अंतिम अवसर, अनुदान पर सोलर पम्प लेने के लिए अभी आवेदन करें

सोलर पम्प सब्सिडी हेतु आवेदन की लास्ट डेट

किसानों को सिंचाई के लिए अपने खेतों में सोलर पम्प लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है। जिसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा समय-समय पर आवेदन माँगे जाते हैं। जिसके बाद प्राप्त आवेदनों के अनुसार किसानों को सोलर पम्प की खरीदी पर अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों के किसानों से सोलर पम्प के लिए आवेदन माँगे गए थे परंतु अभी तक कई जनपदों में लक्ष्य अभी बाकि रह गए हैं। किसान इन लक्ष्यों के विरुद्ध ऑनलाइन आवेदन 18 दिसंबर 2022 तक कर सकते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा देशभर में किसानों को अनुदान पर सोलर पम्प देने के लिए कुसुम योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत उत्तर प्रदेश के इच्छुक किसान 18 दिसंबर 2022 तक बुकिंग कर सकते हैं। इसके बाद सोलर पम्प बुकिंग हेतु पोर्टल बंद कर दिया जाएगा।

किसानों को सोलर पम्प पर दिया जाने वाला अनुदान subsidy

कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पंप की लागत पर कुल 60 प्रतिशत का अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता है जिसमें किसानों को 40 प्रतिशत हिस्सा स्वयं ही देना होता है। किसानों को अलग-अलग हॉर्स पॉवर के सोलर पम्प पर आने वाली लागत एवं उस पर दी जाने वाली राशि की जानकारी इस प्रकार है:- 

2 एच.पी. के सोलर पम्प की क़ीमत एवं अनुदान :-  

राज्य में किसानों को 2 एचपी (डीसी और एसी सर्फेस पंप) पर लागत की 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। जिसमें सरकार ने 2 एचपी डीसी और एसी सर्फेस पम्प के लिए 1 लाख 44 हजार 526 रूपये का कुल मूल्य निर्धारित किया है। जिसमें किसानों को मात्र 57 हजार 810 रूपये देना होगा, शेष राशि की सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाएगी। 

वहीं 2 एचपी. डीसी सबमर्सिबल के लिए लागत 1 लाख 47 हजार 131 रुपए रखी गई है। इस पर किसानों को 88 हजार 278 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी, शेष राशि 58 हजार 835 रूपये किसान को देनी होगी। 2 एचपी. एसी सबमर्सिबल की लागत लगभग 1 लाख 46 हजार 927 रूपये रखी है। इस पर सरकार किसानों को 88 हजार 756 रूपये सब्सिडी के रूप में देगी जबकि शेष राशि 59 हजार 71 रूपये किसानों को देना होगा।

3 एचपी सोलर एसी एवं डीसी सबमर्सिबल पम्प की क़ीमत और सब्सिडी 

सरकार ने 3 एचपी डीसी सबमर्सिबल के लिए लागत 1 लाख 94 हजार 516 रुपए रखी है। इसमें किसानों को 1 लाख 16 हजार 710 रूपये का सब्सिडी के रूप में दिए जाएँगे। जबकि शेष राशि 77 हजार 806 रूपये किसानों को देना होगा। वहीं 3 एचपी. एसी सबमर्सिबल के लिए सोलर पम्प की लागत 1 लाख 93 हजार 460 रूपये रखी गयी है। इस पर सरकार किसानों को 1 लाख 16 हजार 076 रूपये सब्सिडी देगी। जबकि शेष राशि किसानों को 77 हजार 384 रूपये किसान को देना होगा।

5 एचपी सोलर एसी सबमर्सिबल पम्प की क़ीमत एवं अनुदान 

सरकार ने 5 एचपी. एसी सबमर्सिबल के लिए योजना के तहत 2 लाख 73 हजार 137 रूपये लागत तय की है | इस पर सरकार किसानों को 1 लाख 63 हजार 882 रूपये का अनुदान देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 09 हजार 255 रूपये किसान को देना होगा।

7.5 एचपी. सोलर एसी सबमर्सिबल पम्प की क़ीमत एवं अनुदान 

सरकार ने 7.5 एसी सबमर्सिबल सोलर पम्प के लिए 3 लाख 72 हजार 126 रूपये का लागत मूल्य तय किया है । इस पर सरकार किसानों को 2 लाख 23 हजार 276 रूपये सब्सिडी के रूप में देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 48 हजार 850 रुपए किसानों को देना होगा।  

10 एचपी.एसी सबमर्सिबल सोलर पम्प की क़ीमत एवं अनुदान 

सरकार ने 10 एचपी. एसी सबमर्सिबल के सोलर पम्प के लिए 4 लाख 64 हजार 304 रूपये की लागत तय की है। इस पर सरकार किसानों को 2 लाख 78 हजार 582 रूपये सब्सिडी के रूप में देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 85 हजार 722 रुपए किसानों को देना होगा।

