किसान इस तरह करें मूँगफली की फसल में टिक्का या पर्ण चित्ती रोग का नियंत्रण

मूँगफली में टिक्का या पर्ण चित्ती रोग का नियंत्रण

मूँगफली एक प्रमुख तिलहन फसल है, देश में मुख्यतः गुजरात, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, तेलंगाना तथा महाराष्ट्र राज्यों में मूँगफली की खेती की जाती है। मूँगफली की फसल में कई तरह की फफूँद, जीवाणु और विषाणुजनित रोगों से प्रभावित होती है। ये फसल को अत्याधिक नुकसान पहुँचाते हैं। मूँगफली की फसल में मुख्यतः जल गलन रोग, टिक्का या पर्ण चित्ती रोग, विषाणु गुच्छा रोग एवं काली ऊतकक्षय विषाणु रोग या बड नेक्रोसिस रोग लगते हैं।

किसान मूँगफली में लगने वाले इन रोगों की पहचान कर समय पर इनका नियंत्रण कर फसल को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। किसान समाधान टिक्का या पर्ण चित्ती रोग की पहचान एवं उसका नियंत्रण कैसे करें इसकी जानकारी लेकर आया है। 

टिक्का या पर्ण चित्ती रोग का की पहचान

यह मूँगफली की फसल में लगने वाला एक मुख्य रोग है और यह सभी क्षेत्रों में आमतौर पर देखने को मिलता है। यह रोग एक कवक ( सर्कोस्पोरा) द्वारा होता है। इसका प्रकोप फसल उगने के 40 दिनों बाद दिखाई देना शुरू होता है। इस रोग में पत्तियों की ऊपरी सतह पर हल्के मटमैले भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। पत्ती की निचली बाह्य त्वचा की कोशिकाएँ समाप्त होने लगती हैं। यह धब्बे रूपरेखा में गोलाकार से अनियमित आकार के होते हैं एवं इनके चारों ओर पीला परिवेश होता है। इन धब्बों की ऊपरी सतह वाले उत्तकक्षयी क्षेत्र लाल भूरे से काले, जबकि निचली सतह के क्षेत्र हल्के भूरे रंग के होते हैं।

इस तरह करें टिक्का रोग का नियंत्रण

रोगी पौधों के अवशेषों को एकत्र करके नष्ट कर देना चाहिए। किसानों को मूँगफली की फसल के साथ ग्वार या बाजरा की अंतरवर्ती फसलें लगाना चाहिए। बुआई से पहले बीजों को 2-3 ग्राम थीरम या कैप्टान प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए। प्रारम्भिक लक्षण दिखने पर खड़ी फसल 0.1 प्रतिशत कार्बेनडाजिम (आधा कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर) या 0.3 प्रतिशत मैंकोजेब (1.5 कि.ग्रा.) का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें तथा इसे 10-15 दिनों के अंतराल पर दोबारा दोहराएँ, यह इस रोग के नियंत्रण में अत्याधिक प्रभावी होता है।  

20 अगस्त के दिन 26 लाख किसानों को दी जाएगी 1750 करोड़ रुपए की राशि

किसान न्याय योजना किस्त

फसल उत्पादन के लिये आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनिकी हेतु पर्याप्त निवेश के लिए किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत किसानों को इस वर्ष पहली किस्त दी जा चूकी है, अब किसानों 20 अगस्त के दिन दूसरी किस्त किसानों को दिया जाना है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 20 अगस्त शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की जयंती के अवसर पर राज्य के किसानों, पशुपालक ग्रामीणों, गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 1750 करोड़ 24 लाख रूपए की राशि उनके बैंक खाते में ऑनलाइन जारी करेंगे। यह राशि छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना के तहत दी जाएगी।

किसानों को दी जाएगी दूसरी किस्त

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 20 अगस्त को राज्य के 26 लाख 21 हजार किसानों को इस साल की इनपुट सब्सिडी की दूसरी किस्त के रूप 1745 करोड़ रूपए की राशि उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इससे पूर्व 21 मई 2022 को राज्य के किसानों को इस योजना की प्रथम किस्त के रूप में 1745 रूपए का भुगतान किया गया था। राजीव गांधी किसान न्याय योजना छत्तीसगढ़ खरीफ वर्ष 2019 से लागू की गई है। इस योजना के तहत अब तक किसानों को 12 हजार 920 करोड़ रूपए की इनपुट सब्सिडी दी जा चुकी है। 20 अगस्त को द्वितीय किस्त के भुगतान के बाद यह राशि बढ़कर 14 हजार 665 करोड़ हो जाएगी।

उल्लेखनीय है कि खरीफ 2019 में 18.43 लाख किसानों को 4 किस्तों में इनपुट सब्सिडी के रूप में 5627 करोड़ रूपए, खरीफ वर्ष 2020 के 20.59 लाख किसानों को 5553 करोड़ रूपए की इनपुट सब्सिडी दी जा चुकी है। इस योजना के तहत किसानों को इनपुट सब्सिडी की यह राशि राज्य में फसल उत्पादकता एवं फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने तथा काश्त लागत को कम करने के उद्देश्य से दी जा रही है।

