किसान अधिक पैदावार के लिए लगाएं गेहूं की नई विकसित किस्म पूसा गौतमी HD 3086

गेहूं की उन्नत विकसित किस्म पूसा गौतमी HD 3086

देश में फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की नई-नई क़िस्में विसकित की जा रही हैं। ऐसी ही गेहूं की एक उन्नत किस्म पूसा गौतमी HD-3086 विकसित की गई है। गेहूं की इस किस्म से न केवल अधिक पैदावार प्राप्त होती है वहीं गेहूं में लागने वाले कुछ रोगों के प्रतिरोधी होने के कारण फसल की लागत में भी कमी आती है।

पूसा गौतमी HD-3086 मध्य बौनी गेहूं की एक किस्म है, जो लगभग 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म में पत्ती स्ट्राइप रतुओं के लिए उच्च स्तर की प्रतिरोधकता है। यह किस्म रोटी के बनाने के लिए भी उत्तम है, क्योंकि इसका ग्लू-1 आँकड़ा 10/10 है। इस किस्म की ब्रेड बनाने वाली औद्योगिक इकाइयों में माँग अच्छी है, जिससे इसके भाव भी अच्छे मिलते हैं।

इन क्षेत्रों में की जा सकती है पूसा गौतमी HD-3086

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों की जलवायु के अनुसार किस्मों का विकास किया जाता है ताकि विशेष क्षेत्र की जलवायु में वह अच्छा उत्पादन दे सकें। इसी तरह पूसा गौतमी किस्म को भी विशेष क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। जो इस प्रकार है: उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र [पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग को छोड़कर)], पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू कश्मीर के हिस्से (कठुआ जिला), हिमाचल प्रदेश (ऊना ज़िला और पाँवटा के कुछ हिस्से) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र), उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदान) में इस किस्म की खेती की जा सकती है।

पूसा गौतमी HD-3086 किस्म से प्राप्त उत्पादन

समय से बुआई तथा सिंचित अवस्था में गेहूं की इस किस्म से उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगभग 54.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज तो उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की औसत उपज प्राप्त की जा सकती है। वहीं पूसा गौतमी किस्म की अधिकतम संभावित उपज उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगभग 81.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है वहीं उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम संभावित उपज 61.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।

पूसा गौतमी HD-3086 किस्म की अन्य विशेषताएँ

गेहूं की यह किस्म उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगभग 145 दिनों में पककर तैयार होती है वहीं उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में यह किस्म लगभग 121 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पूसा गौतमी किस्म पीले तथा भूरा रतुआ रोग के लिए भी प्रति रोधी है।

पशुपालन के लिए दिए जाने वाले अनुदान में की गई वृद्धि, अब पशुपालन के लिए मिलेगा इतना अनुदान

डेयरी एवं पशुपालन पर दिया जाने वाला अनुदान

ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन एक अच्छी आय के साथ ही रोजगार का भी जरिया है, इसलिए सरकार द्वारा पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन स्वरूप अनुदान दिया जाता है। सरकार पशुपालन क्षेत्र में अधिक से अधिक व्यक्तियों को जोड़ने के लिए कई प्रकार की योजनाएँ चला रही है। इस कड़ी में झारखंड सरकार द्वारा राज्य में ग्रामीण आबादी की आर्थिक स्थिति मज़बूत करने के लिए पशुधन विकास योजना चला रही है। सरकार ने योजना के तहत दिए जाने वाले अनुदान की मात्रा में संशोधन किया है। 

झारखण्ड सरकार ने राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल संचालन हेतु सब्सिडी की में बढ़ोतरी की है। इसमें मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना, मिनी डेयरी की योजना एवं डेयरी विकास के लिए आधुनिक यंत्रों की खरीद पर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल है। अब इन योजनाओं के तहत विभिन्न वर्ग के लाभार्थी व्यक्तियों को सरकार 50 से 90 प्रतिशत तक का अनुदान देगी।

पशुधन विकास योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने गव्य विकास निदेशालय द्वारा संचालित उपयोजना के तहत लाभुकों को मिलने वाले अनुदान में संशोधन किया गया है। योजना के तहत अब आपदा, आगलगी, सड़क दुर्घटना से प्रभावित परिवार की महिला, परित्यक्त और दिव्यांग महिलाओं को दुधारू गाय या भैंस की खरीद पर दिए जाने वाले अनुदान में वृद्धि कर दी गई है। अब लाभार्थी महिला को 90 प्रतिशत अनुदान पर दो दुधारू गाय या भैंस दिए जाएँगे, इससे पहले लाभार्थी को 50 प्रतिशत अनुदान ही दिया जाता था।

