देश को तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार तिलहन फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने पर जोर दे रही है । इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नई योजना “निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम” को मंजूरी दे दी है।
योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में तिलहनी फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना है। योजना से जहां तिलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा वहीं नई प्रजाति के प्रचार प्रसार में भी मदद मिलेगी। राज्य सरकार द्वारा योजना 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक संचालित की जाएगी। निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर 11457.60 लाख रुपए खर्च किए जाएँगे।
इन फसलों के बीज किसानों को दिए जाएँगे निःशुल्क
योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी 75 जनपदों में किया जाएगा। जिसमें किसानों को मूँगफली के 20 किलोग्राम प्रति पैकेट, तिल 02 किलोग्राम प्रति पैकेट, राई/सरसों 02 किलोग्राम प्रति पैकेट तथा अलसी 02 किलोग्राम प्रति पैकेट के रूप में बीज मिनी कीट निःशुल्क वितरित किए जाएँगे। योजना के क्रियान्वयन से वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक कुल 26.66 लाख किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा। वहीं संकर सरसों के प्रदर्शन से 7,563 किसान प्रतिवर्ष तथा चार वर्षों में 30,252 किसान लाभान्वित होंगे।
फ़सलों की उन्नत खेती के लिए आयोजित की जाएँगी किसान पाठशाला
योजना का मुख्य उद्देश्य खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तिलहनी फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना है। इसके लिए कार्यक्रम की रणनीति के तहत राज्य के किसानों को तिलहनी फसलों के गुणवत्तायुक्त मिनी किट बीजों का निःशुल्क वितरण कर अधिकाधिक क्षेत्रफल को आच्छादित किया जाएगा।
20 या 20 हेक्टेयर से अधिक तिलहन क्षेत्र आच्छादन वाली चयनित ग्राम पंचायतों का फसलवार चयन करते हुए उनमें तिलहनी फसलों की उन्नति खेती के सम्बंध में किसान पाठशाला का आयोजन एवं प्रदर्शन किया जाएगा। किसान पाठशाला के आयोजन से एक वर्ष में 11.90 लाख तथा चार वर्षों में कुल 47.62 लाख किसानों को लाभान्वित किया जाएगा।
इन किसानों को मिलेगा योजना का लाभ
योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी 75 जनपदों में किया जाएगा। बीज मिनी किट के वितरण में सीमांत एवं लघु कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। वर्ष में 01 कृषक को एक बीज मिनी किट वितरित की जाएगी। किसानों का चयन कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत अथवा भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से आच्छादित कृषकों में से किया जाएगा। चयनित किसानों में 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति/ जनजाति के किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। योजना में महिला कृषकों को वरीयता दी जाएगी।
योजना के तहत सभी ज़िला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया जाएगा कि किसानों को दिए जा रहे मिनी किट की बुआई सुनिश्चित कराते हुए उसका भौतिक सत्यापन किया जाए। जिससे अतिरिक्त रूप से तिल, राई/सरसों, अलसी तथा मूँगफली के क्षेत्र में आच्छादन में वृद्धि प्रदर्शित हो सके। वहीं संकर सरसों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए चयनित ग्राम पंचायतों में प्रदर्शन आयोजित किए जाएँगे।
देश में पशु पालकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए पशु पालकों को घर बैठे ही पशु उपचार की सुविधा मिल सके इसके लिए टोल फ्री नम्बर भी शुरू किए जा रहे हैं। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने 12 मई के दिन 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गो-रक्षा संकल्प सम्मेलन का शुभारंभ किया और प्रदेश के शहरी क्षेत्रों एवं सभी विकासखंड के लिए 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस को हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज वह दिन आ गया है जब एम्बुलेंस केवल इंसान के लिए ही नहीं गो-माता और अन्य पशुओं के इलाज के लिए भी उपलब्ध होगी। एम्बुलेंस में एक पशु चिकित्सक और सहायक उपलब्ध होंगे। आपात स्थिति में पशुओं के इलाज के लिए टोल फ्री नम्बर 1962 जारी किया गया है। बीमार पशु को अस्पताल तक ले जाना बड़ी समस्या होती थी। अब इन एम्बुलेंस के आने से पशु चिकित्सालय स्वयं पशुपालक के द्वार पर उपस्थित होगा।