गोधन न्याय योजना के तहत दी जाएगी 5 करोड़ रुपए की राशि

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 20 अगस्त को ही गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 5 करोड़ 24 लाख रूपए की राशि जारी करेंगे। गोधन न्याय योजना के तहत बीते दो सालों में गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों और महिला समूहों को 330 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 20 अगस्त को इस योजना की 50वीं किस्त की राशि 5.24 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 335 करोड़ 24 लाख रूपए हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी की शुरूआत 20 जुलाई 2020 से हरेली पर्व से की जा रही है। गौठानों में 15 अगस्त 2022 तक 79.12 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है।राज्य में 8408 गौठान निर्मित और संचालित हैं, जहां 2 लाख 52 हजार से अधिक पशुपालक ग्रामीण गोबर बेच कर सीधे लाभान्वित हो रहे हैं, इसमें 1 लाख 43 हजार से अधिक भूमिहीन शामिल हैं। 

सरसों की अधिक पैदावार के लिए विकसित की गई दो नई उन्नत किस्में

सरसों की उन्नत विकसित किस्में

देश में फसल उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की नई-नई क़िस्में विकसित की जा रही हैं। जिसका मकसद फसलों को रोग, कीट से सुरक्षा देने के साथ ही उत्पादन को बढ़ाना है। इस कड़ी में हरियाणा के हिसार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एएचयू) के वैज्ञानिकों ने सरसों की दो नई प्रजातियां विकसित की है। यह प्रजातियाँ उत्पादन में दूसरी किस्मों से काफी ज्यादा है तथा इसमें तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक है।

कुलपति प्रो.बीआर कांबोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के तिलहन वैज्ञानिक की टीम के द्वारा सरसों की आरएच 1424 व आरएच 1706 दो नई किस्में विकसित की गई हैं। सिंचित क्षेत्र के लिए विकसित की गई सरसों की दोनों में किस्में इरुसिक एसिड की मात्रा भी 2 प्रतिशत से कम है। 

सरसों की नई किस्मों की उत्पादन कितना है ?

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा के द्वारा आरएच 1424 व आरएच 1706 किस्में विकसित की गई है। इस पर अधिक जानकारी अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि बारानी अनुसंधान में नव विकसित किस्म आरएच 1424 में लोकप्रिय किस्म आरएच 725 की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज दर्ज की गई है। इसके बीजों में तेल की मात्रा 40.5 प्रतिशत होती है। जबकि आरएच 1706 किस्म का औसत उत्पादन 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। इस किस्म के बीज में तेल की मात्रा 38 प्रतिशत है।

सरसों की नई किस्मों की विशेषताएँ क्या है

इन किस्मों की अधिक उपज और बेहतर तेल गुणवत्ता के कारण राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुर (राजस्थान) में अखिल भारतीय समान्वित अनुसंधान परियोजना (सरसों) की हुई बैठक में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू राज्यों में खेती के लिए पहचान की गई हैं। आरएच 1424 किस्म इन राज्यों में समय पर बुवाई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए जबकि आरएच 1706 जोकि एक मूल्य वर्धित किस्म है, इन राज्यों के सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए बहुत उपयुक्त किस्म पाई गई है। आरएच 1424 किस्म 139 दिनों में पककर तैयार हो जाती है जबकि आरएच 1706 किस्म पकने में 140 दिनों का समय लेती है।

इन वैज्ञानिकों ने विकसित की यह क़िस्में

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय देश में सरसों अनुसंधान में अग्रणी केंद्र है और अब तक यहां अच्छी उपज क्षमता वाली सरसों की कुल 21 किस्मों को विकसित किया गया है। हाल ही में यहां विकसित सरसों की किस्म आरएच 725 कई सरसों उगाने वाले राज्यों के किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

विश्व विद्यालय के कुलपति ने बताया कि सरसों की इन किस्मों को तिलहन वैज्ञानिक की टीम द्वारा विकसित किया गया है। नई विकसित किये जाने वाले किस्मों में डॉ. राम अवतार, आरके श्योराण, नीरज कुमार, मंजीत सिंह, विवेक कुमार, अशोक कुमार, सुभाष चंद्र, राकेश पुनिया, निशा कुमारी, विनोद गोयल, दलीप कुमार, श्वेता कीर्ति पट्टम, महावीर और राजबीर सिंह शामिल है।

3 लाख रुपये तक के कृषि ऋण पर दिया जायेगा 1.5 प्रतिशत ब्याज अनुदान, मंत्रीमंडल ने दी मंजूरी

