सब्सिडी पर बायो गैस प्लांट बनाने के लिए आवेदन करें

बायो गैस प्लांट अनुदान योजना आवेदन

देश में रसोई गैस (LPG) की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे किसानों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा बायो गैस को बढ़ावा दिया जा रहा है। बायो गैस पर्यावरण के लिए किसी भी प्रकार से नुकसान देय नहीं है तथा गंधहीन और धुँआ रहित होने के कारण इसकी उपयोगिता बढ़ गई है। बायो गैस की उपयोगिता को देखते हुए हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 के दौरान बायो गैस को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत बायो गैस प्लांट योजना शुरू की गई है।

हरियाणा सरकार के द्वारा शुरू की बायो-गैस प्लांट योजना का लाभ पोल्ट्री फार्म सहित व्यावसायिक, खुद की डेयरी व गौ-शाला लाभ उठा सकते हैं। हरियाणा के एक सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना का लाभ उठाने के लिए 20 सितंबर, 2022 तक आवेदन किया जा सकता है।

बायो गैस प्लांट पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

हरियाणा सरकार ने राज्य में बायो गैस को बढ़ावा देने के लिए बायो गैस प्लांट योजना शुरू की है। योजना के तहत पशु पालक किसानों को बायो गैस प्लांट की लागत का 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। योजना के अंतर्गत कुल 5 तरह के बायो गैस प्लांट पर अनुदान राशि दी जाएगी, जो इस प्रकार हैं:-

  • 25 क्यूबिक बायो गैस प्लांट – 25 क्यूबिक बायो गैस प्लांट के लिए लागत का 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा, जो अधिकतम 1 लाख 27 हजार रूपये है। 25 क्यूबिक के बायो गैस प्लांट के लिए लगभग 70-80 पशुओं की आवश्यकता होती है।
  • 35 क्यूबिक बायो गैस प्लांट – 35 क्यूबिक बायो गैस प्लांट के लिए लागत का 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा, जो अधिकतम 2 लाख 2 हजार रूपये है। 35 क्यूबिक के बायो गैस प्लांट के लिए लगभग 100-110 पशुओं की आवश्यकता होती है।
  • 45 क्यूबिक बायो गैस प्लांट – 45 क्यूबिक बायो गैस प्लांट के लिए लागत का 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा, जो अधिकतम 2 लाख 38 हजार 800 रूपये है। 45 क्यूबिक के बायो गैस प्लांट के लिए लगभग 125-140 पशुओं की आवश्यकता होती है।
  • 60 क्यूबिक बायो गैस प्लांट – 60 क्यूबिक बायो गैस प्लांट के लिए लागत का 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा, जो अधिकतम 3 लाख 2 हजार 400 रूपये है। 60 क्यूबिक के बायो गैस प्लांट के लिए लगभग 175-185 पशुओं की आवश्यकता होती है।
  • 80 क्यूबिक बायो गैस प्लांट – 80 क्यूबिक बायो गैस प्लांट के लिए लागत का 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा, जो अधिकतम 3 लाख 95 हजार 600 रूपये है। 80 क्यूबिक के बायो गैस प्लांट के लिए लगभग 250-270 पशुओं की आवश्यकता होती है।

बायो गैस प्लांट पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

योजना के तहत इच्छुक व्यक्तियों को बायो गैस प्लांट पर अनुदान के लिए अपना आवेदन जिला ग्रामीण विकास एजेंसी में जमा करना होगा। इसके अलावा लाभार्थी इस योजना की अधिक जानकारी के लिए संबंधित उपायुक्त कार्यालय के परियोजना अधिकारी से संपर्क कर अपना आवेदन जमा करवा सकते हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए 20 सितंबर, 2022 तक आवेदन किया जा सकता है।

खेती की उन्नत तकनीक की जानकारी एवं गेहूं, चना, सरसों के उन्नत किस्मों के बीज लेने के लिए किसान आएँ इस मेले में

रबी कृषि मेला 2022

किसानों को कृषि क्षेत्र की नई-नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा समय-समय पर कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। किसान मेलों में आकार न केवल कृषि वैज्ञानिकों से मिल सकते हैं बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों के द्वारा किए जा रहे नवाचारों की जानकारी भी ले सकते हैं। साथ ही कृषि मेले में किसानों को विभिन्न फसलों की अधिक पैदावार वाली किस्मों के बीजों का वितरण भी किया जाता है। ऐसे ही एक कृषि मेले का आयोजन हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में आयोजित किया जा रहा है। 

हरियाणा में किसानों को कृषि संबंधित जानकारी तथा खेती में उन्हें आ रही समस्याओं के समाधान के साथ–साथ नई तकनीक से वाकिफ कराने के लिए कृषि मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला 13 सितम्बर 2022 से शुरू होकर 14 सितम्बर 2022 तक चलेगा। अभी आयोजित होने वाले इस इस कृषि मेले का मुख्य विषय कृषि में “जल सरंक्षण” है।

कृषि मेला (रबी) में क्या ख़ास रहेगा ?

