उत्तर प्रदेश सरकार ने पेश किया बजट 2023-24, किसानों के लिए की यह घोषणाएँ

कृषि बजट उत्तर प्रदेश 2023-24

केंद्र सरकार के बाद अब राज्य सरकारों के द्वारा भी वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश किया जा रहा है, इस कड़ी में आज उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में अपना बजट पेश कर दिया है। सरकार ने इस बजट को 7 लाख करोड़ रुपए का बताया है जो अब तक का सबसे बड़ा बजट है। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने सबसे पहले किसानों की बात की, उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन, गन्ना एवं चीनी उत्पादन तथा एथेनॉल की आपूर्ति में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है। कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान डी.बी.टी. के माध्यम से भुगतान करने वाला पहला राज्य भी उत्तर प्रदेश बना है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में पहले से चली आ रही अधिकांश योजनाओं को आगे भी जारी रखने का फैसला लिया है। जिसमें किसान पाठशाला, किसान पेंशन, छुट्टा गोवंश से किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए बजटीय प्रावधान आदि शामिल है।

कृषि के लिए बजट में क्या है?

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बजट में नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के लिए 631 करोड़ 93 लाख रुपए, निजी नलकूपों को सस्ते दरों पर विद्युत आपूर्ति के लिए 1950 करोड़ रुपए, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए 984 करोड़ 54 लाख रुपए, फसल बीमा के लिए 753 करोड़ 70 लाख रुपए एवं आत्मनिर्भर कृषक समन्वित योजना हेतु 100 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है।

किसान पेंशन के लिए किए गया 7248 करोड़ रुपए का प्रावधान

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बजट में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वृद्धावस्था/किसान पेंशन योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 7248 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया है।

इस वर्ष 17 हजार किसान पाठशालाओं का किया जायेगा आयोजन

किसानों को खेती की नई तकनीक से प्रशिक्षित बनाने के लिए प्रदेश भर में ‘‘द मिलियन फार्मर्स स्कूल’’ कार्यक्रम का आयोजन करने की घोषणा की है। जिसके तहत इस साल 2023-24 में 17 हजार किसान पाठशालाओं का आयोजन प्रस्तावित है।

प्राकृतिक खेती लिए खर्च किए जाएँगे 113 करोड़ रुपए

नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग योजना से 49 जिलों में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती का कार्य प्रारम्भ किया गया है जिसमें गंगा नदी से जुड़े 26 जनपद सम्मिलित हैं। योजना के लिए 113 करोड़ 52 लाख रुपए प्रस्तावित हैं।

पशु पालन के लिए बजट में क्या है?

सरकार ने बजट में प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में निराश्रित गोवंश की समस्या के निराकरण हेतु बुंदेलखंड के प्रत्येक जनपद में 05-05 गो-आश्रय केंद्र स्थापित/ क्रियाशील है। छुट्टा गोवंश के रख-रखाव हेतु 750 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। वहीं वृहद् गौ संरक्षण केंद्रों की स्थापना के लिए 120 करोड़, पशु रोग नियंत्रण हेतु 116 करोड़ 52 लाख रुपए एवं भेड़ पालन योजना के लिए 3 करोड़ 44 लाख रुपए की व्यवस्था की गई है।

मछली पालन के लिए बजट में क्या है?

वहीं सरकार ने मछली पालन क्षेत्र में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत होल सेल फिश मार्केट के लिये 257 करोड़ 50 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है। इसके अलावा मुख्य मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 10 करोड़ रुपए एवं निषादराज बोट सब्सिडी योजना के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है। 

तापमान बढ़ने से फसलों को हो सकता है भारी नुकसान, किसान इस तरह करें बचाव

अधिक तापमान से गेहूं एवं चने की फसल को कैसे बचाएँ 

देश में इस वर्ष जहां रबी फसलों की बुआई का रकबा बढ़ने से विभिन्न फसलों के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान कृषि विभाग ने लगाया है। वहीं फरवरी महीने में अचानक हुई तापमान में वृद्धि कृषि विभाग के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योकिं अधिक तापमान से फसलों की पैदावार में भारी गिरावट आने की संभावना है। इस समय गेहूं के अच्छे उत्पादन लिए दिन का अनुकूल तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए, परन्तु इस समय कई स्थानों पर दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर व रात का तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के लगभग पहुंच गया है।

