पीएम किसान योजना के तहत 2000 रुपए की अगली किस्त लेने के लिए किसान 31 जुलाई तक करायें ई-केवाईसी

पीएम किसान योजना के लिए eKYC इस तरह करें

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत एक किसान परिवार को 6000 रुपए सालाना 2000 रुपए की तीन किस्तों में दिए जाते हैं। योजना के तहत अभी तक किसानों को 11 किस्तें दी जा चुकी हैं, अब आगे किसानों को 12वीं किस्त दी जानी है। अभी तक योजना का लाभ देश में लगभग 11 करोड़ किसान परिवारों को दिया जा रहा है। योजना के तहत केवल वास्तविक किसानों को ही योजना का लाभ मिले इसके लिए सरकार ने ई-केवाईसी और बैंक खाते का आधार से लिंक कराना अनिवार्य कर दिया है। जिसके बाद ई-केवाईसी कराने वाले किसानों को ही योजना की अगली किस्त दी जाएगी।

सरकार द्वारा सभी लाभार्थी किसानों के लिए ई-केवाईसी कराने के लिए 31 जुलाई 2022 लास्ट डेट रखी गई है, इस दौरान जो भी किसान e-KYC करवा लेंगे उन्हें ही आगे योजना का लाभ मिलेगा। सत्यापन प्रक्रिया पूर्ण होने पर ही आगामी किस्त की राशि का भुगतान उनके आधार लिंक बैंक खाते में की जाएगी।

किसान कैसे करें ई-केवाईसी (eKYC)

जिन किसानों को अभी तक सम्मान निधि योजना की किस्त दी जा रही है वह किसान स्वयं ही अपना ई-केवाईसी (e-KYC) कर सकते हैं। इसके लिए किसान को पीएम किसान सम्मान निधि पोर्टल पर जाना होगा, वहाँ पर e-KYC विकल्प का चयन कर आधार कॉर्ड नम्बर भरना होगा, जिसके बाद मोबाइल नम्बर पर ओटीपी प्राप्त होगा, जिसे भरकर किसान अपना ई-केवाईसी (e-KYC) पूर्ण कर सकते हैं। 

इसके अलावा जिन किसानों का मोबाइल नम्बर आधार कॉर्ड से लिंक नहीं है ऐसी स्थिति में किसानों को अपने नज़दीकी सीएससी कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर ई-केवाईसी कराना होगा। बायोमैट्रिक तरीके से e-KYC कराने हेतु CSC / वसुधा केंद्र को लाभार्थी द्वारा भारत सरकार के निर्धारित शुल्क 15 /- रु. प्रति e-KYC देना होगा। अधिक जानकारी के लिए किसान पटवारी/लेखपाल/ पंचायत सचिव या तहसील से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

कब दी जाएगी पीएम किसान योजना की अगली किस्त

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों अभी तक 11 किस्त दी जा चुकी है। योजना के तहत सरकार द्वारा एक वर्ष में प्रत्येक 4 महीने में एक किस्त दी जाती है। अभी किसानों को अप्रैल से जुलाई 2022 के दौरान दी जाने वाली किस्त दी गई है, जिसका लाभ देश भर के 10 करोड़ 85 लाख 13 हजार 449 किसानों को मिला है। इसके बाद किसानों को अगली 12वीं किस्त अगस्त से नवम्बर माह के दौरान दी जाएगी, संभवतः यह किस्त सितम्बर माह में दी जा सकती है।

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किसानों को एग्री एम्बुलेंस से मिलेगी खेती-किसानी के लिए सम्पूर्ण सुविधा, ड्रोन से आधे घंटे में होगा 4 एकड़ में दवा का छिड़काव

एग्री एंबुलेंस और एग्रीकल्चर ड्रोन की हुई लॉन्चिंग

आज के समय में कृषि मजदूरों की समस्या के चलते किसानों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में किसान कृषि यंत्रों की मदद से न केवल काम कम समय में पूरा कर सकते हैं बल्कि इनके उपयोग से फसल उत्पादन में आने वाली लागत में कमी भी आती है साथ ही अच्छी पैदावार भी प्राप्त होती है। कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रों के महत्व को देखते हुए सरकार आधुनिक कृषि यंत्रों को बढ़ावा दे रही है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कंप्लीट एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन एवं एग्री एम्बुलेंस की लांचिंग की।

आधे घंटे में होगा 4 एकड़ क्षेत्र में दवा का छिड़काव

एग्रीकल्चर ड्रोन के माध्यम से 4 एकड़ खेतों में आधे घंटे के भीतर दवा का छिड़काव हो सकेगा। मशीन के माध्यम से दवा की मात्रा भी निर्धारित की जा सकेगी। अमूमन एक किसान को इसके लिए 1 एकड़ हेतु 3 घंटे का वक्त लगता है। ग्रामीण क्षेत्रों में छिड़काव के लिए लेबर मिलने में भी परेशानी होती है। इसके माध्यम से किसानों की समय की बचत भी होगी और समूहों की आय भी बढ़ेगी।