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में आयोजित होने वाले इस दो दिवसीय कृषि मेले में आने वाले किसानों के लिए कृषि संबंधित अनेकों जानकारियां प्राप्त करने का मौका मिलेगा। कृषि मेला में प्रदेश के प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित भी किया जाएगा। मेले के दौरान आने वाले किसानों की खेतीबाड़ी संबंधी सभी समस्याओं के समाधान के लिए किसान गोष्ठियों का आयोजन होगा जिनमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों की कृषि व पशुपालन संबंधी समस्याओं का हल बताया जायेगा।

मेले में आने वाले किसानों को विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म पर वैज्ञानिकों द्वारा उगाई गई खरीफ फसलें व उनमें प्रयोग की गई प्रौद्योगिकी की जानकारी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा मेले में कृषि संबंधी व कृषि औद्योगिकी प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी जिससे किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों व तकनीकों की जानकारी मिल सकेगी। इस प्रदर्शनी में “स्वालंबी भारत-आत्मनिर्भर किसान” पैवेलियन होगा जिसमें हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लेकर अपना व्यवसाय शुरू करने वाले किसान अपने उत्पाद प्रदर्शित किए जाएँगे।

किसान यहाँ से खरीद सकते हैं गेहूं, चना एवं सरसों फसल के बीज

यह मेले का आयोजन मुख्य रूप से रबी सीजन को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। ऐसे में रबी सीजन की विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सके इसके लिए किसानों को गेहूं, चना, जौ एवं सरसों के आधार (फाउंडेशन) व प्रमाणित (सर्टिफाइड) बीज भी उपलब्ध कराए जाएँगे। बीज की खरीद के लिए किसानों को अपने साथ आधार कार्ड अवश्य लेकर आना होगा। किसान कृषि मेले से इन किस्मों के बीज खरीद सकते हैं:-

  • गेहूं – कृषि मेले से किसान गेंहू की डब्ल्यू. एच.-1270, 1105, 711, 1124, 1142 व 1184 क़िस्में, गेहूं की एच.डी.-2967, 3086 व 3226, गेहूं की डी.बी.डब्ल्यू. 222 व 303 क़िस्में ले सकते हैं। 
  • सरसों – वहीं किसान सरसों की आर.एच. – 725, 730 और 749 किस्म मेले से ले सकते हैं।
  • चना :- किसान चने की एच.सी. – 1, 5, और 7 किस्म मेले से ले सकते हैं।
  • जौ – मेले से किसान जौ की बी.एच. -393 किस्म ले सकते हैं। 

75 प्रतिशत के अनुदान पर पपीते की खेती के लिए आवेदन करें

पपीता खेती पर अनुदान हेतु आवेदन

देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा फलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा फलों की खेती के विस्तार के लिए किसानों को अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में बिहार उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत राज्य के किसानों को पपीता की खेती पर अनुदान देने के लिए ऑनलाइन आवेदन माँगे हैं। इच्छुक किसान ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। 

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के तहत बिहार राज्य के पटना, नालंदा, रोहतास, गया, ओरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, मुंगेर, बेगुसराय, जमुई, खगड़िया, भागलपुर और बांका ज़िलों को शामिल किया गया है। अतः इन राज्यों के किसान योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

पपीते की खेती पर कितना अनुदान Subsidy दी जाएगी

बिहार उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन MIDH योजना के तहत फल क्षेत्र विस्तार के लिए किसानों को अनुदान दिया जाता है। यह पपीता की खेती करने वाले इच्छुक किसानों के लिए सुनहरा मौका है, एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना के अंतर्गत पपीता प्रति इकाई के लिए 75% का अनुदान दे रही है। बिहार उद्यानिकी विभाग द्वारा पपीते की खेती के लिए कुल लागत 60,000 रुपए प्रति हेक्टेयर तय की गई है, जिस पर किसानों को अधिकतम राशि 33,750 रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाने का प्रावधान किया गया है। 

अनुदान पर पपीते की खेती के लिए कहाँ आवेदन करें?

पपीते की खेती के लिए 10 सितंबर 2022 से ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं, इच्छुक किसान योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने लिए किसान के पास 13 नंबर का DBT नंबर होना आवश्यक है, जिन किसानों के पास DBT पंजीयन संख्या नहीं है वह किसान https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर पंजीयन करें। इसके बाद किसान बिहार उद्यानिकी विभाग के पोर्टल http://horticulture.bihar.gov.in/HORTMIS/Home.aspx# पर आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क करें।

घर बैठे गेहूं, चना, सरसों एवं अन्य रबी फसलों के प्रमाणित बीज 90 प्रतिशत तक के अनुदान पर लेने के लिए आवेदन करें

गेहूं, चना, मसूर, सरसों एवं अन्य रबी फसलों के बीज पर अनुदान

रबी फसलों की बुआई सितम्बर महीने के अंत से शुरू हो जाती है, रबी सीजन में तिलहन, दलहन तथा अनाज फसलों की खेती मुख्य रूप से की जाती है। ऐसे में फसल उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों के पास उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज होना आवश्यक है, जिसके लिए राज्य सरकारों के द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य के किसानों को रबी सीजन की प्रमुख 7 फसलों के बीज अनुदान पर देने के लिए किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं।

