टॉनिक के रूप में, अनिद्रा, रक्त चाप, मूर्छा चक्कर,सिरदर्द, तंत्रिका विकास,हृदय रोग, रक्त कोलेस्ट्रॉल कम करने में, गठिया को नष्ट करने में बच्चों के सूखा रोग में, क्षय नाशक, रोग प्रतिरोधक क्षमताबढ़ाने में, चर्म रोग, फेफड़ों के रोग में, अल्सर तथा मंदाग्नि के उपचार में, जोड़ों की सूजन तथा अस्थि क्षय के उपचार में, कमर दर्द, कूल्हे का दर्द दूर करने में, रूकी हुई पेशाब को ठीक से उतारने में।
लगाने कि दूरी
कतार व पौधे में अंतर : 50-60 सें.मी.
उन्नत किस्में
पेषिता, जे.ए. 20 , जे.ए. 134
मिट्टी एवं जलवायु
उष्ण से समशीतोष्ण, औसत तापमान 20-24 डिग्री सें. तथा वर्षा 100 से.मी. वार्षिक। बलुई मिट्टी। भूमि का जल निकास अच्छा हो एवं पी.एच. मान 6-7 तक
नर्सरी में बुआई : जून खेत में रोपाई : अगस्त –सितम्बर
सिंचाई
शीत ऋतु में 3-5 बार सिंचाई करें ।
खाद एवं उर्वरक
खाद व उर्वरक-सड़ी गोबर की खाद 15-20 टन/ प्रति हे.। बोनी के समय नेत्रजन 25 कि.ग्रा., स्फूर 30 कि.ग्रा. एवं पोटाश 30 कि.गा. प्रति हे.। १२.२५ कि.ग्रा. नेत्रजन पहली सिंचाई एवं 12.5 कि.ग्रा. दूसरी सिंचाइ के समय
तुड़ाई / खुदाई
पौधें की पत्तियां पीली और फल लाल होने पर पौधें को जड़ से उखाड़कर एवं जड़ों को काट कर सूखने के लिए दें
सस्ती कीमत पर उपभोक्ताओं को अच्छा भोजन प्रदान करना |
किसानों की आय को दोगुना करना |
योजना के मुख्य बिन्दु :-
यह योजना 14वें वित्त आयोग के चक्र के साथ वर्ष 2016-20 की अवधि में लागू की जाएगी।
6000 करोड़ रुपये के आवंटन से प्रारंभ हुई किसान संपदा योजना से 31400 करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है।
साथ ही योजना से 104125 करोड़ रुपये मूल्य का 334 लाख मीट्रिक टन कृषि-उत्पादन भी प्राप्त होगा।
योजना से 20 लाख किसानों को लाभ प्राप्त होगा।
इसके अतिरिक्त वर्ष 2019-20 तक देश में 530500 प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा।
किसान संपदा योजना का उद्देश्य कृषि को पूरक बनाना, प्रसंस्करण का आधुनिकीकरण करना और कृषि अपशिष्ट को कम करना है।
योजना का क्रियान्वयन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।
किसान संपदा योजना के तहत लागू की जाने वाली योजनाएं
किसान संपदा योजना के तहत वर्तमान में चल रही जिन योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाएगा उनमें शामिल हैं- मेगा फूड पार्क, एकीकृत शीत शृंखला एवं मूल्य संवर्धन आधारभूत संरचना, खाद्य सुरक्षा तथा गुणवत्ता आश्वासन आधारभूत संरचना और मानव संसाधन एवं संस्थान।
योजना के तहत कुछ नई योजनाओं को भी शामिल किया गया है जो हैं- खाद्य प्रसंस्करण एवं परिरक्षण क्षमताओं का सृजन/विस्तार, कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर हेतु आधारभूत संरचना और क्रिएशन ऑफ बैकवर्ड एंड फारवर्ड लिंकेज।
मेगा फूड पार्क योजना के उद्देश्यों में शामिल हैं- देश में कृषि प्रसंस्करण इकाइयों हेतु अत्याधुनिक आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना, डेयरी, मत्स्ययन आदि कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन सुनिश्चित करना आदि।
शीत शृंखला एवं मूल्य संवर्धन योजना का लक्ष्य एकीकृत शीत शृंखला, परिरक्षण एवं मूल्य संवर्धन आधारभूत संरचना सुविधाओं की स्थापना में वित्तीय सहायता के माध्यम से बागवानी एवं गैर-बागवानी कृषि-उत्पाद की कटाई उपरांत हानि को रोकना है।
कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर हेतु आधारभूत संरचना योजना का लक्ष्य है उत्पादन क्षेत्रों के समीप कृषि प्रसंस्करण के लिए अत्याधुनिक आधारभूत संरचना का सृजन, खेत से उपभोक्ता तक एकीकृत एवं पूर्ण परिरक्षण आधारभूत संरचना सुविधा उपलब्ध कराना आदि।
खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता आश्वासन आधारभूत संरचना योजना का उद्देश्य खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता एवं संघटकों की निगरानी हेतु निरीक्षण प्रणाली की स्थापना करना है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र हेतु सरकारी प्रयास
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा किए गए उपायों से इस क्षेत्र की वृद्धि दर 7 प्रतिशत हो गई है।
बागवानी एवं गैर-बागवानी उत्पाद की कटाई उपरांत हानि को रोकने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 42 मेगा फूड पार्कों एवं 236 एकीकृत शीत शृंखला (Integrated Cold Chain) की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूर किया है।
खाद्य प्रसंस्करण एवं खुदरा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने हेतु सरकार ने भारत में निर्मित तथा उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के जरिए व्यापार में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है।
सरकार ने नाबार्ड (NABARD) में 2000 करोड़ रुपये की विशेष निधि की स्थापना की है जिससे निर्दिष्ट फूड पार्कों एवं कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकेगा।
खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने, हानि को रोकने, रोजगार के अवसर सृजित करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए खाद्य एवं कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयों और शीत शृंखला आधारभूत संरचना को ‘प्राथमिकता क्षेत्र ऋण’ के तहत लाया गया है।
जानें बैंगन की उन्नतशील किस्में, लगाने का समय, उपज की अवधि एवं उससे होने वाली आय
किस्म :- पूसा पर्पल लाग
लगाने का समय
बीज डालने क समय – मध्य जून जुलाई, नवम्बर –जनवरी, अप्रील-मई,पौधा लगाने का समय- जुलाई-अगस्त, दिसम्बर- फरवरी, मई- जून, गर्मी के दिनो के लिये उपयुक्त
उपयुक्त भूमि
उपरी (टांड) एंव मध्यम
उपयुक्त मिटटी
बलुई दोमट से दोमट
औसत उपज
300 किव./हे.
