आम एवं लीची के बागों में थाला बनाने और कीटों से बचाव के लिए सरकार दे रही है अनुदान, किसान यहाँ करें आवेदन

बाग उत्थान योजना के तहत अनुदान

समय के साथ पुराने वृक्षों की उत्पादन क्षमता कम होती जाती हैं उनमें अनियमित फलन एक सामान्य समस्या है। साथ ही इन पेड़ों में बहुत से कीट एवं रोग लग जाते हैं, जिसके कारण भी फसल को काफ़ी नुकसान होता है। ऐसे में प्रत्येक वर्ष अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि किसान समय-समय पर इनका जीर्णोद्धार करें। इसके महत्व देखते हुए बिहार सरकार राज्य में पुराने बागों का जीर्णोद्धार के लिए अनुदान दे रही है, इसके लिए राज्य के चयनित ज़िलों के किसानों से आवेदन माँगे हैं। 

बिहार सरकार ने राज्य के किसानों से बाग उत्थान अभियान चला रही है, जिसके तहत किसानों को पेड़ के चारों और थाला का निर्माण करने में, पेड़ के स्तम्भ में जमीन से 1 मीटर ऊँचाई तक चूना, कीटनाशी एवं फफूँदनाशी के घोल से पुताई एवं पुताई से पहले पेड़ की छाल को साफ करना शामिल है। योजना के तहत किसान ऑनलाइन आवेदन 20 अगस्त   2022 तक कर सकते हैं। 

बाग उत्थान से क्या लाभ होगा? 

आम एवं लीची के बागों को स्वस्थ रखने, उत्पादकता बढ़ाने तथा अनियमित फलन को कम करने के लिए यह योजना उपयोगी है, जिससे किसानों को निम्न लाभ होंगे:-

  • विधिवत थाला निर्माण से आम एवं लीची के प्रभावकारी जड़ों द्वारा पोषक तत्वों की आपूर्ति होगी।
  • दीमक एवं फफूँद के दुष्परिणाम से बचाव तथा पेड़ों को स्वस्थ बनाए रखना, फलस्वरूप फलन में वृद्धि तथा किसानों की आमदनी में वृद्धि करना है।

थाला निर्माण के लिए कितना अनुदान दिया जाएगा?

योजना के तहत आम एवं लीची के 10 वर्षों या उससे अधिक के कम से कम 10 पेड़ों का बाग़ एक जगह होना अनिवार्य है। थाला निर्माण के लिए मुख्य तना के चारों ओर गोलाई 25-30 सेंटीमीटर चौड़ा तथा 20-25 सेंटीमीटर गहरा नाली (थाला) का निर्माण किया जाएगा। साथ ही साथ भीतरी भाग तथा नाला के बाहरी भाग में 45 सेंटीमीटर चौड़ा तथा 25-30 सेंटीमीटर ऊँचा मेढ़ का निर्माण किया जाएगा, जिसमें पटवन का कार्य सुनिश्चित किया जाएगा। 

इस तरह थाला निर्माण करने के लिए सरकार द्वारा इकाई लागत जो सरकार द्वारा 110 रुपए तय की गई है पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा। जो 55 रुपए प्रति पेड़ होगा।

पुताई एवं रासायनिक दवाओं पर दिया जाने वाला अनुदान

योजना के तहत किसानों को पेड़ के चारों और थाला का निर्माण करने में, पेड़ के स्तम्भ में जमीन से 1 मीटर ऊँचाई तक चूना, कीटनाशी एवं फफूँदनाशी के घोल से पुताई के लिए भी अनुदान दिया जाएगा। जिसकी इकाई लागत सरकार द्वारा 50 रुपए रखी गई है, जिस पर किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। जो 25 रुपए प्रति पेड़ होगा।

पुताई के लिए किसानों को 5 लीटर पानी में 1 किलोग्राम चुना, 50 ml क्लोरपाईरीफोस 20EC,  एवं 15 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड (50% w/p) के मिश्रण से पेड़ के जमीन से 1 मीटर की ऊँचाई तक के लिए आवश्यक होगी। 

इन ज़िलों के किसानों को दिया जाएगा अनुदान

बाग उत्थान अभियान बिहार राज्य के 18 जिलों के लिए चलाया जा रहा है | इन सभी राज्यों के किसान योजना का लाभ उठा सकते हैं | यह जिला इस प्रकार है :- मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, बांका, पूर्णिया, कटिहार, शिवहर, सहरसा, खगड़िया, मधेपुरा, सुपौल एवं अररिया।

