सभी ग्राम पंचायतों में लगाई जाएगी चारा फसल हाइब्रिड नेपियर घास, पशुपालकों को मिलेगा लाभ

चारा फसल हाइब्रिड नेपियर घास प्रदर्शनी

देश में दुग्ध उत्पादन एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। इसमें पशुओं को अच्छा आहार मिल सके इसके लिए सरकार बहुवर्षीय चारा फसल हाइब्रिड नेपियर घास के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य की सभी ग्राम पंचायतों में हाइब्रिड नेपियर घास लगाने जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने योजना को मंजूरी दे दी है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने ‘राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन’ (आरएसपीडीएम) के अंतर्गत प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में हाइब्रिड नेपियर घास (बहुवर्षीय चारा फसल) की प्रदर्शनी लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

11283 ग्राम पंचायतों में लगाई जाएगी प्रदर्शनी

सरकार ने योजना के तहत राज्य की सभी 11,283 ग्राम पंचायतों में नेपियर घास की प्रदर्शनी लगाने का फैसला लिया है। राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन के अंतर्गत हाइब्रिड नेपियर घास की प्रदर्शनी प्रत्येक ग्राम पंचायत में 0.2 हेक्टेयर भूमि में प्रगतिशील किसानों, विभाग के फार्म, कृषि प्रशिक्षण केन्द्र (एटीसी) एवं प्रमुख गौशालाओं में लगाएगी। इसके लिए सरकार ‘कृषक कल्याण कोष’ से 23 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं तथा कृषि क्षेत्र में कई नवाचार हुए हैं। श्री गहलोत द्वारा 2023-24 के बजट में इस संबंध में घोषणा की गई है।

क्या है नेपियर घास के फायदे

हाइब्रिड नेपियर घास एक बहुवर्षीय चारा फसल है। इसे हर प्रकार की जलवायु एवं मिट्टी में उगाया जा सकता है। किसानों और पशु पालकों के लिए यह एक बेहतर पशु चारा विकल्प है। इसे एक बार बोने पर 4-5 वर्ष तक सफलतापूर्वक हरा चारा उत्पादन किया जा सकता है। यह तीव्र वृद्धि, शीघ्र पुर्नवृद्धि, अत्यधिक कल्ले, अत्यधिक पत्तियों आदि गुणों के साथ-साथ 2000 से 2500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष तक हरा चारा उत्पादन देने में सक्षम है। यह 40 दिन में 4-5 फुट उँची हो जाती है तथा इस अवस्था पर इसका पूरा तना व पत्तियां हरे रहते हैं जिसके कारण यह रसीली तथा सुपाच्य होती है और पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं।

सरकार ने 15 दिनों में खरीदा 1 लाख 45 हजार क्विंटल गोबर, ग्रामीण पशुपालकों को किया गया 2 करोड़ 91 लाख रुपए का भुगतान

गोबर खरीदी का भुगतान

छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में पशुपालकों, ग्रामीणों एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए गोधन न्याय योजना चला रही है। योजना के तहत ग्रामीण पशु पालकों, किसानों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर की खरीदी करती है, जिससे विभिन्न तरह के उत्पाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट खाद, प्राकृतिक पेंट, बिजली सहित कई उत्पाद तैयार करके बेचा जाता है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 5 अप्रैल के दिन लाभार्थियों को 5 करोड़ 32 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन जारी की।

सरकार ने यह भुगतान 16 मार्च से 31 मार्च के दौरान पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों के द्वारा किए गए कामों के लिए किया गया है। इस दौरान गोठानों के माध्यम से 1 लाख 45 हजार क्विंटल गोबर के एवज में 2 करोड़ 91 लाख रुपए का भुगतान किए जाने के साथ ही गौठान समितियों को 1.43 करोड़ रुपए और महिला समूहों को 98 लाख रुपए की लाभांश राशि का वितरण शामिल है।

यहाँ स्थापित की जाएगी बिजली उत्पादन इकाइयाँ

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना में हम लोगों ने निरंतर उपलब्धियां हासिल की है, लेकिन राज्य में स्वावलंबी गौठानों की संख्या में जिस तेजी से वृद्धि हो रही है, वह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इस योजना का मुख्य उद्देश्य ही अपने गांवों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना है। उन्होंने कहा कि जिन गौठानों में प्रतिदिन 5 क्विंटल से अधिक गोबर खरीदी हो रही है, वहां बिजली उत्पादन इकाई की स्थापना के लिए विशेष पहल की जाएगी।

