किसान इस तरह करें चने में उकठा या विल्ट रोग का नियंत्रण

चने में उकठा या विल्ट रोग का नियंत्रण

चना एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। रबी सीजन में देश के कई राज्यों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। ऐसे में किसानों की आमदनी में यह फसल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चने की फसल से अच्छी आमदनी प्राप्त करने के लिए आवश्यक है की इसे कीट-रोगों से बचाया जाए। चने की फसल में उकठा या विल्ट रोग प्रमुख है।  यह रोग प्रमुख रूप से चने की फसल को हानि पहुंचाता है। इस रोग का प्रकोप इतना भयावह है कि पूरा खेत इसकी चपेट में आ जाता है।

उकठा रोग का प्रमुख कारक फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम नामक फफूँद है। यह मृदा तथा बीज जनित बीमारी है, जिसकी वजह से चने की पैदावार में 10-12 प्रतिशत तक की कमी आती है। यह रोग पौधे में फली लगने तक किसी भी अवस्था में हो सकता है। इस रोग का प्रकोप उन क्षेत्रों में कम होता है जिन स्थानों में ठंड अधिक एवं लम्बे समय तक पड़ती है।

क्या है उकठा रोग के मुख्य लक्षण

शुरूआत में खेत में छोटे-छोटे हिस्सों में दिखाई देते है और धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाते है। इस रोग में पौधे के पत्तियाँ सुख जाती है उसके बाद पूरा पौधा ही मुरझा कर सुख जाता है। ग्रसित पौधे की जड़ के पास चिरा लगाने पर उसमें काली-काली संरचना दिखाई पड़ती है। रोग ग्रस्त पौधे की फलियाँ व बीज सामान्य पौधों की तुलना में समन्यता छोटें, सिकुड़े व बदरंग दिखाई पड़ते हैं।

इस तरह करें चने में उकठा रोग का नियंत्रण

  • इस रोग के नियंत्रण के लिए चना की बुवाई उचित समय पर करना चाहिए।
  • गर्मियों में मई से जून में गहरी जुताई करने से फ्यूजेरियम फफूंद का संवर्धन कम हो जाता है।
  • मृदा का सौर उपचार करने से भी रोग में कमी आती है। पांच टन प्रति हेक्टेयर की दर से कम्पोस्ट का प्रयोग करना चाहिए।
  • बीज को मिट्टी में 8 सेंटीमीटर की गहराई में बुवाई करना चाहिए।
  • चना की उकठा रोग प्रतिरोधी किस्में लगाना चाहिए। 
  • उकठा रोग का प्रकोप कम करने के लिए तीन साल का फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए। सरसों या अलसी के साथ चना की अन्तर फसल लगाना चाहिए। 

इन रासायनिक दवाओं का करें छिड़काव

चने में उकठा रोग के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाजोल 54 प्रतिशत डब्ल्यू, डब्ल्यू एफएस /4.0 मिलीलीटर, 10 किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करें। खड़ी फसल पर लक्षण दिखाई देने पर क्लोरोथालोनिल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी / 300 ग्राम एकड़ या कार्बेन्डाजिम, 12 प्रतिशत + मैनकोज़ब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम एकड़ की दर से 200 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव कर दें।

Last Date: सब्सिडी पर यह सभी कृषि यंत्र लेने के लिए अभी आवेदन करें

कृषि यंत्रो की खरीद पर अनुदान Subsidy हेतु आवेदन

कृषि क्षेत्र में यंत्रो व मशीनों के उपयोग को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों व उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है, इसमें फसल बुआई से लेकर कटाई एवं फसल अवशेष प्रबंधन तक के कृषि यंत्र शामिल रहते हैं। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य में कृषि यंत्रीकरण योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत इस वर्ष बिहार सरकार 9405.54 लाख रुपए की लागत से किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान देने जा रही है। योजना का लाभ लेने के लिए किसान 31 दिसंबर तक आवेदन कर सकते हैं।

बिहार सरकार “कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष (2022-23)” में कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रही है, जिसमें खेत की जुताई, बुआई, निकाई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई, दौनी इत्यादि तथा गन्ना एवं उद्यान से सम्बंधित कृषि यंत्र शामिल है। इच्छुक किसान 31 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। किसान समाधान अपने पाठकों के लिए कृषि यंत्र के नाम एवं उस पर दी जाने वाली सब्सिडी की जानकारी लेकर आया है।

कृषि यंत्रों की खरीद पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

बिहार सरकार राज्य के किसानों को कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही है, जो इस प्रकार है:-

कृषि यंत्र का नाम 

कृषि यंत्र पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

रोटरी मल्चर (35 HP के ऊपर)

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 1,10,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 1,20,000 रुपए 

सुपर सीडर (ट्रैक्टर चलित) 6 फीट

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 1,42,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 1,52,000 रुपए 

सुपर सीडर (ट्रैक्टर चलित) 7 फीट

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 1,50,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 1,60,000 रुपए 

सुपर सीडर (ट्रैक्टर चलित) 8 फीट

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 1,57,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 1,68,000 रुपए 

एसएमएस (स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम)

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 82,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 88,000 रुपए 

हैपी सीडर ( 9 से 11 टाईन ) 

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 1,10,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 1,20,000 रुपए 

स्ट्रॉ बेलर, विदाउट रैक

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 2,25,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 2,50,000 रुपए 

स्ट्रॉ रीपर

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 1,80,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 2,20,000 रुपए 

रोटरी स्लेशर

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 37,500 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

जीरो टीलेज/ सीडकमफ़र्टीलाईजर ड्रिल 9 टाईन तक 

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 32,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 34,000 रुपए 

जीरो टीलेज/ सीडकमफ़र्टीलाईजर ड्रिल 9 टाईन से अधिक

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 43,000 रुपए 

 Paddy Straw Chopper

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 110000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 120000 रुपए 

रीपर कम बाइंडर (ट्रैक्टर से चलित)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,25,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,50,000 रुपए 

रीपर (ट्रैक्टर से चलित)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

रिबर्सेबल एम.बी.प्लाऊ 35 एच.पी. से ऊपर  

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 35,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 44,000 रुपए 

रीपर कम बाइंडर (स्वचलित) 3 wheel 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 1,40,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,75,000 रुपए 

रीपर कम बाइंडर (स्वचलित) 4 wheel 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 2,00,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2,50,000 रुपए 

सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 50,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 60,000 रुपए 

ब्रश कटर 3 BHP से कम 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 12,500 रुपए 