सोलर पम्प के लिए बोरिंग होना अनिवार्य है 

राज्य के किसानों को योजना का लाभ तब ही दिया जाएगा जब उनके खेत में बोरिंग उपलब्ध होगा। सरकार ने इसके लिए कुछ मापदंड रखें हैं। 2 एचपी हेतु 4 इंच, 3 एवं 5 एचपी हेतु 6 इंच तथा 7.5 एवं 10 एचपी हेतु 8 इंच की बोरिंग होना अनिवार्य है। बोरिंग कृषक को स्वयं करानी होगी। 22 फिट तक 2 एचपी सर्फेस, 50 फिट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 150 फिट तक 3 एचपी सबमर्सिबल, 200 फिट तक 5 एचपी सबमर्सिबल तथा 300 फिट तक की गहराई पर उपलब्ध जल स्तर हेतु 7.5 एवं 10 एचपी के सबमर्सिबल सोलर पम्प उपयुक्त होते हैं।

किसान अनुदान पर सोलर पम्प लेने के लिए यहाँ करें आवेदन 

किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की वेबसाइट www.upagriculture.com पर पंजीकरण होना अनिवार्य है। कृषकों की बुकिंग जनपद के लक्ष्य की सीमा से 200 प्रतिशत तक “पहले आओ-पहले पाओं” के सिद्धान्त पर की जायेगी। अनुदान पर सोलर पम्प की ऑनलाइन बुकिंग हेतु विभागीय बेवसाइट www.upagriculture.com पर “अनुदान पर सोलर पम्प हेतु बुकिंग करें” लिंक पर क्लिक कर ऑनलाइन बुकिंग की जायेगी । ऑनलाइन टोकन जनरेट करने के उपरान्त कृषक को चालान के माध्यम से कृषक अंश की धनराशि एक सप्ताह के अन्दर किसी भी इण्डियन बैंक की शाखा में जमा करनी होगी, अन्यथा कृषक का चयन स्वतः निरस्त हो जायेगा। 

नोट :- सोलर पेनल लगाने के लिए किसान अधिक जानकारी के लिए 7839882078 या 1800-180-3333 पर संपर्क कर सकते हैं। सोलर पंप की बुकिंग करने के लिए मोबाइल नम्बर सम्बंधित पंजीकृत किसान का ही फीड किया जाना चाहिए। किसी अन्य का मोबाइल न०.फीड करने पर लाभ से वंचित किया जा सकता है। 

सब्सिडी पर सोलर पम्प बुकिंग हेतु ऑनलाइन आवेदन हेतु क्लिक करें

80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर हैप्पी सीडर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

हैप्पी सीडर कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि की लागत को कम करने के लिए सरकार कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, सभी किसान इन कृषि यंत्रों को खरीद सकें इसके लिए सरकार की ओर से कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य में कृषि यंत्रीकरण योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत इस वर्ष बिहार सरकार 9405.54 लाख रुपए की लागत से किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान देने जा रही है। योजना के तहत कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दिया जाएगा, जिसमें हैप्पी सीडर कृषि यंत्र शामिल है।

बिहार सरकार “कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष (2022-23)” में कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रही है, जिसमें खेत की जुताई, बुआई, निकाई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई, दौनी इत्यादि तथा गन्ना एवं उद्यान से सम्बंधित कृषि यंत्र शामिल है। इच्छुक किसान 31 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

हैप्पी सीडर पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

बिहार सरकार कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन में शामिल कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है, इसमें हैपी सीडर को भी शामिल किया गया है। यह कृषि यंत्र कम्बाइन हार्वेस्टर से फसल कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष (पुआल) को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में फैला देता है साथ ही गेहूं की बुआई भी क़तार में कर देता है। इस कृषि यंत्र को 45-50 PTO HP के ट्रैक्टर में लगाकर संचालित किया जाता है।

बिहार सरकार राज्य के किसानों को हैप्पी सीडर कृषि यंत्र पर सामान्य श्रेणी के किसानों को 75% अधिकतम 1,10,000 रुपए एवं अत्यंत पिछड़ा/अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लिए 80 प्रतिशत अधिकतम 1,20,000 रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

किसानों को दिया जाएगा अतिरिक्त 10 प्रतिशत का अनुदान

बिहार राज्य के कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित सूचीबद्ध कृषि यंत्रों पर अनुदान दर प्रतिशत तथा अनुदान दर की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत वृद्धि कर किसानों को अनुदान का लाभ दिया जाएगा। परंतु किसी भी परिस्थिति में अनुदान दर यंत्र की कीमत के 80 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

योजना के अंतर्गत सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए किसान यंत्र की कीमत से अनुदान की राशि घटाकर शेष राशि (कृषक अंश) का भुगतान करके सम्बंधित विक्रेता से यंत्र खरीद सकेंगे। अनुदान राशि सम्बंधित कृषि यंत्र निर्माता के खाते में अंतरित की जाएगी।

हैप्पी सीडर कृषि यंत्र पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष 2022-23 के तहत हैपी सीडर कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन OFMAS पोर्टल पर 31 दिसम्बर 2022 तक कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए किसान के पास पहले से DBT पोर्टल पंजीयन संख्या होना आवश्यक है। जिन किसानों के पास नहीं है वह कृषि विभाग की DBT पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीयन करा सकते हैं। इसके बाद किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए http://farmech.bih.nic.in पर जाकर आवेदन करना होगा। किसान अपनी इच्छा अनुसार कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