गाय पालने वाले किसानों को प्रतिमाह दिए जाएँगे 900 रुपए
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए गाय आवश्यक है। गो-मूत्र और गोबर से ही घनामृत और जीवामृत बनते हैं। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गाय पालने के लिए 900 रूपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इस माह 22 हजार किसानों को योजना की किस्त जारी की जाएगी। जनजातीय भाई-बहनों को गो-पालन के लिए गाय खरीदने पर 90 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
गोबर, गो-मूत्र सहित अन्य गो-उत्पादों के व्यवसाय को लाभकारी बनाने के लिए भी राज्य सरकार प्रयासरत है। गाय के गोबर से सीएनजी बनाने के प्रोजेक्ट पर जबलपुर में कार्य जारी है। प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गोवर्धन प्लांट स्थापित कर गोबर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, इससे सीएनजी निर्मित होगी।
गोबर एवं गो-मूत्र के व्यवसाय को दिया जाएगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गो-शालाओं में बनाए जाने वाले प्राकृतिक पेंट का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतस्तर के शासकीय भवनों में करने की नीति बनाई जाएगी। इससे गोबर और गो-मूत्र के व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रदेश में 8 गो-सदन और दो गो-वंश वन्य विहार विकसित किए जाएंगे। इनके संचालन का जिम्मा गो-सेवक संस्था को सौंपा जाएगा।
पंजीकृत गो-शालाओं को बिजली के बिल की समस्या न आये और इससे गो-माता की सेवा में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो, इसके लिए उपयुक्त नीति बनाए जाएगी। गो-शालाओं में भूसे की पर्याप्त व्यवस्था के लिए राशि का पुननिर्धारण किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसान भाइयों से नरवाई न जला कर भूसे की व्यवस्था में सहयोग की अपील की।
बड़ी गो-शालाओं का किया जाएगा विकास
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में हर ग्राम पंचायत में गोशाला के बजाय बड़ी गो-शालाएँ विकसित करने पर भी राज्यशासन विचार कर रहा है। गो-शालाओं के सुचारू प्रबंधन के उद्देश्य से 4-5 ग्राम पंचायतों के लिए एक बड़ी गोशाला विकसित की जाएगी। प्राथमिक तौर पर प्रदेश में कुछ स्थानों पर मॉडल के रूप में ऐसी गो-शालाएँ विकसित की जाएंगी। इन गो-शालाओं की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी कोई संस्था ले सकती है और संस्था को राज्य शासन द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
जिन गो-शालाओं के साथ जमीनें संलग्न हैं और उन जमीनों पर यदि अतिक्रमण है तो उन्हें तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। गो-शालाओं को कांजी हाउस का दर्जा देने पर भी विचार भी किया जाएगा। गो-वंश की गणना भी की जाएगी। गो-शालाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके बेहतर प्रबंधन के लिए जिला स्तर पर अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
गो-पालन और गो-रक्षा का संकल्प दिलाया
मुख्यमंत्री ने गो-रक्षा सम्मेलन में प्रदेशवासियों को गो-पालन और गो-रक्षा का संकल्प दिलाया। उन्होंने आहवान किया कि इस पुनीत कार्य और गो-शालाओं के संचालन में सकरात्मक भूमिका का निर्वहन करें। गो-संरक्षण के लिये प्रतिदिन भोजन करने के पूर्व गो-माता का स्मरण करते हुए गो-ग्रास या उसके समतुल्य राशि निकाल कर गो-सेवा का संकल्प लें। इस कार्य में अपने परिवार के साथ समाज को भी प्रेरित करें।
देश में किसानों को खेती-किसानी, पशुपालन एवं मछली पालन आदि में नई तकनीकों की जानकारी देने के लिए कृषि विद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है। जिसमें वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों द्वारा किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे ही एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भीलवाड़ा जिले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर किया गया। प्रशिक्षण शिविर में वैज्ञानिकों द्वारा बकरी पालन के विषय में जानकारी प्रदान की गई।
कृषि विज्ञान केन्द्र, भीलवाड़ा पर बकरी पालन द्वारा आत्मनिर्भरता विषय पर चार दिवसीय संस्थागत कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में 30 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण में लाभार्थियों को बकरी पालन में लागत, मुनाफ़ा, रोग, आहार, बकरियों की नस्ल आदि के विषय में जानकारी दी गई।
बकरी पालन है किसानों के लिए एटीएम
