अजोला को कहते हैं पशुओं का च्यवनप्राश, इसे खिलाने से पशु देंगे 25 प्रतिशत तक ज़्यादा दूध

पशुओं का च्यवनप्राश अजोला

हरा चारा सालभर उपलब्ध नहीं रहता और कई पशुपालक महंगा पशु आहार खिलाने में भी समर्थ नहीं होते। केवल सूखा चारा खाने से पशुओं को पूर्ण पोषण नहीं मिलता और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं और उनके दूध देने की क्षमता भी घट जाती है। दुधारू पशुओं को प्रतिदिन दो किलो तक पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, अगर पशुपालक सूखा चारा जैसे धान का पैरा, गेहूं का भूसा, आदि के साथ पशुओं को अजोला खिलाएं तो उनकी पोषण की जरूरत पूरी की जा सकती है।

अगर पशुपालक चाहें तो पशुओं को सालभर हरा आहार अजोला खिलाकर स्वस्थ रखने के साथ ही 20 से 25 प्रतिशत अधिक दूध भी ले सकेंगे। अजोला को उगाने में ज्यादा राशि भी खर्च नहीं करनी पड़ेगी। अजोला की खेती कर किसान भाई अपने मवेशियों के लिए पौष्टिक चारे के साथ साथ अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।

अजोला क्या है, क्यों कहते हैं इसे पशुओं का च्यवनप्राश?

अजोला एक अति पोषक छोटा जलीय फर्न (पौधा) है, जो स्थिर पानी में ऊपर तैरता रहता है। एजोला को घर में हौदी बनाकर, तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में कही भी उगाया जा सकता है। किसान इसको टबों और ड्रमों में भी उगा सकते हैं। यह पौधा पानी में विकसित होकर मोटी हरी चटाई की तरह दिखने लगती है। इसका उपयोग पशु आहार के रूप में गाय, भैंस,बकरी, भेड़, शूकर, मछली और मुर्गियों आदि के लिए किया जाता है।

इसमें प्रोटीन, एमिनो एसिड, विटामिन व खनिज लवण की मात्रा अधिक होती है। आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा-कैरोटीन) साथ ही यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, मैग्नेशियम जैसे खनिज लवणों से भरपूर होता है। अजोला एक बेहतरीन पूरक पोषण आहार है जो मवेशियों को अच्छा पोषण देने के साथ साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसके पोषक गुणों के कारण इसे पशुओं का च्यवनप्राश भी कहा जाता है।

आसानी से पचने वाला आहार है अजोला

अजोला पशुओं के लिए हाई प्रोटीन और लो लिग्निन वाला आहार है। जिसे पशु आसानी से पचा सकते हैं। इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। इसे पशुओं के आहार में शामिल करने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पशु कम बीमार पड़ते हैं जिससे पशुपालकों पर आर्थिक भार भी कम होता है। 

पशुओं को प्रतिदिन आहार के साथ अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि के साथ-साथ दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है। मुर्गियों को आहार के साथ प्रतदिन अजोला खिलाने से उनके शारीरिक वजन तथा अंडा उत्पादन क्षमता में वृद्धि आंकी गई है।

एक बेहतरीन जैविक खाद भी है अजोला

अजोला कम कीमत पर उपलब्ध एक बेहतरीन जैविक खाद है। अजोला की पंखुडि़यो में एनाबिना नामक नील हरित शैवाल पाया जाता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। अजोला में नाइट्रोजन की मात्रा 3 से 4 प्रतिशत होती है, साथ ही इसमें कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।

इसे खाद के रूप में उपयोग करने से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। अजोला हानिकारिक रासायनिक उर्वरकों का एक बेहतरीन विकल्प है। जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में मददगार है। इस खाद के इस्तमाल से उच्च गुणवत्ता के खाद्य पदार्थों की पैदावार ली जा सकती है जिससे सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।

सरकार ने किया तारीखों का ऐलान, किसान इस दिन से समर्थन मूल्य पर मूंग एवं उड़द बेचने के लिए करा सकेंगे पंजीयन 