सब्सिडी पर हैपी सीडर लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

अब मिट्टी परीक्षण के लिए हर खेत पर पहुंचेगी एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा

मिट्टी परीक्षण के लिए एंबुलेंस प्रयोगशाला

कृषि क्षेत्र में फसलों की अच्छी पैदावार में मिट्टी का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, अच्छी मिट्टी से न केवल फसल उत्पादन की लागत घटती है बल्कि पैदावार में भी वृद्धि होती है। मिट्टी की महत्ता को देखते हुए सरकार द्वारा किसानों के खेतों की मिट्टी की जाँच कर उन्हें सॉइल हेल्थ कार्ड दिए जाते हैं ताकि किसान मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानकर ही आवश्यक खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करें। मृदा जाँच की उपयोगिता को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार हर खेत मिट्टी परीक्षण एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा शुरू करने जा रही है।

मध्यप्रदेश के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में किसानों का योगदान अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। कृषि मंत्री श्री पटेल भोपाल में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भू-उर्वरता को बनाए रखने के लिए हर खेत मिट्टी परीक्षण एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा शुरू की जा रही है।

क्या है हर खेत मिट्टी परीक्षण एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा

कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि कृषि में रासायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से खेत की मिट्टी का क्षरण हो रहा है। राज्य सरकार ने मिट्टी क्षरण को रोकने के लिए किसान के खेत की मिट्टी का परीक्षण करने हर खेत मिट्टी परीक्षण एम्बुलेंस प्रयोगशाला सेवा शुरू करने जा रही है। खेत एंबुलेंस में कृषि वैज्ञानिक के साथ कृषि अधिकारियों की टीम रहेगी, जो किसान के खेत में पहुँच कर ऑन स्पॉट यह बताएगी कि खेत की मिट्टी में कितना रासायनिक खाद उपयोग करना है और कितना नहीं करना है।

किसानों को रासायनिक खाद पर दी जा रही है सब्सिडी

कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि वर्ष 2019-20 में केन्द्र सरकार 71 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देती थी। अब यह बढ़ कर सवा दो लाख करोड़ रूपए हो गई है। पहले डीएपी की बोरी 19 सौ रूपए में मिलती थी। जिसमें किसान को 700 रूपए की सब्सिडी मिल रही थी। अब डीएपी 3900 रूपए प्रति बोरी है, जिसमें सरकार 2700 रूपए सब्सिडी दे रही है।

50 प्रतिशत की सब्सिडी पर पैडी ट्रांसप्लांटर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर पर अनुदान हेतु आवेदन

किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि की लागत को कम करने के लिए सरकार कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। किसान इन कृषि यंत्रों को आसानी से खरीद सकें इसके लिए सरकार कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान देती है। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य में कृषि यंत्रीकरण योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत इस वर्ष बिहार सरकार ने 9405.54 लाख रुपए की लागत से किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान देगी। योजना के तहत कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दिया जाना है, जिसमें स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर कृषि यंत्र भी शामिल है।

बिहार सरकार “कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष 2022-23” में कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रही है, जिसमें खेत की जुताई, बुआई, निकाई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई, दौनी इत्यादि तथा गन्ना एवं उद्यान से सम्बंधित कृषि यंत्र शामिल है। इच्छुक किसान 31 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

यह कृषि यंत्र क़तार में उचित दूरी पर धान की रोपाई कर सकता है। यह स्वचालित रूप से काम करता है जिसमें मैट टाइप नर्सरी का उपयोग किया जाता है। पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई करने पर श्रम के साथ धन और समय की भी बचत होती है। बिहार सरकार द्वारा पैडी ट्रांसप्लांटर (4 क़तार से ऊपर) कृषि यंत्र पर सामान्य श्रेणी के किसानों को 50% अधिकतम 2 लाख रुपए का अनुदान देय है एवं अनुसूचित जाति/जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग श्रेणी के कृषक को 50% अधिकतम 2,25,000 रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

वहीं स्वचालित ट्रांसप्लांटर (4 क़तार तक) कृषि यंत्र पर सामान्य श्रेणी के कृषक को 40 प्रतिशत अधिकतम 1,20,000 रुपए का अनुदान देय है एवं अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग श्रेणी के किसानों को 50 प्रतिशत अधिकतम 1,50,000 का अनुदान देय है।

किसानों को दिया जाएगा अतिरिक्त 10 प्रतिशत का अनुदान

बिहार राज्य के कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित सूचीबद्ध कृषि यंत्रों पर अनुदान दर प्रतिशत तथा अनुदान दर की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत वृद्धि कर किसानों को अनुदान का लाभ दिया जाएगा। परंतु किसी भी परिस्थिति में अनुदान दर यंत्र की कीमत के 80 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

योजना के अंतर्गत सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए किसान यंत्र की कीमत से अनुदान की राशि घटाकर शेष राशि (कृषक अंश) का भुगतान करके सम्बंधित विक्रेता से यंत्र खरीद सकेंगे। अनुदान राशि सम्बंधित कृषि यंत्र निर्माता के खाते में अंतरित की जाएगी।