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ.सी.एम. यादव ने बताया कि बकरी पालन भूमिहीन, लघु एवं सीमांत किसानों के जीवन निर्वाह का प्रमुख स्त्रोत है। डॉ. यादव ने बकरियों की प्रमुख नस्लें सिरोही, सोजत, गूजरी, करौली, मारवाड़ी, झकराना, परबतसरी एवं झालावाड़ी में आवास एवं आहार प्रबन्धन, प्रमुख रोग एवं निदान, कृमिनाशक, बाह्य परजीवी नियन्त्रण की जानकारी दी और बकरी पालन को किसान के लिए एटीएम एवं चलता फिरता फ्रीज बताया।
बकरी पालन के इन विषयों पर दी गई जानकारी
प्रोफेसर शस्य विज्ञान डॉ. के. सी. नागर ने बकरी पालन हेतु स्थान का चयन, शेड का निर्माण, बकरियों की संख्या का नियन्त्रण, वर्ष भर हरा चारा उत्पादन, बकरी के दूध की उपयोगिता एवं विपणन के बारे में किसानों को जानकारी दी। वहीं कृषि महाविद्यालय के सहायक आचार्य पशुपालन डॉ. एच. एल. बुगालिया ने बकरियों में होने वाले संक्रामक रोग उनके फैलने के कारण और निदान की जानकारी दी साथ ही कृषक उत्पादक संगठन से जुड़कर बकरी पालन अपनाने के बारे में जानकारी दी।
वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता प्रकाश कुमावत ने बकरी पालन को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय बताया जिसको किसान छोटे स्तर से बड़े स्तर तक आसानी से किया जा सकता है, साथ ही बकरियों में होने वाले प्रमुख रोग एवं टीकाकरण के बारे में बताया। इस अवसर पर बकरीपालकों को विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कृषि कलैण्डर वितरित किए गए।
अभी हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में ब्याज माफी योजना को मंजूरी दी है, योजना के तहत सरकार ने सहकारी केन्द्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक साख सहकारी समितियों (पैक्स) के किसानों का ब्याज माफ़ किया जाएगा। सरकार ने अब योजना के तहत विस्तृत दिशा निर्देश भी जारी कर दिए है।
राज्य मंत्रि-परिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार सहकारिता विभाग ने डिफाल्टर किसानों के बकाया कालातीत फसल ऋणों के ब्याज माफ किये जाने के निर्देश जारी कर दिये हैं। ब्याज माफी योजना में डिफाल्टर कृषकों की संख्या और ब्याज की राशि आदि में आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्तन का निर्णय लेने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की गई है।
इन किसानों को मिलेगा ब्याज माफी योजना का लाभ
जारी निर्देश अनुसार प्रदेश के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक साख सहकारी समितियों (पैक्स) के ऐसे किसान, जिन पर 31 मार्च की स्थिति में कुल देयताएँ (मूल ब्याज) 2 लाख रूपये तक है और डिफाल्टर हैं, के ब्याज की प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जायेगी। कुल देयताओं की गणना में अल्पकालीन और मध्यकालीन परिवर्तित ऋण को शामिल किया जायेगा।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार 31 मार्च 2023 की स्थिति में प्रदेश में 11 लाख 19 हजार डिफाल्टर किसान हैं, जिन पर माफी योग्य ब्याज की राशि लगभग 2 हजार 123 करोड़ रूपये है। योजना का लाभ 31 मार्च 2023 की स्थिति में डिफाल्टर हुए किसानों की सूची में से केवल आवेदन करने वाले डिफाल्टर किसानों को ही दिया जायेगा।
30 नवम्बर 2023 तक मिलेगा योजना का लाभ
सरकार ने किसानों के लिए योजना की अंतिम तिथि 30 नवम्बर 2023 तक रखी गई है। सरकार द्वारा दी जाने वाली अंशपूँजी की राशि का उपयोग सभी संबंधित संस्थाएँ प्रथमत: कृषकों के ब्याज को माफ करने के लिये उपयोग करेंगी। प्रदत्त अंशपूँजी वापसी योग्य नहीं होगी।
सचिव सहकारिता श्री विवेक पोरवाल ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता के लिए डिफाल्टर कृषकों की सूची में यूनिक नम्बर (सरल क्रमांक) के साथ कृषक का नाम, उस पर बकाया मूलधन एवं माफ की जाने वाली ब्याज राशि का विवरण बैंक स्तर पर यूटिलिटी पोर्टल से सार्वजनिक किया जायेगा।
किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा खाद
योजना से लाभान्वित कृषकों को कृषि कार्य के लिये खाद उपलब्ध कराने के लिये यह विशेष सुविधा दी जायेगी कि जितनी राशि कृषक अपने ऋण खाते में नगद जमा करेंगे, उतनी राशि तक का खाद समिति से ऋण के रूप में प्राप्त कर सकेंगे।
ब्याज माफी योजना में डिफाल्टर कृषकों की संख्या एवं ब्याज की राशि आदि में आवश्यकतानुसार संशोधन/परिवर्तन करने का निर्णय लेने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। अपर मुख्य सचिव वित्त, अपर मुख्य सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, सचिव सहकारिता, आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएँ कमेटी के सदस्य और प्रबंध संचालक राज्य सहकारी बैंक को संयोजक सदस्य है।
