलर पंप (Solar Pump) किसानों को रियायती दरों (subsidized rates) पर उपलब्ध कराये जायेंगे | 5HP सोलर पंप (Solar Pump) की रियायती कीमत लगभग 10,000- 20,000 होगी जो इस समय निश्चित नही है | वहीँ काम क्षमता वाले 3HP सोलर पंप (Solar Pump) की बाजार में कीमत 3.5 लाख है | ये सोलर पंप (Solar Pump) योजना के तहत योग्य किसानों को 7,000- 18,000 की रियायती कीमत पर प्रदान किये जायेंगे |

सौर सुजला योजना के तहत यहाँ करें ऑनलाइन आवेदन

इस को योजना छत्तीसगढ़ सरकार के ऊर्जा विभाग के अधीन CREDA (Chhattisgarh State Renewable Energy Development Agency) द्वारा लागू किया जा रहा है | योजना के तहत लाभार्थियों का चयन राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा किया जाएगा | किसान जो पहले से ही बोरवेल या पंप योजना के तहत लाभान्वित है वो भी इस योजना के लिए पात्र होंगे | इस योजना के लाभार्थियों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का कृषि विभाग मुख्य पंजीयन प्राधिकरण है | किसान आवेदन करने के लिए मुक्त है पर रियायती दरों में सोलर पंप बांटने के लिए योग्य पात्रों को चयन कृषि विभाग द्वारा किया जायेगा | इस योजना के लिए आवेदन पत्र ब्लॉक कार्यालयों और कृषि कार्यालयों में उपलब्ध है | आवेदन को ठीक से भर कर आवश्यक दस्तावेजों के साथ केवल कृषि कार्यालयों में प्रस्तुत करना होगा |

सौर सुजला योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन करने के लिए क्लिक करें

किसानों को रियायती दरों पर ट्रैक्टर सहित विभिन्न कृषि यन्त्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने दी बड़ी सौगात

ट्रैक्टर सहित विभिन्न कृषि यंत्रों का वितरण

किसानों को सस्ती दरों पर ट्रैक्टर एवं विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है | इसमें किसानों को सीधे विभिन्न कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देकर या ग्रामीण स्तरों पर कस्टम हायरिंग केंद्र खोलकर लाभान्वित किया जा रहा है | राजस्थान राज्य सरकार सभी किसानों को रियायती दरों पर कृषि यंत्र मिल सके इसके लिए सहकारी समितियों एवं ग्राम पंचायत स्तर पर कस्टम हायरिंग केंद्र खोल रही है | सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने निम्बाहेड़ा कृषि मंडी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में 14 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को ट्रैक्टर सहित विभिन्न कृषि उपकरणों की सौगात दी।

समितियों को दिया गया 8 लाख रुपये का अनुदान

प्रदेश में किसानों को किराए पर खेती संबंधी यंत्र उपलबध कराने के लिए क्रय-विक्रय सहकारी समितियों अथवा ग्राम सेवा सहकारी समितियों की स्थापना की जा रही है | सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने कस्टम हायरिंग योजना अंतर्गत 14 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्र भेंट किए। ट्रैक्टर एवं विभिन्न कृषि उपकरण पाकर किसानों की खुशी का कोई ठिकाना न रहा। उन्होंने इस अवसर पर हर समिति को आठ-आठ लाख रुपए का अनुदान भी दिया ।

उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में विकास की श्रृंखला में एक ओर कदम बढ़ाते हुए मंत्री श्री आंजना ने केन्द्रीय सहकारी बेंक की ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं पैक्स/लेम्पस द्वारा कस्टम हायरिग सेन्टर की स्थापना करते हुए क्षेत्र के किसानों को खेती हेतु उनके कार्यक्षेत्र में रियायती दर पर ट्रेक्टर एवं अन्य उपलब्ध करवाकर किसानों को राहत प्रदान करना है।