गौठान समिति के सदस्यों को दी जाएगी प्रोत्साहन राशि

इस अवसर पर मुख्य मंत्री ने बताया कि जो गौठान समितियाँ स्वावलम्बी हो गई हैं उन गौठान समितियों को स्वावलंबन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हम लोगों ने स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्षों को 750 रुपए और सदस्यों को 500 रुपए हर महीने प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया है। उन्होंने सभी गौठान समितियों से अपील है कि वे भी तेजी से स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ें और प्रोत्साहन का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। 

ब्याज अनुदान योजना को मिली मंजूरी, किसानों को अब नहीं देना होगा ऋण पर ब्याज

कृषि ऋण पर ब्याज अनुदान योजना

किसानों को अब अल्पकालीन फसली ऋण पर किसी तरह का ब्याज नहीं देना होगा। राजस्थान सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए 736 करोड़ रुपए की ब्याज अनुदान योजना को मंजूरी दे दी है। जिससे किसानों को सहकारी बैंक से लिए गए ऋण को समय पर चुकाने पर अतिरिक्त ब्याज अनुदान दिया जाएगा। सरकार के इस फ़ैसले से किसानों को बिना ब्याज के ऋण मिल सकेगा। साथ ही सरकार ने दीर्घकालीन फसली ऋण पर भी 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान देने का फैसला लिया है। 

राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने 736 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए ब्याज मुक्त फसली ऋण अनुदान योजना के तहत 560 करोड़ रुपए की अनुदान राशि तथा क्षतिपूर्ति ब्याज अनुदान योजना के तहत 176 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। सरकार के इस निर्णय से किसानों को इस वर्ष भी बिना किसी ब्याज के अल्पकालीन फसली ऋण मिलता रहेगा।

किसान अब 30 जून तक जमा कर सकते हैं फसली ऋण

राजस्थान सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए खरीफ-2022 के अल्पकालीन फसली ऋणों के भुगतान की अंतिम तिथि को बढ़ाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। प्रस्ताव के अनुसार, ऋण अदायगी की अंतिम तिथि को 31 मार्च, 2023 से बढ़ाकर 30 जून, 2023 अथवा ऋण लेने की दिनांक से 12 माह, जो भी पहले हो, तक बढ़ाया गया है। सरकार के इस निर्णय से किसानों को पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी ऋण चुकाने के लिए अतिरिक्त समय मिल सकेगा।

दीर्घकालिक कृषि ऋण पर मिलेगा 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान

वहीं राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों को दीर्घकालीन कृषि सहकारी ऋण समय पर चुकाने पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान देने का फैसला भी लिया है। मुख्यमंत्री ने अनुदान प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। उन्होंने खेत पर आवास बनाने वाले किसानों को भी आवास ऋण पर अनुदान देने की स्वीकृति दी है। 

खेत में घर बनाने पर भी मिलेगा 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान

सरकार ने 1 अप्रैल 2014 से वितरित दीर्घकालीन कृषि सहकारी ऋणों को निश्चित समय पर चुकाने वाले किसानों को राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जा रहा है। साथ ही, वित्तीय वर्ष 2023-24 से अपने खेत पर आवास बनाने हेतु आवास ऋण लेने वाले किसानों को भी अब प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बजट 2023-24 में मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए ब्याज मुक्त फसली ऋण वितरण योजना तथा ब्याज अनुदान के संबंध में घोषणा की थी। 

अब यहाँ के किसान भी कर सकेंगे ज्यादा मुनाफा देने वाले रबर के पेड़ों की खेती

रबर के पेड़ों की खेती

देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार फसलों के विविधिकरण, बागवानी एवं नकदी फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए कृषि संस्थानों के वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार नए-नए शोध किए जा रहे है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक बड़ी खबर आई है। अब यहाँ के किसान भी रबर के पेड़ों की खेती कर सकेंगे। इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर तथा रबर अनुसंधान संस्थान कोट्टायाम के मध्य एक समझौता किया गया है।

जिससे अब छत्तीसगढ़ में भी ज्यादा मुनाफा देने वाले रबर के पेड़ों की खेती की जाएगी। रबर अनुसंधान संस्थान, कोट्टायाम बस्तर क्षेत्र में रबर की खेती की संभावनाएं तलाशने के लिए कृषि अनुसंधान केन्द्र बस्तर में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबर की प्रायोगिक खेती करने जा रहा है।

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी तकनीक एवं आवश्यक सामग्री

इस संबंध में 3 अप्रैल के दिन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के रायपुर के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल की मौजूदगी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर तथा रबर अनुसंधान संस्थान कोट्टायाम के मध्य एक समझौता किया गया। समझौता ज्ञापन पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी तथा रबर रिसर्च इंस्टिट्यूट कोट्टायाम की संचालक अनुसंधान डॉ. एम.डी. जेस्सी ने हस्ताक्षर किये। 

