गन्ना बुआई के समय किसान रखें इन बातों का ध्यान, मिलेगी बंपर पैदावार

गन्ने की अधिक पैदावार के लिए किसान क्या करें

देश के कई राज्यों में किसानों द्वारा बसंतकालीन गन्ने की खेती प्रमुखता से की जाती है। ऐसे में किसान नई वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर गन्ने की पैदावार के साथ ही अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। अभी की जाने वाली बसंतकालीन गन्ना बुआई को लेकर उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग श्री संजय भूसरेड्डी ने गन्ना बुआई को लेकर विस्तृत एडवाइजरी जारी की है।

जारी एडवाइजरी में उन्होंने बताया कि विभाग की पंचामृत योजना के अंतर्गत पाँच घटक जिसमें ट्रेंच विधि द्वारा गन्ना बुआई, गन्ने के साथ सहफ़सली खेती, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप विधि द्वारा सिंचाई तथा ट्रेश मल्चिंग शामिल है। किसान इन घटकों को अपनाकर अपनी पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं। 

पंचामृत योजना के तहत बुआई से किसानों को होंगे यह लाभ

बसंतकाल में ट्रेंच विधि द्वारा गन्ना बुआई करके जहां 60-70 प्रतिशत जमाव प्राप्त कर सकते है, वहीं गन्ने के साथ मूँग व उड़द की सहफ़सली खेती द्वारा अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं। इन दलहनी फसलों को जड़ों में पाए जाने वाले बैक्टेरिया द्वारा वायुमंडलीय नत्रजन का अवशोषण कर मृदा उर्वरता में भी वृद्धि की जा सकती है। ड्रिप विधि द्वारा सिंचाई से जहां हम सिंचाई जल में बचत कर गन्ने की जड़ों के पास आवश्यक सिंचाई जल की पूर्ति कर उपज में अत्याधिक वृद्धि कर सकते हैं।

वहीं पेड़ी प्रबंधन तकनीक के अंतर्गत रैटून मैनेजमेंट डिवाइस द्वारा 20-25 प्रतिशत कम लागत में उतनी ही उपज प्राप्त कर सकते हैं। ट्रैश मल्चिंग द्वारा हम मृदा नमी को सरंक्षित कर मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण भी कर सकते हैं।

गन्ना बुआई के लिए सही समय क्या है?

गन्ना बुआई के बारे में अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि तापमान को ध्यान में रखते हुए 15 फरवरी से बसंतकालीन गन्ने की बुआई प्रारम्भ कर देना चाहिए एवं अधिकतम 30 अप्रैल तक गन्ना बुआई के काम को पूरा कर लेना चाहिए। गन्ना विकास विभाग द्वारा गठित महिला स्वयं सहायता समूहों को सुझाव दिया कि सिंगल बड विधि द्वारा नवीन गन्ना किस्मों की अधिक से अधिक पौध तैयार करना अभी से प्रारम्भ कर दें जिससे कि 25-30 दिन बाद उन पौधों का वितरण कृषकों में किया जा सके।

किसान गन्ने की इन नई विकसित किस्मों की करें बुआई

गन्ना विकास विभाग के सचिव ने बताया कि किसान “बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृत उपसमिति” द्वारा उत्तर प्रदेश हेतु स्वीकृत गन्ना किस्मों की ही बुआई करें, स्वीकृत किस्मों में उपज व चीनी परता में वृद्धि के साथ-साथ कीट व रोगों से भी लड़ने की क्षमता होती है। बसंतकालीन गन्ना बुआई हेतु नई गन्ना क़िस्में को.शा. 13235, को.15023, को.लख. 14201, को.शा. 17231, को.शा. 14233, को.शा. 15233, को.लख 14204, 15207 (मध्य एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश हेतु) को.लख. 15466 (पूर्वी उत्तर प्रदेश) यू.पी. (ऊसर भूमि हेतु) आदि की बुआई कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।

गन्ने की फसल में कितना खाद का छिड़काव करें

बसंतकालीन गन्ना बुआई में संतुलित रूप में उर्वरक के प्रयोग पर बल देते हुए गन्ना विकास विभाग के सचिव ने बताया कि उर्वरकों के प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करें। अन्यथा की दशा में 180 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 80 कि.ग्रा. फ़ास्फोरस, 60 कि.ग्रा. पोटाश तथा 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से करें। नाइट्रोजन की मात्रा को 03 हिस्सों में बाँटकर 03 अलग समय पर प्रयोग करना चाहिए।

