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रविवार, जनवरी 26, 2025
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किसान अधिक उत्पादन के लिए लगाएं गेहूं की यह उन्नत किस्में

गेहूं की उन्नत किस्में

अक्टूबर महीने में किसान रबी फसलों की बुआई के लिए तैयारी शुरू कर देंगे | रबी में सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं है जो देश के अधिकांश क्षेत्रों में लगाई जाती है | बुआई के लिए किसानों को गेहूं की किस्मों चयन पहले करना होगा ताकि किस्म के अनुसार गेहूं की खेती की तैयारी कर सकें | अच्छी आमदनी के लिए जरुरी है की किसान गेहूं की ऐसी किस्में लगाएं जिसकी रोगों के प्रति रोधक क्षमता अच्छी हो और साथ ही पैदावार अधिक प्राप्त की जा सके | गेहूं में एक ऐसी ही प्रजाति कठिया गेहूं की है | कठिया गेहूं भारत की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है |

देश में कठिया गेहूं की भी कई किस्में विकसित की जा चुकी हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है | खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में कठिया गेहूं का प्रयोग होने के चलते इसकी मांग काफी बढ़ी है | कठिया गेहूं से सूजी, दलिया, डबल रोटी, फ्लेक्स, सेवइंया, पास्ता, केक, नूडल्स एवं अन्य बेकरी उत्पाद बनाये जाते हैं | उद्योगों में उपयोग होने के चलते किसानों को इस प्रजाति के अच्छे दाम मिल सकते हैं | किसानों की सुविधा के लिए किसान समाधान कठिया गेहूं की किस्मों के बारे में जानकारी लेकर आया है | किसान अपने क्षेत्र के अनुसार इन किस्मों का चयन कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं |

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गेहूं की उन्नत किस्में

भारत के मध्य क्षेत्र के लिए कठिया गेहूं कि प्रजातियाँ

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा एवं उदयपुर संभाग तथा उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र झाँसी एवं चित्रकूट संभाग के लिए उपयुक्त किस्में

गेहूं की किस्में
बिजाई की दशा
उपज (क्विंटल /हैक्टेयर)

 

 

औसत

क्षमता

एचआई 8713

सिंचित एवं समय पर बिजाई

52.30

68.20

एमपीओ 1215

सिंचित एवं समय पर बिजाई

48.60

65.30

एचआई 8759 (पूसा तेजस)

सिंचित एवं समय पर बिजाई

56.00

75.00

एचआई 8498 (मालव शक्ति)

सिंचित एवं समय पर बिजाई

44.00

73.00

डीडीडब्ल्यू 47

सीमित सिंचित एवं समय पर बिजाई

37.00

74.10

यूएएस 446

सीमित सिंचित एवं समय पर बिजाई

38.80

73.80

एचआई 8627

सीमित सिंचित एवं वर्षा आधारित, समय से बिजाई

29.8 / 20.1

46.8 / 38.8

एचडी 4672 (मालवा रत्ना)

वर्षा आधारित, समय से बिजाई

18.50

30

प्रायदिव्पीय क्षेत्र के लिए कठिया गेहूं की उन्नत किस्में:-

महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा एवं तमिलनाडु के मैदानी भाग, तमिलनाडू के निलगिरी एवं पलनी पर्वतीय क्षेत्र तथा केरल के वायनाड एवं इडुक्की जिलों को शामिल किया गया है |

प्रजातियां
 
बिजाई की दशा
उपज (क्विंटल/हैक्टेयर)
औसत
क्षमता

डीडीडब्ल्यू 48

सिंचित, समय से बिजाई

47.40

72.00

डब्ल्यूएचडी 948

सिंचित, समय से बिजाई

46.50

69.50

यूएएस 428

सिंचित, समय से बिजाई

48.00

58.80

एचआई 8663

सिंचित, समय से बिजाई

45.40

71.50

एनआईडीडब्ल्यू 1149

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

29.73

36.80

एमएसीएस 4058

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

29.60

37.10

जीडब्ल्यू 1346

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

28.50

40.40

एचआई 8805

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

30.40

35.40

एचआई 8802

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

29.10

36.00

एमएसीएस 4028

सीमित सिंचित/वर्षा आधारित समय से बिजाई

19.30

28.70

यूएएस 466

सीमित सिंचित / वर्षा आधारित समय से बिजाई

18.30

24.40

     
यह भी पढ़ें:  किसान इस तरह करें ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती, यह हैं नई उन्नत किस्में

गेहूं की इन किस्मों के लिए बुआई का सही समय

भारत में गेहूं की बुवाई का समय क्षेत्र के अनुसार एवं सिंचाई सुविधा के अनुसार अलग-अलग है | जिन क्षेत्रों में वर्षा आधारित बिजाई की जाती है वहां किसान दी गई किस्मों की बिजाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से कर सकते हैं | इसके अतिरिक्त सिंचित क्षेत्र एवं समय पर बिजाई करने वाली किस्मों के लिए उपयुक्त समय नवम्बर के प्रथम पखवाडा है |

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20 टिप्पणी

    • धान फसल के प्रारंभिक गभोट अवस्था में मध्यम एवं देर अवधि वाले धान फसल के 60-75 दिन के होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव करने को कहा है । पोटाश की सिफारिश मात्रा का 25 प्रतिशत भाग फूल निकलने की अवस्था पर छिड़काव करने से धान के दानों की संख्या और वजन में वृद्धि होती है।

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