किसान न्याय योजना के तहत 9 हजार रूपये प्रति एकड़ अनुदान लेने के लिए 31 अक्टूबर तक करें आवेदन

किसान न्याय योजना हेतु आवेदन

कृषि में लागत को कम करने तथा किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” चला रही है | इस योजना के तहत किसानों को 9 हजार से लेकर 10 हजार प्रति एकड़ रूपये की कृषि आदान इनपुट सब्सिडी दे रही है | छत्तीसगढ़ सरकार ने इससे पहले किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के बाद बोनस देती थी लेकन अब राज्य सरकार ने किसानों को कृषि इनपुट के तौर पर किसनों को प्रति एकड़ 9 से 10 हजार रूपये दे रही है | इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा |

किसान योजना के तहत कब तक कर सकते हैं आवेदन ?

राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर धान बेचने तथा खरीफ फसलों की खेती के लिए योजना के तहत आदान सहायता राशि का लाभ लेने के लिए राज्य के किसन एकीकृत किसान पोर्टल पर 31 अक्टूबर 2021 तक पंजीयन करा सकेंगे | राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के तहत पूर्व में 30 सितम्बर तक पंजीयन कराने की अंतिम तिथि निर्धारित थी | जिसे छत्तीसगढ़ कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के तहत बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2021 कर दिया गया है |

इन फसलों की खेती करने पर दिया जायेगा अनुदान ?

राजीव गाँधी न्याय योजना के तहत किसान सुगन्धित धान, फोर्टिफाइड धान, अन्य अनाज,कुटकी, रागी, दलहन, तिलहन, उद्धानिकी फसल अथवा वृक्षारोपण को शामिल किया गया है | उद्धानिकी के अंतर्गत सभी फलों के पेड़ों को शामिल किया गया है |

योजना के तहत कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?       

राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ मौसम में कृषि एवं उद्धानिकी फसल उत्पादक कृषकों को प्रति वर्ष 9 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान है | इसके अलावा वर्ष 2020–21 में जिस रकबे में किसान द्वारा धान की खेती एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया गया था, यदि वह किसान धान के बदले सुगन्धित धान, अन्य अनाज, दलहनी, तिलहनी, उद्धानिकी फसल अथवा वृक्षारोपण करता है तो उसे प्रति एकड़ 10 हजार रूपये प्रति एकड़ की अनुदान सहायता राशि दी जाएगी | वृक्षा रोपण करने वाले किसानों को आदान सहायता राशि आगामी तीन वर्षों तक देय होगी |

कहाँ से आवेदन करें ?

राजीव गाँधी न्याय योजना के तहत किसान को ऑनलाइन आवेदन करना होगा | राज्य सरकार ने किसान की सहूलियत और पंजीयन की प्रक्रिया को आसन करने के उद्देश्य से शासन द्वारा एकीकृत किसान पोर्टल http://kisan.cg.nic.in तैयार किया है | कृषक को एकीकृत किसान पोर्टल में नवीन पंजीयन हेतु आवश्यक दस्तावेज जैसे ऋण पुस्तिका, बी-1, आधार नबंर, बैंक पासबुक की छाया प्रति के साथ प्रपत्र-1 में आवेदन करना होगा |

बांस एवं लोहे की स्टैकिंग में सब्जियों की खेती पर सरकार दे रही है 90 प्रतिशत तक अनुदान

अनुदान पर बांस एवं लोहे की स्टैकिंग में सब्जियों की खेती

आधुनिक कृषि क्षेत्र में कई नई तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है, जिससे न सिर्फ खेती करना आसान हो गया है बल्कि किसान कम क्षेत्र में अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं | इस विधि द्वारा मुनाफा और फसलों की पैदावार भी अधिक होती है। ‘स्टैकिंग’ तकनीक से पहले किसान पुरानी तकनीक से ही सब्जियों और फलों की खेती करते थे। लेकिन अब किसान इस तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं क्योंकि यह बहुत ही आसान है। इस तकनीक में बहुत ही कम सामान का प्रयोग होता है। इसमें बांस व लोहे के सहारे तार और रस्सी का जाल बनाया जाता है।