ब्रश कटर 3-5 BHP तक

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 16,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

Briquette Making Machine (Min. 100 kh/hr capacity)

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 2,32,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2,90,000 रुपए 

सीड ड्रील (ट्रैक्टर चलित 35 HP एवं 35 HP से ऊपर)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

सीडकमफ़र्टीलाईजर ड्रील– 5 टाईन

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 12,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर ( 4 कतार से ऊपर) 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2,20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2,25,000 रुपए 

पैडीड्रम सीडर (मैन्यूअल)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,750 रुपए 

राइसव्हीट सीडर (मानव चलित) 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 5,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 6,000 रुपए 

पोटैटो प्लांटर 35 Hp से कम 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 19,000 रुपए 

पोटैटो प्लांटर 35 Hp से ज़्यादा

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 50,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 63,000 रुपए 

सूगरकेन कटरकमप्लांटर 35 HP से ऊपर

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 50,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 63,000 रुपए 

 स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर ( 4 कतार तक) 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 1,20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,50,000 रुपए 

चेन शॉ ( प्रूनिंग के लिए) 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

मिनी रबर राइस मिल ( 4 क्विंटल प्रति घंटे से ऊपर क्षमता ट्रैक्टर चलित)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 60,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 75,000 रुपए 

मिनी दाल मिल/ऑइल मिल 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 35,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

मखाना पॉपिंग मशीन 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,00,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,50,000 रुपए 

स्ट्रॉ फ़ीडर (फ़िलिंग कपैसिटी– 50-55 Q/h)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 35,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

राइस मिल ( विद्युत मोटर चालित– 3 HP & above)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

Solar Driers (capacity -50 kg & above)

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 32,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

ऐल्यूमिनीयम लैडर ( 3 मीटर एवं उससे ऊपर)

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 2,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2,500 रुपए 

Flour Mill ( विद्युत मोटर चालित– 3 HP & above)

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 9,600 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 12,000 रुपए 

Hand Cranked Improved Chakki Machine

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 8,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रुपए 

बिजली चालित जानवरों को भगाने वाला बायोएकास्टिक उपकरण ( सोलर पेनल सहित)

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 32,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 35,000 रुपए 

बिजली चालित जानवरों को भगाने वाला बायोएकास्टिक उपकरण (सोलर पेनल रहित)

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 32,000 रुपए 

सबस्वायलर ( 3 Tyne )

सामान्य वर्ग: 75 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 80 प्रतिशत अधिकतम 22,000 रुपए 

रोटावेटर/ रोटरी टीलर 20-35 BHP तक ट्रैक्टर चलित 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 22,000 रुपए 

रोटावेटर/ रोटरी टीलर 35 BHP से अधिक ट्रैक्टर चलित 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

पम्पसेट अधिकतम 10 HP तक (इलेक्ट्रिक)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 8,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रुपए 

डिस्क प्लाऊ

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 12,000 रुपए 

डिस्क हैरो

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

कल्टीवेटर

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 14,000 रुपए 

लेवलर (ट्रैक्टर चालित)- 6 फीट या उससे ऊपर

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 5,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 7,500 रुपए 

केज व्हील (एक जोड़ा)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,500 रुपए 

पोस्ट होल डीगर 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 19,000 रुपए 

सिंचाई पाईप HDPE (300 मीटर तक) अनुदान 50 रुपए/ मीटर  

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

एच.डी.पी. लैमिनेटेड वोभेन ले फ़्लैट ट्यूब (100 मी. तक)  अनुदान 20 रुपए/ मीटर 

सभी किसानों को 50 प्रतिशत अधिकतम 2000 रुपए की राशि

मानव चालित पौधा संरक्षण यंत्र (स्प्रेयर/ डस्टर)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 600 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 750 रुपए 

मानव चालित रॉकर स्प्रेयर (गटोर)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2500 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,000 रुपए 

पॉवर स्प्रेयर/ डस्टर (बैट्री ऑपरेटेड)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1500 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2000 रुपए 

पॉवर स्प्रेयर/ डस्टर (इंजन ऑपरेटेड)

सभी किसानों को 50 प्रतिशत अधिकतम 3000 रुपए की राशि

पौटेटो डीगर (35 एच.पी. से अधिक शक्ति के ट्रैक्टर द्वारा चलित)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 35,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 44,000 रुपए 

पॉवर मेज सेलर / मेज थ्रेसर (इलेक्ट्रिक मोटर से चालित)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 10,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

चैफ कटर (मैनुअली) -2 रॉलर, ननशकिंग टाइप

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 4,500 रुपए 

चैफ कटर (हेवी ड्यूटी मैनुअली) – 3 रॉलर, ननशकिंग टाइप

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 4,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 5,000 रुपए 

स्टेशनरी इंजन चलित चैफ कटर– 2 हार्सपॉवर तक इंजन/ इलेक्ट्रिक मोटर

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

पैडी थ्रेसर (मैनुअल)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 4,000 रुपए 

विनोवर/ पैडी क्लीनर (मैनुअल) 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 2,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 3,000 रुपए 

बूम स्प्रेयर 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

कम्पोस्ट स्प्रेडर ( 40 HP & Above) 

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 50,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 63,000 रुपए 

चैफ कटर (इंजन/ विद्युत मोटर above 3-5hp/ पॉवर टीलर/ ट्रैक्टर/ below 35 HP चालित)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 22,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 28,000 रुपए 

लेजर लैंड लेवेलर 

सभी किसानों को 50 प्रतिशत अधिकतम 1,50,000 रुपए की राशि

सुगरकेन रैटून मैनेजमेंट यंत्र (ट्रैक्टर चालित)

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

रीज़र/ट्रेंचर

सामान्य वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 7,500 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 11,000 रुपए 

पॉवर टीलर ( 8HP या उससे ऊपर)

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 60,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 75,000 रुपए 

थ्रेसर 5 BHP से नीचे इंजन/ विद्युत मोटर चालित एवं 35 BHP तक पॉवर टीलर/ ट्रैक्टर चालित

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

मल्टीक्रॉप थ्रेसर 5 BHP से नीचे इंजन/ विद्युत मोटर चालित एवं 35 BHP तक पॉवर टीलर/ ट्रैक्टर चालित

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

पैडी थ्रेसर 5 BHP से नीचे इंजन/ विद्युत मोटर चालित एवं 35 BHP तक पॉवर टीलर/ ट्रैक्टर चालित

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 20,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 25,000 रुपए 

पॉवर वीडर 2-5 BHP तक 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 24,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

पॉवर वीडर 5 BHP  से ऊपर

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 32,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

