अधिक पैदावार के लिए सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह

सोयाबीन की बुआई के लिए वैज्ञानिकों की सलाह

देश में अभी खरीफ फसलों की बुआई का समय चल रहा है, खरीफ फसलों में सोयाबीन एक प्रमुख फसल है | पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के चलते सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है ऐसे में जरुरी है कि किसान इस वर्ष सावधानीपूर्वक वैज्ञानिक तरीके से ही सोयाबीन की खेती करें | सोयाबीन की खेती के लिए किसान किस तरह तैयारी करें एवं बुआई के बाद क्या करें इसको लेकर भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान इंदौर के द्वारा सलाह जारी की है |

सोयाबीन की बुआई की तैयारी इस तरह करें

किसान सोयाबीन की खेती के लिए इन विशेषताओं (उत्पादन क्षमता, पकने की अवधि तथा जैविक कारकों के लिए प्रतिरोधक क्षमता) के आधार पर विभिन्न समयावधि में पकने वाली अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित 2 से 3 किस्मों का चयन करें | प्रत्यके 3 वर्ष में एक बार जमींन की गहरी जुताई करने की अनुशंसा है | इस वर्ष यदि गहरी जुताई नहीं करनी हो, विपरीत दिशाओं में दो बार बक्खर चलाकर खेत को बोवनी हेतु तैयार करें |

सलाह है कि 4 से 5 वर्ष में एक बार अपने खेत में 10 मीटर के अंतराल पर आड़ी एवं खड़ी दिशा में सब–साईलर चलायें | इससे अधोभूमि की कठोर परत को तोड़ने में सहायता मिलती है जिससे जमीन में नमी का अधिक से अधिक संचयन होता है व सूखे की स्थिति में फसल को सहायता मिलती है |

बुआई एवं बखरनी

अंतिम बखरनी के पूर्व पूर्णत: पकी हुई गोबर की खाद की अनुशंसित मात्रा (5 से 10 टन/है.) या मुर्गी की खाद 2.5 टन प्रति है. की दर से फैला दें | सोयाबीन की बुआई बी.बी.एफ. पद्धति या रिज एवं फरो पद्धति से करें | इससे अतिरिक्त पानी का निकास व जल संचय न होने से सूखे की स्थिति में लाभ मिलता है | न्यूनतम 4 इंची वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बोवनी करें जिससे उगी हुई फसल को कम नमी के कारण किसी प्रकार का कोई नुक्सान नहीं हो |

सोयाबीन की बुआई के लिए बीज दर

सोयाबीन की बोवनी हेतु अपने पास उपलब्ध बीज के न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के अनुसार बीज दर का प्रयोग करें | जैसे कि 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 70 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तथा 65, 60, 55 या 50 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 18 इंच कतारों की दुरी रखते हुए 75, 80, 90 या 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बीज दर का उपयोग करें |

सोयाबीन में बुआई के समय कितनी खाद डालें

फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (20:60:40:20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व सल्फर) की पूर्ति केवल बोवनी के समय चयन उर्वरकों के विभिन्न श्रोतों जैसे 56 किलोग्राम यूरिया + 375 किलोग्राम सुपर फास्फेट व 67 किलोग्राम म्यूरेट आँफ पोटाश अथवा 125 किलोग्राम डी.ए.पी. + 67 किलोग्राम म्यूरेट आँफ पोटाश + सल्फर अथवा 200 किलोग्राम या मिश्रित उर्वरक 12:32:16 + सल्फर की सम्पूर्ण मात्रा का उपयोग केवल सोयाबीन की बोवनी से पहले फैलाकर बोवनी करें |

कीट एवं रोगों से बचाव के लिए क्या करें

प्रारंभिक अवस्था में रोग तथा कीटों से बचाव के साथ–साथ उपयुक्त पौध संख्या सुनिश्चित करने हेतु सोयाबीन में बीजोपचार अत्यंत आवश्यक हैं, इसके लिए अनुशंसा हैं कि सर्वप्रथम बीज को अनुशंसित पूर्व मिश्रित फफूंदनाशक थायोफिनेट मिथाईल + पायरोक्लोस्ट्रोबीन अथवा पेनफ्लूफेन + ट्रायफ्लोकिसस्ट्रोबीन 38 एफ.एस. (1 मि.ली. . किलोग्राम बीज) अथवा कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरस 37.5% (3 किलोग्राम प्रति बीज) अथवा थाइरस (2 ग्राम) एवं कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित कर थोड़ी देर छाया में सुखाएं | तत्पश्चात अनुशंसित कीटनाशक थायामिक्स्म 30 एफ.एस. (10 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज) अथवा इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मिली. प्रति किलोग्राम बीज) से भी उपचारित करें | यह भी अनुशंसा है कि अनुशंसित फफूंदनाशक व कीटनाशक से बीजोपचार के पश्चात् अनुशंसित जेविक कल्चर ब्रेडिराय्जोबियम + पी.एस.एम. (प्रत्येक 5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से) करें |

इनमे से फफूंदनाशक व कीटनाशक से बीजोपचार बोवनी के पूर्व भी किया जा सकता हैं जबकि जैविक कल्चर से टीकाकरण केवल बोवनी के समय ही किये जाने की अनुशंसा हैं | कृषकगण रसायनिकी फफूंदनाशक के स्थान पर जैविक फफूंदनाशक ट्रायकोडर्मा (10 ग्राम/किलोग्राम बीज) का भी उपयोग कर सकते है जिसको जैविक कल्चर के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है |

सफेद सुंडी (वाइट ग्रब) के प्रयोग से सुरक्षित करने हेतु कीटनाशक विशेषकर इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मि.ली. / किलोग्राम बीज) से उपचारित करने से पौधों की जड़ों का नुकसान कम किया जा सकता है | इसके बाद प्रकाश प्रपंच लगाकर सफेद सुंडी के नर वयस्कों को आकर्षित कर नष्ट करें |