कृषि ऋण पर अनुदान

किसानों को कृषि आदानों की खरीद जैसे खाद, बीज, कीटनाशक आदि कार्यों के लिए आवश्यक पूँजी की आवश्यकता होती है। किसानों को यह पूँजी आसानी से बैंक से कम ब्याज दर पर उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत किसानों को सस्ता ऋण मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा बैंक ऋण पर अनुदान दिया जाता है, जिससे किसानों को यह ऋण कम ब्याज दरों पर मिलता है। इस कड़ी में केंद्र सरकार ने कृषि ऋणों पर ब्याज अनुदान को बहाल कर 1.5 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सभी वित्तीय संस्थानों के लिए लघु अवधि के कृषि ऋणों पर ब्याज अनुदान को बहाल कर 1.5 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है। इस प्रकार 1.5 प्रतिशत का ब्याज अनुदान उधार देने वाले संस्थानों (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक और वाणिज्यिक बैंकों से सीधे तौर पर जुड़े कम्प्यूटरीकृत पीएसीएस) को किसानों को वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक 3 लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण देने के लिए प्रदान किया गया है। 

किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जाता है 3 लाख रुपए तक का लोन

ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) के तहत किसानों को कृषि और अन्य संबद्ध गतिविधियों- पशुपालन, डेयरी, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन आदि में लगे किसानों के लिए 7 प्रतिशत की सालाना दर से 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक कृषि ऋण उपलब्ध है। शीघ्र और समय पर ऋण की अदायगी के लिए किसानों को अतिरिक्त 3 प्रतिशत अनुदान (शीघ्र अदायगी प्रोत्साहन-पीआरआई) भी दिया जाता है। अतः यदि कोई किसान अपना ऋण समय पर चुकाता है, उसे 4 प्रतिशत सालाना की दर से ऋण मिलता है। 

किसानों को यह सुविधा देने के लिए भारत सरकार इस योजना की पेशकश करते हुए वित्तीय संस्थानों को ब्याज अनुदान (आईएस) प्रदान करती है। यह सहायता केंद्र द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित है। यह बजट व्यय और लाभान्वितों को शामिल करने के अनुसार डीए और एफडब्ल्यू की दूसरी सबसे बड़ी योजना भी है।

3 करोड़ से अधिक किसानों को दिए गए किसान क्रेडिट कार्ड KCC 

केंद्र सरकार द्वारा एक विशेष अभियान के तहत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत लाभार्थी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं। जिसके तहत, 2.5 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले किसानों को 3.13 करोड़ से अधिक नये किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी किये गये हैं।

इस योजना के अंतर्गत ब्याज अनुदान सहायता में बढ़ोतरी के लिए 2022-23 से 2024-25 की अवधि में 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधान की आवश्यकता होगी। जिससे किसान समय पर ऋण चुकाते समय 4 प्रतिशत सालाना की ब्याज दर पर अल्पकालीन कृषि ऋण लेते रहेंगे।

किसान अभी इस तरह करें धान, मक्का, सोयाबीन, कपास एवं अन्य खरीफ फसलों में खरपतवारों का नियंत्रण

धान, मक्का, सोयाबीन, कपास एवं अन्य खरीफ फसलों में खरपतवारों का नियंत्रण

खरीफ फसलों में नमी या पानी अधिक रहने के कारण खरपतवारों का प्रकोप ज्यादा होता है। इससे पौधों के विकास के साथ ही पैदावार पर सीधे असर पड़ता है। खरपतवारों की संख्या अधिक रहने से कीटों का प्रकोप होने की संभावना भी अधिक रहती है। देश भर में फसलों का कुल नुकसान का 45 प्रतिशत खरपतवार से होता है, इसलिए समय पर खरपतवारों का नियंत्रण जरुरी रहता है, ताकि नुकसान से बचाया जा सके।

खरीफ फसलों में पाए जाने वाले खरपतवार

वर्षा आधारित उपजाऊ भूमि में प्रायः एकवर्षीय एवं बहुवर्षीय खरपतवार अधिक उगते हैं, जबकि निचली भूमि में एकवर्षीय घासें, मोथावर्गीय एवं चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार पाए जाते हैं। खरीफ फसलों में मुख्यतः तीन तरह के खरपतवार पाए जाते हैं:-

  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार :- ये दो बीज पत्रीय पौधे होते हैं, इनकी पत्तियां प्राय: चौड़ी होती है। जैसे – सफेद मुर्ग, कनकौवा, जंगली जूट, जंगली तम्बाकू आदि।
  • संकरी पत्ती वाले खरपतवार :- इनको घास कुल के खरपतवार भी कहते हैं, इस कुल के खरपतवारों की पत्तियां पतली एवं लंबी होती है। जैसे – सांवां, दूब घास आदि।
  • मोथावर्गीय खरपतवार :- इस कुल के खरपतवारों की पत्तियां लंबी एवं तना तीन किनारों वाला ठोस होता है। जड़ों में गांठे पाई जाती है, जैसे मोथा।