एग्री एम्बुलेंस में किसानों को मिलेगी यह सुविधाएँ

एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन के साथ ही एग्री एम्बुलेंस भी होगी जिसमें एग्रीकल्चर लैब की सुविधा भी होगी जिसमें किसान साइल टेस्टिंग आदि करा सकेंगे। प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री को बताया कि इसके माध्यम से खेती किसानी में काफी सुविधा हो सकेगी। यह पीपीपी मॉडल पर काम करेगा, 20 गांव में एक मशीन के माध्यम से कार्य हो सकेगा। यह कार्य समूह करेगा। ड्रोन के संचालन के लिए समूह के युवाओं को ही प्रशिक्षित किया जाएगा। एग्री एम्बुलेंस में खेती किसानी के लिए सम्पूर्ण सुविधा होगी। इसमें जैविक खाद की उपलब्धता भी होगी।

बैटरी से चलने वाला कल्टीवेटर एवं प्लांटर किया गया लॉन्च, किसान अब आसानी से कर सकेंगे खेतों की जुताई एवं बुआई

बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर

कृषि कार्यों में आधुनिक कृषि यंत्रों का महत्व काफी बढ़ गया है, इन कृषि यंत्रों की मदद से किसान कम समय में आसानी से अधिक काम कर सकते हैं, जिससे खेती की लागत में भी कमी आती है। कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किसानों के लिए लगातार नए-नए प्रकार के कृषि यंत्र बनाएँ जा रहे हैं, जिससे अधिक से अधिक किसान इन कृषि यंत्रों का लाभ ले सकें। 28 जुलाई के दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने हरेली तिहार के मौके पर कृषि कार्य आसान बनाने वाले दो तरह के कृषि यंत्रों की लॉन्चिंग की।

मुख्यमंत्री ने दुर्ग जिले के विकासखण्ड पाटन के ग्राम करसा में लगाई गई कृषि प्रदर्शनी में पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर को लॉन्च किया। यह दोनों ही कृषि यंत्र इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बनाया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इन यंत्रों के इस्तेमाल से किसानों को कृषि कार्य में लगने वाले समय में कमी आएगी साथ ही लागत में भी कमी होगी।

बैटरी से चलने वाले कल्टीवेटर की विशेषता एवं कीमत

सामान्यतः जुताई के कार्य के लिए किसान देसी हल का उपयोग करते हैं। इसके पश्चात पाटा का उपयोग किया जाता है। इस दौरान खेत में ढेले टूट नहीं पाते। इससे बीज बोने वाले यंत्र को चलाने में कठिनाई होती है। ऐसे में द्वितीयक जुताई के लिए पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर कृषकों की समस्या का निदान कर सकता है।

इस यंत्र में 750 वॉट (1 एचपी) की मोटर लगी है और 48 वोल्ट पॉवर की बैटरी लगाई गई है। इस कल्टीवेटर की सहायता से 1 हेक्टेयर खेत को 5-7 घंटे में एक बार द्वितीयक जुताई की जा सकती है। इससे जहाँ मवेशियों को कम बल लगाना पड़ेगा तो वहीं कृषक भी सीट पर बैठकर आसानी से पूरे यंत्र को संचालित कर सकते हैं। इस पूरे यंत्र की लागत क़रीब 55-60 हज़ार रुपये बतायी जा रही है।

प्लांटर की विशेषता एवं कीमत

इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक द्वारा पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड प्लांटर भी बनाया गया है। इसकी सहायता से कतारबद्ध बीज से बीज की दूरी बनाए रखते हुए बुआई की जा सकेगी। इस प्लांटर को कतार से कतार के बीच की दूरी फसल के अनुसार 20 से 50 सेन्टीमीटर तक व्यवस्थित कर सकते हैं। प्लांटर की लागत लगभग 20-25 हज़ार रुपये बताई जा रही है।

आज से शुरू हुई गोमूत्र की खरीदी, पशुपालक किसान अब इन दामों पर बेच सकेंगे गोबर एवं गोमूत्र

गोबर एवं गोमूत्र की खरीद 

पशुपालन को लाभ का धंधा बनाने एवं कृषि की लागत को कम करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्रम में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गोधन न्याय योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत किसानों से गोबर की खरीदी की जाती है, जिससे वर्मी कम्पोस्ट खाद आदि बनाया जाता है जिससे किसानों को कम दामों पर जैविक खाद उपलब्ध होती है। इस कड़ी में अब सरकार ने 28 जुलाई 2022 से गोमूत्र की खरीदी भी शुरू कर दी है, जिससे किसानों को दोहरा लाभ होगा। एक तो गोमूत्र बेचकर किसानों की आय होगी वहीं सस्ते दामों पर जैविक कीटनाशक भी उन्हें उपलब्ध हो सकेंगे।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में धूम-धाम से आयोजित हरेली पर्व के अवसर पर राज्य में गौ-मूत्र की खरीदी की ऐतिहासिक शुरूआत की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर चंदखुरी की निधि स्व-सहायता समूह को 5 लीटर गौ-मूत्र 20 रूपए में बेचकर राज्य के पहले विक्रेता बने। निधि स्व-सहायता समूह ने गौ-मूत्र विक्रय की यह राशि श्री भूपेश बघेल के आग्रह पर मुख्यमंत्री सहायता कोष के खाते में जमा की।