हरियाणा सरकार राज्य में किसानों को स्टैकिंग तकनीक से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दे रही है | जिसका लाभ लेकर किसान अपने खेतों में सब्जियों की खेती बांस या लोहे की स्टैकिंग बनाकर कर सकते हैं | हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लोहे की स्टैकिंग का प्रयोग करने के लिए किसानों को 50 से 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।

बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर दी जाने वाली सब्सिडी

राज्य सरकार द्वारा बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर अलग-अलग अनुदान दिया जा रहा है। बांस स्टैकिंग की 62,500 रुपए प्रति एकड़ लागत पर 31,250 से लेकर 56,250 रुपए तथा लौह स्टैकिंग की एक लाख 41 हजार रुपए प्रति एकड़ लागत पर 70,500 से लेकर एक लाख 26 हजार रुपए तक अनुदान किया जा रहा है। दोनों तरह की स्टैकिंग पर अधिकतम अनुदान क्षेत्र एक से 2.5 एकड़ है।

अनुदान के लिए कहाँ करें आवेदन

बांस स्टैकिंग व लोहे की स्टैकिंग का प्रयोग वाली इस योजना का क्रियान्वयन राज्य के उद्यानिकी विभाग द्वारा किया जा रहा है | इच्छुक किसान योजना का लाभ लेने के लिए विभाग के बागवानी पोर्टल http://hortharyanaschemes.in/ पर ऑनलाइन आवदेन करना होगा।

16 से 18 अक्टूबर के दौरान हुई बेमौसम बारिश से हुए फसल नुकसान का आंकलन कर जल्द दिया जायेगा मुआवजा

बेमौसम बारिश से फसल नुकसान की भरपाई

अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में देश के अलग–अलग राज्यों में बेमौसम तेज बारिश हुई थी | जिसके कारण खरीफ की कटी एवं खड़ी फसलों के आलावा रबी की बोई गई फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है | राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुई बेमौसमी बारिश से फसलों को हुए नुकसान पर किसानों को राहत देने के लिए तुरंत प्रभाव से विशेष गिरदावरी कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि जिला कलेक्टर फसलों में हुए नुकसान का जल्द आंकलन कराएं, जिसके आधार पर प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की कार्यवाही की जा सके।

इन जिलों में हुई है फसल क्षति

बैठक में कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि 16 अक्टूबर से 18 अक्टूबर के दौरान राज्य के कई जिलों में बेमौसमी बरसात से खरीफ की सोयाबीन, धान, मूंग, बाजरा एवं उड़द की फसलों को नुकसान पहुंचने की सूचना प्राप्त हुई है। इसी प्रकार जिन खेतों में रबी की सरसों एवं चने की बुआई हो गई थी, उनमें भी बीज नष्ट होने के कारण किसानों को दुबारा बुआई करनी पड़ेगी। विशेषकर पूर्वी राजस्थान के कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, करौली, धौलपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर, अलवर, टोंक, दौसा आदि जिलों में फसलों में नुकसान की प्रारंभिक सूचना प्राप्त हुई है।

जुलाई में हुए फसल नुकसान का जल्द दिया जायेगा मुआवजा

इस वर्ष जुलाई में हुई अतिवृष्टि के कारण फसलों को हुए नुकसान की विशेष गिरदावरी कराई गई थी। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर 7 जिलों-बारां, बूंदी, धौलपुर, झालावाड़, कोटा, सवाई माधोपुर एवं टोंक के 3704 गांवों में 6 लाख 79 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में 33 प्रतिशत एवं इससे अधिक खराबे का आकलन किया गया है। जिसके आधार पर करीब 12 लाख 11 हजार प्रभावित किसानों को कृषि आदान-अनुदान वितरित किए जाने के संबंध में कार्यवाही की जा रही है। इसके तहत अधिकतम 2 हैक्टेयर तक के मुआवजे का प्रावधान है।