MSP पर मूंग एवं उड़द खरीदी के लिए पंजीयन

इस वर्ष बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की रबी फसलों को काफी नुक़सान हुआ है, ऐसे में किसानों को गर्मी के सीजन (जायद) में लगाई जाने वाली मूंग एवं उड़द की फसल से उम्मीदें हैं। किसानों को इन फसलों को उचित भाव मिल सके इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों से मूंग एवं उड़द समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया है। किसानों से इन फसलों को खरीदने के लिए पंजीयन की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन में मूंग के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,755 रुपए प्रति क्विंटल एवं उड़द के लिए 6,600 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय किया था। सरकार द्वारा इस जायद सीजन में इस भाव पर ही मूंग एवं उड़द की खरीदी की जाएगी।

कब करा सकेंगे मूंग एवं उड़द MSP पर बेचने के लिए पंजीयन

मध्य प्रदेश के किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि प्रदेश में विपणन वर्ष 2023-24 में मूंग और उड़द की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए 8 मई से पंजीयन शुरू होगा। किसान भाई 19 मई तक ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द फसलों का पंजीयन करवा सकेंगे। सरकार ने राज्य के 32 जिलों में मूंग तो 10 जिलों में उड़द खरीदने का निर्णय लिया है।

इन जिलों के किसान मूंग बेचने के लिए करा सकेंगे पंजीयन

मध्य प्रदेश के मूंग के अधिक उत्पादन वाले 32 जिलों में नर्मदापुरम्, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खंडवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकलां, भिंड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़, मंडला, शिवपुरी, अशोकनगर, बालाघाट और इंदौर में पंजीयन केन्द्र खोले जा रहे हैं। इसी प्रकार उड़द के अधिक उत्पादन वाले 10 जिलों जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, मंडला, उमरिया, सिवनी एवं बालाघाट में किसानों के पंजीयन के लिए केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं।

फसल नुकसान का मुआवजा लेने में परेशानी से बचने के लिए किसान जल्द करें यह काम

बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा

इस वर्ष रबी सीजन में बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई राज्य सरकारों द्वारा जल्द की जाएगी। ऐसे में वास्तविक किसानों को योजना का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने राज्य में किसानों को स्वयं ही फसल नुकसान की सूचना ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से देने का विकल्प दिया था। 

जिसमें राज्य के किसानों ने ई-फसल क्षति पोर्टल के माध्यम से फसल नुकसान की सूचना भी दर्ज कराई है परंतु अब किसानों के द्वारा दर्ज कराई गई इन सूचनाओं में कई तरह की गड़बड़ी सामने आई है जिसको लेकर सरकार ने किसानों से इसे दूर करने के लिए किसानों को कहा है।

किसान फसल मुआवजा प्राप्त करने के लिए करें यह काम

हरियाणा सरकार के एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ किसानों ने शिकायत की है कि जब वे अपनी फसलों के ख़राबा का ब्यौरा ऑनलाइन-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करवाने गए तो पता चला कि उनकी जमीन के मालिक के तौर पर बैंक खाता नंबर तथा मोबाइल नंबर किसी अन्य व्यक्ति ने दर्ज करवा रखे हैं जो कि सरासर धोखाधड़ी है। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसे मामले अधिकतर उन किसानों के सामने आते हैं जो कम पढ़े -लिखे हैं।

प्रवक्ता ने प्रदेश के किसानों को आगाह करते हुए कहा है कि सभी किसान क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपने -अपने बैंक खाता व मोबाइल नंबर की जाँच कर लें, अगर कोई गड़बड़ी मिलती है तो वे तुरंत प्रभाव से अपने क्षेत्र के तहसीलदार या एसडीएम को दे दें ताकि उसको दुरुस्त किया जा सके।  