देश में पशुपालकों को अपने पशुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा पशु एम्बुलेंस सुविधा शुरू की जा रही है। मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 12 मई को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर गौरक्षा संकल्प सम्मेलन का शुभारंभ करेंगे। साथ ही प्रदेश के शहरी क्षेत्रों सहित सभी विकासखंडों के लिए 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस को रवाना करेंगे। गौ-संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने उक्त जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सम्मेलन में कार्यक्रम की अध्यक्षता पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल करेंगे। सम्मेलन में गौ-संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करने वाले शासकीय विभागों के प्रतिनिधि, स्वैच्छिक संगठन, पर्यावरण एवं जैविक, प्राकृतिक कृषि क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रबुद्ध वर्ग, गौशाला संचालक, स्व-सहायता समूह, गौ-संरक्षण में संलग्न सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे।
कॉल करके पशुपालक ले सकेंगे पशु चिकित्सा एम्बुलेंस का लाभ
मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंस केन्द्र एवं राज्य शासन की संयुक्त योजना है। एम्बुलेंस संचालन में प्रतिवर्ष लगभग 77 करोड़ रूपये खर्च होंगे। इसमें केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 होगा। एम्बुलेंस में पशु उपचार, शल्य चिकित्सा, कृत्रिम गर्भाधान, रोग परीक्षण आदि के लिए सभी संबंधित उपकरण मौजूद रहेंगे।
कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर “1962” पर कॉल करके पशुपालक अपने घर पर ही पशु चिकित्सा का लाभ उठा सकेंगे। एम्बुलेंस में एक पशु चिकित्सक, पैरावेट और सहायक सह-चालक रहेंगे। एम्बुलेंस राज्य स्तरीय कॉल सेंटर से जुड़ी रहेंगी। एम्बुलेंस की मॉनिटरिंग जीपीएस से की जायेगी।
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने बताया कि गौवंश संरक्षण राज्य शासन की प्राथमिकता में शामिल है। मध्यप्रदेश गौवंश संरक्षण और रक्षा के लिए कड़े कानून लागू करने वाले देश के अग्रणी राज्यों में हैं। गौवंश वध प्रतिशेध अधिनियम में गाय का वध करने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है। प्रदेश में 1762 गौशालाओं में 2 लाख 87 हजार गौवंश का पालन हो रहा है। वर्ष 2022-23 में इनके चारे के लिए 202 करोड़ 34 लाख का अनुदान वितरित किया गया।
देश में दुग्ध उत्पादन एवं पशु पालकों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा पशु नस्ल सुधार पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं जिनके तहत पशु पालकों को सेक्स सॉर्टेड सीमन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही कृत्रिम गर्भाधान की ऐसी नई तकनीक विकसित की गई हैं जिससे केवल बछिया का ही जन्म होता है। इन तकनीकों का लाभ किसानों को मिल सके इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा सेक्स सॉर्टेड सीमन लैब की स्थापना की जा रही है।
इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने इस वर्ष राज्य में शीघ्र ही बस्सी स्थित परिसर में सेक्स सॉर्टेड सीमन लैब की स्थापना करने की घोषणा की थी। जिसकी वजह से पशुपालकों को उन्नत नस्लीय पशुधन विकास में नए आयाम स्थापित करने में आवश्यक सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
शुद्ध देशी एवं विदेशी नस्ल के पशुओं का हो रहा विस्तार
पशुपालन विभाग के शासन सचिव ने बस्सी स्थित फ्रोजन सीमन बैंक का अवलोकन किया इस मौके पर उन्होंने विभिन्न उन्नत प्रकार की शुद्ध देशी और विदेशी नस्लों के बैलों के स्वास्थ्य और उनसे उत्पादित कुल सीमन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर कहा कि राज्य अब विश्व पटल पर शुद्ध देशी एवं विदेशी नस्ल के पशुधन विकास में अपनी अलग पहचान स्थापित कर रहा है। इस मौके पर उन्होंने मौजूद अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि पशुपालकों को नस्लीय सुधार सम्बंधित सभी समुचित सुविधाएं मुहैया कराई जाए और उन्हें आ रही हर समस्या का प्रमुखता से समाधान किया जाये।
इस दौरान शासन सचिव महाविद्यालय के शिक्षण संकाय सदस्य, कर्मचारीगण, छात्र-छात्राओं के साथ मुखातिब हुए। शासन सचिव महोदय ने महाविद्यालय के निर्माणाधीन भवन का मोके पर अवलोकन किया और नवनिर्मित होने वाले पशु चिकित्सा महाविद्यालय के लिए भूमि का अवलोकन कर उसके भूमि प्रारूप की समीक्षा की ।
