कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह, किसान अभी इस तरह करें इन फसलों की बुआई

किसान अभी कौनसी फसल की बुआई कर करें

खरीफ फसलों की कटाई का काम लगभग अधिकांश क्षेत्रों में पूरा हो चुका है इसके साथ ही किसान रबी फसलों की बुआई की तैयारी में लग गए हैं। ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली द्वारा आस-पास के क्षेत्रों के लिए कृषि सलाह जारी की है। इसमें बताया गया है की किसान धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही किसान धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग 4 कैप्सूल/हेक्टेयर की दर से करें।

जारी सलाह में बताया गया है कि वर्तमान मौसम में किसान गेहूं, चना, सरसों, आलू, मटर, लहसून, गाजर, पालक, शलगम, बथुआ, गाँठ गोभी आदि फसलों की विभिन्न किस्मों की बुआई का काम कर सकते हैं। समय पर बोई गई सरसों की फ़सल में बगराडा कीट (पेटेंड बग) की निरंतर निगरानी करते रहें तथा फ़सल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें।

किसान इस तरह करें गेहूं की इन उन्नत किस्मों की बुआई

संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि गेहूं की बुवाई हेतू तैयार खेतों में पलेवा तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें। पलेवे के बाद यदि खेत में ओट आ गई हो तो उसमें गेहूँ की बुवाई कर सकते है। उन्नत प्रजातियाँ- सिंचित परिस्थिति- एच. डी. 3226, एच. डी. 18, एच. डी. 3086, एच. डी. 2967। बीज की मात्रा 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस (20 ईसी) 5 लीटर प्रति हैक्टर की दर से पलेवा के साथ दें। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर होनी चाहिये।

इस तरह करें सरसों की इन किस्मों की बुआई

किसान सरसों की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें। मिट्टी जांच के बाद यदि गंधक की कमी हो तो 20 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से अंतिम जुताई पर डालें। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में- पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30, पूसा सरसों-31। बीज दर– 5-2.0 कि.ग्रा. प्रति एकड की दर से बुआई करें। बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को अवश्य ज्ञात कर ले ताकि अंकुरण प्रभावित न हो। बुवाई से पहले बीजों को केप्टान 2.5 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करें।

बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है। कम फैलने वाली किस्मों की बुवाई 30 सें.मी. और अधिक फैलने वाली किस्मों की बुवाई 45-50 सें.मी. दूरी पर बनी पंक्तियों में करें। विरलीकरण द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सें.मी. कर ले।

आलू की इन किस्मों की इस तरह करें बुआई

वर्तमान मौसम आलू की बुवाई के लिए अनुकूल है अतः किसान आवश्यकतानुसार आलू की किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। उन्नत किस्में- कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति (कम अवधि वाली किस्म), कुफरी अलंकार, कुफरी चंद्रमुखी। कतारों से कतारों तथा पौध से पौध की दूरी 45 X 20 या 60 X 15 से.मी. रखें। बुवाई से पूर्व बीजों को कार्बंडिजम 0 ग्रा. प्रति लीटर घोल में प्रति कि.ग्रा. बीज पाँच मिनट भिगोकर रखें। उसके उपरांत बुवाई से पूर्व किसी छायादार जगह पर सूखने के लिए रखें।

किसान अभी इस तरह करें मटर की बुआई

तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें अन्यथा फसल की उपज में कमी होगी तथा कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में -पूसा प्रगति, आर्किल। बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम 2.0 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगायें। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें।

लहसून की इन किस्मों की करें बुआई

किसान इस समय लहसुन की बुवाई कर सकते है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में –जी-1, जी-41, जी-50, जी-282 की बुआई कर सकते हैं। खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें।

इस तरह करें चना की इन किस्मों की बुआई

किसान चने की बुवाई इस सप्ताह कर सकते है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। छोटी एवं मध्यम आकार के दाने वाली किस्मों के लिए 60–80 कि.ग्रा. तथा बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 80–100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई 30–35 सें. मी. दूर कतारों में करनी चाहिए। प्रमुख काबुली किस्में- पूसा 267, पूसा 1003, पूसा चमत्कार (बी.जी. 1053); देशी किस्में – सी. 235, पूसा 246, पी.बी.जी. 1, पूसा 372। बुवाई से पूर्व बीजों को राइजोबियम और पी.एस.बी. के टीकों (कल्चर) से अवश्य उपचार करें।

गाजर की इन किस्मों की करें बुआई

इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ो पर कर सकते है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में- पूसा रूधिरा। बीज दर 4.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़। बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान 2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फाँस्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 1.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।

किसान अभी सब्जी फसलों की लगाएँ यह क़िस्में

इस मौसम में किसान विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियों की बुआई कर सकते हैं, बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। किसान इन किस्मों की कर सकते हैं बुआई:-