इन तत्वों की पूर्ति हेतु बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 130 कि.ग्रा. यूरिया, 500 कि.ग्रा.सिंगल सुपर फास्फेट, 100 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश तथा 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट का प्रयोग करें। यूरिया की शेष 260 कि.ग्रा. मात्रा को बुआई के बाद एवं मानसून से पहले दो बार में टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें। इसके लिए नैनो यूरिया का उपयोग करने से उर्वरकों की दक्षता बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि गन्ने में फ़ास्फोरस की पूर्ति सिंगल सुपर फास्फेट से करने पर 11 प्रतिशत सल्फर की अतिरिक्त पूर्ति होती है जिससे उपज शर्करा प्रतिशत में वृद्धि होती है।

मृदा में कार्बनिक पदार्थों की पूर्ति हेतु प्रति हेक्टेयर की दर से 100 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद अथवा 50 क्विंटल प्रेसमड अथवा 25 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट के साथ 10 किलोग्राम पी.एस.बी. का प्रयोग खेत की तैयारी के समय अवश्य करें। कार्बनिक पदार्थों के प्रयोग से मृदा की जलधारण क्षमता व मृदा में सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि होती है जिससे मृदा की उर्वरता एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है। कीट नियंत्रण हेतु फिप्रोनिल 0.3 जी 20 कि.ग्रा.प्रति हेक्टेयर की दर से नालियों में पैडों के ऊपर डाल कर ढकें।

गन्ना बीज उपचार कैसे करें?

गन्ने की फसल में लाल सड़न एक बीज जनित बीमारी है अर्थात् इस बीमारी का प्राथमिक संक्रमण बीज गन्ने से होता है इसलिए किसान गन्ना बुआई से पूर्व बीज का उपचार अवश्य करें। बीज उपचार हेतु कार्बेन्डाजिम अथवा थायोफ़िनेट मेथिल 0.1 प्रतिशत की दर से 112 लीटर पानी में 112 ग्राम रसायन मिलाकर गन्ने के एक अथवा दो आँख के टुकड़ों को 10 मिनट तक शोधित करने के बाद बुआई करें। इस बीमारी से पूर्ण बचाव हेतु रोग रहित शुद्ध स्वस्थ विभागीय नर्सरी, पंजीकृत गन्ना बीज उत्पादकों की नर्सरी या अपने स्वस्थ खेत से ही बीज लेकर बुआई करें।

लाल सड़न रोग से संक्रमित खेत में कम से कम एक वर्ष तक गन्ना न बोयें तथा गन्ने के स्थान पर अन्य फसल की बुआई कर फसल चक्र अपनाएँ क्योंकि लाल सड़न रोग का रोगजनक बिना पोषक पौधे अर्थात् गन्ने के बिना भी 06 माह तक सक्रिय रहता है। संक्रमित गन्ने की पेड़ी न लें। 

कीट नियंत्रण के लिए क्या करें?

भूमिगत कीटों जैसे दीमक, व्हाइट ग्रब तथा रूट बोरर से बचाव हेतु जैविक कीटनाशक कवक मेटा राइजियम एनिसोपली व बवेरिया बैसियाना की 5 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर को 2 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर अवश्य प्रयोग करें।

खेत की तैयारी के समय गहरी जुताई कर अंतिम जुताई के समय यदि 10 कि.ग्रा. ट्राइकोडर्मा (अंकुश) को 2-3 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में प्रयोग करने से लाल सड़न रोग के रोगजनक “कोलेटोट्राइकम फल्केटम” का मृदा में संक्रमण नहीं होगा। जिससे लाल सड़न रोग फैलने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।

ट्राइकोडर्मा एक जैव उत्पाद है जो गन्ने की फसल को लाल सड़न रोग के साथ-साथ उकठा (विल्ट) एवं पाइन एप्पिल जैसे मृदाजनित रोगों से भी गन्ना फसल को बचाता है तथा इन रोगों के फफूँद को खाकर नष्ट कर देता है। 

सब्सिडी पर यह कृषि यंत्र लेने के लिए अभी आवेदन करें

कृषि यंत्र पर अनुदान हेतु आवेदन

खेती-किसानी में आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दिया जाता है। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा विभिन्न कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए जाते हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश कृषि विभाग द्वारा राज्य के किसानों को कृषि यंत्र पर अनुदान देने के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। जारी लक्ष्यों के विरुद्ध आवेदन कर किसान योजना का लाभ ले सकते हैं।

मध्य प्रदेश कृषि विभाग ने पावर वीडर, लेज़र लेंड लेवलर एवं विनोविंग फेन (ट्रेक्टर/मोटर ऑपरेटेड) के जिलेवार लक्ष्य जारी किये हैं। जारी लक्ष्यों के विरुद्ध आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। राज्य के सभी वर्गों के किसान इन कृषि यंत्रों के लिए 12 फरवरी 2023 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्राप्त आवेदनों में से लक्ष्यों के विरूद्ध लॉटरी दिनांक 13 फरवरी 2023 निकाली जाएगी।

