महंगाई राहत कैम्प: 51 लाख से अधिक किसानों ने कराया गाय एवं भैंस के बीमे के लिए पंजीयन

गाय एवं भैंस बीमा हेतु पंजीयन

पशुपालन क्षेत्र में जोखिम कम करने के लिए पशुओं का बीमा किया जाता है। इसके लिए राजस्थान सरकार ने राज्य में पशुपालकों को पशुओं के बीमा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए निःशुल्क बीमा के लिए नई योजना शुरू की है। प्रदेश में महंगाई राहत कैम्प में राज्य सरकार की दस विशेष योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इन दस योजनाओं के अंतर्गत मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत अब दो दुधारू गौवंश के साथ दुधारू भैंस का बीमा भी निःशुल्क किया जा रहा है।

वहीं पशुपालकों के द्वारा महंगाई राहत कैम्प में मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना में बड़ी संख्या में पंजीयन करवाए जा रहे हैं, साथ ही शिविर में पशुपालन विभाग से सम्बंधित अन्य योजनाओं के लाभ की जानकारी भी दी जा रही है।

51 लाख से अधिक पशुपालकों में कराया है पंजीयन

महंगाई राहत कैम्प में अब तक मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत 51 लाख से भी अधिक पशुपालक पंजीयन करवा चुके हैं। इस सम्बंध में पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना पशुपालकों एवं उन्नत पशुधन विकास के लिए महत्वाकांक्षी योजना है। उन्होंने कहा कि दो दुधारू गाय या भैंस का निःशुल्क बीमा होने से पशुपालक अब निश्चिन्त होकर पशुपालन कर सकेंगे। नतीजन राज्य में पशुधन विकास में वृद्धि के साथ दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि हो सकेगी। 

किसान कैम्प में जाकर करा सकेंगे बीमा

निदेशक ने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि महंगाई राहत कैम्प में ऐसे ही पशुपालक ही मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना में पंजीयन करवाए जिनके पास दुधारू गाय या दुधारू भैंस हो, ताकि जरुरतमंद एवं पात्र पशुपालकों तक योजना का लाभ पहुंच सके। उन्होंने कहा कि पहले इस योजना में दो दुधारू गौवंश पशुओं का ही बीमा किया जा रहा था, परन्तु अब योजना के क्षेत्र बढ़ाते हुए दुधारू भैंस को भी शामिल किया गया है, साथ ही यह बीमा पूर्णतया निःशुल्क होगा और बीमा प्रीमियम की राशि राज्य सरकार द्वारा पूर्णतया वहन की जाएगी। 

नहीं बढ़ेंगे यूरिया एवं डीएपी खाद के दाम, सरकार ने सब्सिडी योजना को दी मंजूरी

यूरिया एवं डीएपी खाद के दाम

खेती में बीज, सिंचाई के साथ ही खाद का महत्वपूर्ण स्थान है। भूमि में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किसानों द्वारा विभिन्न फसलों के उत्पादन में उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में उर्वरकों के दाम अधिक होने से फसल उत्पादन के लागत में वृद्धि होती है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है। इसलिए सरकार द्वारा उर्वरकों पर भारी सब्सिडी दी जाती है। केंद्र सरकार ने इस वर्ष भी किसानों को उचित दामों पर यूरिया एवं अन्य खाद मिल सके इसके लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी को मंजूरी दे दी है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी मौसम 2022-23 (01.01.2023 से 31.03.2023 तक) के लिए विभिन्न पोषक तत्वों यानी नाइट्रोजन (एन), फास्फोरस (पी), पोटाश (के) और सल्फर (एस) के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों में संशोधन को लेकर उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और खरीफ मौसम 1 अप्रैल 2023 से 30 सितम्बर 2023 तक के लिए फॉस्फेट और पोटाश (पी एंड के) उर्वरकों के लिए अनुमोदित एनबीएस दरों को मंजूरी दे दी है।

खरीफ 2023 में उर्वरक पर दी जाएगी 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी

केंद्र सरकार किसानों को गुणवत्ता और सब्सिडी वाले पीएण्डके उर्वरक प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए खरीफ 2023 के दौरान 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी। कैबिनेट के फैसले से खरीफ सीजन के दौरान सब्सिडी वाले, किफायती और उचित मूल्य पर किसानों को डीएपी और अन्य पीएण्डके उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का दोहरा लाभ होगा और पीएण्डके उर्वरकों पर सब्सिडी का युक्तिकरण भी सुनिश्चित होगा।