पॉवर मेज थ्रेसर/ मेज डिस्ककम सेलर ( 35 BHP से ऊपर ट्रैक्टर चलित) 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 32,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

Solar Power Artificial Intelligent Pest Control Traps

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 1,200 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,500 रुपए

सूगरकेन सीड ट्रीटमेंट डिवाइस (Capacity-3000 Sugarcane Butts/30 minutes)

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 37,500 रुपए 

सूगरकेन सीडलिंग ट्रांसप्लांटर

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 64,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 80,000 रुपए 

ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 24,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रुपए 

बड चिपर मैनुअल 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 640 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 800 रुपए 

सुगरकेन क्रशर 15 HP एवं उससे ऊपर 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 1,00,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,25,000 रुपए 

चीजल प्लाऊ 5-7 टाईन 

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 12,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

थ्रेसर 5 BHP से ऊपर इंजन/ विद्युत मोटर चालित एवं 35 BHP से ऊपर ट्रैक्टर चालित

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 80,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,00,000 रुपए 

मल्टीक्रॉप थ्रेसर 5 BHP से ऊपर इंजन/ विद्युत मोटर चालित एवं 35 BHP से ऊपर ट्रैक्टर चालित

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 80,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,00,000 रुपए 

पैडी थ्रेसर 5 BHP से ऊपर इंजन/ विद्युत मोटर चालित एवं 35 BHP से ऊपर ट्रैक्टर चालित

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 80,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 1,00,000 रुपए 

एम. बी. प्लाऊ 2-3 बॉटम ( 35 हॉर्सपॉवर या उससे ऊपर)

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 12,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 15,000 रुपए 

चैफ कटर 35 BHP से ऊपर ट्रैक्टर चालित

सामान्य वर्ग: 40 प्रतिशत अधिकतम 40,000 रुपए 

अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 50 प्रतिशत अधिकतम 50,000 रुपए 

इन कृषि यंत्रों की खरीद पर दिया जायेगा अतिरिक्त अनुदान

बिहार राज्य के कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित सूचीबद्ध कृषि यंत्रों पर अनुदान दर प्रतिशत तथा अनुदान दर की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत वृद्धि कर किसानों को अनुदान का लाभ दिया जाएगा। परंतु किसी भी परिस्थिति में अनुदान दर यंत्र की कीमत के 80 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। 

योजना के अंतर्गत सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए किसान यंत्र की कीमत से अनुदान की राशि घटाकर शेष राशि (कृषक अंश) का भुगतान करके सम्बंधित विक्रेता से यंत्र खरीद सकेंगे। अनुदान राशि सम्बंधित कृषि यंत्र निर्माता के खाते में अंतरित की जाएगी। किसानों को अनुदान प्राप्त करने के लिए OFMAS Portal पर सूचीवद्ध विक्रेता सूचीवद्ध कृषि यंत्र खरीदना होगा। 

अनुदान पर यह कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष 2022-23 के तहत कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन OFMAS पोर्टल पर 31 दिसम्बर 2022 तक कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए किसान के पास पहले से कृषि विभाग DBT पोर्टल की पंजीयन संख्या होना आवश्यक है, जिन किसानों के पास यह संख्या नहीं है वह कृषि विभाग के DBT पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीयन करा सकते हैं। इसके बाद किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए http://farmech.bih.nic.in पर जाकर आवेदन करना होगा।

किसान अपनी इच्छा अनुसार कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के सम्बंध में अधिक जानकारी के लिए अपने प्रखंड कृषि पदाधिकारी/ सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण)/ ज़िला पदाधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।

सब्सिडी पर कृषि यंत्र हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

लास्ट डेट: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए जल्द करें यह काम

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लास्ट डेट

देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों से, खड़ी फसल (बुवाई से कटाई) में सूखा, बाढ़, जल प्लावन, कीट एवं व्याधि, भू-स्खलन, प्राकृतिक आग एवं बिजली का गिरना, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात, आंधी, फसल कटाई उपरांत सूखने के लिए खेत में काटकर फैलाकर छोड़ी गई फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, असामयिक वर्षा तथा ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान के लिए कटाई उपरांत अधिकतम 2 सप्ताह (14 दिन) की अवधि के लिए, अधिसूचित क्षेत्र के आंशिक कृषि भूमि क्षेत्र में ओलावृष्टि, भू-स्खलन, बादल फटना, प्राकृतिक आग एवं जल प्लावन से व्यक्तिगत आधार पर हुए नुकसान आदि पर बीमा क्लेम दिया जाता है।

ऐसे में किसानों को अपने खेतों में लगाई गई फसलों का बीमा अवश्य कराना चाहिए ताकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्णित जोखिम की स्थिति में बीमित कृषकों को बीमा क्लेम का उचित लाभ मिल सकें। अभी कई राज्यों में रबी फसलों का बीमा किया जा रहा है। इन राज्यों के ऋणी, गैर ऋणी एवं बंटाईदार किसान स्वैच्छिक आधार पर अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं।

इन राज्यों के किसान 31 दिसंबर तक करा सकते हैं फसल बीमा

अभी मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, हरियाणा, असम आदि राज्य के गैर ऋणी एवं बंटाईदार कृषक स्वैच्छिक आधार पर करा सकते हैं। इन राज्यों में फसलों का बीमा नामांकन कराने की अन्तिम तिथि 31 दिसम्बर, 2022 तक है। रबी सीजन की मुख्य फसलें सिंचित एवं असिंचित गेहूं, चना, अलसी मसूर एवं राई/ सरसों, सूरजमुखी, तारामीरा, इसबगोल, आलू, मटर, जौ, मक्का, जीरा, मेथी आदि राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में बोई जाने वाली मुख्य फसलें शामिल हैं। फसल बीमा योजना के तहत पंजीयन कराते समय किसान अपने जिले या ब्लॉक में अधिसूचित फसलों की जानकारी देख लें।

किसानों को कितना प्रीमियम देना होगा? 

