पॉली हाउस, शेड नेट, प्याज भंडारण सहित दर्जन भर योजनाओं पर अनुदान लेने के लिए किसान 15 मई तक करें आवेदन

ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, शेडनेट, प्याज भंडार, पैक हाउस पर अनुदान हेतु आवेदन

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है परंतु उद्यानिकी फसलों के उत्पादन की लागत अधिक होने के चलते किसान इन फसलों की खेती नहीं कर पाते हैं। ऐसे में किसानों को प्रोत्साहित करने एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा भारी सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने राज्य में उद्यानिकी विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए राज्य के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं।

राजस्थान में उद्यान विभाग के माध्यम से ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, शेडनेट हाउस, प्लास्टिक मल्च, लॉ-टनल, कम लागत के प्याज भंडार, पैक हाउस, सामुदायिक जल स्रोत आदि योजनाओं के लिए किसानों से आवेदन माँगे गए हैं। इनमें किसानों को इकाई लागत का 50 से 95 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। 

किसान कब तक आवेदन कर सकते हैं?

राजस्थान राज्य के किसान उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए 15 मई 2023 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। विभाग की सभी योजनाओं में किसानों के चयन के लिए इस बार एक साथ लॉटरी निकाली जाएगी। चयन प्रक्रिया में दिनांक 16 जून 2022 से आवेदन करने वाले किसानों को भी सम्मिलित किया जाएगा।

साथ ही पूर्व वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिन कृषकों ने राज किसान साथी पोर्टल व ई-मित्र पोर्टल पर आवेदन किया गया था, परन्तु उनका चयन/वरीयता सूची में नाम नहीं आने के कारण लाभान्वित नहीं किया गया उन कृषकों के आवेदन पत्र राज किसान साथी पोर्टल पर वर्ष 2023-24 हेतु कैरी फॉरवर्ड करते हुए पात्र माना जाएगा।

15 मई के बाद प्राप्त आवेदनों को अगले साल के लिए लंबित रखा जाएगा। अब तक विभाग के माध्यम से संचालित विभिन्न योजनाओं में लॉटरी की तिथि तय नहीं रहती थी। इस वजह से किसानों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता था।

उद्यानिकी योजनाओं पर किसानों को कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा?

राजस्थान में उद्यान विभाग के माध्यम से में ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, शेडनेट, प्लास्टिक मल्च, लॉ-टनल, कम लागत के प्याज भंडार, पैक हाउस, सामुदायिक जल स्रोत आदि योजनाओं का संचालन किया जाता है। इनमें किसानों को इकाई लागत का 50 से 95 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा।

नये बगीचों की स्थापना के लिए अनुदान 

इस वर्ष राजस्थान सरकार की बजट घोषणा के अनुसार नये फल बगीचों की स्थापना पर अनुदान 75 प्रतिशत देय है। एक लाभार्थी को अधिकतम 4.0 हेक्टेयर व न्यूनतम 0.4 हेक्टेयर के लिए सहायता देय है। बगीचों की स्थापना में ड्रिप संयंत्र लगाना अनिवार्य होगा।

सामुदायिक जल स्त्रोतों के विकास पर अनुदान

कृषक समूह द्वारा 10 हैक्टेयर क्षेत्र में कमाण्ड हेतु 100 गुणा 100 गुणा 3 मीटर वाटर रेजरवायर्स के 500 माईक्रोंन प्लास्टिक फिल्म, आर.सी.सी. लाइनिंग से निर्माण पर लागत 20.00 लाख रूपये इकाई का शत-प्रतिशत या छोटे साईज 50 गुणा 50 गुणा 3 न्यूनतम साईज के जल स्त्रोत पर यथानुपात अनुदान देय होगा। कृषक समूह के लिए न्यूनतम कृषक संख्या 3 रहेगी। पति/पत्नी में से एक को सदस्य माना जायेगा।

ग्रीन हाउस एवं शेडनेट हाउस स्थापना पर दिया जाने वाला अनुदान 

योजना के अनुसार ग्रीन हाउस के लिए 2080 तक के लिए इकाई लागत 890 रुपए प्रति वर्ग मीटर तथा 2081 से 4000 तक के लिए 844 रुपए प्रति वर्ग मीटर एवं शेडनेट हाउस के लिए 4000 वर्ग मीटर तक इकाई लागत 710 रुपए प्रति वर्ग मीटर के तहत लघु सीमान्त को 95 प्रतिशत, अनुसूचित जाति/अनसूचित जन जाति को 70 प्रतिशत तथा सामान्य को 50 प्रतिशत अनुदान देय होगा। इसी प्रकार ग्रीन हाउस/शेडनेट हाउस में हाई वेल्यू वैजिटेबल की काश्त करने पर लागत (140 रुपए प्रति वर्ग मी.) का 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 4000 वर्ग मी. तक अनुदान देय होगा।