इस रेट पर होगी गोबर एवं गोमूत्र की खरीदी

छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरुआत आज से 2 साल पहले 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी । इसके तहत गौठनों में पशुपालक ग्रामीणों से 2 रुपये किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है, जो आगे भी जारी रहेगी। वहीं सरकार ने आज से गोठानों के माध्यम से गोमूत्र की खरीदी भी शुरू कर दी है। जिसके बाद राज्य के पशुपालक किसान 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गोठानों में बेच सकेंगे।

गोमूत्र एवं गोबर खरीद से क्या लाभ होंगे

सरकार का कहना है कि गोबर खरीदी के जरिए बड़े पैमाने पर जैविक खाद का निर्माण और उसके उपयोग के उत्साहजनक परिणामों को देखते हुए अब गोमूत्र की खरीदी कर इससे कीट नियंत्रक उत्पाद, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर बनाए जाएंगे, ताकि राज्य के किसानों को महंगे रासायनिक कीटनाशकों के बदले सस्ते दर पर जैविक कीटनाशक उपलब्ध हो सके। इसके पीछे मकसद यह भी है कि खाद्यान्न उत्पादन की विषाक्तता को कम करने के साथ ही खेती की लागत को भी कम किया जा सके। अंधाधुंध रासायनिक खादों एवं रासायनिक कीटनाशकों का खेती में उपयोग होने से खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता खत्म हो रही है। इन जैविक कीटनाशकों की कीमत बाजार में मिलने वाले महंगे रासायनिक कीटनाशक पेस्टिसाइड की कीमत से काफी कम होगी।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गोमूत्र कीटनाशक रासायनिक कीटनाशक का बहुत ही बेहतर और सस्ता विकल्प है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक होती है। खेतों में इसके छिड़काव से सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण में मदद मिलती है। पत्ती खाने वाले, फल छेदन एवं तना छेदक कीटों के प्रति गोमूत्र कीटनाशक का उपयोग ज्यादा प्रभावकारी है।

गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और महिला समूहों को दिए 300 करोड़ रुपए

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि गोधन न्याय योजना के बहुआयामी परिणामों को देखते हुए देश के अनेक राज्य इसको अपनाने लगे हैं। इस योजना के तहत अमीर हो या गरीब सभी 2 रूपए किलो में गौठानों में गोबर बेच रहे हैं। बीते दो सालो में गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और महिला समूहों के खाते में 300 करोड़ रूपए से अधिक की राशि अंतरित हुई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी समृद्ध हो, किसान खुशहाल हो यह हमारी कोशिश है। जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का खेती में उपयोग करने से खेती की लागत में कमी आएगी। खाद्यान्न की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे जन-जीवन का स्वास्थ्य बेहतर होगा।

किसान 29 जुलाई से कर सकेंगे डीजल अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन

डीजल अनुदान के लिए आवेदन 

इस वर्ष देश में मानसून का वितरण असामान्य रहने से किसानों की खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है। इस वर्ष जहाँ कुछ राज्यों में बहुत अधिक वर्षा से बाढ़ के हालात हैं तो कुछ राज्यों में कम वर्षा से सूखे की स्थिति बनी हुई है। सूखे से प्रभावित राज्यों में बिहार, झारखंड एवं उत्तर प्रदेश प्रमुख है। राज्य में सूखे की स्थिति को देखते हुए बिहार राज्य सरकार ने किसानों को सिंचाई के लिए डीजल की खरीद पर अनुदान देने का फैसला लिया है।

इसके अतिरिक्त बिहार सरकार राज्य के किसानों को सूखे की स्थिति से निपटने के लिए कृषि फ़ीडर से 16 घंटे की निर्बाध बिजली उपलब्ध करा रही है, सरकार ने किसानों से इसका उपयोग करने की अपील की है। वहीं जो किसान डीजल पम्प सेट से सिंचाई कर रहे हैं उन्हें अनुदान देने के लिए 29 जुलाई 2022 से आवेदन आमंत्रित करने जा रही है। 

डीजल पर कितना अनुदान Subsidy दिया जाएगा 

बिहार सरकार ने खरीफ फसलों की डीजल पम्पसेट से सिंचाई के लिए खरीदे गए डीजल पर 60 रुपए प्रति लीटर की दर से 600 रुपए प्रति एकड़, प्रति सिंचाई डीजल अनुदान देगी, जो अधिकतम 8 एकड़ भूमि के लिए दिया जाएगा। जिसमें धान का बिचड़ा एवं जूट फसल की अधिकतम 2 सिंचाई के लिए 1200 रुपए प्रति एकड़ तक दिया जाएगा। 

वहीं खड़ी फसलों में धान, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगंधित पौधे की अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 1800 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान दिया जाएगा। प्रति किसान अधिकतम 8 एकड़ भूमि के लिए ही डीजल अनुदान दिया जाएगा। 