सभी अधिसूचित फसल उगाने वाले गैर ऋणी किसान, जो योजना में सम्मिलित होने के इच्छुक हो। वे बुआई पुष्टि प्रमाण पत्र क्षेत्रीय पटवारी या ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा सत्यापित कराकर एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना में सम्मिलित हो सकते है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत कृषक प्रीमियम राशि, बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम राशि निर्धारित है।

किसान कहाँ से करें फसल बीमा योजना के लिए पंजीयन

नामांकन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए किसानों को आधार संख्या, बैंक पासबुक, भूमि रिकॉर्ड / किरायेदारी समझौते, और स्व-घोषणा प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इच्छुक किसान अपने नजदीकी बैंक, प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी, कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) csc/ ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई), कृषि विभाग के कार्यालय, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि या सीधे राष्ट्रीय फसल योजना एनसीआईपी के पोर्टल www.pmfby.gov.in और फसल बीमा ऐप (https://play.google.com/store/apps/details?id=in.farmguide.farmerapp.central) के माध्यम से ऑनलाइन कर सकता है। बीमा के संबंध में कोई भी जानकारी के लिए किसान भाई फसल बीमा कंपनी के टोल फ्री नम्बर पर कॉल करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं या केंद्र सरकार के टोल फ्री नंबर 18001801551 पर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

गन्ना किसानों को 15 जनवरी तक बकाया भुगतान करने के लिए चीनी मिलों को दिए निर्देश

गन्ना किसानों को भुगतान के लिए निर्देश

चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान नहीं किए जाने के चलते गन्ना किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसके बाबजूद भी कई किसानों को पेराई सत्र 2021-22 का भुगतान नहीं किया गया है। जिसको लेकर उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चौधरी की अध्यक्षता में प्रदेश की समस्त निजी सहकारी एवं निगम क्षेत्र की चीनी मिल समूहों के ग्रुप हेड तथा एकल इकाईयों के महाप्रबन्धक/यूनिट हेड्स एवं वित्त नियंत्रकों के साथ चीनी मिलवार गन्ना मूल्य भुगतान की समीक्षा की गयी।

इस क्रम में राज्य के गन्ना विकास विभाग ने भुगतान के मुद्दे पर सख्त रूख अपना लिया है। विभाग ने समस्त चीनी मिलों को 15 जनवरी, 2023 तक गन्ना मूल्य भुगतान करने के निर्देश दिये हैं। गन्ना मूल्य भुगतान पर केंद्रित समीक्षा बैठक में गन्ना विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ सभी चीनी मिलों के मुख्य वित्त अधिकारी एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

पेराई सत्र 2021-22 का अवशेष भुगतान करने के निर्देश

समीक्षा बैठक में गन्ना मंत्री द्वारा चीनी मिलों को पेराई सत्र 2021-22 के अवशेष गन्ना मूल्य का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने हेतु निर्देश दिये गये। गन्ना मंत्री ने चीनी मिल प्रतिनिधियों को आदेशित करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार चीनी मिलों को समय से भुगतान करने के लिए समस्त आवश्यक सुविधाएं प्रदान कर रही है, ऐसी स्थिति में चीनी मिलों को भी किसानों को प्राथमिकता के आधार पर गन्ना मूल्य भुगतान करना होगा। 

गन्ना मूल्य भुगतान की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि पेराई सत्र 2021-22 के कुल देय गन्ना मूल्य का लगभग 75 प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान अब तक किया जा चुका है तथा अवशेष गन्ना मूल्य भुगतान हेतु चीनी मिलों को त्वरित गति से भुगतान करना होगा, जो चीनी मिलें गन्ना मूल्य का त्वरित भुगतान नहीं करेंगी, उनके विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराते हुए बकाया गन्ना मूल्य भुगतान हेतु वसूली प्रमाण पत्र भी निर्गत किये जाने की कार्रवाई भी अमल में लायी जायेगी। इसके अतिरिक्त भुगतान में लापरवाह चीनी मिलों को आवंटित गन्ने में भी कटौती की जाएगी।

भुगतान न करने पर चीनी मिलों पर की जाएगी कार्यवाही

चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने कहा कि चीनी मिलें एवं गन्ना किसान एक दूसरे के पूरक हैं तथा गन्ना किसान एवं उनका परिवार अपने आर्थिक जरूरतों के लिए चीनी मिलों पर आश्रित है, इसलिए चीनी मिलों को सदैव गन्ना मूल्य भुगतान एवं अन्य व्यवस्थाओं के सुधार हेतु प्रयासरत रहना चाहिए। उन्होंने गन्ना मंत्री जी को विभाग की ओर से आश्वासन दिया गया कि 15 जनवरी, 2023 तक गन्ना मूल्य भुगतान न किये जाने पर चीनी मिलों पर एफ.आई.आर. करायी जायेगी।

कस्टम हायरिंग केंद्र एवं कृषि यंत्र बैंक की स्थापना के लिए सरकार दे रही है 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी, इस तरह करें आवेदन

अनुदान पर कस्टम हायरिंग केंद्र एवं कृषि यंत्र बैंक की स्थापना हेतु आवेदन 

सरकार द्वारा सभी किसानों तक आधुनिक कृषि यंत्रों की पहुँच बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कस्टम हायरिंग केंद्र, कृषि यंत्र बैंक एवं हाई टेक हब की स्थापना की जा रही है। जिससे किसानों को किराए पर महँगे कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा सकें, इसके साथ ही इन केंद्रों की स्थापना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में भी वृद्धि की जा सकेगी। अधिक से अधिक व्यक्तियों को इन केंद्रों की स्थापना करने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा भारी सब्सिडी भी दी जा रही है।

इस क्रम में बिहार सरकार द्वारा राज्य में कृषि यंत्र बैंक/ कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। राज्य के इच्छुक व्यक्ति 31 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं। सरकार ने राज्य में अलग-अलग ज़िलों में कस्टम हायरिंग केंद्र/ कृषि यंत्र बैंक को तीन श्रेणी में रखा है, जिसके अंतर्गत इच्छुक व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

कृषि यंत्र बैंक/ कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु अनुदान Subsidy

राज्य में कृषि यंत्र बैंक/ कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए कुल 150 लक्ष्य जारी किए गए हैं। इसके लिए राज्य के सभी ज़िलों के व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत लाभार्थी व्यक्ति कुल 10 लाख रुपए तक की लागत से कृषि यंत्र बैंक/ कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना कर सकता है, जिस पर लाभार्थी को 40 प्रतिशत अनुदान अधिकतम 4 लाख रुपए तक की राशि दी जाएगी। 

कृषि यंत्र बैंक/ कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए राज्य के प्रगतिशील किसान/ ग्रामीण उद्यमी, जीविका के समूह/ग्राम संगठन/ क्लस्टर फ़ेडरेशन, आत्मा से सम्बंध फ़ार्मर इंट्रेस्ट ग्रूप (FIG), नाबार्ड/ राष्ट्रीयकृत बैंक से सम्बंधित किसान क्लब, Farmer Producer Organization (FPO) एवं स्वयं सहायता समूह के व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं।

कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु कौन से कृषि यंत्र खरीदना होगा?