प्लास्टिक मल्चिंग के लिए दिया जाने वाला अनुदान 

उद्यानिकी फसलों में खरपतवार नियंत्रण, जल के कुशलतम उपयोग एवं उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाये जाने हेतु प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग किया जाता है। लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 16,000 रूपये प्रति हेक्टेयर पर अनुदान देय है। एक लाभार्थी को अधिकतम 2.0 हेक्टेयर तक अनुदान देय है। लघु/सीमान्त किसानों के लिए प्लास्टिक मल्चिंग हेतु प्रति हैक्टेयर यूनिट लागत राशि रूपये 32,000 का 75 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर अनुदान राशि रूपये 24000 दिया जाएगा।

प्लास्टिक टनल पर दिया जाने वाला अनुदान

बागवानी फसलों को शीत के प्रकोप से बचाने हेतु प्लास्टिक टनल का प्रयोग किया जाता है। लागत (60 रुपए प्रति वर्ग मी.) का 50 प्रतिशत एवं एक लाथार्थी को अधिकतम 1000 वर्ग मीटर तक अनुदान देय है। लघु व सीमान्त श्रेणी के कृषकों को अनुदान सीमा प्रति कृषक 1000 वर्गमीटर से बढ़ाकर 4000 वर्गमीटर एवं अनुदान राशि 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।

प्याज भंडारण, कोल्ड स्टोरेज एवं पैक हाउस पर अनुदान

पैक हाउस के तहत (9 गुणा 6 मीटर) कुल लागत 4 लाख के लिए देय अनुदान लागत का 50 प्रतिशत, समन्वित पैक हाउस के लिए (9 गुणा 18 मीटर) कुल लागत 50 लाख का 35 प्रतिशत (क्रेडिट लिंक बैंक एन्डेड) तथा कोल्ड स्टोरेज (अधिकतम 5000 मैट्रिक टन क्षमता हेतु) कुल लागत 8000 मैट्रिक टन के लिए लागत का 35 प्रतिशत (क्रेडिट लिंक बैंक एन्डेड) तक अनुदन देय होगा। वहीं कम लागत प्याज भण्डारण संरचना (25 मीट्रिक टन) रूपये 1.75 लाख प्रति इकाई लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम अनुदान 87,500 रुपए अनुदान दिया जाएगा।

25 मई तक कर लिया जाएगा किसानों का चयन

राज्य में उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में आवेदन करने वाले किसानों को अब अनुदान के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। राज्य सरकार ने विभाग के माध्यम से संचालित सभी योजनाओं में किसानों के चयन का कार्यक्रम जारी कर दिया है। उद्यान आयुक्तालय की गाइडलाइन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान विभिन्न योजनाओं में अनुदान के लिए आवेदन करने वाले किसानों का लॉटरी द्वारा चयन इसी महीने 25 मई तक किया जाएगा।

जिला स्तरीय कमेटी की देखरेख में निकाली जाएगी लॉटरी

विभागीय योजनाओं में प्राप्त आवेदनों के आधार पर किसानों के चयन के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी की निगरानी में किसानों का लॉटरी से चयन होगा । जिसमें कलेक्टर या प्रतिनिधि, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, उपनिदेशक एवं एनालिस्ट कम प्रोग्रामर, संयुक्त निदेशक सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग व उप निदेशक उद्यान विभाग को शामिल किया गया है।

किसान योजनाओं के तहत आवेदन प्राप्त करने के लिए आवेदन कहाँ करें ?

राजस्थान राज्य के इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते हैं वे 15 मई 2023 तक राज किसान साथी पोर्टल पर कृषक भूमि संबंधी दस्तावेज यथा जमाबंदी, भूमि प्रमाण-पत्र, भूमि नक्शा, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, बैंक खाते की प्रति तथा आवेदक की पासपोर्ट साईज फोटो के साथ ऑन लाइन आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद 25 मई तक किसानों का लॉटरी द्वारा चयन किया जाएगा।

उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

बड़ी खबर: सरकार ने 11 लाख से अधिक किसानों का 2 हजार 123 करोड़ रूपये का ब्याज किया माफ

किसान ब्याज माफी योजना

देश में किसानों को कृषि में आवश्यक निवेश के लिए बैंक से ऋण उपलब्ध कराया जाता है, किन्ही कारणों से ख़ासकर खेती में नुकसान के चलते किसान समय पर यह ऋण चुका नहीं पाते हैं जिससे उस पर बहुत अधिक ब्याज राशि हो जाती है और किसान डिफॉल्टर हो जाते हैं, और किसानों को नया ऋण नहीं मिलता है। ऐसे में किसानों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में डिफॉल्टर किसानों के बकाया ब्याज राशि को माफ करने की योजना को मंजूरी दे दी है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज 09 मई 2023 के दिन मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रदेश के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के 2 लाख रूपये तक के 11 लाख 19 हजार डिफाल्टर किसानों पर बकाया ब्याज की राशि 2 हजार 123 करोड़ रूपये माफ करने के लिए ब्याज माफी योजना को मंजूरी दी गई है। 