बिहार सरकार द्वारा राज्य में उत्पादन की जाने वाली 7 प्रमुख फसलों के बीज गेहूं, चना मसूर, मटर, राई/ सरसों, तीसी एवं जौ फसलों के प्रमाणित एवं आधार बीज किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान पर दिए जाएँगे। जिसके लिए सरकार ने किसानों से ऑनलाइन आवेदन माँगे हैं, चयनित किसानों को यह बीज घर पर ही उपलब्ध करा दिए जाएँगे।

इन फसलों के बीजों पर दिया जायेगा अनुदान Subsidy

बिहार सरकार द्वारा किसानों को अलग-अलग योजनाओं के तहत अलग-अलग रबी फसलों के प्रमाणित एवं आधार बीज अनुदान पर दिए जाते हैं। जिसमें कुल 7 फसलों के बीज गेहूं, चना, मसूर, मटर, राई/सरसों, तीसी तथा जौ शामिल हैं। किसानों को यह बीज राज्य में संचालित तीन अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत दिए जाते हैं, जिन पर अनुदान भी अलग-अलग दिया जाता है। यह तीन योजनाएँ इस प्रकार हैं:-

  • मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना 
  • विशेष दलहन एवं तेलहन बीज वितरण कार्यक्रम तथा 
  • बीज वितरण कार्यक्रम 
गेहूं के बीज पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा गेहूं का मूल्य प्रमाणित बीज के लिए 39 रूपये तथा आधार बीज के लिए 40 रूपये प्रति किलोग्राम रखा गया है। इस पर मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत निर्धारित मूल्य का 90 प्रतिशत अनुदान या 40 रूपये/किलोग्राम में जो न्यूनतम हो, दिया जायेगा। इसके अलावा बीज वितरण कार्यक्रम योजना के तहत 10 वर्ष से कम अवधि के प्रभेद पर निर्धारित मूल्य का 50 प्रतिशत अनुदान या 20 रूपये प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम हो, देय होगा। 10 वर्ष से अधिक अवधि के प्रभेद मूल्य का 50 प्रतिशत अनुदान या रूपये 15 प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम हो, किसानों को दिया जायेगा।

चना के बीज पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा चना का मूल्य प्रमाणित बीज के लिए 105 रूपये तथा आधार बीज के लिए 106 रूपये प्रति किलोग्राम रखा गया है। इस पर मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत निर्धारित मूल्य का 90 प्रतिशत अनुदान या 108 रूपये/किलोग्राम में जो न्यूनतम हो दिया जायेगा। वहीं विशेष दलहन एवं तिलहन बीज वितरण कार्यक्रम योजना के तहत मूल्य का 80 प्रतिशत या 84 रुपए प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम हो दिया जायेगा।

मसूर के बीज पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा मसूर का मूल्य प्रमाणित बीज के लिए 115 रूपये तथा आधार बीज के लिए 116 रूपये प्रति किलोग्राम रखा गया है। इस पर मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत मूल्य का 90 प्रतिशत अनुदान या 108 रूपये/किलोग्राम में जो न्यूनतम हो दिया जायेगा। मसूर के बीज विशेष दलहन एवं तेलहन बीज वितरण कार्यक्रम योजना के तहत मूल्य का 80 प्रतिशत अनुदान या 92 रुपए प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम अनुदान दिया जायेगा। 

मटर के बीज पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा मटर का मूल्य प्रमाणित बीज के लिए 112 रूपये तथा आधार बीज के लिए 113 रूपये प्रति किलोग्राम रखा गया है। मटर का बीज विशेष दलहन एवं तेलहन बीज वितरण कार्यक्रम योजना के तहत किसानों को दिया जायेगा। जिस पर निर्धारित मूल्य का 80 प्रतिशत अनुदान या 90 रुपए प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम होगा दिया जाएगा।

राई/सरसों के बीज पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा राई/सरसों का मूल्य प्रमाणित बीज के लिए 110 रूपये तथा आधार बीज के लिए  111 रूपये प्रति किलोग्राम रखा गया है| जिसके बीज किसानों को विशेष दलहन एवं तेलहन बीज वितरण कार्यक्रम योजना के तहत दिए जाएँगे। जिस पर किसानों को निर्धारित मूल्य का 80 प्रतिशत अनुदान या 88 रुपए प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम होगा दिया जायेगा।

तीसी के बीज पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा तीसी का मूल्य प्रमाणित बीज के लिए 150 रूपये तथा आधार बीज के लिए 155 रूपये प्रति किलोग्राम रखा गया है। तीसी का बीज विशेष दलहन एवं तेलहन बीज वितरण कार्यक्रम योजना के तहत किसानों को अनुदान पर दिया जायेगा। जिसके तहत किसानों को निर्धारित मूल्य का 80 प्रतिशत अनुदान या 120 रुपए प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम हो, दिया जायेगा। 

जौ के बीज पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा जौ का मूल्य प्रमाणित बीज के लिए 112 रूपये तथा आधार बीज के लिए 113 रूपये प्रति किलोग्राम रखा गया है। जौ का बीज वितरण कार्यक्रम योजना के तहत किसानों को अनुदान पर दिया जायेगा। जिस पर किसानों को निर्धारित मूल्य का 50 प्रतिशत अनुदान या 20 रुपए प्रति किलोग्राम में जो न्यूनतम हो दिया जायेगा।

अनुदान पर बीज लेने के लिए किसान कब आवेदन करें?

