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शुक्रवार, अप्रैल 26, 2024
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कम वर्षा वाले क्षेत्रों में किसान धान की फसल छोड़ करें वैकल्पिक फसलों की खेती

कृषि विभाग का सुझाव वैकल्पिक खेती करें किसान

उत्तर भारत के कई राज्य अभी भी सूखे की चपेट में है जिसके कारण खरीफ फसलों की बुआई में काफी कमी आई है। मौजूदा समय में कई फसलों की बुवाई का समय पूरा हो चूका है तो कुछ फसलों के लिए एक सप्ताह और बचा है। इसको देखते हुए राज्य सरकारें किसानों को वैकल्पिक फसल अपनाने की सलाह दे रही है। जिसमें बिहार एवं झारखंड सरकार किसानों को धान की खेती छोड़ अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती करने की सलाह किसानों को दे रही है।

झारखंड में सूखे का असर बहुत ज़्यादा है, जुलाई के अंत तक राज्य में औसत वर्षा की 50 प्रतिशत ही वर्षा हुई है। ऐसे में राज्य में धान की बुवाई मात्र 15 प्रतिशत तक ही हो पाई है। हालांकि मक्का, दलहन तथा तिलहन फसलों की बुवाई संतोषजनक है। वैसे तो राज्य में धान की रोपाई 15 अगस्त तक की जा सकती है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि बचे हुए दिनों में वर्षा होने से धान बुवाई के लक्ष्य को 30 से 40 प्रतिशत तक ही हासिल किया जा सकता है।

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वैकल्पिक फसल के तौर पर किसान इन फसलों को अपना सकते हैं 

झारखण्ड कृषि विभाग ने किसानों को मक्का, दलहन तथा तिलहन फसलों की बुवाई करने की सलाह दी है | तिलहन तथा मोटे अनाज के बीज की उपलब्धता के लिए भारत सरकार के माध्यम से राष्ट्रीय बीज निगम से बीज की माँग की जा रही है। किसानों को अल्प वृष्टि से राहत देने के लिए बीज अनुदान राशि को बढ़ाने का अनुरोध भी किया है, जिसके अनुसार बीजों पर किसानों को 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा सकता है। इसके अलावा पशुओं के चारे की बीज और चारे की उपलब्धता के लिए भी कार्य योजना पर विचार किया गया है |

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