सोयाबीन में इन दवाओं से करें खरपतवार नियंत्रण

सोयाबीन की फसल में खरपतवार को रोकने के लिए खरपतवारनाशी का प्रयोग करना चाहिए | खरपतवारनाशी को रोकने के लिए बुवाई से पहले तथा बुवाई के बाद दोनों प्रकार के दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

बौवनी पूर्व उपयोगी (पीपीआई) : – बुवाई से पहले सोयाबीन की खेत में खरपतवार रोकने के लिए पेंडीमिथालीन + इमेझेथापायर की 2.5 से 3 लीटर मात्रा प्रति हैक्टेयर उपयोग कर सकते हैं |

बौवनी के तुरंत बाद (पीई) :- बुवाई के बाद सोयाबीन के खेत से खरपतवार रोकने के लिए निम्नलिखित दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

  • डायक्लोसुलम 84 डब्ल्यू.डी.पी. (26 ग्राम)/हैक्टेयर
  • सल्फेंट्राझोन 48 एस.सी. (0.75 ली.)/हैक्टेयर
  • क्लोमोझोम 50 ई.सी. (2.00 ली.)/हैक्टेयर
  • पेंडीमिथालीन 30 ई.सी. (3.25 ली.)/हैक्टेयर
  • पेंडीमिथालीन 38.7 सी.एस. (1.5 से 1.75 किलोग्राम)/हैक्टेयर
  • फ्लूमिआक्साझिन 50 एस.सी. (0.25 ली.)/हैक्टेयर
  • मेटालोक्लोर 50 ई.सी. (2 ली.)/हैक्टेयर
  • मेट्रीब्युझिन 70 डब्ल्यू.पी. (0.75 से 1 किलोग्राम)/हैक्टेयर
  • सल्फेन्ट्राझोन + क्लोमोझोन (1.25 ली.)/हैक्टेयर
  • पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यू.जी. (150 ग्राम)/हैक्टेयर 

80 प्रतिशत की सब्सिडी पर कृषि यंत्र बैंक की स्थापना के लिए आवेदन करें

फार्म मशीनरी बैंक स्थापना हेतु अनुदान

देश में सभी किसानों तक कृषि यन्त्र आसानी से उपलब्ध किये जा सके इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही हैं | इन योजनाओं के तहत किसान सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीद सकते हैं | केंद्र सरकार इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर कृषि यंत्र बैंक (कस्टम हायरिंग सेण्टर) की स्थपना कर रही है | इसके लिए राज्य तथा केंद्र सरकार दोनों मिलकर किसानों को सब्सिडी देती है | उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु आवेदन आमंत्रित किये हैं |

फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु प्रमोशन आँफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इन–सीटू मैनेजमेंट आँफ क्रांप रेज्डयू योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन हेतु उपयोगी कृषि यन्त्र पर किसानों को सब्सिडी दी जाएगी |

80 प्रतिशत की सब्सिडी पर किसान कौन से कृषि यंत्र ले सकते हैं?

उत्तरप्रदेश के किसान फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत ट्रेक्टर एवं ट्रेक्टर चालित कृषि यंत्र सब्सिडी पर खरीद सकते हैं | इसके अलावा कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इन सीटू योजना के तहत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु पैडी स्ट्राचापर, श्रेडर, मल्चर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, हाइड्रोलिक रिवर्सेबल एम.बी. पलाऊ, सुपर सीडर, बेलर, सुपर स्ट्रा, मैनेजमेंट सिस्टम, जरो टिल सीड कम फर्टीड्रिल, हैप्पी सीडर, स्ट्रा रेक, क्रांप रीपर व रीपर क्म्बांडर इत्यादि दिया जायेगा | यह सभी कृषि यंत्र ट्रेक्टर ट्रेक्टर की मदद से संचालित किये जाते हैं |

योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान

इन सीटू योजना के अंतर्गत किसानों को लागत का 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है | सरकार ने 5 लाख रूपये से लेकर 15 लाख रूपये तक के लागत वाले कृषि यंत्रों पर किसानों को 80 प्रतिशत तक कि सब्सिडी दी जाएगी | डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि इन-सीटू योजना के तहत 5 लाख रुपये तक के कृषि यंत्र के क्रय हेतु कुल मूल्य के 80 प्रतिशत अर्थात 4 लाख रुपये का भुगतान कृषि विभाग द्वारा अग्रिम तौर पर ऑनलाइन सम्बंधित समितियों एवं ग्राम पंचायतों के खाते में उपलब्ध करवाया जायेगा | रुपये 5 लाख से 15 लाख तक के कृषि यंत्रों की खरीद हेतु कोई अग्रिम धनराशि नहीं दी जाएगी | सम्बंधित संस्था को स्वयं निजी बजट से यंत्रों को खरीदना होगा |

आवेदन के लिए यह सभी दस्तावेज साथ रखें

कृषि यंत्र पर अनुदान पाने के लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करना होगा | इसके लिए किसानों के पास पहले से कुछ दस्तावेज होना चाहिए |

  • आधार कार्ड – लाभार्थी की पहचान हेतु
  • खतौनी (भूमि की पहचान हेतु )
  • बैंक पास बुक का पहला पन्ना जिस पर लाभार्थी का विवरण हो (लाभ सीधे खाते में पहुँचाया जायेगा)

किसान आवेदन कहाँ से करें ?

किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार दिए गए कृषि यंत्रों/ फार्म मशीनरी बैंक में से कोई भी कृषि यंत्र विभागीय वेबसाइट पारदर्शी किसान सेवा योजना पोर्टल www. upagriculture.com पर पंजीकरण कर टोकन निकाल सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए किसान पाने जिले या ब्लॉक के कृषि विभाग में सम्पर्क करें |

90 प्रतिशत की सब्सिडी पर कुक्कुट पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए आवेदन करें

कुक्कुट पालन Poultry Farming पर अनुदान हेतु आवेदन

किसानों के लिए कृषि के अलावा अतिरिक्त आमदनी के लिए पशुपालन या कुक्कुट पालन बेहतर जरिया है | इससे किसानों को प्रतिदिन कुछ अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की जा सकती है | किसानों की आय बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन हेतु सरकारों द्वारा पशुपालन, मुर्गीपालन आदि के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है | जिनमें अपने घर में खाली स्थान पर पशु-पक्षी पालन पर अनुदान दिया जाता है, जिससे कम लागत में अधिक आय प्राप्त की जा सके | छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना के तहत आवेदन मांगे गए हैं |

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुक्कुट पालन व्यवसाय के लिए अधिकतम 90 प्रतिशत तक अनुदान दिए जाने का प्रावधान बैकयार्ड कुक्कुट, बत्तख या बटेर पालन योजना के अंतर्गत है। राज्य के पशुधन विकास विभाग द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना संचालित की जा रही है | इच्छुक व्यक्ति अपने आवास में ही छोटे स्थान पर या बाड़े में इन पक्षियों का पालन करने के लिए आवेदन कर सकते हैं |

बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना पर हितग्राहियों को दिया जाने वाला अनुदान

कुक्कुट, बत्तख या बटेर के चूजे के लिए राज्य सरकार सब्सिडी दे रही है | सामान्य वर्ग के लिए लागत का 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत कि सब्सिडी लाभार्थियों को दी जाएगी | पशुधन विभाग ने 28 दिवसीय 45 कुक्कुट / बत्तख के चूजे अथवा 80 बटेर के चूजे के लिए 3,000 रूपये की लागत तय की है | जिसपर सामान्य वर्ग को 75 प्रतिशत यानि 2,250 रूपये और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत यानि 27,00 रूपये अनुदान के रूप में दिए जाएंगे |

योजना का लक्ष्य कितना है ?

कुक्कुट पालन योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य सरकार राज्य के हितग्राहियों को 5 करोड़ 17 लाख रूपये की राशि को अनुदान के रूप में दिये जाने का प्रावधान किया है | योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 15 हजार तथा सामान्य वर्ग के 5 हजार लोगों को लाभान्वित किया जायेगा | इस प्रकार राज्य में 20 हजार लोगों को लाभान्वित किया जायेगा |

बैकयार्ड कुक्कुट पालन हेतु आवास पर सब्सिडी

बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना अंतर्गत पक्षियों के पालन –पोषण, रख–रखाव तथा आवास व्यवस्था हेतु पृथक से किसी राशि की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए आवास के लिए किसी प्रकार का पैसा नहीं दिया जायेगा | हितग्राही कुक्कुट पालन को घर पर ही करना होगा |

बैकयार्ड कुक्कुट पालन से होने वाली आय ( Backyard Poultry Farming Income)

राज्य के पशुपालन विभाग के अनुसार हितग्राहियों को 28 दिवसीय 45 कुक्कुट/बतख चूजे अथवा 80 बटेर चूजे प्रदाय किये जाते हैं। दिए जाने वाले चूजों से 5 माह पश्चात औसतन 10 से 12 अण्डे प्रतिदिन उत्पादित होते हैं, जो लगभग 10 रूपए प्रति नग के हिसाब से विक्रय किये जाते हैं। इसी तरह 3 माह की उम्र में पक्षियों का औसत वजन लगभग दो से ढाई किलोग्राम का हो जाता है जो 700 से 800 रुपये किलो की दर से विक्रय किया जाता है।

बेचने के लिए मार्किट Market कहाँ मिलेगा ?

वर्तमान में आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में स्व-सहायता समूहों को बैकयार्ड कुक्कुट इकाई योजना से लाभान्वित किया जा रहा है, जिससे इन समूहों द्वारा अण्डों का उत्पादन अच्छा-खासा मुनाफा होने लगा है। बैकयार्ड कुक्कुट इकाई में उत्पादित अण्डो की आपूर्ति आंगनबाड़ी केन्द्रों में होने से हितग्राहियों को इसकी मार्केटिंग की समस्या नहीं आती है।

योजना का लाभ कहाँ से मिलेगा ?

यह योजना छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के लिए लागू की गई | इसका लाभ लेने के लिए हितग्राही अपने नजदीकी पशु चिकित्सक संस्था से संपर्क स्थापित कर के आवेदन कर सकते हैं |

 

सब्सिडी पर आम की बागवानी और वाक इन टनल विथ सीडलिंग ट्रे खेती के लिए आवेदन करें

आम की बागवानी और वाक इन टनल विथ सीडलिंग ट्रे अनुदान हेतु आवेदन

किसानों की आमदनी दुगना करने के लिए बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है इसके लिए कई योजनाओ का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इसके तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए फलदार वृक्षों, फूलों की खेती, सब्जी फसलें आदि पर सब्सिडी दी जाती है | मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में फल क्षेत्र विस्तार तथा promotion of plug type seeding production at farmers field को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहन के रूप में सब्सिडी उपलब्ध करा रही है | इसके लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गये हैं |

फल क्षेत्र विस्तार (राज्य) योजना

राज्य में बागवानी के विस्तार के लिए सरकार ने आम की फसल के लिए प्रोत्साहन दे रही है | यह योजना आम की तोतापरी किस्म को बढ़ाबा देने के लिए चलाई जा रही है | योजना के तहत किसानों को तोतापरी किस्म की उच्च घनत्व पर बागवानी पर अनुदान दिया जायेगा |

यह किसान कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन

यह योजना मध्य प्रदेश के 3 जिलों के किसानों से आनलाइन आवेदन माँगा गया है | मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, हरदा तथा बैतूल जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | इस योजना के लिए राज्य उधानकी विभाग ने लक्ष्य जारी किए है | इस बार आम की बागवानी के लिए 148 एकड़ के लिए 63.94 लाख रूपये का लक्ष्य रखा है | जिले के अनुसार सामान्य, अनुसूचित तथा अनुसूचित जनजाति के लिए अलग – अलग लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं |

होशंगाबाद :- जिले में आम की बागवानी के लिए लिए कुल 59 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है | इसके लिए 25.49 लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी | योजना के तहत सामान्य वर्ग के लिए 39 एकड़, अनुसूचित जाति के लिए 10 एकड़, अनुसूचित जनजाति के लिए 10 एकड़ का लक्ष्य रखा है |

हरदा :- जिले में आम की बागवानी के लिए कुल 35 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है | इसके लिए 15.12 लाख रूपये की सब्सिडी दिया जा रहा है | योजना के तहत सामान्य वर्ग के लिए 20 एकड़, अनुसूचित जाति के लिए 10 एकड़, अनुसूचित जनजाति के लिए 5 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है |

बैतूल :- जिले में आम की खेती के लिए 54 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है | इसके लिए 23.33 लाख रूपये का सब्सिडी दिया जा रहा है | योजना के तहत सामान्य वर्ग के लिए 35 एकड़, अनुसूचित जाति के लिए 4 एकड़, अनुसूचित जनजाति के लिए 15 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है |

वाँक इन टनल विथ सीडलिंग ट्रे योजना

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना – रफ्तार के अंतर्गत वर्ष 2021–22 में promotion of plug type seeding production at farmers field के लिए मध्य प्रदेश के 10 जिलों से आवेदन मांगे गये हैं | राज्य के धार, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, बड़वानी, देवास तथा दमोह जिला के किसान आनलाइन आवेदन मांगे गये हैं |

किसानों को कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

walk in tunnels कि स्थापना पर इकाई लगत का 50 प्रतिशत सब्सिडी हितग्राही को दी जाएगी | walk in tunnels की स्थापना हेतु 500 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए इकाई लागत 3 लाख रुपये रखी गई है | इस पर 50 प्रतिशत यानि 1.50 लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

इसके अलावा plug types seeding के उत्पादन हेतु 1000 सीडलिंग ट्रे (tray) के लिए इकाई लगत 50,000 रुपया रखा गया है | इस पर 25 प्रतिशत की सब्सिडी दिया जायेगा जो अधिकतम 12,500 रुपया होगा | इस प्रकार दोनों को मिलाकर कुल 1.625 लाख रूपये की सब्सिडी रखा गया है |

किसान कब आवेदन कर सकते हैं ?

राज्य में दो योजनाओं के लिए आवेदन मांगे गये हैं | इन दोनों योजनाओं के लिए किसान 23/06/2021 को दिन में 11:00 बजे से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक लिए जाएंगे | योजना के अनुसार जो लक्ष्य दिया गया है उससे 10 प्रतिशत अधिक लक्ष्य स्वीकार किया जायेगा | आवेदन के लिए किसान के पास विभिन्न प्रकार के दस्तावेज होना चाहिए:-

  • आधार कार्ड,
  • फोटो खसरा नम्बर बी1,
  • बैंक बुक के प्रथम पृष्ट के छाया प्रति,
  • जाति प्रमाण पत्र (सामान्य वर्ग को छोड़कर)

सब्सिडी के लिए आवेदन कहाँ करें ?

दी गई सभी सामग्री के लिए आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं |

 

2 हजार एकड़ में सुगंधित फसलों की खेती योजना से किसानों की होगी लाखों में कमाई

सुगंधित फसलों की खेती से किसानों की होगी लाखों में कमाई

देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा फसल विविधिकरण को अपनाया जा रहा है | इसमें अलग-अलग जिलों का चयन कर वहां की जलवायु के अनुसार कुछ खास बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है | बागवानी एवं नगदी फसलों से किसानों की आय में तो वृद्धि होती है साथ ही वहां इनके उत्पाद तैयार करने के लिए कम्पनी भी लगाना आसान होता है जिससे किसानों को उपज बेचने में आसानी तो होती ही है साथ ही जिले में रोजगार में भी वृद्धि होती है |

इसको ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कोण्डागांव जिले में सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए लगभग 20 करोड़ रूपए की लागत की ‘सुगंधित कोण्डानार‘ (एरोमेटिक कोण्डानार) परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया।  

लेमन ग्रास, पामारोजा, पचौली, मुनगा, अमाड़ी, वैटीवर, तुलसी की होगी खेती

इस परियोजना में कोण्डागांव जिले में 2 हजार एकड़ भूमि पर सुगंधित फसलों की खेती की जाएगी। इस परियोजना के तहत् किसानों के समूह एरोमा हब द्वारा सुगंधित फसलों की सात प्रजातियों लेमन ग्रास, पामारोजा, पचौली, मुनगा, अमाड़ी, वैटीवर, तुलसी की खेती की जाएगी। सुगंधित फसलों को प्रोसेसिंग के लिए कोण्डागांव में स्थापित होने वाली प्रसंस्करण इकाई में भेजा जाएगा। इस परियोजना से जुड़े किसानों को प्रति एकड़ सालाना लगभग एक लाख रूपए की आमदनी होगी।

20 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान

इस परियोजना के लिए चिन्हित की गई भूमि में वन विभाग की 1 हजार 575 एकड़ जमीन और 425 एकड़ भूमि व्यक्तिगत जमीन शामिल है। सुगंधित फसलों की कृषि के तहत् 200 परिवार प्रत्यक्ष रूप से और 750 परिवार परोक्ष रूप से लाभांवित होंगे। परियोजना में पहले ही वर्ष में 20 करोड़ रूपये की आय अनुमानित है और बाद के वर्षों में इसमें निरंतर बढ़ोत्तरी भी होती जाएगी।

लगाई जाएगी इंटरक्रॉप फसलें

इन सुगंधित फसलों के बीच काजू, नारियल, लीची, कस्टर्ड सेब इंटरक्राप पेटर्न में उगाया जाएगा। सुगंधित फसलों के प्रसंस्करण से एसेंशियन ऑयल तैयार करने के लिए प्रसंस्करण यूनिट कोण्डागांव में लगाई जाएगी। इसके लिए कार्यक्रम के दौरान ही सन फ्लेक एग्रो प्रायवेट लिमिटेड और कोण्डागांव जिला प्रशासन के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस प्रसंस्करण प्लांट की क्षमता 5 हजार मेट्रिक टन होगी, जिसमें 250 लोगों को रोजगार मिलेगा।