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को करना होगा यह काम

निजी क्षेत्र में थाला निर्माण एवं पुताई हेतु श्रमिक सहित आवश्यक सामानों यथा कुदाल, measuring tape, सुतली, चूना, क्लोरपाईरीफोस 20 EC, काँपर आक्सीक्लोराइड (50%W/P), इत्यादि की व्यवस्था कृषकों को स्वयं करना होगा | सामग्री का क्रय कृषि निदेशालय/जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा कीटनाशी/फफूंदनाशी/खाद एवं उर्वरक विक्रय हेतु लाइसेंस प्राप्त एजेंसियों/प्रतिष्ठानों/दुकानदारों से BFR 2005 के तहत क्रय किया जाएगा तथा GST युक्त पक्की रसीद अभिश्रव प्राप्त करना अनिवार्य होगा |

बाग उत्थान योजना के लिए किसान कहाँ आवेदन करें ?

योजना का लाभ उठाने के लिए किसान बिहार के उद्यानिकी विभाग पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन 20 अगस्त तक कर सकते हैं। योजना के तहत चयनित 18 ज़िलों के किसान ही अभी आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते हैं http://horticulture.bihar.gov.in/HORTMIS/BaagUtthan/OnlineAppBaagUtthan.aspx लिंक पर आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ज़िले के सहायक निदेशक, उद्यान विभाग से सम्पर्क करें। 

741 खरीद केंद्रों पर इस दिन से शुरू होगी समर्थन मूल्य पर मूँग एवं उड़द की खरीदी

मूँग एवं उड़द की खरीदी

इस वर्ष अभी तक किसानों के द्वारा गर्मी में लगाई गई मूँग एवं उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर खरीद शुरू नहीं हो पाई है। जिससे किसानों को बहुत ही कम दामों पर इन फसलों को बेचना पड़ा है। इस स्थिति को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से गर्मी के मौसम में लगाई गई मूँग एवं उड़द की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया था, जिसकी खरीदी के लिए सरकार ने अब तारीखों का ऐलान कर दिया है।

किसानों से मूँग एवं उड़द फसल खरीदने के लिए सरकार ने ऑनलाइन पंजीयन के लिए 18 जुलाई से 28 जुलाई तक पोर्टल खोला था, जिसके तहत लगभग 2 लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। पंजीयन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद 2 जुलाई को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द के उपार्जन की समीक्षा बैठक आयोजन किया। 

कब से ख़रीदा जाएगा मूँग एवं उड़द

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम में समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द का खरीदी 8 अगस्त से 30 सितम्बर तक की जाएगी। उन्होंने कहा कि उपार्जन में भ्रष्टाचार की संभावना नहीं हो, इसके लिए सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाएँ। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यदि व्यापारियों द्वारा किसानों के नाम पर मूंग और उड़द का विक्रय किया जाए तो उसकी खरीदी किसी भी कीमत पर नहीं की जाए।

उन्होंने कहा कि किसानों से ही मूंग और उड़द का उपार्जन किया जाए। छोटे किसानों की शत-प्रतिशत मूंग और उड़द के उपार्जन को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि जहाँ तक संभव हो इलेक्ट्रानिक तोल कांटों से तुलाई की जाए। खरीदी लक्ष्य के अनुसार सुनिश्चित हो।

एक दिन में 25 किलो मूँग बेच सकेंगे किसान

बैठक में बताया गया कि मूंग एवं उड़द के उपार्जन के लिए 741 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। अभी 32 जिलों में मूंग फसल के लिए 2 लाख 34 हजार 749 कृषकों द्वारा 6 लाख एक हजार हेक्टेयर रकबे का पंजीयन कराया गया है। इसी तरह 10 जिलों में उड़द फसल का 7 हजार 329 कृषकों द्वारा 10 हजार हेक्टेयर रकबे का उपार्जन के लिए पंजीयन कराया गया है। भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम की गाईडलाइन के अनुसार प्रतिदिन प्रति कृषक 25 क्विंटल मात्रा का उपार्जन किया जाना प्रस्तावित है।

इस भाव पर होगी मूँग एवं उड़द की खरीद

सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन मूँग एवं उड़द की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी। विपणन वर्ष 2022-23 के लिए मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7 हजार 275 रूपए प्रति क्विंटल और उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 300 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

अधिक वर्षा से हुए फसल नुकसान के आंकलन के लिए 5 अगस्त से शुरू की जाएगी गिरदावरी

फसल नुकसान के आंकलन के लिए गिरदावरी

इस वर्ष देश के अलग–अलग राज्यों में वर्षा का वितरण अभी तक असामान्य रहा है। बिहार, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में वर्षा सामान्य से काफी कम है तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम, राजस्थान जैसे राज्यों के कई जिलों में वर्षा काफी अधिक हुई है। दोनों ही परिस्थितियों में किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए सरकार द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत किसानों को राहत देने के लिए योजनाएँ तैयार की जा रही है। 