  • सरसों साग– पूसा साग-1, मूली- जापानी व्हाईट, हिल क्वीन, पूसा मृदुला (फ्रेच मूली),
  • पालक– आल ग्रीन, पूसा भारती,
  • शलगम– पूसा स्वेती या स्थानीय लाल किस्म,
  • बथुआ– पूसा बथुआ-1,
  • मेथी-पूसा कसुरी,
  • गांठ गोभी-व्हाईट वियना, पर्पल वियना,
  • धनिया– पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें।

यह समय ब्रोकली, पछेती फूलगोभी, बन्दगोभी तथा टमाटर की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है। पौधशाला भूमि से उठी हुई क्यारियों पर ही बनायें। जिन किसानो की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुये पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें। इस मौसम में गैदें की तैयार पौध की मेड़ों पर रोपाई करें।किसान ग्लेडिओलस की बुवाई भी इस समय कर सकते है।

किसानों को अनुदान पर दिए जा रहे हैं गेहूं, चना एवं अन्य फसलों के उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज

गेहूं, चना एवं अन्य फसलों के उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज पर अनुदान

सरकार द्वारा फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को विभिन्न फसलों के प्रमाणित उन्नत बीज की खरीद पर अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में राजस्थान कृषि विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदानित दर पर उन्नत किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध करवाये जा रहा हैं ।

इस रबी सीजन 2022-23 में विभिन्न योजनान्तर्गत किसानों को गेहूं चना एवं अन्य रबी फसलों के प्रमाणित बीज का वितरण कृषि विभाग द्वारा अनुदानित दर पर किया जा रहा है। विभिन्न बीज उत्पादक संस्थाएं जैसे राष्ट्रीय बीज निगम लि., राजस्थान राज्य बीज निगम लि., कृभको, नैफेड, एच.आई.एल. व नेशनल फर्टिलाईजर्स लि. द्वारा उत्पादित उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज किसानों को इस रबी सीजन में अनुदानित दर पर सहकारी संस्थाओं के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है।

किसान को इस भाव पर मिलेंगे चना बीज 

राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-दलहन योजना के तहत चना फसल की 10 वर्ष से अधिक अवधि की अधिसूचित किस्मों जैसे जीएनजी-1581 (गणगौर) आदि जिनका बाजार दर 9000 रूपये प्रति क्विंटल है, जिस पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 2500 रूपये प्रति क्विंटल के अनुदान उपरान्त 6500 रूपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को उपलब्ध कराए जाएँगे। 10 वर्ष से कम अवधि की अधिसूचित किस्मों जैसे जीएनजी-1958, जीएनजी-2171 आदि जिनका बाजार दर 10,000 रूपये प्रति क्विंटल है, पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 5000 रूपये प्रति क्विंटल के अनुदान उपरान्त 5000 रूपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को विक्रय किया जा रहा है। 

जौ के प्रमाणित बीज पर दिया जाने वाला अनुदान

राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-मोटा अनाज योजना के अंतर्गत जौ फसल की 10 वर्ष तक की अधिसूचित किस्में जिनका बाजार दर 3800 रूपये प्रति क्विंटल है, पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 3000 रूपये प्रति क्विंटल के अनुदान उपरान्त 1900 रूपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को कृषि विभाग द्वारा विक्रय किया जा रहा है।

गेहूं बीज पर दिया जाने वाला अनुदान

राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत गेहूं फसल की 10 वर्ष तक की अधिसूचित किस्में जिनका बाजार दर 3400 रूपये प्रति क्विंटल है, पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 2000 रूपये प्रति क्विंटल के अनुदान उपरान्त 1700 रूपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को कृषि विभाग द्वारा बीज विक्रय किया जा रहा है।

किसान कैसे ले सकते हैं अनुदान पर बीज

उपरोक्त योजनाओं हेतु इच्छुक पात्र किसान अधिकतम 2 हैक्टेयर क्षेत्रफल की बुवाई हेतु विभिन्न फसलों के प्रमाणित बीज अनुदानित दर पर प्राप्त कर सकते है। इसके लिए किसान को अपने क्षेत्र से संबंधित कृषि पर्यवेक्षक से अनुशंसा पत्र भरवाकर जनआधार कार्ड के माध्यम से बीज ले सकते हैं। किसान अनुदानित दर पर बीज खरीदने के लिए नजदीकी सहकारी समिति/क्रय-विक्रय सहकारी समिति/ग्राम सेवा सहकारी समिति/ कृषक उत्पादन संगठन समूह जा सकते हैं।

गन्ना उत्पादक किसानों को जल्द दी जाएगी 79.50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि

गन्ना बेचने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि 

देश में किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है, जिनके तहत किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के गन्ना उत्पादक किसानों को लगभग 12 करोड़ रुपए की शेष प्रोत्साहन राशि के भुगतान का आदेश जारी कर दिया है। गन्ना पेराई वर्ष 2020-21 में सहकारी शक्कर कारखानों को गन्ना बेचने वाले कृषकों को प्रति क्विंटल की मान से 84.25 रूपए प्रोत्साहन राशि दिए जाने के संबंध में छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संशोधित आदेश जारी कर दिया है।