कृषि की तरह ही पशुपालन एवं मछली पालन क्षेत्र में आवश्यक निवेश के लिए आवश्यक पूँजी उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस कड़ी में हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण तथा पशुपालन मंत्री श्री जेपी दलाल ने कहा कि पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत पशुपालकों को विभाग द्वारा 1.5 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं और आगे एक लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएँगे साथ ही पशुपालकों की सुविधा के लिए 200 एंबुलेंस खरीदी जाएगी।
यह बात कृषि मंत्री श्री जेपी दलाल ने पशुपालन और मछली पालन विभाग के अधिकारियों के साथ विकास कार्यो की समीक्षा बैठक करते समय कही। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पशुओं को मुंहखुर और गलघोटू बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन का कार्य 20 मई से शुरू किया जाएगा।
भेड़ बकरी पालन के लिए शुरू की जाएगी नई योजना
पशुपालन मंत्री ने हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे भेड़ और बकरियां पालकों के लिए नई स्कीम बनाएं ताकि बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके। पशुपालकों की सुविधा के लिए राजकीय लाइवस्टॉक फॉर्म को पुनः स्थापित करने और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तैयार किया जायगा। उन्होंने लोहारू में वूल ग्रेडिंग सेंटर को अपग्रेड करने के आदेश दिए। भेड़ पालकों की सुविधा के लिए वूल को सोर्टिंग करने और ऑक्शन पर बेचने का कार्य शीघ्रता से किया जाए ताकि उनको समय पर सही लाभ मिल सके।
पॉलीक्लिनिकों के लिए खरीदी जाएँगी मशीनें
पशुपालन मंत्री ने हरियाणा के 6 जिलों में बनी पॉलीक्लिनिकों को सुचारू रूप से चलाने के लिए मॉडर्न मशीनें खरीदने तथा पुरानी बंद पड़ी मशीनों को ठीक करके चालू करने के निर्देश दिए। सभी पॉलीक्लिनिकों में स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से भरने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने नये सरकारी पशु चिकित्सालय और पशु औषधालय खोलने और उनके अपग्रेडेशन कार्य का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने के निर्देश दिए। साथ ही पुराने सरकारी पशु चिकित्सालयों और पशु औषधालयों की रिपेयर करने का कार्य भी शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा।
देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है परंतु उद्यानिकी फसलों के उत्पादन की लागत अधिक होने के चलते किसान इन फसलों की खेती नहीं कर पाते हैं। ऐसे में किसानों को प्रोत्साहित करने एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा भारी सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने राज्य में उद्यानिकी विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए राज्य के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं।
राजस्थान में उद्यान विभाग के माध्यम से ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, शेडनेट हाउस, प्लास्टिक मल्च, लॉ-टनल, कम लागत के प्याज भंडार, पैक हाउस, सामुदायिक जल स्रोत आदि योजनाओं के लिए किसानों से आवेदन माँगे गए हैं। इनमें किसानों को इकाई लागत का 50 से 95 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
किसान कब तक आवेदन कर सकते हैं?
राजस्थान राज्य के किसान उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए 15 मई 2023 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। विभाग की सभी योजनाओं में किसानों के चयन के लिए इस बार एक साथ लॉटरी निकाली जाएगी। चयन प्रक्रिया में दिनांक 16 जून 2022 से आवेदन करने वाले किसानों को भी सम्मिलित किया जाएगा।
साथ ही पूर्व वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिन कृषकों ने राज किसान साथी पोर्टल व ई-मित्र पोर्टल पर आवेदन किया गया था, परन्तु उनका चयन/वरीयता सूची में नाम नहीं आने के कारण लाभान्वित नहीं किया गया उन कृषकों के आवेदन पत्र राज किसान साथी पोर्टल पर वर्ष 2023-24 हेतु कैरी फॉरवर्ड करते हुए पात्र माना जाएगा।
15 मई के बाद प्राप्त आवेदनों को अगले साल के लिए लंबित रखा जाएगा। अब तक विभाग के माध्यम से संचालित विभिन्न योजनाओं में लॉटरी की तिथि तय नहीं रहती थी। इस वजह से किसानों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता था।
उद्यानिकी योजनाओं पर किसानों को कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा?