हरियाणा के कुछ जिलों में अधिक वर्षा से गाँवों पानी भर गया है। इससे जन जीवन पर बुरा असर पड़ा है। इन जिलों के किसानों की फसल पूरी तरह से पानी में डूब गई है। इसको लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने समीक्षा करते हुए अधिकारियों को गावों से पानी निकालने का आदेश दिया है। सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद आदि जिलों के किसानों की फसल नुकसानी को देखते हुए राज्य में गिरदावरी कराने का आदेश दिए गए हैं।

5 अगस्त से की जाएगी गिरदावरी

हरियाणा में पिछले 25-30 सालों में पहली बार अधिक वर्षा के कारण जल भराव की स्थिति बन गई है, जिसके कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ है। जिसके आंकलन के लिए हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों की फसलों का गिरदावरी करने जा रही है। जलभराव वाले क्षेत्रों की 5 अगस्त से गिरदावरी शुरू हो जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने किसानों से भी अपील की कि वे अपनी फसल खराबे का विवरण “मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल” पर अवश्य दर्ज करवाएं।

किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं 

हरियाणा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू है, इस योजना के तहत किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की भरपाई की जाती है। जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपने फसलों का बीमा कराया है वे इस योजना का लाभ उठाने के लिए बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर फोन कर शिकायत दर्ज कराएं। इसके अलावा किसान संबंधित बैंक से संपर्क कर के फसल नुकसानी की क्षति पूर्ति के आंकलन के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इस समय सोयाबीन की फसल में लगने वाली इल्लियों एवं कीट-रोगों को किसान इस तरह करें खत्म

सोयाबीन में इल्ली एवं कीटों का नियंत्रण

अधिकांश स्थानों पर सोयाबीन की फसल को लगाये हुए एक महीना या इससे अधिक समय बीत चुका है। इस दौरान अच्छी बारिश का एक दौर भी निकल चुका है। कई क्षेत्रों में अधिक वर्षा से जल भराव तो कई क्षेत्रों में कम वर्षा की स्थिति भी इस दौरान बनी है। इसके बाद कई क्षेत्रों में लगातार तेज धूप का मौसम बना हुआ है, जिसके कारण सोयाबीन की फसल में कई तरह की इल्लियों एवं कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसे में किसान समय पर इन कीट-रोगों का नियंत्रण कर सकें इसके लिए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के द्वारा सलाह जारी की गई है। 

इस मौसम में सोयाबीन की फसल में अभी मुख्यतः चक्र भृंग, तना मक्खी, तम्बाकू की इल्ली एवं पत्ती खाने वाली अन्य इल्लियों के अलावा पीला मोज़ेक एवं एरियल ब्लाइट रोग लगने की सम्भावना अधिक रहती है। ऐसे में किसान इस तरह इन कीट रोगों पर नियंत्रण पा सकते हैं:-

चक्र भृंग Girdle Beetle एवं पत्ती खाने वाली इल्ली का नियंत्रण

जारी की गई सलाह में कहा गया है कि जहाँ पर केवल चक्र भृंग का प्रकोप हो, नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी.(250–300 मिली/हे.) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हे.) या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1 ली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली./हे.) का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।

चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 9.30%+ लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.60% ZC (200 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या पूर्वमिश्रित थायमिथक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

जहां पर तीनों प्रकार की पत्ती खाने वाली इल्लियाँ हो, इनके एक साथ नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें:-

क्विनालफाँस 25 ई.सी. ( 1 ली/हे), या ब्रोफ़्लानिलिड़े 300 एस.सी.( 42-62 ग्राम/हे), या फ़्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस.सी. (333 मिली/हे), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी (250-300 मिली/हे) या नोवाल्यूरोन +  इंडोक्साकार्ब 04.50% एस.सी. (825-875 मिली/हे) में से किसी एक दवा का छिड़काव कर सकते हैं। 

तना मक्खी एवं तम्बाकू की इल्ली का नियंत्रण

जहाँ पर केवल तना मक्खी का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 9.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें। जहाँ पर केवल तम्बाकू की इल्ली का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह है, इससे पत्ती खाने वाली अन्य इल्लियाँ (चने की इल्ली या सेमीलूपर इल्ली) का भी नियंत्रण होगा।