इन समितियों को दिए गए ट्रैक्टर

चित्तौड़गढ़ जिले के केन्द्रीय सहकारी बेंक की बडावली, जावदा, गंगरार(निम्बाहेड़ा पंचायत समिति), गंगरार(गंगरार पंचायत समिति), सुरपुर(कपासन पंचायत समिति), विनायका, बडवल(बड़ीसादडी), आंवलहेड़ा, दौलतपुरा(बेगु पंचायत समिति), नन्नाणा, धीरजीखेड़ा(भदेसर पंचायत समिति), देवपुरा, जालखेड़ा(रावतभाटा पंचायत समिति) एवं बस्सी, नेतावलगढ़(चित्तौड़गढ़ जिला) आदि पंचायत समिति से संबधीत 14 ग्राम सेवा सहाकारी समितियों के अध्यक्षों को ट्रैक्टर भेंट किए।

मंत्री श्री आंजना ने कहा कि राज्य सरकार निरंतर किसानों के लिए नई-नई योजनाएं लाकर राहत प्रदान कर रही है इसी के तहत किसानों को फसल बुवाई से लेकर कटाई तक ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्रों के लिए सरकार कस्टम हायरिंग योजना भी संचालित कर रही है।

अधिक लाभ के लिए किसान इस तरह करें बेबीकॉर्न की खेती

बेबीकॉर्न की खेती

कृषि क्षेत्र में किसान नई फसलों एवं नई किस्मों की वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं | कृषि के क्षेत्र में फसलों का चयन बाजार मांग के आनुसार करना चाहिए, जिससे किसानों को उचित भाव मिल सकें | आज के समय में लोगों के बीच स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ बेबीकॉर्न की खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है |  इस वजह से इस फसल का बाजार मूल्य भी अधिक है एवं इससे बहुत से उत्पाद बनाए जाते हैं |

बेबीकॉर्न मक्का की ही एक प्रजाति है, लेकिन इसकी उपयोगिता के आधार पर बेबीकार्न नाम दिया गया है | बाजार में मांग के अनुसार किसानों के बीच खेती की प्रतिस्पर्धा बनी हुई है | पौधे का अनिषेचित भुट्टा होता और रेशमी बाल (सिल्क) निकलने के 2–3 दिनों के अंदर तोड़कर उपयोग में लाया जाता है | यह काफी मुलायम होता है | समय बढने के साथ इसकी गुणवत्ता में गिरावट आती जाती है |

बेबीकॉर्न से होने वाले लाभ

यह एक स्वादिष्ट व पौष्टिक आहार है, पत्तियों में लिपटा होने के कारण यह कीटनाशक दवाइयों के प्रभाव से मुक्त होता है | इस कारण यह स्वास्थ्य की द्रष्टि से एकदम सुरक्षित है | बेबीकॉर्न का उपयोग सलाद, सूप, सब्जी, अचार एवं कैंडी, पकौड़ा, कोफ्ता, टिक्की, बर्फी, लड्डू, हलवा, खीर इत्यादि के रूप में होता है | बेबीकॉर्न में फास्फोरस भरपूर मात्रा उपलब्ध होता है | इसके लिए अतिरिक्त इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्सियम, लौह व विटामिन भी उपलब्ध हैं | कोलेस्ट्रोल रहित होने एवं रेशों की अधिकता के कारण यह एक निम्न कैलोरीयुक्त आहार है | यह ह्रदय रोगियों के लिए काफी लाभदायक है |

मृदा का चयन एवं खेती की तैयारी

बेबीकॉर्न की खेती के लिए पर्याप्त जीवांशयुक्त दोमट मृदा अच्छी होती है | पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा शेष जुताई देसी हल/रोटावेटर या कल्टीवेटर द्वारा करके पाटा लगाकर खेत को तैयारी कर लेना चाहिए | बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी के साथ–साथ खेत पलेवा करके तैयार करना चाहिए |

बेबीकॉर्न की उन्नत किस्में

मक्के की बेबीकार्न की खेती के लिए कम समय में पकने वाली, मध्यम ऊँचाई की एकल क्रांस संकर किस्में अधिक उपयुक्त होती है | बेबीकार्न की किस्में इस प्रकार है :-