सरकार ने बैंक खातों एवं मोबाइल नंबर जाँचने के दिए निर्देश

मोबाइल नम्बर, खाता संख्या में गलती के चलते फसल खराबे का मुआवजा सम्बन्धित किसान को मिलने में परेशानी हो सकती है। इन्ही गड़बड़ी की शिकायतों को देखते हुए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने -अपने जिला में किसानों को क्षतिपूर्ति पोर्टल पर बैंक खातों और मोबाइल नंबर की जांच करने की एडवाइजरी जारी करें ताकि पीड़ित किसानों के साथ धोखाधड़ी भी न हो, और नुकसान की प्रतिपूर्ति राशि जमीन के असली मालिक को मिल सके। राज्य सरकार ने सभी तहसीलदारों और उपमंडल अधिकारियों को किसानों की शिकायतों को प्राथमिकता से दूर करने के निर्देश दिए हैं।

सरकार ने FPO गठन संवर्धन योजना को दी मंजूरी, अब एफपीओ को दिया जाएगा 18 लाख रुपए तक का अनुदान 

कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन एवं संवर्धन योजना 

देशभर में सरकार द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए कृषक उत्पादक संगठन (FPO) का गठन किया जा रहा है। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा एफ.पी.ओ. को अनुदान के साथ ही कई सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने भी राज्य में “कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन एवं संवर्धन योजना’’ शुरू करने का निर्णय लिया है। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान की अध्यक्षता में गुरूवार को केबिनेट की बैठक में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन एवं संवर्धन योजना’’ को मंजूरी दे दी गई है। योजना के अंतर्गत प्रदेश में प्रत्येक विकासखण्ड में न्यूनतम 2 कृषक उत्पादक संगठन के गठन को प्रोत्साहित करने के लिये नवीन योजना बनाई गई है।

“कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन एवं संवर्धन” योजना क्या है?

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में हर विकासखंड में कम से कम 2 कृषक उत्पादक संगठन (FPO) के गठन को प्रोत्साहित किये जाने के उद्देश्य से नवीन राज्य पोषित योजना “कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन एवं संवर्धन” योजना के क्रियान्वयन का निर्णय लिया। योजना में ऐसे FPO को प्रोत्साहित किया जायेगा जो किसी अन्य संस्था के सहयोग से गठित नहीं हुआ है। 

इन FPO को हैंड होल्डिंग प्रदान की जायेगी। इससे FPO के सदस्यों को गुणवत्ता युक्त आदान सामग्री, उन्नत कृषि यंत्र, पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक के उपयोग में सहायता मिलेगी। साथ ही उन्हें बाजार से जोड़ा जा सकेगा। योजना का कियान्वयन सम्पूर्ण प्रदेश में संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से किया जायेगा।

प्रति किसान कितना अनुदान दिया जाएगा?

मध्य प्रदेश के किसान एवं कल्याण मंत्री श्री कमल पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2025 तक संचालित होने वाली इस योजना में कुल 50 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। इसमें वर्ष 2023-24 के लिये 20 करोड़ 99 लाख एवं वर्ष 2024-25 के लिये 29 करोड़ एक लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। योजना में 3 वर्षों के लिये प्रति एफपीओ अधिकतम 18 लाख रूपये प्रदान किये जायेंगे। 

एफपीओ को इक्विटी अनुदान के रूप में प्रति किसान 2 हजार रूपये अधिकतम 15 लाख रूपये प्रदान किये जायेंगे। कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति द्वारा योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा।

सरकार 1 से 10 एचपी तक के सोलर पम्प पर दे रही है 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी, किसान अभी करें आवेदन

सोलर पम्प अनुदान हेतु आवेदन

देश में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने एवं खेती की लागत कम करने के लिए सरकार किसानों को सोलर पम्प की स्थापना पर भारी सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। इसके लिए देश भर में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान यानी पीएम-कुसुम योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत अलग-अलग राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार द्वारा सोलर पम्प की स्थापना के लिए अनुदान दिया जा रहा है। 

हरियाणा सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प पर 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जिन किसानों ने वर्ष 2019 से 2021 तक 1 एचपी से 10 एचपी बिजली आधारित कृषि ट्यूबवैल के लिए आवेदन किया था, वे पीएम कुसुम योजना का लाभ ले सकते हैं।

किसान 15 मई तक कर सकते हैं आवेदन 

राज्य के ऐसे किसान जिन्होंने बिजली आधारित कृषि ट्यूबवैल के लिए DISCOM (UHBVN/DHBV) में आवेदन किया था वह किसान पीएम-कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसान सोलर पम्प की क्षमता का चयन करने के लिए आगामी 15 मई तक http://pmkusum.hareda.gov.in पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।  