बता दें कि सरकार 1 अप्रैल 2010 से ही एनबीएस योजना द्वारा फॉस्फेट और पोटाश (पी एंड के) उर्वरकों पर सब्सिडी दे रही है। सरकार ने रबी 2022-2023 के लिए 01 जनवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक प्रभावी एनबीएस दरों में संशोधन को मंजूरी दे दी है और खरीफ 01 अप्रैल 2023 से 30 सितम्बर 2023 तक के लिए एनबीएस दरों को मंजूरी दे दी है, ताकि किसानों को रियायती कीमतों पर फॉस्फेटिक और पोटाश पी एंड के उर्वरक के 25 ग्रेड उपलब्ध हो सकें।

यूरिया एवं डीएपी खाद के दाम Price कितना रहेगा?

सरकार द्वारा पोषक तत्व आधारित सब्सिडी को मंजूरी दिए जाने के बाद आगामी खरीफ सीजन में उर्वरकों के दामों में कोई परिवर्तन नहीं होगा। देश में अभी नीम लेपित यूरिया की एक बोरी की कीमत 266.50 रुपए है जबकि DAP की एक बोरी की क़ीमत 1,350 रुपए है। किसानों को आगामी खरीफ सीजन यानि कि 1 अप्रैल से लेकर 30 सितम्बर 2023 के दौरान यूरिया एवं डीएपी खाद इसी कीमत पर मिलता रहेगा।

मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान, इस वर्ष मानसून के आने में हो सकती है देरी

मानसून पूर्वानुमान 2023

देश में किसानों के लिए मानसूनी वर्षा सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि किसानों की खरीफ फसलें पूरी तरह से मानूसनी वर्षा पर ही निर्भर करती है। ऐसे में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने इस वर्ष के लिए मानसून के केरल पहुँचने का पूर्वानुमान जारी कर दिया है। मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष देश में मानसून की शुरुआत 4 जून से हो सकती है, वहीं प्राइवेट मौसम पूर्वानुमान ऐजेंसी स्काईमेट का कहना है की इस वर्ष 7 जून को मानसून केरल पहुँचेगा।

मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत 1 जून से मानी जाती है। दक्षिण पश्चिम मानसून 1 जून को लगभग 7 दिनों के मानक विचलन के साथ केरल में आ जाता है। 

4 जून को केरल पहुँचेगा मानसून

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD के मुताबिक़ इस वर्ष दक्षिण पश्चिम मानसून का केरल में आगमन सामान्य तिथि की तुलना में थोड़ी देरी से शुरू होने की सम्भावना है। मानसून का केरल में आगमन 4 जून तक होने की सम्भावना है। जो 4 दिन आगे पीछे हो सकता है।  वहीं स्काई मेट के अनुसार इस साल केरल के ऊपर दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत 07 जून से हो सकती है इसमें 3 दिन आगे या पीछे होने की सम्भावना है।

वर्ष 2005 से IMD जारी कर रहा है मानसून आने की भविष्यवाणी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD पिछले 18 वर्षों (वर्ष 2005-2022) से प्रत्येक वर्ष मानसून के केरल पहुँचने की तारीख़ की भविष्यवाणी कर रहा है। जो अभी तक वर्ष 2015 को छोड़कर सही साबित हुए हैं। पिछले पाँच सालों में IMD की भविष्यवाणी और मानसून आने की तारीखों की तुलना:-

  • वर्ष 2018 में केरल 29 मई को मानसून आया था, वहीं मौसम विभाग ने 29 मई का ही पूर्वानुमान जारी किया था।
  • 2019 में केरल 8 जून को मानसून आया था, वहीं मौसम विभाग ने 6 जून का पूर्वानुमान जारी किया था।
  • 2020 में केरल 1 जून को मानसून आया था, वहीं मौसम विभाग ने 5 जून का पूर्वानुमान जारी किया था।
  • 2021 में केरल 3 जून को मानसून आया था, वहीं मौसम विभाग ने 31 मई का पूर्वानुमान जारी किया था।
  • 2022 में केरल 29 मई को मानसून आया था, वहीं मौसम विभाग ने 27 मई का पूर्वानुमान जारी किया था।