सरकार 80 प्रतिशत की सब्सिडी पर देगी दलहनी एवं तिलहनी फसलों के प्रमाणित बीज

दलहनी एवं तिलहनी फसलों के प्रमाणित बीज पर अनुदान

देश में दलहनी फसलों का उत्पादन लगभग 24 मिलियन टन का है तथा तिलहनी फसलों का उत्पादन लगभग 35 मिलियन टन है | देश में कुल तिलहन का उत्पादन देश के कुल जरूरत का 40 प्रतिशत ही पूरा करता है | बाकि के 60 प्रतिशत तिलहन बाहर के देशों से मंगाया जाता है | इसको देखते हुए हाल के वर्षों में केंद्र तथा राज्य सरकारें किसानों से दलहन तथा तिलहन के उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है | खरीफ मौसम में केंद्र सरकार ने दलहन तथा तिलहन के बीज किसानों के बीच नि:शुल्क वितरित किए थे | अब बिहार सरकार ने राज्य में दलहन तथा तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सब्सिडी पर बीज उपलब्ध करा रही है | इसके लिए किसानों को 2 एकड़ क्षेत्र के लिए दलहन तथा तिलहन के बीज उपलब्ध कराये जाएंगे |

बीजों पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

बिहार के कृषि मंत्री श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा रबी वर्ष 2021 – 22 में दलहन एवं तिलहन के उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार प्रमाणित बीज किसानों को 80 प्रतिशत कि सब्सिडी पर उपलब्ध करा रही है | मिनी किट योजना के तहत एक किसान को अधिकतम 02 एकड़ भूमि के लिए बीज उपलब्ध कराये जाएंगे | इस योजना के अन्तर्गत चने के प्रमाणित बीज 20,690 क्विंटल 80 प्रतिशत कि सब्सिडी पर वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है |

इसी प्रकार मसूर, मात्र एवं राई/सरसों का प्रमाणित बीज क्रमश: 17,325 क्विंटल, 640 क्विंटल तथा 2,260 क्विंटल किसानों को 80 प्रतिशत कि सब्सिडी पर दिया जाएगा |

अनुदान पर रबी फसलों के बीज हेतु आवेदन

बिहार राज्य के किसान योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं | यह आवेदन मोबाईल, कम्प्यूटर या कामन सर्विस सेंटर से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन https://dbtagriculture.bihar.gov.in या brbn.bihar.gov.in से कर सकते हैं | योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान पहले से dbt पोर्टल पर पंजीयन होना जरुरी है |

गन्ना किसान 30 अक्टूबर तक भर सकेंगे अपना घोषणा पत्र

गन्ना सट्टा संचालन के लिए घोषणा पत्र

उत्तर प्रदेश सरकार ने दशहरा तथा दीपावली को देखते हुए राज्य के गन्ना किसानों को घोषणा पत्र भरने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर तक बढ़ा दी है | पहले यह तिथि 15 अक्टूबर तक थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 30 अक्टूबर तक कर दिया गया है | अब किसान 30 अक्टूबर तक घोषणा पत्र भरकर गन्ने को सरकारी मूल्य पर बेच सकते हैं |

गन्ना आयुक्त ने किसानों से अपील की है कि प्रत्येक दशा में इस अन्तिम अवसर का लाभ लेते हुए पेराई सत्र 2021-22 हेतु 30 अक्टूबर 2021 तक घोषणा–पत्र भर दें | इसके बाद घोषणा–पत्र भरने की तिथि को बढ़ाया जाना सम्भव नहीं होगा | अंतिम तिथि तक घोषणा–पत्र न भरने वाले गन्ना किसानों का सट्टा संचालित नहीं हो सकेगा |

किसान कहाँ से आवेदन कर सकते हैं ?