डेयरी योजना के तहत दिया जाने वाले अनुदान Subsidy

कामधेनु डेयरी फार्मिंग की उपयोजना के तहत मिनी डेयरी के जरिए पाँच दुधारू गाय/भैंस वितरण और मिडी डेयरी के जरिए मिलने वाले दस गाय और भैंस वितरण योजना के लिए अनुसूचित जाती जनजाति के लाभुकों को जहां पहले 33.33 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता था। जिसे अब बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य वर्ग के लाभुकों को योजना के तहत गाय या भैंस के मिनी डेयरी की लिए लागत का 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर अब 50 प्रतिशत कर दिया गया है।

डेयरी में उपयोग होने वाले आधुनिक कृषि यंत्रों पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

अभी तक राज्य में लाभार्थियों को हस्त चलित चैफ कटर का वितरण योजना के तहत 50 प्रतिशत के अनुदान पर किया जाता था, इसमें संसोधन करते हुए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के दुग्ध उत्पादकों को 90 प्रतिशत अनुदान पदिया जायेगा। इसके अलावा अन्य सभी जातियों के लिए 75 प्रतिशत का अनुदान निर्धारित किया गया है।

वही प्रगतिशील डेयरी कृषकों को सहायता प्रदान करने के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले मल्किंग मशीन, पनीर खोवा मशीन, बोरिंग एवं काऊ मैट के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और दुग्ध उत्पादक समिति को 90 एवं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभुकों के अतिरिक्त अन्य सभी जातियों के लिए 75 प्रतिशत अनुदान का उपबंध किया गया है।

अन्य पशुपालन योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान

इसके अलावा पशु पालन निदेशालय द्वारा संचालित योजनाएँ जैसे बकरा पालन, सूकर पालन, बैकयार्ड लेयर, कुक्कुट पालन, बायलर, कुक्कुट पालन और बत्तख चूजा पालन में असहाय विधवा महिला, दिव्यांग, नि:संतान दंपत्ति को छोड़कर अन्य सभी वर्गों को 75 प्रतिशत अनुदान पर योजना का लाभ दिया जाएगा। इससे पूर्व इन कार्यों के लिए लाभार्थी को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान देने की व्यवस्था की गई थी।

कृषि क्षेत्र में पढ़ाई के लिए लड़कियों को दी जा रही है 15 हजार रुपए तक की प्रोत्साहन राशि, यहाँ करें आवेदन

कृषि में अध्ययनरत छात्राओं के लिए प्रोत्साहन योजना

कृषि के क्षेत्र में बुवाई से लेकर रोपाई, जल निकासी, सिंचाई, उर्वरक, पौध संरक्षण, कटाई, खरपतवार हटाने और भंडारण तक के कार्यों में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाती हैं। इस क्षेत्र में उनके सशक्तिकरण और उनकी प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान सरकार राज्य में कृषि में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन योजना चला रही है। योजना के तहत अध्ययन के लिए कृषि को विषय के तौर पर चुनने वाली बालिकाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कृषि संकाय में 11वीं कक्षा से लेकर पीएचडी कर रही छात्राओं को 5 हजार से लेकर 15 हजार की राशि प्रतिवर्ष दी जा रही है।

राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में चलाई जा रही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि बालिकाएं कृषि के क्षेत्र की नवीनतम तकनीकों का अध्ययन करें और औपचारिक शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त करें, जिससे न केवल परिवार की आय बढ़ेगी, बल्कि वे राज्य और देश की समृद्धि में भी योगदान देंगी।

योजना के तहत छात्राओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि

राजस्थान में लड़कियों को कृषि क्षेत्र में अध्ययन के लिए प्रोत्साहन हेतु राजस्थान सरकार कृषि में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन योजना चला रही है। योजना के अंतर्गत राजस्थान राज्य में कृषि विषय लेकर अध्ययन करने वाली 11वीं एवं 12वीं कक्षा की छात्राओं को प्रतिवर्ष 5 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाती है। कृषि विज्ञान से स्नातक के विषयों जैसे कि उद्यानिकी, डेयरी, कृषि अभियांत्रिकी, खाद्य प्रसंस्करण के साथ ही स्नातकोत्तर (एम.एस.सी. कृषि) में अध्ययन करने वाली छात्राओं को 12 हजार रुपये प्रतिवर्ष दिये जाते हैं। इसी प्रकार कृषि विषय में पीएचडी करने वाली छात्राओं को 15 हजार रुपये प्रतिवर्ष (अधिकतम 3 वर्ष) प्रोत्साहन राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है।