कृषि यंत्रों पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

मध्यप्रदेश में किसानों को अलग-अलग योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों पर किसान वर्ग एवं जोत श्रेणी के अनुसार अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है, जो 40 से 50 प्रतिशत तक है। इसमें किसान जो कृषि यंत्र लेना चाहते हैं वह किसान ई- कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

किसानों को कृषि यंत्र के लिए डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) जमा करना होगा

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को स्वयं के बैंक खाते से निम्नानुसार धरोहर राशि का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) सम्बंधित जिले के सहायक कृषि यंत्री के नाम से बनवाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। पंजीयन में डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) निश्चित राशि से कम का होने पर आवेदन अमान्य किया जाएगा। अलग-अलग कृषि यंत्रों के लिए किसानों को इतनी धरोहर राशि का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) बनवाना होगा :-

  • लेज़र लेंड लेवलर – 10,000 रुपए
  • पावर वीडर – 5,000 रुपए
  • विनोविंग फेन (ट्रेक्टर/मोटर ऑपरेटेड)- 5,000 रुपए

इन किसानों को नहीं करना होगा पंजीयन

इस वर्ष जिन भी किसानों ने पूर्व में कृषि यन्त्र पावर वीडर एवं विनोविंग फेन ( ट्रेक्टर/मोटर ऑपरेटेड ) हेतु पंजीयन किये थे परन्तु उनका चयन लॉटरी में नहीं हुआ। उन सभी कृषकों को पुनः पंजीयन करने की आवश्यकता नहीं है, उन्हें लॉटरी प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाएगा। 

अनुदान पर कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन कहाँ करें? 

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं परन्तु किसान भाइयों को यह बात ध्यान में रखना होगा की आवेदन के समय उनके पंजीकृत मोबाइल नम्बर पर OTP वन टाइम पासवर्ड प्राप्त होगा इसलिए किसान अपना मोबाइल अपने पास रखें। किसान अधिक जानकारी के लिए अपने ज़िले के कृषि विभाग या कृषि यंत्री कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं या कृषि अभियांत्रिकी संचनालय के पोर्टल https://dbt.mpdage.org/ पर जाकर देख सकते हैं।

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मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश: किसानों को जल्द किया जाए धान खरीदी का भुगतान

धान ख़रीदी का भुगतान

देश के अधिकांश राज्यों में अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर धान खरीदी का काम चल रहा है। जिसको लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर समीक्षा बैठक आयोजित की। बैठक में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि धान उपार्जन के लिए निर्धारित अवधि में जो किसान धान नहीं दे पाए हैं, उन शेष रहे किसानों से धान खरीदी जाए। धान उपार्जन में जिन कृषकों का भुगतान लंबित है, उनका त्वरित भुगतान किया जाए। यह बात मुख्यमंत्री ने खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 के उपार्जन की समीक्षा बैठक के दौरान कही।

मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने धान खरीदी में अनियमितता करने वाली सेवा सहकारी समितियों और स्व-सहायता समूहों पर कड़ी कार्यवाही करने की बात कही। बैठक में बताया गया कि अभी राज्य में 6 लाख से अधिक किसानों को धान खरीदी का भुगतान किया चुका है।

10 हजार किसानों को किया जाना है धान खरीदी का भुगतान

बैठक में जानकारी दी गई कि 6 लाख 46 हजार 279 कृषकों से 9 हजार 427 करोड़ 60 लाख रुपए की धान खरीदी गई, जिसमें से 10 हजार 319 कृषकों को 214 करोड़ 20 लाख रुपए का भुगतान प्रक्रिया में है। प्रदेश में 1542 उपार्जन केन्द्र हैं, जिनमें से 1183 सहकारी समितियाँ, 328 स्व-सहायता समूह और 31 एफ.पी.ओ/एफ.पी.सी. हैं। 

धान उपार्जन में अनियमितता के लिए 11 संस्थाओं पर एफ.आई.आर दर्ज की गई है। किसानों के आधार लिंक बैंक खाते में सत्यापन के बाद धान उपार्जन का भुगतान किया जा रहा है।

73 लाख किसानों के बैंक खातों में दी गई 2,000 रुपए की किस्त, फटाफट चेक करें आपको मिली या नहीं

किसान कल्याण योजना किस्त

देश में किसानों को सीधे आर्थिक तौर पर सहायता देने के लिए सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना चला रही है। जिसके तहत प्रत्येक किसान परिवार को प्रतिवर्ष तीन किस्तों में 6000 रुपए सालाना दिए जाते हैं। ठीक इसी योजना की तर्ज़ पर मध्य प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना चला रही है, जिसके तहत किसानों को सालाना 4,000 रुपए दो किस्तों में दिए जाते हैं, जिससे मध्य प्रदेश किसानों को प्रतिवर्ष 10 हजार रुपए मिलते हैं। योजना की दूसरी किस्त मुख्यमंत्री की चौहान ने आज विदिशा में आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों के खाते में हस्तांतरित की।

मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश के 73 लाख किसानों के खातों में मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना की राशि 1 हजार 465 करोड़ रुपये सिंगल क्लिक से अंतरित कर दी है। साथ ही 80 करोड़ 95 लाख 21 हजार रूपये के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया।

किसान परिवार को अब एक साल में मिलेंगे 22 हजार रुपए

मुख्य मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि हमारी सरकार किसान हितैषी सरकार हैं । पिछले सवा 2 साल में हमारी सरकार ने फसल बीमा, राहत राशि उद्यानिकी, सोलर पंप और बिजली सब्सिडी जैसी अनेक योजनाओं में 2 लाख 25 हजार 837 करोड़ रुपये किसानों के खाते में डाले हैं।

उन्होंने बताया कि किसान परिवार के घर में अभी तक 6 हजार रूपये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और 4 हजार रूपये मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना के प्राप्त हो रहे थे। अब इन किसान परिवारों को 12-12 हजार रूपये लाड़ली बहना योजना के भी मिलेंगे। इस प्रकार एक साल में किसान परिवार को 22 हजार रुपये वार्षिक मिलना शुरू होंगे। लाड़ली बहना योजना में हर साल 12 हजार करोड़ रुपये और 5 साल में 60 हजार करोड़ रुपये व्यय किये जाएँगे। 

स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान प्रति एकड़ कर रहे हैं 5 लाख रुपए तक की कमाई

स्ट्रॉबेरी की खेती से कमाई

खेती से आमदनी बढ़ाने के लिए किसानों का रुझान बागवानी फसलों की और बढ़ा है। अधिक से अधिक किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं। जिसके तहत छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती लोकप्रिय हो रही है। अपने लजीज स्वाद और मेडिसिनल वेल्यू के कारण यह बड़े स्वाद से खाया जाता है। राज्य के जशपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर क्षेत्र में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। 

स्ट्राबेरी की मांग के कारण यह स्थानीय स्तर पर ही इसकी खपत हो रही है। इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के कारण लगातार किसान आकर्षित हो रहे हैं। एक एकड़ खेत में इसकी खेती करके 4 से 5 लाख की आमदनी ली जा सकती है। जशपुर जिले में 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की है।

स्ट्रॉबेरी की इस किस्म की हो रही है खेती

जशपुर में विंटर डान प्रजाति की स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए हैं। इन किसानों को उद्यानिकी विभाग की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य सहायता मिल रही है। स्ट्रॉबेरी की खेती छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में ली जा सकती है। इसके लिए राज्य के अंबिकापुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर जशपुर का क्षेत्र उपयुक्त है।

स्ट्रॉबेरी की खेती से होने वाली कमाई

जशपुर में जलवायु की अनूकूलता को देखते हुए 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की फसल ली गई है। जशपुर के किसान श्री धनेश्वर राम ने बताया कि पहले उनके पास कुछ जमीन थी जो अधिक उपजाऊ नहीं थी वह बंजर जैसी थी। मुश्किल से कुछ मा़त्रा में धान की फसल हो पाती थी। जब उन्हें विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन मिलने पर फलों की खेती प्रारंभ की। जशपुर में 25 किसानों ने दो-दो हजार पौधे लगाए हैं। 

इससे हर किसान को अब तक करीब 40 से 70 हजार रुपए की आमदनी हो चुकी है। किसानों ने बताया कि स्ट्राबेरी के पौधों पर मार्च तक फल आएंगे, इससे करीब एक किसान को एक से डेढ़ लाख रुपए की आमदनी संभावित है। वहीं एक किसान से करीब 3000 किलो स्ट्रॉबेरी फल होने और सभी किसानों से कुल 75000 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी के उत्पादन होने की संभावना है।

धान के मुकाबले 8 से 9 गुना फायदा

स्ट्राबेरी की खेती धान के मुकाबले कई गुना फायदे का सौदा है। जहां धान की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊपन के साथ-साथ ज्यादा पानी और तापमान की जरूरत होती है वहीं स्ट्रॉबेरी के लिए सामान्य भूमि और सामान्य सिंचाई में भी यह बोई जा सकती है। धान की खेती में जहां देख-रेख की ज्यादा जरूरत पड़ती है वहीं स्ट्रॉबेरी के लिए देख-रेख की कम जरूरत पड़ी है, सिर्फ इसके लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। जहां धान से एक एकड़ में करीब 50 हजार की आमदनी ली जा सकती है वहीं स्ट्रॉबेरी की खेती में 3 से 4 लाख की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार धान से 8-9 गुना आमदनी मिलती है।