किस्म
गुल्ली का रंग
जीरा निकलने की अवधि (दिन)
उत्पादन क्षमता (क्विंटल/हैक्टेयर)
छिलका सहित
छिलका रहित 

आजाद कमल

क्रीमी सफेद गुल्ली

70–75

42–45

15 – 20

एचएम – 4

क्रीमी सफेद गुल्ली

80-85

45–50

15 – 20

बीएल – 42

सफेद गुल्ली

70-75

42–45

17 – 20

प्रकाश

सफेद गुल्ली

70–75

45–50

16 – 18

बुवाई समय एवं विधि

उत्तर भारत में बेबीकार्न फरवरी से नवंबर के मध्य कभी भी बोया जा सकता है | बुवाई मेड़ों के दक्षिणी भाग में करनी चाहिए तथा मेड़ से मेड़ एवं पौधे से पौधे की दुरी 60 से.मी. × 15 से.मी. रखनी चाहिए | विभिन्न किस्मों के बीजों के आकार के अनुसार प्रति हैक्टेयर 22–25 किलोग्राम बीज दर उपयुक्त होती है |

उर्वरक प्रबंधन

अच्छी उपज के लिए उर्वरक का सही उपयोग होना चाहिए | फास्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट एवं 1/3 भाग नाईट्रोजन, बुआई के समय एवं 1/3 भाग बुआई के 25 दिनों बाद तथा शेष 1/3 भाग नाईट्रोजन 40 दिनों बाद डालना चाहिए | फाँस्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट एवं ¼ भाग नाईट्रोजन बुआई के समय, ¼ भाग नाईट्रोजन बुआई के 25 दिनों के बाद ¼ भाग 60–80 दिनों के उपरांत तथा शेष नाईट्रोजन 80–110 दिनों के बाद देनी चाहिए |

बेबीकार्न के लिए संयुक्त खाद /उर्वरकों की मात्रा इस प्रकार है :-

क्र.
उर्वरक
खाद की मात्रा

1.

गोबर की खाद

8–10 टन / हैक्टेयर

2.

नाईट्रोजन

150 किलोग्राम / हैक्टेयर

3.

फास्फोरस

60 किलोग्राम / हैक्टेयर

4.

पोटाश

60 किलोग्राम / हैक्टेयर

5.

जिंक सल्फेट

25 किलोग्राम / हैक्टेयर

खरपतवार नियंत्रण

पहली निराई–गुडाई बुआई के 15–20 दिनों बाद तथा दूसरी 30 से 35 दिनों बाद अवश्य करनी चाहिए | इससे जड़ों में हवा का संचार होता है और ये दूर तक फैलकर भोज्य पदार्थ एकत्र करके पौधों को देती हैं | सीमाजीन 105 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर को 500–600 लीटर पानी में घोलकर बीज के अंकुरण के पूर्व खेत में छिडकाव करने से खरपतवार नहीं जमते और फसल तेजी से बढती है |

बेबीकॉर्न की तुड़ाई का सही समय

मक्के की बेबीकार्न की गुल्ली को 3–4 से.मी. सिल्क (जीरा) आने पर तोड़ लेना चाहिए | गुल्ली तुडाई के समय ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए | पत्तियों को हटाने से ये जल्दी खराब हो जाती है | रबी में एक दो दिन छोड़कर गुल्ली की तुडाई करनी चाहिए | एकल क्रांस संकर मक्का में 3– 4 तुड़ाई जरुरी है |

कितनी उपज प्राप्त होगी

इस तरह खेती करने से बेबीकॉर्न की छिलकारहित उपज 15–20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्राप्त होती है | इसके अलावा 200–250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हरा चारा भी मिल जाता है |बेबीकार्न का छिलका तुडाई के दिन उतारकर प्लास्टिक की टोकरी, थैली या कंटेनर में रखकर तुरंत मंडी में पहुंचा देना चाहिए |

