गेहूं की विकसित किस्म पूसा तेजस HI 8759
देश में किसानों की आय बढ़ाने एवं कम लागत में अधिक उत्पदान देने वाली किस्मों के विकास हेतु भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् ICAR के विभिन्न संस्थानों की सहायता से फसलों की नई- नई किस्में विकसित की जा रही हैं | पूसा तेजस किस्म भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के इंदौर संसथान द्वारा विकसित की गई है | इस किस्म को वित्तीय वर्ष 2016-17 में किसानों के लिए जारी की गई थी जिसे पूसा तेजस एचआई 8759 के नाम से भी जानी जाती है | यह किस्म गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान से कम नहीं हैं इसलिए यह अभी किसानों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है | इसको देखते हुए किसान समाधान आपके लिए पूसा तेजस से जुडी जानकारी लेकर आया है |
पूसा तेजस HI 8759 किस्म की विशेषताएं
कठिया या ड्यूरम गेहूं की किस्म एचआई 8759 को उच्च उर्वरता व सिंचित दशाओं के अंतर्गत मध्य क्षेत्र में खेती हेतु पहचाना गया है | यह व्यापक रूप से अनुकूलित उच्च उपजशील कठिया गेहूं जीन प्रारूप है | जिससे कठिया गेहूं की अन्य तुलनीय किस्मों नामत: एचआई 8498, एमपीओ 1215, एचआई 8737 व एचडी 4728 की तुलना में 3.8 प्रतिशत से 12.0 प्रतिशत तक उच्चतर उपज मिलती है | इसकी उपज क्षमता अधिकतम 75.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं औसत उपज 57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है |
समय पर बुआई की दशाओं के अंतर्गत इसकी उपज कठिया गेहूं की अन्य तुलनीय किस्मों नामतः एमपीओ 1215 से 21.5 प्रतिशत, एचआई 8498 से 12.3 प्रतिशत और एचआई 8737 से 7.1 प्रतिशत अधिक है | जबकि पछेती बुआई की दशाओं के अंतर्गत इस किस्म ने कठिया गेहूं की तुलनीय किस्म एमपीओ 1215 की तुलना में उल्लेखनीय उपज श्रेष्ठता 15.6 प्रतिशत अधिक पाई गई है | इस किस्म में तना और पत्ती रतुओं के विरुद्ध श्रेष्ट स्तर का फील्ड प्रतिरोध है और तना रतुआ के प्रति इसका सर्वोच्च एसीआई मान 6.0 है जबकि पत्ती रतुआ के प्रति 4.1 है | इसमें अनिवार्य पोषक तत्व जैसे उच्च प्रोटीन अंश 12.0 प्रतिशत, पीले रंजक का स्तर 5.7ppm और लौह 42.1ppm व जस्ते की मात्रा 42.8 ppm मौजूद हैं | यह किस्म उच्च प्रोटीन, जिंक एवं आयरन, पास्ता, सूजी,दलिया, चपाती बनाने वाली किस्म के रूप में पहचानी गई है | यह किस्म मध्य भारत में पोषणिक सुरक्षा में अपना योगदान दे सकती है |
पूसा तेजस की खेती
गेहूं की यह किस्म मध्य भारत के लिए उपयुक्त है | मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान( कोटा एवं उदयपुर डिवीज़न) एवं उत्तरप्रदेश (झाँसी डिवीज़न) की जलवायु के लिए उपुक्त पाई गई है | इसकी फसल 115-125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | गेहूं की पूसा तेजस किस्म में कल्ले की अधिकता होती है, इसके एक पौधे में 10 से 12 कल्ले होते हैं |
सिंचाई
कठिया गेंहूँ की किस्म में सुखा प्रतिरोधी क्षमता अधिक होती है इसलिए 3-5 सिंचाई ही पर्याप्त होती है | पहली सिंचाई बुआई के 25-30 दिन के अन्दर ताजमूल अवस्था, दूसरी सिंचाई बुआई के 60-70 दिन पर दुग्धावस्था एवं तीसरी सिंचाई बुआई के 90-100 दिन पर दाने पड़ते समय करनी चाहिए |
खाद उर्वरक का प्रयोग
संतुलित उर्वरक एंव खाद का उपयोग दानों के श्रेष्ठ गुण तथा अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए अति-आवश्यक है | अतः 120 किग्रा. नत्रजन (आधी मात्रा जुताई के साथ) 60 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर सिंचाई दशा में पर्याप्त है | इसमें नत्रजन की आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद टापड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करना चाहिए | असिंचित दशा में 60:30:15 तथा अर्ध असिंचित में 80:40:20 के अनुपात में नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश डालना चाहिए |
Sir Maine bhi Laga diya 8759 kasganj jile mai
Very good
सर मेने 2020 में तेजस की बुएई की थी तो उसका उत्पादन बहुत कम निकला मीठी काली वह एकद में 100 किलो बुआए द
सर किस जिले से हैं ? अपने यहाँ के कृषि विज्ञान केंद्र में सम्पर्क कर अपने जिले की जलवायु के अनुसार किस्मों की खेती का मार्गदर्शन प्राप्त करें साथ ही मिट्टी की जाँच कराये |
1 quintal 20 kg Kitne Acer me bo sakte h.