बिहार सरकार किसानों को अनुदानित दरों पर रबी फसलों के आधार एवं प्रमाणित बीज पर अनुदान दिया जा रहा है। फसल बीज के अनुसार आवेदन की अंतिम तिथि अलग-अलग रखी गई है। अभी सभी फसलों के लिए आवेदन चल रहे हैं, जिसमें किसान दलहन तथा तिलहन फसलों के लिए आवेदन 15 सितम्बर 2022 तक कर सकते हैं जबकि गेहूं एवं अन्य फसल के बीज के लिए आवेदन 15 अक्टूबर 2022 तक कर सकते हैं। 

किसान घर बैठे ऑनलाइन बुला सकते हैं बीज 

किसानों के घर तक बीज पहुँचाने के लिए होम डिलवरी की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की गई है। ऑनलाइन आवेदन में होम डिलवरी का विकल्प चयनित करने वाले किसानों के घर तक सशुल्क बीज पहुँचाया जायेगा। किसान को होम डिलवरी में बीज आपूर्ति होने पर गेहूं के लिए 2 रूपये एवं अन्य फसलों के लिए 5 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से अलग से भुगतान करना होगा। 

बीज अनुदान पर लेने लिए आवेदन कहाँ करें? 

इच्छुक किसान बिहार राज्य बीज निगम के पोर्टल brbn.bihar.gov.in / कृषि विभाग के DBT पोर्टल dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए किसान के पास पहले से 13 अंकों का पंजीयन संख्या होना अनिवार्य है,  नहीं रहने पर किसान पहले किसानों को अपना पंजीयन कराना आवश्यक है।  इसके अलावा बीज की होम डिलवरी करने के लिए पंजीयन के समय चयन कर सकते हैं।

किसानों के ऑनलाइन आवेदन के बाद फ़ार्म की जाँच की जाएगी। इसके बाद कृषि समन्वयक द्वारा प्रखंड कृषि पदाधिकारी को अग्रसरित किया जाएगा। प्रखंड कृषि पदाधिकारी अपनी अनुशंसा के साथ आवेदन जिला कृषि पदाधिकारी को भेजेंगे। जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा आवेदन स्वीकृत करने के पश्चात् साँफ्टवेयर से एक OTP किसान को प्राप्त होगा। कृषि समन्वयक द्वारा बीज प्राप्ति स्थान के संबंध में सूचना आपको दी जाएगी। इसके बाद किसान बीज विक्रेता को अपना OTP बताकर अनुदान की राशि घटाकर शेष राशि का भुगतान कर बीज प्राप्त करेंगे।

अनुदान पर घर बैठे बीज लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए क्लिक करें

अनुदान पर सिंघाड़ा की खेती करने के लिए आवेदन करें

सिंघाड़ा की खेती पर अनुदान हेतु आवेदन

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को सिंघाड़ा की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। सिंघाड़ा अधिक मुनाफे वाली खेती मानी जाने लगी है। ऐसे में किसान इस फसल से कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

अभी मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना–रफ्तार के अंतर्गत सिंघाड़ा की खेती के लिए राज्य के 12 जिलों शहडोल, उमरिया, अनुपपुर, जबलपुर, कटनी, बालाघाट, रीवा, सतना, सीधी, टीकमगढ़, पन्ना एवं निवाड़ी के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। इच्छुक किसान जारी लक्ष्य के विरुद्ध ऑनलाइन आवेदन 12 सितंबर 2022 के दिन सुबह 11 बजे से आवेदन कर सकते हैं। 

सिंघाड़ा की खेती पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा राज्य के चयनित ज़िलों में किसानों को सिंघाड़ा की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। उद्यानिकी विभाग के अनुसार 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंघाड़ा की खेती हेतु इकाई लागत राशि रूपये 85,000 का 25 प्रतिशत अनुदान अधिकतम राशि 21,250 दी जाएगी। योजना के अंतर्गत किसानों को यह अनुदान न्यूनतम 0.125 हेक्टेयर एवं अधिकतम 1.00 हेक्टेयर तक दिए जाने का प्रावधान है।

सिंघाड़ा की खेती में आने वाली लागत

उद्यानिकी विभाग के अनुसार 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंघाड़ा की खेती हेतु इकाई लागत 85,000 रुपए निर्धारित की गई है। जिसमें क्षेत्र संचालन पर 6000 रुपए, रोपण सामग्री पर 60,000 रुपए, खाद एवं उर्वरक पर 5000 रुपए, फसल की कीट रोगों से सुरक्षा के लिए 5000 रुपए, कटाई के लिए 6000 रुपए एवं मार्केटिंग पर कुल 3,000 रुपए की लागत शामिल की गई है।