तापमान में हुई इस आकस्मिक वृद्धि से फसलों को काफी नुकसान होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के कृषि विभाग द्वारा बढ़ते तापमान के मद्देनजर फसलों को बचाव के उपाय हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

गेहूं में इन रासायनिक दवाओं का करें छिड़काव

कृषि विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में बताया गया है कि गेहूं की फसल में बीज भराव व बीज निर्माण की अवस्था पर आकस्मिक तापमान वृद्धि नुकसान देय है। अगर यह स्थिति आगामी कुछ दिनों तक बनी रहती है तो इसके बचाव हेतु सिंचाई पानी की उपलब्धता होने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई किसानों को करनी चाहिए।

गेहूं की फसल में आकस्मिक तापमान वृद्धि से होने वाले प्रभाव से बचने के लिए बीज भराव व बीज निर्माण की अवस्था पर सीलिसिक अम्ल (15 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी) के विलियन अथवा सीलिसिक अम्ल (10 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी +  25 ग्राम 100 लीटर पानी) का परणीय छिड़काव (फॉलियर स्प्रे) करें। सीलिसिक अम्ल का प्रथम छिड़काव झंडा पत्ती अवस्था व दूसरा छिड़काव दूधिया अवस्था पर करने से काफी लाभ होगा। सीलिसिक अम्ल गेंहू को प्रतिकूल परिस्थितियों में लड़ने की शक्ति प्रदान करता है व निर्धारित समय पूर्व पकने नहीं देता जिससे की उत्पादन में गिरावट नहीं होती। 

नहीं होगा फसलों पर तापमान बढ़ने का असर

गेहूं की बाली आते समय एस्कार्बिक अम्ल के 10 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी घोल का छिड़काव करने पर फसल पकते समय सामान्य से अधिक तापमान होने पर भी उपज में नुकसान नहीं होता है। गेहूं की फसल में बूटलीफ एवं एंथेसिस अवस्था पर पोटेशियम नाइट्रेट (13.0.45) के 2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। गेहूं की पछेती बोई फसल में पोटेशियम नाइट्रेट 13.0.45, चिलेटेड जिंक, चिलेटेड मैंगनीज का स्प्रे भी लाभप्रद है।

चने की फसल को अधिक तापमान से ऐसे बचाएँ

कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि चने में फसल को पकाव के समय सूखे के प्रभाव से बचाने के लिए पोटेशियम नाइट्रेट (13.0.45) 1 किलोग्राम का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल की फूल वाली अवस्था और फली वाली अवस्था पर परणीय छिड़काव करें। कृषि अनुसंधान अधिकारी श्री जगजीत सिंह के अनुसार सीलिसिक अम्ल का छिड़काव करने से तापक्रम में होने वाली वृद्धि से नुकसान की आशंका कम हो जाएगी व उत्पादन में वृद्धि होगी।

कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकार दे रही है 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी, इस वर्ष एक लाख किसानों को दिया जाएगा योजना का लाभ

कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान

खेती-किसानी में जुताई से लेकर फसलों की कटाई तक सभी कामों को सुलभ बनाने में कृषि यंत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। खेती में यंत्रीकरण से उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होती है। लेकिन आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं होने के कारण किसान इन महँगे कृषि यंत्रों को खरीद नहीं पाते हैं। ऐसे में अधिक से अधिक किसान कृषि यंत्रों का उपयोग कर सकें इसके सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है।

इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य में कृषि तकनीकी मिशन योजना चला रही है। योजना के तहत हस्त चलित, शक्ति चलित, ट्रैक्टर चलित, स्वचलित जैसे अन्य श्रेणी के कृषि यंत्र खरीदने पर किसानों को अनुदान दिया जा रहा है, जिससे किसानों पर आर्थिक भार नही पड़ेगा और कृषि का काम आसान हो जाएगा। साथ ही फसल के उत्पादन में वृद्धि होने से उनकी आय में भी इजाफा होगा।

कृषि यंत्रों की खरीद पर कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाता है?

राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने योजना के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि योजना के अंतर्गत पावर टिलर्स, स्वचालित यंत्र, विशिष्टिकृत स्वचालित यंत्र जैसे अनेकों उपकरणों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमांत एवं महिला किसानों को कृषि यंत्र की खरीद पर राज्य सरकार द्वारा लागत राशि का 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है। वहीं अन्य किसानों के लिए लागत का 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है।

इस वर्ष एक लाख किसानों को दिया जाएगा कृषि यंत्र पर अनुदान

कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि राजस्थान कृषि तकनीक मिशन के तहत पिछले 4 वर्षों में 43 हजार 396 किसानों को कृषि यंत्रों के क्रय पर 91 करोड़ 44 लाख रुपये का अनुदान देकर लाभान्वित किया गया है। वहीं मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा कृषि बजट घोषणा 2023-24 के अनुसार इस वित्त वर्ष में एक लाख किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 250 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाना प्रस्तावित है।

वहीं राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में पशुपालन कर रहे 50 हजार किसानों को अनुदानित दर पर हस्त/पॉवर चलित चाफ कटर यंत्र उपलब्ध कराने की भी घोषणा की है। इसके लिए सरकार ने 35 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा है।

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए किसान कहाँ आवेदन करें?

राजस्थान राज्य के इच्छुक किसान जो अनुदान पर कृषि यंत्र खरीदना चाहते हैं, वह किसान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। कृषि आयुक्त ने आवेदन सम्बंधित जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान कृषि तकनिकी मिशन के अंतर्गत लाभ लेने के लिए किसान राज किसान साथी पोर्टल पर जन आधार कार्ड के माध्यम से आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त योजना से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए किसान अपने निकटतम कृषि कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं। 

पशु पालकों को गोमूत्र एवं गोबर खरीदी के बदले किया गया 8 करोड़ 63 लाख रुपए का भुगतान

गोमूत्र एवं गोबर खरीदी का भुगतान

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन एवं पशु पालकों की आय बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में गोधन न्याय योजना चला रही है। योजना के अंतर्गत ग्रामीणों एवं पशुपालकों से गोठानों के माध्यम से गोमूत्र एवं गोबर की खरीदी की जा रही है। गोठानों में खरीदे गए इस गोबर एवं गोमूत्र से स्व सहायता समूह विभिन्न उत्पाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट खाद, प्राकृतिक पेंट, जीवामृत, ब्रम्हास्त्र कीट नियंत्रक आदि तैयार करके उनका विक्रय कर रहे हैं। 

20 फरवरी के दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गोधन न्याय योजना अंतर्गत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 8 करोड़ 63 लाख रुपए की राशि ऑनलाइन जारी की। इस योजना के हितग्राहियों को अब तक 412.19 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है।

अब तक 105 लाख 63 हजार क्विंटल गोबर खरीदा गया

गोधन न्याय योजना के शुरू होने से अब तक कुल 105 लाख 63 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है इसके एवज में गोबर विक्रेताओं को अभी 4.76 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद 211 करोड़ 25 लाख रुपए की राशि प्रदान कर दी गई है। गोधन न्याय योजना से लाभान्वित पशुपालकों में 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और गोबर खरीदी में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 20 फरवरी के दिन ग्रामीण पशुपालकों को अंतरित की जा रही कुल राशि में से 04 करोड़ 76 लाख रुपए का भुगतान गोबर खरीदी के एवज में किया गया।