सर आधे एकड़ में बो सकते हैं |
लाइन में बुआई करने पर सामान्य दशा में 100 किग्रा. तथा मोटा दाना 125 किग्रा. प्रति है, तथा छिडकाव बुआई की दशा में सामान्य दाना 125 किग्रा. मोटा-दाना 150 किग्रा. प्रति हे. की दर से प्रयोग करना चाहिए | बुआई से पहले जमाव प्रतिशत अवश्य देख ले | राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है | यदि अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा ले तथा यदि बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें | बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटोवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर बोआई करें | सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुआई करने पर सामान्य दशा में 75 किग्रा. मोटा दाना 100 किग्रा. प्रति हे. की दर से प्रयोग करे |
पंक्तियों की दुरी : सामान्य दशा में 18 सेमी. से 20 सेमी. एवं गहराई 5 सेमी. |
विलाम्ब से बुआई की दशा में : 15 सेमी. से 18 सेमी. तथा गहराई 4 सेमी. |
Mathura district Uttar Pradesh ke agra cenal ke pas pusa Tejas labu dayak hai ya nahi
सर उत्तरप्रदेश के लिए गेहूं की खेती एवं किस्मों की जानकारी दी गई लिंक पर देखें https://kisansamadhan.com/crops-production/rabi-crops/wheat-farming/
Kya pusa Tejas tarai kshetra mai labha dayak hai janha par pani ki adikta hoti hai
इसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है | आप अपने जिले की जलवायु के अनुसार किस्मों की जानकारी अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से ले सकते हैं |
तेजस गेहू बोवनी में कितने दिन बाद उम्बी / कल्ले आते है |
पकने की अवधि 117 दिन में पक जाता है | 60-70 दिन पर दुग्धावस्था, 90-100 दिन पर दाने पड़ जाते हैं |
सर मैंने 8759 की बोआई 19 नंबर को करी थी अभी तक बहार् नहीं दिक रहा और बीज भी बीज निगम से लिया था
सर मिट्टी में नमी है या नहीं
|https://kisansamadhan.com/farmers-should-cultivate-kathia-durum-wheat-for-higher-yield-in-less-irrigation/
कठिया गेहूं की खेती की विस्तृत जानकारी के लिए देखें |
यदि आपके पास बीज उपलब्ध हो तो आप अपने जिले के कृषि विज्ञान से जांच करवाएं |
सर मेरे तेजस गेहूं उमल रहे है लगभग आधे गेहूं उमाल गए है
में बहुत परेशान हूं इसका क्या उपाय है
सर मिट्टी में नमी है या नहीं, यदि आपके पास बीज उपलब्ध हो तो आप अपने जिले के कृषि विज्ञान से जांच करवाएं |
|https://kisansamadhan.com/farmers-should-cultivate-kathia-durum-wheat-for-higher-yield-in-less-irrigation/
कठिया गेहूं की खेती की विस्तृत जानकारी के लिए देखें |
Mandi me gehu Ka bhav 19.53/kg tha,
Main janana chahata hu ki kya pusa tejas ka bhi yahi bhav milega kahi kam to nahi kyoki kisine mujhase kahaa hai ki iska upyog Ghar me chapati banane ke liye na hokar factories me hota hai…???
जी सर यह कंपनी के लिए बेहतर है | परन्तु सभी जगह प्रयोग किया जा सकता है | मंडी में तो समर्थन मूल्य के अनुसार मिलता है |
8759 ki hight jyada to nhi hai hawa aandhi m giregi to nhi
पकने की अवधि 117 दिन, पौधें की ऊँचाई – 85-88 सेमी. उच्च प्रोटीन, जिंक एवं आयरन, पास्ता बनाने वाली प्रजाति | (बायो- फोर्टीफाईड प्रजाति- प्रोटीन 12.5 प्रतिशत, आयरन 41.1 पीपीएम, जिंक 42.8 पीपीएम) |
8759 ki boni kab tak kar deni chahiye
पकने की अवधि 117 दिन, पौधें की ऊँचाई – 85-88 सेमी. उच्च प्रोटीन, जिंक एवं आयरन, पास्ता बनाने वाली प्रजाति | (बायो- फोर्टीफाईड प्रजाति- प्रोटीन 12.5 प्रतिशत, आयरन 41.1 पीपीएम, जिंक 42.8 पीपीएम) |
सर समय पर बुआई के लिए यह किस्म हैं आप नवम्बर में इसकी बुआई कर सकते हैं | नीचे दी गई लिंक पर देखें खेती सम्बंधित जानकारी |
https://kisansamadhan.com/crops-production/rabi-crops/wheat-farming/