राजस्थान में उद्यान विभाग के माध्यम से में ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, शेडनेट, प्लास्टिक मल्च, लॉ-टनल, कम लागत के प्याज भंडार, पैक हाउस, सामुदायिक जल स्रोत आदि योजनाओं का संचालन किया जाता है। इनमें किसानों को इकाई लागत का 50 से 95 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा।
नये बगीचों की स्थापना के लिए अनुदान
इस वर्ष राजस्थान सरकार की बजट घोषणा के अनुसार नये फल बगीचों की स्थापना पर अनुदान 75 प्रतिशत देय है। एक लाभार्थी को अधिकतम 4.0 हेक्टेयर व न्यूनतम 0.4 हेक्टेयर के लिए सहायता देय है। बगीचों की स्थापना में ड्रिप संयंत्र लगाना अनिवार्य होगा।
सामुदायिक जल स्त्रोतों के विकास पर अनुदान
कृषक समूह द्वारा 10 हैक्टेयर क्षेत्र में कमाण्ड हेतु 100 गुणा 100 गुणा 3 मीटर वाटर रेजरवायर्स के 500 माईक्रोंन प्लास्टिक फिल्म, आर.सी.सी. लाइनिंग से निर्माण पर लागत 20.00 लाख रूपये इकाई का शत-प्रतिशत या छोटे साईज 50 गुणा 50 गुणा 3 न्यूनतम साईज के जल स्त्रोत पर यथानुपात अनुदान देय होगा। कृषक समूह के लिए न्यूनतम कृषक संख्या 3 रहेगी। पति/पत्नी में से एक को सदस्य माना जायेगा।
ग्रीन हाउस एवं शेडनेट हाउस स्थापना पर दिया जाने वाला अनुदान
योजना के अनुसार ग्रीन हाउस के लिए 2080 तक के लिए इकाई लागत 890 रुपए प्रति वर्ग मीटर तथा 2081 से 4000 तक के लिए 844 रुपए प्रति वर्ग मीटर एवं शेडनेट हाउस के लिए 4000 वर्ग मीटर तक इकाई लागत 710 रुपए प्रति वर्ग मीटर के तहत लघु सीमान्त को 95 प्रतिशत, अनुसूचित जाति/अनसूचित जन जाति को 70 प्रतिशत तथा सामान्य को 50 प्रतिशत अनुदान देय होगा। इसी प्रकार ग्रीन हाउस/शेडनेट हाउस में हाई वेल्यू वैजिटेबल की काश्त करने पर लागत (140 रुपए प्रति वर्ग मी.) का 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 4000 वर्ग मी. तक अनुदान देय होगा।
प्लास्टिक मल्चिंग के लिए दिया जाने वाला अनुदान
उद्यानिकी फसलों में खरपतवार नियंत्रण, जल के कुशलतम उपयोग एवं उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाये जाने हेतु प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग किया जाता है। लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 16,000 रूपये प्रति हेक्टेयर पर अनुदान देय है। एक लाभार्थी को अधिकतम 2.0 हेक्टेयर तक अनुदान देय है। लघु/सीमान्त किसानों के लिए प्लास्टिक मल्चिंग हेतु प्रति हैक्टेयर यूनिट लागत राशि रूपये 32,000 का 75 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर अनुदान राशि रूपये 24000 दिया जाएगा।
प्लास्टिक टनल पर दिया जाने वाला अनुदान
बागवानी फसलों को शीत के प्रकोप से बचाने हेतु प्लास्टिक टनल का प्रयोग किया जाता है। लागत (60 रुपए प्रति वर्ग मी.) का 50 प्रतिशत एवं एक लाथार्थी को अधिकतम 1000 वर्ग मीटर तक अनुदान देय है। लघु व सीमान्त श्रेणी के कृषकों को अनुदान सीमा प्रति कृषक 1000 वर्गमीटर से बढ़ाकर 4000 वर्गमीटर एवं अनुदान राशि 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
प्याज भंडारण, कोल्ड स्टोरेज एवं पैक हाउस पर अनुदान
पैक हाउस के तहत (9 गुणा 6 मीटर) कुल लागत 4 लाख के लिए देय अनुदान लागत का 50 प्रतिशत, समन्वित पैक हाउस के लिए (9 गुणा 18 मीटर) कुल लागत 50 लाख का 35 प्रतिशत (क्रेडिट लिंक बैंक एन्डेड) तथा कोल्ड स्टोरेज (अधिकतम 5000 मैट्रिक टन क्षमता हेतु) कुल लागत 8000 मैट्रिक टन के लिए लागत का 35 प्रतिशत (क्रेडिट लिंक बैंक एन्डेड) तक अनुदन देय होगा। वहीं कम लागत प्याज भण्डारण संरचना (25 मीट्रिक टन) रूपये 1.75 लाख प्रति इकाई लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम अनुदान 87,500 रुपए अनुदान दिया जाएगा।