लैम्बाडा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या किव्नालफाँस 25 ई.सी. (1 ली./हे.) या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली./हे.) या इमामेक्टिन बेंजोएट 1.90 (425 मिली./हे.) या ब्रोफ्लानिलिड़े 300 एस.सी. (42–62 ग्राम/हे.) का छिडकाव करें।

पीला मोज़ेक एवं एरिअल ब्लाइट रोग का नियंत्रण

सोयाबीन में पीला मोजेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत में उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मिली./हे. (या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 350) मिली./हे. का छिड़काव करें | इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु किसान अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

कुछ क्षेत्रों में रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट का प्रकोप होने की सूचना प्राप्त हुई है। किसानों के लिए सलाह है कि नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाझोल 5% ईसी (1 मिली./हे. पानी) का छिड़काव करें।

जैविक खेती करने वाले किसान इस तरह करें सोयाबीन में कीट-रोग का नियंत्रण

  • ऐसे किसान जो जैविक सोयाबीन उत्पादन में रुचि रखते हैं वे किसान पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली) की छोटी अवस्था की रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1 ली./हे.) का प्रयोग कर सकते हैं, यह भी सलाह है कि प्रकाश प्रपंच का भी उपयोग कर सकते हैं |
  • सोयाबीन की फसल में तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली के प्रबंधन के लिए बाजार में उपलब्ध कीट–विशेष फिरोमोन ट्रैप्स एवं वायरस आधारित एन.पी.वी. (250 एल.ई./हे.) का उपयोग करें।
  • सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड–पर्चेस लगाये। इससे कीट भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मितली है |

किसान इन बातों का रखें ध्यान

  • अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं 3 से 4 जगह के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली/कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि हैं तो कीड़ों की अवस्था क्या हैं? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनाये।
  • कीटनाशक या खरपतवारनाशक के छिड़काव के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें। (नेप्सेक स्प्रयेर से 450 लीटर/हे. या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर/हे. न्यूनतम)
  • किसी भी प्रकार कृषि–आदान ख़रीद करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बेच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखी हुई हो।

मुख्यमंत्री ने दिए आंकलन के निर्देश, इन तहसीलों को किया जा सकता है सूखा ग्रस्त घोषित

तहसीलों को सूखा ग्रस्त घोषित करने के लिए आंकलन

इस वर्ष कई राज्यों के जिलों में अतिवृष्टि के चलते फसलों को नुकसान हुआ है वहीं कई ज़िले ऐसे भी है जिनमें बहुत कम वर्षा हुई है, जिसके चलते किसान खरीफ फसलों की बुआई तक नहीं कर पाएँ हैं। इन राज्यों में झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल आदि शामिल हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के भी कई ज़िलों में बहुत कम वर्षा हुई है जिसको लेकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में औसत से कम बारिश वाली तहसीलों में फसलों की स्थिति का नजरी आकलन कराने के निर्देश दिए हैं। 

इस वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य के 9 जिलों की 28 तहसीलों में 01 अगस्त 2022 की स्थिति में 60 प्रतिशत से कम औसत वर्षा हुई है, इनमें 8 तहसीलें ऐसी हैं जहां 40 फीसद से भी कम बारिश हुई है। ऐसी तहसीलों में फसलों का नजरी आकलन कराकर सूखा घोषित करने हेतु नियमानुसार शासन को एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं।

किसानों को राहत पहुँचाने के लिए तैयार की जाएगी कार्य योजना

मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को औसत से कम बारिश वाली तहसीलों का राहत मैन्युअल 2022 के प्रावधान के अनुसार फसलों का राजस्व, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के माध्यम से नजरी आकलन कराने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि औसत से कम बारिश वाली 28 तहसीलों में राहत कार्य शुरू कराने के लिए तत्काल कार्य योजना भी तैयार की जाए।

इस वर्ष राज्य में मानसून के कमजोर पड़ने तथा राज्य के उत्तरी हिस्से के जिलों विशेषकर सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर में अल्पवर्षा के चलते खरीफ की बोनी एवं फसलों की स्थिति प्रभावित हुई है।