यह संशोधित आदेश 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के परिपालन में जारी किया गया है। संशोधित आदेश के अनुसार गन्ना पेराई वर्ष 2020-21 की गन्ना प्रोत्साहन की शेष राशि 11 करोड़ 99 लाख रुपए का भुगतान भी किसानों को किया जाएगा।

किसानों को दी जाएगी 79.50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि

छत्तीसगढ़ सरकार इस वर्ष गन्ना पेराई वर्ष 2021-22 में सहकारी शक्कर कारखानों में गन्ना बेचने वाले किसानों को 79.50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, परन्तु जिन गन्ना कृषकों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में इनपुट सब्सिडी दी गई है, उन्हें गन्ना प्रोत्साहन देय राशि से समायोजन किया जाएगा। 

किसानों को क्या मिलेगा गन्ने का भाव

छत्तीसगढ़ में गन्ना पेराई सत्र 2022-23 में जिला सरगुजा, सूरजपुर एवं बलरामपुर के 16 विकाखखण्डों से गन्ना रकबा 10,958.782 हेक्टेयर से 17,240 पंजीकृत कृषकों को 4 लाख मीट्रिक टन गन्ना पेराई करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार द्वारा इस वर्ष गन्ने का समर्थन मूल्य रिकवरी 9.50 प्रतिशत पर निर्धारित 282.125 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान किया जाएगा। इस तरह किसानों को गन्ना बेचने पर दिए जाने वाले बोनस 79.50 बोनस के बाद किसानों कुल 361.62 के भाव से गन्ना खरीदी का भुगतान किया जायेगा। साथ ही रिकवरी 9.5 प्रतिशत से अधिक होने पर 1 प्रतिशत पर 3.05 प्रति क्विंटल प्रति क्विंटल अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान किया जाएगा।

खुशखबरी: युवाओं को दिया जायेगा माली प्रशिक्षण, 7 नवम्बर तक यहाँ करें आवेदन 

माली प्रशिक्षण के लिए आवेदन

देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए बागवानी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए समय-समय पर किसानों एवं युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना वर्ष 2022-23 के अंतर्गत राज्य के युवा बेरोजगारों के लिए माली प्रशिक्षण हेतु परियोजना स्वीकृत की है। योजना के तहत राज्य के बेरोज़गार युवक/युवतियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के 2500 युवा बेरोजगार युवक/युवतियों को 200 घंटे (25 दिवसीय) माली विषयक प्रशिक्षण प्रदान दिया जायेगा, साथ ही सफल प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी दिए जाएँगे। यह प्रशिक्षण पूर्णतः आवसीय एवं निःशुक्ल दिया जायेगा।

माली प्रशिक्षण के लिए पात्रता एवं शर्तें

सरकार द्वारा राज्य के युवक/युवतियों को माली विषयक प्रशिक्षण देने के लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं, यह व्यक्ति ही योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं। यह पात्रता एवं शर्तें इस प्रकार है:-

  • आवेदक की शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम 10वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा।
  • बेरोजगार युवक/युवतियां ही योजना के तहत आवेदन करने के लिए पात्र होंगे।
  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर ही पात्रता होगी।
  • आवेदक किसी निजी अथवा शासकीय संस्था में कार्यरत नहीं होना चाहिए।
  • आवेदन की प्रक्रिया पूर्णतः ऑनलाइन होगी।
  • आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं अधिकतम आयु 40 वर्ष होनी चाहिए।
  • प्रशिक्षणार्थी निर्धारित 200 घंटे का प्रशिक्षण बिना रुकावट के सफलता पूर्वक पूर्ण करेगा इस बावत विभाग से अनुबंध करना होगा।

इन विषयों पर दिया जायेगा माली प्रशिक्षण

योजना के तहत चयनित प्रशिक्षणार्थियों को विषय वस्तु के अंतर्गत पौधशाला प्रबंधन, बुनियादी उपकरणों की पहचान एवं उनका उपयोग, लेंड स्केपिंग, ओरनामेंटल गार्डनिंग, कीट-बीमारियाँ एवं उनका प्रबंधन, भूमि की जल निकासी और पोषण सम्बंधी आवश्यकता, उद्यानिकी फसलों का उत्पादन, फ़सलोत्तर प्रबंधन एवं प्रसंस्करण के सम्बंध में व्यावहारिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जायेगा एवं सफल प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएँगे। 

माली प्रशिक्षण के लिए आवेदन कब एवं कहाँ करें?