गोमूत्र से अब तक हुई 28 लाख 96 हजार रुपए की कमाई

मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर खरीदी के साथ-साथ 4 रूपए लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। अभी तक 01 लाख 33 हजार 484 लीटर गौमूत्र की खरीदी की जा चुकी है। इसका मूल्य 05 लाख 37 हजार 936 रूपए है। गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र कीट नियंत्रक और जीवामृत वृद्धि वर्धक के निर्माण तथा विक्रय से अब तक 28 लाख 96 हजार 845 रूपए की आय हो चुकी है।

21 जिलों में बनाया जाएगा गोबर से पेंट

राज्य में गोबर से पेंट बनाने के लिए 21 जिलों में 45 इकाई स्वीकृत हुई हैं, इनमें से 13 इकाईयां प्रारंभ हो चुकी हैं। शेष 32 यूनिट का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। अभी तक 30 हजार 218 लीटर पेंट का उत्पादन हो चुका है। इनमें से 14 हजार 358 लीटर पेंट का विक्रय हो चुका है। इससे 29 लाख 16 हजार 300 रूपए की आय प्राप्त हुई है।

सरकार ने किसानों एवं पशुपालकों को दिए जाने वाले मुआवजे में की वृद्धि, अब मिलेगा इतना मुआवजा

किसानों एवं पशु पालकों को दिया जाने वाला मुआवजा

प्राकृतिक आपदाओं से किसानों एवं पशु पालकों को काफी नुकसान होता है, जिसकी भरपाई सरकार द्वारा की जाती है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में फसल क्षति एवं पशु-पक्षी हानि होने पर दिए जाने वाली राहत राशि में वृद्धि कर दी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। मंत्रि-परिषद ने राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत दी जाने वाली राहत राशि में वृद्धि की है।

मंत्रि-परिषद की बैठक में बाढ़ की स्थिति में भूमि और अन्य नुकसान के लिए सहायता, पशु-पक्षी (मुर्गा/मुर्गी) हानि के लिये आर्थिक सहायता, नष्ट हुए मकानों के लिये आर्थिक अनुदान सहायता एवं बाढ़ एवं तूफान से प्रभावित मछुआरों को दी जाने वाली सहायता राशि में वृद्धि की है। जो इस प्रकार है :-

बाढ़, भूस्खलन एवं अन्य प्राकृतिक आपदा से नुकसान के लिए सहायता

कृषि योग्य भूमि वाले खेतों में रेत या पत्थर (3 इंच से अधिक) आ जाने पर पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि पर मलबा हटाने के लिये, फिश फार्म में डिसेल्टिंग या पुनस्थापन अथवा मरम्मत सफाई के लिये राहत 12 हजार 200 रुपए के स्थान पर 18 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर दिया जायेगा। इसी तरह भूस्खलन, हिमस्खलन, नदियों के रास्ता बदलने के कारण सीमांत या लघु कृषक के भूमि स्वामित्व की भूमि के नष्ट होने पर राहत 37 हजार 500 रुपए के स्थान पर 47 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जायेगा।

पशु-पक्षी (मुर्ग़ा/मुर्गी) हानि होने पर दी जाने वाली सहायता

दुधारू पशु गाय/भैंस/ऊँट आदि के लिए राहत राशि 30 हजार प्रति पशु के स्थान पर 37 हजार 500 रुपए एवं भेड बकरी/ सूअर के लिए राहत राशि 3 हजार रूपये के स्थान पर 4 हजार रुपए दिए जाएँगे। गैर-दुधारू पशु ऊँट/घोडा/बैल/भैंसा आदि के लिए राहत राशि 25 हजार रूपये प्रति पशु के स्थान पर 32 हजार रुपए प्रति पशु किया जायेगा एवं बछडा (गाय, भैंस)/ गधा /पोनी/ खच्चर हेतु राहत 16 हजार रुपए प्रति पशु के स्थान पर 20 हजार रुपए दिए जाएँगे।

वहीं अस्थायी पशु शिविर में रखे गये बड़े पशुओं के लिए 70 रूपये पशु प्रति दिन के स्थान पर 80 रुपए एवं छोटे पशुओं के 35 रुपए प्रति पशु प्रति दिवस के स्थान पर 45 रुपए प्रति दिन दिए जाएँगे। इसी तरह पक्षी (मुर्गी/ मुर्गा) हानि के लिये 60 रुपए (10 सप्ताह से अधिक आयु के) प्रति पक्षी के स्थान पर 100 रुपए प्रति पक्षी दिए जाएँगे।