इस वर्ष कैसा रहेगा मानसून

मौसम विभाग ने इस वर्ष अपने पहले पूर्वानुमान में मानसून के सामान्य रहने की सम्भावना जताई है। IMD के मुताबिक़ इस वर्ष देश में मात्रात्मक रूप से, मानसून मौसमी वर्षा ± 5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी अवधि के औसत ( एलपीए ) का 96 प्रतिशत होने की संभावना है। जबकि 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है। वही स्काईमेट वेदर ने अपने पूर्वानुमान में 94 फ़ीसदी बारिश होने का अनुमान लगाया है।

सहकारिता क्षेत्र में किया जाएगा 1100 एफपीओ का गठन, किसानों को मिलेगी 33 लाख रुपए तक की सहायता

राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम करेगा FPOs का गठन

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा अधिक से अधिक FPOs के गठन पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से अनुदान सहित कई अन्य सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस कड़ी में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सहकारिता क्षेत्र में 1,100 FPOs के गठन का निर्णय लिया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एफपीओ योजना के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) को इन 1100 अतिरिक्त एफपीओ के आवंटन का काम सौपा है।

FPO योजना के तहत, प्रत्येक FPO को भारत सरकार द्वारा 33 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, साथ ही, क्लस्टर आधारित व्यापार संगठन (CBBO) को FPO गठन के लिए प्रति FPO 25 लाख रुपये की राशि दी जाती है।

किसानों को मिलेगी यह सहायता

देशभर में प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (PACS) से लगभग 13 करोड़ किसान जुड़े हैं। इस निर्णय से पैक्स, जो आमतौर पर अल्पकालिक ऋण और बीज, उर्वरक आदि के वितरण का कार्य करती हैं, अब अन्य कृषि सम्बंधित आर्थिक कार्यकलाप करने में भी सक्षम होंगी। FPO योजना में PACS के एकीकरण से उन्हें कृषि उत्पादन इनपुट, कृषि उपकरण जैसे कल्टीवेटर, टिलर, हारवेस्टर, आदि की आपूर्ति तथा प्रसंस्करण जैसे कि अनाज की सफाई, परख, छंटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग, भंडारण, परिवहन आदि गतिविधियों में अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, पैक्स मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, आदि जैसे उच्च आय अर्जित करने वाले उद्यम करने में भी सक्षम होंगी।

यह पहल सहकारी समितियों को आवश्यक बाजार लिंकेज प्रदान कर उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में भी सहायक होगी। साथ ही, इससे पैक्स की व्यावसायिक गतिविधियों में भी विविधता आएगी तथा आय के नए और स्थायी स्रोत उत्पन्न होंगे।

किसानों को फ्री में दिए जाएँगे चना, मसूर, मटर एवं अन्य दलहन फसलों के बीज, सरकार ने दी योजना को मंजूरी

निःशुल्क दलहन बीज मिनी किट वितरण योजना

देश को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा दलहन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार दलहन फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दे रही है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों को इन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए “निःशुल्क दलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम” योजना को मंजूरी दे दी है।

उत्तर प्रदेश मंत्री परिषद ने नई योजना निःशुल्क दलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम” को स्वीकृति प्रदान कर दी है। योजना के तहत चयनित किसानों को जायद, रबी एवं खरीफ सीजन में उड़द, मूंग, अरहर, चना, मटर एवं मसूर फसलों के बीज मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएँगे।

क्या है दलहन फसलों के बीज निःशुल्क वितरण के लिए योजना? 

उत्तर प्रदेश सरकार निःशुल्क दलहन बीज मिनी किट वितरण योजना का क्रियान्वयन राज्य में वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक संचालित की जाएगी। योजना का मुख्य उद्देश्य दलहनी फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, दलहनी खेती को बढ़ावा देना, नई प्रजातियों का प्रसार कर दालों का उपभोग बढ़ना है। योजना के तहत किसानों को इन फसलों की खेती की तकनीकी जानकारी देने के लिए दलहन उत्पादन वाली ग्राम पंचायतों में फसल प्रदर्शन, कृषक प्रशिक्षण तथा किसान पाठशाला का आयोजन योजना के माध्यम से किया जाएगा। 