मध्यप्रदेश शासन द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 2022-23 अंतर्गत युवा बेरोजगारों के लिए माली प्रशिक्षण परियोजना में भाग लेने हेतु आवेदन MPFSTS पोर्टल के माध्यम से आमंत्रित किए गए हैं। राज्य के इच्छुक युवा योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन 01 नवम्बर से 07 नवम्बर 2022 के दौरान राज्य के उद्यानिकी विभाग के पोर्टल https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

प्रशिक्षणार्थियों का चयन कम्प्यूटरीकृत लाटरी के माध्यम से किया जाएगा। आवेदकों की संख्या लक्ष्यों से कम होने पर लाटरी की आवश्यकता नहीं होगी एवं प्रशिक्षणार्थियों का चयन वांछनीय शैक्षणिक अहर्ता के आधार पर किया जायेगा। लाटरी की प्रक्रिया राज्य स्तर पर गठित समिति द्वारा की जाएगी तथा चयनित प्रशिक्षणार्थियों की सूचि वेबसाइट पर प्रदर्शित करते हुए आवेदकों को SMS के माध्यम से सूचित किया जायेगा।

माली प्रशिक्षण के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें 

612 खरीद केंद्रों पर शुरू हुई मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की MSP पर खरीद

मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की खरीद 

खरीफ फसलें खेतों में पककर तैयार हो गई है, ऐसे में अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा खरीफ फसलों की खरीदी भी शुरू की जा चुकी है। इस कड़ी में राजस्थान में राजफैड द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की 1 नवम्बर से खरीद शुरू कर दी गई है वहीं मूंगफली की खरीद 18 नवम्बर से शुरू की जाएगी। इन फसलों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 27 अक्टूबर से शुरू कर दिया गया है।

इस वर्ष भारत सरकार द्वारा राजस्थान राज्य में समर्थन मूल्य पर मूंग का खरीद का लक्ष्य 3 लाख 2 हजार 745 मीट्रिक टन, उडद का 62 हजार 508 मीट्रिक टन, मूंगफली का 4 लाख 65 हजार 565 मीट्रिक टन तथा सोयाबीन का 3 लाख 61 हजार 790 मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य दिया गया है। मूंग का समर्थन मूल्य 7755 रूपये, उडद का 6600, मूंगफली का 5850 एवं सोयाबीन का 4300 रूपये प्रति क्विंटल एफ.ए.क्यू श्रेणी का घोषित किया गया है।

612 केंद्रों पर की जाएगी खरीफ फसलों की खरीद 

राजस्थान में किसानों से मूंग की खरीद के लिए 363 केन्द्र, उड़द के लिए 166 तथा सोयाबीन के लिए 83 खरीद केन्द्र खोले गए हैं। इस प्रकार कुल 612 खरीद केंद्रों पर मूँग, उड़द एवं सोयाबीन की खरीद की जाएगी । वहीं 18 नवम्बर से राज्य में 267 खरीद केंद्रों पर मूँगफली की खरीद की जाएगी। इस प्रकार राज्य में कुल 879 खरीद केन्द्र बनाए गए है। जिसमें से 419 केन्द्र क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर तथा 460 ग्राम सेवा सहकारी समितियों पर बनाए गए है।

किसान MSP पर मूँग, उड़द एवं सोयाबीन बेचने के लिए करें पंजीयन

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए किसानों पंजीयन कराना आवश्यक है। ऐसे में किसानों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था ई-मित्र एवं खरीद केन्द्रों पर प्रातः 9 बजे से सायं 7 बजे तक की गई है। किसान पंजीयन कराते समय यह सुनिश्चित कर ले कि पंजीकृत मोबाईल नम्बर से जन आधार कार्ड से लिंक हो जिससे समय पर तुलाई दिनांक की सूचना मिल सके। किसान प्रचलित बैंक खाता संख्या सही दे ताकि ऑनलाइन भुगतान के समय किसी प्रकार की परेशानी किसान को नहीं हो। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1800-180-6001 आरम्भ कर दिया गया है।

आज से MSP पर शुरू होगी धान की खरीद, धान बेचने के लिए किसान ले सकते हैं ऑनलाइन टोकन

समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए टोकन

किसानों को धान बेचने में किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए सरकार द्वारा नई-नई व्यवस्थाएँ की जा रही है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को धान विक्रय के लिए घर बैठे ऑनलाइन टोकन प्राप्त करने की सुविधा शुरू की है। राज्य के किसान अब धान बेचने के लिए ऑफ़लाइन के साथ ही ऑनलाइन भी टोकन ले सकते हैं। छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के साथ ही खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में प्रदेश के पंजीकृत किसानों से 01 नवम्बर 2022 से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू की जाएगी। 

छत्तीसगढ़ में इस वर्ष लगभग 110 लाख मीट्रिक धान का उपार्जन अनुमानित है। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए राज्य में 25.72 लाख किसानों का एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन हुआ है, जिसमें लगभग 61 हजार नये किसान है। राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए 2497 उपार्जन केन्द्र बनाए गए हैं। इस साल किसानों से सामान्य धान 2040 रुपए प्रति क्विंटल तथा ग्रेड-ए धान 2060 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा।

किसान धान बेचने के लिए ले सकते हैं ऑनलाइन टोकन

छत्तीसगढ़ में अब समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को धान विक्रय के लिए घर बैठे ऑनलाइन टोकन प्राप्त करने की सुविधा मिलेगी। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान विक्रय हेतु टोकन जारी करने की प्रक्रिया के सरलीकरण एवं सुव्यवस्थित प्रबंधन के उद्देश्य से एन्ड्रॉयड एप “टोकन तुंहर हाथ” विकसित किया गया है।टोकन तुंहर हाथ एप की सहायता से प्रत्येक पंजीकृत किसान संबंधित उपार्जन केन्द्र में स्वयं के द्वारा निर्धारित तिथि में धान विक्रय हेतु टोकन प्राप्त कर सकेंगे। 