संभव उपज
300 किव./हे.
वानस्पतिक गुण
फल लम्बा,बैगनी,चमकदार,कोमल
अवधि
पौधा लगाने के 60-65 दिनों के बाद पहली तुड़ाई
सिंचाई की आवश्यकता
सिंचाई 5-7 दिनों के अंतराल पर, आवश्कतानुसार
विशिष्ट गुण
बहुत कम दिनों में फल देने वाला
लागत
रू. 30,000 /- हे.
शुद्ध आमदनी
रू. 85,000 /- प्रति हे.
पूसा हाईब्रीड-6
लगाने का समय
बीज डालने का समय – मध्य जून जुलाई, नवम्बर –जनवरी, अप्रील-मई, पौधा लगाने का समय- जुलाई-अगस्त, दिसम्बर- फरवरी, मई- जून, गर्मी के दिनों के लिये उपयुक्त
उपयुक्त भूमि
उपरी (टांड) एंव मध्यम
उपयुक्त मिटटी
बलुई दोमट से दोमट
औसत उपज
450 किव./हे.
संभव उपज
450 किव./हे.
वानस्पतिक गुण
पौधा – काँटा रहित , अर्द्ध सीधा शाखाएँ, पुष्ट, नवजात पट्टों तथा वृद्धि वाले शाखाओं के अग्र भाग पर आंशिक रेंज उत्पन होता हैं । फल – गोल,चमकदार, बैंगनी, आकर्षक । फल का वजन (200-250ग्राम)
अवधि
पौधा लगाने के 60-65 दिनों के बाद पहली तुड़ाई
सिंचाई की आवश्यकता
सिंचाई 8-10 दिनों के अंतराल पर
विशिष्ट गुण
—
लागत
रू. 30,000 /- प्रति हे.
शुद्ध आमदनी
रू. 1,20,000 /-प्रति हे.
पूसा पर्पल राउंड
लगाने का समय
बीज डालने का समय – मध्य जून-जुलाई, नवम्बर –जनवरी, अप्रील-मई,
पौधा लगाने का समय- जुलाई-अगस्त, दिसम्बर- फरवरी, मई- जून, गर्मी के दिनो के लिये उपयुक्त
उपयुक्त भूमि
उपरी (टांड) एंव मध्यम
उपयुक्त मिटटी
बलुई दोमट से दोमट
औसत उपज
300 क्वीं./हे.
संभव उपज
400 क्वीं./हे.
वानस्पतिक गुण
पौधा- लम्बा , फल – बैगनी, चमकदार, गोल, फल का वजन (250-300 ग्राम)
अवधि
पौधा लगाने के 50-55 दिनों के बाद पहली तुड़ाई
सिंचाई की आवश्यकता
सिंचाई 8-10 दिनों के अंतराल पर दें ।
विशिष्ट गुण
—–
लागत
रू. 30,000 /-प्रति हे.
शुद्ध आमदनी
रू. 9,000 /- प्रति हे.
पूसा पर्पल क्लस्टर
लगाने का समय
बीज डालने क समय – मध्य जून- जुलाई, नवम्बर –जनवरी, अप्रील-मई,
पौधा लगाने का समय- जुलाई-अगस्त, दिसम्बर- फरवरी, मई- जून, गर्मी के दिनो के लिये उपयुक्त
उपयुक्त भूमि
उपरी भूमि
उपयुक्त मिटटी
बलुई दोमट से दोमट
औसत उपज
250 क्वीं./हे.
संभव उपज
300 क्वीं./हे.
वानस्पतिक गुण
तना- बैगनी, चमकदार, पत्ता – बैगनी, हरा, काँटा रहित, फल -10-12 से.मी. लम्बा, 4-9 फल प्रति गुच्छा में ।
अवधि
पहला फल तुड़ाई पौधा लगाने के 60-65 दिनों के बाद
सिंचाई की आवश्यकता
सिंचाई 8-10 दिनों के अंतराल पर दें । आवश्कतानुसार
विशिष्ट गुण
पहाड़ी इलाकों के लिये उपयुक्त
लागत
रू. 25,000 /-प्रति हे.
शुद्ध आमदनी
रू. 80,000/-.प्रति /- हे.
स्वर्ण प्रतिभा
लगाने का समय
बीज डालने का समय – मध्य जून-जुलाई, नवम्बर –जनवरी, अप्रील-मई,
पौधा लगाने का समय- जुलाई-अगस्त, दिसम्बर- फरवरी, मई- जून, गर्मी के दिनो के लिये उपयुक्त ।
उपयुक्त भूमि
उपरी भूमि
उपयुक्त मिटटी
600-650 क्वीं./हे.