इन किसानों को मिलेगा ब्याज माफी योजना का लाभ 

मुख्यमंत्री श्री चौहान की घोषणा “जो किसान ऋण माफी के चक्कर में डिफाल्टर हो गये हैं, उनके ब्याज की राशि सरकार द्वारा भरी जायेगी” के अनुरूप मंत्रि-परिषद द्वारा यह योजना मंजूर दी गई है। ऐसे डिफॉल्टर किसान, जिन पर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के 31 मार्च, 2023 की स्थिति में मूल एवं ब्याज को मिला कर 2 लाख रूपये तक का ऋण बकाया है, उन किसानों के ब्याज की भरपाई अब राज्य सरकार द्वारा की जायेगी।

31 मार्च 2023 तक के ऋण पर ब्याज किया जाएगा माफ 

ब्याज माफी योजना के अनुसार किसान पर अल्पकालीन फसल ऋण एवं मध्यकालीन परिवर्तित ऋण को ब्याज सहित मिला कर 2 लाख रूपये तक का ऋण 31 मार्च, 2023 तक बकाया होना चाहिए, उन किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा । डिफाल्टर किसानों को ब्याज माफी का लाभ लेने के लिये अपनी समिति में आवेदन करना होगा। डिफाल्टर किसानों के ऊपर बकाया ऋण एवं ब्याज आदि के विवरण वाली सूची को बैंक स्तर पर एक पोर्टल से सार्वजनिक किया जायेगा। 

साथ ही योजना में किसानों को कृषि कार्य के लिए खाद उपलब्ध कराने की विशेष सुविधा दी गयी है। जितनी राशि किसान द्वारा अपने ऋण खाते में नगद जमा की जायेगी, उतनी राशि तक का खाद वे समिति से ऋण के रूप में प्राप्त कर सकेंगे। योजना की अंतिम तिथि 30 नवम्बर, 2023 नियत की गई है। योजना के विस्तृत निर्देश सहकारिता विभाग द्वारा जारी किये जाएँगे।

फसलों में नहीं लगेंगे कीट एवं रोग, किसान गर्मी में एक बार ज़रूर करें यह काम 

गर्मी में खेतों की जुताई

किसान खेत की जुताई का काम अक्सर बुआई के समय करते हैं। जबकि फसलों में लगने वाले कीट-व्याधियों की रोकथाम की दृष्टि से बुआई के समय की गई जुताई से ज़्यादा लाभ गर्मी में गहरी जुताई करके खेत ख़ाली छोड़ दिए जाने से मिलता है। गर्मी में गहरी जुताई करने से भूमि का तापमान बढ़ जाता है। जिससे कीटों के अंडे, शंकु और लट खत्म हो जाते हैं।

फसल की अच्छी उपज के लिए रबी की फसल कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को ख़ाली रखना बहुत ही लाभदायक रहता है। क्योंकि कीटों के अंडे, प्यूपा और लारवा खत्म होने से खरीफ के मौसम में धान, बाजरा, दलहन और सब्ज़ियों में लगने वाले कीट-रोग का प्रकोप कम हो जाता है। अतः गर्मी में गहरी जुताई करने से कीड़े- बीमारियों से एक सीमा तक छुटकारा पाया जा सकता है।

गर्मी में जुताई से क्या लाभ होता है;-

किसानों को रबी फसलों की कटाई के बाद ही खेतों में गहरी जुताई कर लेना चाहिए, जिससे निम्न लाभ होते हैं:-

  • गर्मी की जुताई से सूर्य की तेज किरणें भूमि के अंदर प्रवेश कर जाती हैं, जिससे भूमिगत कीटों के अंडे, शंकु, लटें व वयस्क नष्ट हो जाते हैं।
  • फसलों में लगने वाले उखटा, जड़ गलन आदि रोगों के रोगाणु व सब्ज़ियों की जड़ों में गाँठ बनाने वाले सूत्रकृमि भी नष्ट हो जाते हैं।
  • खेत की मिट्टी में ढेले बन जाने से वर्षा जल सोखने की क्षमता बढ़ जाती है। जिससे खेतों में ज़्यादा समय तक नमी बनी रहती है।
  • गहरी जुताई से दूब, कांस, मौथा, बायसुरी आदि जटिल खरपतवारों से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
  • गर्मी की जुताई से गोबर की खाद व खेत में उपलब्ध अन्य कार्बनिक पदार्थ भूमि में भली-भाँति मिल जाते हैं। जिससे पोषक तत्व शीघ्र ही फसलों को उपलब्ध हो जाते हैं।
  • ग्रीष्मकालीन जुताई से पानी द्वारा भूमि कटाव में भारी कमी होती है।
  • बार–बार ट्रेक्टर जैसे भारी वाहनों से जुताई करने से मृदा के कणों के बीच का खाली स्थान कम हो जाता है, यानी खेत का मृदा घनत्व बढ़ जाता है। इससे मृदा में हवा का आवागमन बंद हो जाता है। गहरी जुताई में मृदा काफी उल्ट–पलट होती है, जिससे वायु के संरचना के लिए रंध्र बन जाते हैं।
  • वहीं बार–बार एक ही गहराई पर जुताई करने से उस गहराई पर एक कठोर तह का निर्माण हो जाता है। खेत की इस कठोर तह को तोड़कर मृदा को जड़ों के विकास के अनुकूल बनाने में ग्रीष्मकालीन जुताई लाभदायक होती है।

गर्मी की जुताई कैसे करें?