इस एप द्वारा किसान को समिति द्वारा दर्ज किसान की जानकारी पंजीकृत रकबा, बैंक खाता, टोकन एवं धान खरीदी आदि की सभी नवीनतम जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे। इस एप के उपयोग से पंजीकृत किसानों द्वारा संबंधित समिति उपार्जन या उपार्जन केन्द्रों में आगामी 7 दिवस तक टोकन प्राप्त किया जा सकता है। एप के माध्यम से संबंधित समिति या उपार्जन केन्द्र में प्रत्येक दिन की खरीदी क्षमता के 30 प्रतिशत की सीमा तक ऑनलाइन टोकन प्राप्त किया जा सकेगा। उक्त सीमा में भी सीमांत, लघु व दीर्घ कृषकों को उनकी पंजीकृत संख्या के अनुपात में टोकन हेतु समान अवसर उपलब्ध होगा।

किसान ऑफ़लाइन भी ले सकेंगे MSP पर धान बेचने के लिए टोकन 

राज्य के किसान संबंधित समिति उपार्जन केन्द्र से शेष 70 प्रतिशत खरीदी क्षमता की मात्रा ऑफलाइन टोकन भी ले सकेंगे। ताकि जो किसान एप के माध्यम से टोकन प्राप्त करने में असुविधा महसूस करते हैं। उन्हें पूर्व वर्षों की भांति समिति मॉड्यूल से टोकन प्राप्त हो सके। एप के माध्यम से टोकन जारी करने की व्यवस्था पूर्व वर्षों में समिति माड्यूल से टोकन जारी करने की व्यवस्था करने की प्रक्रिया के अलावा अतिरिक्त रूप से की जा रही है।

इस प्रकार कृषकों को ऑनलाइन एवं ऑफलाईन दोनों माध्यमों से टोकन प्राप्त हो सकेगा। उक्त एप के उपयोग से समिति/उपार्जन केन्द्रों में टोकन प्राप्त करने हेतु किसानों की भीड़ में कमी आएगी। किसानों को घर बैठे धान बेचने हेतु टोकन प्राप्त हो सकेगा, उन्हें समिति, उपार्जन केन्द्रों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। किसानों को अपनी पंजीयन संबंधित जानकारी जैसे व्यक्तिगत, भूमिगत/खाता/धान खरीदी एवं भुगतान की जानकारी भी सुगमता से प्राप्त हो सकेगी।

सूखा प्रभावित 30 लाख से अधिक किसानों को दी जाएगी 3500 रुपए की सहायता राशि

सूखा प्रभावित किसानों को सहायता राशि

इस वर्ष देश के कई राज्यों में जहां अधिक वर्षा हुई है तो कई राज्य सूखे की मार झेल रहे हैं, ऐसे में किसानों की खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है। सूखे की मार झेल रहे राज्यों में अधिकांश किसान तो खरीफ फसलों की बुआई तक नहीं कर पाए थे, जिसके चलते अलग-अलग राज्य सरकार द्वारा किसानों को अलग-अलग योजनाओं के तहत राहत प्रदान की जा रही है। इस कड़ी में झारखंड राज्य की हेमन्त सोरेन सरकार ने राज्य के 22 ज़िलों के 226 प्रखंडो को सूखाग्रस्त घोषित किया है। 

मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया है। बैठक में सुखाड़ को लेकर कृषि विभाग द्वारा तैयार की गई सूखे का आकलन प्रतिवेदन पर विचार-विमर्श करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। कृषि विभाग द्वारा तैयार की गई सूखे का आंकलन पर विचार करते हुए राज्य के चिन्हित 22 ज़िलों (पूर्वी सिंहभूमि एवं सीमडेगा छोड़कर) के 226 प्रखंडो के प्रभावित किसान परिवारों को बड़ी राहत देने की घोषणा की है।

सूखा राहत हेतु किसानों को दी जाएगी 3500 रुपए की राशि

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे की स्थिति को देखते हुए 22 ज़िलों के 226 प्रखंडो के प्रति किसान परिवार को तत्काल सूखा राहत हेतु 3500 रुपए की राशि दी जाएगी। इन 226 प्रखंडो के सभी प्रभावित किसान परिवारों को यह राशि शीघ्र उपलब्ध करायी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लगभग 30 लाख से अधिक किसान परिवार सूखे की चपेट में हैं जिन्हें इसका लाभ मिल सकेगा। सूखा राहत राशि उपलब्ध कराने में राज्य सरकार लगभग 1200 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