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान 30 अक्टूबर तक ऑनलाइन घोषणा पत्र भर सकते हैं | smart ganna kishan (SGK) प्रोजेक्ट के अंतर्गत आसन्न पेराई सत्र 2021–22 हेतु गन्ना किसानों द्वारा सुविधा पूर्वक अपने घोषणा–पत्र ऑनलाइन भरे जा रहे हैं | किसान ई.आर.पी. की वेबसाईट – enquiry.caneup.in पर जाकर अपना घोषणा पत्र भर सकते हैं |

किसानों से गन्ना इस मूल्य पर खरीदा जाएगा ?

गन्ने के मूल्य में केंद्र सरकार ने 5 रूपये की वृद्धि कर के देश भर के किसानों के लिए 290 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है | इसके साथ ही राज्य सरकारों ने अपना गन्ना मूल्य तय किया है | जो इस प्रकार है :-

  • उत्तर प्रदेश – 340 रूपये प्रति क्विंटल
  • पंजाब – 360 रूपये प्रति क्विंटल
  • हरियाणा – 362 रूपये प्रति क्विंटल

23 अक्टूबर को 77 लाख किसान परिवारों को किसान कल्याण योजना के तहत दिए जाएंगे 1540 करोड़ रुपए

किसान कल्याण योजना के तहत किश्त

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देशभर के किसान परिवारों को 6 हजार रुपये तीन किश्तों में दिए जाते हैं | इस योजना की तर्ज पर कई राज्य सरकारों ने भी किसानों को सीधे आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है | मध्यप्रदेश राज्य सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने हेतु “मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना” चला रही है | योजना के तहत पीएम किसान योजना के लाभार्थी किसान परिवारों को 4,000 रुपये 2 किस्तों में दिए जाएगें जिससे राज्य के किसानों को सालाना 10,000 रुपये मिलेंगे |

23 अक्टूबर को बैंक खातों में दी जाएगी किश्त

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान किसान-कल्याण योजना में प्रदेश के 44 जिलों के कृषक परिवारों को 23 अक्टूबर को उनके खातों में सिंगल क्लिक से राशि अंतरित करेंगे। मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना के इस कार्यक्रम में सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर करीब 50 लाख लोग जुड़ेंगे। कार्यक्रम शनिवार 23 अक्टूबर को सुबह 11:30 बजे मिंटो हाल भोपाल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होगा। इस कार्यक्रम में आदर्श आचरण संहिता वाले जिलों को शामिल नहीं किया गया है।

77 लाख किसान परिवारों को दिए जाएंगे 1540 करोड़ रुपये

प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं राजस्व श्री मनीष रस्तोगी ने बताया कि योजना में प्रदेश के 77 लाख किसान परिवारों को 1540 करोड़ रूपए प्रदान किए जा रहे हैं। राज्य स्तरीय कार्यक्रम में किसानों को दी जा रही यह राशि वित्तीय वर्ष 2021-22 की है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कार्यक्रम में प्रतीक स्वरूप 5 किसानों को अपने हाथों से योजना की किश्त प्रदान करेंगे।

क्या है किसान कल्याण योजना

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के साथ-साथ किसान कल्याण योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अन्तर्गत पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी किसान परिवारों को दो किस्तों में 4,000 रुपये की राशि प्रतिवर्ष बैंक खातों में दी जाएगी | इस प्रकार प्रति वर्ष किसान के खाते में कुल 10 हजार रूपये की राशि प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत प्रथम किस्त का भुगतान 1 सितम्बर से 31 मार्च के बीच एवं दूसरी किस्त का भुगतान 1 अप्रैल से 31 अगस्त के बीच किसानों के बैंक खातों में सीधे दिए जाएंगे |