65 हजार से अधिक छात्राओं को दिया गया लाभ

कृषि छात्रा प्रोत्साहन योजना के तहत गत 4 वर्षों में अध्ययनरत 65 हजार 424 छात्राओं को कुल 4,257.78 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। वर्ष 2018-19 में अध्ययनरत 14 हजार 130 छात्राओं को 967.93 लाख रुपये का, वर्ष 2019-20 में 15 हजार 780 अध्ययनरत छात्राओं को 930.06 लाख रुपये का, वर्ष 2020-21 में अध्ययनरत 14 हजार 647 छात्राओं को 1075.23 लाख रुपये का तथा वर्ष 2021-22 में 20 हजार 867 कृषि संकाय में अध्ययनरत छात्राओं को 1284.56 लाख रुपये का भुगतान किया गया है।

आवश्यक दस्तावेज

योजना में आवदेन करने के लिए छात्रा का राजस्थान का मूल निवासी होना तथा किसी भी राजकीय एवं राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालय, महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में कृषि संकाय में अध्ययनरत होना आवश्यक है। कृषि में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन योजना में आवेदन करते समय छात्राओं को यह आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा:-

  • जन आधार कार्ड, 
  • गत वर्ष की अंकतालिका, 
  • मूल निवास प्रमाण पत्र, 
  • संस्था प्रधान का ई-साइन प्रमाण पत्र, 
  • नियमित विद्यार्थी होने का संस्था प्रधान का प्रमाण पत्र,
  • श्रेणी सुधार हेतु प्रवेश नहीं लेने का प्रमाण पत्र।

प्रोत्साहन राशि लेने के लिए यहाँ करें आवेदन

योजना में आवेदन की इच्छुक छात्राएँ मित्र के माध्यम से अथवा स्वयं की एस.एस.ओ. आई.डी. से राज किसान साथी पोर्टल पर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकती हैं। योजना अथवा आवेदन के संबंध में कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए छात्राएं निकट के किसान सेवा केंद्र पर कृषि पर्यवेक्षक या सहायक कृषि अधिकारी या जिला स्तर पर उप निदेशक कृषि (विस्तार) से भी सम्पर्क कर सकती हैं।

अधिक वर्षा से हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को दी गई 202.64 करोड़ रुपए की राशि

फसल नुकसान की भरपाई का मुआवजा

देश में इस वर्ष मानसून कि अनिश्चितता बनी रही, जिसका असर खरीफ फसल की बुवाई तथा उसके उत्पादन पर पड़ा है। इस वर्ष कई ज़िलों में अधिक वर्षा से तो कई ज़िलों में बहुत कम वर्षा के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई राज्य सरकारों के द्वारा की जाने लगी है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में हुई अधिक वर्षा से प्रभावित किसानों को मुआवजा राशि जारी कर दी है। 

इस वर्ष मध्य प्रदेश में इस मानसून सीजन में 23 ज़िलों औसत वर्षा हुई है, जबकि 3 जिले अत्यधिक वर्षा और 26 जिले अधिक वर्षा की श्रेणी में हैं। इनमें से 19 जिलों में एक समय अतिवृष्टि के कारण बाढ़ की स्थिति बन गई थी। जिससे किसानों को फसल के साथ-साथ घर तथा जान-माल का भी काफ़ी नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 अक्टूबर के दिन प्रभावित किसानों के खातों में 202 करोड़ 64 लाख रुपये की सहायता राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की।

इन ज़िलों के किसानों को जारी की गई मुआवजा राशि

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने 3 अक्टूबर के दिन राज्य के अतिवृष्टि तथा बाढ़ से प्रभावित 19 जिलों के किसानों को सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में जारी कर दी है। यह जिले इस प्रकार है :- विदिशा, सागर, गुना, रायसेन, दमोह, हरदा, मुरैना, आगर-मालवा, बालाघाट, भोपाल, अशोकनगर, सीहोर, नर्मदापुरम, श्योपुर, छिंदवाड़ा, भिंड, राजगढ़, बैतूल और सिवनी।