बेबी कॉर्न के साथ लगाएं अंत:फसल

रबी में बेबीकॉर्न के साथ आलू, मटर, राजमा, मेथी, धनिया, गोभी, शलजम, मूली, गाजर इत्यादि अंत:फसल के रूप में ली जाती है | अंत:फसल से जो उपज प्राप्त होती है वह अतिरिक्त लाभ होता है |

किसान 15 फरवरी तक समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे कोदो, कुटकी एवं रागी फसल

समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी एवं रागी फसल की खरीद

देश के अलग-अलग राज्यों में विभन्न खरीफ फसलों की खरीदी अंतिम दौर में हैं | अलग–अलग राज्यों में फसलों के उत्पादन के अनुसार सरकार द्वारा अलग-अलग खरीफ फसलों की खरीदी की जा रही है | पिछले कुछ दिनों में देश के अलग–अलग राज्यों में भारी बारिश हुई थी जिसके कारण सरकारी खरीदी को रोक दी गई थी | ऐसे में बहुत से पंजीकृत किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पाए हैं |

ऐसे में सभी पंजीकृत किसानों से फसल की खरीदी की जा सके इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने धान के बाद अब कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी की अंतिम तिथि को भी आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है |

किसान 15 फरवरी तक बेच सकेंगे कोदो, कुटकी एवं रागी

छत्तीसगढ़ सरकार ने धान की खरीद को 7 फरवरी तक आगे बढ़ा दिया है वहीँ समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी और रागी फसलों की खरीदी के लिए समयावधि अब 15 फरवरी 2022 तक बढ़ा दी गई है। इसके पहले इन फसलों की खरीदी के लिए 31 जनवरी तक की तिथि निर्धारित थी। राज्य में 1 दिसम्बर 2021 से कोंदों, कुटकी तथा रागी की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी चल रही है|

अभी तक कितना खरीदी किया गया है ?

प्रबंधक संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री संजय शुक्ल ने बताया कि प्रदेश में अब तक लगभग ढाई करोड़ रूपये मूल्य की 07 हजार 799 क्विंटल कोदो, कुटकी तह रागी की खरीदी किया जा चुका है | इनमें से 05 हजार 990 किवंटल कोदो, 01 हार 112 क्विंटल कुटकी और 697 क्विंटल रागी शामिल है |

कोंदो , कुटकी तथा रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है ?

छत्तीसगढ़ सरकार ने रागी, कोंदो तथा कुटकी की न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया था | घोषित समर्थन मूल्य पर ही रागी, कोंदो कुटकी की खरीदी की जा रही है | राज्य में कोदो तथा कुटकी का न्यूमतम समर्थन मूल्य 3,000 रूपये प्रति क्विंटल है तथा कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3377 रूपये प्रति क्विंटल है |

फसलों में अधिक लाभ के लिए करें यूरिया ब्रिकेट्स का उपयोग

यूरिया ब्रिकेट्स के उपयोग से लाभ

देश में लगभग 354 लाख टन यूरिया का उपयोग किया जाता है, इसमें यूरिया का सबसे अधिक उपयोग लगभग 40 प्रतिशत धान की खेती में होता है | धान की आद्र्भूमि खेती में, नाईट्रोजन का केवल 30–40 प्रतिशत ही उपयोग हो पाता है एवं लगभग दो–तिहाई भाग वाष्पीकरण, अपवाह और लिंचिंग के माध्यम से खो जाता है | यूरिया की इस हानि को रोकने के लिए यूरिया ब्रिकेट्स बनाकर उपयोग किया जाता है|

धान के चार पौधों के बीच में एक यूरिया ब्रिकेट्स के 7–10 से.मी. की मृदा की गहराई पर प्रत्यारोपण द्वारा नाईट्रोजन के ह्रास को कम कर उर्वरक उपयोग दक्षता को 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है |