इन किसानों को मिलेगा डीजल अनुदान का लाभ

योजना के तहत रैयत एवं गैर-रैयत दोनों प्रकार के किसानों को डीजल अनुदान दिया जाएगा। ऐसे किसान जो दूसरे कि ज़मीन पर खेती करते हैं (गैर-रैयत), उन्हें प्रमाणित/ सत्यापित करने के लिए सम्बंधित वार्ड सदस्य एवं कृषि समन्वयक के द्वारा पहचान की जाएगी। सत्यापित करते समय या ध्यान रखा जाएगा कि वास्तविक खेती करने वाले जोतदार को ही अनुदान का लाभ मिले। केवल वैसे किसान ही इस योजना के तहत आवेदन करें जो वास्तव में डीजल का उपयोग कर सिंचाई कर रहे हैं। डीजल की खरीद कर वास्तव में सिंचाई के लिए उपयोग किया गया है, की जाँच सम्बंधित कृषि समन्वयक द्वारा किया जाएगा।

डीजल पर सब्सिडी लेने के लिए इन बातों का ध्यान रखें

जो भी किसान डीजल पर अनुदान प्राप्त करना चाहते हैं वे किसान अधिकृत पेट्रोल पम्प से डीजल क्रय के उपरांत डिजिटल पावती रसीद (डिजिटल वाउचर) जिसमें किसान का 13 अंक का पंजीकरण संख्या का अंतिम 10 अंक अंकित हो, ही मान्य होगा। इस योजना का लाभ किसान 30/10/2022 तक ही ले सकते हैं। इसके बाद खरीदे गए डीजल पर अनुदान नहीं दिया जाएगा। 

डीजल अनुदान Subsidy के लिए किसान कहाँ आवेदन करें?

बिहार राज्य के किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पंजीयन कराना आवश्यक है। किसान इस योजना के तहत ऑनलाइन पंजीयन कृषि विभाग, बिहार सरकार की वेबसाइट https://state.bihar.gov.in/krishi/CitizenHome.html पर या https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर डीजल अनुदान के लिए आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। किसान योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए अपने सम्बंधित कृषि समन्वयक/ प्रखंड कृषि पदाधिकारी/अनुमंडल कृषि पदाधिकारी/ ज़िला कृषि पदाधिकारी या किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नम्बर 1800-180-1551 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

डीजल अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

सब्सिडी पर पाईप लाईन सेट, स्प्रिंकलर सेट एवं पंप सेट लेने के लिए आवेदन करें

स्प्रिंकलर सेट,पाईप लाईन एवं पंपसेट(डीजल/विद्युत) अनुदान हेतु आवेदन

किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रहीं है, योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर सिंचाई के लिए उपयोगी विभिन्न कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाते हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए विभिन्न ज़िलों के किसानों को अनुदान पर सिंचाई यंत्र उपलब्ध कराने के लिए अलग-अलग ज़िलों के लिए लक्ष्य जारी कर दिए हैं। इन लक्ष्यों के विरुद्ध राज्य के किसान विभिन्न योजनाओं के तहत स्प्रिंकलर सेट,पाईप लाईन सेट,पंपसेट(डीजल/विद्युत),रेनगन सिस्टम के लिए आवेदन कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत अलग-अलग घटकों के लिए ज़िलेवार लक्ष्य जारी किए गए हैं। इच्छुक किसान आवश्यकता अनुसार इन सिंचाई यंत्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद चयनित किसानों को अनुदान का लाभ दिया जाएगा।

कृषि सिंचाई यंत्रों के लिए किसान कब से कर सकेंगे आवेदन

मध्य प्रदेश कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2022-2023 हेतु विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सिंचाई उपकरणों हेतु आवेदन माँगे गए हैं। इच्छुक किसान दिनांक 27 जुलाई 2022 दोपहर 12 बजे से 4 अगस्त 2022 तक पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। प्राप्त आवेदनों में से लक्ष्यों के विरूद्ध लॉटरी ऑनलाइन सम्पादित की जाना प्रस्तावित है।

सब्सिडी पर इन सिंचाई यंत्रों के लिए किसान कर सकेंगे आवेदन

  • स्प्रिंकलर सेट
  • पाईप लाईन सेट
  • पंपसेट(डीजल/विद्युत)
  • रेनगन सिस्टम

इन योजनाओं के तहत किसान कर सकेंगे आवेदन

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (दलहन) के तहत राज्य के सभी ज़िलों के किसान स्प्रिंकलर सेट,पाईप लाईन सेट,पंपसेट(डीजल/विद्युत) सिंचाई उपकरणों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (गेहूं) योजना के तहत कटनी ,शिवनी, सागर ,पन्ना, टीकमगढ़ ,छतरपुर ,रीवा ,सीधी, सतना ,खंडवा ,शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, रायसेन ,विदिशा, राजगढ़ ,निवाड़ी ज़िलों के किसान स्प्रिंकलर सेट,पाईप लाईन सेट,पंपसेट(डीजल/विद्युत),रेनगन सिस्टम सिंचाई उपकरणों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (टरफा) योजना के तहत कटनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा ,सिवनी ,मंडला, डिंडोरी ,नरसिंहपुर ,दमोह ,पन्ना, रीवा, सीधी, सिंगरौली ,सतना, शहडोल, उमरिया ,अनूपपुर ,रायसेन, होशंगाबाद ,बेतुल ज़िलों के किसान स्प्रिंकलर सेट एवं पाईप लाईन सेट सिंचाई उपकरणों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (बुंदेलखंड विशेष पैकेज) योजना के तहत राज्य के सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, निवाड़ी ज़िलों के किसान स्प्रिंकलर सेट,पाईप लाईन सेट,पंपसेट(डीजल/विद्युत) के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (धान) के तहत राज्य के कटनी, मंडला ,डिंडोरी, दमोह, पन्ना ,रीवा ,सीधी, अनूपपुर ज़िलों के किसान पंपसेट(डीजल/विद्युत) के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

सिंचाई यंत्रों पर कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा?