इन तहसीलों की किया जा सकता है सूखा ग्रस्त घोषित

सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरगुजा जिले की अम्बिकापुर, मैनपाट एवं सीतापुर, सूरजपुर जिले की लटोरी, बलरामपुर जिले की बलरामपुर, कुसमी एवं वाड्रफनगर, जशपुर जिले की दुलदुला, जशपुर, पत्थलगांव, सन्ना, कुनकुरी एवं कांसाबेल, रायपुर जिले की रायपुर एवं आरंग, कोरिया जिले की सोनहत, कोरबा जिले के दर्री, बेमेतरा जिले की बेरला तथा सुकमा जिले की गादीरास एवं कोण्टा तहसील में 60 प्रतिशत से कम बारिश हुई है, जबकि सरगुजा जिले की लुण्ड्रा, दरिमा, एवं बतौली, सूरजपुर जिले की प्रतापपुर एवं बिहारपुर तथा बलरामपुर जिले की शंकरगढ़, रामानुजगंज एवं राजपुर ऐसी तहसीलें हैं जहां चालू वर्षा मौसम में 01 अगस्त की स्थिति में 40 फीसद से कम बारिश दर्ज की गई है। 

मानसून पूर्वानुमान: जानिए अगस्त एवं सितम्बर महीने में कैसी होगी वर्षा

अगस्त-सितंबर महीने के लिए मानसून वर्षा का पूर्वानुमान

जुलाई महीने के समाप्त होते ही मानसून का आधा समय बीत गया है, अब मानसूनी बारिश के कुल दो माह शेष रह गए हैं। इस वर्ष अभी तक मानसूनी बारिश का वितरण देश भर में असामान्य रहा है। इस वर्ष जहाँ देश के दक्षिणी एवं पश्चिमी राज्यों में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई है तो वहीं देश के उत्तर एवं पूर्वी राज्यों में कम वर्षा के चलते सूखे की स्थिति बनी हुई है। इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने अगस्त एवं सितंबर महीने में मानसूनी वर्षा के लिए पूर्वानुमान जारी कर दिया है।

जारी किए गए पूर्वानुमान में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 2022 के दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन की दूसरी अवधि अगस्त से सितम्बर माह के दौरान सामान्य वर्षा की संभावना व्यक्त की है। मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान पूरे देश में बारिश सामान्य (दीर्घकालिक औसत एलपीए का 94 से 106 प्रतिशत) होने की संभावना है। जिसमें पश्चिमी तट, पश्चिम मध्य भारत और उत्तर पश्चिम भारत को छोड़कर दक्षिण भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। वहीं पश्चिमी तट के कई भागों और पूर्व मध्य, पूर्व तथा पूर्वोतर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से नीचे बारिश होने की सम्भावना है।

अगस्त महीने में किस राज्य में होगी कैसी बारिश

मौसम विभाग के अनुसार पूरे देश में 2022 अगस्त की औसत वर्षा सामान्य (एलपीए का 94 से 106%) होने की संभावना है। जिसमें वर्ष 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में अगस्त की वर्ष एलपीए 254.9 मिमी है। दक्षिण पूर्व भारत, उत्तर पश्चिम भारत और आसपास के पश्चिमी मध्य भारत और पूर्व मध्य, पूर्व तथा पूर्वोतर भारत के अनेक भागों में सामान्य से नीचे बारिश होने का अनुमान है।Rainfall monsoon forecast aAugust 2022

चित्र में दिखाए गए नीले रंग के अनुसार अगस्त महीने में तमिलनाडु, राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक के पूर्वी हिस्सों में, उत्तर प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं जम्मू एवं कश्मीर के अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। वहीं केरल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिमी कर्नाटक, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं उत्तर पूर्वी राज्यों में सामान्य से कम वर्षा होने की सम्भावना है। 

अगस्त-सितम्बर महीने में कहाँ होगी कैसी बारिश

मौसम विभाग के अनुसार पूरे देश में 2022 अगस्त की औसत वर्षा सामान्य (एलपीए का 94 से 106%) होने की संभावना है। जिसमें वर्ष 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में अगस्त की वर्ष एलपीए 422.8 मिमी है।

rainfall forecast august and september

इस दौरान देखें तो राज्यवार चित्र में दिखाए गए नीले रंगों के अनुसार तमिलनाडु, पूर्वी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान है। वहीं चित्र में दर्शाए गए लाल एवं पीले रंगो के अनुसार केरल, पश्चिमी कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, झारखंड के कुछ हिस्से एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज़िलों जम्मू कश्मीर एवं पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। 

कम वर्षा वाले क्षेत्रों में किसान धान की फसल छोड़ करें वैकल्पिक फसलों की खेती

कृषि विभाग का सुझाव वैकल्पिक खेती करें किसान

उत्तर भारत के कई राज्य अभी भी सूखे की चपेट में है जिसके कारण खरीफ फसलों की बुआई में काफी कमी आई है। मौजूदा समय में कई फसलों की बुवाई का समय पूरा हो चूका है तो कुछ फसलों के लिए एक सप्ताह और बचा है। इसको देखते हुए राज्य सरकारें किसानों को वैकल्पिक फसल अपनाने की सलाह दे रही है। जिसमें बिहार एवं झारखंड सरकार किसानों को धान की खेती छोड़ अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती करने की सलाह किसानों को दे रही है।