यह किसान भी योजना के तहत कर सकते हैं आवेदन

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना RKVY के घटक सिंघाड़े की खेती में भू स्वामी एवं सिकमी कृषक (भूमि हीन) योजना तहत दिनांक 12/09/2022 से आवेदन कर सकते हैं। जिसमें भूमिहीन किसान को भी आवेदन करने का प्रावधान किया गया है। पंजीयन करने हेतु सर्व प्रथम भू-स्वामी कृषक को पंजीयन करना आवश्यक है जिससे भूस्वामी की पंजीयन क्रमांक को दर्ज करते हुए सिकमी कृषक अपना पंजीयन दर्ज कर पायंगे।

सिंघाड़ा की खेती के लिए अनुदान के लिए कहाँ आवेदन करें?

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के पात्र किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज पाने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा।

सिंघाड़ा की खेती के लिए अनुदान हेतु आवेदन के लिए क्लिक करें

पशुओं के चारे के लिए विकसित की गई जई की दो नई उन्नत किस्में

जई की दो नई उन्नत किस्में

देश में फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नई–नई किस्मों का विकास किया जा रहा है। जिनमें न केवल पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है बल्कि रोग प्रति रोधी होने के साथ ही अधिक पैदावार भी देती हैं। ऐसी ही जई की दो नई किस्मों का विकास चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग द्वारा किया गया है। विकसित की गई दोनों किस्मों से किसानों व पशुपालकों को बहुत लाभ होगा।

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जई के दो किस्मों एचएफओ 707 तथा एचएफओ 806 को विकसित किया गया है। यह दोनों क़िस्में पशुओं के चारे के लिए उपयुक्त तथा प्रोटीन युक्त हैं। एचएफओ 707 किस्म से हरे चारे के रूप में दो कटाई ले सकते हैं जबकि एचएफओ 806 किस्म हरे चारे के लिए एक बार उपयोग में ले सके हैं। दोनों किस्मों की खेती देश के विभिन्न राज्यों में की जा सकती है।

इन राज्यों में की जा सकती है जई कि इन किस्मों की खेती

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो.बी.आर.काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की दो नई उन्नत किस्में विकसित की गई है। दोनों किस्में अलग–अलग राज्यों के लिए उपयुक्त है। जई कि एचएफओ 707 किस्म देश के उत्तर–पश्चिम जोन (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उतराखंड) के लिए उपयुक्त है। जबकि एचएफओ 806 किस्म को देश के दक्षिण जोन (तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश) और पर्वतीय जोन (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर) के लिए उपयुक्त है।

एचएफओ 707 किस्म की विशेषताएँ  क्या है?

जई कि यह किस्म का औसत उत्पादन 696 क्विंटल व सूखे चारे की औसत पैदावार 135 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके साथ ही इसके बीज का औसत उत्पादन 23.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि क्रूड प्रोटीन की पैदावार 19.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

एचएफओ 806 किस्म की विशेषताएँ  क्या है?

जई का यह किस्म दक्षिण जोन तथा पर्वतीय जोन के लिए विकसित की गई है। दक्षिण जोन में इस किस्म से हरे चारे की पैदावार 376.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि बीज का पैदावार 9.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके साथ ही क्रूड प्रोटीन का औसत उत्पादन 5.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में इस किस्म से प्राप्त पैदावार में अंतर है। पर्वतीय क्षेत्रों में हरे चारे का उत्पादन 295.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि बीज का उत्पादन 23.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में क्रूड प्रोटीन का औसत उत्पादन 7.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि इन किस्मों को विकसित करने में चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों डॉ. डी.एस. फोगाट, मीनाक्षी देवी, योगेश जिंदल, एस.के. पाहुजा, सत्यवान आर्य, रविश पंचटा, पम्मी कुमारी, नवीन कुमार, नीरज खरोड़, दलविंदर पाल सिंह, सतपाल, व बजरंग लाल शर्मा का योगदान रहा है।

किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर अब इस तरह से दी जाएगी सब्सिडी

कृषि यंत्र पर सब्सिडी कैसे मिलेगी

सरकार किसानों को अलग-अलग योजनाओं के तहत विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान उपलब्ध कराती है। इसके लिए समय-समय पर अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा किसानों से आवेदन माँगे जाते हैं, जिसके बाद पात्र किसानों का चयन कर उन्हें कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है। अभी तक किसानों को दी जाने वाली इस सब्सिडी की राशि सीधे बैंक खाते में डी.बी.टी. के माध्यम से दी जाती है परंतु हरियाणा सरकार ने अब इसमें परिवर्तन कर दिया है।  

हरियाणा सरकार अब राज्य के किसानों को कृषि यंत्रों में मिलने वाली अनुदान राशि को बैंक खातों में नहीं देगी बल्कि हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा कृषि उपकरणों पर सब्सिडी का वितरण के लिए एक नई और अनूठी पहल  की शुरूआत की है। जिसके अनुसार पहली बार ‘‘ई-रूपी वाउचर’’ के माध्यम कृषि उपकरणों पर सब्सिडी का वितरण किया जायेगा।

ई-बाउचर से किसानों को अनुदान Subsidy देने से क्या लाभ होगा ?

