गर्मी में खेतों की गहरी जुताई से लाभ
गर्मी के मौसम में जब रबी फसलों की कटाई हो जाती है तब खेत तीन माह के लिए खाली रहती है | इस समय तेज गर्मी के साथ काफी धुप भी रहती है, ऐसे में किसानों को देसी हल या कृषि यंत्रों से खेत की गहरी जुताई करना चाहिए, जिससे खेत में मौजूद हानिकारक कीट तथा खरपतवार नष्ट हो जाएँ | किसानों को गहरी जुताई करने के लिए सरकारों के द्वारा प्रोत्साहित भी किया जाता है जिसके तहत किसानों को अनुदान दिया जाता है | किसान समाधान ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से होने वाले लाभ की संपूर्ण जानकारी लेकर आया है |
खेतों में गहरी जुताई कब करें ?
रबी फसल की कटाई के बाद तथा बारिश शुरू होने से पहले खेतों को गहरी जुताई करना चाहिए | ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई का उचित समय अप्रैल से जून माह रहता है | इस समय में किसान अपने खेतों की मिट्टी का सौरीकरण भी कर सकते हैं | यह एक बहुत ही सरल एवं प्रभावी विधि है साथ ही यह खरपतवारों को नष्ट करने, मृदा स्वास्थ्य को अच्छा करने और पादपों को जरूरी खनिज तत्व उपलब्ध कराने में भी मददगार है।
गर्मी में गहरी जुताई से क्या लाभ है ?
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई एक ऐसा काम है, जिसमें अनेक लाभ समाहित है | ऐसा करने से मृदा का सूर्य ऊर्जा उपचार होता है, जिससे कीट व पौध रोग कारक नष्ट हो जाते है | जल का अपवाह रुकता है, खरपतवार नियंत्रण होता है और जड़ों की अच्छी वृद्धि होती है | ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के लाभ होते हैं |
गहराई जुताई का मृदा के भौतिक गुणों पर प्रभाव
खेत में गहरी जुताई करने से मृदा के बहुत से भौतिक गुणों में सुधार होता है | इससे मृदा में जल की मात्रा तथा स्तर बढ़ता है और यह फसल को लंबे समय तक नमी उपलब्ध करवाता है | मृदा की प्रवेश प्रतिरोध क्षमता को कम करता है | इससे जड़ों की पूर्ण बढवार होती है तथा मृदा में अधिक गहराई तक जाती है | फलत: फसल को जल तनाव का सामना नहीं करना पड़ता है |
हानिकारक कीटों से बचाव
गर्मी की जुताई से रबी या जायद की फसलों पर लगे हुए हानिकारक कीटों के अंडे व लार्वा, जो जमीन की दरारों में छिपे होते हैं, मई–जून की तेज धुप से नष्ट हो जाते हैं | इससे खेत, कीट–पतंगों से सुरक्षित हो जाता है और अगली फसल में कीटों के हमले की आशंका कम हो जाती है |
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार, फसल उत्पादन को लगभग 20–90 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं | कुछ बहुवर्षीय खरपतवार जैसे – कांस, मोथा, दूध घांस आदि की जड़े काफी गहराई तक जाती है | इनके नियंत्रण का एक कारगर उपाय ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई है, जिसके करने से उक्त खरपतवारों की जड़े, राइजोम आदि वानस्पतिक भाग उपरी सतह पर आ जाते हैं, जो बाद में तेज गर्मी में सुखकर नष्ट हो जाते हैं | बाकी बचे एकवर्षीय खरपतवार प्रत्यक्ष रूप से मर जाते हैं या उनके बीज ज्यादा गहराई में पहुँच जाने से उनका अंकुरण नहीं हो पाता है | नतीजतन खेत को खरपतवार से निजात मिल जाती है |
मृदा वायु संरचना में बढ़ोतरी
बार–बार ट्रेक्टर जैसे भारी वाहनों से जुताई करने से मृदा के कणों के बीच का खाली स्थान कम हो जाता है, यानी खेत का मृदा घनत्व बढ़ जाता है | इससे मृदा में हवा का आवागमन बंद हो जाता है | गहरी जुताई में मृदा काफी उल्ट–पलट होती है, जिससे वायु के संरचना के लिए रंध्र बन जाते हैं |
जल अवशोषण दर में वृद्धि
गर्मी की जुताई से खेत में मृदा के सुराख़ खुल जाने से बारिश का पानी जमीन द्वारा सोख लिया जाता है | इससे मृदा की जल अवशोषण दर बढ़ जाती है व नमी काफी मात्रा में लंबे समय तक खेत में मौजूद रहती है | यह नमी खरीफ की फसल के उत्पादन में काम आती है |
जड़ विकास में सहायक
बार–बार एक ही गहराई पर जुताई करने से उस गहराई पर एक कठोर तह का निर्माण हो जाता है | खेत की इस कठोर तह को तोड़कर मृदा को जड़ों के विकास के अनुकूल बनाने में ग्रीष्मकालीन जुटाए लाभदायक होती है |
मृदा संरक्षण में सहायक