किस समय करें खरपतवारों का नियंत्रण

फसलों में खरपतवारों से हानि खरपतवारों की संख्या, किस्म और फसल से प्रतिस्पर्धा के समय पर निर्भर करती है। वार्षिक फसलों में यदि खरपतवार बुआई के 15–30 दिनों के अंदर निकाल दिए जाएं, तो उपज पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। बुआई के 30 दिनों से अधिक समय होने के बाद अगर खरपतवारों को नष्ट करते हैं, तो उपज में कमी आती है। अत: क्रांतिक अवस्था पर ही फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक होता है तथा इससे फसल का उत्पादन अधिक प्रभावित नहीं होता है |

धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • आक्सीफ्लूरफेन 150–250 ग्राम/ हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • प्रेटीलाक्लोर 750 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद या रोपाई के 3–7 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • बेनसल्फ्यूराँन + प्रेटिलाक्लोर 660 ग्राम/हेक्टेयर रोपाई के 0–3 दिनों बाद संकरी पत्ती, चौड़ी पत्ती और मोथावर्गीय खरपतवारों की रोकथाम के लिए।
  • पाइराजोसल्फ्यूराँन 25 ग्राम/हेक्टेयर बुआई के 0–5 दिनों बाद या रोपाई के 8–10 दिनों बाद चौड़ी पत्ती और मोथावर्गीय खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • फिनोक्साप्रोप पी इथाइल 60–70 ग्राम/हैक्टेयर रोपाई या बुआई के 25–30 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • सायहेलोफाँप ब्यूटाइल 75–90 ग्राम/हैक्टेयर बुवाई के 25–30 दिनों बाद या रोपाई के 10–15 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • इथोसल्फ्यूराँन 18 ग्राम/हैक्टेयर बुआई या रोपाई के 20 दिनों बाद संकरी पत्ती, चौड़ी पत्ती और मोथावर्गीय खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • बिसपाईरिबेक – सोडियम 25 ग्राम/हैक्टेयर रोपाई या बुआई के 15–20 दिनों बाद संकरी पत्ती, चौड़ी पत्ती और मोथावर्गीय खरपतवारों के प्रबंधन के लिए |

मक्का फसल में खरपतवार नियंत्रण 

  • एट्राजिन 1000 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • हेलोसल्फ्यूराँन 60–80 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 20–25 दिनों बाद मोथावर्गीय खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • टोपरेमेजोन 25–33 दिनों बाद चौड़ी पत्ती और संकरी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए।
  • टेम्बोट्रीवोन 120 किलोग्राम/हैक्टेयर बुआई के 15–20 दिनों बाद चौड़ी, संकरी पत्ती वाले और मोथावर्गीय खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • टोपरेमेजोन + एट्राजिन 25.2 + 500 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के लिए 15–20 दिनों बाद चौड़ी पत्ती वाले और मोथावर्गीय खरपतवारों की रोकथाम के लिए।
  • टेम्बोट्रीवोन + एट्राजिन 120 + 500 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 15–20 दिनों बाद चौड़ी पत्ती, संकरी पत्ती और मोथावर्गीय खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।

ज्वार एवं लघु धान्य फसलों में खरपतवार नियंत्रण

  • एट्राजिन 250 से 500 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद चौड़ी और कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • 2,4 डी 500–700 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 25–30 दिनों बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए।

उड़द एवं मूंग फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • पेंडीमेथालिन 1000 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद संकरी पत्ती और कुछ चौड़ी वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • क्विजालोफाँप–इथाइल 50 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 15 – 20 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए विशेष प्रभावी 
  • इमाजेथापायर 100 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 15–20 दिनों बाद चौड़ी और कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।

अरहर फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • पेंडीमेथालिन (स्टाँम्प एक्स्ट्रा 38.7 प्रतिशत) 700 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले और कुछ चौड़े वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • क्विजालोफाँप – इथाइल 50 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 15–20 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए विशेष प्रभावी।
  • इमाजेथापायर 100 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 15–20 दिनों बाद चौड़ी और कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए।

सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • मेट्रीब्युजिन 350–525 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद चौड़ी और कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • आँक्सडाइजोन 500 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद कुछ संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • इमाजेथापायर 100 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 20–25 दिनों बाद चौड़े और कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • फिनोक्साप्रोप 80–100 ग्राम/हैक्टेयर या क्यूजलोफाँप 50 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 20–25 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • क्विजालोफाँप–इथाइल 50 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 20–25 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए विशेष प्रभावी।

तिल एवं रामतिल फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • पेंडीमेथालिन (स्टाँम्प एक्स्ट्रा 38.7 प्रतिशत) 700 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले और कुछ चौड़े वाले खरपतवारों के रोकथाम के लिए।
  • आँक्सडाइजोन 500 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद कुछ संकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।

मूंगफली फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • आँक्सीफ्लोरफेन 250–300 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद चौड़ी और कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • इमाजेथापायर 100 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 15–20 दिनों बाद चौड़ी और कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • क्विजालोफाँप–इथाइल 50 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 20–25 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए विशेष प्रभावी।