ऐसे बनाया जाता है यूरिया ब्रिकेट्स

वाणिज्यिक ग्रेड यूरिया उर्वरक को जब ब्रिकेट्स मशीन में दबाव देकर संघनित किया जाता है, तो 1–3 ग्राम भार के बड़े यूरिया ब्रिकेट्स का निर्माण होता है | मूल रूप से यूरिया ब्रिकेट्स समान्य यूरिया उर्वरक का एक सरल भौतिक रूपांतरण है | इसमें भी नाईट्रोजन की मात्रा वाणिज्यिक ग्रेड यूरिया उर्वरक की भाँती 46 प्रतिशत ही होती है | आजकल यूरिया ब्रिकेट्स के निर्माण के लिए ब्रिकेटिंग मशीन बाजार में भी उपलब्ध है | इसके माध्यम से किसान आय के एक स्रोत का सृजन कर सकते हैं | यूरिया ब्रिकेट्स को उपकरणों का उपयोग कर आसानी से रोपण किया जा सकता है |

यूरिया ब्रिकेट्स के रोपण की विधि

धान के प्रत्येक चार पौधों के बीच में एक यूरिया ब्रिकेट की दर से 7–10 से.मी. की गहराई पर मृदा में धान की रोपाई के 1–10 दिनों के बीच इसे रोपण किया जाता है | इसके फलस्वरूप यूरिया में उपस्थित नाईट्रोजन धीरे–धीरे मृदा में जाती है और इसके ह्रास को नियंत्रित कर इसकी उर्वरक दक्षता को बढ़ा देती है | इससे पौधों को सतत पोषक तत्व मिलते रहते हैं | धान के रोपण के लिए निर्धारित दुरी को वर्गाकार दुरी (20×20, 25×25 से.मी.) में रूपांतरित कर यूरिया ब्रिकेट्स को यांत्रिक साधनों का प्रयोग कर रोपण किया जा सकता है | यांत्रिक साधित्र, यूरिया ब्रिकेट्स को 7–10 से.मी. की गहराई पर आसानी से रोपण कर सकता है | इससे इसके ह्स्तरोपन में लगने वाले मानव बल को कम किया जा सकता है | इससे ज्यादा क्षेत्र क्षमता भी प्राप्त की जा सकती है |

यूरिया ब्रिकेट्स के गहराई पर प्रत्यरोपण के लाभ

  • यूरिया ब्रिकेट्स का गहराई पर रोपण, यूरिया के हस्त छिड़काव की तुलना में 15–25 प्रतिशत तक पैदावार बढ़ता है |
  • यह धान की फसल में यूरिया के ह्रास को एक तिहाई तक कम कर सकता है |
  • यूरिया के हाथ से छिड़काव में, जहाँ 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर नाईट्रोजन उर्वरक की खपत होती है, तो वहीं यूरिया ब्रिकेट्स की गहराई पर रोपण द्वारा नाईट्रोजन उर्वरक की खपत 77 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर ही होती है |
  • इससे चावल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है और उच्च बाजार मूल्य हासिल किया जा सकता है |
  • फसल में नाईट्रोजन उर्वरक के यूरिया ब्रिकेट्स के रूप में गहराई पर रोपण करने से इसकी खपत कम होती है, परिणामस्वरूप बाजार में इसकी उपलब्धता लंबे समय तक बनी रह सकती है |
  • यह बेहतर जल प्रबंधन और पंक्ति में रोपाई को प्रोत्साहित करता है | इस प्रकार निराई करना आसान और सुलभ हो जाता है | इसमें लगने वाले श्रम की भी बचत होती है | निराई में लगने वाले श्रम की लागत में भी लगभग 25–25 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है |
  • नाईट्रोजन और अनाईट्रिकरण (ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन) इत्यादि द्वारा नाईट्रोजन के नुकसान को कम कर पानी में नाईट्रोजन की मात्रा की नियंत्रित कर जल प्रदूषण से बचाता है |
  • इस प्रकार के उत्पादित चावल के भूसे में अधिक नाईट्रोजन होती है और यह एक बेहतर पशुधन चारा भी होता है |

किसान जल्द करायें अपना e-KYC, नहीं तो नहीं मिलेंगे पीएम-किसान योजना के 6000 रुपये