आवेदक की मौजूदा applicant ID जो बिजली आधारित ट्यूबवैल का आवेदन करने पर प्राप्त हुई थी वह इस पोर्टल पर User ID होगी और इसमें आपके द्वारा दिए गए मोबाइल नम्बर पर OTP से चयन कर सकेंगे।

सोलर पम्प अनुदान के लिए आवश्यक दस्तावेज एवं पात्रता 

अभी योजना का लाभ उन्हीं किसानों को दिया जाएगा जिन्होंने वर्ष 2019 से 2021 के दौरान 1 एचपी से 10 एचपी बिजली आधारित कृषि ट्यूबवैल के लिए DISCOM (UHBVN/DHBVN) में आवेदन किया था। आवेदक के परिवार के नाम पर बिजली पम्प/ सोलर पम्प का कनेक्शन नहीं होना चाहिए। वहीं ऐसे किसान जो धान की खेती कर रहे हैं और उनके क्षेत्र में भूजल का स्तर 40 मीटर के नीचे चला गया है, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। 

आवेदक के पास निम्न दस्तावेज होना चाहिए:-

  • परिवार पहचान पत्र
  • आवेदक के नाम पर कृषि भूमि की जमाबंदी/ फर्द 
  • खेत में सूक्ष्म सिंचाई पाइप लाइन स्थापित होने का प्रमाण या पम्प लगाने से पहले स्थापित कर लेंगे।

किसानों को सोलर पम्प के लिए देना होगा लगभग इतनी राशि

सोलर पम्प के प्रकार (एचपी)
अनुमानित उपभोक्ता देय राशि (रुपए में)

3 HP DC, surface (Monoblock) with normal controller

55,000

3 HP DC, Submersible with Normal Controller 

56,000

5 HP, surface (Monoblock) with normal controller

78,000

5 HP Submersible (Monoblock) with Normal Controller 

79,000

7.5 HP DC, surface (Monoblock) with normal controller

1,11,000

7.5 HP DC, Submersible with Normal Controller 

1,12,000

10 HP DC, Submersible with Normal Controller 

1,37,000

10 HP DC, surface (Monoblock) with normal controller

1,39,000

3 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

80,000

3 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

83,000

5 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

1,02,000

5 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

1,05,000

7.5 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

1,54,000

7.5 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

1,67,000

10 HP DC, surface (Monoblock) with Universal Solar Pump Controller 

2,05,000

10 HP DC, Submersible with Universal Solar Pump Controller

2,12,000

*यह राशि अनुमानित है सही देय राशि केंद्र के द्वारा निविदा के माध्यम से रेट तय करने के बाद सूचित कर दी जाएगी*

मूल्य निर्धारण के बाद आवेदक इसी पोर्टल पर जाकर सरकार द्वारा सूचीवद्ध कम्पनी का चयन करके लाभार्थी हिस्सा जमा करना होगा, जिसकी सूचना पंजीकृत मोबाइल पर दी जाएगी।

70 हजार सोलर पम्प किए जाएँगे स्थापित 

वर्ष 2023-24 में हरियाणा सरकार ने 70,000 सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य रखा है जिसमें प्राथमिकता बिजली आधारित ट्यूबवैल कनेक्शन वाले आवेदकों को दी जाएगी। बचे हुए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरल पोर्टल से आवेदन माँगे जाएँगे। 

योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ज़िले के अतिरिक्त परियोजना अधिकारी कार्यालय में परियोजना अधिकारी/ सहायक परियोजना अधिकारी, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग एवं कार्यालय के दूरभाष नंबर 0172-3504085 पर प्रातः 9 बजे से शाम 5 बजे तक सम्पर्क कर सकते हैं।

सब्सिडी पर सोलर पम्प हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

किसानों को कम किराए पर दिए जा रहे हैं ट्रैक्टर सहित अन्य कृषि यंत्र, युवाओं को ड्रोन खरीदने के लिए दिया जा रहा है अनुदान