किसानों को कितनी सहायता राशि दी गई

मध्य प्रदेश में इस वर्ष अतिवृष्टि एवं बाढ़ प्रभावित जिलों का प्रभावित रकबा लगभग 2 लाख 2 हजार 488 हेक्टेयर है। जिसकी भरपाई के लिए राज्य सरकार ने प्रभावित 19 जिलों के किसानों 202.64 करोड़ रुपए जारी किए हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इस वर्ष फसलों की क्षति का सर्वे करवा कर ग्राम पंचायत में सूची भी प्रदर्शित की गई थी। मकानों के क्षतिग्रस्त होने और घरेलू सामग्री के नुकसान और पशु हानि के लिए पहले 43 करोड़ 87 लाख रूपए की राशि वितरित की चुकी है। 

इस कड़ी में 3 अक्टूबर के दिन 1 लाख 91 हजार 755 किसानों के बैंक खाते में सहायता राशि अंतरित की गई है। उन्होंने कहा कि पारदर्शी तरीके से हितग्राहियों के बैंक खातों में पैसा जमा किया गया है। इसके पहले राजस्व, कृषि, उद्यानिकी और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के संयुक्त दल ने सर्वे कार्य किया था।

किसानों को गन्ना फसल की सुरक्षा के लिए दिया जायेगा 900 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान

गन्ना फसल सुरक्षा के लिए अनुदान

विभिन्न प्राकृतिक कारणों से समय-समय पर फसलों पर कीट एवं रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे फसल उत्पादन में तो कमी आती ही है साथ ही फसल की गुणवत्ता भी गिरती है। ऐसे में किसानों की आय में भी कमी आती है और फसलों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक दवाओं के प्रयोग से उसकी लागत भी बढ़ती है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार फसल सुरक्षा के लिए विभिन्न रासायनिक दवाओं के की खरीद पर सहायता प्रदान कर रही है, जिसके तहत पेस्टीसाइड्स की खरीद पर अनुदान दिया जायेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार गन्ना फसल की सुरक्षा हेतु 02 योजनाओं के तहत किसानों को फसल सुरक्षा के लिए अनुदान उपलब्ध कराती आ रही है, पहला बीज भूमि उपचार कार्यक्रम एवं दुसरा पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम। सरकार ने अब दोनों योजनाओं को मिलाकर एक कर दिया है साथ ही दिए जाने वाले अनुदान में भी वृद्धि कर दी है।

पेस्टीसाइड्स की खरीद पर दिया जायेगा अनुदान

उत्तर प्रदेश में किसानों को बीज भूमि उपचार कार्यक्रम तथा पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत अनुदान दिया जाता है परंतु अब दोनों योजना को समाप्त कर एक ही अनुदान योजना चलाई जाएगी। योजना के तहत राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत अब गन्ना किसानों को उनकी बुआई से लेकर पेड़ी प्रबंधन तक उपयोग किये जा रहे किसी भी फसल सुरक्षा रसायन की लागत का 50 प्रतिशत अनुदान अथवा अधिकतम 900 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जायेगा।

इसके पहले बीज भूमि उपचार कार्यक्रम के अंतर्गत गन्ना रसायनों पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 500 रूपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता था तथा पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम के लिए पेड़ी गन्ना फसल की सुरक्षा हेतु प्रयुक्त रसायनों की लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 150 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता था।

सरकार द्वारा अनुमोदित कृषि रक्षा रसायनों पर ही दिया जायेगा अनुदान

उपरोक्त के साथ ही बीज एवं भूमि उपचार तथा पेड़ी प्रबंधन कार्यक्रम में कार्यक्रमों में अलग-अलग अनुदान की व्यवस्था को समाप्त कर कुल अनुदान अधिकतम रुपए 900 प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। अब गन्ना फसल हेतु किसान कोई भी संस्तुत रसायन का उपयोग गन्ने का पौधा फसल, उसकी बुआई के समय बीज व भूमि उपचार या पेड़ी प्रबंधन आदि के लिए कर सकते हैं। राज्य सरकार द्वारा गन्ना कृषकों के हित में लिए गए इस निर्णय एवं अनुदान में वृद्धि किए जाने के फलस्वरूप गन्ना खेती में फसल सुरक्षा उपायों को लागू करने में गति आएगी और कुल उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ किसानों की गन्ना उत्पादन की लागत भी घटेगी। 