पीएम किसान e-KYC

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत एक किसान परिवार को 6,000 रुपये प्रति वर्ष तीन किश्तों में दिए जाते हैं | योजना का लाभ देश के सभी पात्र किसानों को मिल सके इसके लिए केंद्र सरकार ने अब सभी किसानों के लिए e-KYC को आवश्यक बना दिया गया है | सरकार ने योजना के अपात्र किसानों तथा आवेदकों को अलग करने के लिए e-KYC करवाने का फैसला लिया है | इसके तहत देश के किसान pmkisan.gov.in पर जाकर e-KYC करा सकते हैं | pmkisan की वेबसाईट से या नजदीकी CSC सेंटर से किसान आवेदन कर सकते हैं |

अब नये वित्त वर्ष से उन्हीं किसानों को पीएम-किसान योजना का लाभ उन्हें ही दिया जायेगा जिन किसानों ने अपना e-KYC कराया है, इसलिए सभी पात्र लाभार्थी किसान योजना का लाभ लेने के लिए जल्द से जल्द अपना e-KYC कराएँ |

किसान कब तक कराएँ अपना e-KYC

पीएम किसान योजना के अंतर्गत e-KYC कराने के लिए अंतिम तारीख निश्चित कर दी गई है | बिहार राज्य नोडल पदाधिकारी pm kisan सम्मान निधि योजना कृषि विभाग , पटना के द्वारा यह बताया गया है कि 31 मार्च 2022 तक e-KYC कराना जरुरी है |

e-KYC कैसे करायें ?

इस योजना अंतर्गत e-KYC authentication (प्रमाणीकरण) कार्य e-KYC OTP (मोबाइल पर एक पासवर्ड प्राप्त करके) तथा e-KYC Biometric mode (उँगलियों के निशान) द्वारा किया जा सकता है | योजना के लाभार्थी CSC केंद्र/वसुधा केंद्र पर जाकर e-KYC Biometric mode द्वारा करा सकते हैं |

इसके लिए क्या कोई शुल्क रखा गया है ?

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत e-KYC करने के लिए लाभार्थियों को निर्धारित राशि का भुगतान CSC केंद्र पर करना होगा | इस कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा प्रति किसान सत्यापन हेतु 15 रुपये की दर से निर्धारित किया गया है |

5 लाख रुपये तक के प्रगतिशील किसान पुरस्कार के लिए अब किसान 30 जनवरी तक कर सकेगें आवेदन

प्रगतिशील किसान पुरस्कार हेतु आवेदन

कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों में नई तकनीकों को अपनाकर सफल हुए किसानों को प्रतिवर्ष केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा सम्मानित किया जाता है ताकि अधिक से अधिक किसान प्रोत्साहित होकर इन तकनीकों को अपनाकर अपनी आय एवं उत्पादन बढ़ा सकें | ऐसी ही एक योजना हरियाणा सरकार राज्य के किसानों के लिए लेकर आई है जिसके तहत राज्य के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया जायेगा |

मुख्यमंत्री प्रगतिशील किसान सम्मान योजना के तहत कृषि तथा सम्बन्धित क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ठ कार्य के लिए चयनित किसानों को नगद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। किसानों को कृषि फसलों की उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के साथ-साथ नई तकनीकों जैसे पानी की बचत, फसल अवशेष प्रबन्धन, जैविक खेती, एकीकृत कृषि प्रणालियों, टिकाऊ कृषि आदि को अपनाने के लिए किसानों को नगद पुरस्कार दिया जाएगा।

किसान 30 जनवरी तक किसान कर सकेंगे आवेदन

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जे.पी.दलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रगतिशील किसान सम्मान पुरस्कार के लिए पंजीकरण की तिथि को 30 जनवरी तक बढा दिया गया है। ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान भाई अपना पंजीकरण करवाकर इस योजना का लाभ उठा सकें । इससे पहले राज्य के किसान 15 जनवरी 2022 तक अपना आवेदन कर सकते थे, जिसको अब 30 जनवरी 2022 तक बढ़ा दिया गया है।

किसानों को कितना पुरस्कार दिया जायेगा ?