अब कृषि पम्प कनेक्शन के लिए किसानों को देना होगा मात्र इतने रुपये

कृषि पम्प कनेक्शन की दरें

फसलों की लागत बिजली की दरों पर भी निर्भर करती है, अधिक बिजली दरों से जहाँ फसल उत्पादन की लागत बढ़ती है वहीँ कम बिजली दरों से लागत में कमी आती है | किसान अपने खेतों में सिंचाई के लिए स्थाई एवं अस्थाई कनेक्शन लेते हैं ताकि वे फसलों की सिंचाई समय पर कर सकें | मध्यप्रदेश सरकार ने कृषि पम्पों एवं घरेलु उपभोक्ताओं को बिजली दरों में राहत देते हुए सब्सिडी देने का फैसला लिया है | मध्यप्रदेश के मंत्रि-परिषद द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये घरेलू एवं कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत दरो में 20 हजार करोड़ रूपये से अधिक की सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया है।

10 हार्स पॉवर तक के कनेक्शन के लिए सालाना देने होंगे इतने रुपये

मंत्रि-परिषद ने कृषि उपभोक्ता श्रेणी की विद्युत दरों में राहत प्रदान करने का निर्णय लिया है। 10 हॉर्सपावर तक की क्षमता के मीटर रहित स्थायी कृषि पम्प उपभोक्ता को 750 रूपये प्रति हॉर्सपावर प्रति वर्ष की फ्लैट दर से देना होगा। शेष राशि राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जाएगी। इसके लिये राज्य सरकार द्वारा वितरण कम्पनियों को 9876 करोड़ रूपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 21 लाख 75 हजार कृषि पम्प उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।

10 हार्स पॉवर से अधिक वाले कृषि पम्प कनेक्शन के लिए देने होंगे इतने रुपये

राज्य में 10 हॉर्सपावर से अधिक की क्षमता के मीटर रहित स्थाई कृषि पंप उपभोक्ता से 1500 रूपये प्रति हॉर्सपावर प्रति वर्ष की फ़्लैट दर से देना होगा। शेष राशि राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वितरण कंपनियों को दी जाएगी। इसके लिये 644 करोड़ रूपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इससे प्रदेश के लगभग 50 हजार कृषि पंप उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।

मीटर युक्त स्थाई और अस्थाई कृषि पंप संयोजनों पर ऊर्जा प्रभार, ईंधन प्रभार एवं नियत प्रभार में छूट दी जायेगी। छूट राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में कंपनियों को वितरण किया जाएगा। इसके लिये 350 करोड़ रूपये की राशि देय होगी एवं इससे लगभग 2 लाख अस्थायी एवं 20 हजार मीटरयुक्त स्थाई कृषि पंप उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।

इन किसानों को मिलेंगे निःशुल्क बिजली कनेक्शन

एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले 5 हॉर्सपावर तक के अनुसूचित जाति और जनजाति के कृषि उपभोक्ताओं को निःशुल्क विद्युत प्रदाय की जायेगी। देयक की सम्पूर्ण राशि राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जाएगी एवं इससे लगभग 9 लाख 25 हजार कृषि पंप उपभोक्ता लाभान्वित होंगे। इसके लिये राज्य शासन द्वारा 4733 करोड़ रूपये की राशि सब्सिडी के रूप में वितरण कंपनियों को दी जायेगी।

उच्च दाब उदवहन/समूह सिंचाई उपभोक्ताओं को ऊर्जा प्रभार तथा वार्षिक न्यूनतम प्रभार में छूट दी जायेगी। छूट राशि राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन की जाएगी। इसके लिये 90 करोड़ रूपये की राशि सब्सिडी के रूप में देय होगी। मंत्रि-परिषद द्वारा लिए गए निर्णय से प्रदेश के कृषि क्षेत्र के उपभोक्ताओ को विद्युत देयक में 15722 करोड़ 87 लाख रूपये की वार्षिक राहत प्राप्त होगी।