इन फसलों के बीजों का किया जाएगा फ्री में वितरण

सरकार ने राज्य में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना को प्रदेश के सभी 75 जिलों में लागू करें के निर्णय लिया है। योजना के अंतर्गत किसानों को जायद, खरीफ एवं रबी सीजन में लगाई जाने वाली दलहन फसलों के बीजों का वितरण किया जाएगा। इसमें किसानों को जायद एवं खरीफ सीजन में 04 किलोग्राम उड़द, मूंग के 04 किलोग्राम खरीफ में अरहर के 03 किलोग्राम, रबी में चना के 16 किलोग्राम, मटर के 20 किलोग्राम एवं मसूर के 08 किलोग्राम बीज मिनी किट निःशुल्क वितरित किए जाएँगे।

57 लाख से अधिक किसानों को मिलेगा निःशुल्क बीज योजना का लाभ

योजना के क्रियान्वयन से वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक कुल 8.36 लाख कृषक बीज मिनी किट से लाभान्वित होंगे। किसान पाठशाला के आयोजन से एक वर्ष में 14.29 लाख एवं चार वर्षों में कुल 57.17 लाख किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही दलहन के प्रदर्शनों में 14,293 किसान प्रतिवर्ष एवं चार वर्षों में 57,172 कृषक लाभान्वित होंगे।

वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक प्रदेश में “निःशुल्क दलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम” योजना के क्रियान्वयन पर 12098.70 लाख रुपए अनुमानित व्यय किया जाएगा। 

इस वर्ष 20 लाख किसानों को फ्री में दिए जाएँगे सब्ज़ियों के उन्नत बीज 

सब्जी बीज निःशुल्क बीज वितरण

देश में सब्ज़ियों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने तथा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार द्वारा भारी अनुदान दिया जा रहा है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने राज्य में 20 लाख किसानों को फ्री में सब्जियों के बीज किट उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

राजस्थान सरकार राज्य में 20 लाख किसानों को निःशुल्क सब्जियों के बीज किट उपलब्ध कराएगी। इस पर राजस्थान उद्यानिकी विकास मिशन के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में कृषक कल्याण कोष से 60 करोड़ रुपए खर्च करेगी। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।

इन सब्ज़ियों के बीज किसानों को मुफ्त में दिए जाएँगे

राजस्थान सरकार 5 लाख किसानों को 500 वर्गमीटर क्षेत्र में एकल फसल और 15 लाख किसानों को 100 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए कोम्बो किचन गार्डन किट उपलब्ध करवाएगी। कोम्बो किचन गार्डन किट में खरीफ फसल के लिए टिण्डा, भिण्डी, मिर्च, ग्वार, लौकी, टमाटर व बैंगन, रबी फसल के लिए पालक, गाजर, मिर्च, मटर, मूली, टमाटर व बैंगन तथा जायद फसल के लिए ककड़ी, टिण्डा, भिण्डी, लौकी व ग्वार के बीज शामिल हैं। 

इसमें खरीफ-2023 के लिए 7 लाख, रबी 2023-24 के लिए 11 लाख एवं जायद- 2024 के लिए 2 लाख किट वितरण का लक्ष्य है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने बजट वर्ष 2023-24 में इस सम्बन्ध में घोषणा की थी। 

किसानों को मुफ़्त में दिए जाएँगे मूँगफली, सरसों, तिल एवं अन्य तिलहन फसलों के बीज, सरकार ने दी योजना को मंजूरी

निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट योजना को मिली मंजूरी

देश को तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार तिलहन फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने पर जोर दे रही है । इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नई योजना “निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम” को मंजूरी दे दी है।

योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में तिलहनी फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना है। योजना से जहां तिलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा वहीं नई प्रजाति के प्रचार प्रसार में भी मदद मिलेगी। राज्य सरकार द्वारा योजना 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक संचालित की जाएगी। निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर 11457.60 लाख रुपए खर्च किए जाएँगे।

इन फसलों के बीज किसानों को दिए जाएँगे निःशुल्क

योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी 75 जनपदों में किया जाएगा। जिसमें किसानों को मूँगफली के 20 किलोग्राम प्रति पैकेट, तिल 02 किलोग्राम प्रति पैकेट, राई/सरसों 02 किलोग्राम प्रति पैकेट तथा अलसी 02 किलोग्राम प्रति पैकेट के रूप में बीज मिनी कीट निःशुल्क वितरित किए जाएँगे। योजना के क्रियान्वयन से वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक कुल 26.66 लाख किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा। वहीं संकर सरसों के प्रदर्शन से 7,563 किसान प्रतिवर्ष तथा चार वर्षों में 30,252 किसान लाभान्वित होंगे।