प्रत्येक कृषि यंत्र बैंक/ कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए फसल चक्र के अनुसार ट्रैक्टर चलित या स्वचलित जुताई, बुआई, रोपनी, हार्वेस्टिंग एवं थ्रेसिंग की प्रत्येक क्रियाओं का कम से कम एक-एक कृषि यंत्र लेना अनिवार्य है।

चयनित ग्रामों में कृषि यंत्र बैंक की स्थापना हेतु अनुदान Subsidy

कृषि यंत्र बैंक के लिए राज्य सरकार ने इस वर्ष कुल 160 लक्ष्य जारी किए गए हैं। जिसके तहत राज्य के अरवल, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, गोपालगंज, जहानाबाद, कैमूर, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मधुबनी, मुंगेर, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पटना, पूर्वी चंपारण, रोहतास, सहरसा, समस्तीपुर, सारण, शिवहर, सीवान, सुपौल, एवं वैशाली ज़िलों के व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत लाभार्थी व्यक्ति कुल 10 लाख रुपए तक की लागत से कृषि यंत्र बैंक की स्थापना करनी होगी, जिस पर लाभार्थी व्यक्ति को 80 प्रतिशत अनुदान अधिकतम 8 लाख रुपए की राशि दी जाएगी।

योजना के अंतर्गत जीविका के समूह/ग्राम संगठन/ क्लस्टर फ़ेडरेशन, आत्मा से सम्बंध फ़ार्मर इंट्रेस्ट ग्रूप (FIG), नाबार्ड/ राष्ट्रीयकृत बैंक से सम्बंधित किसान क्लब, Farmer Producer Organization (FPO) एवं स्वयं सहायता समूह के व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। प्रत्येक कृषि यंत्र बैंक के लिए फसल चक्र के अनुसार ट्रैक्टर चलित या स्वचलित जुताई, बुआई, रोपनी, हार्वेस्टिंग एवं थ्रेसिंग की प्रत्येक क्रियाओं का कम से कम एक-एक कृषि यंत्र लेना अनिवार्य है।

फसल अवशेष प्रबंधन हेतु स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु अनुदान Subsidy

राज्य सरकार ने राज्य के कुछ चयनित ज़िलों के लिए 21 स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु लक्ष्य जारी किए हैं। इसमें औरंगाबाद, भोजपुर, बक्सर, गया, कैमूर, नालंदा, नवादा, पटना एवं रोहतास जिले शामिल हैं। सरकार ने स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु 20 लाख रुपए की लागत तय की है, जिस पर लाभार्थी को 55 PTO HP तक के ट्रैक्टर पर 40 प्रतिशत अधिकतम 3.40 लाख रुपए का अनुदान देय है जबकि अन्य यंत्रों पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसमें लाभार्थी को अधिकतम 12 लाख रुपए तक का अनुदान दिए जाने का प्रावधान है।

योजना के अंतर्गत जीविका के समूह/ग्राम संगठन/ क्लस्टर फ़ेडरेशन, आत्म से सम्बंध फ़ार्मर इंट्रेस्ट ग्रूप (FIG), नाबार्ड/ राष्ट्रीयकृत बैंक से सम्बंधित किसान क्लब, Farmer Producer Organization (FPO) एवं स्वयं सहायता समूह के व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। प्रत्येक कृषि यंत्र बैंक के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के चिन्हित यंत्रों में से कम से कम 3 यंत्रों का क्रय करना अनिवार्य है।

कस्टम हायरिंग सेंटर/कृषि यंत्र बैंक पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

बिहार राज्य के इच्छुक व्यक्ति कस्टम हायरिंग सेंटर/कृषि यंत्र बैंक की स्थापना के लिए ऑनलाइन आवेदन 30 दिसम्बर 2022 से 31 जनवरी 2023 के दौरान अपनी सुविधा अनुसार कहीं से भी कर सकते हैं। योजना में आवेदन के लिए इच्छुक व्यक्ति/ समूह के पास कृषि विभाग के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण DBT पर पंजीकरण होना अनिवार्य है | पंजीकरण के बाद किसानों को जो पंजीकरण संख्या प्राप्त होगी उसकी मदद से किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन कृषि विभाग के वेबसाईट http://farmech.bih.nic.in पर करना होगा। इस योजना से जुडी विशेष जानकारी के लिए संबंधित जिले के सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण)/ जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

सब्सिडी पर कृषि यंत्र बैंक/ कस्टम हायरिंग केंद्र हेतु ऑनलाइन आवेदन के लिए क्लिक करें।

10 लाख किसानों को मिलेगी सौगात, 29 दिसंबर को दी जाएगी 3500 रुपए की राशि

किसानों को 3500 रुपए का भुगतान

इस वर्ष मानसून की अनिश्चितता के चलते किसानों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से सहायता दी जा रही है। इस कड़ी में झारखंड सरकार राज्य में सूखे की मार झेल रहे किसानों को 3500 रुपए की राहत राशि देने जा रही है। राज्य में 27 दिसंबर को राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला 2022 का आयोजन किया गया, उसमें यह जानकारी दी गई।

इस अवसर पर झारखंड कृषि मंत्री श्री बादल ने बताया कि 461 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के तहत सभी जिलों को आवंटित कर दिए गए हैं। झारखंड सरकार ने राज्य के 22 ज़िलों के 226 प्रखंडो को सूखाग्रस्त घोषित किया है। जिसके तहत इन ज़िलों के किसानों को यह सहायता राशि दी जाएगी।

29 दिसंबर के दिन जारी की जाएगी 3500 रुपए की सहायता राशि

निबंधक सहकारी समिति श्री मृत्युंजय वर्णवाल ने बताया कि खरीफ के बाद सुखाड़ हुआ है। अब बीज का वितरण करके आगामी फसल की तैयारी करनी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखाड़ योजना के तहत 461 करोड़ रुपए का आवंटन हो चुका है और 29 दिसंबर तक लगभग 10 लाख किसानों के खाते में 3500 रुपए ट्रांसफर किए जाएंगे। इसके लिए 5.75 लाख किसान परिवार का डाटा उपायुक्त स्तर से अप्रूव हो चुका है।