स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष 2022-23 के तहत स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन OFMAS पोर्टल पर 31 दिसम्बर 2022 तक कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए किसान के पास पहले से DBT पोर्टल पंजीयन संख्या होना आवश्यक है। जिन किसानों के पास नहीं है वह कृषि विभाग की DBT पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीयन करा सकते हैं। इसके बाद किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए http://farmech.bih.nic.in पर जाकर आवेदन करना होगा। किसान अपनी इच्छा अनुसार कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

सब्सिडी पर स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

किसानों को किया गया 17 हजार करोड़ रुपए के बीमा क्लेम का भुगतान

फसल बीमा योजना पंजीयन एवं भुगतान

देश में फसल बुआई से लेकर कटाई के बाद खेत में सूखाने के लिए रखी गई फसल को यदि प्राकृतिक आपदा से नुकसान होता है तो किसानों को होने वाले इस नुकसान की भरपाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत की जाती है। ऐसे में किसान खेत में बोई गई फसल का बीमा कराकर होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। अभी देश के अधिकांश राज्यों में रबी फसलों का बीमा किया जा रहा है, इसके लिए फसल बीमा के प्रचार-प्रसार हेतु मोबाइल वैन कैम्पेन चलाया जा रहा है। जिसमें राजस्थान राज्य में लगभग 200 से ज्यादा वैनों के व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान योजना से जुड़ सकें।

इस अवसर पर राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राज्य के नवाचारों का निरंतर प्रचार-प्रसार एवं किसानों को समय पर बीमा क्लेम का भुगतान करने से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हुई है। राज्य में खरीफ 2021 व रबी 2021-22 एवं खरीफ 2022 में 4 करोड़ 50 लाख फसल बीमा पॉलिसियों का वितरण किया गया है।

किसानों को दिया गया 17 हजार करोड़ रुपए का बीमा क्लेम

कृषि मंत्री ने कहा कि योजना के अंतर्गत राज्य में अनावृष्टि और अतिवृष्टि के कारण फसलों से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार द्वारा 4 वर्षों में लगभग 1 करोड़ 50 लाख फसल बीमा पॉलिसी धारक किसानों को 17 हजार करोड़ रुपए का फसल बीमा क्लेम वितरित किया गया है। कृषि मंत्री ने यह बात फसल बीमा योजना के प्रचार-प्रसार के रथों को हरी झंडी दिखा कर रवाना करते समय उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कही। 

46 हजार गांवों के भू-रिकॉर्ड का हुआ एकीकरण

कृषि मंत्री ने इस अवसर पर बताया कि राजस्थान के लगभग 46 हजार गावों के भू-रिकॉर्ड का एकीकरण करवाया गया है। साथ ही प्रदेश में फसल उत्पादन अनुमान के लिए 5 लाख से अधिक फसल कटाई के प्रयोग भी ऑनलाइन कराए गए हैं। इन नवाचारों से ही राज्य देश के अग्रिम राज्यों में शामिल है।

किसान 31 दिसंबर तक कराएँ फसल बीमा

राज्य में किसान रबी 2022-23 में अपनी फसल का बीमा 31 दिसंबर 2022  तक करवा सकते हैं। यदि बोई गई फसल में कोई परिवर्तन किया है तो किसान संबंधित बैंक से संपर्क कर 29 दिसंबर तक इसमें अवश्य परिवर्तन करवाना सुनिश्चित करें। किसानों द्वारा खरीफ फसलों के लिए केवल 2 प्रतिशत एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। वार्षिक वाणिज्य एवं बागवानी फसलों के लिए प्रीमियम केवल 5 प्रतिशत है।

25 दिसंबर तक चलेगा प्रचार अभियान

इस अवसर पर कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 7 बीमा कंपनियों द्वारा फसल बीमा का कार्य किया जा रहा है। योजना का रबी के लिए आगामी 25 दिसंबर तक प्रदेश भर में लगभग 200 से ज्यादा वैनों के द्वारा लीफलेट वितरण, पोस्टर, बैनर, होर्डिंग, किसान गोष्ठी एवं नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान योजना से जुड़ सकें।

किसान 24 दिसंबर तक हो सकते हैं योजना से बहार

इस योजना को विभिन्न वित्तीय संस्थाओं, बैंकों से फसली ऋण लेने वाले किसानों के लिए भी स्वैच्छिक कर दिया गया है। फसल बीमा योजना में बीमा नहीं करवाने के इच्छुक कृषकों को अपने वित्तीय संस्थान जहां से उन्होंने फसली ऋण लिया है में 24 दिसम्बर 2022 तक निर्धारित घोषणा पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है। योजना से पृथक होने का घोषणा पत्र निर्धारित समय में प्रस्तुत नहीं करने वाले कृषकों को योजना में सम्मिलित माना जाएगा। वहीं गैर ऋणी एवं बटाइदार कृषक स्वैच्छा से बैंक, सीएससी या बीमा कंपनी के अधिकृत बीमा एजेंट/प्राधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से फसल बीमा करा सकेंगे।