कपास फसल में खरपतवार नियंत्रण

  • एलाक्लोर 2000 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद संकरी और कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए।
  • ब्यूटाक्लोर 1000 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–3 दिनों बाद संकरी और कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए।
  • डाययूराँन 750 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 0–5 दिनों बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए।
  • पायरीथिओबेक सोडियम 75 ग्राम/हैक्टेयर 20–25 दिनों बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए।
  • क्विजालोफाँप – इथाइल 50 ग्राम/हैक्टेयर बुआई के 20–25 दिनों बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए विशेष प्रभावी।

सब्सिडी पर प्याज भंडार गृह एवं पैक हाउस बनाने के लिए आवेदन करें

प्याज भंडार गृह एवं पैक हाउस अनुदान हेतु आवेदन

किसानों को फसलों के अच्छे दाम मिल सके इसके लिए उपज का भंडारण करना आवश्यक है ताकि जब बाजार में उपज के दाम अधिक बढ़ जाएँ तब उसे बेचकर अच्छे भाव का लाभ ले सकें। इस कड़ी में मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग ने राज्य के किसानों को फसल उपरांत प्रबंधन के लिए पैक हाउस, समेकित भंडार गृह एवं प्याज भंडार गृह पर अनुदान देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक किसान 16 अगस्त सुबह 11 बजे से आवेदन कर सकते हैं।

पैक हाउस (9M*6M) पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

राज्य में एकीकृत बागवानी मिशन MIDH के घटक फ़सल उपरांत प्रबंधन के तहत पैक हाउस निर्माण के लिए अनुदान दिया जाता है। शासन द्वारा पैक हाउस (9M*6M) साइज़ की निर्धारित लागत 4 लाख रुपए प्रति इकाई तय की गई है। योजना के तहत लाभार्थी किसानों को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। जिसमें किसानों को अधिकतम 2 लाख रुपए प्रति इकाई का अनुदान दिया जाता है।

मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा पैक हाउस के लिए जारी लक्ष्य के विरुद्ध राज्य के 26 ज़िलों के किसान आवेदन कर सकते हैं। जिसमें भोपाल, सीहोर, होशंगाबाद, ग्वालियर, दतिया, शाजापुर, मंडला, छतरपुर, दमोह, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, बैतूल, गुना, अशोकनगर, इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, डिंडोरी, टीकमगढ़ ज़िलों के किसान शामिल है।

समेकित भंडार गृह के तहत दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

राज्य में एकीकृत बागवानी मिशन MIDH के घटक फ़सल उपरांत प्रबंधन के तहत समेकित भंडार गृह के निर्माण पर सब्सिडी दी जाती है। शासन द्वारा समेकित भंडार गृह (9M*18M) size की लागत 50 लाख रुपए निर्धारित की गई है। जिस पर कृषकों को इकाई लागत का 35 प्रतिशत अनुदान अधिकतम 17.50 लाख प्रति इकाई, बैंक ऋण के आधार पर दिया जाता है।

मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा अभी राज्य के 5 ज़िलों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। जारी लक्ष्य के विरुद्ध छिंदवाड़ा, सागर, ग्वालियर, इंदौर एवं जबलपुर के सामान्य वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं।

प्याज भंडार गृह (25MT) पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

राज्य में एकीकृत बागवानी मिशन MIDH के घटक फ़सल उपरांत प्रबंधन के तहत समेकित भंडार गृह के निर्माण पर सब्सिडी दी जाती है। शासन द्वारा कम लागत वाले प्याज भंडार गृह (25 मी.टन) की लागत 1.75 लाख रुपए प्रति इकाई का निर्धारित की गई है। जिस पर कृषकों को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। जिसमें किसानों को अधिकतम 87,500 रुपए प्रति इकाई का अनुदान दिया जाता है। 

मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा प्याज भंडार गृह के लिए राज्य के 40 ज़िलों के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। जारी लक्ष्य के विरुद्ध भोपाल, सीहोर, होशंगाबाद, ग्वालियर, दतिया, झबुआ, बडबानी, उज्जैन, शाजापुर, जबलपुर, मंडला, रीवा, सतना, छतरपुर, दमोह, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, हरदा, बैतूल, गुना, अशोकनगर, इंदौर, धार, अलीराजपुर, खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, मंदसौर, नीमच आगर-मालवा, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, सीधी, सिंगरौली, सागर एवं टीकमगढ़ ज़िलों के किसान आवेदन कर सकते हैं। 

प्याज भंडार गृह एवं पैक हाउस पर अनुदान हेतु कहाँ आवेदन करें

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के पात्र किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा।

प्याज भंडार गृह एवं पैक हाउस पर सब्सिडी हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