सूखा प्रभावित 22 ज़िलों के 226 प्रखंडो की सूची इस प्रकार है

जरीडीह, कसमार, पेटरवार, गोमिया, बेरमो, नावाडीह, कान्हाचट्टी, सिमरिया, तंडवा, इटखोरी,मयूरहंड, सरवाँ, सारठ, कैरों, देवघर, मोहनपुर, सोनारायठाडी, मधुपुर, पालोजोरी, मारगोमुण्डा, देवीपुर गोविन्दपुर, टुण्डी, तोपचांची, धनबाद, बलियापुर, निरसा, कालियासोल, एग्यारकुण्ड, पूर्वी टुंडी, बाघमारा, जरमुण्डी, दुमका, जामा, मसलिया, रणेश्वर, शिकारीपाड़ा, सरैयाहाट, रामगढ़, काठीकुण्ड, गोपीकांदर,मेराल, डंडई, रमना, विशुनपुरा, भवनाथपुर, चिनियाँ, मझिआंव, सगमा, गढ़वा, डंडा, रांका, कंडी, धुर्की, बड़घर, नगर उंटारी, रामकंडा प्रखंडो में।

बरडीहा, केतर, खरौंधी, भंडरिया, गाण्डेय, बेंगाबाद, जमुआ, धनवार, बगोदर, सरिया, डुमरी, पीरटांड़, गिरिडीह, बिरनी, तिसरी, देवरी, गावां, गोड्डा, पथरगामा, बसंतराय, महागामा, मेहरमा, बोवारीजोर, सुंदरपहाड़ी, पोडैयाहाट, ठाकुरगांगटी,  गुमला, पालकोट, चैनपुर, डुमरी, जारी, कामडरा, सिसई, भरनो, बिशुनपुर, घाघरा, रायडीह, दाड़ी, बड़कागांव, केरेडारी, हजारीबाग, चूरचु, दारू, ईचाक, ताती झरिया, कटकमसांडी, बरही, चौपारण, बरकट्टा प्रखंडो में।

चलकुसा, पदमा, बिशुनगढ़, नारायणपुर, कर्माटांड़, जामताड़ा, नाला, कुण्डहित, फतेहपुर, खूँटी, मुरहू, अड़की, कर्रा, तोरपा, रनिया, कोडरमा, जयनगर, मरकच्चो, डोमचांच, सतगांवा, महुआटांड़, गारू, हेरगंज, बरियातु, लातेहार, चंदवा, बालूमाथ, मनिका, बरवाडीह, लोहरदगा, सेन्हा, भंडरा, कुडू, कैरो, किस्को, पेशरार, पाकुड़िया, पाकुड़, हिरनपुर, लिट्टीपाड़ा, अमरापाड़ा, महेशपुर, मनातू, लेस्लीगंज, पांकी, मेदनीनगर, तरहस्सी, बिश्रामपुर, नवाबाजार, पाण्डू, पड़वा, हरिहरगंज, छतरपुर, नौडीबाजार, रामगढ़, चैनपुर, उटारी रोड, पाटन, सतबरवा, हैदरनगर, हुसैनाबाद, मोहम्मदगंज प्रखंडो में।

पिपरा, दुल्मी, चितरपुर, माण्डू, पतरातू, गोला, माण्डर, बेड़ो, इटकी, ओरमांझी, नामकुम, अनगड़ा, सिल्ली, तमाड़, रातु, नगड़ी, बुड़मू, खलारी, लापुंग, बुण्डू, चान्हो, सोनाहातु, बरहरवा, साहेबगंज, बोरियो, मंडरो, बरहेट, पतना, राजमहल, उधवा, तालझारी, सरायकेला, खरसावाँ, कुचाई, चाण्डिल, ईचागढ़, कुकडू, राजनगर, गम्हरिया, झींकपानी, टोंटो, जगन्नाथपुर, नवामुण्डी, मंझगांव, कुमरडुंगी, मंझरी, तांतनगर, चक्रधरपुर, सोनुवा, गोइलकेला, मनोहरपुर, बंदगांव, हाटगम्हरिया, गुदड़ी, चाईबासा, खूँटपानी, आनन्दपुर पप्रखंडो में। 

वैज्ञानिकों ने खोजी सुकर की नई प्रजाति ‘बांडा’, पशुपालकों की बढ़ेगी आमदनी

सुकर की नई प्रजाति बांडा

देश में किसानों एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार नई-नई प्रजातियों की खोज की जा रही है। इसी क्रम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सुकर की नई प्रजाति ‘बांडा’ की खोज की है। जिससे राज्य के क़रीब 90 हजार सुकरपालकों की आमदनी बढ़ने की उम्मीद है। यह नस्ल एक वर्ष में करीब 20-25 कि.ग्रा.का हो जाता है और एक बार में चार बच्चे देने की क्षमता होती है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) से अधिकृत राष्ट्रीय पशु अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो, करनाल (हरियाणा) ने हाल में पूरे देश में खोजी गई 10 नई पशु प्रजाति को पंजीकृत किया है। इनमें गाय की कटहानी, संचोरी मासिलम, भैंस की पुर्नाथाडी, बकरी की सोजात, गुजारी और करानौली प्रजाति शामिल है। जबकि सुकर की बांडा, मणिपुरी ब्लैक और वाक चमबिल प्रजातियां भी शामिल है।

सुकर प्रजाति बांडा की विशेषताएँ क्या है?