50 प्रतिशत की सब्सिडी पर लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र पर अनुदान हेतु आवेदन

कृषि यंत्रों की मदद से किसान कम समय एवं कम लागत में अधिक कार्य कर सकते हैं, जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होती है। कृषि यंत्रों के महत्व को देखते हुए सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में इस वर्ष बिहार सरकार राज्य के किसानों को 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रही है, इसमें लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र भी शामिल है।

बिहार सरकार “कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष (2022-23)” में कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रही है, जिसमें खेत की जुताई, बुआई, निकाई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई, दौनी इत्यादि तथा गन्ना एवं उद्यान से सम्बंधित कृषि यंत्र शामिल है। इच्छुक किसान अभी योजना के तहत आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। 

क्या है लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र

लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र एक भूमि समतलीकरण यंत्र है। इसका प्रयोग भूमि को एक अथवा दोनों दिशाओं में सूक्ष्म रूप से समतल करने के लिए किया जाता है। इसकी मदद से 2-3 घंटे में ही एक एकड़ जमीन को समतल किया जा सकता है। इस कृषि यंत्र के उपयोग से निम्न लाभ है:-

  • इसके उपयोग से सिंचाई हेतु लगने वाले पानी की 25-30 प्रतिशत तक बचत होती है।
  • लेजर लैंड लेबलर कृषि यंत्र से खेती की लागत में कमी आती है एवं फसलों की उत्पादकता 10-20 प्रतिशत तक बढ़ती है।
  • भूमि को समतल रखने के लिए 2-3 वर्षों में इसका उपयोग करना चाहिए।

लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

बिहार सरकार द्वारा राज्य में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि यंत्री करण योजना चलाई जा रही है। इसमें अलग-अलग प्रकार के कृषि यंत्रों पर 40 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसमें राज्य सरकार द्वारा लेजर लैंड लेबलर कृषि यंत्र पर सभी वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान अधिकतम 1,50,000 रुपए की राशि दी जाएगी।

लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष 2022-23 के तहत लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन OFMAS पोर्टल पर 31 दिसम्बर 2022 तक कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए किसान के पास पहले से https://dbtagriculture.bihar.gov.in पंजीयन संख्या होना आवश्यक है। जिन किसानों के पास नहीं है वह कृषि विभाग की DBT वेबसाइट पर पंजीयन करा सकते हैं। इसके बाद किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए http://farmech.bih.nic.in पर जाकर आवेदन करना होगा। किसान अपनी इच्छा अनुसार कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

सब्सिडी पर लेजर लैंड लेवलर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें 

महिला किसानों को प्रशिक्षण के साथ दिया जा रहा है कृषि यंत्रों पर अनुदान

महिला किसान प्रशिक्षण एवं कृषि यंत्र अनुदान कार्यक्रम

कृषि क्षेत्र में महिलाएँ परंपरागत ढंग से जुताई, बीज बुवाई, फसल सिंचाई, निराई-गुड़ाई, खरपतवार और फसल कटाई जैसे अनेक कार्यों में अग्रिम भूमिका निभाती है। ऐसे में महिलाएँ आज के समय की आधुनिक खेती में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। कृषि क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को देखते हुए राजस्थान सरकार राज्य में महिला किसानों को पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण दे रही है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा 2022–23 के अनुसार राजस्थान कृषि श्रमिक संबल मिशन के तहत भूमिहीन कृषि श्रमिकों को कौशल विकास एवं क्षमता निर्माण के लिए राज्य में 1 दिसम्बर 2022 से 15 जनवरी 2023 तक पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से महिला श्रमिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ।

352 पंचायत समितियों से 50 हजार महिला होंगी प्रशिक्षित

राज्य के भूमिहीन कृषि श्रमिकों को कौशल विकास एवं क्षमता निर्माण के लिए राज्य की 352 पंचायत समितियों में एक हजार 667 प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से 50 हजार कृषि श्रमिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिसमें से अब तक विभिन्न पंचायत समितियों में 507 प्रशिक्षण शिविरों से 15 हजार 210 महिला श्रमिकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

6 विधाओं का दिया जा रहा प्रशिक्षण 

राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि भूमिहीन कृषि श्रमिकों को प्रशिक्षण शिविर में 6 विधाओं का आवश्यकता के आधार पर प्रशिक्षित किया जा रहा हैं। जिसमें कृषि यंत्रों के उपयोग व संधारण (हस्तचलित एवं अर्द्धयांत्रिकी), उन्नत बागवानी तकनीक, संरक्षित संरचनाओं का संधारण, पॉली हाउस, ग्रीन हाउस, शेडनेट, पौध संरक्षण यंत्रों का उपयोग व रखरखाव, जैविक आदान निर्माण की वैज्ञानिक विधियाँ और फल सब्जी परिरक्षण विषयों पर मौखिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।

महिला कृषि श्रमिकों को दिए जाएंगे कृषि यंत्र 

राज्य सरकार के द्वारा चलाए जा रहे मिशन के तहत प्रथम चरण में वर्ष 2022–23 में 50 हजार भूमिहीन महिला कृषि श्रमिकों को कौशल विकास एवं क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है साथ ही एक लाख भूमिहीन श्रमिकों को हस्तचलित कृषि यंत्र देकर लाभान्वित किया जाएगा। शेष श्रमिकों को द्वितीय चरण में वर्ष 2023–24 में प्रशिक्षण एवं कृषि यंत्र देकर लाभान्वित किया जाएगा।