किसानों को 90 फ़ीसदी अनुदान पर दिए जा रहे हैं बीज

कृषि निदेशक श्रीमती निशा उरांव ने कहा कि 226 प्रखंड सुखाड़ की चपेट में थे, जिन्हें सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया। इसके लिए केंद्र सरकार से हमने 9000 करोड़ रुपए की मांग की है। इस बार हमने प्रत्येक प्रखंड के 10 गांव का स्थल निरीक्षण किया, साथ ही 5 गांव की जियो टैगिंग भी सुनिश्चित की गई। उसके बाद इन क्षेत्रों को सुखाड़ घोषित करने की अनुशंसा केंद्र को भेजी गई है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार बीज वितरण में 90 फ़ीसदी और 100 फ़ीसदी अनुदान दे रही है, जबकि पिछले साल तक यह अनुदान 50% ही था। इस बार हमने 80 हजार क्विंटल बीज वितरण किया है, जो कि एक रिकॉर्ड है। बीज वितरण के काम में एफपीओ को लगाया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। कई नए एफपीओ को लाइसेंस भी दिया गया है।

वर्ष 2022: जानिए इस वर्ष देश में किसानों को सब्सिडी पर कितने कृषि यंत्र दिए गए

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कृषि यंत्र अनुदान 2022

कृषि का आधुनिकीकरण करने और खेती के कार्यों की नीरसता को कम करने के लिए कृषि यंत्रीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन, देश में किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते किसान कृषि यंत्र नहीं खरीद पाते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा किसानों को भूमि की तैयारी, बुआई, कटाई, फसल अवशेष प्रबंधन एवं प्रोसेसिंग के लिए सब्सिडी पर कृषि यंत्र दिए जाते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। वर्ष 2022 समाप्त होने वाला है, इस बीच केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा देश में कृषि यंत्रीकरण के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा जारी की गई है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय द्वारा जारी वर्षांत समीक्षा 2022 में देश में चल रही कृषि यंत्रीकरण योजना की प्रगति की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है की इस वर्ष देश में अभी तक कितने कृषि यंत्र किसानों को सब्सिडी पर दिए गए हैं, साथ ही अभी देश में कितने कस्टम हायरिंग केंद्र, हाई-टेक हब एवं फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना की गई है। 

वर्ष 2022 में कितने कृषि यंत्रों की खरीद पर दिया गया अनुदान Subsidy

वर्षांत समीक्षा 2022 में बताया गया है कि 2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि यंत्रीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। जिसमें जनवरी, 2022 तक किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गई मशीनों और उपकरणों की संख्या 13,78,755 थी, जो दिसम्‍बर, 2022 में बढ़कर 13,88,314 हो गई है। अर्थात् वर्ष 2022 में जनवरी से लेकर अभी तक कुल 9,559 कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी गई है। 

कस्टम हायरिंग केंद्र, हाई टेक हब एवं फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना

किसानों को किराये पर मशीनें और उपकरण उपलब्‍ध कराने के लिए दिसम्‍बर, 2022 में 18,824 कस्टम हायरिंग सेंटर, 403 हाई-टेक हब और 16,791 फार्म मशीनरी बैंक काम कर रहे हैं, जबकि जनवरी, 2022 तक 16,007 कस्टम हायरिंग सेंटर, 378 हाई-टेक हब और 16309 कृषि मशीनरी बैंक उपलब्ध थे। अर्थात् इस वर्ष देश में 2817 कस्टम हायरिंग केंद्र, 25 हाई-टेक हब और 421 कृषि मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है।

चालू वर्ष 2022-23 के दौरान 65302 मशीनों का सब्सिडी पर वितरण करने के लिए, अब तक लगभग 504.43 करोड़ रुपये की राशि 2804 सीएचसी, 12 हाई-टेक हब और 1260 ग्राम स्तरीय फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना के लिए जारी की जा चुकी है।

पराली प्रबंधन के लिए इस वर्ष जारी किए गए 698.10 करोड़ रुपए

फसलों की पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और एनसीटी दिल्ली की सरकार के प्रयासों में सहयोग करने के लिए, 2018-19 से 2021-22 तक की अवधि के दौरान इन राज्यों को मशीनीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से पराली प्रबंधन के लिए 2440.07 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। फसलों की पराली प्रबंधन मशीनों के 38,422 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित किए गए हैं और इन चार राज्यों के इन सीएचसी और अलग-अलग किसान को 2.07 लाख से अधिक मशीनों की आपूर्ति की गई है। 

चालू वर्ष में, 698.10 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है और राज्यों ने फसलों की पराली के मूल स्‍थान और बाहर प्रबंधन के लिए 47,500 फसल पराली प्रबंधन मशीनों की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा है।

किसानों को सब्सिडी पर दिए गए 239 ड्रोन

उप-मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन (एसएमएएम) योजना के अंतर्गत किसान ड्रोन प्रचार के लिए 124.26 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है, जिसमें 79,070 हेक्टेयर भूमि में उनके प्रदर्शन के लिए 317 ड्रोन की खरीद और सब्सिडी पर किसानों को 239 ड्रोन की आपूर्ति और किराए पर किसानों को ड्रोन सेवाएं प्रदान करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को 1,519 ड्रोन की आपूर्ति की गई।

कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में किसानों को दी जा रही है सरकारी योजनाओं की जानकारी

कृषि विभाग द्वारा किया जा रहा है प्रदर्शनियों का आयोजन

सरकार द्वारा किसानों को समय-समय पर कृषि क्षेत्र में किए जा रहे नए-नए कार्यों, नई तकनीकों एवं सरकार द्वारा किसान हित में चलाई जा रही योजनाओं से अवगत कराने के लिए कृषि प्रदर्शनियों अथवा मेले का आयोजन किया जाता है। जहां कृषि वैज्ञानिकों, कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा कृषि सम्बंधित विभिन्न जानकारी प्रदान की जाती है। ऐसे ही राजस्थान कृषि विभाग द्वारा सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर प्रदेश भर में प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है।

राजस्थान कृषि विभाग द्वारा आयोजित इन कृषि प्रदर्शनियों में किसानों को विभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं की जानकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा मौके पर दी जा रही है। इन फोटो प्रदर्शनी का प्रदेश भर में लगभग 1 लाख 40 हजार से अधिक किसानों द्वारा अवलोकन किया गया और योजनाओं की जानकारी ली गई है।

फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को दी जा रही है जानकारी

कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि प्रदर्शनियों में किसानों के लिए विशेष रुप से बायोपेस्टिसाइड, जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट एवं मृदा स्वास्थ्य की जानकारी के साथ-साथ मौके पर मिट्टी, पानी की जांच लैब भी प्रदर्शित की गई है।