इस समझौते के अनुसार रबर इंस्टिट्यूट कृषि अनुसंधान केन्द्र बस्तर में एक हेक्टेयर रकबे में रबर की खेती हेतु सात वर्षों की अवधि के लिए पौध सामग्री, खाद-उर्वरक, दवाएं तथा मजदूरी पर होने वाला व्यय इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराएगा। वह रबर की खेती के लिए आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन तथा रबर निकालने की तकनीक भी उपलब्ध कराएगा। पौध प्रबंधन का कार्य रबर इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा। 

अभी यहाँ होती है रबर की खेती

अनुबंध समारोह को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि रबर एक अधिक लाभ देने वाली फसल है। भारत में केरल, तमिलनाडु आदि दक्षिणी राज्यों में रबर की खेती ने किसानों को सम्पन्न बनाने में अहम भूमिका निभाई है। 

उन्होंने कहा कि रबर अनुसंधान संस्थान कोट्टायाम के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की मिट्टी, आबोहवा, भू-पारिस्थितिकी आदि को रबर की खेती के लिए उपयुक्त पाया है और प्रायोगिक तौर पर एक हेक्टेयर क्षेत्र में रबर के पौधों का रोपण किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां रबर की खेती को निश्चित रूप से सफलता मिलेगी तथा किसानों को अधिक आमदनी प्राप्त हो सकेगी।

अभी यहाँ शुरू की जा चुकी है कॉफ़ी कि खेती

अभी बस्तर में काफ़ी की दो प्रजातियों अरेबिका और रूबस्टा कॉफी के पौधे लगाए गए हैं। बस्तर की कॉफी की गुणवत्ता ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के अरकू वैली में उत्पादित किए जा रहे कॉफी के समान है। अरेबिका प्रजाति के पौधों से कॉफी के बीजों का उत्पादन प्रारंभ हो गया है। कॉफी का एक पौधा चार से पांच साल में पूरी तरह बढ़ जाता है। एक बार पौधा लग जाने के बाद यह 50 से 60 वर्षों तक बीज देता है। एक एकड़ में लगभग ढाई से तीन क्विंटल कॉफी के बीज का उत्पादन होता है।

मई महीने तक दिया जाएगा फसल नुकसान का मुआवजा, 1 लाख से अधिक किसानों ने कराया मुआवजे के लिए पंजीकरण

फसल नुकसान का मुआवजा हेतु पंजीयन

मार्च महीने में लगातार अलग-अलग जगहों पर बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार द्वारा सर्वे कराया जा रहा है। वहीं हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को स्वयं फसल खराब होने की सूचना देने की व्यवस्था की है, जिसके तहत अभी तक 1,02,627 किसानों ने 5.73 लाख एकड़ भूमि की क्षतिग्रस्त फसलों के मुआवजे हेतु पंजीकरण करवाया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार हाल ही हुई बरसात व ओलावृष्टि के दौरान खराब हुई फसलों का मुआवजा सरकार द्वारा विशेष गिरदावरी करवाते हुए अगले माह तक दिया जाएगा। यह बात मुख्य मंत्री ने भिवानी ज़िला के गाँव तिगड़ाना व धनाना गाँव में किसानों से बात करते हुए कही।

 मुआवजे के लिए किसान करें पंजीयन

हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री ने खेत में बारिश के चलते खराब हुई फसल का जायजा लिया। उन्होंने किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि मेरी फसल- मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसान अवश्य पंजीकरण कराएं ताकि क्षतिपूर्ति पोर्टल पर वे अपने नुकसान की जानकारी अपलोड करते हुए विशेष गिरदावरी अनुरूप मुआवजा ले सकें।

उन्होंने प्रभावित किसानों को आश्वस्त किया कि सरकार किसान की हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि खराब हुई फसल से जितना अनाज बच सकेगा उसको बचाने के लिए भी प्रयास करें। उन्होंने धनाना गांव में स्थित अनाज खरीद के लिए बने सब यार्ड का भी निरीक्षण किया।

1 लाख से अधिक किसानों ने कराया पंजीयन

वहीं राज्य के सहकरिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने बावल विधानसभा क्षेत्र के ढाणी, कोलाना,  बलवाड़ी,  मायण,  इब्राईमपुर,  कमालपुर, बगथला, कसौली, गढ़ी बोलनी जड्थल, नंदरामपुर वास और खेड़ी मोटला गाँवों में अत्यधिक वर्षा से बर्बाद हुई फसलों का मुआयना किया।