राज्य में किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत अलग-अलग वर्ग के किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। जहां सरकार द्वारा किसानों स्प्रिंक्लर सेट एवं रेनगन पर अधिकतम 55 प्रतिशत तक की सब्सिडी एवं अन्य सिंचाई उपकरणों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान जो भी कृषि सिंचाई यंत्र लेना चाहते हैं वह कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर सिंचाई यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

सिंचाई यंत्रों पर अनुदान हेतु आवश्यक दस्तावेज

  • आधार कार्ड की कॉपी,
  • बैंक पासबुक के प्रथम प्रष्ठ की कॉपी,
  • जाति प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कृषकों हेतु),
  • बिजली कनेक्शन का प्रमाण जैसे बिल सिंचाई यंत्र आदि।

सिंचाई यंत्रों पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

मध्यप्रदेश के किसान दिए गए सिंचाई यंत्रों हेतु ऑनलाइन आवेदन ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं। किसान मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे| किसान कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकते हैं। आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी (OTP) प्राप्त होगा। इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे।

स्प्रिंकलर सेट,पाईप लाईन सेट,पंपसेट(डीजल/विद्युत) पर सब्सिडी हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

किसान इस तरह बनाएं गोमूत्र से कीटनाशक दवा

गोमूत्र से कीटनाशक दवा बनाने की विधि

देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैविक खेती से जहां फसल उत्पादन की लागत में कमी आती है वहीं गुणवत्ता युक्त उपज भी प्राप्त होती है। किसान अपने घरों पर ही आसानी से जैविक खाद एवं कीटनाशक बना सकते हैं जिससे इनमें लगने वाली लागत को कम किया जा सकता है। गौ-मूत्र से बना कीटनाशक बाजार में मिलने वाले रासायनिक पेस्टीसाइड का बेहतर और सस्ता विकल्प है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक होती है।

खेतों में इसके छिड़काव से सभी प्रकार की कीटों पर नियंत्रण में मदद मिलती है। पत्ती खाने वाले, फल छेदन तथा तना छेदक जैसे अधिक हानि पहुंचाने वाले कीटों के प्रति इसका उपयोग अधिक लाभकारी है। गोमूत्र कीटनाशक, खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता और उसके स्वाद को बनाए रखने, खेती की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ कृषि पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।

किसान इस तरह बनाए गोमूत्र से कीटनाशक दवा

फसलों में विभिन्न प्रकार के कीटों को नियंत्रित करने के लिए किसान आसानी से घर पर ही कीटनाशक बना सकते हैं। इसको बनाने के लिए 10 लीटर गोमूत्र में 2-3 किलो नीम की पत्ती के साथ सीताफल, पपीता, अमरूद एवं करंज की 2-2 किलो पत्तियां मिलाकर उबालना होता है। जब इसकी मात्रा 5 लीटर तक हो जाए तब इसे छान कर ठंडा कर बोतल में पैकिंग की जाती है। इस तरह 5 लीटर गोमूत्र कीटनाशक तैयार हो जाता है।

फसलों में इस तरह करें गोमूत्र से बनाए गए कीटनाशक का छिड़काव

दो से ढाई लीटर गोमूत्र कीटनाशक को 100 लीटर पानी में मिलाकर सुबह-शाम खड़ी फसल पर 10 से 15 दिनों के अंतराल में छिड़काव करने से फसलों का बीमारियों एवं तना छेदक कीटों से बचाव होता है। गौमूत्र कीटनाशक का उपयोग कीट का प्रकोप होने के पूर्व करने पर अधिक प्रभावशाली होता है। यह रोग नियंत्रक बायो डिग्रेबल है, जो वातावरण के लिए पूर्णतः सुरक्षित है। इसके उपयोग से कीटों में इसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न नहीं होती है, क्योंकि यह मल्टीपल एक्शन से कीट नियंत्रण करता है। गोमूत्र कीटनाशक से मित्र कीटों को हानि नहीं होती है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गौमूत्र कीटनाशक बनाने पर प्रति लीटर 39 रूपए की लागत आती है, जिसमें इसके एक लीटर पैकेजिंग का खर्च 15 रूपए शामिल है। यदि केन में पैकेंजिंग की जाए तो इसकी लागत और कम हो जाती है। 

65 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने हेतु आवेदन करें

सब्सिडी पर रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट हेतु आवेदन

देश में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है, इसके लिए देश भर में सोलर रूफटॉप योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत चयनित लाभार्थियों को घर की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य के व्यक्तियों से रूफटॉप सोलर प्लांट स्थापित करने हेतु आवेदन माँगे गए गए हैं। इच्छुक व्यक्ति योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