घरेलु बिजली कनेक्शन के लिए दी जाएगी सब्सिडी

राज्य के घरेलू उपभोक्ताओं के लिये लागू योजना में 150 यूनिट तक की मासिक खपत पर प्रथम 100 यूनिट तक अधिकतम 100 रुपये का देयक दिए जाने और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बी.पी.एल. घरेलू उपभोक्ता, जिनकी मासिक खपत 30 यूनिट है, से मात्र 25 रूपये प्रति माह के मान से 4 माह में 100 रूपये लिए जाने का प्रावधान इस वर्ष भी निरंतर रखा गया है। गृह ज्योति योजना में 4981 करोड़ 69 लाख रूपये की सब्सिडी स्वीकृत की गई है।

1 नवम्बर से मूंग, उड़द, सोयाबीन और 18 नवम्बर से की जाएगी मूंगफली की खरीद

मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली खरीद

खरीफ फसल की कटाई चल रही है इसके साथ ही देश के अलग–अलग राज्यों में खरीदी का काम भी शुरू किया जा चूका है | राज्यों में फसल उत्पादन को देखते हुए राज्य सरकार फसल की खरीदी कर रही है | राजस्थान सरकार राज्य के किसानों से दलहन तथा तिलहन फसलों की खरीदी करने जा रही है | इसके लिए पंजीयन तथा खरीदी की तिथियाँ जारी कर दी गई है | न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी करने के लिए राज्य सरकार ने किसानों को पंजीयन अनिवार्य कर दिया है | अतः जो किसान अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर बेचना चाहते हैं वह पंजीयन अवश्य करवाएं |

किसान कब कर सकेंगे पंजीयन

राज्य में किसानों को अपनी फसलें समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए फसल का पंजीयन कराना होगा, किसान यह पंजीयन 20 अक्टूबर 2021 से कर सकते हैं | पंजीयन मूंग, सोयाबीन, उड़द तथा मूंगफली फसलों के लिए किया जायेगा | किसानों के पंजीयन के लिए राज्य सरकार द्वारा ई-मित्र एवं खरीदी केन्द्रों पर व्यवस्था की गई है | किसान सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक पंजीयन करा सकते हैं |

कब से शुरू होगी खरीदी

राजस्थान के सहकारिता मंत्री ने बताया कि पंजीयन के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर दी जाएगी | मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की खरीदी 1 नवम्बर से तथा मूंगफली की खरीदी 18 नवम्बर से शुरू होगी | खरीदी शुरू करने के लिए सभी प्रकार की तैयारियां शुरू कर दी गई है | खरीदी उन्हीं किसानों से की जाएगी जिन्होंने अभी पंजीयन कराया है | राज्य सरकार ने राज्य में खरीफ फसल की खरीदी सुचारू रूप से चलाने के लिए मूंग के लिए 357, उड़द के लिए 168, मूंगफली के लिए 257 एवं सोयाबीन के लिए 86 खरीदी केंद्र की स्थापना की गई है |

पंजीयन के लिए क्या-क्या दस्तावेज चाहिए ?

सहकारिता मंत्री ने बताया कि किसानों को जन आधार कार्ड नम्बर खसरा गिरदावरी की प्रति एवं बैंक पासबुक की प्रति पंजीकृत फार्म के साथ अपलोड करनी होगी | किसान के जनाधार कार्ड में अंकित नाम में से जिसके नाम गिरदावरी होगी उसके नाम से एक पंजीयन करवा सकेगा | किसान इस बात का विशेष ध्यान रखे कि जिस तहसील में कृषि भूमि हो वही तहसील के कार्य क्षेत्र वाले खरीद केंद्र पर उपज बेचान हेतु पंजीकृत करावें | दूसरी तहसील में पंजीकरण मान्य नहीं होगा | जिस किसानों द्वारा बिना गिरदावरी के अपना पंजीयन करवाया जाएगा, उसका पंजीयन समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए मान्य नहीं होगा |

पंजीयन से पहले मोबाईल नंबर को आधार कार्ड से जोड़ें

किसान पंजीयन कराते समय यह सुनिश्चित कर ले कि पंजीकृत मोबाईल नम्बर जनआधार कार्ड से लिंक हो जिससे समय पर तुलाई दिनांक की सुचना मिल सके | किसान सही प्रचलित बैंक खाता संख्या दे ताकि ऑनलाइन भुगतान के समय किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो | किसी भी समस्या के लिए किसान टोल फ्री नंबर 1800-180-60001 पर संपर्क करें |

क्या है इस वर्ष फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ?