किसानों को ई-रूपी वाउचर से अनुदान की राशि देने से किसानों को काफी राहत मिलेगी। अब किसानों को अपनी जेब से पूरी राशि का भुगतान नहीं करना होगा क्योंकि ई-रूपी पहल के बाद किसानों को लागत का केवल अपना हिस्सा ही देना होगा। इस प्रकार किसानों को जो पहले कुल लागत की व्यवस्था के लिए ब्याज का वहन करना पड़ता था, उस अतिरिक्त बोझ से राहत मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ इस डिजिटल मोड के माध्यम से योजना के कार्यान्वयन में और अधिक पारदर्शिता आएगी।

रूपीबाउचर क्या है ?

ई-रूपी-बाउचर एक डिजिटल पैसा ट्रांसफर का एक सिस्टम है। इसके अंतर्गत किसी कार्ड, डिजिटल पेमेंट एप या इंटरनेट बैंकिंग की जरूरत नहीं पड़ती है। यह प्रीपेड बाउचर की तरह काम करता है, जिसका इस्तेमाल ऐसे मर्चेंट प्वाइंट या सेंटर पर इस्तेमाल किया जा सकता है जो इसे एक्सेप्ट करते हैं। ई-रुपी मूल रूप से एक डिजिटल वाउचर है जो एक लाभार्थी को उसके फोन पर एसएमएस या क्यूआर कोड के रूप में मिलता है। किसान इस क्यूआर कोड के माध्यम से उस कृषि यंत्र पर मिलने वाले अनुदान का भुगतान कर सकते हैं।

किसानों को अब मंडियों में आसानी से मिलेंगे उच्च गुणवत्ता युक्त प्रमाणित बीज

उच्च गुणवत्ता युक्त प्रमाणित बीज

फसलों की बुआई के समय कई बार किसानों को अच्छे उच्च गुणवत्ता युक्त प्रमाणित बीज नहीं मिल पाते हैं, जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार किसानों को खराब बीज मिलने से फसल को भी काफ़ी नुकसान भी होता है। ऐसे में राजस्थान सरकार ने राज्य की कृषि उपज मंडियों में ही बीज निगम की दुकान खोलने का फैसला लिया है। जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज मंडियों से ही प्राप्त हो जाएँगे। साथ ही उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा। 

राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास आयोग के अध्यक्ष श्री पवन गोदारा ने हनुमानगढ़ टाउन में राजस्थान स्टेट सीड्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के संयंत्रों का निरीक्षण किया।निरीक्षण के दौरान उन्होंने गेहूं की ग्रेडिंग, पैकेजिंग व डिलीवरी आदि प्रक्रिया देखी। उन्होंने बताया कि बीज निगम के चेयरमैन श्री धीरज गुर्जर ने राज्य की विभिन्न कृषि उपज मंडियों में निगम की स्वयं की बीज विक्रय दुकान के निर्माण का निर्णय लिया है।

कृषि उपज मंडियों खुलेंगी बीज विक्रय दुकान

बीज निगम ने कृषि उपज मंडियों में खुद की बीज विक्रय दुकान निर्माण का निर्णय लिया है। साथ ही बीज निगम के संयंत्रों का फेज वाइज अपग्रेडेशन भी किया जाएगा ताकि बीज और अच्छे तरीके से तैयार हो सके। बीज उत्पादक कृषकों के लिए विभिन्न फसलों के बीज उत्पादन पर देय प्रीमियम राशि को बढ़ाया गया है। किसानों की मांग के अनुरूप इसे और भी बढ़ाया जाएगा। प्रथम चरण में हर मंडी में 50 दुकानें बनाई जाएगी। जहां निगम के माध्यम से बीज का वितरण किया जाएगा। ताकि अच्छा गुणवत्ता का बीज किसानों को प्राप्त हो और ज्यादा से ज्यादा किसान साथी इसका फायदा उठा सकें।

किसानों को मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ

श्री पवन गोदारा ने कहा कि किसान जब निजी कंपनियों से बीज खरीदता है तो उसमें किसान के साथ धोखा होने की गुंजाइश अधिक रहती है। लेकिन अगर किसान बीज निगम के माध्यम से बीज खरीदेगा तो उसे सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा और धोखाधड़ी की गुंजाइश भी कम रहेगी। कई जगह नकली बीज सप्लाई होने के सवाल पर उन्होंने बताया कि जिले में अगर कहीं कोई नकली बीज की सप्लाई कर रहा है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही कहा कि किसान खुद भी बीज खरीदते समय जागरूक रहें। कि वे कहां से बीज ले रहे हैं किस प्रकार का बीज ले रहे हैं। बीज को लेकर धोखाधड़ी के मामलों में सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। 

फसलों को कीट, रोग एवं खरपतवार से बचाने के लिए सरकार जैविक एवं रासायनिक दवाओं पर देगी अनुदान