औसत उपज
800 क्वीं./हे.
संभव उपज
पौधा लगाने के 60-65 दिनों के बाद पहला फल की तुड़ाई
वानस्पतिक गुण
पौधा- लम्बा (015-20 सेंमी), फल – बैगनी, चमकीला, औसत फल का वजन (150-200 ग्राम)
अवधि
आवश्कतानुसार सामान्य स्थिति में सिंचाई 8-10 दिनों के अंतराल पर दें ।
सिंचाई की आवश्यकता
आवश्कतानुसार सामान्यता सिंचाई 8-10 दिनों के अंतराल पर दें ।
विशिष्ट गुण
—–
लागत
रू. 30,000 /- प्रति हे.
शुद्ध आमदनी
रू. 1,50,000/- प्रति हे.
स्वर्ण श्यामली
लगाने का समय
बीज डालने का समय – मध्य जून जुलाई, नवम्बर –जनवरी, अप्रील-मई,
पौधा लगाने का समय- जुलाई-अगस्त, दिसम्बर- फरवरी, मई- जून, गर्मी के दिनो के लिये उपयुक्त
उपयुक्त भूमि
उपरी (टांड) एंव मध्यम
उपयुक्त मिटटी
बलुई दोमट से दोमट
औसत उपज
600 किव./हे.
संभव उपज
800 किव./हे.
वानस्पतिक गुण
फल – गोल, फल का वजन (250-300 ग्राम) बैगनी रेंज लिये हुये हरा धारी
अवधि
पौधा लगाने के 60-65 दिनों के बाद पहली तुड़ाई
सिंचाई की आवश्यकता
आवश्कतानुसार सामान्यता सिंचाई 8-10 दिनों के अंतराल पर दें ।
विशिष्ट गुण
अत्यधिक उपज देने वाला
लागत
रू. 10,000 /- प्रति हे.
शुद्ध आमदनी
रू. 1,20,000
स्वर्ण मणि
लगाने का समय
बीज डालने का समय – मध्य जून जुलाई, नवम्बर –जनवरी, अप्रील-मई,
पौधा लगाने का समय- जुलाई-अगस्त, दिसम्बर- फरवरी, मई- जून, गर्मी के दिनो के लिये उपयुक्त
उपयुक्त भूमि
उपरी (टांड) एंव मध्यम
उपयुक्त मिटटी
बलुई दोमट से दोमट
औसत उपज
600 किव./हे.
संभव उपज
800 किव./हे.
वानस्पतिक गुण
फल- आकर्षक, चमकीला, बैगनी, और गोल
अवधि
पौधा लगाने के 60-65 दिनों के बाद पहली तुड़ाई
सिंचाई की आवश्यकता
सिंचाई 5-7 दिनों के अंतराल पर
विशिष्ट गुण
बहुत कम दिनों में फल देने वाला
लागत
रू. 30,000 /- प्रति हे.
शुद्ध आमदनी
रू. 10,000 /- प्रति हे.
उर्वरक प्रबंधन
फास्फेटिक एवं पोटाश उर्वरक की सम्पूर्ण मात्रा रोपनी के पहले खेत में डालें I
नत्रजनी आधा खेत की अन्तिम जुताई के समय एवं आधा रोपनी के 30 दोनों के बाद I
मध्यप्रदेश में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ-2016 राशि का वितरण
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ-2016 की बीमा दावा राशि का वितरण 16 अगस्त से प्रारंभ किया जा रहा है। इस दौरान प्रदेश के 7 लाख 42 हजार 970 किसानों के खातों में रु. 1818.96 करोड़ बीमा दावा राशि जमा की जायेगी। प्रमुख सचिव किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टर को इस बाबत विस्तृत निर्देश जारी किये हैं। प्रमुख सचिव ने कहा है कि बीमा कम्पनियों को प्रीमियम की राज्यांश तथा केन्द्रांश की राशि प्राप्त हो चुकी है। बीमा कम्पनियों द्वारा बैंकवार राशि आरटीजीएस से विधिवत हस्तांतरित की जा रही है। शाखा स्तर पर हितग्राहियों के बैंक खातों में राशि 16 अगस्त से समायोजित होना प्रारंभ की जायेगी।
किसानों के बीच योजना की राशि वितरण के लिये समस्त लाभान्वित किसानों को 16 अगस्त से 31 अगस्त तक जिला स्तरों पर किसान सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे। विदिशा, सागर, अशोकनगर, गुना एवं शिवपुरी जिले में राज्य-स्तरीय किसान सम्मेलन तथा अन्य जिलों में जिला-स्तरीय किसान सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे। इन सम्मेलनों में लाभान्वित किसानों को प्रमाण-पत्र दिये जायेंगे। सम्मेलन में उपस्थित नहीं हो सकने वाले लाभान्वित कृषकों को उनके निवास पर प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जायेगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत जिला विदिशा में सर्वाधिक एक लाख 51 हजार 789 किसानों को 574.82 करोड़ रुपये, जिला सागर में 90 हजार 337 किसानों को 243.20 करोड़, रायसेन में 65 हजार 514 किसानों को 181.88 करोड़, गुना में 40 हजार 371 किसानों को 135.60 करोड़, सीहोर में 43 हजार 866 किसानों को 78.57 करोड़, भोपाल में 34 हजार 311 किसानों को 62.38 करोड़, उज्जैन में 29 हजार 963 किसानों को 32.16 करोड़, अशोकनगर में 29 हजार 69 किसानों को 117.35 करोड़, दतिया में 28 हजार 739 किसानों को 62.37 करोड़,