किसानों को गर्मी की जुताई 20-30 से.मी. गहराई तक किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। यदि खेत का ढलान पूर्व से पश्चिम की तरफ़ हो तो जुताई उत्तर से दक्षिण की ओर यानि ढलान को काटते हुए करनी चाहिए, जिससे वर्षा का पानी व मिट्टी न वह पाए। ट्रैक्टर से चलने वाले तवेदार मोल्ड बोर्ड हल भी गर्मी की जुताई के लिए उपयुक्त है।

किसानों को ज़्यादा रेतीलें इलाक़ों में गर्मी की जुताई नहीं करनी चाहिए/ मिट्टी के बड़े-बड़े ढेले रहे तथा मिट्टी भुरभुरी ना हो पाए क्योंकि गर्मी में हवा द्वारा मिट्टी के कटाव की समस्या हो जाती है। 

मुख्यमंत्री ने 1003 करोड़ रुपए की सिंचाई योजनाओं को दी मंजूरी, किसानों को मिलेगा लाभ

नई सिंचाई योजनाओं को मिली स्वीकृति

खेती-किसानी में खाद-बीज के साथ ही सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान है, किसानों से पास सिंचाई का उपयुक्त साधन उपलब्ध होने से जहां जोखिम कम होता है वहीं पैदावार बढ़ने से आमदनी में भी वृद्धि होती है। ऐसे में बारिश का सीजन नजदीक आते ही सरकारों द्वारा नहरों, एनिकट, लिफ्ट सिंचाई परियोजना, जलाशय तथा डैम के निर्माण तथा मरम्मत आदि के लिए कार्य किए जाते हैं।

इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने नहरों, जल एवं सिंचाई परियोजनाओं से संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए 1003.19 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी है। इस राशि से जहां सिंचाई के लिए कई नई योजनाएँ शुरू की जाएँगी बल्कि कई पुरानी योजनाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। जिससे राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा। 

इन सिंचाई परियोजनाओं को दी गई मंजूरी

राज्य के मुख्यमंत्री श्री गहलोत की इस स्वीकृति से डूंगरपुर जिले में मारगिया लघु सिंचाई परियोजना के तहत बांध एवं नहर का सुदृढ़ीकरण, भीलवाड़ा में मेजा बांध की मुख्य नहरों, बांसवाड़ा में अनास नदी पर साग डूंगरी एनिकट, थापड़ा एनिकट लिफ्ट सिंचाई परियोजना, सोलर आधारित सूक्ष्म सिंचाई परियोजना, दानपुर लिफ्ट सिंचाई परियोजना का निर्माण, कागदी पिकअपवियर के डाउन स्ट्रिप एक्सेस चैनल की क्षमता वृद्धि एवं सुदृढ़ीकरण, झालावाड़ में आहू नदी पर एनिकट व कॉजवे, कंठाली नदी के कटाव को रोकना, चित्तौड़गढ़ में बड़ी, मानसरोवर व भावलिया बांध के अधिशेष जल से 7.50 हैक्टेयर कमांड क्षेत्र में सोलर आधारित सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का निर्माण, बूंदी में घोड़ा पछाड़ नदी पर बैंक प्रोटेक्शन कार्य होंगे। 

इसके अलावा बारां के अटरू शहर को बाढ़ से बचाने हेतु बुधसागर तालाब डाचवर्जन चैनल व मांडपुर लिफ्ट परियोजना के एनिकट से सोलर आधारित फव्वारा पद्धति से सिंचाई, प्रतापगढ़ में देवद कराडिया लघु सिंचाई परियोजना, कोटा की अलनिया मध्यम सिंचाई परियोजना की शेष रही कच्ची नहर की लाइनिंग व जीर्णोद्धार, सवाईमाधोपुर के भूखा में बनास नदी पर एनिकट, उदयपुर में जावर एनिकट पर निर्माण संबंधी विभिन्न कार्य होंगे।

साथ ही, चौधरी जम्भेश्वर लिफ्ट नहर (फलोदी लिफ्ट) के 10 हजार हैक्टेयर एवं नेता वितरिका के शेष रहे क्षेत्र में विभिन्न सिविल एवं मैकेनिकल कार्य तथा स्प्रिंकलर सिंचाई सुविधा का विद्युतीकरण कराया जाएगा। इस कार्य में कुल 100 करोड़ रुपए लागत आएगी, जिसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 करोड़ व्यय होंगे। 