सब्सिडी पर पाइप लाइन सेट, स्प्रिंकलर सेट एवं विद्युत पम्प सेट लेने के लिए आवेदन करें

पाइप लाइन सेट, स्प्रिंकलर सेट एवं विद्युत पम्प सेट अनुदान हेतु आवेदन

कृषि में उत्पदान एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए सिंचाई यंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है | इसको ध्यान में रख कर जहाँ सरकार सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने का प्रयास कर रही है वहीँ किसानों को सिंचाई यंत्रो पर अनुदान देकर प्रोत्साहन भी दे रही है | जिससे सभी किसान इनका उपयोग कर फसल उत्पादन बढ़ा सकें |

किसानों को सिंचाई यंत्रों (पाइपलाइन,स्प्रिंकलर सेट, विद्युत पम्प सेट) पर अनुदान देने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा समय-समय पर आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं | चयन हो जाने पर किसानों को इन यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है | अभी मध्यप्रदेश सरकार के कृषि विभाग द्वारा नेशनल फूड सिक्यूरिटी मिशन (NFSM) एवं बुंदेलखंड विशेष पैकेज के तहत किसानों से आवेदन मांगे गए हैं | इच्छुक किसान आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं |

यह सिंचाई यंत्र सब्सिडी पर लेने हेतु किसान कर सकते हैं आवेदन

किसान इन योजना के तहत कर सकते हैं आवेदन

बुंदेलखंड विशेष पैकेज योजना-दलहन के अंतर्गत 6 जिलों (सागर, दमोह ,पन्ना छतरपुर ,टीकमगढ़ ,निवाड़ी ) में सिंचाई उपकरण (पाइपलाइन ,स्प्रिंकलर ,विद्युत पम्प सेट) के तहत आवेदन कर सकते हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (दलहन), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन एवं ऑइल पाम) के अंतर्गत सभी जिलों में  (पाइपलाइन सेट , स्प्रिंकलर सेट , विद्युत पम्प सेट) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (धान) के अंतर्गत 8 जिलों (कटनी , मंडला , डिंडोरी , दमोह , पन्ना , रीवा , सीधी , अनूपपुर) में (पाइपलाइन सेट , विद्युत पम्प सेट) के लिए  किसान आवेदन कर सकते हैं |

सिंचाई उपकरणों पर दी जाने वाली सब्सिडी

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) तिलहन योजना एवं राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन वर्ष 2020-21- इस योजना के तहत किसानों को पाइप लाइन सेट 50 प्रतिशत अनुदान पर, पम्प सेट पर 50 प्रतिशत का अनुदान, स्प्रिंकलर सेट पर लघु/सीमांत कृषक – समस्त वर्ग के लघु/सीमांत कृषको हेतु इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान देय हैं | अन्य कृषक – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान देय हैं | इसके अतिरिक्त किसान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर भी दी जाने वाली सब्सिडी एवं कृषक अंश की जानकारी भी देख सकते हैं |

सिंचाई यंत्र अनुदान पर लेने हेतु किसान कब कर सकेगें आवेदन

राज्य के किसान योजना के तहत जारी जिलेवार लक्ष्यों के तहत दिनांक 22 जून 2021 दोपहर 12 बजे से 04 जुलाई 2021 तक पोर्टल पर अपने आवेदन प्रस्तुत कर सकेंगे। प्राप्त आवेदनों में से लक्ष्यों के विरूद्ध लॉटरी दिनांक 05 जुलाई 2021 को सम्पादित की जायेगी। लॉटरी में चयनित कृषकों की सूची एवं प्रतीक्षा सूची दोपहर 05 बजे पोर्टल पर प्रदर्शित की जायेगी | चयनित किसान दिए गए सिंचाई उपकरण अनुदान पर ले सकते हैं |

सिंचाई यंत्र आवेदन करते समय यह दस्तावेज साथ रखें

  • आधार कार्ड की कॉपी
  • बैंक पासबुक के प्रथम प्रष्ठ की कॉपी
  • जाति प्रमाण पत्र ( केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कृषकों हेतु )
  • बिजली कनेक्शन का प्रमाण जैसे बिल सिंचाई यंत्र

सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आवेदन

मध्यप्रदेश के किसान दिए गए सिंचाई यंत्रों हेतु ऑनलाइन आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | किसान मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे। आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी (OTP) प्राप्त होगा। इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे। पोर्टल अंतर्गत आगे सम्पादित होने वाली सभी प्रक्रियाओं में भी बायोमेट्रिक के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू होगी।

पाइपलाइन सेट, स्प्रिंकलर सेट एवं विद्युत पम्प सेट सब्सिडी पर लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

पालीहाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, ग्रीन हॉउस एवं फूलों की खेती पर सब्सिडी के लिए आवेदन करें

ग्रीन हॉउस, पालीहाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग पर अनुदान हेतु आवेदन

जलवायु परिवर्तन का असर खेती पर साफ तरीके से देखा जा सकता है | हर सीजन में कोई न कोई फसल पर प्राकृतिक आपदा का शिकार बन रही है जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है | इसके अतिरिक्त कई बागवानी फसलों का उत्पादन सभी जगह की जलवायु में नहीं किया जा सकता है | इन सभी परिस्थितयों को देखते हुए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें सरंक्षित खेती को बढ़ावा दे रही है जिसके तहत सरकार किसानों को पाली हाउस खेती, प्लास्टिक मल्चिंग, शेड-नेट हाउस, ग्रीन हाउस एवं फूल फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान दे रही है |

संरक्षित खेती के तहत विभिन्न प्रकार के घटकों को सम्मिलित किया गया है | इन घटकों के तहत अलग-अलग लक्ष्य जारी कर किसानों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं | इन सभी योजनाओं पर किसानों को सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाएगी | राज्य के किसान सब्सिडी पर खेती के लिए इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं |

योजना के तहत किसानों को क्या दिया जा रहा है ?