सौंदर्य प्रसाधन और दवाईयों में उपयोग

स्ट्रॉबेरी का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। आइस्क्रीम, जेम जेली, स्क्वैश आदि में स्ट्रॉबेरी फ्लेवर लोकप्रिय है। इसके अलावा इसका उपयोग पेस्ट्री, टोस्ट सहित बैकरी के विभिन्न उत्पादनों में किया जाता है। स्ट्रॉबेरी में एण्टी आक्सीडेंट होने के कारण इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों लिपिस्टिक फेसक्रीम के अलावा बच्चों की दवाईयों में फ्लेवर के लिए किया जाता है।

कृषि बजट 2023-24: सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए शुरू की यह योजनाएँ

बजट में किसानों के लिए शुरू की गई नई योजनाएँ

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 01 फरवरी, 2023 के दिन इस वर्ष का बजट पेश कर दिया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि एवं किसान कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान सहित कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का कुल बजट इस बार लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वहीं पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन पर भी ध्यान देते कृषि ऋण लक्ष्य बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपए किया गया है।

मोदी सरकार द्वारा डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन प्रारंभ किया गया है, जिसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से 450 करोड़ रुपए तथा टेक्नालाजी द्वारा कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के संबंध में लगभग 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। प्राकृतिक खेती को जन-आंदोलन का स्वरूप देने के लिए प्रधानमंत्री ने पहल की, जिसे बढ़ावा देने के लिए 459 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। 

कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ़्रास्ट्रक्चर 

एक खुले स्त्रोत, खुले मानक और अंतर-प्रचालन-योग्य लोक हित के रूप में कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ़्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जाएगा। इससे फसल नियोजन एवं स्वास्थ्य के लिए संगत सूचना सेवाओं, फार्म इनपुट के प्रति बेहतर सुलभता, ऋण एवं बीमा, फसल आंकलन के लिए सहायता, मार्केट इंटेलीजेंस, और एग्री-टेक इंडस्ट्री एवं स्टार्ट-अप्स के विकास के लिए समर्थन के माध्यम से समावेशी किसान-केंद्रित समाधान संभव हो पाएँगे।

कृषि वर्धक निधि (एग्रीकल्चर एक्सीलरेटर फंड)

युवा उद्यमी ग्रामीण क्षेत्रों में एग्री-स्टार्ट-अप्स खोल सकें, इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कृषि वर्धक निधि स्थापित की जाएगी, जिसके लिए 5 साल हेतु 500 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। इस निधि का उद्देश्य किसानों के सामने पेश आ रही चुनौतियों का नवोन्मेषी एवं किफ़ायती समाधान उपलब्ध कराना है। यह कृषि पद्धतियों को बदलने, उत्पादकता एवं लाभप्रदता को बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रदयोगिकियां भी लेकर आएगी।

कपास फसल की उत्पादकता बढ़ाना

अतिरिक्त-लम्बे रेशेदार कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए हम पब्लिक प्राइवेट भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से क्लस्टर आधारित और वैल्यू चेन दृष्टिकोण अपनाएँगे। किसानों, राज्य और इंडस्ट्री के परस्पर सहयोग से इनपुट आपूर्ति एक्सटेंशन सेवाओं, और मार्केट लिंकेज की व्यवस्था की जाएगी।

आत्मनिर्भर बागवानी स्वच्छ पौध कार्यक्रम

सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में बागवानी क्षेत्र की योजनाओं के लिए 2,200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान हाई वैल्यू बागवानी फसलों के लिए रोग-मुक्त, गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर स्वच्छ पौध कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जाएगा।

मोटे अनाज के लिए वैश्विक केंद्र “श्री अन्न”

मिलेट्स को अब श्रीअन्न के नाम से जाना जाएगा। श्रीअन्न को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों में भारत सबसे आगे है। भारतीय मिलेट्स अनुसंधान केंद्र, हैदराबाद को उत्कृष्ता केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी श्रेष्ठ कार्य कर सकें। 

कृषि ऋण 

देश में लगभग 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से काफी लाभ पहुंचा है। इन किसान भाइयों-बहनों को इसी तरह सतत लाभ मिलता रहे, इसके लिए इस बार 23 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, वहीं पशुपालन, डेयरी, मत्स्यपालन पर भी ध्यान देते कृषि ऋण लक्ष्य बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपए किया गया है।

मत्स्य पालन क्षेत्र

बजट में 6,000 करोड़ के लक्षित निवेश के साथ पीएम मत्स्य सम्पदा योजना की नई उप योजना शुरू की जाएगी ताकि मछुआरे, मछली विक्रेता, सूक्ष्म तथा लघु उद्यम अपने कार्य में और अधिक सक्षम बन सकें, मूल्य शृंखला दक्षताओं में सुधार लाया जा सके, और बाजार का विस्तार किया जा सकें।