झारखंड में सूखे का असर बहुत ज़्यादा है, जुलाई के अंत तक राज्य में औसत वर्षा की 50 प्रतिशत ही वर्षा हुई है। ऐसे में राज्य में धान की बुवाई मात्र 15 प्रतिशत तक ही हो पाई है। हालांकि मक्का, दलहन तथा तिलहन फसलों की बुवाई संतोषजनक है। वैसे तो राज्य में धान की रोपाई 15 अगस्त तक की जा सकती है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि बचे हुए दिनों में वर्षा होने से धान बुवाई के लक्ष्य को 30 से 40 प्रतिशत तक ही हासिल किया जा सकता है।

वैकल्पिक फसल के तौर पर किसान इन फसलों को अपना सकते हैं 

झारखण्ड कृषि विभाग ने किसानों को मक्का, दलहन तथा तिलहन फसलों की बुवाई करने की सलाह दी है | तिलहन तथा मोटे अनाज के बीज की उपलब्धता के लिए भारत सरकार के माध्यम से राष्ट्रीय बीज निगम से बीज की माँग की जा रही है। किसानों को अल्प वृष्टि से राहत देने के लिए बीज अनुदान राशि को बढ़ाने का अनुरोध भी किया है, जिसके अनुसार बीजों पर किसानों को 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा सकता है। इसके अलावा पशुओं के चारे की बीज और चारे की उपलब्धता के लिए भी कार्य योजना पर विचार किया गया है |

सामूहिक खेती पर सरकार देगी 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी

सामूहिक खेती पर दी जाने वाली सब्सिडी

सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए देश भर में कई योजनाएँ चलाई जा रही है। इसमें प्रमुख है फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) का गठन करना। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) को सरकार द्वारा कई प्रकार की सब्सिडी एवं सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने किसानों के कल्याण एवं उनकी आमदनी को बढ़ाने के उद्देश्य से हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण का गठन किया है।

हरियाणा कृषि मंत्री श्री जेपी दलाल पीजीआईएमएस रोहतक के ऑडिटोरियम में आयोजित जय किसान कार्यक्रम में फसल विविधीकरण को अपनाकर उदाहरण प्रस्तुत करने वाले किसानों को सम्मानित करने के उपरांत उपस्थित लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने सामूहिक खेती पर दी जाने वाली सब्सिडी के साथ ही सरकार की अन्य योजनाओं के बारे में जानकारी दी। इसके अतिरिक्त फसल विविधिकरण करने वाले सफ़ल किसानों को सम्मानित किया। 

हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण क्या है?

कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने बताया कि किसान प्राधिकरण में राज्य के मंत्री, आईएएस अधिकारी व विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को शामिल किया गया है। प्राधिकरण में अलग–अलग फसलों के उत्पादन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 5 से 6 किसानों का एक ग्रुप बनाया जाएगा। इस प्रकार से लगभग 6–6 किसानों के अलग–अलग ग्रुप बनाए जाएंगे। यह किसानों के ग्रुप कृषि क्षेत्र में सुधार व आय बढ़ाने संबंधित सुझाव सरकार को देंगे और सरकार सुझाव को क्रियान्वित करने का काम करेगी।

सामूहिक खेती पर सरकार देगी 90 प्रतिशत की सब्सिडी

कृषि मंत्री ने किसानों से फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) का गठन करने का आह्वान करते हुए कहा कि सामूहिक खेती करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। सामूहिक खेती पर 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि एफपीओ के माध्यम से किसानों को तकनीकी, मार्केटिंग, ऋण, प्रोसेसिंग, सिंचाई आदि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। इस योजना के माध्यम से किसान ऋण भी ले सकते हैं।

किसानों को किया गया सम्मानित 

कृषि मंत्री जे.पी. दलाल ने परम्परागत खेती को छोड़कर फसल विविधिकरण करने वाले किसानों को सम्मानित किया। जिन किसानों को सम्मानित किया उसमें पलवल के श्यामसुंदर, फतेहाबाद के हरि समाधान, गुरुग्राम के अशोक कुमार, मेवात के जयदेव, हिसार के रामफल, झज्जर के नीतिन, कैथल के विजय शर्मा, नारनौल के अनिल कुमार, पानीपत के जसवीर सिंह, रोहतक के रामभज ढाका, रेवाड़ी के अनिल कुमार, सोनीपत के रवि कुमार, हिसार के शिव शंकर, पानीपत के रामप्रताप, कुरुक्षेत्र के कुसुम, झज्जर के जगपाल फोगाट, जींद के सुमेर सिंह, कुरुक्षेत्र के हरविंदर तथा पंचकूला के बलविंदर शामिल है |