उन्होंने कहा कि कहा कि हरियाणा सरकार ने फसल क्षतिपूर्ति प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सरल बनाया है और पोर्टल से किसान की फसल के नुकसान का सही आंकलन होता है। अब तक पोर्टल पर राज्य के 1,02,627 किसानों ने 5.73 लाख एकड़ भूमि की क्षतिग्रस्त फसलों के मुआवजे हेतु पंजीकरण करवाया है। फसलों में हुई क्षति से किसानों को राहत देने के लिए ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पुनः खोला गया है। जिन किसानों का पंजीकरण नहीं हुआ है, वे अपनी फसल का खराबा मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर आसानी से अपलोड कर सकते हैं।

अब दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा 10 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा

दुग्ध उत्पादकों के लिए दुर्घटना बीमा योजना

देश में कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों में कार्य कर रहे किसानों, भूमिहीन कृषि मज़दूरों एवं पशु पालकों आदि को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए दुर्घटना बीमा योजना, पेंशन योजना आदि योजनाएँ राज्य सरकारों के द्वारा शुरू की गई है। ऐसी ही एक योजना हरियाणा सरकार ने राज्य में दुग्ध उत्पादन कर रहे पशु पालकों के लिए शुरू की है। हरियाणा सरकार राज्य में अब दूध उत्पादन के कार्य में लगे लोगों को 10 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा देने जा रही है। सरकार ने राज्य में यह योजना 1 अप्रैल से लागू भी कर दी है।

हरियाणा के सहकारिता एवं जनस्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर बनवारी लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने दुग्ध उत्पादकों की दुर्घटना में मृत्यु होने पर दी जाने वाली राशि में वृद्धि कर दी है। अब लाभार्थी को योजना के तहत 10 लाख रुपए दिए जाएँगे। 

1 अप्रैल से मिलेगा योजना का लाभ

सहकारिता मंत्री ने कहा कि दुग्ध उत्पादकों के लिए भी सहकारी विभाग द्वारा अहम निर्णय लिया गया है। पहले दुग्ध उत्पादकों की दुर्घटना में मृत्यु होने पर संस्था द्वारा 5 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती थी जिसे बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया है। यह फैसला 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी हो गया है। उन्होंने कहा कि यह दुग्ध उत्पादको के हित में लिया गया अहम फैसला है। इस प्रकार मुख्यमंत्री ने दुग्ध उत्पादक किसानों को एक और तोहफा देकर दुग्ध उत्पादकों के परिवारों का भविष्य भी सुरक्षित करने का कार्य किया है।

गन्ना किसानों को भुगतान के लिए जारी किए 311.32 करोड़ रुपए

हरियाणा सरकार ने राज्य की सहकारी चीनी मिलों के किसानों की गन्ने की बकाया पेमेंट का भुगतान करने के लिए 311.32 करोड़ रुपए की राशि जारी की है। इस विषय में सहकारिता मंत्री ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि इस राशि से राज्य की 10 सहकारी चीनी मिलों के किसानों की बकाया गन्ना की राशि का भुगतान किया जा सकेगा।

8 लाख किसानों को दिए जाएँगे संकर बाजरा के उन्नत बीज

संकर बाजरा बीज मिनिकिट्स

वर्ष 2023 को देश में अंतराष्ट्रीय मिलेट्स (मोटा अनाज) वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, जिसको देखते हुए सरकार द्वारा मोटे अनाज (श्री अन्न) का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने राज्य में किसानों को संकर बाजरा के उन्नत बीज मिनिकिट्स देने का फैसला लिया है। योजना के तहत राज्य के 8 लाख किसानों को बीज मिनी किट्स वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। 

राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2023-24 में बीज किट के लिए 16 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी दी है। जिससे प्रदेश के 8 लाख लघु एवं सीमांत किसानों को संकर बाजरा बीज मिनिकिट्स वितरित किए जाएंगे। इस पर सरकार 16 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

15 जिलों के किसानों को दिए जाएँगे बाजरा के बीज

राजस्थान मिलेट्स प्रोत्साहन मिशन के अंतर्गत कम उत्पादकता वाले 15 जिलों में मिनिकिट्स का वितरण किया जाएगा। इनमें अजमेर, बाड़मेर, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, नागौर, पाली, सीकर, सिरोही एवं टोंक जिलों को शामिल किया गया हैं।

योजना के तहत कृषक कल्याण कोष से 10 करोड़ रुपए और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) न्यूट्रिसीरियल्स से 6 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस तरह कुल योजना पर 16 करोड़ रुपए की लागत आएगी।

15 मार्च से अब तक बारिश एवं ओला वृष्टि से इन 11 जिलों के 1 लाख से अधिक किसानों को हुआ नुकसान, मिलेगा इतना मुआवजा

बारिश एवं ओला वृष्टि से फसल नुकसान 

15 मार्च से देश के विभिन्न राज्यों में बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई किसानों को जल्द की जा सके इसके लिए सरकार द्वारा सर्वे कराया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने 15 मार्च 2023 से अभी तक हुए रबी फसलों को नुकसान को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की।

बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य में 31 मार्च से 2 अप्रैल के दौरान राज्य में वर्षा एवं ओला वृष्टि से हुई फसल क्षति का सर्वे तत्काल कराकर प्रभावित किसानों को कृषि निवेश अनुदान राहत प्रदान किए जाने के निर्देश सम्बंधित ज़िला अधिकारियों को दिए हैं। साथ ही उन्होंने विभिन्न आपदाओं से प्रदेश में हुई जनहानि पर गहरा शोक व्यक्त कर दिवंगत व्यक्तियों के परिजनों को तत्काल राज्य मोचक निधि से अनुमन्य राशि वितरित किए जाने के निर्देश भी दिए।

31 मार्च से 2 अप्रैल के दौरान 10 जनपदों में हुई है ओलावृष्टि 

राज्य में 31 मार्च से 2 अप्रैल के दौरान 10 जनपदों फ़तेहपुर, पीलीभीत, बरेली, सीतापुर, अलीगढ़, मुरादाबाद, सोनभद्र, हमीरपुर, संभल तथा उन्नाव जिलों में बारिश एवं ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। इन जनपदों में फसल क्षति का आंकलन प्लॉटवार किया जा रहा है।

वहीं राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार राज्य में इस दौरान आकाशीय बिजली गिरने, डूबने तथा जंगली जानवरों के चलते कुल 7 लोगों की मृत्यु हुई है। जनपद लखनऊ, ग़ाज़ीपुर, हरदोई तथा वाराणसी में आकाशीय बिजली गिरने से 01-01 मृत्यु, जनपद बहराइच में डूबने से 02 लोगों की मृत्यु तथा जनपद लखीमपुर खीरी में जंगली जानवर से 01 जनहानि हुई है।

15 मार्च से अब तक 1 लाख से अधिक किसानों को हुआ फसल नुकसान

सरकार द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार 15 मार्च, 2023 से अब तक हुए सर्वे में प्रदेश में हुई बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि से 11 जनपदों में कुल 35480.52 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल तथा कुल 01 लाख 07 हजार 523 किसानों के प्रभावित होने की सूचना है। प्रभावित किसानों को कुल 5859.29 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाना प्रस्तावित है।

इसमें जनपद फ़तेहपुर में 5,026 किसानों का 1,343 हेक्टेयर, आगरा में 4,738 किसानों का 2,804.15 हेक्टेयर, बरेली में 3,090 किसानों का 559 हेक्टेयर, चंदौली में 11,265 किसानों का 2,986.81 हेक्टेयर, हमीरपुर में 396 किसानों का 271.83 हेक्टेयर, झाँसी में 205 किसानों का 145 हेक्टेयर, ललितपुर में 7,380 किसानों का 6,216.23 हेक्टेयर, प्रयागराज में 9,252 किसानों का 4,448.20 हेक्टेयर, उन्नाव में 5,505 किसानों का 2,801 हेक्टेयर, वाराणसी में 58,393 किसानों का 13,112 हेक्टेयर तथा लखीमपुर खीरी में 2,273 किसानों का 792.52 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल में नुकसान हुआ है। 

बारिश ओला वृष्टि से प्रभावित गेहूं भी ख़रीदेगी सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा है कि बरसात, तेज हवा, ओला वृष्टि आदि प्राकृतिक कारणों से गेहूं आदि की फसल खराब हो सकती है। जिस फसल की पैदावार होने जा रही है, उसकी गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका है। ऐसी फसल को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत खरीदा जाना चाहिए। इसके लिए आवश्यकता अनुसार नियम शिथिल किए जाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाए। 

चावल की नगरी दुबराज किस्म को मिला जीआई टैग, देश-विदेश में माँग बढ़ने से किसानों को होगा लाभ

सुगंधित चावल किस्म नगरी दुबराज को मिला जीआई टैग

कौन से उत्पाद की उत्पत्ति किस स्थान से हुई है यह जानकारी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जी.आई.) टैग से पता की जा सकती है। जी.आई. टैग से किसी भी उत्पाद को बाजार में एक नई पहचान मिलती है जिससे उसकी माँग बढ़ती है इसका लाभ सीधे उस स्थान विशेष को होता है जहां से उत्पाद की उत्पत्ति हुई है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ की सुगंधित चावल की विशेष किस्म नगरी दुबराज को जीआई टैग मिल गया है, इससे इस किस्म को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने इस बड़ी उपलब्धि के लिए प्रदेश के किसानों, नगरी के माँ दुर्गा स्वयं सहायता समूह और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों को बधाई और शुभकामनाएं दी है।