कृषि विभाग के स्टॉलों पर विभाग द्वारा विभिन्न विभागीय योजनाओं की प्रदर्शनी लगाई गई है, जिनमें सिंचाई पाइप लाइन, प्रधानमंत्री कृषक ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान योजना, राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन योजना, राज किसान साथी पोर्टल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राजस्थान कृषि तकनीक मिशन, राजस्थान कृषि बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन, राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन, राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, ग्रीन हाउस एवं शेडनेट हाउस की स्थापना, कृषि ज्ञान धारा कार्यक्रम, सॉइल हेल्थ कार्ड और जैविक खेती की जानकारी और किए गए कार्यों की फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से जानकारी दी जा रही है।

प्रगतिशील किसानों के द्वारा लाए गये उत्पादों का भी किया जा रहा है प्रदर्शन

कृषि आयुक्त ने बताया कि प्रदर्शनी में विभिन्न जिलों में प्रगतिशील किसानों द्वारा लाए गए उत्पाद भी प्रदर्शित किए गए हैं। जिनमें जालौर से श्री बेना राम द्वारा लाए जैविक अनार, श्री गंगानगर के किसान श्री ओमप्रकाश के अंजीर के उत्पाद, सीकर के श्री राजकुमार शर्मा की मशरुम, कोटा के किसान श्री नरेंद्र द्वारा लाए गए सरसों व अजवान का जैविक शहद और कोटपुतली से आए कृषक श्री कैलाश चंद के उपज के आंवला और एलोवेरा के उत्पादों में आगंतुकों ने खास रुचि दिखाई।

जैविक खेती और नवाचार के लिए राजस्थान के सांभर उपखंड के रहने वाले कृषक गंगाराम सेपट ने दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया। इनके द्वारा लाए गए जैविक स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ वे ब्रोकली, लेट्युस, खीरा, मिर्ची, स्वीट कॉर्न, टिंडे और चेरी टमाटर प्रदर्शनी में चर्चा के विषय रहे।

अनुदान पर सूक्ष्म सिंचाई आधारित फलों की खेती करने के लिए आवेदन करें

अनुदान पर फलों की खेती

खेती में वर्षा की अनिश्चितता के कारण कई किसान वर्ष भर में एक से अधिक फसल नहीं ले पाते हैं, जिससे खेत खाली रह जाता है और किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में सरकार द्वारा ऐसी फसलों एवं कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दे रही है जिनसे किसान कम पानी का उपयोग कर वर्ष भर उत्पादन प्राप्त कर सकें। इस कड़ी में बिहार सरकार ने ड्रिप सिंचाई से फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई योजना शुरू की है।

बिहार सरकार ने बागवानी के लिए सात निश्चय-2 के तहत सूक्ष्म सिंचाई आधारित शुष्क बागवानी योजना शुरू की है। योजना का मुख्य लक्ष्य सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से कम वर्षा वाले क्षेत्र में फल पौधे को बढ़ावा देना है। योजना के तहत उन फलदार पेड़ों को प्राथमिकता दी जाएगी जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देते हैं। किसान योजना के तहत इन पौधों को अपने खेतों की मेड़ों पर भी लगा सकते हैं जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त होगी। राज्य के उद्यानिकी विभाग द्वारा इच्छुक किसानों से आवेदन माँगे गए है।

यह किसान कर सकते योजना के तहत आवेदन

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (सूक्ष्म सिंचाई) आधारित शुष्क बागवानी योजना का लाभ राज्य के सभी ज़िलों के छोटे तथा बड़े किसान उठा सकते हैं। योजना 0.1 हेक्टेयर से 4 हेक्टेयर भूमि में अपने इच्छानुसार फल पौध का चयन कर आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ कृषक अपने खेत के मेड़ पर भी ले सकते हैं। किसानों को आवश्यकतानुसार सामुदायिक नलकूप का लाभ दिया जाएगा। 

किसान खेत की मेड़ पर भी लगा सकते हैं अनुदान पर फलदार पौधे

किसान योजना का लाभ अपने निजी भूमि के साथ-साथ अपने खेत के मेड़ पर भी ले सकते हैं। जिसमे ड्रिप सिंचाई का संस्थापन अनिवार्य रूप से होना चाहिए। मेड़ पे लगाये जाने वाले पौधे के समानुपातिक रकबा ही मान्य होगा। किसान न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर एवं अधिकतम 4 हेक्टेयर में अपने इच्छानुसार फल पौध का चयन एवं आवेदन करने के लिए स्वतंत्र होगें।

यह योजना इन फलों की खेती करने पर लागू है 

शुष्क बागवानी योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी 38 ज़िलों में किया जाएगा। योजना के तहत ज़िलेवार योजना संचालन हेतु 2400 किसानों को सेंटर ऑफ़ एक्सेलेंस द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। आवेदन के जाँच के उपरांत सभी शर्तों को पूरा करने वाले किसानों को सेंटर ऑफ़ एक्सेलेंस, देसरी, वैशाली से फल पौध यथा आँवला, बेर, जामुन, कटहल, बेल अनार, नींबू, एवं मीठा नींबू आदि कृषकों को उपलब्ध कराया जाएगा। किसान अपनी इच्छा अनुसार फल पौध का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे। फल पौध के अनुदान की राशि योजना की राशि से काटकर सेंटर ऑफ़ एक्सेलेंस, देसरी, वैशाली को उपलब्ध करा दी जाएगी।

फलों की बागवानी पर कितना अनुदान Subsidy दी जाएगी

इस योजना अंतर्गत फल फसलों हेतु 60,000 रूपये प्रति हेक्टेयर की लागत निर्धारित की गई है। इस पर हितग्राही को 50 प्रतिशत अधिकतम 30,000 रूपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा। हितग्राही को मिलने वाला अनुदान तीन किस्तों में दिया जाएगा। अनुदान की पहली किश्त पहले वर्ष 60 प्रतिशत यानि 18,000 रूपये , दुसरे वर्ष 20 प्रतिशत यानि 6,000 रूपये तथा तीसरे वर्ष 20 प्रतिशत यानि 6,000 रूपये के रूप में दी जाएगी। यह बात ध्यान रखना होगा की पहली किश्त के बाद शेष किस्तें लगाए गये पौधे की उपलब्धता के आधार पर अगले दो वित्तीय वर्ष में देय होगी।

वही बिहार सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत ड्रिप सिंचाई पद्धति तथा स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति के लिए राज्य के सभी वर्गों को 90 प्रतिशत का अनुदान दे रही है। शुष्क बागवानी योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ड्रिप सिंचाई का भी लाभ दिया जाएगा इसके लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