फ़सलों की उन्नत खेती के लिए आयोजित की जाएँगी किसान पाठशाला

योजना का मुख्य उद्देश्य खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तिलहनी फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना है। इसके लिए कार्यक्रम की रणनीति के तहत राज्य के किसानों को तिलहनी फसलों के गुणवत्तायुक्त मिनी किट बीजों का निःशुल्क वितरण कर अधिकाधिक क्षेत्रफल को आच्छादित किया जाएगा। 

20 या 20 हेक्टेयर से अधिक तिलहन क्षेत्र आच्छादन वाली चयनित ग्राम पंचायतों का फसलवार चयन करते हुए उनमें तिलहनी फसलों की उन्नति खेती के सम्बंध में किसान पाठशाला का आयोजन एवं प्रदर्शन किया जाएगा। किसान पाठशाला के आयोजन से एक वर्ष में 11.90 लाख तथा चार वर्षों में कुल 47.62 लाख किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। 

इन किसानों को मिलेगा योजना का लाभ

योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी 75 जनपदों में किया जाएगा। बीज मिनी किट के वितरण में सीमांत एवं लघु कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। वर्ष में 01 कृषक को एक बीज मिनी किट वितरित की जाएगी। किसानों का चयन कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत अथवा भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से आच्छादित कृषकों में से किया जाएगा। चयनित किसानों में 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति/ जनजाति के किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। योजना में महिला कृषकों को वरीयता दी जाएगी।

योजना के तहत सभी ज़िला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया जाएगा कि किसानों को दिए जा रहे मिनी किट की बुआई सुनिश्चित कराते हुए उसका भौतिक सत्यापन किया जाए। जिससे अतिरिक्त रूप से तिल, राई/सरसों, अलसी तथा मूँगफली के क्षेत्र में आच्छादन में वृद्धि प्रदर्शित हो सके। वहीं संकर सरसों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए चयनित ग्राम पंचायतों में प्रदर्शन आयोजित किए जाएँगे।

अब घर पर ही होगा पशुओं का इलाज, किसानों को इस नम्बर पर करना होगा कॉल

पशु उपचार के लिए शुरू हुआ टोल फ्री नम्बर

देश में पशु पालकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए पशु पालकों को घर बैठे ही पशु उपचार की सुविधा मिल सके इसके लिए टोल फ्री नम्बर भी शुरू किए जा रहे हैं। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने 12 मई के दिन 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गो-रक्षा संकल्प सम्मेलन का शुभारंभ किया और प्रदेश के शहरी क्षेत्रों एवं सभी विकासखंड के लिए 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस को हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज वह दिन आ गया है जब एम्बुलेंस केवल इंसान के लिए ही नहीं गो-माता और अन्य पशुओं के इलाज के लिए भी उपलब्ध होगी। एम्बुलेंस में एक पशु चिकित्सक और सहायक उपलब्ध होंगे। आपात स्थिति में पशुओं के इलाज के लिए टोल फ्री नम्बर 1962 जारी किया गया है। बीमार पशु को अस्पताल तक ले जाना बड़ी समस्या होती थी। अब इन एम्बुलेंस के आने से पशु चिकित्सालय स्वयं पशुपालक के द्वार पर उपस्थित होगा।

गाय पालने वाले किसानों को प्रतिमाह दिए जाएँगे 900 रुपए

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए गाय आवश्यक है। गो-मूत्र और गोबर से ही घनामृत और जीवामृत बनते हैं। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गाय पालने के लिए 900 रूपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इस माह 22 हजार किसानों को योजना की किस्त जारी की जाएगी। जनजातीय भाई-बहनों को गो-पालन के लिए गाय खरीदने पर 90 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। 

गोबर, गो-मूत्र सहित अन्य गो-उत्पादों के व्यवसाय को लाभकारी बनाने के लिए भी राज्य सरकार प्रयासरत है। गाय के गोबर से सीएनजी बनाने के प्रोजेक्ट पर जबलपुर में कार्य जारी है। प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गोवर्धन प्लांट स्थापित कर गोबर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, इससे सीएनजी निर्मित होगी।

गोबर एवं गो-मूत्र के व्यवसाय को दिया जाएगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गो-शालाओं में बनाए जाने वाले प्राकृतिक पेंट का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतस्तर के शासकीय भवनों में करने की नीति बनाई जाएगी। इससे गोबर और गो-मूत्र के व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रदेश में 8 गो-सदन और दो गो-वंश वन्य विहार विकसित किए जाएंगे। इनके संचालन का जिम्मा गो-सेवक संस्था को सौंपा जाएगा।