इसी प्रकार मिशन के तहत बजट घोषणा वर्ष 2022–23 के अनुसार आगामी 2 वर्षों में एक लाख श्रमिकों को कौशल विकास एवं क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही कृषि कार्यों में भूमिहीन श्रमिकों के अहम योगदान को ध्यान में रखते हुए 2 लाख श्रमिकों को 5 हजार रूपये प्रति परिवार को हस्तचालित कृषि यंत्र मुहैया करवाए जाएंगे। इसके लिए 100 करोड़ रूपये का अनुदान प्रस्तावित है।

पंचायत स्तर पर हो रहा चयन 

कृषि संबल मिशन के तहत कृषि कार्यों में भूमिहीन महिला श्रमिकों को प्रशिक्षण एवं कृषि यंत्रों से लाभान्वित करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर समिति का गठन किया गया है। जिसमें ग्राम पंचायत के सरपंच, पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी व कृषि पर्यवेक्षक द्वारा चयन किया गया है। समिति द्वारा 4 ग्राम पंचायतों से 30 कृषि श्रमिकों का चयन कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

अब कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने में ली जाएगी अंतरिक्ष विभाग की मदद, किसानों को मिलेंगे कई लाभ

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अंतरिक्ष विज्ञान की मदद से आएगी कृषि क्षेत्र में क्रांति

किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लगातार नई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि कृषि क्षेत्र में जोखिम को कम करके फसल उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाई जा सके। इसलिए अब भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को अंतरिक्ष से जोड़ने का फैसला किया है। हाल ही में कृषि और किसान कल्याण विभाग और अंतरिक्ष विभाग ने कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे मौसम का पूर्वानुमान, फसल उत्पादन का आकलन, मिट्टी का डाटा, फसल में नुकसान का सर्वे और प्राकृतिक आपदाओं का भी आकलन करने में मदद मिलेगी।

खेती को आसान बनाने के लिए समय-समय पर किसानों के लिए भी गाइडलाइन्स जारी की जाएंगी, जिससे किसानों को भी फसल के उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। जोखिम से पहले से ही किसान सतर्क हो जाएंगे और फसल को सुरक्षित रखना भी आसान हो जाएगा।

किसानों को होंगे यह लाभ

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग और अंतरिक्ष विभाग के बीच हुए समझौते से कृषि क्षेत्र की ताकत और बढ़ेगी। अगर यह ज्ञान किसानों तक पहुंचेगा तो उनके उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ेगी। उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और निर्यात के अवसर भी बढ़ेंगे।

कृषि मंत्री ने बताया कि एग्रीस्टैक पर भी कृषि विभाग काम कर रहा है। किसान की आय बढ़ाने और पूर्वानुमान लगाकर उसे नुकसान से बचाने के लिए काम किया जा रहा है। फसल का आकलन, राज्यों को आवंटन, क्षेत्र को सूखा घोषित करने के लिए सर्वेक्षण, आपदा आकलन- तकनीक अपनाने से ये सभी कार्य आसान हो जाएंगे। यह तकनीक कृषि क्षेत्र के साथ-साथ देश के लिए भी बहुत फायदेमंद है। एग्रीस्टैक के पूरा होने के बाद कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

कैसे काम करता है री-सैट-1

अंतरिक्ष विभाग के सचिव श्री एस. सोमनाथ ने कहा कि री-सैट-1ए भारत का पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसे 14 फरवरी, 2022 को लॉन्च किया गया था। री-सैट-1ए एक बारहमासी उपग्रह है और वनस्पति में गहराई तक प्रवेश कर सकता है। यह प्रकाश की स्थिति से भिन्न उच्च रेजोल्यूशन वाली भू-स्थानिक छवियां ले सकता है। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन भारतीय कृषि के समावेशी, आत्मनिर्भर और सतत विकास के लिए डिजिटल आधार प्रदान करेगा।

कार्यक्रम के हिस्से के रूप में इसरो द्वारा एक तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें उपयोगकर्ता समुदाय के लाभ के लिए री-सैट-1ए डेटा का उपयोग करके मामले के अध्ययन और संभावित अनुप्रयोगों का प्रदर्शन किया गया था। री-सैट-1ए डेटा राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद द्वारा भूनिधि जियोपोर्टल के माध्यम से प्राप्त, संसाधित और प्रसारित किया जाता है।

समर्थन मूल्य पर मूंग, उडद, मूंगफली एवं सोयाबीन बेचने के लिए किसान करा सकेंगे पंजीयन, सरकार ने बढ़ाई पंजीयन सीमा