पशुपालक किसान रहें सावधान, अभी पशुओं में तेज़ी से फैल रही है यह जानलेवा बीमारी

पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज

बारिश के मौसम में पशुओं को बहुत से संक्रामक रोग लगते हैं, जो काफ़ी तेज़ी से फैलते हैं। इनमें से कई रोगों का टीकाकरण सरकार द्वारा निःशुल्क पशुओं को लगाया जाता है, जिससे इन रोगों पर आसानी नियंत्रण पाया जा सकता है। पर कुछ रोग ऐसे भी हैं जिनके लिए अभी तक टीका नहीं बना है, ऐसे में यह रोग तेज़ी से फैलते हैं जिससे पशुपालक किसानों को काफ़ी नुकसान होता है। अभी एक ऐसा ही रोग देश के कई राज्यों में देखने को मिला है जो बहुत तेज़ी से फैल रहा है। जिसमें राजस्थान सहित तमिलनाडु, ओड़िशा, कर्नाटक, गुजरात, केरल, असम, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य शामिल है। इस रोग का नाम है लम्पी स्किन डिजीज 

राजस्थान के जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, जोधपुर, नागौर एवं बीकानेर जिलों में यह संक्रामक रोग गायों में तेज़ी से फैल रहा है। बीमार होने वाले पशुओं में से एक से डेढ़ प्रतिशत पशुओं की मौत हो रही है। इस परिस्थिति को देखते हुए राज्य के पशुपालन मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने रविवार को विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश के पश्चिमी जिलों के मवेशियों में फैल रही लम्पी स्किन डिजीज की स्थिति एवं रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की।

लम्पी स्किन डिजीज से पशुओं की हो रही है मौत 

यह रोग अभी मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, जोधपुर, नागौर,एवं बीकानेर जिलों में यह संक्रामक रोग गायों में फैल रहा है। जिसमें जोधपुर संभाग के पशुओं में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा है, हालांकि इसमें मृत्यु दर ज्यादा नहीं है। बीमार होने वाले पशुओं में से एक से डेढ़ प्रतिशत पशुओं की मौत हो रही है, जो काफी कमजोर और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले हैं।

सरकार ने पशुओं के ईलाज के लिए जारी की राशि

राजस्थान सरकार ने पशुओं के ईलाज के लिए प्रभावित प्रत्येक जिले को आपातकालीन जरूरी दवाएं खरीदने के लिए पहले ही एक-एक लाख रुपए और पॉली क्लीनिक को 50-50 हजार रुपए जारी किए गए हैं। साथ ही जिन जिलों में फंड की आवश्यकता है उन्हें अतिरिक्त राशि दी जाएगी। ज्यादा प्रभावित जिलों में स्टेट मेडिकल टीम और पड़ोसी जिलों से टीमें भेजी जाएगी। बीमारी की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए राज्य स्तर से नोडल अधिकारी भेजे जाएंगे।

कृषि मंत्री ने इस बीमारी की रोकथाम एवं उपचार के लिए आवश्यक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। साथ ही आपातकालीन परिस्थितियों में औषधियां क्रय करने के लिए आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त बजट आवंटन करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कहा कि प्रभावित जिलों में जहां पशु चिकित्सा कार्मिकों की कमी हो तो वहां रोग से कम प्रभावित पड़ोसी जिलों से चिकित्सा दल गठित कर भेजें। इसके अतिरिक्त निदेशालय स्तर से जिले के नोडल अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में दौरा कर निगरानी एवं प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए।

क्या है लम्पी स्किन डिजीज के लक्षण 

लम्पी स्किन डिजीज LSD या ढेलेदार त्वचा रोग एक वायरल रोग है, जो गाय-भैंसों को संक्रमित करती है। इस रोग में शरीर पर गाठें बनने लगती है, ख़ासकर सिर, गर्दन और जाननागों के आसपास। धीरे धीरे ये गाँठें बड़ी होने लगती है एवं घाव बन जाते हैं, पशुओं को तेज बुख़ार आ जाता है और दुधारू पशु दूध देना कम कर देते हैं। इस रोग से मादा पशुओं में गर्भपात भी देखने को मिलता है एवं कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है।