जैविक वर्मी खाद बनाने के लिए एचडीपीई बेड अनुदान पर लेने के लिए आवेदन करें

वर्मी खाद बनाने के लिए एचडीपीई बेड अनुदान हेतु आवेदन

लगातार रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति गिरती जा रही है, जिससे फसल उत्पादन की लागत भी बढ़ती जा रही है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए सरकार द्वारा देश में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार द्वारा किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाता है। मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग ने राज्य के किसानों से वर्मी खाद इकाई/जैविक आदान उत्पादन के लिए आवेदन माँगे हैं। इच्छुक किसान योजना के तहत 16 अगस्त 2022 के दिन सुबह 11 बजे तक आवेदन कर सकते हैं।

मध्यप्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा अभी राज्य के 32 ज़िलों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। योजना के तहत जारी लक्ष्य के विरुद्ध भोपाल, होशंगाबाद, ग्वालियर, दतिया, उज्जैन, शाजापुर, मंडला, छतरपुर, दमोह, रायसेन, राजगढ़, बैतूल, गुना, अशोकनगर, इंदौर, खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, सिंगरौली, सागर, अलीराजपुर एवं धार ज़िलों के किसान आवेदन कर सकते हैं। 

जैविक खाद के लिए एचडीपीई बेड पर दिया जाने वाला अनुदान

सरकार द्वारा राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत वर्मी खाद इकाई (एचडीपीई बेड) की खरीद पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। एचडीपीई वर्मी बेड के लिए 96 घन फ़ीट (12*4*2) की प्रति इकाई लागत 16,000 रुपए निर्धारित की गई है, जिसपर किसानों को अधिकतम 8 हजार रुपए प्रति इकाई का अनुदान दिया जाता है।

जैविक खेती पर अनुदान के लिए आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के पात्र किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा।

वर्मी खाद एचडीपीई बेड अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

सब्सिडी पर तालाब, नलकूप एवं कुएं के निर्माण के लिए आवेदन करें

नलकूप, तालाब एवं कुएं के निर्माण पर अनुदान

फसल उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि किसानों के पास सुनिश्चित सिंचाई के साधन उपलब्ध हों, इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा “एकीकृत बागवानी विकास मिशन MIDH” योजना के तहत जल स्त्रोतों के सृजन के लिए तालाब/नलकूप/कुएं पर अनुदान हेतु आवेदन माँगे हैं। इच्छुक किसान जारी लक्ष्य के विरुद्ध आवेदन 16 अगस्त 2022 के दिन सुबह 11 बजे से आवेदन कर सकते हैं।

मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा जल स्त्रोतों के सृजन के लिए तालाब/नलकूप/कुएं के लिए राज्य के 40 ज़िलों के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। जिसमें भोपाल, सिहोर, होशंगाबाद, ग्वालियर, दतिया, झाबुआ, बडबानी, उज्जैन, शाजापुर, जबलपुर, मंडला, रीवा, सतना, छतरपुर, दमोह, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, हरदा, बैतूल, गुना, अशोक नगर, इंदौर, धार, अलीराजपुर, खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, मंदसौर, नीमच आगर मालवा, छिन्दवाड़ा, डिडौरी, सीधी, सिंगरौली, सागर एवं टीकमगढ़ ज़िलों के किसान आवेदन कर सकते हैं। 

तालाब/नलकूप/कुएं के निर्माण पर कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा?

उद्यानिकी विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन MIDH योजना के तहत व्यक्तिगत हेतु जल संचयन प्रणाली (20*20*03) मीटर क्षेत्रफल वाले तालाब/नलकूप/कुएं हेतु 125 रुपए/ घनमीटर की दर के लिए अनुदान दिया जा रहा है। योजना के अंतर्गत एक किसान को किसी एक इकाई के निर्माण के लिए ही अनुदान दिया जायेगा। जिसकी शासन द्वारा इकाई लागत 1.50 लाख रखी गई है जिसपर किसानों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 75,000 रुपए का अनुदान दिया जाएगा। तालाब/टंकी (काली कपास मृदा क्षेत्र हेतु इकाई लागत का 20 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।

तालाब/नलकूप/कुएं के निर्माण पर अनुदान हेतु कहाँ आवेदन करें

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के पात्र किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा।

सब्सिडी पर तालाब, नलकूप एवं कुएं के निर्माण के लिए आवेदन करने के लिए क्लिक करें

सब्सिडी पर पॉली हाउस, शेड नेट हाउस एवं प्लास्टिक मल्चिंग लगाने हेतु आवेदन करें

पॉली हाउस, शेड नेट हाउस एवं प्लास्टिक मल्चिंग अनुदान हेतु आवेदन

नियंत्रित वातावरण में ताजी सब्ज़ियों एवं फूलों की खेती कर साल भर बाजार में उपलब्धता बनाए रखने एवं कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन लेना तथा उत्पादकता में वृद्धि हो सके इसके लिए सरकार द्वारा संरक्षित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के सरकार किसानों को ग्रीन (पॉली) हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आदि के निर्माण पर सब्सिडी दी जाती है। अभी मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के कुछ ज़िलों में इनके निर्माण पर अनुदान देने के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। इच्छुक किसान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने राज्य के किसानों से ग्रीन हाउस ढाँचा, शेड नेट हाउस प्लास्टिक मल्चिंग एवं उच्च कोटि की सब्ज़ियों की खेती पॉली हाउस/शेड नेट हाउस, के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक किसान योजना के तहत 16 अगस्त 2022, सुबह 11 बजे से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