अजोला को कहते हैं पशुओं का च्यवनप्राश, इसे खिलाने से पशु देंगे 25 प्रतिशत तक ज़्यादा दूध

पशुओं का च्यवनप्राश अजोला

हरा चारा सालभर उपलब्ध नहीं रहता और कई पशुपालक महंगा पशु आहार खिलाने में भी समर्थ नहीं होते। केवल सूखा चारा खाने से पशुओं को पूर्ण पोषण नहीं मिलता और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं और उनके दूध देने की क्षमता भी घट जाती है। दुधारू पशुओं को प्रतिदिन दो किलो तक पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, अगर पशुपालक सूखा चारा जैसे धान का पैरा, गेहूं का भूसा, आदि के साथ पशुओं को अजोला खिलाएं तो उनकी पोषण की जरूरत पूरी की जा सकती है।

अगर पशुपालक चाहें तो पशुओं को सालभर हरा आहार अजोला खिलाकर स्वस्थ रखने के साथ ही 20 से 25 प्रतिशत अधिक दूध भी ले सकेंगे। अजोला को उगाने में ज्यादा राशि भी खर्च नहीं करनी पड़ेगी। अजोला की खेती कर किसान भाई अपने मवेशियों के लिए पौष्टिक चारे के साथ साथ अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।

अजोला क्या है, क्यों कहते हैं इसे पशुओं का च्यवनप्राश?

अजोला एक अति पोषक छोटा जलीय फर्न (पौधा) है, जो स्थिर पानी में ऊपर तैरता रहता है। एजोला को घर में हौदी बनाकर, तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में कही भी उगाया जा सकता है। किसान इसको टबों और ड्रमों में भी उगा सकते हैं। यह पौधा पानी में विकसित होकर मोटी हरी चटाई की तरह दिखने लगती है। इसका उपयोग पशु आहार के रूप में गाय, भैंस,बकरी, भेड़, शूकर, मछली और मुर्गियों आदि के लिए किया जाता है।

इसमें प्रोटीन, एमिनो एसिड, विटामिन व खनिज लवण की मात्रा अधिक होती है। आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा-कैरोटीन) साथ ही यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, मैग्नेशियम जैसे खनिज लवणों से भरपूर होता है। अजोला एक बेहतरीन पूरक पोषण आहार है जो मवेशियों को अच्छा पोषण देने के साथ साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसके पोषक गुणों के कारण इसे पशुओं का च्यवनप्राश भी कहा जाता है।

आसानी से पचने वाला आहार है अजोला

अजोला पशुओं के लिए हाई प्रोटीन और लो लिग्निन वाला आहार है। जिसे पशु आसानी से पचा सकते हैं। इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। इसे पशुओं के आहार में शामिल करने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पशु कम बीमार पड़ते हैं जिससे पशुपालकों पर आर्थिक भार भी कम होता है। 

पशुओं को प्रतिदिन आहार के साथ अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि के साथ-साथ दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है। मुर्गियों को आहार के साथ प्रतदिन अजोला खिलाने से उनके शारीरिक वजन तथा अंडा उत्पादन क्षमता में वृद्धि आंकी गई है।

एक बेहतरीन जैविक खाद भी है अजोला

अजोला कम कीमत पर उपलब्ध एक बेहतरीन जैविक खाद है। अजोला की पंखुडि़यो में एनाबिना नामक नील हरित शैवाल पाया जाता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। अजोला में नाइट्रोजन की मात्रा 3 से 4 प्रतिशत होती है, साथ ही इसमें कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।

इसे खाद के रूप में उपयोग करने से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। अजोला हानिकारिक रासायनिक उर्वरकों का एक बेहतरीन विकल्प है। जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में मददगार है। इस खाद के इस्तमाल से उच्च गुणवत्ता के खाद्य पदार्थों की पैदावार ली जा सकती है जिससे सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।

सरकार ने किया तारीखों का ऐलान, किसान इस दिन से समर्थन मूल्य पर मूंग एवं उड़द बेचने के लिए करा सकेंगे पंजीयन 

MSP पर मूंग एवं उड़द खरीदी के लिए पंजीयन

इस वर्ष बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की रबी फसलों को काफी नुक़सान हुआ है, ऐसे में किसानों को गर्मी के सीजन (जायद) में लगाई जाने वाली मूंग एवं उड़द की फसल से उम्मीदें हैं। किसानों को इन फसलों को उचित भाव मिल सके इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों से मूंग एवं उड़द समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया है। किसानों से इन फसलों को खरीदने के लिए पंजीयन की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन में मूंग के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,755 रुपए प्रति क्विंटल एवं उड़द के लिए 6,600 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय किया था। सरकार द्वारा इस जायद सीजन में इस भाव पर ही मूंग एवं उड़द की खरीदी की जाएगी।

