अम्बर या बेली रोग
इस बीमारी को स्थान विशेष के अनुसार अलग – अलग नामों जैसे बेली बनना, पुरईन, अम्बर अथवा फूल निकलना (प्रोलेप्स यूटरस) आदि नामों से जानते है | इसमें गर्भाशय अथवा गर्भाशय का कुछ भाग बाहर निकल आता है | भैंसों की अपेक्षा गायों में यह रोग अधिक होता है | यह समस्या प्रसव के बाद की अपेक्षा पूर्व में अधिक पायी जाती है | यदि समय पर इसका उपचार न किया गया तो यह समस्या गम्भीर रूप ले सकती है |
अम्बर या बेली रोग का कारण :-
- मादा का ढलान वाले स्थान पर लम्बे समय तक बंधे रहना |
- उदर का अधिक भरा होने पर गर्भाशय पर दबाव पड़ना |
- आहार में कैल्सियम की मात्रा कम होना |
- गर्भकाल के अंतिम माह में इस्ट्रोजेनयुक्त चारा खिलाना |
- प्रसव के दौरान बच्चे को बलपूर्वक खींचना |
- रक्त में कैल्सियम एवं फास्फोरस की कमी होना |
- कुपोषण अथवा लगातार असंतुलित आहार देना |
- बच्चेदानी में जलन या संक्रमण होना |
- गर्भकाल के समय प्रोजेस्ट्रान हार्मोन की कमी होना |
अम्बर या बेली रोग का उपचार :-
- संतुलित आहार दें |
- आहार में हरे चारे को वरीयता दें |
- आहार के साथ खडिया, नमक एवं 40 – 50 ग्राम खनिज लवण प्रतिदिन दें |
- पशु – चिकित्सक से मिलकर कैल्सियम का इंजेक्शन लगवायें एवं सलाह लें |