पंजीकृत गो-शालाओं को बिजली के बिल की समस्या न आये और इससे गो-माता की सेवा में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो, इसके लिए उपयुक्त नीति बनाए जाएगी। गो-शालाओं में भूसे की पर्याप्त व्यवस्था के लिए राशि का पुननिर्धारण किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसान भाइयों से नरवाई न जला कर भूसे की व्यवस्था में सहयोग की अपील की।

बड़ी गो-शालाओं का किया जाएगा विकास

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में हर ग्राम पंचायत में गोशाला के बजाय बड़ी गो-शालाएँ विकसित करने पर भी राज्यशासन विचार कर रहा है। गो-शालाओं के सुचारू प्रबंधन के उद्देश्य से 4-5 ग्राम पंचायतों के लिए एक बड़ी गोशाला विकसित की जाएगी। प्राथमिक तौर पर प्रदेश में कुछ स्थानों पर मॉडल के रूप में ऐसी गो-शालाएँ विकसित की जाएंगी। इन गो-शालाओं की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी कोई संस्था ले सकती है और संस्था को राज्य शासन द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। 

जिन गो-शालाओं के साथ जमीनें संलग्न हैं और उन जमीनों पर यदि अतिक्रमण है तो उन्हें तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। गो-शालाओं को कांजी हाउस का दर्जा देने पर भी विचार भी किया जाएगा। गो-वंश की गणना भी की जाएगी। गो-शालाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके बेहतर प्रबंधन के लिए जिला स्तर पर अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

गो-पालन और गो-रक्षा का संकल्प दिलाया

मुख्यमंत्री ने गो-रक्षा सम्मेलन में प्रदेशवासियों को गो-पालन और गो-रक्षा का संकल्प दिलाया। उन्होंने आहवान किया कि इस पुनीत कार्य और गो-शालाओं के संचालन में सकरात्मक भूमिका का निर्वहन करें। गो-संरक्षण के लिये प्रतिदिन भोजन करने के पूर्व गो-माता का स्मरण करते हुए गो-ग्रास या उसके समतुल्य राशि निकाल कर गो-सेवा का संकल्प लें। इस कार्य में अपने परिवार के साथ समाज को भी प्रेरित करें।

किसानों के लिए बकरी पालन है एटीएम एवं चलता फिरता फ्रीज: वरिष्ठ वैज्ञानिक यादव

बकरी पालन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

देश में किसानों को खेती-किसानी, पशुपालन एवं मछली पालन आदि में नई तकनीकों की जानकारी देने के लिए कृषि विद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है। जिसमें वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों द्वारा किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे ही एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भीलवाड़ा जिले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर किया गया। प्रशिक्षण शिविर में वैज्ञानिकों द्वारा बकरी पालन के विषय में जानकारी प्रदान की गई। 

कृषि विज्ञान केन्द्र, भीलवाड़ा पर बकरी पालन द्वारा आत्मनिर्भरता विषय पर चार दिवसीय संस्थागत कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में 30 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण में लाभार्थियों को बकरी पालन में लागत, मुनाफ़ा, रोग, आहार, बकरियों की नस्ल आदि के विषय में जानकारी दी गई।

बकरी पालन है किसानों के लिए एटीएम

केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ.सी.एम. यादव ने बताया कि बकरी पालन भूमिहीन, लघु एवं सीमांत किसानों के जीवन निर्वाह का प्रमुख स्त्रोत है। डॉ. यादव ने बकरियों की प्रमुख नस्लें सिरोही, सोजत, गूजरी, करौली, मारवाड़ी, झकराना, परबतसरी एवं झालावाड़ी में आवास एवं आहार प्रबन्धन, प्रमुख रोग एवं निदान, कृमिनाशक, बाह्य परजीवी नियन्त्रण की जानकारी दी और बकरी पालन को किसान के लिए एटीएम एवं चलता फिरता फ्रीज बताया।