‘बांडा’ सुकर की छोटे आकार की नस्ल है। इसका रंग काला, कान छोटे और खड़े, थूथन लंबे, पेट बड़ा और गर्दन पर कड़े बाल होते है। यह नस्ल का पशु एक वर्ष में करीब 20-25 कि.ग्रा. की हो जाती है और एक बार में चार बच्चे देने की क्षमता होती है। एक वयस्क ‘बांडा’ का वजन औसतन 28-30 कि.ग्रा. तक होता है।

बीएयू के सुकर प्रजनन फार्म प्रभारी डॉ. रविन्द्र कुमार बताते है कि ‘बांडा’ प्रजाति झारखंड राज्य के अलग–अलग जिलों मुख्यतः रांची, गुमला, लोहरदगा, बोकारो, धनबाद, रामगढ, पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सिमडेगा एवं गोड्डा आदि में बहुतायत संख्या में मिलती है। झारखंड में इस नस्ल की संख्या करीब 3 लाख है, जो पूरे राज्य में सुकर की संख्या का करीब 70 प्रतिशत है। करीब 90 हजार सुकरपालक इस नस्ल के पालन से जीविकोपार्जन और अतिरिक्त लाभ कमाते है।

जमीन के अंदर से भी भोजन प्राप्त कर सकती है यह प्रजाति

सुकर प्रजाति बांडा की खासियत यह है कि सुखाड़ की स्थिति में ‘बांडा’ जमीन के अंदर से भोजन प्राप्त कर लेता है। यह प्रजाति दूर तक दौड़ सकती है तथा सुदूर भ्रमण से जंगलों से भी खाने योग्य पोषण प्राप्त कर लेती है। झारखंड के ग्रामीण परिवेश में ‘बांडा’ नस्ल काफी लोकप्रिय है। जिसकी मुख्य वजह प्रदेश के ग्रामीण परिवेश तथा ग्रामीण आदिवासियों की संस्कृति से जुड़ा होना है। ‘बांडा’ के पालन में लगभग नगण्य खर्च होने की वजह से ग्रामीणों द्वारा इसे काफी पसंद किया जाता है। इस नस्ल को खुली जगह में आसानी से पाला जाता है। जो जंगल के अवशेष तथा कृषि अवशेष के सेवन से उन्नत तरीके से मांस में तब्दील करता है।

सुकर की नई प्रजाति ‘बांडा’ बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के वैज्ञानिकों की ओर से खोजी गयी नस्ल है। बीएयू के पशु चिकित्सा संकाय के वैज्ञानिक डॉ.रविन्द्र कुमार ने 8-10 वर्षों के अथक प्रयास और शोध से इस नई प्रजाति की खोज की है। डॉ. कुमार के प्रयासों से ही राष्ट्रीय पशु अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो ने ‘बांडा’ को पंजीकृत किया है। जिसे एक्ससेशन संख्या इंडिया-पिग-2500-09011 दी गयी है। इसे झारखंड राज्य के लिए अनुकूल और उपयुक्त बताया है।

मटर की उन्नत खेती के लिए किसानों को दिया गया प्रशिक्षण एवं खाद-बीज

किसानों को मटर की खेती के लिए प्रशिक्षण एवं खाद बीज का वितरण

विभिन्न फसलों का उत्पादन एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रशिक्षण के साथ-साथ उन्नत किस्मों के बीज दिए जाते हैं। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फाउण्डेशन ट्रस्ट मद से मटर उत्पादन पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत पंचायत समिति निम्बाहेड़ा के परिसर में किसानों को मटर उन्नत खेती पर प्रशिक्षण एवं मटर बीज व आदान वितरण किया गया। इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने किसानों को संबोधित करते हुए राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेकर अपनी आय में वृद्धि करें।

सहकारिता मंत्री ने कृषकों को राजस्थान के अन्य जिलों में कृषि के क्षेत्र में नई ईजाद हुई कृषि तकनीक के ज्ञान वृद्धि हेतु डीएमएफटी मद से भेजने के लिए निर्देशित किया। सहकारिता मंत्री ने आह्वान किया कि जिस किसान का मटर खेती हेतु चयन किया गया है वह बुवाई से लेकर कटाई तक आय-व्यय के ब्यौरे का विवरण डायरी में नोट करें, ताकि अंत में गेहूं, जौ एवं चना आदि फसलों से फायदे की तुलना की जा सके। 

किसानों को प्रशिक्षण के साथ ही दिए गए खाद-बीज

योजना के अनुसार चयनित कृषकों को 0.1 हेक्टेयर (आधा बीघा) क्षेत्रफल हेतु मटर का 10 किलोग्राम उन्नत बीज किस्म सोना 1010 एवं 250 मिलीलीटर जैविक कल्चर की बोटल, 5 किलो यूरिया उर्वरक एवं 25 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक, 5 किलोग्राम सूक्ष्म पोषक तत्व मिक्सर, कीटनाशी रसायन का फसल अवधि के दौरान आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराया जाएगा। इस अवसर पर उप निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद् चित्तौडगढ़ डॉ. शंकर लाल जाट द्वारा डीएमएफटी मद से मटर उत्पादन हेतु लिए गये पायलट प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