कीट-रोग एवं खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुदान

फसलों में समय-समय पर लगने वाले कीट-रोग एवं खरपतवार लगते हैं। मौसम तथा जलवायु में परिवर्तन के साथ ही इसमें तेजी देखी जा रही है। कीट-रोग के कारण फसलों के उत्पादन में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी आती है। जिससे फसलों की लागत तो बढ़ती ही है साथ ही किसानों को फसल नुकसान से हानि भी होती है। किसान फसलों की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के कीट प्रबंधक रसायनों के साथ–साथ अन्य कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, जिससे फसलों के लागत का खर्च बढ़ जाता है। किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के लिए एक नई योजना लेकर आई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को फसल सुरक्षा हेतु कृषि खर्च एवं फसल नुकसान में कमी करने के लिए अनुदान उपलब्ध करा रही हैं। इसके तहत किसानों को कीटनाशक के साथ–साथ फसलों पर छिड़काव करने वाली मशीनों पर भी अनुदान दिया जायेगा। उत्तर प्रदेश मंत्री परिषद ने विभिन्न परिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण की योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह योजना पहले वर्ष 2017–18 से वर्ष 2021–22 के लिए लागू की गई थी जिसे अब अगले 5 वर्षों के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। 

योजना के तहत खर्च किए जाएँगे 19257.75 लाख रुपए

उत्तर प्रदेश में कीट/रोग, खरपतवार नियंत्रण की योजना 5 वर्षों के लिए लागू की जा रही है। योजना का क्रियान्वयन वर्ष 2022–23 से लेकर वर्ष 2026–27 तक किया जायेगा। इस बीच योजना पर 19257.75 लाख रूपये खर्च किये जाएंगे। वर्ष 2022–23 में इस योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्य मदों में 3417.90 लाख रूपये की धनराशि व्यय की जाएगी। इसके पहले योजना वर्ष 2017–18 से वर्ष 2021–22 तक के लिए चलाई गई थी। इन पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश के 11,58,321 कृषकों को विभिन्न कार्य मदों में लाभान्वित किया गया है। 

जैविक दवाओं पर दिया जायेगा 75 प्रतिशत का अनुदान

कीट/रोग नियंत्रण की योजना के तहत किसानों को कीटनाशक तथा कृषि उपकरण उपलब्ध कराये जाएंगे। विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण की अनुमोदित योजना के तहत पर्यावरण संरक्षण व विषरहित खाधान्न उत्पादन के लिए बायोपेस्टीसाइडस तथा बायोएजेन्ट्स 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराए जाएगें।

खरपतवार/कीट/रोग के नियंत्रण हेतु एकीकृत नाशजीव प्रबंधन प्रणाली (आई.पी.एम.) को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा 09 आई.पी.एम. प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है। जिनके द्वारा बायोपेस्टीसाइड्स जैसे ट्राइकोडरमा, ब्यूवेरिया वैसियाना, एन.पी.वी. एवं बायोएजेंट्स जैसे ट्राइकोग्रामा कार्ड का उत्पादन किया जा रहा है।

रासायनिक दवाओं एवं स्प्रेयर पर दिया जायेगा 50 प्रतिशत अनुदान

दूसरी तरफ योजना के अंतर्गत लघु और सीमांत कृषकों को खरपतवार/कीट/रोग के नियंत्रण हेतु कृषि रक्षा रसायनों को 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा। वर्ष 2022 –23 के लिए किसानों को 1.95 लाख हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल के लिए अनुदान पर कृषि रक्षा रसायन उपलब्ध कराए जाएंगे। इन रसायनों को फसलों पर छिड़काव के लिए नैपसेक स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर आदि कृषि यंत्रों पर भी 50 प्रतिशत की अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। वर्ष 2022–23 के लिए 6,000 कृषि रक्षा यंत्र उपलब्ध कराये जाएंगे।

लघु एवं सीमांत कृषकों को अपने उपयोग में आने वाले अन्न को सुरक्षित रखने के लिए विगत वर्षों में 2, 3 एवं 5 क्विंटल क्षमता की बखारियों का वितरण 50 प्रतिशत अनुदान पर किया गया है, जिससे अन्न को सुरक्षित रखने में सफलता प्राप्त हुई है। वर्ष 2022–23 में 10,000 बखारी उपलब्ध करायी जाएंगी।

सब्सिडी पर यह 11 प्रकार के कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

आज के समय में किसानों को फसल बुआई से लेकर कटाई तक कृषि यंत्रों की आवश्यकता होती है, अधिक से अधिक किसान यह यंत्र खरीद सके इसके सरकार द्वारा इन कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को सब्सिडी दी जाती है। समय-समय पर विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा पात्र किसानों को यह यंत्र उपलब्ध कराने के लिए आवेदन माँगे जाते हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने 11 प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए हैं।

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मध्य प्रदेश के कृषि अभियांत्रिकी संचनालय द्वारा राज्य के सभी वर्ग के किसानों से 11 प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। राज्य के इच्छुक किसान जारी लक्ष्य के विरुद्ध ऑनलाइन आवेदन 8 सितम्बर 2022 के दोपहर 12 बजे से 19 सितम्बर 2022 तक कर सकते हैं। इच्छुक किसान योजना का लाभ लेने के लिए इस दौरान आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