किराए पर कृषि यंत्र

खेती किसानी और बागवानी में उन्नत बीज, खाद और सिंचाई के साथ-साथ आधुनिक कृषि यंत्रों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। कृषि यंत्रों की मदद से किसान जहां कम समय में कृषि कार्य कर सकते हैं वहीं उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होती है, लेकिन आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नही होने के कारण लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरण क्रय कर पाना संभव नहीं हो पाता है। इन्हीं किसानों के लिए सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग केंद्र, कृषि बैंक एवं हाईटेक हब जैसे कृषि यंत्र केंद्रों की स्थापना की जा रही है।

किसान इन केंद्रों से ट्रैक्टर सहित अन्य सभी कृषि यंत्र किराए पर लेकर अपने कृषि कार्यों को पूरा कर सकते हैं, और इसमें लागत भी कम आती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य में क्रय विक्रय सहकारी समितियों (के.वी.एस.एस), ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जी.एस.एस.) और कृषक उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) के माध्यम से कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए दिया जाता है 8 लाख रुपए तक का अनुदान

कृषि विभाग द्वारा कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए कृषि यंत्रों की खरीद के लिए 8 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। इन केंद्रों पर ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल जैसे उन्नत कृषि यंत्रों की खरीद की जाती है। किसान केन्द्रों से जरूरत के कृषि यंत्रों को किराये पर लेते हैं तथा खेती में इस्तेमाल करते हैं। इस सुविधा से किसानों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता। उन्नत तकनीकों को काम में लेकर उनके लिए कृषि का काम आसान हो जाता है और फसल के उत्पादन में वृद्धि होने के कारण उनकी आय में भी इजाफा होता है।

किसान ड्रोन खरीदने के लिए दिया जा रहा है अनुदान

मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत राज्य में स्थापित कस्टम हायरिंग केन्द्रों, कृषक उत्पादक संगठनों एवं बेरोजगार कृषि स्नातकों को किसान ड्रोन क्रय करने पर अनुदान दिया जा रहा है। किसान ड्रोन पर लागत का 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपए का अनुदान देय है। किसान ड्रोन को आपरेट करने के लिए भारत सरकार के मान्यता प्राप्त संस्थान से पायलट लाइसेंस या सर्टिफिकेट आवश्यक है।

यहाँ करें सब्सिडी पर ड्रोन खरीदने के लिए आवेदन

राजस्थान सरकार राज्य में कस्टम हायरिंग केन्द्रों, कृषक उत्पादक संगठनों एवं बेरोजगार कृषि स्नातकों को किसान ड्रोन खरीदने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने के लिए विकसित मॉड्यूल पर आवेदन कर सकते हैं।

कस्टम हायरिंग केन्द्रों व कृषक उत्पादक संगठनों के लिए कैंसल्ड चेक, पायलट लाइसेंस या सर्टिफिकेट की प्रति, कस्टम हायरिंग केन्द्र की वित्तीय स्वीकृति तथा इसी तरह बेरोजगार कृषि स्नातको के लिए कैंसल्ड चेक, पायलट लाइसेंस या सर्टिफिकेट की प्रति, कृषि स्नातक की डिग्री या मार्कशीट की प्रति, जिला रोजगार कार्यालय से बेरोजगार होने का प्रमाण पत्र देना होगा।

सरकार ग्रीन हाउस एवं शेड नेट हाउस पर दे रही है 95 प्रतिशत तक की सब्सिडी, किसान ऐसे लें योजना का लाभ

ग्रीन हाउस एवं शेड नेट हाउस अनुदान

देश में प्रति वर्ष प्राकृतिक आपदाओं एवं कीट बीमारियों से किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है। किसानों को होने वाले इस नुकसान से फसलों के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है, ऐसे में सरकार विभिन्न उपज की उपलब्धता साल भर कराने एवं प्राकृतिक आपदाओं को कम करने के लिए संरक्षित खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार द्वारा ग्रीन हाउस एवं शेड नेट हाउस पर किसानों को भारी सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। किसान ग्रीन हाउस तथा शेड नेट हाउस निर्मित कर कम क्षेत्रफल में अधिक तथा बेहतर गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त कर सकते हैं।