मटर उत्पादन हेतु डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फाउण्डेशन ट्रस्ट मद अन्तर्गत जिले की पंचायत समिति निम्बाहेड़ा के 500 कृषकों को उन्नत खेती करने हेतु पायलट प्रोजेक्ट लिया गया है। जिला कलक्टर ने निर्देशित किया कि चयनित कृषकों को वाट्सप ग्रुप बनाकर 20-20 किसानों का समूह बनाते हुए एक कृषि पर्यवेक्षक कों पर्यवेक्षण हेतु लगाया जाए जिससे वास्तविक परिणाम प्राप्त किए जा सके।

किसानों को दी गई फसलों की उन्नत खेती की जानकारी

इस अवसर पर उप निदेशक कृषि (आइपीएम) चित्तौडगढ़ श्री ओम प्रकाश शर्मा द्वारा कृषकों को रबी फसलों की बुवाई एवं उन्नत खेती एवं कृषि शष्य क्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई। सहायक निदेशक उद्यान चित्तौडगढ़ डॉ. शंकरसिंह राठौड़ द्वारा किसानों को उद्यान विभाग से कृषक हित में संचालित योजना जैसे सौलर ऊर्जा संयत्र, ड्रिप संयत्र, पोली हाउस की स्थापना एवं बगीचे स्थापना पर राज्य सरकार द्वारा दिये जा रहे अनुदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कृषि विज्ञान केन्द्र के मुख्य उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. राजेश जलवानिया द्वारा मटर की उन्नत खेती के बारे में कृषकों को विस्तृत जानकारी देते हुए उन्नत तकनिकी अपनाने के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

1 नवम्बर से शुरू होगी धान की MSP पर खरीद, किसान 31 अक्टूबर तक करा सकेंगे धान बेचने के लिए पंजीयन

धान MSP पर खरीद हेतु पंजीयन

खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही सरकार द्वारा फसलों की खरीद के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है, इस कड़ी में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर धान की ख़रीद के लिए पंजीयन प्रक्रिया के साथ ही तारीखों का ऐलान कर दिया है। राज्य के किसान दिनांक 31 अक्टूबर 2022 तक अपना पंजीयन करा सकते हैं, जिसके बाद पंजीकृत किसानों से धान खरीदी का कार्य 1 नवम्बर 2022 से शुरू किया जायेगा।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान खरीदी नीति एवं कस्टम मिलिंग की नीति जारी कर दी गई है। जिसके तहत राज्य सरकार ने धान की खरीदी के लिए लक्ष्य जारी कर कर दिए हैं, खरीफ वर्ष 2022-23 में किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है जिसके लिए 5.50 लाख गठान बारदाना की आवश्यकता होगी। इसके लिए सरकार ने लगभग 50 प्रतिशत पुराने बारदाना का उपयोग करने का फ़ैसला लिया है।

किसान 31 अक्टूबर तक करा सकेंगे धान बेचने के लिए पंजीयन

सरकार द्वारा पंजीकृत किसानों से ही धान की खरीदी की जाएगी। राज्य शासन द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी किये जाने के लिए गत वर्ष पंजीकृत किसानों को कैरी फारवर्ड एवं डाटा अद्यतन कर तथा नवीन किसानों का पंजीयन कर धान की खरीदी की जाएगी। किसान पंजीयन का कार्य कृषि विभाग के एकीकृत किसान पोर्टल के माध्यम दिनांक 31 अक्टूबर 2022 तक किया जाएगा। अभी तक 24 लाख 5 हजार 288 हजार किसानों का पंजीयन कैरी फारवर्ड किया गया है और 95 हजार नवीन किसान पंजीकृत हुए हैं।

1 नवम्बर से शुरू होगी धान की खरीद

खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर पंजीकृत किसानों से धान खरीदी का कार्य 1 नवम्बर 2022 से प्रारंभ हो रहा है। यह कार्य 31 जनवरी 2023 तक किया जाएगा। चावल उपार्जन हेतु आवश्यक 2 लाख 97 हजार गठान में से 2 लाख 37 हजार गठान बारदाने जूट कमिश्नर से क्रय करने की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी गई है।

चावल उपार्जन हेतु आवश्यक 2 लाख 97 हजार गठान में से 2 लाख 37 हजार गठान बारदाने जूट कमिश्नर से क्रय करने की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी गई है। अभी तक 2 लाख 37 हजार गठान का इंडेट जारी किया गया है। जिसके विरूद्ध 1 लाख 45 हजार गठान राज्य को प्राप्त हो चुके हैं एवं शेष 48 हजार गठान नये जूट बारदाने गत वर्ष के उपलब्ध है तथा शेष कमी होने वाले बारदानों की प्रति पूर्ति जैम पोर्टल के माध्यम से क्रय करने की कार्यवाही प्रचलित है।