नगरी के दुबराज के लिए दिया गया जीआई टैग

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ शासन की पहल पर भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अधिकार प्राधिकरण द्वारा नगरी दुबराज उत्पादक महिला स्व-सहायता समूह ‘मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह‘ को नगरी के दुबराज के लिए जीआई टैग दिया गया है। गौरतलब है कि इसके लिए पिछले कुछ वर्षों से लगातार प्रयास किए जा रहे थे। नगरी के दुबराज चावल को जीआई टैग मिलने से इसकी मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी बढ़ जाएगी। इससे धमतरी जिले के नगरी अंचल के किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।

अधिकारियों ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मागदर्शन में ग्राम बगरूमनाला, नगरी जिला धमतरी के नगरी दुबराज उत्पादक महिला स्व-सहायता समूह ‘‘माँ दुर्गा स्वयं सहायता समूह’’ ने जी.आई. टैग के लिए आवेदन किया था।

उल्लेखनीय है कि जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार होता है जिसमें किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता एवं महत्ता उस स्थान विशेष के भौगोलिक वातावरण से निर्धारित की जाती है। इसमें उस उत्पाद के उत्पत्ति स्थान को मान्यता प्रदान की जाती है।

इससे पहले राज्य के जीराफूल चावल को मिल चुका है जीआई टैग

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने नगरी दुबराज को जी.आई. टैग मिलने पर कृषक उत्पादक समूह को बधाई एवं शुभकानाएं देते हुए कहा है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रयासों से वर्ष 2019 में सरगुजा जिले के ‘‘जीराफूल’’ चावल को जीआई टैग मिल चुका है। इसके पश्चात अब दुबराज चावल को जी.आई. टैग मिलना एक बड़ी उपलब्धि है।

सिहावा में हुई थी नगरी दुबराज किस्म की उत्पत्ति

छत्तीसगढ़ के बासमती के रूप में विख्यात नगरी दुबराज चावल राज्य की पारंपरिक, सुगंधित धान प्रजाति है, जिसकी छत्तीसगढ़ के बाहर भी काफी प्रसिद्धि तथा मांग है। नगरी दुबराज का उत्पत्ति स्थल सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र को माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रृंगी ऋषि आश्रम का संबंध राजा दशरथ द्वारा संतान प्राप्ति हेतु आयोजित पुत्रेष्ठि यज्ञ तथा भगवान राम के जन्म से जुड़ा हुआ है। विभिन्न शोध पत्रों में दुबराज चावल का उत्पत्ति स्थल नगरी सिहावा को ही बताया गया है।

सरकार ने शुरू की बेरोजगारी भत्ता योजना, अब बेरोजगार युवाओं को हर महीने मिलेंगे 2,500 रुपए

बेरोजगारी भत्ता योजना

देश में बेरोजगार युवाओं को राहत देने के लिए सरकारों के द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें युवाओं को प्रशिक्षण देना, स्वरोजगार के लिए सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना आदि शामिल है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने वाली है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुसार छत्तीसगढ़ में 1 अप्रैल 2023 से बेरोजगारी भत्ता योजना लागू कर दी है।

मुख्यमंत्री ने आज अपने निवास कार्यालय से इस महत्वकांक्षी योजना की शुरूआत कर दी है। योजना की शुरूआत के साथ ही मुख्यमंत्री ने चार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता स्वीकृति आदेश भी प्रदान किया है। इस योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को हर महीने 2500 रुपए का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में किया जाएगा। बेरोजगारों को साथ ही कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा और उन्हें रोजगार प्राप्त करने में सहायता दी जाएगी।

यह व्यक्ति ले सकते हैं बेरोजगारी भत्ते का लाभ

सरकार ने बेरोजगार भत्ता योजना का लाभ देने के लिए कुछ पात्रताएँ तय की है, इन पात्रताओं को पूर्ण करने वाले युवाओं को ही बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा। बेरोज़गारी भत्ते के लिए पात्रता इस प्रकार है:- 

  • आवेदक को छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना आवश्यक है,
  • योजना के लिए आवेदन किए जाने वाले वर्ष के 1 अप्रैल को आवेदक की उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए,
  • आवेदक मान्यता प्राप्त बोर्ड से कम से कम हायर सेकेण्डरी यानी 12वीं कक्षा पास होना चाहिए,
  • छत्तीसगढ़ के किसी भी जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केंद्र में पंजीकृत हो,
  • आवेदन के वर्ष की 1 अप्रैल की स्थिति में हायर सेकेण्डरी या उससे अधिक योग्यता से उसका रोजगार पंजीयन न्यूनतम दो वर्ष पुराना हो,
  • आवेदक की स्वयं की आय का कोई स्रोत नहीं होना चाहिए,
  • आवेदक के परिवार के सभी स्रोतों से वार्षिक आय 2.50 लाख रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए,
  • पारिवारिक आय हेतु तहसीलदार या उससे उच्च राजस्व अधिकारी द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र बेरोजगारी भत्ता की आवेदन तिथि से 1 वर्ष के अंदर ही बना होना चाहिए। 