पॉली (ग्रीन) हाउस ढाँचा (टयूब्लर स्ट्रक्चर) पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

सरकार द्वारा 500 से 1008 वर्ग मीटर तक के पॉली हाउस पर निर्धारित इकाई लागत जो 935 रुपए/वर्ग मीटर है, पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। वहीं 1008 से 2080 वर्ग मीटर तक के पॉली हाउस पर निर्धारित इकाई लागत जो 890 रुपए/वर्ग मीटर है, पर इकाई लागत 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। 2080 से 4,000 वर्ग मीटर तक के पॉली हाउस पर निर्धारित इकाई लागत जो पर 844 रुपए/वर्ग मीटर है, पर इकाई लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। 

शेड नेट हाउस एवं प्लास्टिक मल्चिंग पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

सरकार द्वारा किसानों को अधिकतम 4,000 वर्ग मीटर तक के शेड नेट हाउस के लिए अनुदान दिया जाता है। जिसमें किसानों को निर्धारित इकाई लागत पर 710 रुपए/वर्ग मीटर पर अनुदान देय होता है। जिसपर सरकार द्वारा इकाई लागत का 50 फ़ीसदी अनुदान दिया जाता है। 

उद्यानिकी विभाग द्वारा योजना के तहत प्लास्टिक मल्चिंग के लिए अधिकतम 2 वर्ग हेक्टेयर क्षेत्र के लिए अनुदान दिया जाता है। जिसमें निर्धारित इकाई लागत रूपये 0.32 लाख/वर्ग हेक्टेयर पर इकाई लागत का 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा।  

पॉली हाउस अंतर्गत सब्जी एवं उच्च रोपण सामग्री पर दिया जाने वाला अनुदान

संरक्षित खेती योजना के तहत किसानों को पॉली हाउस में सब्जी एवं फूलों की खेती के लिए रोपण सामग्री पर भी अनुदान दिया जाता है। जो अधिकतम 4000 वर्ग क्षेत्र के लिए देय होता है। जिसकी निर्धारित इकाई लागत 140 रुपए वर्ग/मीटर पर इकाई लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।

इन ज़िलों के किसान कर सकते हैं आवेदन

उद्यानिकी विभाग ने अभी 500 से 1008 वर्ग मीटर तक के पॉली हाउस के लिए दतिया, राजगढ़, इंदौर एवं मंदसौर जिलों के सामान्य एवं अनुसूचित जाति के कृषक वर्ग के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। वहीं 1008 से 2080 वर्ग मीटर तक के पॉली हाउस के लिए मंडला, रायसेन, राजगढ़, इंदौर, रतलाम मंदसौर एवं जबलपुर ज़िलों के सामान्य वर्ग के किसानों से आवेदन माँगे हैं वहीं रतलाम ज़िले के अनुसूचित जनजाति के किसान भी योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। 2080 से 4,000 वर्ग मीटर तक के पॉली हाउस के लिए उज्जैन, गुना, खरगौन, खंडवा एवं आगर मालवा के सामान्य वर्ग किसान योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।

वहीं शेड नेट हाउस के लिए सिहोर, दतिया, इंदौर, खरगौन, खंडवा, आगर-मालवा, टीकमगढ़, धार, उज्जैन, जबलपुर एवं झाबुआ ज़िलों के सामान्य वर्ग के किसान एवं बैतूल ज़िले के अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं। वही पॉली हाउस/शेड नेट हाउस में रोपण सामग्री प्राप्त करने के लिए होशंगाबाद, दतिया, उज्जैन, रायसेन, गुना, इंदौर, देवास, रतलाम, मंदसौर एवं आगर मालवा के किसान आवेदन कर सकते हैं। प्लास्टिक मल्चिंग के लिए राज्य के 40 जिलों के सभी वर्गों के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। 

किसान पॉली हाउस, शेड नेट हाउस एवं प्लास्टिक मल्चिंग के लिए आवेदन कहाँ करें आवेदन

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के पात्र किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा। 

पॉली हाउस, शेड नेट हाउस एवं प्लास्टिक मल्चिंग पर सब्सिडी हेतु आवेदन के लिए क्लिक करें

डीजल अनुदान में की गई वृद्धि, अब किसानों को डीजल खरीदने पर मिलेगा इतना अनुदान

डीजल अनुदान में की गई वृद्धि

इस वर्ष देश में कई जगह मानसूनी वर्षा काफी कम हुई है, जिसके कारण खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान अपनी फसलों की उचित समय पर सिंचाई कर सकें इसके लिए बिहार सरकार विद्युत मोटर पम्प से सिंचाई हेतु 16 घंटे बिजली दे रही है। वहीं ऐसे किसान जिनके पास बिजली कनेक्शन नहीं हैं वे किसान डीजल पंपों की मदद से फसलों की सिंचाई कर सकें इसके लिए डीजल की खरीद पर अनुदान दे रही है। जिसके लिए किसान आवेदन 29 जुलाई 2022 से ही शुरू किए जा चुके हैं, सरकार ने अब किसानों को दिए जाने वाले अनुदान में वृद्धि कर दी है।