किसान अधिक पैदावार के लिए इस वर्ष लगाएँ गेहूं की उन्नत विकसित किस्म पूसा तेजस एचआई 8759

गेहूं की विकसित किस्म पूसा तेजस

रबी फसलों की बुआई का काम जल्द शुरू हो जायेगा, देश में रबी फसलों में सबसे अधिक गेहूं की खेती की जाती है। ऐसे में गेहूं का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए गेहूं की नई एवं विकसित किस्मों का प्रयोग करना आवश्यक है। किसान अधिक पैदावार के लिए कौन सी किस्म का चयन करें यह चुनौतीपूर्ण काम है। पिछले कुछ वर्षों में कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा बहुत सी नई क़िस्में विकसित की गई हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों एवं परिस्थितियों के अनुकूल एवं अलग-अलग रोगों के प्रति सहनशील भी होती है, जिससे कृषि की लागत तो कम होती ही है साथ ही पैदावार में भी वृद्धि होती है।

वैज्ञानिकों के द्वारा एक ऐसी ही किस्म पूसा तेजस HI 8759 विकसित की है, जो रोग रोधी होने के साथ ही अधिक पैदावार भी देती है। जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि भी होती है। पिछले कुछ वर्षों में किसानों ने इस किस्म से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार भी प्राप्त की है। आइए जानते हैं इस किस्म की अन्य विशेषताओं के बारे में!

क्या है पूसा तेजस HI 8759 किस्म की विशेषताएँ

पूसा तेजस कठिया या ड्यूरम गेहूं की एक किस्म है, समय पर बुआई करने पर इस क़िस्म से कई अन्य किस्मों जैसे एमपीओ 1215 से 21.5 प्रतिशत, एचआई 8498 से 12.3 प्रतिशत और एचआई 8737 से 7.1 प्रतिशत तक अधिक पैदावार देती है। गेहूं की यह किस्म काले एवं भूरे रतुए रोग के लिए प्रतिरोधी है। साथ ही यह किस्म उच्च तापमान के लिए भी सहिष्णु है।

पूसा तेजस में अनिवार्य पोषक तत्व जैसे उच्च प्रोटीन अंश 11.9 प्रतिशत, पीले रंजक का स्तर 5.7 ppm और लौह 42.1 ppm व जस्ते की मात्रा 42.8 ppm मौजूद हैं। यह किस्म उच्च प्रोटीन, जिंक एवं आयरन, पास्ता, सूजी, दलिया, चपाती बनाने वाली किस्म के रूप में पहचानी गई है।

पूसा तेजस किस्म से प्राप्त पैदावार

विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों के अनुसार पूसा तेजस किस्म से औसतन 56.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं अधिकतम 75.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। पिछले वर्ष मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के कई किसानों ने इस क़िस्म की खेती कर 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त भी की है। मध्यप्रदेश के मंदसौर ज़िले के एक किसान वल्लभ पाटीदार ने बताया की पिछले वर्ष उन्होंने अपने खेत में यह किस्म लगाई थी जिससे उन्हें 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त हुई थी।

इन क्षेत्रों में की जा सकती है पूसा तेजस की खेती

पूसा तेजस किस्म को कुछ विशेष क्षेत्रों में खेती करने के लिए अनुमोदित किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश (झाँसी डिविजन), राजस्थान (कोटा एवं उदयपुर) आदि शामिल है। पूसा तेजस किस्म बुआई से लेकर 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। समय पर बुआई एवं सिंचाई की अवस्था में इस किस्म से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। गेहूं की पूसा तेजस किस्म में कल्ले की अधिकता होती है, इसके एक पौधे में 10 से 12 कल्ले होते हैं।

किसान पूसा तेजस की खेती की अधिक जानकारी एवं मार्गदर्शन के लिए पिछले कुछ वर्षों से खेती कर रहे प्रगतिशील किसान वल्लभ पाटीदार मोबाइल नंबर 9406830324 से संपर्क कर सकते हैं। 

डेयरी प्लस योजना के तहत मुर्रा भैंस खरीदने के लिए किसानों को मिलेगा 75 प्रतिशत तक का अनुदान