बेरोजगारी भत्ता योजना का लाभ इन्हें नहीं मिलेगा

योजना के आवेदक के परिवार के एक से अधिक सदस्य यदि पात्रता की शर्तों को पूरा करते हैं तो परिवार के एक ही सदस्य को बेरोजगारी भत्ता स्वीकृत किया जाएगा। ऐसी स्थिति में बेरोजगारी भत्ता उस सदस्य को स्वीकृत किया जाएगा, जिसकी उम्र अधिक हो। उम्र समान होने की स्थिति में रोजगार कार्यालय में पहले पंजीयन करने वाले सदस्य को बेरोजगारी भत्ता के लिए पात्र किया जाएगा। उम्र और रोजगार पंजीयन की तिथि, दोनों समान होने की स्थिति में उस सदस्य को पात्र किया जाएगा जिसकी शैक्षणिक योग्यता अधिक हो।

आवेदक के परिवार का कोई भी सदस्य केंद्र या राज्य सरकार की किसी भी संस्था या स्थानीय निकाय में चतुर्थ श्रेणी या फिर ग्रुप डी को छोड़कर अन्य किसी भी श्रेणी की नौकरी में होने पर ऐसा आवेदक बेरोजगारी भत्ते के लिए अपात्र होगा। यदि आवेदक को स्वरोजगार या शासकीय अथवा निजी क्षेत्र में किसी नौकरी का ऑफर दिया जाता है, परंतु आवेदक ऑफर स्वीकार नहीं करता है तो वह योजना के लिए अपात्र हो जाएगा।

पूर्व और वर्तमान मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और संसद या राज्य विधानसभाओं के पूर्व या वर्तमान सदस्य, नगर निगमों के पूर्व और वर्तमान महापौर और जिला पंचायतों के पूर्व और वर्तमान अध्यक्ष के परिवार के सदस्य बेरोजगारी भत्ते के लिए अपात्र होंगे। साथ ही ऐसे पेंशनभोगी जो 10 हजार रूपए या उससे अधिक की मासिक पेंशन प्राप्त करते हैं, उनके परिवार के सदस्य भत्ते के लिए अपात्र होंगे। साथ ही इनकम टैक्स भरने वाले परिवार के सदस्य, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टड एकाउंटेंट और पेशेवर निकायों के साथ पंजीकृत आर्किटेक्ट के परिवार के सदस्य बेरोजगारी भत्ते के लिए अपात्र होंगे।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

इच्छुक व्यक्ति जो योजना का लाभ लेना चाहते हैं उन्हें आवेदन के समय निम्न दस्तावेज अपने पास रखना होगा।

  • रोजगार पंजीयन कार्ड
  • 10वीं एवं 12वीं की मार्कशीट/प्रमाण पत्र
  • आय प्रमाण पत्र
  • मूल निवासी प्रमाण पत्र
  • फोटो

बेरोजगारी भत्ता लेने के लिए आवेदन कहाँ करें? 

योजना के लिए प्रतिवर्ष संचालक, रोजगार एवं प्रशिक्षण द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा। इच्छुक आवेदकों से बेरोजगारी भत्ता लेने के लिए berojgaribhatta.cg.nic.in में ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ऑफलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। वेबसाइट में आवेदक को सबसे पहले अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड करना होगा। रजिस्ट्रेशन के समय ओटीपी की एंट्री करनी होगी। ओटीपी सत्यापन के बाद आवेदक को अपना लॉग-इन पासवर्ड बनाना होगा और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के आधार पर पोर्टल में आवेदन के लिए लॉग-इन करना होगा। आवेदक को अपनी सभी मूलभूत जानकारी निर्धारित फार्मेट के अनुसार पोर्टल में अपलोड करनी होगी।

आवेदक को ऑनलाइन आवेदन में पते के रूप में उसी जनपद पंचायत या नगरीय निकाय का पता देना होगा, जहां से उसका छत्तीसगढ़ का स्थानीय निवास प्रमाण पत्र जारी हुआ है। ताकि उसे प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए उसी पंचायत या निकाय क्षेत्र में बुलाया जा सके। विवाहित महिलाओं को अपने पति के निवास प्रमाण पत्र से संबंधित क्षेत्र के निवास का पता देना होगा।

ऑनलाइन आवेदन करने के बाद आवेदक को आवेदन का प्रिंट निकालकर उसपर हस्ताक्षर करना होगा और उसके साथ अन्य सभी प्रमाण पत्रों की मूल प्रति के साथ उसे सत्यापन तिथि को निर्धारित समय और स्थान पर आना अनिवार्य होगा। सत्यापन तिथि, स्थान और समय की जानकारी पोर्टल के डैशबोर्ड पर उपलब्ध कराई जाएगी। डैशबोर्ड पर ही पात्रता, अपात्रता, अपील पर लिए गए निर्णय, बेरोजगारी भत्ते के भुगतान और कौशल प्रशिक्षण के ऑफर की जानकारी मिलेगी।

योजना के तहत अपात्र घोषित होने पर क्या करें?