सरकार पहले किसानों को एक लीटर डीजल की खरीद पर 60 रुपए का अनुदान दे रही थी, जो एक एकड़ क्षेत्र की सिंचाई के लिए अधिकतम 10 लीटर डीजल के लिए ही देय था अर्थात् किसानों को फसल की एक बार की सिंचाई के लिए 600 रुपए का अनुदान दिया जाना था। सरकार ने अब प्रति लीटर दिए जाने वाले इस अनुदान में वृद्धि कर दी है। 

अब डीजल खरीद पर कितना अनुदान दिया जायेगा ?

बिहार सरकार ने किसानों को डीजल पम्पसेट से सिंचाई के लिए डीजल खरीदने पर अनुदान अब 75 रुपए प्रति लीटर कर दिया है। इस प्रकार किसानों को अब प्रति एकड़ सिंचाई के लिए 600 रुपए की जगह पर 750 रुपए की दर से अनुदान दिया जायेगा। जो अधिकतम 8 एकड़ भूमि के लिए ही देय होगा। 

जिसमें धान का बिचड़ा एवं जूट फसल की अधिकतम 2 सिंचाई के लिए 1500 रुपए प्रति एकड़ तक अनुदान दिया जाएगा। वहीं खड़ी फसलों में धान, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगंधित पौधे की अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 2250 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान परिवार के एक ही सदस्य को दिया जाएगा। 

इन किसानों को मिलेगा डीजल अनुदान का लाभ 

योजना के तहत रैयत एवं गैर-रैयत दोनों प्रकार के किसानों को डीजल अनुदान दिया जायेगा। ऐसे किसान जो दूसरे कि ज़मीन पर खेती करते हैं (गैर-रैयत), उन्हें प्रमाणित/ सत्यापित करने के लिए सम्बंधित वार्ड सदस्य एवं कृषि समन्वयक के द्वारा पहचान की जाएगी। सत्यापित करते समय या ध्यान रखा जाएगा कि वास्तविक खेती करने वाले जोतदार को ही अनुदान का लाभ मिले। केवल वैसे किसान ही इस योजना के तहत आवेदन करें जो वास्तव में डीजल का उपयोग कर सिंचाई कर रहे हैं। डीजल की खरीद कर वास्तव में सिंचाई के लिए उपयोग किया गया है, की जाँच सम्बंधित कृषि समन्वयक द्वारा की जाएगी।

डीजल पर सब्सिडी लेने के लिए इन बातों का ध्यान रखें 

जो भी किसान डीजल पर अनुदान प्राप्त करना चाहते हैं वे किसान अधिकृत पेट्रोल पम्प से डीजल क्रय के उपरांत डिजिटल पावती रसीद (डिजिटल वाउचर) जिसमें किसान का 13 अंक का पंजीकरण संख्या का अंतिम 10 अंक अंकित हो, ही मान्य होगा। सत्यापन के समय डीजल खरीद का मूल अभिश्रत कृषि समन्वयक को देना अनिवार्य होगा। किसान एक समय में एक ही पटवन के लिए आवेदन कर सकेंगे। इस योजना का लाभ किसान 30/10/2022 तक ही ले सकते हैं। इसके बाद खरीदे गए डीजल पर अनुदान नहीं दिया जाएगा।

डीजल पावती रसीद पर किसानों का पूर्ण दस्तख़त अथवा अंगूठा का निशान होना अनिवार्य है। डीजल पावती रसीद पर अंगूठा का निशान देने की स्थिति में उस पर कृषि समन्वयक का सत्यापन कराकर ही किसान आवेदन करें।

डीजल अनुदान Subsidy के लिए किसान कहाँ आवेदन करें? 

बिहार राज्य के किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पंजीयन कराना आवश्यक है। आवेदन में कृषक को तीन प्रकार (स्वयं, बटाईदार, स्वयं+बटाईदार) से बांटा गया है। किसान किसी एक प्रकार के लिए ही आवेदन कर सकेंगे। किसान इस योजना के तहत ऑनलाइन पंजीयन कृषि विभाग, बिहार सरकार की वेबसाइट https://state.bihar.gov.in/krishi/CitizenHome.html पर या https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर डीजल अनुदान के लिए आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

किसान योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए अपने सम्बंधित कृषि समन्वयक/ प्रखंड कृषि पदाधिकारी/अनुमंडल कृषि पदाधिकारी/ ज़िला कृषि पदाधिकारी या किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नम्बर 1800-180-1551 पर सम्पर्क कर सकते हैं। 

डीजल अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें