अधिक वर्षा से हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को दी गई 202.64 करोड़ रुपए की राशि

फसल नुकसान की भरपाई का मुआवजा

देश में इस वर्ष मानसून कि अनिश्चितता बनी रही, जिसका असर खरीफ फसल की बुवाई तथा उसके उत्पादन पर पड़ा है। इस वर्ष कई ज़िलों में अधिक वर्षा से तो कई ज़िलों में बहुत कम वर्षा के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई राज्य सरकारों के द्वारा की जाने लगी है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में हुई अधिक वर्षा से प्रभावित किसानों को मुआवजा राशि जारी कर दी है। 

इस वर्ष मध्य प्रदेश में इस मानसून सीजन में 23 ज़िलों औसत वर्षा हुई है, जबकि 3 जिले अत्यधिक वर्षा और 26 जिले अधिक वर्षा की श्रेणी में हैं। इनमें से 19 जिलों में एक समय अतिवृष्टि के कारण बाढ़ की स्थिति बन गई थी। जिससे किसानों को फसल के साथ-साथ घर तथा जान-माल का भी काफ़ी नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 अक्टूबर के दिन प्रभावित किसानों के खातों में 202 करोड़ 64 लाख रुपये की सहायता राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की।

इन ज़िलों के किसानों को जारी की गई मुआवजा राशि

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने 3 अक्टूबर के दिन राज्य के अतिवृष्टि तथा बाढ़ से प्रभावित 19 जिलों के किसानों को सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में जारी कर दी है। यह जिले इस प्रकार है :- विदिशा, सागर, गुना, रायसेन, दमोह, हरदा, मुरैना, आगर-मालवा, बालाघाट, भोपाल, अशोकनगर, सीहोर, नर्मदापुरम, श्योपुर, छिंदवाड़ा, भिंड, राजगढ़, बैतूल और सिवनी।

किसानों को कितनी सहायता राशि दी गई

मध्य प्रदेश में इस वर्ष अतिवृष्टि एवं बाढ़ प्रभावित जिलों का प्रभावित रकबा लगभग 2 लाख 2 हजार 488 हेक्टेयर है। जिसकी भरपाई के लिए राज्य सरकार ने प्रभावित 19 जिलों के किसानों 202.64 करोड़ रुपए जारी किए हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इस वर्ष फसलों की क्षति का सर्वे करवा कर ग्राम पंचायत में सूची भी प्रदर्शित की गई थी। मकानों के क्षतिग्रस्त होने और घरेलू सामग्री के नुकसान और पशु हानि के लिए पहले 43 करोड़ 87 लाख रूपए की राशि वितरित की चुकी है। 

इस कड़ी में 3 अक्टूबर के दिन 1 लाख 91 हजार 755 किसानों के बैंक खाते में सहायता राशि अंतरित की गई है। उन्होंने कहा कि पारदर्शी तरीके से हितग्राहियों के बैंक खातों में पैसा जमा किया गया है। इसके पहले राजस्व, कृषि, उद्यानिकी और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के संयुक्त दल ने सर्वे कार्य किया था।

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