शिवपुरी में 26 हजार 156 किसानों को 67.50 करोड़, राजगढ़ में 25 हजार 928 किसानों को 42.10 करोड़, नीमच में 19 हजार 432 किसानों को 48.91 करोड़, सतना में 16 हजार 643 किसानों को 33.31 करोड़, आगर-मालवा में 15 हजार 768 किसानों को 21.62 करोड़, छिन्दवाड़ा में 11 हजार 49 किसानों को 2.82 करोड़, दमोह में 10 हजार 794 किसानों को 20.10 करोड़, मंदसौर में 9 हजार 139 किसानों को 12.09 करोड़, भिण्ड में 9 हजार 190 किसानों को 5.90 करोड़,
रीवा में 7 हजार 981 किसानों को 20.63 करोड़, बड़वानी में 7 हजार 945 किसानों को 3.07 करोड़, रतलाम में 7 हजार 908 किसानों को 4.77 करोड़, टीकमगढ़ में 6 हजार 92 किसानों को 9.97 करोड़, शाजापुर में 5 हजार 814 किसानों को 5.73 करोड़, ग्वालियर में 6 हजार 213 किसानों को 1.20 करोड़, छतरपुर में 5 हजार 617 किसानों को 3.08 करोड़, पन्ना में 5 हजार 20 किसानों को 2.96 करोड़, होशंगाबाद में 5 हजार 317 किसानों को 2.21 करोड़,
बैतूल में 4 हजार 145 किसानों को 4.13 करोड़, धार में 4 हजार 63 किसानों को 2.79 करोड़, श्योपुर में 4 हजार 69 किसानों को 4.23 करोड़, खण्डवा में 3 हजार 660 किसानों को 3.98 करोड़, झाबुआ में 2 हजार 531 किसानों को 0.25 करोड़, देवास में 2 हजार 467 किसानों को 1.09 करोड़, इंदौर में एक हजार 238 किसानों को 3.49 करोड़, सिवनी में एक हजार 125 किसानों को 0.33 करोड़, हरदा में एक हजार 41 किसानों को 0.32 करोड़,
सिंगरौली में एक हजार 30 किसानों को 0.04 करोड़, सीधी में 931 किसानों को 0.16 करोड़, मुरैना में 896 किसानों को 0.27 करोड़, अलीराजपुर में 778 किसानों को 0.14 करोड़, डिण्डोरी में 117 किसानों को 0.02 करोड़,
जबलपुर में 567 किसानों को 0.73 करोड़, नरसिंहपुर में 685 किसानों को 0.20 करोड़, मण्डला में 130 किसानों को 0.04 करोड़, कटनी में 159 किसानों को 0.01 करोड़, उमरिया में 128 किसानों को 0.25 करोड़, अनूपपुर में 80 किसानों को 0.01 करोड़, शहडोल में 81 किसानों को 0.11 करोड़ एवं बुरहानपुर में 58 किसानों को 0.06 करोड़ बीमा दावा राशि का वितरण किया जायेगा।
प्रदेश में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ-2016 की बीमा दावा राशि का वितरण 16 अगस्त से प्रारंभ किया जा रहा है। इस दौरान प्रदेश के 7 लाख 42 हजार 970 किसानों के खातों में रु. 1818.96 करोड़ बीमा दावा राशि जमा की जायेगी।
विदिशा में सर्वाधिक
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत जिला विदिशा में सर्वाधिक एक लाख 51 हजार 789 किसानों को 574.82 करोड़ रुपये, जिला सागर में 90 हजार 337 किसानों को 243.20 करोड़, रायसेन में 65 हजार 514 किसानों को 181.88 करोड़, गुना में 40 हजार 371 किसानों को 135.60 करोड़, सीहोर में 43 हजार 866 किसानों को 78.57 करोड़, भोपाल में 34 हजार 311 किसानों को 62.38 करोड़,
उज्जैन में 29 हजार 963 किसानों को 32.16 करोड़, अशोकनगर में 29 हजार 69 किसानों को 117.35 करोड़, दतिया में 28 हजार 739 किसानों को 62.37 करोड़, शिवपुरी में 26 हजार 156 किसानों को 67.50 करोड़, राजगढ़ में 25 हजार 928 किसानों को 42.10 करोड़,
नीमच में 19 हजार 432 किसानों को 48.91 करोड़, सतना में 16 हजार 643 किसानों को 33.31 करोड़, आगर-मालवा में 15 हजार 768 किसानों को 21.62 करोड़, छिन्दवाड़ा में 11 हजार 49 किसानों को 2.82 करोड़, दमोह में 10 हजार 794 किसानों को 20.10 करोड़, मंदसौर में 9 हजार 139 किसानों को 12.09 करोड़, भिण्ड में 9 हजार 190 किसानों को 5.90 करोड़, रीवा में 7 हजार 981 किसानों को 20.63 करोड़, बड़वानी में 7 हजार 945 किसानों को 3.07 करोड़, रतलाम में 7 हजार 908 किसानों को 4.77 करोड़, टीकमगढ़ में 6 हजार 92 किसानों को 9.97 करोड़, शाजापुर में 5 हजार 814 किसानों को 5.73 करोड़, ग्वालियर में 6 हजार 213 किसानों को 1.20 करोड़,