पीएम-प्रणाम योजना 

पृथ्वी माता के पुनर्रुद्धार, इसके प्रति जागरूक, पोषण और सुधार हेतु प्रधानमंत्री कार्यक्रम राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को रासायनिक उर्वरकों के संतुलन प्रयोग तथा इनके स्थान पर वैकल्पिक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु शुरू किया जाएगा।

 प्राकृतिक खेती को दिया जाएगा बढ़ावा

अगले 3 वर्षों में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए सहायता देंगे। इसके लिए, राष्ट्रीय स्तर पर विपरीत सूक्ष्म -उर्वरक और कीटनाशक विनिर्माण नेटवर्क बनाते हुए 10,000 बायो-इनपुट रिसोर्स केंद्र स्थापित किए जाएँगे। 

बजट 2023-24: केंद्र सरकार ने पेश किया बजट, जानिए किसानों के लिए क्या है खास

कृषि बजट 2023-24 में किसानों के लिए क्या है खास

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 01 फरवरी, 2023 को संसद में केन्‍द्रीय बजट 2023-24 पेश कर दिया है। बजट में सरकार ने किसानों के लिए कोई नई बड़ी योजना की शुरुआत नहीं की है, न ही किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले 6,000 रुपए में किसी प्रकार की वृद्धि की गई है। 

सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में प्राकृतिक खेती एवं सहकारिता को बढ़ावा देने की बात कही है। साथ ही पीएम मत्‍स्‍य संपदा योजना की एक नई उप-योजना की शुरुआत की जाएगी। साथ ही कृषि के लिए डिजिटल जन-अवसंरचना को एग्री-टेक उद्योग और स्‍टार्टअप्‍स को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान किया है। 

जानिए किसानों के लिए क्या खास है इस बजट में

  • सरकार अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्‍साहित करेगी और उनकी सहायता करेगी। इसके लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वितरित सूक्ष्‍म उर्वरक और कीट नाशक विनिर्माण नेटवर्क तैयार करते हुए 10,000 बायो-इनपुट रिसोर्स केन्‍द्र स्‍थापित किए जाएंगे।
  • युवा उद्यमी ग्रामीण क्षेत्रों में एग्री-स्‍टार्टअप्‍स शुरू कर सकें, इसके लिए कृषि वर्धक निधि की स्‍थापना की जाएगी।
  • भारत को ‘श्री अन्‍न’ के लिए वैश्विक केन्‍द्र बनाने के उद्देश्‍य से हैदराबाद के भारतीय मोटा अनाज अनुसंधान संस्‍थान को उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे यह संस्‍थान सर्वश्रेष्‍ठ कार्यप्रणालियों, अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकियों को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर साझा कर सके।
  • कृषि ऋण के लक्ष्‍य को पशुपालन, डेयरी और मत्‍स्‍य उद्योग को ध्‍यान में रखते हुए 20 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाएगा।
  • पीएम मत्‍स्‍य संपदा योजना की एक नई उप-योजना को 6,000 करोड़ रुपये के लक्षित निवेश के साथ शुरू किया जाएगा, जिसका उद्देश्‍य मछली पालकों, मत्‍स्‍य विक्रेताओं और सूक्ष्‍म तथा लघु उद्योगों को अधिक सक्षम बनाना है। इससे मूल्‍य श्रृंखला दक्षताओं में सुधार लाया जाएगा तथा बाजार तक पहुंच को बढ़ाया जाएगा।
  • कृषि के लिए डिजिटल जन-अवसंरचना को एग्री-टेक उद्योग और स्‍टार्टअप्‍स को बढ़ावा देने के लिए आवश्‍यक सहयोग प्रदान करने और किसान केन्द्रित समाधान उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से तैयार किया जाएगा।
  • सरकार ने 2,516 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटियों (पीएसीएस) के कंप्‍यूटरीकरण कार्य शुरू किया है।
  • व्‍यापक विकेन्‍द्रीकृत भंडारण क्षमता बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, जिससे किसानों को अपने उत्‍पादों का सुरक्षित भंडारण करने और उचित समय पर उनकी बिक्री करके लाभकारी मूल्‍य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

पाला एवं ओले से 65 फ़ीसदी फसल हुई खराब, सरकार ने दिए विशेष गिरदावरी के निर्देश

ओला वृष्टि एवं पाला से हुए फसल नुकसान का आंकलन

जनवरी महीने में किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे शीतलहर, पाला, आंधी-बारिश एवं ओला वृष्टि से काफी नुकसान हुआ है। जिसको लेकर राजस्थान सरकार ने ओला वृष्टि, पाला व शीतलहर से रबी फसल में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी के निर्देश दे दिए हैं। राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा है कि राज्य सरकार प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। सभी जिला कलक्टर को इस संबंध में तत्काल सर्वे कर विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट आपदा प्रबंधन विभाग को भेजने के लिए निर्देशित कर दिया गया है। फसली नुकसान के आकलन के लिए पटवारी मौके पर जाएंगे और कलक्टर को रिपार्ट देंगे।