बिजली कंपनी द्वारा चयनित एजेंसी के माध्यम से रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट का अधिष्ठापन घरेलू परिसरों में किया जाएगा एवं एजेंसी द्वारा 5 वर्षों तक इसका रखरखाव किया जायेगा। सोलर पैनल सामान्यतः 25 वर्षों तक कार्य करता है। छत पर सोलर प्लांट लगाने से घर के तापमान में कमी आएगी साथ ही बिजली बिल से भी राहत मिलेगी।

घरों की छतों पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापना हेतु अनुदान Subsidy

सोलर बिजली प्लांट क्षमता (किलोवाट में)
MNRE द्वारा निर्धारित बेंचमार्क लागत (घरेलू परिसर) (रुपए प्रति किलोवाट)
सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदान (प्रतिशत में)

Up to 1 kW

46,923

65

>1kW Up to 2 kW

43,140

65

>2kW Up to 3 kW

42,020

65

>3kW Up to 10 kW

40,991

45

हाउसिंग सोसाइटी एवं अन्य स्थानों (अधिकतम 10 किलोवाट प्रति घर की दर से 500 किलोवाट तक) के लिए दिया जाने वाला अनुदान 
सोलर बिजली प्लांट क्षमता (किलोवाट में)
MNRE द्वारा निर्धारित बेंचमार्क लागत (घरेलू परिसर) (रुपए प्रति किलोवाट)
सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदान (प्रतिशत में)

Up to 1 kW

46,923

45

>1kW Up to 2 kW

43,140

45

>2kW Up to 3 kW

42,020

45

>3kW Up to 10 kW

40,991

45

>10kW Up to 100 kW

38,236

45

>100kW Up to 500 kW

35,886

45

सोलर रूफटॉप के लिए आपको कितनी राशि देना होगा

  • अनुदान की राशि MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) द्वारा निर्धारित बेंचमार्क लागत या निविदा के माध्यम से डिस्कवर रेट में से जो न्यूनतम होगा उस पर निर्धारित होगी।
  • उपभोक्ता को इस योजना अंतर्गत सोलर पॉवर प्लांट लगवाने हेतु अपने हिस्से की कुल देय राशि (डिस्काउंट रेट-सरकार द्वारा अनुदान की राशि) को दो किस्तों में सोलर पॉवर प्लांट के अधिष्ठापना की प्रगति के अनुसार सीधे वेंडर के खाते में भुगतान करना होगा।
  • डिस्कवर रेट एवं चयनित वेंडर से सम्बंधित सूचना विभागीय वेबसाइट sbpdcl.co.in/nbpdcl.co.in पर उपलब्ध होगी।
  • समबंधित रूफटॉप मालिक को 80 प्रतिशत समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अग्रिम भुगतान करना होगा शेष 20 प्रतिशत भुगतान प्लांट हेतु आवश्यक सामग्री उपभोक्ता के परिसर में डिलेवरी करने के बाद करना होगा।

सोलर पॉवर प्लांट के लिए यहाँ करना होगा आवेदन

बिहार राज्य में रूफ टॉप सोलर पॉवर प्लांट के लिए आवेदन शुरू हो चुके हैं। इच्छुक व्यक्ति https://sbpdcl.co.in पर आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए अपने यहाँ के बिजली विभाग में सम्पर्क कर सकते हैं। आवेदन शुल्क की राशि 500 रुपए है। वर्तमान में डिस्काम के द्वारा निविदा के माध्यम से वेंडर चयन एवं रेट को डिस्कवर करने की प्रक्रिया की जा रही है। 

कृषि विषय को लेकर पढ़ने वाली लड़कियों को दी जाएगी छात्रवृति, 30 नवम्बर तक यहाँ करना होगा आवेदन

छात्राओं को छात्रवृत्ति के लिए आवेदन

कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए महिलाओं को प्रोत्साहन देने हेतु सरकार द्वारा कई योजनाओं के तहत उन्हें अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में अधिक से अधिक लड़कियाँ कृषि क्षेत्र में कार्य करें इसके लिए राजस्थान सरकार कृषि विषय में अध्ययन करने वाली लड़कियों को प्रोत्साहन स्वरूप छात्रवृति देती है।

राजस्थान सरकार ने कृषि विषय लेकर अध्ययन करने वाली छात्राओं के लिए प्रोत्साहन राशि के आवेदन पत्र मांगे हैं। योजना के तहत कृषि क्षेत्र में अध्ययनरत छात्राओं को 11वीं कक्षा से लेकर पी.एच.डी. तक के लिए छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है। इसके लिए ‘‘राज किसान साथी‘‘ पोर्टल पर 30 नवम्बर तक जिले के उप निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद को आवेदन करना होगा।

प्रत्येक वर्ष दी जाएगी प्रोत्साहन राशि (छात्रवृत्ति)