मुर्रा भैंस खरीदने के लिए अनुदान

देश में दूध उत्पादन बढ़ाने, डेयरी क्षेत्र में रोजगार सृजन तथा पशु पालकों के आय में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा पशुपालन क्षेत्र में कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। जिसमें अधिक से अधिक लोगों को योजना से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा दुधारू पशु खरीदने एवं डेयरी की स्थापना करने आदि पर सब्सिडी दी जाती है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई योजना डेयरी प्लस शुरू की है। योजना के तहत लाभार्थी व्यक्तियों को मुर्रा भैंस खरीदने के लिए अनुदान दिया जायेगा।

योजना की शुरुआत राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर जिले के तालपुरा गाँव से की है, शुरुआत करते वक्त मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों को दो मुर्रा भैंस दी। अभी योजना की शुरुआत राज्य के कुछ जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर की गई है। इस योजना की शुरुआत से राज्य में मुर्रा भैंसों की संख्या तथा दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

डेयरी प्लस योजना क्या है ?

मध्यप्रदेश सरकार ने डेयरी व्यवसाय से प्रदेश के किसानों की आय में वृद्धि करने और पशुपालन के माध्यम से अधिक से अधिक आय अर्जित कर सकें, इसके लिए मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना का शुभारंभ किया गया है। योजना की शुरुआत अभी पायलेट प्रॉजेक्ट के तौर पर प्रदेश के तीन जिलों सीहोर, विदिशा और रायसेन में की गई है। योजना के अंतर्गत अभी पहले से ही पशुपालन का कार्य कर रहे पशुपालकों को मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना का लाभ दिया जायेगा, जिसमें लाभार्थी व्यक्ति को मुर्रा भैंसे अनुदान पर उपलब्ध कराई जाएँगी।

मुर्रा भैंसे खरीदने के लिए कितना अनुदान Subsidy दी जाएगी 

पशुपालन का कार्य कर रहे पशुपालकों को मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के तहत दो मुर्रा भैंसे उपलब्ध कराई जा रही है, जिनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता 10 लीटर प्रतिदिन की होती है। मुर्रा भैंसों की लागत 2 लाख 50 हजार रुपए तक निर्धारित की गई है। योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा 75 प्रतिशत अनुदान एवं पिछड़ा वर्ग और सामान्य श्रेणी के पशुपालकों को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा। इस प्रकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पशुपालकों को अंशदान के रूप में मात्र 62 हजार 500 रुपए तथा पिछड़ा वर्ग और सामान्य श्रेणी वालों को 1 लाख 50 हजार रुपए जमा करने होंगे। इसमें पशुपालकों के आने-जाने का व्यय एवं बीमा आदि की राशि भी शामिल की गई है।

बरसात से हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए किसान इन टोल फ्री नम्बरों पर दे बीमा कंपनी को सूचना

फसल नुकसान की सूचना

कई स्थानों पर अभी खरीफ फसलें पकना शुरू हो गई है, वहीं कई जगहों पर फसल कटाई के बाद खेतों में सूखने के लिए रखी हुई है। ऐसे में थोड़ी सी भी बरसात से फ़सलों को काफ़ी नुकसान होता है। किसानों को होने वाले इस नुकसान की भरपाई भी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत की जाती है, इसलिए ऐसे किसान जिनकी फसलों को अभी बारिश के कारण नुकसान हुआ है वह किसान फसल नुकसानी का सर्वे कराकर हुए नुकसान का मुआवजा ले सकते हैं।

राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों से अपील की है कि बरसात एवं अन्य स्थानिक आपदाओं के कारण खड़ी फसल एवं कटाई के 14 दिन बाद तक खेत में सुखाने के लिए रखी फसल खराब होने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत नुकसान की भरपाई के लिए 72 घंटे के भीतर जिले में कार्यरत बीमा कंपनी को सूचना अवश्य दें ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके।

कटाई के 14 दिन बाद तक नुकसान होने पर भी दिया जाता है फसल बीमा

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने बताया कि राज्य में वर्तमान में कुछ स्थानों पर असामयिक वर्षा एवं जल भराव के कारण किसानों की खरीफ फसलों में नुकसान होने की आशंका है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत जलभराव के कारण किसान की बीमित खड़ी फसल में तथा फसल कटाई उपरान्त खेत में बंडल के रूप में सुखाने के लिए रखी फसल को 14 दिन तक की अवधि में नुकसान होने पर व्यक्तिगत आधार पर बीमा आवरण उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