अपात्र घोषित होने पर आवेदक को 15 दिन के अंदर पोर्टल में अपने दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन अपील करना होगा। आवेदक के अपील का निराकरण कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा अधिकृत अधिकारी 15 दिन के अंदर करेंगे और अपील का निर्णय पोर्टल में अपलोड किया जाएगा।

यदि कोई अपात्र आवेदक पात्र घोषित कर दिया जाता है तो इसके खिलाफ कोई भी व्यक्ति कलेक्टर या अधिकृत अधिकारी को तथ्यों के साथ शिकायत कर सकता है। इस शिकायत पर 15 दिनों के अंदर सुनवाई कर निर्णय लिया जाएगा। इस निर्णय की जानकारी को भी पोर्टल में अपलोड किया जाएगा। शिकायत सही पाये जाने पर आवेदक का बेरोजगारी भत्ता बंद कर दिया जाएगा और उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

सीधे बैंक खाते में किया जाएगा बेरोज़गारी भत्ते का भुगतान

बेरोजगारी भत्ता योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को रोजगार एवं प्रशिक्षण संचालनालय, नवा रायपुर द्वारा प्रतिमाह 2500 रूपए का भुगतान सीधे हितग्राही के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाएगा। आवेदन करते समय आवेदक को अपने बचत बैंक खाते का खाता नंबर, आईएफएससी कोड की सही जानकारी देनी होगी। बैंक खाता में त्रुटि के कारण भुगतान नहीं हो पाने की जिम्मेदारी आवेदक की होगी।

योजना के अंतर्गत बेरोजगारी भत्ता के लिए पात्र आवेदक को प्रथमतः एक वर्ष के लिए बेरोजगारी भत्ता देय होगा। यदि हितग्राही विशेष को एक वर्ष की इस अवधि में लाभकारी नियोजन प्राप्त नहीं होता है तो इस अवधि को एक और वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा। किसी भी स्थिति में यह अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होगी।

हितग्राहियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

योजना अंतर्गत जिन आवेदकों को बेरोजगारी भत्ता स्वीकृत किया जाएगा उन्हें एक वर्ष की समयावधि में कौशल विकास प्रशिक्षण का ऑफर दिया जाएगा। कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद आवेदक को रोजगार प्राप्त करने में सहायता की जाएगी। आवेदन में उल्लेखित व्यवसायों में से किसी एक व्यवसाय में कौशल विकास प्रशिक्षण निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। यदि आवेदक प्रशिक्षण लेने से इंकार करते है या ऑफर किया गया रोजगार स्वीकार नहीं करते है तो उनका बेरोजगारी भत्ता बंद कर दिया जाएगा।

हर 6 महीने में होगी बेरोज़गारी भत्ता पाने वाले लाभार्थी की जाँच

संबंधित पंचायत व निकाय नियमित रूप से हर 6 माह में बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने वाले हितग्राहियों की जांच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि वे अभी भी बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने के लिए पात्र हैं या नहीं। जांच में अपात्र होने वाले हितग्राहियों को नोटिस जारी किया जाएगा और सुनवाई के बाद उनका बेरोजगारी भत्ता बंद करने का आदेश जारी किया जाएगा एवं इसकी जानकारी पोर्टल में अपलोड की जाएगी।

बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने वाले हितग्राही को यदि किसी प्रकार का रोजगार प्राप्त हो जाता है तो इसकी जानकारी हितग्राही को स्वयं पोर्टल में अपलोड करनी होगी। इस संबंध में जानकारी नहीं देने पर संबंधित निकाय या पंचायत को इसकी जानकारी अन्य माध्यम से प्राप्त होती है तो हितग्राही का भत्ता तत्काल बंद करने की जानकारी की प्रविष्टि पोर्टल में करेंगे और संबंधित हितग्राही के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

इस योजना के लिए कौशल विभाग, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। पात्र हितग्राहियों को प्रतिमाह ऑनलाइन बेरोजगारी भत्ता का भुगतान, संचालनालय रोजगार एवं प्रशिक्षण (रोजगार) द्वारा किया जाएगा।

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