किसान इस तरह बचाएँ अपने पशुओं को रोग से

लम्पी स्किन डिजीज से बचाव के लिए पशु चिकित्सकों द्वारा लक्षण आधारित उपचार किया जा रहा है। साथ ही पशुपालकों को स्वस्थ पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधने, बुखार और गांठ आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर ईलाज कराने तथा अनावश्यक रूप से पशुओं का आवागमन नहीं कराने की सलाह दी गई है।

योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान खुद इस एप पर करें अपनी फसल की गिरदावरी

फसल गिरदावरी के लिए एप

देश में किसानों के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को भूमि एवं उसमें उपजाई जा रही फसल की जानकारी किसानों को देना होता है। अभी तक यह काम तहसील एवं पटवारियों के माध्यम से किया जाता था, जिसमें काफी समय लगता है। साथ ही कई बार ग़लत फसल या रक़बा दर्ज होने से किसान कई योजनाओं से वंचित रह जाते थे। इस समस्या के समाधान के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक एप बनाया है जिससे किसान स्वयं अपनी फसलों की गिरदावरी दर्ज करा सकते हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश और आत्म-निर्भर किसान के मंत्र पर राज्य सरकार ने एक और किसान हितैषी निर्णय लिया है। “मेरी गिरदावरी- मेरा अधिकार” में अब किसान निश्चिंत होकर अपनी फसल की जानकारी “MP KISAN App” के माध्यम से दर्ज कर सकेंगे। इस जानकारी का उपयोग कई योजनाओं में किया जाएगा।

किसानों को आसानी से मिलेगा इन योजनाओं का लाभ

किसानों के द्वारा दर्ज की गई जानकारी का उपयोग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल हानि आंकलन में, न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना, भावांतर योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और फसल ऋण एवं कृषि ऋण में किया जायेगा। साथ ही दर्ज की गई जानकारी का उपयोग अन्य कई योजनाओं में किया जा सकेगा। प्राकृतिक कारणों से फसलों के नुकसानी पर किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा राशि प्राप्त करने के लिए फसलों का गिरदावरी करना जरुरी रहता है। जिससे खेती तथा उसमें लगाई गई फसल की जानकारी प्राप्त होती है साथ ही फसल नुकसान होने पर उसका सही आंकलन किया जा सकता है। इस तरह किसान अपनी फसलों की गिरदावरी कर योजनाओं का लाभ आसानी से ले सकते हैं।

किसान कौन से एप से कर सकेंगे गिरदावरी

मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के किसान स्वयं अपने फसलों की गिरदावरी कर सकें इसके लिए “मेरी गिरदावरी- मेरा अधिकार” के तहत MP KISAN App विकसित किया है। इस एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। “मेरी गिरदावरी-मेरा अधिकार” में किसान को यह सुविधा उपलब्ध करवाई गई है कि वे अपने खेत से ही स्वयं फसल की जानकारी एमपी किसान एप पर दर्ज कर अपने आप को रजिस्टर सकते हैं। किसान इस एप पर 1 अगस्त 2022 से 15 अगस्त 2022 तक खरीफ फसलों का गिरदावरी करा सकते हैं |

MP KISAN App पर किसान कैसे करें गिरदावरी

किसान MP KISAN App पर किसान खुद से ई-गिरदावरी कर सकते हैं, इसके लिए किसानों को प्ले स्टोर से इस एप को डाउनलोड करना होगा। किसान को एप पर लॉगिन कर फसल स्व-घोषणा, दावा आपत्ति आप्शन पर क्लिक कर अपने खेत को जोड़ सकते हैं। खाता जोड़ने के लिए प्लस ऑप्शन पर क्लिक कर जिला/तहसील/ग्राम खसरा आदि का चयन कर एक या अधिक खातों को जोड़ा जा सकता है। खाता जोड़ने के बाद खाते के समस्त खसरा की जानकारी एप में उपलब्ध होगी। उपलब्ध खसरा की जानकारी में से किसी भी खसरे पर क्लिक करने पर एआई के माध्यम से जानकारी उपलब्ध होगी।

किसान के सहमत होने पर एक क्लिक से फसल की जानकारी को दर्ज की जा सकेगी | संभावित फसल की जानकारी से असहमत होने पर खेत में बोयी गई फसल की जानकारी खेत में उपस्थित होकर लाइव फोटो के साथ दर्ज की जा सकती है। जिसके बाद किसान के द्वारा दर्ज इस जानकारी का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं पटवारी से सत्यापन होगा।

फसल गिरदावरी करने हेतु MP Kisan APP डाउनलोड करने के लिये क्लिक करें