कौन सी फसल को हुआ कितना नुकसान

कृषि मंत्री ने विधानसभा में जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2022-23 में रबी फसल में 109 लाख 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई है। प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार गेहूं की फसल के 29 लाख 65 हजार हेक्टेयर बोये गए क्षेत्रफल में से लगभग 42 हजार हेक्टेयर, जौ फसल के 4 लाख 8 हजार हेक्टेयर बोये गए क्षेत्रफल में से 19 हजार हेक्टेयर, चना फसल के 20 लाख 57 हजार हेक्टेयर बोये गए क्षेत्रफल में से 2 लाख 25 हजार हेक्टेयर में 2 से 40 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है।

सरसों व तारामीरा का कुल बोये गए 39 लाख 36 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 9 लाख 83 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 65 प्रतिशत तक का खराबा हुआ है। इसी तरह सब्जियां एवं उद्यानिकी फसलों के कुल बोये गए 15 लाख 89 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 2 लाख 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 60 प्रतिशत तक खराबा हुआ है।

इन ज़िलों में हुआ सबसे अधिक फसलों को नुकसान

वर्ष 2023 के जनवरी महीने में पाले एवं शीत लहर से कुल बोये गए क्षेत्रफल 109 लाख 55 हजार हेक्टेयर में से लगभग 14 लाख 92 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 65 प्रतिशत तक फसल नुकसान होने की सूचनाएं हैं। यह नुकसान प्रमुख रूप से श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, चूरू, झुन्झुनूं, जयपुर, जालोर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, सीकर, भरतपुर, पाली, अजमेर, जोधपुर और प्रतापगढ़ में हुआ है।

किसानों को दिया जाएगा मुआवजा

कृषि मंत्री ने बताया कि प्रभावित किसानों को आपदा राहत कोष व प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मापदण्डों के अनुसार राहत दी जा रही है। उन्होंने जन प्रतिनिधियों से कहा कि फसली नुकसान की सूचना प्राप्त होने पर वे विभाग को सूचित करें, ताकि प्रभावित किसानों को हर स्तर पर सहायता मिल सके। राज्य सरकार प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

लास्ट डेट: गेहूं एवं अन्य रबी फसलें समर्थन मूल्य पर मंडियों में बेचने के लिए किसान 31 जनवरी तक करें पंजीयन

गेहूं एवं अन्य रबी फसलें MSP पर बेचने के लिए किसान पंजीयन

किसानों को फसलों का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर की जाती है। समर्थन मूल्य योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को पंजीयन कराना जरुरी होता है, अभी कई राज्य सरकारों के द्वारा रबी फसलों के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हरियाणा के किसानों को इस योजना का लाभ लेने के लिए 31 जनवरी तक  पंजीयन कराना आवश्यक है।

हरियाणा में किसान अपनी फसलों मंडियों में बेचने के लिए 31 जनवरी तक पंजीयन करा सकते हैं। इस वर्ष राज्य सरकार रबी सीजन 2022-23 में गेहूं, सरसों, चना, सूरजमुखी, दलहन और जौ की ख़रीद की जाएगी। अतः जो किसान इन फसलों को समर्थन मूल्य पर बेचना चाहते हैं वह किसान 31 जनवरी तक अपना पंजीयन ज़रूर करा लें।

किसान कहाँ करें पंजीयन

राज्य के किसानों को अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर बेचने के लिए 31 जनवरी 2023 तक “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” fasal.haryana.gov.in पोर्टल पर पंजीकरण अपने नज़दीकी सी.एस.सी. सेंटर के माध्यम से कराना होगा। जिन किसानों का पोर्टल पर पंजीकरण होगा, वही किसान अपनी फसल को बेच पाएँगे और इसके साथ कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे:-भावांतर भरपाई योजना, मेरा पानी मेरी विरासत, इम्पलिमेंट आदि का लाभ भी किसान ले सकते हैं। 

ई-फसल क्षतिपूर्ति की सूचना देने के लिए भी मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल का पंजीकरण अनिवार्य है। इसलिए राज्य सरकार ने सभी किसानों से अपील की है वे मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण करवाकर योजनाओं का लाभ उठाएँ।

किसान पंजीयन के लिए क्या–क्या दस्तावेज लगेंगे ? 

किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पंजीयन मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर ऑनलाइन कर सकते हैं। पंजीयन के समय किसानों के पास निम्न दस्तावेज होना चाहिए :- 

  • आधार कार्ड, 
  • जमीन की जानकारी के लिए नक़ल की कॉपी/खसरा नम्बर/ फारद की कॉपी,
  • फसल का नाम/किस्में/ बुआई का समय,
  •  बैंक पासबुक की कॉपी,  
  • परिवार पहचान पत्र।

क्या है इस वर्ष रबी फसलों का समर्थन मूल्य MSP

सभी राज्यों में किसानों से फसलों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाती है। इस वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही गेहूं सहित अन्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी है। जो इस प्रकार है:-

  • गेहूं – 2125 रुपए प्रति क्विंटल
  • जौ – 1735 रुपए प्रति क्विंटल
  • चना – 5335 रुपए प्रति क्विंटल
  • मसूर – 6000 रुपए प्रति क्विंटल
  • रेपसीड/ सरसों – 5450 रुपए प्रति क्विंटल
  • कुसुम – 5650 रुपए प्रति क्विंटल

किसान पंजीयन से सम्बंधित समस्या के समाधान के लिए ज़िला उपायुक्त के तहत गठित ज़िला कष्ट निवारण समिति या सम्बंधित कृषि उपनिदेशक से सम्पर्क कर सकते हैं। इसके अलावा किसान विभाग के टोल फ्री नम्बर 1800-180-2117 पर कॉल कर सकते हैं। 

अभी हुई बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा लेने के लिए किसान करें यह काम

फसल नुकसान की भरपाई के लिए किसान क्या करें

देश के उत्तरी राज्यों में अभी कई स्थानों पर तेज हवाओं के साथ बारिश एवं ओला वृष्टि हुई है, जिससे किसानों की खड़ी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया है वह किसान योजना के अंतर्गत भरपाई के लिए 72 घण्टे के अंदर सम्बंधित जिले में कार्यरत बीमा कम्पनी को खराबे की सूचना अवश्य दें ताकि फसल नुकसानी का आंकलन किया जा सके।

इस सम्बंध में अधिक जानकारी देते हुए राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि वर्तमान में मौसम की विपरीत परिस्थितियों के कारण किसानों की फसलों में नुकसान हुआ है तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत ओलावृष्टि व जलभराव के कारण बीमित फसल में नुकसान होने पर किसान को व्यक्तिगत आधार पर बीमा आवरण उपलब्ध कराया गया है।

किसान फसल खराबे की जानकारी कहाँ दें?

बीमित फसल को ओलावृष्टि या जलभराव के कारण नुकसान होने पर घटना के 72 घण्टे के भीतर जिले में कार्यरत बीमा कंपनी को सूचना देना आवश्यक है। इसकी सूचना बीमा कंपनी के टोल फ्री नम्बर अथवा क्रोप इंश्योरेंस ऎप के माध्यम से दी जा सकती है। इसके अलावा प्रभावित बीमित किसान जिलों में कार्यरत बीमा कंपनी, कृषि कार्यालय अथवा संबंधित बैंक को भी हानि प्रपत्र भरकर सूचना दे सकते हैं। खराबे की सूचना नहीं देने वाले किसान समय पर सूचना दर्ज कराएं ताकि योजना के प्रावधानों के मुताबिक बीमा लाभ दिया जा सके। 

किसान फसल बीमा कम्पनी के इन टोल फ्री नम्बर पर करें कॉल

राजस्थान राज्य के अलग-अलग ज़िलों में अलग-अलग फसल बीमा कम्पनियों के द्वारा बीमा किया जाता है, ऐसे में किसान अपने ज़िले में कार्य कर रही कम्पनी को फसल नुकसान की सूचना उनके टोल फ्री नम्बर पर दे सकते हैं। बीमा कंपनियों के जिलेवार टोल फ्री नम्बर इस प्रकार हैं:-

  • एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड जिले बांरा, धौलपुर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, झुंझुनू, करौली एवं उदयपुर टोल फ्री नंबर 18004196116
  • एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले चूरू, भीलवाड़ा, राजसमंद, दौसा, झालावाड़, श्रीगंगानगर एवं अलवर टोल फ्री नंबर 18002091111
  • रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले बांसवाड़ा, नागौर भरतपुर, जयपुर, पाली एवं प्रतापगढ़ टोल फ्री नंबर 18001024088
  • फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले बूंदी, डूंगरपुर जोधपुर टोल फ्री नंबर 1800266 4141
  • बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले अजमेर, जालौर, सवाई माधोपुर एवं कोटा टोल फ्री नंबर 18002095959
  • एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले जैसलमेर, सीकर एवं टोंक टोल फ्री नंबर 1800266 0700
  • यूनिवर्सल सोमपो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले बीकानेर,चित्तौड़गढ़ एवं सिरोही टोल फ्री नंबर 18002005142