संरक्षित खेती की उपयोगिता को देखते हुए राजस्थान सरकार राज्य में खेती को प्राकृतिक प्रकोपों और अन्य समस्याओं से बचाने तथा जल संरक्षण के लिए प्रदेश के किसानों को अपने खेतों में ग्रीन हाउस तथा शेडनैट हाउस लगाने के लिए 95 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। 

ग्रीन हाउस और शेडनैट हाउस पर कितना अनुदान Subsidy दिया जाएगा

राजस्थान के संयुक्त निदेशक उद्यान ने बताया कि ग्रीन हाउस एवं शेडनैट हाउस के निर्माण पर सामान्य किसानों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। इसी प्रकार प्रदेश के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को 70 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष की बजट घोषणा में अनुदान की राशि बढ़ाते हुए अधिसूचित जनजाति क्षेत्र के सभी कृषकों तथा प्रदेश के समस्त लघु, सीमांत कृषकों को 95 प्रतिशत तक का अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है।

4 हजार वर्ग मीटर तक के ग्रीन हाउस और शेडनैट हाउस पर दिया जाएगा अनुदान

संयुक्त निदेशक उद्यान श्री बी.आर. कड़वा ने कहा कि किसानों को 500 वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस स्थापित करने के लिए 1060 रुपये प्रति वर्ग मीटर, 500 से 1008 वर्ग मीटर के लिए 935 रुपये प्रति वर्ग मीटर, 1008 से 2080 वर्ग मीटर के लिए 890 रुपये तथा 2080 से 4000 वर्ग मीटर पर 844 रुपये प्रति वर्ग मीटर इकाई लागत के आधार पर पात्रता अनुसार 50, 70  अथवा 95 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। इसी प्रकार शेडनैट हाउस स्थापित करने के लिए एक हजार से 4 हजार वर्ग मीटर पर 710 रुपये प्रति वर्गमीटर लागत के आधार पर नियमानुसार अनुदान दिया जाता है।

इस वर्ष 30 हजार किसानों को दिया जाएगा अनुदान

राजस्थान सरकार ने राज्य में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए आगामी 2 वर्षों में 60 हजार किसानों को एक हजार करोड़ रुपए का अनुदान देने का लक्ष्य रखा है। इसमें राज्य सरकार द्वारा इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 हजार किसानों को 501 करोड़ का अनुदान दिया जाएगा। इस वित्तीय वर्ष की बजट घोषणा के अनुसार राज्य में 36 लाख वर्ग मीटर ग्रीन हाउस और 10 लाख वर्ग मीटर शैडनेट हाउस स्थापित कर कृषकों को लाभान्वित किया जाएगा। 

ग्रीनहाउस में खेती करने से क्या लाभ होता है?

किसान विशेषकर बागवानी फसलों के लिये ग्रीन हाउस और शेडनैट में खेती कर रहे हैं। ग्रीनहाउस बहुत अधिक गर्मी या सर्दी से फसलों की रक्षा करते हैं, ओलावृष्टि औऱ अतिवृष्टि से पौधों की ढाल बनते हैं और कीटों को बाहर रखने में मदद करते हैं। प्रकाश, तापमान एवं पोषक तत्व नियंत्रण की वजह से ग्रीनहाउस मौसम की विपरीत परिस्थितियों में ज्यादा मुनाफा देता है। जिससे पारंपरिक खेती की तुलना में संरक्षित खेती से उत्पादन एवं गुणवत्ता में कई गुना वृद्धि हुई है।

इस तकनीक से गैर-मौसमी फसलें उगाने में भी मदद मिलती है, जिनका बाजार में किसान को अच्छा मूल्य मिलता है। ग्रीन हाउस संरचना से वर्षा जल को संचित कर ड्रिप संयंत्र से सिंचाई की जाती है। इस खेती का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इस प्रकार की खेती में पानी की आवश्यकता बहुत कम होती है।

किसान ग्रीन हाउस अथवा शेड नेट हाउस पर सब्सिडी के लिए कहाँ आवेदन करें?