योजना के तहत राजस्थान राज्य में कृषि विषय लेकर 11वीं एवं 12वीं कक्षाओं में अध्ययन कर रही छात्राओं को 5 हजार रूपये प्रतिवर्ष प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी। कृषि विज्ञान में स्नातक, उद्यानिकी, डेयरी, कृषि अभियांत्रिकी, खाद्य प्रसंस्करण आदि विषयों में अध्यनरत छात्राओं को 12 हजार रूपये प्रतिवर्ष दिये जायेंगे । कृषि स्नाकोत्तर शिक्षा में 2 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए 12 हजार रूपये प्रतिवर्ष प्रदान किये जायेंगे। कृषि विषय में पी.एच.डी. कर रही छात्राओं को 15 हजार रूपये प्रतिवर्ष 3 साल तक दिये जाने का प्रावधान है।

छात्रवृत्ति हेतु आवश्यक दस्तावेज 

आवेदन करते समय छात्राओं को कुछ दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करने होंगे जो इस प्रकार है:-

  • जन आधार कार्ड,
  • गत वर्ष की अंकतालिका,
  • मूल निवास प्रमाण पत्र,
  • संस्था प्रधान का ई-साइन प्रमाण पत्र,
  • नियमित विद्यार्थी होने का संस्था प्रधान का प्रमाण पत्र,
  • श्रेणी सुधार हेतु प्रवेश नहीं लेने का प्रमाण पत्र आदि।

प्रोत्साहन राशि हेतु यहाँ करें आवेदन

राज्य की इच्छुक छात्राएँ ई-मित्र के माध्यम से अथवा स्वयं की एस.एस.ओ. आई.डी. से राज किसान साथी पोर्टल पर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकती है। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर कृषि पर्यवेक्षक या पंचायत समिति स्तर पर सहायक कृषि अधिकारी या जिला स्तर पर उप निदेशक कृषि (विस्तार) से सम्पर्क कर सकते हैं।

किसान इस तरह करें लम्पी स्किन डिजीज रोग की पहचान एवं उसका नियंत्रण

पशु में लम्पी स्किन डिजीज LSD रोग

भारत दुनिया में सबसे बड़ा पशुपालक तथा दुग्ध उत्पादक देश है। 20वीं पशुगणना के अनुसार देश में गोधन की आबादी 18.25 करोड़ है, जबकि भैंसों की आबादी 10.98 करोड़ है। इस प्रकार दुनिया में भैसों की संख्या भारत में सर्वाधिक है। देश की एक बड़ी आबादी पशुपालन से जुड़ी हुई है, यदि कोई भी रोग महामारी का रूप लेकर पशुओं को ग्रसित करता है तो इसका सीधा असर उनके उत्पादन पड़ता है, जिसका सीधा असर पशुपालकों की आय पर पड़ता है।

बारिश के मौसम में पशुओं में कई संक्रामक रोग फैलते हैं जिसमें लम्पी स्किन डिजीज भी एक है। लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) या ढेलेदार त्वचा रोग वायरल रोग है, जो गाय-भैसों को संक्रमित करता है। इस रोग से कभी-कभी पशुओं की मौत भी हो सकती है। पिछले दो वर्षों में यह रोग तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, केरल, असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में देखा गया है।

तेज़ी से फैलता है यह रोग

लम्पी स्किन डिजीज रोग को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे बहुत तेज़ी से फैलने वाले रोगों की सूची में रखा है। LSD वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे कीटों से आसानी से फैलता है। इसके साथ ही यह दूषित पानी, लार एवं चारे के माध्यम से भी पशुओं को संक्रमित करता है। गर्म एवं नमी वाला मौसम इस रोग को और ज़्यादा तीव्रता से फैलता है।ठंडा मौसम आने पर इस रोग की तीव्रता में कमी आ जाती है।

लम्पी स्किन डिजीज LSD रोग का फैलाव 

एलएसडी, क्रेप्रीपांक्स वायरस से फैलता है। अगर एक पशु में संक्रमण हुआ तो दुसरे पशु भी इससे संक्रमित हो जाते हैं। यह रोग मच्छरों–मक्खियों एवं चारे के जरिए फैलता है। भीषण गर्मी और पतझड़ के महीनों के दौरान संक्रमण बढ़ जाता है क्योंकि मक्खियाँ भी अधिक हो जाती है। वायरस दूध, नाक – स्राव, लार, रक्त और लेक्रिमल स्राव में भी स्रावित होता है, जो पशुओं को खिलाने और पानी देने वाले कुंडों में संक्रमण का अप्रत्यक्ष स्रोत बनता है | यह रोग गाय का दूध पीने से बछड़ों को भी संक्रमित कर सकता है। संक्रमण के 42 दिनों तक वीर्य में भी वायरस बना रहता है। इस रोग का वायरस मनुष्य के लिए संक्रमणीय नहीं है |

लम्पी स्किन डिजीज LSD रोग के लक्षण 

इस रोग से ग्रस्त पशु में 2–3 दिनों तक तेज बुखार रहता है। इसके साथ ही पूरे शरीर पर 2 से 3 से.मी. की सख्त गांठें उभर आती हैं। कई अन्य तरह के लक्षण जैसे कि मुँह एवं श्वास नली में जख्म, शारीरिक कमजोरी, लिम्फनोड (रक्षा प्रणाली का हिस्सा) की सूजन, पैरों में पानी भरना, दूध की मात्रा में कमी, गर्भपात, पशुओं में बांझपन मुख्यत: देखने को मिलता है। इस रोग के ज्यादातर मामलों में पशु 2 से 3 हफ्तों में ठीक हो जाता है, लेकिन दूध में कमी लम्बे समय तक बनी रहती है। अत्यधिक संक्रमण की स्थिति में पशुओं की मृत्यु भी संभव है, जो कि 1 से 5 प्रतिशत तक देखने को मिलती है।