मुख्यमंत्री प्रगतिशील किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को कई प्रकार के पुरस्कार दिए जाएंगें | योजना के तहत राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले किसान को 5 लाख रुपये की नकद राशि दी जाएगी | द्वितीय पुरस्कार में 2 किसान को 3–3 लाख रूपये एवं तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले किसानों को 1–1 लाख रूपये की नकद राशि पांच किसानों को दी जाएगी | इसके अतिरिक्त 50-50 हजार रुपये के चार पुरस्कार प्रति जिलेवार वितरित किए जाएंगे ।

योजना में भाग लेने के लिए आवेदन कब एवं कहाँ करें

हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री प्रगतिशील किसान सम्मान योजना के तहत किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं | राज्य के इच्छुक प्रगतिशील किसान 30 जनवरी 2022 तक अपना पंजीयन करवा सकेंगे | इच्छुक किसान मुख्यमंत्री प्रगतिशील किसान सम्मान योजना में हिस्सा लेने के लिए www.agriharyana.gov.in से आवेदन कर सकते हैं |

प्रगतिशील किसान पुरस्कार हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

50 प्रतिशत की सब्सिडी पर मछलियों का बीमा कराने के लिए आवेदन करें

मत्स्य फसल बीमा योजना के तहत आवेदन

फसल बीमा, पशुधन बीमा के बाद अब मछली पालन करने वालों के लिए भी सरकार ने “मत्स्य-फसल बीमा योजना” शुरू की है | इसके अंतर्गत मछली पालक किसान अपनी मछलियों का बीमा करा सकते हैं, जिससे मछली पालन में आकस्मिक क्षति होने पर भरपाई की जाएगी | बिहार सरकार ने राज्य के मछली पालने वाले किसानों के लिए यह योजना लेकर आई है | इस योजना के तहत एक वर्ष के अंदर मछली मरने या किसी अन्य प्रकार से नुकसानी होने पर मत्स्य पालक को भरपाई की जाएगी | इच्छुक व्यक्ति योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

योजना के तहत कितने अवयव को शामिल किया गया है ?

मत्स्य फसल–बीमा योजना के तहत मछली पालन के तहत आने वाले विभिन्न अवयवों को शामिल किया गया है | यह सभी उप योजना इस प्रकार है :-

  1. तालाब मात्स्यिकी से “मत्स्य उत्पादन”
  2. नर्सरी / रियारिंग तालाब प्रबंधन से “मत्स्य बीज” (फ्राई/ फिंगरलिंग) का उत्पादन
  3. कार्प हैचरी संचालन हेतु “मत्स्य प्रजनकों (ब्रुडर)” का उत्पादन

मछली पालक किसानों को कितना प्रीमियम देना होगा ?

ऊपर दिये तीनों योजनाओं के लिए मछली पालने वाले किसानों को कुछ प्रीमियम का भुगतान करना होगा| योजना के तहत तीनों योजनाओं के लिए प्रीमियम राशि सरकार ने तय कर दी है | यह प्रीमियम राशि इस प्रकार है :-

  1. तालाब मात्स्यिकी से “मत्स्य उत्पादन” :- इस योजना के तहत 20,700 + GST की प्रीमियम राशि प्रति हैक्टेयर तय की गई है |
  2. नर्सरी/रियारिंग तालाब प्रबंधन से “मत्स्य बीज” (फ्राई/ फिंगरलिंग) का उत्पादन :- इस योजना के तहत 52,500 + GST प्रीमियम राशि प्रति हैक्टेयर तय की गई है |
  3. कार्प हैचरी संचालन हेतु “मत्स्य प्रजनकों (ब्रुडर)” का उत्पादन :- इस योजना के तहत 56,250 + GST का प्रीमियम राशि प्रति हैक्टेयर तय की गई है |

सरकार मछली बीमा पर कितनी सब्सिडी देगी ?