25 मई तक कर लिया जाएगा किसानों का चयन
राज्य में उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में आवेदन करने वाले किसानों को अब अनुदान के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। राज्य सरकार ने विभाग के माध्यम से संचालित सभी योजनाओं में किसानों के चयन का कार्यक्रम जारी कर दिया है। उद्यान आयुक्तालय की गाइडलाइन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान विभिन्न योजनाओं में अनुदान के लिए आवेदन करने वाले किसानों का लॉटरी द्वारा चयन इसी महीने 25 मई तक किया जाएगा।
जिला स्तरीय कमेटी की देखरेख में निकाली जाएगी लॉटरी
विभागीय योजनाओं में प्राप्त आवेदनों के आधार पर किसानों के चयन के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी की निगरानी में किसानों का लॉटरी से चयन होगा । जिसमें कलेक्टर या प्रतिनिधि, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, उपनिदेशक एवं एनालिस्ट कम प्रोग्रामर, संयुक्त निदेशक सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग व उप निदेशक उद्यान विभाग को शामिल किया गया है।
किसान योजनाओं के तहत आवेदन प्राप्त करने के लिए आवेदन कहाँ करें ?
राजस्थान राज्य के इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते हैं वे 15 मई 2023 तक राज किसान साथी पोर्टल पर कृषक भूमि संबंधी दस्तावेज यथा जमाबंदी, भूमि प्रमाण-पत्र, भूमि नक्शा, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, बैंक खाते की प्रति तथा आवेदक की पासपोर्ट साईज फोटो के साथ ऑन लाइन आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद 25 मई तक किसानों का लॉटरी द्वारा चयन किया जाएगा।
देश में किसानों को कृषि में आवश्यक निवेश के लिए बैंक से ऋण उपलब्ध कराया जाता है, किन्ही कारणों से ख़ासकर खेती में नुकसान के चलते किसान समय पर यह ऋण चुका नहीं पाते हैं जिससे उस पर बहुत अधिक ब्याज राशि हो जाती है और किसान डिफॉल्टर हो जाते हैं, और किसानों को नया ऋण नहीं मिलता है। ऐसे में किसानों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में डिफॉल्टर किसानों के बकाया ब्याज राशि को माफ करने की योजना को मंजूरी दे दी है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज 09 मई 2023 के दिन मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रदेश के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के 2 लाख रूपये तक के 11 लाख 19 हजार डिफाल्टर किसानों पर बकाया ब्याज की राशि 2 हजार 123 करोड़ रूपये माफ करने के लिए ब्याज माफी योजना को मंजूरी दी गई है।
इन किसानों को मिलेगा ब्याज माफी योजना का लाभ
मुख्यमंत्री श्री चौहान की घोषणा “जो किसान ऋण माफी के चक्कर में डिफाल्टर हो गये हैं, उनके ब्याज की राशि सरकार द्वारा भरी जायेगी” के अनुरूप मंत्रि-परिषद द्वारा यह योजना मंजूर दी गई है। ऐसे डिफॉल्टर किसान, जिन पर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के 31 मार्च, 2023 की स्थिति में मूल एवं ब्याज को मिला कर 2 लाख रूपये तक का ऋण बकाया है, उन किसानों के ब्याज की भरपाई अब राज्य सरकार द्वारा की जायेगी।
31 मार्च 2023 तक के ऋण पर ब्याज किया जाएगा माफ
ब्याज माफी योजना के अनुसार किसान पर अल्पकालीन फसल ऋण एवं मध्यकालीन परिवर्तित ऋण को ब्याज सहित मिला कर 2 लाख रूपये तक का ऋण 31 मार्च, 2023 तक बकाया होना चाहिए, उन किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा । डिफाल्टर किसानों को ब्याज माफी का लाभ लेने के लिये अपनी समिति में आवेदन करना होगा। डिफाल्टर किसानों के ऊपर बकाया ऋण एवं ब्याज आदि के विवरण वाली सूची को बैंक स्तर पर एक पोर्टल से सार्वजनिक किया जायेगा।