मूंग, उडद, मूंगफली एवं सोयाबीन बेचने के लिए किसान पंजीयन

सभी राज्यों में अभी खरीफ फसलों की खरीदी का काम तेज़ी से चल रहा है। सरकार द्वारा सभी पंजीकृत किसानों से खरीफ फसलें जैसे धान, मूँग, उड़द, मूँगफली, सोयाबीन, मक्का आदि फसलों की खरीदी केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। ऐसे में जो किसान अभी तक अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन नहीं करा पाए थे ऐसे किसानों के लिए राहतभरी खबर आई है। राजस्थान सरकार ने राज्य में किसानों की पंजीयन सीमा में वृद्धि कर दी है। 

राजस्थान सरकार ने राज्य में तिलहन और दलहन किसानों को ज्यादा से ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना का लाभ देने के लिए पंजीयन के लक्ष्य में वृद्धि की है। सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने बताया कि राज्य में समर्थन मूल्य पर मूंग, उडद, मूंगफली एवं सोयाबीन की खरीद के लिए पंजीयन की सीमा को 10 प्रतिशत बढ़ाया गया है।

कितने किसानों को होगा पंजीयन सीमा में वृद्धि का लाभ

राजस्थान में दलहन तथा तिलहन की खरीदी सीमा 10 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई है। इससे राज्य के 41 हजार 271 किसानों को सीधे तौर पर फायदा होगा। सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने बताया कि पंजीयन सीमा बढाने से मूंग के 10 हजार 775 किसान, मूंगफली के 15 हजार 856 किसान, उड़द के 2 हजार 158 किसान एवं सोयाबीन के 12 हजार 482 किसान और लाभन्वित होंगे। 

सहकरिता मंत्री ने बताया कि पंजीयन सीमा को मूंग के 368 खरीद केन्द्रों, मूंगफली के 270, उड़द के 166 तथा सोयाबीन के 83 केन्द्रों पर बढ़ाया गया है। समर्थन मूल्य पर चल रही खरीद के लिए अभी तक 67 हजार 409 किसानों ने मूंग के लिए एवं मूंगफली के लिए 22 हजार 638 किसानों ने पंजीयन कराया है।

मूंग, उडद, मूंगफली एवं सोयाबीन की कितनी खरीद की जाएगी

राजस्थान के सहकारिता मंत्री ने बताया कि मूंग के 3.03 लाख मीट्रिक टन, उड़द के 62 हजार 508 मीट्रिक टन, मूंगफली के 4.66 लाख मीट्रिक टन एवं सोयाबीन के 3.62 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य स्वीकृत किये गये हैं।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि प्रारंभ में 90 प्रतिशत सीमा तक कृषक पंजीयन व्यवस्था की गयी थी। न्यूनतम समर्थन पर मूल्य दलहन एवं तिलहन खरीद योजना का लाभ अधिकाधिक किसानों को उपलब्ध कराने की दृष्टि से 10 प्रतिशत और पंजीयन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इससे स्वीकृत लक्ष्यों के अनुरूप शत-प्रतिशत सीमा तक किसान दलहन-तिलहन विक्रय हेतु पंजीयन करा सकेंगे। 

अभी तक कितने किसानों को किया गया भुगतान

राज्य सरकार के तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार राज्य में अभी तक 26 हजार 583 किसानों से 50 हजार 389 मीट्रिक टन मूंग की खरीद की जा चुकी है। जिसकी राशि 390.77 करोड़ रुपये है तथा मूंगफली की खरीद 638 मीट्रिक टन की जा चुकी है। जिसकी राशि 3.73 करोड़ रुपये है। अब तक 7 हजार 698 किसानों को 118.66 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है तथा शेष किसानों को भुगतान की प्रक्रिया जारी है। 

दलहन तथा तिलहन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है ?

केंद्र सरकार द्वारा सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पहले ही घोषित कर दिया जाता है। जिस पर ही विभिन्न सरकारी एजेंसियों के माध्यम से देश भर में फसलों की खरीदी करती है। इस वर्ष के लिए खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है :-

  • मूंग – 7755 रूपये प्रति क्विंटल
  • उड़द – 6600 रूपये प्रति क्विंटल 
  • मूंगफली – 5850 रूपये प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन – 4300 रूपये प्रति क्विंटल

48 लाख रुपए तक की सब्सिडी पर कृषि यंत्रों का हाईटेक हब स्थापित करने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्रों के हाईटेक हब की स्थापना अनुदान हेतु आवेदन

आधुनिक कृषि में बुआई से लेकर कटाई, फसल अवशेष प्रबंधन एवं प्रसंस्करण आदि कार्यों में कृषि यंत्रों का महत्व बढ़ता जा रहा है। जिससे किसान कम समय में अधिक काम करके अधिक आमदनी अर्जित कर सकते हैं परंतु किसानों के पास इतनी पूँजी नहीं होती कि वह सभी प्रकार के कृषि यंत्र खरीद सकें। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन एवं किसानों को सभी प्रकार के कृषि यंत्र कम दरों पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग केंद्र एवं हाईटेक हब की स्थापना की जा रही है।

इस कड़ी में मध्यप्रदेश कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय द्वारा राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन, धान फसल यंत्रीकरण, गन्ना फसल कटाई का यंत्रीकरण एवं ड्रोन सम्बंधित प्रोजेक्ट को लेकर हाईटेक हब की स्थापना के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। योजना के अंतर्गत किसान 1 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र खरीद कर हाईटेक हब की स्थापना कर सकते हैं, जिस पर किसानों को 40 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी।