इसके द्वारा वायु तथा जल से होने वाले मृदा के कटाव को रोकने में मदद मिलती है | ग्रीष्मकालीन जुताई करने से बरसात के पानी द्वारा खेत की मृदा कटाव में भारी कमी होती है | अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की गहरी जुताई करने से भूमि के कटवा में 66.5 प्रतिशत तक की कमी आती है | फलत: पोषक तत्वों का बहाव भी रुकता है |
पीड़कनाशियों के अवशेष प्रभाव से मुक्ति
रबी फसलों में इस्तेमाल किए गए कीटनाशकों व खरपतवारों अवशेष प्रभाव काफी लंबे समय तक रहता है | यह खरीफ में बुआई की जाने वाली फसल के अंकुरण व वृद्धि को प्रभावित कर सकता है | गर्मी में जुताई कर देने से खेत में उनका प्रभाव खत्म हो जाता है | तेज धुप से ये जहरीले रसायन विघटित हो जाते हैं और उनका खेत में असर नहीं रह जाता है |
गहरी जुताई से उपज में होने वाली वृद्धि
अनुसंधानों द्वारा देखा गया है कि गहरी जुताई से फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है |
जीवांश खाद की प्राप्ति
गर्मी के समय में रबी व जायद की फसल कट जाने के बाद खेत की जुताई करने से फसल के अवशेष, डंठल व पत्तियां आदि मृदा में दब जाते हैं, जो बारिश के मौसम में सड़कर जमीन को जीवांश पदार्थ मुहैया करवाते हैं |
रासायनिक उर्वरकों का खनिजीकरण
खेत में इस्तेमाल किए गए रासायनिक उर्वरकों का काफी बड़ा हिस्सा (लगभग 50–60 प्रतिशत) अघुलनशील हालत में खेत में पड़ा रह जाता है | गर्मी की जुताई से सूर्य की तेज धुप से ये रसायन विघटित होकर घुलनशील उर्वरकों में बदल जाते हैं और अगली फसल को पोषण देते हैं |
नाइट्रोजन का मृदा में संग्रहण :
गहरी जुताई वाले खेत पहली बरसात (जिसमें वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन की गैस जल में घुली होती है) का संपूर्ण पानी सोख लेते है, जिससे अधिकतम वायुमंडलीय नाइट्रोजन इन खेतों में अनायास ही आ जाती है |
खरपतवारों में शाकनाशी प्रतिरोधकता विकास में बाधक
कुछ ऐसे शाकनाशी हैं, जो कि समान समूह और एक ही तरह की क्रिया (मोड आँफ एक्शन) द्वारा खरपतवारों को नियंत्रित करते हैं | ऐसे शक्नाशियों का बार–बार एक ही खेत में प्रयोग करने से वहां केवल प्रतिरोधक खरपतवार ही बच जाते हैं | खरपतवार काफी संख्या में बीज बनाते है, तो कुछ ही समय में सम्पूर्ण खेत शाकनाशी के प्रतिरोधक खरपतवारों से भर जाते हैं | गहरी जुताई से प्रतिरोधक खरपतवार नष्ट हो जाते हैं, जिस कारण शाकनाशी के प्रति रोधाकता विकास को टाला जा सकता है |
कैसे करें ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई
खेतों की जुताई कब और कैसे करे यह जानना बहुत ही जरुरी है | जिससे किसान को कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है |
- ग्रीष्मकालीन जुताई हर तीन वर्ष में एक बार जरुर करनी चाहिए, ग्रीष्मकालीन जुताई प्रत्येक वर्ष पुरे खेत में करें या आवश्यक नहीं है | इसका एक साल उपाय है कि सम्पूर्ण खेत को 3 भागों में विभाजित कर लें और प्रत्येक वर्ष 1 भाग की गहरी जुताई होती रहेगी तथा जुताई का खर्च भी तीन भागों में बंट जायेगा |
- ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई लगभग 9–12 इंच गहरी करनी चाहिए, अधिकांश किसान एक निश्चित गहराई पर (6–7 इंच) जुताई करते हैं, जिससे वर्षा के कुछ समय बाद जल का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है |
- गर्मी के समय में खेत की जुताई खेत की ढाल की विपरीत दिशा में करें |
- फसल की कटाई के बाद खेत में जुताई के लिए पर्याप्त नमी होनी चाहिए, अर्थात फसल कटाई के तुरंत बाद जुताई करें | इससे जुताई अच्छी तरह से होती है, ईंधन की खपत कम होती है | ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करते समय खेत की मृदा के बड़े – बड़े धेले बनाने चाहिए | इन ढेलों से वर्षा जल का अंत:सरण अधिक मात्रा में होता है, जिससे भूजलस्तर में भी वृद्धि होती है |
- हल्की व रेतीली जमीन में ज्यादा जुताई न करें | इससे मृदा भुरभुरी हो जाती है और हवा व बरसात से मृदा का कटाव बढ़ जाता है | जुताई के बाद खेत के चारों ओर एक ऊँची मेड बनाने से वायु तथा जल द्वारा मृदा के क्षरण की यदि कोई आशंका हो, तो वह भी समाप्त हो जाती है तथा खेत वर्षा जल सोख लेता है |