एलएसडी को कई प्रकार के रोगों के साथ भ्रमित किया जा सकता है, जिसमें स्यूडो लंपी स्किन डिजीज (बोवाइन हर्पीसवायरस 2), बोवाइन पैपुलर स्टोमाडीकोसिस शामिल हैं | इसलिए इस रोग की पुष्टि प्रयोगशाला में उपलब्ध परीक्षणों के माध्यम से वायरस डीएनए या उसकी एंटीबॉडी का पता लगाकर करनी चाहिए।

पशुओं को इस रोग से बचाने के उपाय 

  • रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए, यदि फ़ार्म पर या नजदीक में किसी पशु में संक्रमण की जानकारी मिलती है, तो स्वस्थ पशु को हमेशा उनसे अलग रखना चाहिए।
  • रोग के लक्षण दिखाने वाले पशुओं को नहीं खरीदना चाहिए, मेला, मंडी एवं प्रदर्शनी में पशुओं को नहीं ले जाना चाहिए।
  • फ़ार्म में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय करने चाहिए, मुख्यत: मच्छर, मक्खी, पिस्सू एवं चिंचडी का उचित प्रबंध करना चाहिए।
  • रोगी पशुओं की जांच एवं इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए एवं फ़ालतू सामान को उचित प्रबंधन करके नष्ट कर देना चाहिए।
  • यदि अपने फ़ार्म पर या आसपास किसी असाधारण लक्षण वाले पशु को देखते हैं, तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी जानकारी देनी चाहिए।
  • एक फ़ार्म के श्रमिक को दुसरे फ़ार्म में नहीं जाना चाहिए, इसके साथ–साथ श्रमिक को अपने शरीर की साफ़–सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए। संक्रमित पशुओं की देखभाल करने वाले श्रमिक, स्वस्थ पशुओं से दूरी बनाकर रहें या फिर नहाने के बाद साफ़ कपड़े पहनकर स्वस्थ पशुओं की देखभाल करें।
  • पूरे फ़ार्म की साफ़–सफाई का उचित प्रबंध होना चाहिए, फर्श एवं दीवारों को अच्छे से साफ़ करके एक दीवारों की साफ़–सफाई के लिए फिनोल (2 प्रतिशत) या आयोडीनयुक्त कीटनाशक घोल (1:33) का उपयोग करना चाहिए।
  • बर्तन एवं अन्य उपयोगी सामान को रसायन से कीटाणु रहित करना चाहिए। इसके लिए बर्तन साफ़ करने वाला डिटरजेंट पाउडर, सोडियम हाइपोक्लोराइड, (2–3 प्रतिशत) या कुआटर्नरी अमोनियम साल्ट (0.5 प्रतिशत) का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • यदि कोई पशु लम्बे समय तक त्वचा रोग से ग्रस्त होने के बाद मर जाता है, तो उसे दूर ले जाकर गड्डे में दबा देना चाहिए।
  • जो सांड इस रोग से ठीक हो गए हों, उनकी खून एवं वीर्य की जांच प्रयोगशाला में करवानी चाहिए। यदि नतीजे ठीक आते हैं, उसके बाद ही उनके वीर्य का उपयोग करना चाहिए।

अभी तक इस रोग का टीका नहीं बना है, लेकिन फिर भी यह रोग बकरियों में होने वाले गोट पॉक्स की तरह के टीके से उपचारित किया जा सकता है। गाय–भैंसों को भी गोट पॉक्स का टिका लगाया जा सकता है एवं इसके परिणाम भी बहुत अच्छे मिलते हैं  इसके साथ ही दुसरे पशुओं को रोग से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधे एवं बुखार और लक्षण के हिसाब से उसका इलाज करवाना चाहिए।

इलाज के लिए इन बातों का रखें ध्यान

यह रोग विषाणु से फैलता है, जिसके कारण इस रोग का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। संक्रमण की स्थिति में अन्य रोग से बचाव के लिए पशुओं का इलाज करना चाहिए।

  • रोगी पशुओं का इलाज के दौरान अलग ही रखना चाहिए,
  • रोगी पशुओं के बचाव के लिए जरूरत अनुसार एंटीबायोटिक दवाइओं का उपयोग किया जा सकता है।
  • दवाईयों का उपयोग डॉक्टर की सलाह अनुसार ही करना चाहिए।
  • यदि पशुओं को बुखार है, तो बुखार घटाने की दवाई दी जा सकती है।
  • यदि पशुओं के ऊपर जख्म हो, तो उसके अनुसार दवाई लगानी चाहिए।
  • पशुओं की खुराक में नरम चारा एवं आसानी से पचने वाले दाने का उपयोग करना चाहिए।