मध्य प्रदेश के किसान संरक्षित खेती योजना के तहत विभिन्न प्रकार के घटकों के लिए आवेदन कर सकते हैं | किसान इन सभी में से किसी एक योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं | यह इस प्रकार है :-

  • शेड नेट हॉउस – ट्यूब्लर स्ट्रक्चर
  • उच्च कोटि की सब्जियों की खेती – पाली हॉउस / शेडनेट हॉउस
  • प्लास्टिक मल्चिंग
  • ग्रीन हॉउस ढांचा (ट्यूब्लर स्ट्रक्चर) – 2080 से 4000 वर्ग मीटर तक
  • क्राईसंथेमम, गुलाब और लिली की खेती – पाली हाउस / शेडनेट हॉउस

हितग्राही को कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

राज्य में सभी वर्ग के किसानों को “सरंक्षित खेती योजना” के तहत पाली हाउस खेती, प्लास्टिक मल्चिंग, शेड-नेट हाउस, ग्रीन हाउस एवं फूल फलों की खेती आदि घटकों पर लागत का 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है |

किसान कब कर सकते हैं आवेदन ?

ऊपर दिये गये सभी प्रकार के घटकों के लिए आवेदन 22 जून 2021 से शुरू हो किये जा रहे हैं | इसके किसान 22 जून के दिन में 11:00 बजे से आनलाइन आवेदन कर सकते हैं | वहीँ कुछ जिलों (कटनी, बालाघाट एवं शिवपुरी) जिलों के किसान 21 जून के दिन शेडनेट हाउस के लिए आवेदन कर सकते हैं | उपरोक्त दर्शाए गये लक्ष्यों के संबंध में जिलो को आवंटित लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक तक आवेदन किया जा सकेगा |

अभी किन जिलों के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किये गए हैं ?

मध्य प्रदेश में संरक्षित खेती योजना के तहत विभिन्न प्रकार के घटकों के लिए आवेदन मांगे गये हैं | योजना के तहत राज्य के 13 जिलों के किसानों से आवेदन कर सकते हैं | यह जिले इस प्रकार है :- खरगौन, रतलाम, गुना, ग्वालियर, देवास, बलाघाट, धार, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, अनुपपुर, कटनी |

हितग्राही की पात्रता क्या है ?

मध्यप्रदेश के 13 जिलों के कसन संरक्षित खेती के लिए आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए सरकार ने कुछ नियम बनाएं हैं जो इस प्रकार है :-

  • कृषक व्यस्क एवं भूस्वामी होना आवश्यक है |
  • कृषक के पास निश्चित सिंचाई स्रोत एवं साधन उपलब्ध होना चाहिए |
  • कृषक के नाम का प्रस्ताव / अनुमोदन ग्राम सभा / जनपद / जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति से प्राप्त किया जावेगा |
  • कृषक को अपने हिस्से की अंश पूंजी की व्यवस्था स्वयं अथवा बैंक ऋण के माध्यम से करनी होगी | बैंक ऋण से स्वीकृत प्रकरणों को प्राथमिकता दी जाएगी |
  • योजना के तहत एक परिवार से एक ही सदस्य को लाभ दिया जाएगा |

आवेदन कहाँ से आवेदन कर सकते हैं ?

राज्य के 12 जिलों के किसान 22 जून 2021 को दिन में 11:00 बजे से आवेदन कर सकते हैं आवेदन के लिए किसान के पास विभिन्न प्रकार के दस्तावेज होना चाहिए |

  • आधार कार्ड
  • फोटो
  • खसरा नम्बर बी1/
  • बैंक बुक के प्रथम पृष्ट के छाया प्रति
  • जाति प्रमाण पत्र (सामान्य वर्ग को छोड़कर)

सब्सिडी के लिए आवेदन कहाँ करें ?

दी गई सभी सामग्री के लिए आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं |

पालीहाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, ग्रीन हॉउस पर सब्सिडी हेतु आवेदन करें

2 लाख से अधिक किसानों का किया गया कर्ज माफ

किसान कर्ज माफी योजना

कोविड काल में किसानों का बकाया ऋण माफ़ हो इससे अच्छा ओर क्या हो सकता है | खरीफ फसल की बुवाई के साथ ही किसानों के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर आ रही है | मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ राज्यों में की गई किसान कर्ज माफ़ी के बाद अब झारखण्ड सरकार भी किसानों के कर्ज माफ़ कर रही है | झारखंड सरकार द्वारा राज्य के किसानों का 50 हजार रूपये तक के अल्पकालीन कृषि ऋण माफ किये जा रहे हैं|

राज्य के मुख्यमंत्री ने इस वर्ष के बजट में फसली ऋण माफ़ी के लिए 2,000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था | राज्य सरकार ने अपने वायदे के अनुसार किसानों का कृषि लोन माफ़ कर रही है | चुनावी घोषणा में ही किसानों की कृषि ऋण माफ़ी का ऐलान किया गया था |

2 लाख से अधिक किसानों का किया गया कर्ज माफ

झारखंड सरकार ने राज्य के 2 लाख 46 हजार 012 किसानों का कृषि ऋण माफ़ कर दिए हैं | इन किसानों का 980 करोड़ रूपये के कृषि ऋण माफ किया गया है | झारखंड सरकार ने राज्य के किसानों को कृषि ऋण माफी के लिए “झारखंड कृषि ऋण माफ़ी योजना” का क्रियान्वयन किया जा रहा है | योजना के तहत किसानों के द्वारा किसी भी बैंक से लिए गये अल्पकालीन कृषि ऋण को माफ़ किया जाएगा | इसके अंतर्गत 50,000 रूपये की ऋण माफ किया जा रहा है |