साथ ही योजना में किसानों को कृषि कार्य के लिए खाद उपलब्ध कराने की विशेष सुविधा दी गयी है। जितनी राशि किसान द्वारा अपने ऋण खाते में नगद जमा की जायेगी, उतनी राशि तक का खाद वे समिति से ऋण के रूप में प्राप्त कर सकेंगे। योजना की अंतिम तिथि 30 नवम्बर, 2023 नियत की गई है। योजना के विस्तृत निर्देश सहकारिता विभाग द्वारा जारी किये जाएँगे।
किसान खेत की जुताई का काम अक्सर बुआई के समय करते हैं। जबकि फसलों में लगने वाले कीट-व्याधियों की रोकथाम की दृष्टि से बुआई के समय की गई जुताई से ज़्यादा लाभ गर्मी में गहरी जुताई करके खेत ख़ाली छोड़ दिए जाने से मिलता है। गर्मी में गहरी जुताई करने से भूमि का तापमान बढ़ जाता है। जिससे कीटों के अंडे, शंकु और लट खत्म हो जाते हैं।
फसल की अच्छी उपज के लिए रबी की फसल कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को ख़ाली रखना बहुत हीलाभदायक रहता है। क्योंकि कीटों के अंडे, प्यूपा और लारवा खत्म होने से खरीफ के मौसम में धान, बाजरा, दलहन और सब्ज़ियों में लगने वाले कीट-रोग का प्रकोप कम हो जाता है। अतः गर्मी में गहरी जुताई करने से कीड़े- बीमारियों से एक सीमा तक छुटकारा पाया जा सकता है।
गर्मी में जुताई से क्या लाभ होता है;-
किसानों को रबी फसलों की कटाई के बाद ही खेतों में गहरी जुताई कर लेना चाहिए, जिससे निम्न लाभ होते हैं:-
गर्मी की जुताई से सूर्य की तेज किरणें भूमि के अंदर प्रवेश कर जाती हैं, जिससे भूमिगत कीटों के अंडे, शंकु, लटें व वयस्क नष्ट हो जाते हैं।
फसलों में लगने वाले उखटा, जड़ गलन आदि रोगों के रोगाणु व सब्ज़ियों की जड़ों में गाँठ बनाने वाले सूत्रकृमि भी नष्ट हो जाते हैं।
खेत की मिट्टी में ढेले बन जाने से वर्षा जल सोखने की क्षमता बढ़ जाती है। जिससे खेतों में ज़्यादा समय तक नमी बनी रहती है।
गहरी जुताई से दूब, कांस, मौथा, बायसुरी आदि जटिल खरपतवारों से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
गर्मी की जुताई से गोबर की खाद व खेत में उपलब्ध अन्य कार्बनिक पदार्थ भूमि में भली-भाँति मिल जाते हैं। जिससे पोषक तत्व शीघ्र ही फसलों को उपलब्ध हो जाते हैं।
ग्रीष्मकालीन जुताई से पानी द्वारा भूमि कटाव में भारी कमी होती है।
बार–बार ट्रेक्टर जैसे भारी वाहनों से जुताई करने से मृदा के कणों के बीच का खाली स्थान कम हो जाता है, यानी खेत का मृदा घनत्व बढ़ जाता है। इससे मृदा में हवा का आवागमन बंद हो जाता है। गहरी जुताई में मृदा काफी उल्ट–पलट होती है, जिससे वायु के संरचना के लिए रंध्र बन जाते हैं।
वहीं बार–बार एक ही गहराई पर जुताई करने से उस गहराई पर एक कठोर तह का निर्माण हो जाता है। खेत की इस कठोर तह को तोड़कर मृदा को जड़ों के विकास के अनुकूल बनाने में ग्रीष्मकालीन जुताई लाभदायक होती है।
गर्मी की जुताई कैसे करें?
किसानों को गर्मी की जुताई 20-30 से.मी. गहराई तक किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। यदि खेत का ढलान पूर्व से पश्चिम की तरफ़ हो तो जुताई उत्तर से दक्षिण की ओर यानि ढलान को काटते हुए करनी चाहिए, जिससे वर्षा का पानी व मिट्टी न वह पाए। ट्रैक्टर से चलने वाले तवेदार मोल्ड बोर्ड हल भी गर्मी की जुताई के लिए उपयुक्त है।
किसानों को ज़्यादा रेतीलें इलाक़ों में गर्मी की जुताई नहीं करनी चाहिए/ मिट्टी के बड़े-बड़े ढेले रहे तथा मिट्टी भुरभुरी ना हो पाए क्योंकि गर्मी में हवा द्वारा मिट्टी के कटाव की समस्या हो जाती है।