कब करा सकेंगे मूंग एवं उड़द MSP पर बेचने के लिए पंजीयन

मध्य प्रदेश के किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि प्रदेश में विपणन वर्ष 2023-24 में मूंग और उड़द की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए 8 मई से पंजीयन शुरू होगा। किसान भाई 19 मई तक ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द फसलों का पंजीयन करवा सकेंगे। सरकार ने राज्य के 32 जिलों में मूंग तो 10 जिलों में उड़द खरीदने का निर्णय लिया है।

इन जिलों के किसान मूंग बेचने के लिए करा सकेंगे पंजीयन

मध्य प्रदेश के मूंग के अधिक उत्पादन वाले 32 जिलों में नर्मदापुरम्, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खंडवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकलां, भिंड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़, मंडला, शिवपुरी, अशोकनगर, बालाघाट और इंदौर में पंजीयन केन्द्र खोले जा रहे हैं। इसी प्रकार उड़द के अधिक उत्पादन वाले 10 जिलों जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, मंडला, उमरिया, सिवनी एवं बालाघाट में किसानों के पंजीयन के लिए केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं।

फसल नुकसान का मुआवजा लेने में परेशानी से बचने के लिए किसान जल्द करें यह काम

बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा

इस वर्ष रबी सीजन में बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई राज्य सरकारों द्वारा जल्द की जाएगी। ऐसे में वास्तविक किसानों को योजना का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने राज्य में किसानों को स्वयं ही फसल नुकसान की सूचना ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से देने का विकल्प दिया था। 

जिसमें राज्य के किसानों ने ई-फसल क्षति पोर्टल के माध्यम से फसल नुकसान की सूचना भी दर्ज कराई है परंतु अब किसानों के द्वारा दर्ज कराई गई इन सूचनाओं में कई तरह की गड़बड़ी सामने आई है जिसको लेकर सरकार ने किसानों से इसे दूर करने के लिए किसानों को कहा है।

किसान फसल मुआवजा प्राप्त करने के लिए करें यह काम

हरियाणा सरकार के एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ किसानों ने शिकायत की है कि जब वे अपनी फसलों के ख़राबा का ब्यौरा ऑनलाइन-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करवाने गए तो पता चला कि उनकी जमीन के मालिक के तौर पर बैंक खाता नंबर तथा मोबाइल नंबर किसी अन्य व्यक्ति ने दर्ज करवा रखे हैं जो कि सरासर धोखाधड़ी है। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसे मामले अधिकतर उन किसानों के सामने आते हैं जो कम पढ़े -लिखे हैं।

प्रवक्ता ने प्रदेश के किसानों को आगाह करते हुए कहा है कि सभी किसान क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपने -अपने बैंक खाता व मोबाइल नंबर की जाँच कर लें, अगर कोई गड़बड़ी मिलती है तो वे तुरंत प्रभाव से अपने क्षेत्र के तहसीलदार या एसडीएम को दे दें ताकि उसको दुरुस्त किया जा सके।  

सरकार ने बैंक खातों एवं मोबाइल नंबर जाँचने के दिए निर्देश

मोबाइल नम्बर, खाता संख्या में गलती के चलते फसल खराबे का मुआवजा सम्बन्धित किसान को मिलने में परेशानी हो सकती है। इन्ही गड़बड़ी की शिकायतों को देखते हुए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने -अपने जिला में किसानों को क्षतिपूर्ति पोर्टल पर बैंक खातों और मोबाइल नंबर की जांच करने की एडवाइजरी जारी करें ताकि पीड़ित किसानों के साथ धोखाधड़ी भी न हो, और नुकसान की प्रतिपूर्ति राशि जमीन के असली मालिक को मिल सके। राज्य सरकार ने सभी तहसीलदारों और उपमंडल अधिकारियों को किसानों की शिकायतों को प्राथमिकता से दूर करने के निर्देश दिए हैं।

सरकार ने FPO गठन संवर्धन योजना को दी मंजूरी, अब एफपीओ को दिया जाएगा 18 लाख रुपए तक का अनुदान 

कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन एवं संवर्धन योजना 

देशभर में सरकार द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए कृषक उत्पादक संगठन (FPO) का गठन किया जा रहा है। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा एफ.पी.ओ. को अनुदान के साथ ही कई सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने भी राज्य में “कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन एवं संवर्धन योजना’’ शुरू करने का निर्णय लिया है। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान की अध्यक्षता में गुरूवार को केबिनेट की बैठक में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन एवं संवर्धन योजना’’ को मंजूरी दे दी गई है। योजना के अंतर्गत प्रदेश में प्रत्येक विकासखण्ड में न्यूनतम 2 कृषक उत्पादक संगठन के गठन को प्रोत्साहित करने के लिये नवीन योजना बनाई गई है।

“कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन एवं संवर्धन” योजना क्या है?