बकरी पालन के इन विषयों पर दी गई जानकारी

प्रोफेसर शस्य विज्ञान डॉ. के. सी. नागर ने बकरी पालन हेतु स्थान का चयन, शेड का निर्माण, बकरियों की संख्या का नियन्त्रण, वर्ष भर हरा चारा उत्पादन, बकरी के दूध की उपयोगिता एवं विपणन के बारे में किसानों को जानकारी दी। वहीं कृषि महाविद्यालय के सहायक आचार्य पशुपालन डॉ. एच. एल. बुगालिया ने बकरियों में होने वाले संक्रामक रोग उनके फैलने के कारण और निदान की जानकारी दी साथ ही कृषक उत्पादक संगठन से जुड़कर बकरी पालन अपनाने के बारे में जानकारी दी।

वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता प्रकाश कुमावत ने बकरी पालन को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय बताया जिसको किसान छोटे स्तर से बड़े स्तर तक आसानी से किया जा सकता है, साथ ही बकरियों में होने वाले प्रमुख रोग एवं टीकाकरण के बारे में बताया। इस अवसर पर बकरीपालकों को विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कृषि कलैण्डर वितरित किए गए।  

इन किसानों के बैंक लोन का ब्याज किया जाएगा माफ, सरकार ने जारी किए दिशा निर्देश

ब्याज माफी योजना के लिए दिशा निर्देश

अभी हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में ब्याज माफी योजना को मंजूरी दी है, योजना के तहत सरकार ने सहकारी केन्द्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक साख सहकारी समितियों (पैक्स) के किसानों का ब्याज माफ़ किया जाएगा। सरकार ने अब योजना के तहत विस्तृत दिशा निर्देश भी जारी कर दिए है।

राज्य मंत्रि-परिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार सहकारिता विभाग ने डिफाल्टर किसानों के बकाया कालातीत फसल ऋणों के ब्याज माफ किये जाने के निर्देश जारी कर दिये हैं। ब्याज माफी योजना में डिफाल्टर कृषकों की संख्या और ब्याज की राशि आदि में आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्तन का निर्णय लेने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की गई है।

इन किसानों को मिलेगा ब्याज माफी योजना का लाभ

जारी निर्देश अनुसार प्रदेश के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक साख सहकारी समितियों (पैक्स) के ऐसे किसान, जिन पर 31 मार्च की स्थिति में कुल देयताएँ (मूल ब्याज) 2 लाख रूपये तक है और डिफाल्टर हैं, के ब्याज की प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जायेगी। कुल देयताओं की गणना में अल्पकालीन और मध्यकालीन परिवर्तित ऋण को शामिल किया जायेगा।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार 31 मार्च 2023 की स्थिति में प्रदेश में 11 लाख 19 हजार डिफाल्टर किसान हैं, जिन पर माफी योग्य ब्याज की राशि लगभग 2 हजार 123 करोड़ रूपये है। योजना का लाभ 31 मार्च 2023 की स्थिति में डिफाल्टर हुए किसानों की सूची में से केवल आवेदन करने वाले डिफाल्टर किसानों को ही दिया जायेगा। 

30 नवम्बर 2023 तक मिलेगा योजना का लाभ

सरकार ने किसानों के लिए योजना की अंतिम तिथि 30 नवम्बर 2023 तक रखी गई है। सरकार द्वारा दी जाने वाली अंशपूँजी की राशि का उपयोग सभी संबंधित संस्थाएँ प्रथमत: कृषकों के ब्याज को माफ करने के लिये उपयोग करेंगी। प्रदत्त अंशपूँजी वापसी योग्य नहीं होगी।

सचिव सहकारिता श्री विवेक पोरवाल ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता के लिए डिफाल्टर कृषकों की सूची में यूनिक नम्बर (सरल क्रमांक) के साथ कृषक का नाम, उस पर बकाया मूलधन एवं माफ की जाने वाली ब्याज राशि का विवरण बैंक स्तर पर यूटिलिटी पोर्टल से सार्वजनिक किया जायेगा।

किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा खाद

योजना से लाभान्वित कृषकों को कृषि कार्य के लिये खाद उपलब्ध कराने के लिये यह विशेष सुविधा दी जायेगी कि जितनी राशि कृषक अपने ऋण खाते में नगद जमा करेंगे, उतनी राशि तक का खाद समिति से ऋण के रूप में प्राप्त कर सकेंगे। 

ब्याज माफी योजना में डिफाल्टर कृषकों की संख्या एवं ब्याज की राशि आदि में आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्तन करने का निर्णय लेने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। अपर मुख्य सचिव वित्त, अपर मुख्य सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, सचिव सहकारिता, आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएँ कमेटी के सदस्य और प्रबंध संचालक राज्य सहकारी बैंक को संयोजक सदस्य है।