सामुदायिक नलकूप पर दिया जाएगा शत प्रतिशत अनुदान

किसानों को आवश्यकतानुसार सामुदायिक नलकूप का लाभ भी दिया जाएगा। सामुदायिक नलकूप हेतु डैशबोर्ड पर जाकर सामुदायिक नलकूप योजना में आवेदन किया जा सकता है। किसानों के आवश्यकतानुसार सामुदायिक नलकूप का भी अधिष्ठापन किया जाएगा, जो राज्य स्कीम मद से संचालित सामुदायिक नलकूप योजना अंतर्गत 100 प्रतिशत अनुदान से प्रति पूरित किया जाएगा। सामुदायिक नलकूप योजना का लाभ समूह में योजना लेने वाले किसानों को ही दिया जाएगा।

किसानों को प्रति हेक्टेयर कितने पौधे उपलब्ध कराए जाएँगे?

योजना में आवेदन का रकवा डेसीमल में किया जाएगा। बिहार के सभी जिलों के लिए 250 डेसीमल = 1 हेक्टेयर = 2.5 एकड़ होता है। किसान विभिन्न प्रकार के फलों की पेड़ की दुरी इस प्रकार रखें:-

पौध का नाम 

पौधों की दुरी 

कुल पौधा प्रति हैक्टेयर 

आंवला 

6×6 

278 

बेर 

6 × 6 

278 

कटहल

10 × 10 

100 

जामुन 

8 × 8 

156 

बेल 

8 × 8 

156 

अनार 

5 × 5 

400 

नींबू 

5 × 5 

400 

मीठा नींबू 

5 × 5 

400  

अनुदान पर फलों की खेती के लिए आवेदन कहाँ करें?

यह योजना का क्रियान्वयन बिहार उद्यानिकी विभाग द्वारा किया जा रहा है। योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को पहले प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना(सूक्ष्म सिंचाई) हेतु आवेदन http://horticulture.bihar.gov.in/PMKSYMI/default.aspx पोर्टल पर करना होगा। उसके बाद ही किसान इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (सूक्ष्म सिंचाई) योजना के लिए आवेदन करने के बाद किसान http://horticulture.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। 

गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से होगी सरकारी भवनों को पुताई, जानिए क्या है गोबर से बने पेंट की कीमत

लोक निर्माण विभाग ने गोबर से बने पेंट को किया एसओआर में शामिल

किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई गोधन न्याय योजना बहुआयामी साबित हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना के तहत गाँव में स्थापित किए गए गौठानों के माध्यम से 2 रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी और 4 रूपए लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही हैं।

गोठानों के माध्यम से खरीदे गए इस गोबर से कम्पोस्ट खाद के साथ-साथ अन्य सामग्री का निर्माण महिला समूहों द्वारा किया जा रहा हैं। गौमूत्र से फसल कीटनाशक और जीवामृत तैयार किया जा रहा है। हाल ही में राज्य में गोबर से प्राकृतिक पेंट के उत्पादन की शुरूआत रायपुर के समीप स्थित हीरापुर जरवाय गौठान से हुई है। जिसको लेकर लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता ने विभागीय अधिकारियों को सभी शासकीय भवनों के रंग-रोगन में केमिकल पेंट के बदले गोबर से बनने वाले प्राकृतिक पेंट का अनिवार्य रूप से उपयोग करने का निर्णय लिया है।

सरकारी भवनों में होगा गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का उपयोग

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश के परिपालन में लोक निर्माण विभाग ने गौठानों में गोबर से उत्पादित प्राकृतिक पेंट को विभागीय निर्माण कार्यों के एसओआर में शामिल कर लिया है। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता ने विभागीय अधिकारियों को सभी शासकीय भवनों के रंग-रोगन में केमिकल पेंट के बदले गोबर से बनने वाले प्राकृतिक पेंट का अनिवार्य रूप से उपयोग करने के निर्देश दिए है।

लोक निर्माण विभाग द्वारा नव निर्मित भवनों के दो या दो से अधिक कोट्स की वॉशेबल डिस्टेम्पर से पुताई के लिए प्रति वर्ग मीटर 53 रूपए तथा पुराने भवनों के लिए 30 रूपए प्रति वर्ग मीटर की दर निर्धारित की गई है। इसी तरह गोबर से निर्मित प्रीमियम ईमलशन पेंट से नवनिर्मित वॉल पेंटिंग की दर 69 रूपए प्रति वर्ग मीटर तथा पुराने भवन के लिए प्रति वर्ग मीटर 41 रूपए की दर निर्धारित की गई है।

गोबर से बनाया जा रहा है प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी

छतीसगढ़ में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए 9619 गांवों में गौठानों की स्थापना की गई है, जिसमें से राज्य के 75 गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी निर्माण की इकाईयां तेजी से स्थापित की जा रही है। इन इकाईयों के पूर्ण होने पर प्रतिदिन 50 हजार लीटर तथा साल भर में 37 लाख 50 हजार लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होगा। गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बोक्सी मिथाईल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है।

राजधानी रायपुर के समीप स्थित हीरापुर जरवाय गौठान में महिला समूह ने गोबर से प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी तैयार करने के काम में 22 महिलाएं जुड़ी है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती धनेश्वरी रात्रे ने बताया कि गाय के गोबर पहले डी वाटर कर्लिंग मशीन में डाला जाता है और पानी मिलाकर घोल तैयार कर उसमें कई अन्य सामग्री मिलाई जाती है, फिर इन सब को हाई स्पीड डिस्पेंसर मशीन में मिक्स किया जाता है। इसके बाद पेंट और पुट्टी तैयार होती है। जरवाय गौठान में लगी मशीन से आठ घंटे में एक हजार लीटर पेंट तैयार किया जा सकता है। 

क्या है गोबर से बने प्राकृतिक पेंट की कीमत Price

गोबर से तैयार प्राकृतिक पेंट की कीमत 230 रूपए प्रति लीटर रखी गई है, जो मार्केट में कम्पनियों के पेंट के मूल्य से लगभग आधी है। इसकी क्वालिटी ब्रांडेड कम्पनी के जैसी है। हीरापुर जरवाय गौठान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 25 लाख रुपए की मशीनें लगाई गई हैं।

उल्लेखनीय है कि गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण के लिए 21 नवम्बर 2021 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली और छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के मध्य हुआ है।