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में हर विकासखंड में कम से कम 2 कृषक उत्पादक संगठन (FPO) के गठन को प्रोत्साहित किये जाने के उद्देश्य से नवीन राज्य पोषित योजना “कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन एवं संवर्धन” योजना के क्रियान्वयन का निर्णय लिया। योजना में ऐसे FPO को प्रोत्साहित किया जायेगा जो किसी अन्य संस्था के सहयोग से गठित नहीं हुआ है। 

इन FPO को हैंड होल्डिंग प्रदान की जायेगी। इससे FPO के सदस्यों को गुणवत्ता युक्त आदान सामग्री, उन्नत कृषि यंत्र, पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक के उपयोग में सहायता मिलेगी। साथ ही उन्हें बाजार से जोड़ा जा सकेगा। योजना का कियान्वयन सम्पूर्ण प्रदेश में संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से किया जायेगा।

प्रति किसान कितना अनुदान दिया जाएगा?

मध्य प्रदेश के किसान एवं कल्याण मंत्री श्री कमल पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2025 तक संचालित होने वाली इस योजना में कुल 50 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। इसमें वर्ष 2023-24 के लिये 20 करोड़ 99 लाख एवं वर्ष 2024-25 के लिये 29 करोड़ एक लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। योजना में 3 वर्षों के लिये प्रति एफपीओ अधिकतम 18 लाख रूपये प्रदान किये जायेंगे। 

एफपीओ को इक्विटी अनुदान के रूप में प्रति किसान 2 हजार रूपये अधिकतम 15 लाख रूपये प्रदान किये जायेंगे। कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति द्वारा योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा।

सरकार 1 से 10 एचपी तक के सोलर पम्प पर दे रही है 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी, किसान अभी करें आवेदन

सोलर पम्प अनुदान हेतु आवेदन

देश में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने एवं खेती की लागत कम करने के लिए सरकार किसानों को सोलर पम्प की स्थापना पर भारी सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। इसके लिए देश भर में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान यानी पीएम-कुसुम योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत अलग-अलग राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार द्वारा सोलर पम्प की स्थापना के लिए अनुदान दिया जा रहा है। 

हरियाणा सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प पर 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जिन किसानों ने वर्ष 2019 से 2021 तक 1 एचपी से 10 एचपी बिजली आधारित कृषि ट्यूबवैल के लिए आवेदन किया था, वे पीएम कुसुम योजना का लाभ ले सकते हैं।

किसान 15 मई तक कर सकते हैं आवेदन 

राज्य के ऐसे किसान जिन्होंने बिजली आधारित कृषि ट्यूबवैल के लिए DISCOM (UHBVN/DHBV) में आवेदन किया था वह किसान पीएम-कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसान सोलर पम्प की क्षमता का चयन करने के लिए आगामी 15 मई तक http://pmkusum.hareda.gov.in पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।  

आवेदक की मौजूदा applicant ID जो बिजली आधारित ट्यूबवैल का आवेदन करने पर प्राप्त हुई थी वह इस पोर्टल पर User ID होगी और इसमें आपके द्वारा दिए गए मोबाइल नम्बर पर OTP से चयन कर सकेंगे।

सोलर पम्प अनुदान के लिए आवश्यक दस्तावेज एवं पात्रता 

अभी योजना का लाभ उन्हीं किसानों को दिया जाएगा जिन्होंने वर्ष 2019 से 2021 के दौरान 1 एचपी से 10 एचपी बिजली आधारित कृषि ट्यूबवैल के लिए DISCOM (UHBVN/DHBVN) में आवेदन किया था। आवेदक के परिवार के नाम पर बिजली पम्प/ सोलर पम्प का कनेक्शन नहीं होना चाहिए। वहीं ऐसे किसान जो धान की खेती कर रहे हैं और उनके क्षेत्र में भूजल का स्तर 40 मीटर के नीचे चला गया है, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। 

आवेदक के पास निम्न दस्तावेज होना चाहिए:-

  • परिवार पहचान पत्र
  • आवेदक के नाम पर कृषि भूमि की जमाबंदी/ फर्द 
  • खेत में सूक्ष्म सिंचाई पाइप लाइन स्थापित होने का प्रमाण या पम्प लगाने से पहले स्थापित कर लेंगे।

किसानों को सोलर पम्प के लिए देना होगा लगभग इतनी राशि

सोलर पम्प के प्रकार (एचपी)
अनुमानित उपभोक्ता देय राशि (रुपए में)

3 HP DC, surface (Monoblock) with normal controller

55,000

3 HP DC, Submersible with Normal Controller 

56,000

5 HP, surface (Monoblock) with normal controller

78,000

5 HP Submersible (Monoblock) with Normal Controller 

79,000

7.5 HP DC, surface (Monoblock) with normal controller

1,11,000

7.5 HP DC, Submersible with Normal Controller 

1,12,000

10 HP DC, Submersible with Normal Controller 

1,37,000

10 HP DC, surface (Monoblock) with normal controller

1,39,000

3 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

80,000

3 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

83,000

5 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

1,02,000

5 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

1,05,000

7.5 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

1,54,000

7.5 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

1,67,000

10 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

2,05,000

10 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

2,12,000

*यह राशि अनुमानित है सही देय राशि केंद्र के द्वारा निविदा के माध्यम से रेट तय करने के बाद सूचित कर दी जाएगी*