केंद्र सरकार के द्वारा प्रत्येक वर्ष खरीफ तथा रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है , जो देश भर में एक समान रूप से लागू रहता है | वर्ष 2021 -22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है:-

  • मूंग – 7275 रूपये प्रति क्विंटल
  • उड़द – 6300 रूपये प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन – 3950 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली – 5550 रूपये प्रति क्विंटल

रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाएगा किसान चौपाल का आयोजन

रबी महाभियान-सह-किसान चैपाल

देश भर में खरीफ फसल की कटाई के साथ ही साथ रबी फसल की बुवाई का काम शुरू हो गया है | अगले माह से गेहूं तथा जौ फसल की बुवाई भी शुरू हो जाएगी | इसको देखते हुए बिहार सरकार प्रत्येक वर्ष कि तरह इस वर्ष भी किसान चौपाल लगाने जा रही है | इसके लिए राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं | किसान चौपाल के अंतर्गत राज्य तथा केंद्र सरकार के द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं कि जानकारी के साथ खेती सम्बन्धी कई जानकारियां दी जाएगी |

धान की कटाई के बाद किसानों को पुआल (पराली) जलाने से रोकने कई लिए राज्य सरकार किसानों के बीच विशेष अभियान चला रही है | इसके लिए किसानों के गाँव में जाकर पराली जलाने से होने वाले नुकसान की जानकारी दी जाएगी | अनाज की तरह ही दलहन तथा तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के बीच बीज का पैकेट वितरित किया जाएगा | जिससे किसान उच्च गुणवत्ता वाले बीज की बुवाई कर सके |

किसान पंचायत का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

राज्य के कृषि मंत्री ने बताया कि रबी मौसम में संचालित होने वाली योजनाओं, कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध नवीनतम तकनीकों यथा रबी मौसम में बुवाई की जाने वाली फसलों की वैज्ञानिक, समेकित कीट प्रबंधन, समेकित पोषक तत्व प्रबंधन, फसल अवशेष प्रबंधन, समसामयिक समस्याओं की जानकारी एवं वैज्ञानिकों द्वारा समाधान, कृषक उत्पादक संगठन के गठन, आत्मा द्वारा संचालित कार्यक्रमों, प्रशिक्षण / परिभ्रमण, किसान पुरस्कार कार्यक्रम, किसान पाठशाला, किसान गोष्ठी, किसान मेला आदि संबंधित कृषकों के बीच प्रखंड एवं पंचायत स्तर तक रबी महाभियान एवं किसान चौपाल का आयोजन कर प्रभावशाली ढंग से प्रचारित–प्रसारित किया जाएगा |

प्रत्येक किसान चौपाल में 150 किसान भाग लेंगे | इससे किसान योजनाओं, नवीनतम तकनीक की जानकारी लेकर उत्पदान एवं उत्पादकता में वृद्धि कर सकेंगे, जिनसे उनकी आय में वृद्धि होगी |

किसानों को दिए जाएंगे दलहन तथा तिलहन फसलों के बीज

राज्य में तिलहन तथा दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए रबी सीजन वर्ष 2021–22 के लिए 50 करोड़ से ज्यादा लागत से दलहन एवं तेलहन की मिनी किट योजना की स्वीकृति दी गई है | इसके लिए सभी जिला कृषि पदाधिकारी एवं बिहार राज्य बीज निगम को यह निर्देश दिया कि विशेष अभियान चलाकर सही समय पर उच्च गुणवत्ता के बीज किसानों को होम डिलीवरी एवं सामान्य तरीके से आपूर्ति की जाये |

