चने में उकठा या विल्ट रोग का नियंत्रण
चना एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। रबी सीजन में देश के कई राज्यों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। ऐसे में किसानों की आमदनी में यह फसल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चने की फसल से अच्छी आमदनी प्राप्त करने के लिए आवश्यक है की इसे कीट-रोगों से बचाया जाए। चने की फसल में उकठा या विल्ट रोग प्रमुख है। यह रोग प्रमुख रूप से चने की फसल को हानि पहुंचाता है। इस रोग का प्रकोप इतना भयावह है कि पूरा खेत इसकी चपेट में आ जाता है।
उकठा रोग का प्रमुख कारक फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम नामक फफूँद है। यह मृदा तथा बीज जनित बीमारी है, जिसकी वजह से चने की पैदावार में 10-12 प्रतिशत तक की कमी आती है। यह रोग पौधे में फली लगने तक किसी भी अवस्था में हो सकता है। इस रोग का प्रकोप उन क्षेत्रों में कम होता है जिन स्थानों में ठंड अधिक एवं लम्बे समय तक पड़ती है।
क्या है उकठा रोग के मुख्य लक्षण
शुरूआत में खेत में छोटे-छोटे हिस्सों में दिखाई देते है और धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाते है। इस रोग में पौधे के पत्तियाँ सुख जाती है उसके बाद पूरा पौधा ही मुरझा कर सुख जाता है। ग्रसित पौधे की जड़ के पास चिरा लगाने पर उसमें काली-काली संरचना दिखाई पड़ती है। रोग ग्रस्त पौधे की फलियाँ व बीज सामान्य पौधों की तुलना में समन्यता छोटें, सिकुड़े व बदरंग दिखाई पड़ते हैं।
इस तरह करें चने में उकठा रोग का नियंत्रण
- इस रोग के नियंत्रण के लिए चना की बुवाई उचित समय पर करना चाहिए।
- गर्मियों में मई से जून में गहरी जुताई करने से फ्यूजेरियम फफूंद का संवर्धन कम हो जाता है।
- मृदा का सौर उपचार करने से भी रोग में कमी आती है। पांच टन प्रति हेक्टेयर की दर से कम्पोस्ट का प्रयोग करना चाहिए।
- बीज को मिट्टी में 8 सेंटीमीटर की गहराई में बुवाई करना चाहिए।
- चना की उकठा रोग प्रतिरोधी किस्में लगाना चाहिए।
- उकठा रोग का प्रकोप कम करने के लिए तीन साल का फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए। सरसों या अलसी के साथ चना की अन्तर फसल लगाना चाहिए।
इन रासायनिक दवाओं का करें छिड़काव
चने में उकठा रोग के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाजोल 54 प्रतिशत डब्ल्यू, डब्ल्यू एफएस /4.0 मिलीलीटर, 10 किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करें। खड़ी फसल पर लक्षण दिखाई देने पर क्लोरोथालोनिल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी / 300 ग्राम एकड़ या कार्बेन्डाजिम, 12 प्रतिशत + मैनकोज़ब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी 500 ग्राम एकड़ की दर से 200 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव कर दें।