इस सम्बंध में उद्यान निदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में किसान ग्रीन हाउस अथवा शेडनैट हाउस स्थापित करने के लिए राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वहीं किसानों को आवश्यक दस्तावेज में जमाबन्दी नकल (6 माह से अधिक पुरानी नहीं हो), आधार कार्ड / जनाधार कार्ड, मिट्टी व पानी की जाँच रिपोर्ट, अनुमोदित फर्म का कोटेशन, सिंचाई स्त्रोत का प्रमाण तथा लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कृषकों को अनुदान हेतु संबधिंत प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

KCC: मछली पालन, पशुपालन और डेयरी किसानों को दिए जाएँगे किसान क्रेडिट कार्ड, सरकार ने शुरू किया अभियान

मत्स्यपालन, पशु पालन और डेयरी के लिए मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड

देश में कृषि एवं सम्बंधित गतिविधियों में आवश्यक निवेश के लिए पूँजी उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड Kcc दिए जा रहे हैं। योजना के अंतर्गत किसानों को कम ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध कराया जाता है। इस कड़ी में देश के अधिक से अधिक किसानों को योजना का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा समय-समय पर विशेष अभियान चलाए जाते हैं।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने 03 मई, 2023 को वर्चुअल माध्यम से आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में वर्ष 2023-24 के लिए राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान का आधिकारिक तौर पर शुभारंभ किया। इस अभियान से मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी गतिविधियों में लगे सभी छोटे भूमिहीन किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सुविधा देने में मदद मिलेगी। 

31 मार्च 2024 तक चलेगा केसीसी अभियान

देश के सभी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ प्रदान करने के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य विभाग (डीओएफ) और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सहयोग से 1 मई, 2023 से 31 मार्च 2024 तक “राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान” का आयोजन कर रहा है। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देशों से अवगत कराने वाला परिपत्र 13 मार्च, 2023 को राज्यों के लिए जारी किया गया था। वित्तीय सेवा विभाग ने बैंकों के साथ-साथ राज्य सरकार को भी आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।

पशु पालन एवं मछली पालन के लिए जारी किए गए 27 लाख केसीसी 

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने वित्तीय सेवा विभाग के सहयोग से सभी पात्र पशुपालन और मत्स्य किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा प्रदान करने के लिए जून 2020 से कई अभियान चलाए हैं। पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को 27 लाख से अधिक नए किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किए गए। 

पिछला राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान 15 नवंबर, 2021 से 15 मार्च, 2023 के दौरान आयोजित किया गया था। इस अभियान के अंतर्गत हर सप्ताह प्रमुख जिला प्रबंधक के सहयोग से किसान क्रेडिट कार्ड समन्वय समिति ने शिविर आयोजित किए गए थे। किसानों से प्राप्त आवेदनों की स्थल पर ही जांच राज्य पशुपालन और मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने की।

अब किसान बिना पैसों के करा सकेंगे गाय एवं भैंस का 40 हजार रुपए तक का बीमा

कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत गाय एवं भैंस का बीमा

पशु पालन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साथ ही दैनिक आय का अच्छा जरिया है। ऐसे में पशु पालन को और अधिक लाभकारी बनाने एवं किसानों का जोखिम कम करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने राज्य में कामधेनु पशु बीमा योजना शुरू की है। योजना के अंतर्गत अभी तक सिर्फ़ दुधारू गायों का बीमा किए जाने का प्रावधान था जिसे अब आगे बढ़ाकर दुधारू भैंसों के लिए भी कर दिया गया है।

राजस्थान कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार पशुपालकों के हितों के लिए समर्पित होकर कार्य रही है। इसी क्रम में राज्य सरकार द्वारा सम्पूर्ण प्रदेश में 24 अप्रैल से 30 जून तक लगाए जा रहे महंगाई राहत कैम्प के तहत प्रमुख 10 योजनाओं में शामिल मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत अब दुधारू गौवंश के साथ दुधारू भैंस का भी बीमा किया जायेगा।