कितने किसानों को मिलेगा ऋण माफी योजना का लाभ

राज्य के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री श्री बादल ने कहा है कि बैंको के द्वारा जो आंकड़े दिए गए थे, किसानों के कर्ज माफी को लेकर उसमें  कुल 9,02,603 ( संशोधित) ऋणी किसान हैं, जिसमें से बैंक ने अब तक 5,61,333 किसानों का डाटा अपलोड किया है। उसमे से सरकार ने अब तक 2,46,012 किसानों के कर्ज माफ कर दिए हैं। कुल 980.06 करोड़ की राशि किसानों के कर्ज माफी में दे दी गई है। उन्होंने कहा कि ऋण माफी के लिए सभी प्रकार के राशन कार्ड (उजला राशन कार्ड सहित) योग्यता निर्धारित करने के लिए उपयोग किए जा सकेंगे।

kisan karj mafi list
जिलेवार किसानों को किया गया कर्ज माफी का कुल भुगतान

राज्य में लोन कि क्या स्थति है ?

SLBS के माध्यम से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार 31 मार्च 2020 तक राज्य के लगभग 12.93 लाख अल्पकालीन फसल ऋण खाते हैं जिनमें लगभग 5,800 करोड़ रूपये का ऋण बकाया है | यद्धपि 12.93 लाख खातों में से 9.07 लाख खाते मानक खाते हैं और शेष या तो NPA खाते हैं या WRITE-OF खाते हैं |

किसान आवेदन कैसे करें ?

झारखंड राज्य के रैयत या गैर रैयत जिनकी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है तथा वे किसी भी मान्यता प्राप्त बैंक से 31/03/2020 तक लोन बकाया रहा है वे आवेदन कर सकते हैं | एक परिवार से एक सदस्य का कृषि लोन माफ़ किया जायेगा | इसके लिए किसान अपना आधार नंबर या राशन कार्ड की प्रति के साथ आम सेवा केन्द्रों/बैंक शाखा में जाना होगा | इसके बाद किसान के मोबाईल नंबर तथा आधार कार्ड से किसान की बकाया की पुष्टि की जाएगी | उसके बाद ई–केवाईसी (e – KYC) के माध्यम से अपने आवेदन को प्रमाणित करना होता है |

इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेने के लिए अभी आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

 ट्रैक्टर एवं अन्य सभी प्रकार के कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन

किसान अभी खरीफ सीजन की फसलों की बुआई की तैयारी में लगे हुए हैं | बुआई के कार्य के लिए किसानों को कृषि यंत्रों की आवश्यकता होती है | ऐसे इच्छुक किसान जो बुआई के लिए नए कृषि यंत्र खरीदना चाहते हैं उनके लिए अच्छी खबर है | किसानों की आवश्यकता को देखते हुए मध्यप्रदेश के कृषि विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान पर दिए जाने वाले कृषि यंत्रों के लिए आवेदन आमंत्रित किये गए हैं | राज्य के इच्छुक किसान इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं |

किसान इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेने के लिए कर सकते हैं आवेदन

वर्ष 2021-22 हेतु ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर मध्यप्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचनालय द्वारा निम्नलिखित कृषि यंत्रों के जिलेवार लक्ष्य जारी किये जा रहे है। किसान अपनी आवश्यकता अनुसार इन कृषि यंत्रों का चयन कर आवेदन कर सकते हैं |:-

  1. सीड ड्रिल ( 9 टाइन एवं अधिक ),
  2. सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल,
  3. रोटावेटर,
  4. रेज्ड बेड प्लांटर /रिजफर्रो प्लान्टर/मॉल्टीक्रॉप प्लान्टर/रेज्ड बेड प्लांटर विथ इन्कलाइंड प्लेट

कृषि यंत्रों पर अनुदान हेतु किसान आवेदन कब करें ?

मध्यप्रदेश राज्य में सभी जिलों के लिए किसान जिलेवार लक्ष्यों के अनुसार आवेदन दिनांक 16 जून 2021 दोपहर 12 बजे से 24 जून 2021 तक पोर्टल पर अपने आवेदन प्रस्तुत कर सकेंगे । प्राप्त आवेदनों में से लक्ष्यों के विरूद्ध लॉटरी दिनांक 25 जून 2021 को सम्पादित की जायेगी। लॉटरी में चयनित कृषकों की सूची एवं प्रतीक्षा सूची दोपहर 03 बजे पोर्टल पर प्रदर्शित की जावेगी।

पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसानों को आवेदन करते समय अपने पास आधार कार्ड, मोबाइल नम्बर, पासपोर्ट साइज फोटो एवं जाति प्रमाणपत्र होना चाहिए |

दिशा निर्देश
  • ट्रेक्टर से चलने वाले सभी प्रकार के कृषि यंत्र किसी भी श्रेणी के कृषक क्रय कर सकते है किन्तु ट्रेक्टर की आर.सी स्वयं के माता – पिता, भाई -बहन अथवा पत्नी के नाम पर होना आवश्यक है।
  • डीलर का चयन सावधानी पूर्वक करे। चयनित डीलर का परिवर्तन केवल एक बार ही किया जा सकेगा। डीलर /किसान कृषि यंत्रों की खरीदी तब ही करें जब क्रय स्वीकृति आदेश जारी हो जाए |
  • पंजीयन उपरांत निर्धारित समयावधि में क्रय की गई सामग्री पर ही अनुदान देय होगा !
  • इस आवेदन की दिनांक से 10 दिवस के अन्दर अपना विस्तृत आवेदन चयनित डीलर के माध्यम से प्रस्तुत करे! अन्यथा आपका यह पंजीयन स्वतः निरस्त हो जायेगा | आवेदन निरस्त होने के उपरांत आप को आगामी 6 माह तक आवेदन प्रस्तुत करने की पात्रता नहीं होगी ।
  • चयनित डीलर के माध्यम से कृषक अपने अभिलेख के साथ-साथ देयक की प्रति एवं सामग्री के विवरण भी पोर्टल में दर्ज कराये।
  • एक बार डीलर का चयन किये जाने पर डीलर पुनः बदलना संभव नहीं होगा ।
  • डीलर को कृषक द्वारा यंत्र/सामग्री की राशि का भुगतान बैंक ड्राफ्ट, चेक, ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से ही किया जाना होगा। नगद राशि स्वीकार नहीं की जायेगी।
  • डीलर के माध्यम से अभिलेख एवं देयक आदि पोर्टल पर अपलोड करने के 7 दिवस में विभागीय अधिकारी द्वारा सामग्री तथा अभिलेखों का भौतिक सत्यापन किया जायेगा। भौतिक सत्यापन में सभी अभिलेख उपयुक्त पाये जाने, क्रय अनुसार यंत्र/सामग्री उपयुक्त पाये जाने तथा योजना की शर्तो की पूर्ती उपयुक्त पाये जाने पर ही कृषक को अनुदान प्राप्त करने की पात्रता रहेगी।