इन कृषि यंत्रों पर दिया जायेगा अनुदान Subsidy

मध्य प्रदेश किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के द्वारा विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन माँगे गए हैं। कृषि विभाग द्वारा इन कृषि यंत्रों को दो भागों में रखा गया है। पहले भाग के कृषि यंत्रों के लिए जिले वार लक्ष्य पहले से तय किए गए हैं, जिनके विरुद्ध किसान आवेदन कर सकते हैं तथा दूसरे तरह के कृषि यंत्रों को “माँग के अनुसार” रखा गया है अर्थात् किसानों के द्वारा किए गए आवेदनों के अनुसार इन कृषि यंत्रों के लक्ष्य जारी किए जाएँगे। 

इन कृषि यंत्रों के लिए जारी किए गए हैं अनुदान हेतु लक्ष्य

इसके अंतर्गत 6 प्रकार के कृषि यंत्रों को शामिल किया गया है। किसान इन सभी कृषि यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं, यह कृषि यंत्र इस प्रकार है :-

  1. विनोविंग फेन (ट्रेक्टर/मोटर ऑपरेटेड)
  2. स्वचलित रीपर/रीपर (ट्रेक्टर ऑपरेटेड)
  3. पॉवर टिलर – 8 बी.एच.पी. से अधिक
  4. श्रेडर / मल्चर 
  5. पावर वीडर (2 बी.एच.पी. से अधिक का इंजन चलित)
  6. रीपर कम बाइंडर
ऑन डिमांड के तहत किसान इन कृषि यंत्रो के लिए कर सकते हैं आवेदन
  1. बेलर 
  2. हे रेक 
  3. हैप्पी सीडर/ सुपर सीडर
  4. न्यूमेटिक प्लांटर
  5. पावर हैरो 

कृषि यंत्रों पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के तहत किसानों को कई प्रकार के कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाते हैं। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को दिए जाने वाले अनुदान की मात्रा किसान वर्ग के अनुसार होती है, जो की 40 से 50 प्रतिशत तक है। राज्य में एक किसान को किस कृषि यंत्र पर कितनी सब्सिडी मिलेगी यह जानकारी किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैल्क्युलेटर पर देख सकते हैं। 

कृषि यंत्रों पर अनुदान हेतु आवश्यक दस्तावेज

कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा, आवेदन के लिए किसानों के पास विभिन्न प्रकार के दस्तावेज होना आवश्यक है। किसानों आवेदन के समय बैंक ड्राफ़्ट की स्कैन कॉपी लगाना भी अनिवार्य है। आवेदन के बाद यदि किसान का चयन योजना के तहत हो जाता है तो कृषि अधिकारियों के द्वारा इन दस्तावेज़ों की जाँच कर सत्यापन किया जाएगा। 

  • बैंक ड्राफ़्ट 
  • आधार कार्ड की कॉपी, 
  • बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ की कॉपी, 
  • सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों हेतु), 
  • बी-1 की प्रति,  
  • ट्रैक्टर रजिस्ट्रेशन (ट्रेक्टर से चालित कृषि यंत्रों के लिए किसान के पास पहले से ट्रेक्टर होना जरुरी है)।

किसानों को जमा करना होगा बैंक ड्राफ़्ट 

ऊपर दिये हुए सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) बनवाना अनिवार्य है। जहां सभी कृषि यंत्र के लिए डिमांड ड्राफ्ट की राशि 5000 रूपये निर्धारित की गई है वहीं केवल रीपर कम बाइंडर के लिए डिमांड ड्राफ्ट की धरोहर राशि 10,000 रूपये है। किसानों को यह डिमांड ड्राफ्ट जिले के “सहायक कृषि यंत्री” के नाम से बनवाना होगा। आवेदन के बाद यदि किसान का चयन नहीं होता है तो यह धरोहर राशि किसानों को लौटा दी जाएगी परंतु चयन होने के बाद यदि किसान कृषि यंत्र नहीं ख़रीदता है तो यह धरोहर राशि उस किसान को नहीं दी जाएगी। 

किसान ज़िले के अनुसार इस नाम से बनाएँ डिमांड ड्राफ़्ट DD

अनुदान पर कृषि यंत्र लेने के लिए किसान आवेदन कहाँ करें? 

ऊपर दिए गए सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा, आवेदन के बाद ही  जारी लक्ष्य के अनुसार किसानों का चयन किया जायेगा। मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं परन्तु किसान भाइयों को यह बात ध्यान में रखना होगा की आवेदन के समय उनके पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर OTP वन टाइम पासवर्ड प्राप्त होगा इसलिए किसान अपना मोबाइल अपने पास रखें। किसान अधिक जानकारी के लिए अपने ज़िले के कृषि विभाग या कृषि यंत्री कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं या कृषि अभियांत्रिकी संचानलाय के पोर्टल https://dbt.mpdage.org/ पर जाकर देख सकते हैं।

सब्सिडी पर यह कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करने हेतु क्लिक करें