किसानों यहाँ दे 72 घंटे के अंदर सूचना

असामयिक वर्षा एवं जल भराव से प्रभावित किसानों के लिए बीमित फसल के नुकसान की सूचना घटना घटने के 72 घण्टे के अंदर जिले में कार्यरत बीमा कंपनी को देना जरूरी है, ताकि नुकसान का आंकलन कर बीमा क्लेम देने की कार्यवाही की जा सके। फसल में हुए नुकसान की सूचना बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर या क्रॉप इंश्योरेंस एप के माध्यम से भी दी जा सकती है। इसके अलावा प्रभावित किसान जिलों में कार्यरत बीमा कंपनी, कृषि कार्यालय अथवा संबंधित बैंक को भी हानि प्रपत्र भरकर सूचना दे सकते हैं।

इन ज़िलों के किसान इस टोल फ्री नम्बर पर दे फसल नुकसान की सूचना 

किसान को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत नुकसान के आंकलन की भरपाई के लिए बीमा कंपनी को टोल फ्री नंबर पर फोन करना होगा। राजस्थान में अलग-अलग जिलों में अलग-अलग कंपनियों के द्वारा बीमा किया गया है, ऐसे में किसानों को अपने ज़िले में जिस कंपनी में बीमा किया है उसके टोल फ्री नम्बर पर कॉल करके सूचना देनी होगी। यह टोल फ्री नम्बर इस प्रकार है :-

जिले का नाम
फसल बीमा कंपनी का नाम 
टोल फ्री नंबर 

बारां, धौलपुर, हनुमानगढ़, बाडमेर, झुन्झुनू, करौली एवं उदयपुर

एग्रीकल्चर इन्श्योरेन्स कंपनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड

18004196116

चूरू, भीलवाड़ा, राजसमन्द, दौसा, झालावाड़, श्रीगंगानगर एवं अलवर

एसबीआई जनरल इन्श्योरेन्स कंपनी

18002091111

बांसवाड़ा, नागौर, भरतपुर, जयपुर, पाली एवं प्रतापगढ़

रिलायन्स जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड

18001024088

बूंदी, डुंगरपुर एवं जोधपुर 

फ्यूचर जनरली इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड

18002664141

अजमेर, जालौर, सवाई माधोपुर एवं कोटा

किसान बजाज अलायन्ज जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड

18002095959

जैसलमेर, सीकर एवं टोंक

एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 

18002660700

बीकानेर, चितौड़गढ़ एवं सिरोही

यूनिवर्सल सोम्पो जनरल  इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड

18002005142

अब आसानी से ऑनलाइन एप की मदद से मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन, किसानों को नहीं लगाने होंगे बैंक के चक्कर

ऑनलाइन किसान क्रेडिट कार्ड लोन के लिए आवेदन

किसानों को कृषि क्षेत्र में आवश्यक निवेश के लिए पैसों की जरुरत होती है जिसकी पूर्ति वह किसान क्रेडिट कार्ड पर बैंक से ऋण लेकर कर सकते हैं। किसानों को हर बार यह लोन लेने के लिए बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं ऐसे में किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन एवं सत्यापन की सुविधा शुरू की है।

मध्य प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया है कि राजस्व विभाग की सहायता से किसानों को ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से बनाए गए किसान क्रेडिट कार्ड के एंड-टू-एंड कम्प्यूटरीकरण की पद्धति लागू की गई है। पद्धति के कम्प्यूटरीकरण से केसीसी ऋण देने की प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाएगा, जो अधिक सुगम और किसानों के लिए अनुकूल होगी।

किसान क्रेडिट कार्ड KCC लोन के लिए एप से होगा आवेदन

मध्य प्रदेश के मंत्री श्री राजपूत ने बताया कि इस पद्धति के लागू होने से किसान को क्रेडिट कार्ड पर ऋण लेने के लिए बैंक शाखा में जाने एवं किसी प्रकार के दस्तावेज को जमा करने की जरूरत नहीं होगी। आवेदन ऑनलाइन एप से किए जा सकेंगे। साथ ही कृषि भूमि का सत्यापन भी ऑनलाइन ही हो जायेगा। प्रकरण का अनुमोदन और संवितरण प्रक्रिया कुछ ही घंटों में पूरी होने से किसान त्वरित लोन प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि अभी मध्य प्रदेश के हरदा जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया था। पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों और अनुभव के आधार पर इसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है। अतः जल्द ही सरकार यह सुविधा पूरे प्रदेश में लागू कर सकती है। ऐसे में राज्य में अधिक से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर आसानी से लोन मिल सकेगा।