रबी तथा गरमा फसलों के लिए तय किए गए लक्ष्य

बिहार सरकार ने वर्ष 2021–22 में रबी तथा गरमा फसल की बुवाई का अनुमान जारी किया है | राज्य में रबी तथा गरमा फसलों की कुल बुवाई 45.10 लाख हेक्टेयर में खाद्यान फसलों की खेती में 153.35 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है | गेहूं फसल के लिए 23 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 72 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है | रबी मक्का में 5 लाख हेक्टेयर में खेती के लिए कुल 42.75 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |

गरमा मक्का के लिए 2.75 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 16.50 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है | बोरो एवं ग्राम धान फसल के लिए 2.00 लाख हेक्टेयर में आच्छादन तथा 7.20 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है | जौ फसल के लिए 0.25 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 0.35 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है | रबी/गरमा वर्ष 2021–22 में तेलहन का 2.20 लाख हेक्टेयर में खेती के लिए 3.90 लाख मैट्रिक टन तेलहन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |

वैज्ञानिकों ने विकसित किया बैटरी से चलने वाला ई-टैक्टर

बैटरी से चलने वाला ई-टैक्टर

लगातार बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों से कृषि लागत में भी इजाफा हो रहा है इसे कम करने के लिए अब इलेक्ट्रिक एवं CNG से चलने वाले कृषि यंत्रों के विकास पर जोर दिया जा रहा है | इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पर अनुसंधान करने वाला देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय बन गया है। विश्वविद्यालय के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज ने बैटरी से चलने वाला ई-ट्रैक्टर को तैयार किया है। यह टैक्टर 16.2 किलोवाट की बैटरी से चलता है और डीजल ट्रैक्टर की तुलना में इसकी संचालन लागत बहुत कम है।

ई-ट्रैक्टर के प्रयोग से किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा । कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने बताया कि यह ई-ट्रैक्टर 23.17 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है व 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है। यह अनुसंधान उपलब्धि कृषि मशीनरी और फार्म इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक एवं वर्तमान निदेशक, उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, हिसार डॉ. मुकेश जैन के मार्गदर्शन में प्राप्त की गई है।

क्या है इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर की खासियत

ई-ट्रैक्टर के परफॉर्मन्स की बात की जाए तो इसमें 16.2 किलोवाट आवर की लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल किया गया। इस बैटरी को 09 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है। इस दौरान 19 से 20 यूनिट बिजली की खपत होती है। उनके अनुसार ट्रैक्टर 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है। इसमें फास्ट चार्जिंग का भी विकल्प उपलब्ध है जिसकी मदद से ट्रैक्टर की बैटरी महज 4 घंटे में चार्ज कर सकते हैं। इसमें शानदार 77 प्रतिशत का ड्राबार पुल है, यानि ट्रैक्टर 770 किलो वजन खींचने में सक्षम है |

ट्रैक्टर में कंपन और शोर की बात की जाए तो इसमें 52 प्रतिशत कम्पन और 20.52 प्रतिशत शोर बीआईएस कोड की अधिकतम अनुमेय सीमा से कम पाया गया। ट्रैक्टर में ऑपरेटर के पास इंजन ना होने के कारण तपिश भी पैदा नही होती जो ऑपरेटर के लिए बिलकुल आरामदायक साबित होगा। क्या है

इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर की लागत

डीजल के बढ़ते हुए दामों को देखते हुए यह ट्रैक्टर किसानों के लिए काफी किफायती साबित होगा जिससे उनकी आमदनी में भी इजाफा होगा। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर के संचालन की लागत के हिसाब से यह डीजल ट्रैक्टर के मुकाबले में 32 प्रतिशत और 25.72 प्रतिशत तक सस्ता है। बैटरी से चलने वाले ट्रैक्टर की कीमत लगभग 6.5 लाख रुपए आएगी | इसके साथ ही समान हार्स पावर वाले डीजल ट्रैक्टर की कीमत 4.50 लाख रुपए है |