कृषि यंत्रों पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आवेदन

मध्यप्रदेश के किसान दिए गए कृषि यंत्रों हेतु ऑनलाइन आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | इस वर्ष Covid -19 महामारी जनित परिस्थितियों के कारण पोर्टल पर अनुदान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया गया है जिसके अंतर्गत आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक प्रक्रिया के स्थान पर कृषकों के मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे। आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी  (OTP) प्राप्त होगा। इस OTP के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे।

सब्सिडी पर कृषि यंत्र हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

17.14 लाख पशुओं को लगाया गया गलघोटू एवं एकटंगिया रोग से बचाने के लिए मुफ्त टीका

गलघोटू एवं एकटंगिया रोग से बचाने हेतु टीका

बारिश में गाय-भैंस प्रजाति के पशुओं में कई रोग होने की सम्भावना रहती है | इससे बचाने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा कार्यक्रम चलाकर पशुओं को टीका लगाने के लिए योजना चलाई जाती है | जिससे पशुओं को रोग से बचाकर पशुपालकों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके | छत्तीसगढ़ राज्य में पशुओं में बरसात के दिनों में होने वाली गलघोटू और एकटंगिया बीमारी से बचाव के लिए राज्य में 17 लाख 14 हजार से अधिक पशुओं को अब तक टीका लगाया जा चुका है।

पशुधन विकास विभाग के अनुसार पशुओं में होने वाली गलघोटू बीमारी से पशुधन हानि होने का अंदेशा रहता है। राज्य के सभी पशुपालकों को अपने पशुओं को उक्त बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण कराने की अपील की गई है। गलघोटू और एकटंगिया का टीका पशुधन विकास विभाग द्वारा शिविर लगाकर तथा पशु चिकित्सालयों एवं केन्द्रों में नियमित रूप से किया जा रहा है।

गलघोटू रोग के लक्षण

यह बीमारी वर्षा ऋतु के प्रारंभ में रोगग्रस्त पशुओं के मल, मूत्र आदि से चारागाह के प्रदूषित होने पर होती है। इसलिए इसे भू-जन्य रोग भी कहा जाता है। रोगी पशुओं में एकाएक तीव्र बुखार आता है जिससे पशु सुस्त एवं खाने-पीने में अरुचि होती है। रक्त एवं श्लेष्मायुक्त दस्त के लक्षण दिखाई देने लगते है। रोगी पशु के गले निचले जबड़े के बीच दर्दयुक्त कड़ी सूजन दिखाई पड़ती है। जीभ सूजकर मुँह से बाहर निकलने लगती है। मुँह से लगातार लार बहने, श्वास लेने में बेचैनी इस रोग के प्रमुख लक्षण है। रोगग्रस्त पशु के गले एवं जीभ में सूजन अधिक बढ़ने के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है और दम घुटने से पशु की मृत्यु हो जाती है।

9 लाख 73 हजार पशुओं का किया गया गलाघोंटू रोग का फ्री में टीकाकरण

पशुओं में गलघोटू रोग की रोकथाम की सर्वोत्तम उपाय प्रतिबंधात्क टीकाकरण ही है। पशुपालकों को वर्षाऋतु के आरंभ होने से पहले ही अपने पशुओं में टीकाकरण कराने की अपील की गई है। पशुधन विभाग द्वारा इस रोग के विरुद्ध निःशुल्क प्रतिबंधात्मक टीकाकरण कार्य मिशन मोड पर किया जा रहा है। पशुपालक अपने गौ वंशीय-भैंसवंशीय पशुओं चिकित्सा संस्था से सम्पर्क कर टीकाकरण करा सकते हैं। अभी तक राज्य में 9 लाख 73 हजार पशुओं को गलघोटू (एच. एस.) का टीकाकरण लगाया जा चुका है।

एकटंगिया रोग के लक्षण

यह रोग भी वर्षाऋतु में गाय-भैंस प्रजाति में फैलने वाली छूतदार बीमारी है, जीवाणु के द्वारा फैलता है। तीन वर्ष तक की आयु के पशुओं में इसका प्रकोप अधिक होता है। दूषित चारागाहों पर स्वस्थ पशुओं के चरने से इस रोग के जीवाणु प्रदूषित घास के माध्यम से पशुओं के शरीर में प्रवेश पा जाता है। इस बीमारी में भी तेजबुखार आता है तथा गर्दन, कंधो एवं पुटठों पर सूजन तथा लगड़ेपन का लक्षण प्रमुख रूप से देखने को मिलता है।

7 लाख 40 हजार पशुओं को लगा फ्री में एकटंगिया रोग का टीका

इस बीमारी की रोकथाम का सर्वोत्तम उपाय तीन वर्ष के आयु वाले समस्त गौवंशीय-भैंसवंशीय पशुओं में प्रतिबंधात्मक टीकाकरण है। पशुधन विकास विभाग द्वारा राज्य में इस रोग के रोकथाम के लिए निशुल्क टीकाकरण किया जा रहा है।