किसानों को मुफ्त में दिए जाएँगे सरसों की इन 9 नई उन्नत किस्मों के बीज

सरसों की उन्नत किस्म के बीज

किसी भी फसल की अधिक पैदावार के लिए अच्छे बीजों का होना अत्यंत आवश्यक है, अच्छे बीजों से फसल के उत्पादन एवं उत्पादकता में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की जा सकती है। अच्छी किस्मों के बीजों की महत्ता को देखते हुए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को यह बीज अनुदान पर दिए जाते हैं। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में तिलहनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए सरसों की उन्नत किस्मों के बीज अनुदान पर दे रही है।

सरसों राजस्थान की प्रमुख तिलहनी फसल है। यह सिंचित क्षेत्रों एवं संरक्षित नमी के बारानी क्षेत्रों में भी ली जा सकती है। सरसों की फसल कम लागत व कम सिंचाई सुविधा में अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करती है। सरसों फसल को एकल या अन्य फसलों के साथ मिश्रित फसल के रूप में भी बोया जा सकता है।

सरसों की इन उन्नत किस्मों के बीज फ्री में दिए जाएँगे

राजस्थान सरकार राज्य के किसानों को रबी सीजन 2022-23 में सरसों विशेष कार्यक्रम के तहत सरसों की 9 उन्नत किस्मों के बीज का वितरण निःशुल्क करने जा रही है। योजना के तहत सरसों का उत्पादन बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग सरसों की नई किस्मों व 10 वर्ष से कम अवधि की किस्मों को किसी क्षेत्र में शुरुआत एवं प्रचलन में लाए जाने हेतु कृषकों को बीज मिनी किट वितरण किए जाएँगे। यह क़िस्में इस प्रकार है:-

  1. आर.एच.– 725
  2. गिरिराज 
  3. आर.एच.- 761
  4. सी.एस. – 58 
  5. आर.जी.एन.-298 
  6. पी.एम.-31 
  7. आर.एच.-749 
  8. जी.एम.-3
  9. सी.एस.-60  

किसानों को सरसों की उन्नत किस्मों के कितने बीज दिए जाएँगे

रबी सीजन 2022-23 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन–तिलहन अन्तर्गत सरसों विशेष कार्यक्रम के तहत 9 प्रकार की उन्नत किस्मों के 7,34,400 मिनी किट सरसों उत्पादन वाले 30 जिलों में वितरित किये जाएँगे। प्रत्येक मिनी किट में 2 किलोग्राम बीज रहेंगे। सरकार का अनुमान है कि इससे राज्य में 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की बुवाई की जा सकेगी।

इन किसानों को दिए जाएँगे सरसों की उन्नत किस्मों के बीज

राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों को तिलहन की पैदावार तथा रकबा बढ़ाने के लिए नि:शुल्क मिनी किट दे रही है। मिनी किट प्राप्त करने के लिए कुछ पात्रता तय की गई है, जिसके तहत किसानों को मुफ्त में बीज दिए जाएँगे।

  • सरसों विशेष कार्यक्रम में वितरित किये जाने वाले मिनी किट का आयोजन जिले के ग्राम पंचायतों के गावों में करवाया जायेगा।
  • सरसों मिनी किट आयोजन हेतु क्षेत्र में कम से कम 25 हेक्टेयर का क्लस्टर बनाया जायेगा।
  • सरसों बीज मिनी किट का वितरण केवल महिला कृषक को ही किया जायेगा। जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त महिला कृषकों को दिये जाएँगे।
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति तथा गरीबी की रेखा में जीवनयापन करने वाले कृषकों एवं गैर–खातेदार/ खातेदार कृषकों को प्राथमिकता से देय है |

किसान सरसों के बीज फ्री में लेने के लिए आवेदन कहाँ करें

सरकार द्वारा राज्य के इच्छुक किसानों को सरसों बीज मिनी किट का वितरण ऑनलाइन तरीके से राज किसान साथी पोर्टल पर जन आधार कार्ड के माध्यम से किया जायेगा। अतः राज्य के जो भी पात्र किसान योजना का लाभ लेना चाहते हैं उन्हें इसके लिए https://rajkisan.rajasthan.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिसके बाद चयनित किसानों को सरसों बीज की उन्नत किस्मों का वितरण निःशुल्क किया जायेगा।