किसानों को नहीं देने होंगे पशु बीमा के लिए कोई पैसे 

कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत अब दुधारू गौवंश के साथ ही दुधारू भैंस को भी शामिल कर लिया गया है। साथ ही अब यह बीमा पूर्णतया निःशुल्क किया जायेगा। पशु पालन मंत्री ने बताया कि पशुपालकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए बीमा प्रीमियम की राशि का भार अब राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। जिससे अब पशुपालक बढ़ती महंगाई से राहत के साथ उन्नत पशुपालन कर सकेंगे। यह बीमा योजना सम्पूर्ण देश में अनूठी योजना है एवं पशु बीमा के क्षेत्र में यह योजना देश में सबसे बड़ी योजना साबित होगी। 

पशुपालकों को मिलेगी महंगाई से राहत

कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत दिए जा रहे प्रति दुधारू पशु 40 हजार रुपए तक का बीमा निःशुल्क होने से पशुपालकों पर किसी भी प्रकार का आर्थिक भार नहीं पड़ेगा। पशुपालकों को पशुपालन में बढ़ती महंगाई से राहत के साथ सहूलियत मिल पायेगी। वही बीमा के तहत दुधारू गौवंश के साथ दुधारू भैंस को शामिल करने से अब पशुपालक निश्चिंत होकर उन्नत पशुधन के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि पर ध्यान दे सकेंगे।

14 लाख पशुपालकों ने कराया है पशुओं का बीमा

राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में महंगाई राहत कैम्प का आयोजन किया जा रहा है। सरकार द्वारा आयोजित इस कैम्प में सरकार द्वारा चलाई जा रही 10 योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इसमें कामधेनु पशु बीमा योजना को भी शामिल किया गया है। महंगाई राहत कैंप में पशुपालक बड़ी संख्या में महंगाई से राहत के लिए प्रमुख 10 योजनाओं में पंजीयन के लिए पहुंच रहे है, वहीं अब तक 14 लाख 94 हजार 799 परिवारों का मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत पंजीयन हो चुका है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा महंगाई राहत कैंप के अवलोकन के दौरान दुधारू गौवंश के साथ दुधारू भैंस को मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना में शामिल करने की घोषणा की गयी थी।

कृत्रिम गर्भाधान से बछिया पैदा करने की नई तकनीक के लिए अब पशुपालकों को देना होगा मात्र इतने रुपए

सेक्‍स सॉरटेड सीमन की नई दरें की गई निर्धारित

देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नस्ल सुधार के लिए नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही ऐसी नई तकनीक विकसित की गई हैं जिससे केवल बछिया का ही जन्म होता है। इस तकनीक से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होने के साथ नर बछड़ों की संख्या बढ़ने पर अंकुश लगता है, जिससे पशु पालकों की आमदनी में भी वृद्धि होती है। इस तकनीक के महत्व को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने कृत्रिम गर्भाधान से बछिया पैदा करने के लिए सेक्‍स सॉरटेड सीमन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इसकी दरों में काफी कमी कर दी है।

मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल ने बताया कि विभाग ने कृत्रिम गर्भाधान से बछिया पैदा करने की नई तकनीक (सेक्स सीमन) की नई दर निर्धारित की है। राज्‍य सरकार द्वारा पूर्व में सेक्‍स सॉरटेड सीमन की दर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के पशुपालकों के लिए 400 रूपये प्रति स्‍ट्रा तथा सामान्‍य एवं अन्‍य पिछडा वर्ग के पशुपालकों के लिए 450 रूपये प्रति स्‍ट्रा निर्धारित की गई थी।

अब पशु पालक को सेक्स सीमन के लिए कितने रुपए देना होगा?

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए मुख्‍यमंत्री पशुपालन विकास योजना चलाई जा रही है। पशु पालन मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में राज्‍य शासन के द्वारा मुख्‍यमंत्री पशुपालन विकास योजना में परियोजना के क्रियान्‍वयन के लिए राज्‍य शासन से प्राप्‍त अनुदान राशि के फलस्‍वरूप प्रदेश के सभी श्रेणी के पशुपालकों के लिए सेक्‍स सॉरटेड सीमन की नई दर 100 रूपये निर्धारित की गई है।