इन कृषि यंत्रों की खरीद पर दी जाएगी सब्सिडी 

हाईटेक हब स्थापित करने के लिए किसानों को विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र खरीदना होगा। इसमें किसान अलग-अलग प्रकार के हाईटेक हब जैसे फसल अवशेष प्रबंधन, धान फसल यंत्रीकरण, गन्ना फसल कटाई का यंत्रीकरण एवं ड्रोन सम्बंधित प्रोजेक्ट के लिए कृषि यंत्र खरीद सकते हैं। जो इस प्रकार है:-

फसल अवशेष प्रबंधन के हाईटेक हब पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

इसके अंतर्गत किसान ट्रेक्टर, स्ट्रॉ रीपर, रोटावेटर, श्रेडर / मल्चर, रेक, बेलर, जीरोटिल, सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल/हैप्पी सीडर/सुपर सीडर, रीपर कम बाईन्डर, मल्टी क्रॉप थ्रेशर (हाई कैपिसिटी), हाईड्रोलिक ट्राली को अनिवार्य रूप से ख़रीदना होगा। इस श्रेणी में किसान न्यूनतम 60 लाख रुपए तो अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक के कृषि यंत्र खरीद सकता है। जिस पर हितग्राहियों को प्रोजेक्ट लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि 40 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

धान फसल यंत्रीकरण के हाईटेक हब पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

पैडी कम्बाइन हार्वेस्टर, पैडी थ्रेशर, राईस ट्रांस्प्लांटर (6 कतार एवं 4 व्हील), लेजर लैंड लेवलर, 4 व्हील ड्राईव ट्रैक्टर, रोटोवेटर, पावर वीडर, जीरोटिल सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल/हैप्पी सीडर/सुपर सीडर,स्लेशर बूम स्प्रेयर आदि रखा जा सकता है। इस श्रेणी में किसान न्यूनतम 60 लाख रुपए तो अधिकतम 1 करोड़ रुपए तक के कृषि यंत्र खरीद सकता है। जिस पर हितग्राहियों को प्रोजेक्ट लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि 40 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

गन्ना फसल कटाई का यंत्रीकरण के हाईटेक हब पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

शुगरकेन हार्वेस्टर की यूनिट जिसमें शुगरकेन हार्वेस्टर के साथ 2 इन्फील्डर (हाईड्रोलिक सिस्टम के साथ न्यूनतम 4 टन क्षमता) एवं 2 ट्रेक्टर (न्यूनतम 50 एचपी) लेना आवश्यक होगा। इस श्रेणी के तहत प्रोजेक्ट की अधिकतम राशि 1.20 करोड़ तक रखी जा सकती है। जिस पर हितग्राहियों को प्रोजेक्ट लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि 48 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

ड्रोन से संबंधित प्रोजेक्ट के हाईटेक हब पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

ड्रोन से संबंधित प्रोजेक्ट जिसमें न्यूनतम 10 किसान ड्रोन (चार्जिंग हब, फास्ट चार्जर तथा अतिरिक्त बैटरी सहित) होना आवश्यक होगा। इस श्रेणी के तहत प्रोजेक्ट की अधिकतम राशि 1 करोड़ रुपए तक रखी जा सकती है। जिस पर हितग्राहियों को प्रोजेक्ट लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम राशि 40 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

योजना के लिए कौन आवेदन कर सकता है ?

मध्य प्रदेश के कोई भी निवासी योजना का लाभ उठा सकते हैं। योजना के लिए व्यक्तिगत आवेदक/पंजीकृत कृषक समूह/एफपीओ/उद्यमी आवेदन के लिए पात्र होंगे। व्यक्तिगत श्रेणी में व्यक्ति मध्य प्रदेश के मूल निवासी होना चाहिए तथा कृषक समूह मध्य प्रदेश में ही पंजीकृत होना आवश्यक है।

ड्रोन के आवेदन से पहले किसान के पास ड्रोन उड़ने के लिए लायसेंस होना अनिवार्य है। इसके साथ ही गन्ना फसल कटाई मशीन के लिए आवेदन से पहले किसान के पास चीनी मिल से कार्य उपलब्ध होने का अनुबंध पत्र होना अनिवार्य है।

हाईटेक हब स्थापना योजना सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

कृषि यंत्रों की मदद से हाईटेक हब अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें

योजना के अंतर्गत आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इच्छुक व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन 14 दिसम्बर 2022 तक कर सकते हैं। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान को एक लाख रूपये का डीडी (बैंक ड्राफ्ट) बनाकर जमा करना होगा। यह बैंक ड्राफ्ट “संचालक, कृषि अभियांत्रिकी म.प्र. भोपाल” के नाम से बनाना होगा। डीडी की फोटो कॉपी के साथ ही ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए अपने संभाग या ज़िले के कृषि यंत्री से सम्पर्क कर सकते हैं।

सब्सिडी पर हाईटेक हब की स्थापना के लिए ऑनलाइन आवेदन हेतु क्लिक करें