छतरपुर में 5 हजार 617 किसानों को 3.08 करोड़, पन्ना में 5 हजार 20 किसानों को 2.96 करोड़, होशंगाबाद में 5 हजार 317 किसानों को 2.21 करोड़, बैतूल में 4 हजार 145 किसानों को 4.13 करोड़, धार में 4 हजार 63 किसानों को 2.79 करोड़, श्योपुर में 4 हजार 69 किसानों को 4.23 करोड़, खण्डवा में 3 हजार 660 किसानों को 3.98 करोड़, झाबुआ में 2 हजार 531 किसानों को 0.25 करोड़, देवास में 2 हजार 467 किसानों को 1.09 करोड़, इंदौर में एक हजार 238 किसानों को 3.49 करोड़, सिवनी में एक हजार 125 किसानों को 0.33 करोड़, हरदा में एक हजार 41 किसानों को 0.32 करोड़,
सिंगरौली में एक हजार 30 किसानों को 0.04 करोड़, सीधी में 931 किसानों को 0.16 करोड़, मुरैना में 896 किसानों को 0.27 करोड़, अलीराजपुर में 778 किसानों को 0.14 करोड़, डिण्डोरी में 117 किसानों को 0.02 करोड़, जबलपुर में 567 किसानों को 0.73 करोड़, नरसिंहपुर में 685 किसानों को 0.20 करोड़, मण्डला में 130 किसानों को 0.04 करोड़, कटनी में 159 किसानों को 0.01 करोड़, उमरिया में 128 किसानों को 0.25 करोड़, अनूपपुर में 80 किसानों को 0.01 करोड़, शहडोल में 81 किसानों को 0.11 करोड़ एवं बुरहानपुर में 58 किसानों को 0.06 करोड़ बीमा दावा राशि का वितरण किया जायेगा।
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ‘’एसबीआई कृषक उत्थान योजना” के तहत कृषकों को दिया जाने वाला ऋण
उद्देश्य
इस स्कीम का उद्देश्य उत्पादन एवं उपभोग के लिए लघु अवधि के ऋण उपलब्ध करवाना है ताकि किराएदार किसानों, बंटाईदारों और मौखिक पट्टाधारियों की जरूरतें पूरी हो सकें, ये वे लोग हैं जिनके पास न तो जमीन होने का कोई अभिलेख होता है और न ही इनके पास फसल उगाने का दावा करने के कोई कागजात होते हैं | इस ऋण से कृषि उत्पादन कार्यों से उनकी आय बढाने में मदद मिलेगी |
पात्रता
भूमिहीन मजदूर, बंटाईदार, किराएदार किसान, मौखिक पट्टाधारी ( इसमें मौखिक किराएदार और सीमांत किसान भी शामिल हैं) जिनके नाम कोई भूमि अभिलेख नहीं हैं वे सभी पात्र हैं | उनके स्थायी आवासीय पते का प्रमाण होना चाहिए और वह यहाँ न्यूनतम विगत दो वर्ष से रह रहा हो|
इस स्कीम में प्रवासी खेतिहर शामिल नहीं हैं|
ऋण राशि
अधिकतम रू. 1 लाख , इसमें उपभोग ऋण अधिकतम रू. 20,000/- होगा |
क्या कागजात जरूरी होंगे?
आवास का प्रमाण पत्र
पहचान का प्रमाण
निर्धारित फॉर्मेट में नोटरीकृत शपथ-पत्र |
प्रतिभूति :
निरंक
चुकौती कैसे होगी ?
बिक्री आय कैश क्रेडिट खाते में जमा की जाए |
आवेदन कैसे करें?
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के नजदीकी शाखा से संपर्क करें या आपके गाँव में आने वाले हमारे विपणन अधिकारी से बात करें|
भेड एवं बकरी पालन पर सरकार द्वारा दी जानें वाली सहायता
भेड़ एवं बकरियों का पालन अत्यधिक गरीब ग्रामीणों द्वारा किया जाता है और ये पशु हमारे समाज को मांस, न और खाद प्रदान करते है, ये पशु विभिन्न प्रकार की कृषि जलवायु स्थितियों के अनुकूल होते है, तथापि उस क्षेत्र के पिछड़े होने के मुख्य कारणों में अत्यन्त निर्धन लोगों को इस क्षेत्र की भूमिका की कम जानकारी, योजनाकारों/ वित्तीय एजेन्सियों के द्वारा ध्यान के अभाव और पशुओं की उत्पादकता सुधारने की दिशा में कम ध्यान दिया जाना शामिल है।
इस पृष्ठभूमि में, भारत सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि 11-वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि के दौरान छोटे रोमन्थक भेड एवं बकरी के समन्वित विकास हेतु ष्जोखिम पूॅजी निधिष् के साथ एक योजना शुरु की जाए। इस योजना के दिशा-निर्देशों के पैरा 5-1 में यथा उल्लिखित विभिन्न घटकों के लिए कुल वित्तीय परिव्यय टीएफओ पर आधारित ब्याज मुक्त ऋण आईएफएल प्रदान किया जाएगा।
पात्रता :
व्यक्तिगत कृषक जिन्हें भेड एवं बकरी पालन का समुचित अनुभव हों। महिला, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पालकों को प्राथमिकता दी जायेगी।
योजना लागत एवं ब्याज मुक्त ऋण :
क्र-सं-
उद्येश्य
कुल वित्तीय परिव्यय राशि लाखों में
ब्याज मुक्त ऋण राशि
1.