मूल्य निर्धारण के बाद आवेदक इसी पोर्टल पर जाकर सरकार द्वारा सूचीवद्ध कम्पनी का चयन करके लाभार्थी हिस्सा जमा करना होगा, जिसकी सूचना पंजीकृत मोबाइल पर दी जाएगी।

70 हजार सोलर पम्प किए जाएँगे स्थापित 

वर्ष 2023-24 में हरियाणा सरकार ने 70,000 सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य रखा है जिसमें प्राथमिकता बिजली आधारित ट्यूबवैल कनेक्शन वाले आवेदकों को दी जाएगी। बचे हुए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरल पोर्टल से आवेदन माँगे जाएँगे। 

योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ज़िले के अतिरिक्त परियोजना अधिकारी कार्यालय में परियोजना अधिकारी/ सहायक परियोजना अधिकारी, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग एवं कार्यालय के दूरभाष नंबर 0172-3504085 पर प्रातः 9 बजे से शाम 5 बजे तक सम्पर्क कर सकते हैं।

सब्सिडी पर सोलर पम्प हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

किसानों को कम किराए पर दिए जा रहे हैं ट्रैक्टर सहित अन्य कृषि यंत्र, युवाओं को ड्रोन खरीदने के लिए दिया जा रहा है अनुदान

किराए पर कृषि यंत्र

खेती किसानी और बागवानी में उन्नत बीज, खाद और सिंचाई के साथ-साथ आधुनिक कृषि यंत्रों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। कृषि यंत्रों की मदद से किसान जहां कम समय में कृषि कार्य कर सकते हैं वहीं उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होती है, लेकिन आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नही होने के कारण लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरण क्रय कर पाना संभव नहीं हो पाता है। इन्हीं किसानों के लिए सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग केंद्र, कृषि बैंक एवं हाईटेक हब जैसे कृषि यंत्र केंद्रों की स्थापना की जा रही है।

किसान इन केंद्रों से ट्रैक्टर सहित अन्य सभी कृषि यंत्र किराए पर लेकर अपने कृषि कार्यों को पूरा कर सकते हैं, और इसमें लागत भी कम आती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य में क्रय विक्रय सहकारी समितियों (के.वी.एस.एस), ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जी.एस.एस.) और कृषक उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) के माध्यम से कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए दिया जाता है 8 लाख रुपए तक का अनुदान

कृषि विभाग द्वारा कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए कृषि यंत्रों की खरीद के लिए 8 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। इन केंद्रों पर ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल जैसे उन्नत कृषि यंत्रों की खरीद की जाती है। किसान केन्द्रों से जरूरत के कृषि यंत्रों को किराये पर लेते हैं तथा खेती में इस्तेमाल करते हैं। इस सुविधा से किसानों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता। उन्नत तकनीकों को काम में लेकर उनके लिए कृषि का काम आसान हो जाता है और फसल के उत्पादन में वृद्धि होने के कारण उनकी आय में भी इजाफा होता है।

किसान ड्रोन खरीदने के लिए दिया जा रहा है अनुदान

मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत राज्य में स्थापित कस्टम हायरिंग केन्द्रों, कृषक उत्पादक संगठनों एवं बेरोजगार कृषि स्नातकों को किसान ड्रोन क्रय करने पर अनुदान दिया जा रहा है। किसान ड्रोन पर लागत का 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपए का अनुदान देय है। किसान ड्रोन को आपरेट करने के लिए भारत सरकार के मान्यता प्राप्त संस्थान से पायलट लाइसेंस या सर्टिफिकेट आवश्यक है।

यहाँ करें सब्सिडी पर ड्रोन खरीदने के लिए आवेदन

राजस्थान सरकार राज्य में कस्टम हायरिंग केन्द्रों, कृषक उत्पादक संगठनों एवं बेरोजगार कृषि स्नातकों को किसान ड्रोन खरीदने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने के लिए विकसित मॉड्यूल पर आवेदन कर सकते हैं।

कस्टम हायरिंग केन्द्रों व कृषक उत्पादक संगठनों के लिए कैंसल्ड चेक, पायलट लाइसेंस या सर्टिफिकेट की प्रति, कस्टम हायरिंग केन्द्र की वित्तीय स्वीकृति तथा इसी तरह बेरोजगार कृषि स्नातको के लिए कैंसल्ड चेक, पायलट लाइसेंस या सर्टिफिकेट की प्रति, कृषि स्नातक की डिग्री या मार्कशीट की प्रति, जिला रोजगार कार्यालय से बेरोजगार होने का प्रमाण पत्र देना होगा।