ऊपर दिये गये तीनों योजनाओं के लिए सभी प्रीमियम राशि पर 50% की सब्सिडी दे रही है | किसान जितना प्रीमियम राशि देगा उस पर राज्य सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी देगी |

मत्स्य पालक को योजना के तहत अधिकतम बीमित राशि कितनी दी जाएगी?

मत्स्य फसल – बीमा योजना के तहत तीन प्रकार की योजनाओं को शामिल किया गया है | सभी के लिए बीमा राशि तय कर दी गई है | यह बीमा राशि योजना के तहत 80 प्रतिशत की नुकसानी पर दी जाएगी | योजना के तहत भरपाई के लिए घटना के 24 घंटे के अंदर लाभार्थी द्वारा जिला मत्स्य पदाधिकारी एवं कंपनी को 48 घंटे के अंदर जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा कम्पनी को सूचित करना आवश्यक है |

यह बीमा राशि इस प्रकार है :-
  1. तालाब मात्स्यिकी से “मत्स्य उत्पादन” :- इस योजना के तहत अधिकतम बीमा राशि 2.76 लाख रूपये का रखा गया है |
  2. नर्सरी / रियारिंग तालाब प्रबंधन से “मत्स्य बीज” (फ्राई/ फिंगरलिंग) का उत्पादन :- इस योजना के तहत अधिकतम बीमा राशि 7.00 लाख रूपये का रखा गया है |
  3. कार्प हैचरी संचालन हेतु “मत्स्य प्रजनकों (ब्रुडर)” का उत्पादन :- इस योजना के तहत अधिकतम बीमा राशि 7.50 लाख रूपये तय की गई है |

योजना में चयन के लिए पत्रता क्या है ?

योजना बिहार के तालाब में मछली पालन करने वाले किसानों के लिए है | इसके चयन के लिए राज्य सरकार ने विभन्न प्रकार के पत्रता सुनिश्चित की है |

  • योजनान्तर्गत वैसे मछुआ / मत्स्य पालक / मत्स्य बीज उत्पादक आदि आच्छदित होंगे जो तालाब मात्स्यिकी से मत्स्य–उत्पादन, नर्सरी / रियारिंग तालाब प्रबंधक से मत्स्य बीज (फ्राई फिंगरलिंग) उत्पादन तथा कॉर्प हैचरी संचालन के लिए मत्स्य प्रजनक (ब्रुडर) का उत्पादन कर रहे हैं |
  • योजनान्तर्गत एक आवेदक एक या एक से अधिक अवयवों के लिए आवेदन अलग–अलग कर सकेंगे |
  • एक लाभुक को अधिकतम 2 हेक्टेयर जलक्षेत्र तक के लिए अनुदान अनुमान्य होंगे |
  • योजनान्तर्गत निजी अथवा पट्टे पर ली गई तालाब में योजना का लाभ देय होगा |

योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज?

मत्स्य फसल–बीमा योजना के लिए आवेदन ऑनलाइन किए जा रहा है | इच्छुक मत्स्य पालक योजना का लाभ उठाने के लिए किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन से पहले विभिन्न प्रकार के दस्तावेज होना चाहिए |

  • तालाब का भू–स्वामित्व प्रमाण – पत्र
  • मत्स्य प्रशिक्षण प्रमाण–पत्र / मतस्य प्रक्षेत्रों में अनुभव विवरणी
  • स्वलागत / बैंक से शेष प्रीमियम का भुगतान करने संबंधी शपथ – पत्र

मत्स्य फसल बीमा योजना एक लिए आवेदन कहाँ करें ?

बिहार राज्य के इच्छुक मछली पालक किसान योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं| योजना के लिए आवेदन का अंतिम तिथि 28/02/2022 तक है | आवेदन की प्रक्रिया खुद के लैपटाप या कंप्यूटर से या कॉमन सर्विस सेंटर से कर सकते हैं | योजना हेतु ऑनलाइन आवेदन वेबसाईट https://fisheries.ahdbihar.in/Default.aspx पर भरे जाएंगे |

मछलियों का बीमा कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु क्लिक करें