बेबीकॉर्न की खेती
कृषि क्षेत्र में किसान नई फसलों एवं नई किस्मों की वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं | कृषि के क्षेत्र में फसलों का चयन बाजार मांग के आनुसार करना चाहिए, जिससे किसानों को उचित भाव मिल सकें | आज के समय में लोगों के बीच स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ बेबीकॉर्न की खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है | इस वजह से इस फसल का बाजार मूल्य भी अधिक है एवं इससे बहुत से उत्पाद बनाए जाते हैं |
बेबीकॉर्न मक्का की ही एक प्रजाति है, लेकिन इसकी उपयोगिता के आधार पर बेबीकार्न नाम दिया गया है | बाजार में मांग के अनुसार किसानों के बीच खेती की प्रतिस्पर्धा बनी हुई है | पौधे का अनिषेचित भुट्टा होता और रेशमी बाल (सिल्क) निकलने के 2–3 दिनों के अंदर तोड़कर उपयोग में लाया जाता है | यह काफी मुलायम होता है | समय बढने के साथ इसकी गुणवत्ता में गिरावट आती जाती है |
बेबीकॉर्न से होने वाले लाभ
यह एक स्वादिष्ट व पौष्टिक आहार है, पत्तियों में लिपटा होने के कारण यह कीटनाशक दवाइयों के प्रभाव से मुक्त होता है | इस कारण यह स्वास्थ्य की द्रष्टि से एकदम सुरक्षित है | बेबीकॉर्न का उपयोग सलाद, सूप, सब्जी, अचार एवं कैंडी, पकौड़ा, कोफ्ता, टिक्की, बर्फी, लड्डू, हलवा, खीर इत्यादि के रूप में होता है | बेबीकॉर्न में फास्फोरस भरपूर मात्रा उपलब्ध होता है | इसके लिए अतिरिक्त इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्सियम, लौह व विटामिन भी उपलब्ध हैं | कोलेस्ट्रोल रहित होने एवं रेशों की अधिकता के कारण यह एक निम्न कैलोरीयुक्त आहार है | यह ह्रदय रोगियों के लिए काफी लाभदायक है |
मृदा का चयन एवं खेती की तैयारी
बेबीकॉर्न की खेती के लिए पर्याप्त जीवांशयुक्त दोमट मृदा अच्छी होती है | पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा शेष जुताई देसी हल/रोटावेटर या कल्टीवेटर द्वारा करके पाटा लगाकर खेत को तैयारी कर लेना चाहिए | बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी के साथ–साथ खेत पलेवा करके तैयार करना चाहिए |
बेबीकॉर्न की उन्नत किस्में
मक्के की बेबीकार्न की खेती के लिए कम समय में पकने वाली, मध्यम ऊँचाई की एकल क्रांस संकर किस्में अधिक उपयुक्त होती है | बेबीकार्न की किस्में इस प्रकार है :-
किस्म | गुल्ली का रंग | जीरा निकलने की अवधि (दिन) | उत्पादन क्षमता (क्विंटल/हैक्टेयर) | |
छिलका सहित | छिलका रहित | |||
आजाद कमल | क्रीमी सफेद गुल्ली | 70–75 | 42–45 | 15 – 20 |
एचएम – 4 | क्रीमी सफेद गुल्ली | 80-85 | 45–50 | 15 – 20 |
बीएल – 42 | सफेद गुल्ली | 70-75 | 42–45 | 17 – 20 |
प्रकाश | सफेद गुल्ली | 70–75 | 45–50 | 16 – 18 |
बुवाई समय एवं विधि
उत्तर भारत में बेबीकार्न फरवरी से नवंबर के मध्य कभी भी बोया जा सकता है | बुवाई मेड़ों के दक्षिणी भाग में करनी चाहिए तथा मेड़ से मेड़ एवं पौधे से पौधे की दुरी 60 से.मी. × 15 से.मी. रखनी चाहिए | विभिन्न किस्मों के बीजों के आकार के अनुसार प्रति हैक्टेयर 22–25 किलोग्राम बीज दर उपयुक्त होती है |
उर्वरक प्रबंधन
अच्छी उपज के लिए उर्वरक का सही उपयोग होना चाहिए | फास्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट एवं 1/3 भाग नाईट्रोजन, बुआई के समय एवं 1/3 भाग बुआई के 25 दिनों बाद तथा शेष 1/3 भाग नाईट्रोजन 40 दिनों बाद डालना चाहिए | फाँस्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट एवं ¼ भाग नाईट्रोजन बुआई के समय, ¼ भाग नाईट्रोजन बुआई के 25 दिनों के बाद ¼ भाग 60–80 दिनों के उपरांत तथा शेष नाईट्रोजन 80–110 दिनों के बाद देनी चाहिए |
बेबीकार्न के लिए संयुक्त खाद /उर्वरकों की मात्रा इस प्रकार है :-
क्र. | उर्वरक | खाद की मात्रा |
1. | गोबर की खाद | 8–10 टन / हैक्टेयर |
2. | नाईट्रोजन | 150 किलोग्राम / हैक्टेयर |
3. | फास्फोरस | 60 किलोग्राम / हैक्टेयर |
4. | पोटाश | 60 किलोग्राम / हैक्टेयर |
5. | जिंक सल्फेट | 25 किलोग्राम / हैक्टेयर |
खरपतवार नियंत्रण
पहली निराई–गुडाई बुआई के 15–20 दिनों बाद तथा दूसरी 30 से 35 दिनों बाद अवश्य करनी चाहिए | इससे जड़ों में हवा का संचार होता है और ये दूर तक फैलकर भोज्य पदार्थ एकत्र करके पौधों को देती हैं | सीमाजीन 105 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर को 500–600 लीटर पानी में घोलकर बीज के अंकुरण के पूर्व खेत में छिडकाव करने से खरपतवार नहीं जमते और फसल तेजी से बढती है |
बेबीकॉर्न की तुड़ाई का सही समय
मक्के की बेबीकार्न की गुल्ली को 3–4 से.मी. सिल्क (जीरा) आने पर तोड़ लेना चाहिए | गुल्ली तुडाई के समय ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए | पत्तियों को हटाने से ये जल्दी खराब हो जाती है | रबी में एक दो दिन छोड़कर गुल्ली की तुडाई करनी चाहिए | एकल क्रांस संकर मक्का में 3– 4 तुड़ाई जरुरी है |
कितनी उपज प्राप्त होगी
इस तरह खेती करने से बेबीकॉर्न की छिलकारहित उपज 15–20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्राप्त होती है | इसके अलावा 200–250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हरा चारा भी मिल जाता है |बेबीकार्न का छिलका तुडाई के दिन उतारकर प्लास्टिक की टोकरी, थैली या कंटेनर में रखकर तुरंत मंडी में पहुंचा देना चाहिए |
बेबी कॉर्न के साथ लगाएं अंत:फसल
रबी में बेबीकॉर्न के साथ आलू, मटर, राजमा, मेथी, धनिया, गोभी, शलजम, मूली, गाजर इत्यादि अंत:फसल के रूप में ली जाती है | अंत:फसल से जो उपज प्राप्त होती है वह अतिरिक्त लाभ होता है |