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शनिवार, जनवरी 25, 2025
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अब कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने में ली जाएगी अंतरिक्ष विभाग की मदद, किसानों को मिलेंगे कई लाभ

अंतरिक्ष विज्ञान की मदद से आएगी कृषि क्षेत्र में क्रांति

किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लगातार नई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि कृषि क्षेत्र में जोखिम को कम करके फसल उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाई जा सके। इसलिए अब भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को अंतरिक्ष से जोड़ने का फैसला किया है। हाल ही में कृषि और किसान कल्याण विभाग और अंतरिक्ष विभाग ने कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे मौसम का पूर्वानुमान, फसल उत्पादन का आकलन, मिट्टी का डाटा, फसल में नुकसान का सर्वे और प्राकृतिक आपदाओं का भी आकलन करने में मदद मिलेगी।

खेती को आसान बनाने के लिए समय-समय पर किसानों के लिए भी गाइडलाइन्स जारी की जाएंगी, जिससे किसानों को भी फसल के उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। जोखिम से पहले से ही किसान सतर्क हो जाएंगे और फसल को सुरक्षित रखना भी आसान हो जाएगा।

किसानों को होंगे यह लाभ

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग और अंतरिक्ष विभाग के बीच हुए समझौते से कृषि क्षेत्र की ताकत और बढ़ेगी। अगर यह ज्ञान किसानों तक पहुंचेगा तो उनके उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ेगी। उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और निर्यात के अवसर भी बढ़ेंगे।

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कृषि मंत्री ने बताया कि एग्रीस्टैक पर भी कृषि विभाग काम कर रहा है। किसान की आय बढ़ाने और पूर्वानुमान लगाकर उसे नुकसान से बचाने के लिए काम किया जा रहा है। फसल का आकलन, राज्यों को आवंटन, क्षेत्र को सूखा घोषित करने के लिए सर्वेक्षण, आपदा आकलन- तकनीक अपनाने से ये सभी कार्य आसान हो जाएंगे। यह तकनीक कृषि क्षेत्र के साथ-साथ देश के लिए भी बहुत फायदेमंद है। एग्रीस्टैक के पूरा होने के बाद कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

कैसे काम करता है री-सैट-1

अंतरिक्ष विभाग के सचिव श्री एस. सोमनाथ ने कहा कि री-सैट-1ए भारत का पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसे 14 फरवरी, 2022 को लॉन्च किया गया था। री-सैट-1ए एक बारहमासी उपग्रह है और वनस्पति में गहराई तक प्रवेश कर सकता है। यह प्रकाश की स्थिति से भिन्न उच्च रेजोल्यूशन वाली भू-स्थानिक छवियां ले सकता है। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन भारतीय कृषि के समावेशी, आत्मनिर्भर और सतत विकास के लिए डिजिटल आधार प्रदान करेगा।

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कार्यक्रम के हिस्से के रूप में इसरो द्वारा एक तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें उपयोगकर्ता समुदाय के लाभ के लिए री-सैट-1ए डेटा का उपयोग करके मामले के अध्ययन और संभावित अनुप्रयोगों का प्रदर्शन किया गया था। री-सैट-1ए डेटा राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद द्वारा भूनिधि जियोपोर्टल के माध्यम से प्राप्त, संसाधित और प्रसारित किया जाता है।

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