भेड-बकरी पालन (40+2)
1.00
योजना लागत की 50 प्रतिशत राशि – अधिकतम रुपये 50,000/
वित्तीय व्यवस्था:-
योजनान्तर्गत कुल लागत का निम्नानुसार निवेश किया जायेगा :-
1-
कृषक अंशदान
10 प्रतिशत
2-
ब्याज मुक्त ऋण राशि
50 प्रतिशत
3-
बैंक ऋण राशि
40 प्रतिशत
ऋण स्वीकृति :
बैंक, क्षेत्र के इच्छुक लाभार्थियों के प्रार्थना पत्र योजना प्रति सहित प्राप्त करेगी। योजनान्तर्गत ऋण केवल उन्हीं लाभार्थियों को दिया जाये जो कि पारम्परिक गड़रिया परिवार से हों, उन्हें भेड-बकरी पालन का समुचित अनुभव हों। बैंक द्वारा चयनित लाभार्थियों की योजना, बैंक स्तर पर स्वीकृत कर योजनान्तर्गत देय ब्याज मुक्त राशि की स्वीकृति हेतु लाभार्थीवार राज्य बैंकको भिजवायी जायेगी। ब्याज मुक्त राशि की नाबार्ड से स्वीकृति प्राप्तहोने के उपरान्त ही ऋण व ब्याजमुक्त राशि का प्रार्थी को वितरण किया जायेगा। बैंक द्वारा ब्याज मुक्त राशि की प्राप्ति के एक माह की अवधि में ऋण वितरण किया जाना आवश्यक है। यदि किन्हीं कारणोंवश बैंक निर्धाराित अवधि में ऋण वितरण नहीं करती है तो ब्याज मुक्त राशि नाबार्ड को वापस करनी होगी। राशि केसाथ-साथ राशि की प्राप्ति दिनांक से राशि भिजवाने की दिनांक तक की अवधि का 10 प्रतिशत की दर सेब्याज भी देना होगा।
ऋण पुर्नभुगतान एवं ऋण वसूली :
योजनान्तर्गत देय ऋण की पुर्नभुगतान अवधि 9 वर्ष है जिसमें अनुग्रह अवधि के 2 वर्ष भी सम्मिलित है। प्रार्थी को देय ऋण एवं ब्याज मुक्त राशि की एक साथ वसूली करनी आवश्यक है तथा अर्द्धवार्षिक किश्तों के रुप में ब्याज मुक्त राशि वर्ष में दो बार आनुपातिक आधार पर नाबार्ड को वापस करनी होगी। सुविधा के लिये आप योजनान्तर्गत मासिक वसूली निर्धारित करें तथा जनवरी से जून तक की गई वसूली माह जुलाई में तथा जुलाई से दिसम्बर तक की गई वसूली जनवरी में नाबार्ड को वापस भिजवाने हेतु राज्य बैंक को भिजवायें। बैंक को समुचित ऋण ़ऋण एवं ब्याज मुक्त राशि की वसूली हेतु सुनिश्चित व्यवस्था व प्रयास करने चाहिये। बैंक को वार्षिक आधार पर योजनान्तर्गत वित्त पोषित इकाईयों का विवरण एनेक्सर- III में आवश्यक रुप से भिजवाना होगा।
ब्याज दर :
वर्तमान प्रचलित ब्याज दर। समय – समय पर परिवर्तित ब्याज दर देय होगी।
प्रतिभूति :
कृषक स्वयं के स्वामित्व की कृषि भूमि।
ऋण क्षमता, ऋण चुकौती क्षमता का निर्धारण :
प्रार्थी की ऋण क्षमता का निर्धारण, रहन हेतु प्रस्तुत कृषि भूमि के गत तीन वर्षो के सम्बन्धित तहसीलदारन/ सब-रजिस्टार द्वारा प्रदत्त बिक्री दरों के औसत आधार पर संगणित मूल्य की 60 प्रतिशत राशि के आधार पर किया जायेगा। ऋण चुकौती क्षमता का निर्धारण इकाई से प्राप्त होने वाली शुद्ध आय की 75 प्रतिशत राशि के आधार पर संगणित की जायेगी।
योजना का मूल्यॉकन :
नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा समय≤ पर योजनान्तर्गत वित्त पोषित इकाईयों का निरीक्षण भी किया जायेगा। यहॉ यह भी उल्लेखनीय है किआप अपने स्तर से भी त्रैमासिक आधार पर योजनान्तर्गत वित्त पोषित इकाईयों का निरीक्षण करें एवं निरीक्षण रिपोर्ट राज्य बैंक को भिजवायें ताकि रिपोर्ट नाबार्ड को भिजवायी जा सकेंं। योजना की प्रगति रिपोर्ट एनेक्सर-प् में प्रत्येक माह की 7 तारीख तक इस बैंक को भिजवाना सुनिश्चित करें। प्रत्येक योजना प्रस्ताव भिजवाते समय योजना एवं सम्बन्धित लाभार्थी के सम्बन्ध में सूचना एनेक्सर- II में आवश्यक रुप से भिजवायें।
अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु :
बैंक यह सुनिश्चित करें कि : 1- प्रार्थी द्वारा इकाई का आवश्यक रुप से बीमा एवं उसका प्रति वर्ष नवीनीकरण आवश्यक रुप से करवाया जायें। 2- इकाई स्थल पर “Assistted by Department of Animal Husbandry Dairying and Fisheries, Ministry of Agriculture, Government of India through NABARD” लिखा हुआ बोर्ड लगााया जाना आवश्यक होगा। 3- ऋण वितरण से पूर्व एवं पश्चात् इकाई स्थल का निरीक्षण किया जाये ताकि योजना की वास्तविक प्रगति का मूल्यॉकन किया जा सकें।
उत्तरप्रदेश में ट्रेक्टर एवं पॉवर टिलर पर किसानों को दी जाने वाली सहायता
अगर कोई किसान ट्रैक्टर या पावर टिलर खरीदना चाहता है तो सरकार उसपर भारी छूट दे रही है, किसान जिसका फायदा ले सकते हैं। उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को ट्रैक्टर (20 हार्सपावर से कम के ट्रैक्टर), 8 हार्सपावर से कम के पावर टिलर और 8 हार्सपावर से बड़े पावर टिलर पर सरकार अनुदान दे रही है। यह अनुदान एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एम.आई.डी.एच.) -राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत दिया जाता है I
ट्रैक्टर पर सरकार 75 हज़ार रुपए सब्सिडी देती है, जिस ट्रैक्टर की कीमत करीब 3 लाख होती है, जबकि SC और ST कटैगरी में आने वाले किसानों को सरकार एक लाख रुपए की सब्सिडी देती है। इसके अलावा सरकार दो तरीके के पावर टिलर पर अनुदान देती है। पहला 8 हार्स पावर से कम के पावर टिलर पर और 8 हार्स पावर से अधिक के पावर टिलर पर।
दी जाने सहायता निम्नानुसार है
क्र.सं.
शक्तिचालित मशीन / उपकरण
अनुमन्य लागत प्रति यूनिट
अनुमन्य अनुदान
सामान्य वर्ग के लिए
लघु एवं सीमान्त कृषक / अनु.जाति / अनु.जनजाति / महिलाओं के लिए
1-
टैक्टर 20 बीएचपी तक
3.00 लाख रूपये
लागत का 25% अधिकतम 75,000 रुपये
अधिकतम 1 लाख रुपये
2-
पावर टिलर 8 बीएचपी से कम
1.00 लाख रुपये अधिकतम
अधिकतम 40,000 रुपये
50 हज़ार रुपये
3-
पावर टिलर 8 बीएचपी एवं उससे अधिक
1.50 लाख रुपये अधिकतम
अधिकतम 60,000 रुपये
75,000 रुपये
4-
सोइंग,प्लाण्टिंग, रीपिंग, डिगिंग उपकरण
30 हज़ार रुपये अधिकतम
अधिकतम 15,000 रुपये
12,000 रुपये
कौन ले सकता है इसका लाभ ?
किसी भी श्रेणी के किसान ट्रेक्टर का खरीद कर सकते हैं।
केवल वे ही किसान पात्र होगे जिन्होने बीते 7 वर्षो में ट्रेक्टर या पावरटिलर खरीद पर विभाग की किसी भी योजना के अंतर्गत अनुदान का लाभ प्राप्त नही किया है।
ट्रेक्टर एवं पावरटिलर में से किसी एक पर ही अनुदान का लाभ प्राप्त किया जा सकेगा।
आवेदन कैसे करें ?
किसान को इसका लाभ लेने के लिए सबसे पहसे कृषि विभाग उत्तर प्रदेश की वेबसाइट https://www.upagriculture.com/ पर रजिष्ट्रेशन करना होता है उसके बाद जिला उद्यान अधिकारी के पास सब्सिडी के लिए एप्लीकेशन देना होता है। जिसके साथ में ये प्रूफ देना होता है कि जो यंत्र आप खरीदने जा रहे हैं उसके लिए आपके पास पैसे उपलब्द हैं, क्योंकि सब्सिडी की राशि यंत्र खरीद लेने के बाद किसान को मिलती है, पहले किसान को पूरा पैसे का भुगतान करना होता है
कौन से दस्तावेज लगेंगे ?
पंजीकरण के लिए किसान को बैंक खाते की पास बुक की फोटो कापी व आधार कार्ड की कॉपी लाना जरूरी है। यंत्र के मिलने के बाद अनुदान किसान के बैंक खाते में पहुंच जाता है। सब्सिडी के लिए आवेदन करने के लिए एक 10 रुपए का स्टांप सपथ पत्र के रूप में लगाना होता है।
सौर सुजला योजना के तहत विद्युतविहीन खेतों मे लगेंगे सोलर पंप :छत्तीसगढ़
वित्तीय वर्ष 2017-18 में सौर सुजला योजना के तहत विद्युतविहीन क्षेत्रों में 1000 सोलर पंप प्रदाय किये जायेगें। कलेक्टर श्री टामन सिंह सोनवानी द्वारा कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में प्रत्येक समय-सीमा बैठक में योजना की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। कलेक्टर द्वारा शासन से प्राप्त लक्ष्य की पूर्ति हेतु कृषि विभाग एवं क्रेडा विभाग को अधिक से अधिक विद्युतविहीन क्षेत्रों एवं जिले के ऐसे नदी नाले जहॉ पर सिंचाई हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध हो अधिक से अधिक प्रकरण बनाकर कृषकों को सोलर पंप वितरण करने हेतु निर्देशित किये।
इस वर्ष 01 एच.पी. से लेकर 05 एच.पी. क्षमता तक के सोलर पंप वितरत किये जायेंगेः-
वित्तीय वर्ष 2017-18 में शासन से प्राप्त निर्देशानुसार सिंचाई हेुत 01 एच.पी., 02 एच.पी., 03 एच.पी. एवं 05 एच.पी. के सोलर पंप प्रदाय किये जायेगें। इस वर्ष इस योजना अंतर्गत 01एच.पी. एवं 02एच.पी. के सोलर पंप सम्मिलित किये गये है पहले इस योजना के तहत 03एच.पी. एवं 05एच.पी. के सोलर पंप लगाये जा सकते थे जिसके लिए किसानों के पास लगभग 1 हेक्टेयर जमीन रहना जरूरी था।
इसके पाबंदी के चलते छोटे किसान इा योजना का लाभ लेने से वंचित हो जाते थे। इस साल इस बाध्यता को समाप्त करते हुए किसानों को 01एच.पी. एवं 02एच.पी. के सोलर पंप लगाने की सुविधा दी जा रही है, जिससे कोयलीबेड़ा, अंतागढ़, दुर्गूकोंदल जैसे अन्य ब्लाकों में पहाड़ी क्षेत्रों मे बसे हुए छोटे कृषकों को भी सिंचाई हेतु अच्छा साधन उपलब्ध होगा। जहॉ पर वर्तमान में परम्परागत बिजली से सिंचाई कर पाना संभव नही है ऐसे क्षेत्रों के लिए सोलर पंप से सिंचाई करना कृषकों के लिए वरदान है।
सोलर पंप स्थापना हेतु किसानों के अंशदान का विवरणः-
अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लिए एक एचपी पंप में 3500 रूपये अंशदान, दो एचपी के पंप में 5000 हजार, तीन एच पी के पंप के लिए 07 हजार रूपये की अंशदान मिलेगी और 5 एचपी के लिए 10 हजार रूपये की अंशदान राशि प्राप्त होगी। इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए एचपी पंप में 6000 रूपये अंशदान, दो एचपी के पंप में 9 हजार, तीन एच पी के पंप के लिए 12 हजार रूपये की अंशदान मिलेगी और 5 एचपी के लिए 15 हजार रूपये की अंशदान राशि प्राप्त होगी।
सामान्य वर्ग के लिए एचपी पंप में 14 हजार रूपये अंशदान, दो एचपी के पंप में 16 हजार, तीन एच पी के पंप के लिए 18 हजार रूपये की अंशदान मिलेगी और 5 एचपी के लिए 20 हजार रूपये की अनुदान मिलेगी। एक एचपी पंप के लिए प्रोसेसिंग शुल्क 12 सौ रूपये, दो एचपी के लिए 1800, तीन एचपी के लिए 03 हजार और 05 एचपी के लिए 4800 रूपये की प्रोसेसिंग शुल्क देनी होगी।
सौर सुजला योजना के तहत कैसे पंजीकृत हो:-
इस योजना के लाभार्थियों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का कृषि विभाग मुख्य पंजीयन प्राधिकरण है। किसान आवेदन करने के लिए मुक्त है पर रियायती दरों में सोलर पंप बांटने के लिए योग्य पात्रों को चयन कृषि विभाग द्वारा किया जायेगा। इस योजना के लिए आवेदन पत्र ब्लॉक कार्यालयों और कृषि कार्यालयों में उपलब्ध है। आवेदन को ठीक से भर कर आवश्यक दस्तावेजों के साथ केवल कृषि कार्यालयों में प्रस्तुत करना होगा। इस योजना के लिए आवेदन शुल्क भी है। आवेदन प्राप्त होने के बाद क्रेडा द्वारा जांच की जाती है की आवेदक इस योजना के लिए योग्य पात्र है या नही।
योजना मे शामिल होने देने होंगे आवश्यक दस्तावेजः-
इस योजना के लिए कृषि विभाग आवेदक से आवश्यक जानकारी एकत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। लाभार्थी का नाम व पता उचित दस्तावेज जैसे पहचान पत्र और निवास के साथ एकत्रित करना। इस योजना में शामिल होने के लिए आधार नंबर अनिवार्य हैं इन दस्तावेजों के सत्यापन के बाद लाभार्थी के बैंक खाते की जानकारी आवश्यक होती है।
आवेदक को अपनी किसी एक बचत बैंक खाते की जानकारी प्रदान करनी होगी । आवेदक को अपना मोबाईल नम्बरभी अनिवार्य रूप से प्रदान करना होगा । लाभार्थियों को एसएमएस के माध्यम से परियोजना के बारे में नचकंजम करते रहा जायेगा। निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बिजली बिल, वोटर आईडी की सत्यापित छायाप्रति, भूमि का खसरा, रकबा ,वं कार्य स्थल का सत्यापित नक्शा, बैंक पासबुक की छायाप्रति, जाति प्रमाण पत्र की सत्यापित छायाप्रति, प्रोसेसिंग शुल्क का डिमांड ड्राफ्ट, स्थापना स्थल के फोटोग्राफ, हितग्राही के दो फोटो देने होंगे
नीलगाय झुंड में रहती हैं तो जितना ये फसलों को खाकर नुकसान करती हैं उससे ज्यादा इनके पैरों से नुकसान पहुंचता है। सरसों और आलू के पौधे एक बार टूट गए तो निकलना मुश्किल हो जाता है। कुछ परंपरागत तरीके किसानों को जरुर आज़माने चाहिए। हालांकि लंबे समय के लिए ये कारगर नहीं है क्योंकि ये (नीलगाय) बहुत चालाक जानवर हैं तो बाड़ लगवाना सबसे बेहतर रहता है।
नीलगाय रोकने के लिए इस तरह बनायें हर्बल घोल
खेतों में नीलगाय को आने से रोकने के लिए 4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है।
बीस लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एकलीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है
चारों ओर कंटीली तार, बांस की फंटियां या चमकीली बैंड से घेराबंदी करें।
मेड़ों के किनारे पेड़ जैसे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मेंथा, एलेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण भी नीलगाय से सुरक्षा देंगे।
आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करने से रात में नीलगाय देखकर डर जाती हैं।
नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड़ से एक मीटर अन्दर फसलों पर छिड़काव करने से अस्थाई रूप से फसलों की सुरक्षा की जा सकती है।
एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है।
गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय खेतों के पास नहीं फटकती।
देशी जीवनाशी मिश्रण बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय दूर भागती हैं।