मछुआरों को कितनी सहायता दी जाएगी

नाव की आंशिक क्षति होने पर मरम्मत के लिए 4 हजार 100 रूपये के स्थान पर 6 हजार रुपए दिए जाएँगे। जाल या अन्य उपकरणों की मरम्मत के लिये 2 हजार 100 रुपए के स्थान पर 3 हजार रुपए दिया जायेगा। नाव नष्ट होने पर 12 हजार रुपए के स्थान पर 15 हजार रुपए दिया जायेगा। इसी तरह नैसर्गिक आपदा यथा सूखा, अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प आदि से मछली पालने वालों को मछली बीज नष्ट होने पर प्रभावित को 8 हजार 200 रुपए के स्थान पर 10 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा।

मकानों को नुकसान होने पर कितना अनुदान दिया जाएगा

मंत्रि-परिषद ने पूर्ण नष्ट (मरम्मत योग्य नहीं) और गम्भीर रूप से क्षतिग्रस्त (जहां क्षति 50 प्रतिशत से अधिक हो) पक्के / कच्चे मकान के लिए वास्तविक क्षति के आंकलन के आधार पर राहत राशि अधिकतम 95 हजार 100 रुपए के स्थान पर मैदानी इलाकों में 1 लाख 20 हजार एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1 लाख 30 हजार रुपए दिए जाने का फैसला लिया है। झुग्गी झोपड़ी (झुग्गी/झोपड़ी से तात्पर्य है कच्चे घर से निम्नतर फूस मिट्टी प्लास्टिक सीट आदि से निर्मित घर) पूर्ण नष्ट होने पर राहत राशि 6 हजार के स्थान पर 8 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। 

इसी तरह आंशिक क्षतिग्रस्त (जहां क्षति 15 प्रतिशत से 50 प्रतिशत हो) पक्के मकान के लिए राहत राशि 5 हजार 200 के स्थान पर 6 हजार 500 रुपए एवं कच्चे मकान के लिए 3 हजार 200 के स्थान पर 4 हजार रुपए दी जायेगी। साथ ही मकान से संलग्न पशु घर के लिये राहत राशि 2 हजार 100 के स्थान पर 3 हजार रुपए प्रति पशु घर दी जायेगी।

गोबर से बने कण्डे, गो काष्ठ, वर्मी कम्पोस्ट एवं गोबर पेंट के लिए शुरू किया गया शोरूम, जानें कितनी होती है कमाई

गोमूत्र एवं गोबर से बने उत्पाद की बिक्री से कमाई

देश में गोवंश के संरक्षण तथा किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ शुरू की गई हैं। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई “गोधन न्याय योजना” प्रमुख है। योजना के अंतर्गत पशु पालकों एवं ग्रामीणों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर एवं 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। सरकार द्वारा गोठानों के माध्यम से खरीदे गए गोबर एवं गोमूत्र से महिला स्व सहायता समूह द्वारा विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं। जिससे न केवल पशुपालकों की आमदनी बढ़ी है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार बढ़ा है।

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गोबर से बने कण्डे एवं गोबर से बनी ब्रिक

इस कड़ी में छत्तीसगढ़ में अम्बिकापुर की महिलाओं ने नया बिजनेस आइडिया अपनाते हुए गोबर से निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए अंबिकापुर में एक्सक्लूसिव शोरूम शुरू किया गया है। इसे गोधन एम्पोरियम का नाम दिया गया है। इस एम्पोरियम में वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ गौ काष्ठ, अगरबत्ती, कण्डा और गोबर से निर्मित पेंट की बिक्री की जा रही है।

गोबर से बने उत्पाद बेचकर हुई लाखों रुपए की आमदनी

गोधन एम्पोरियम से अब तक तीन वर्षों में कुल 12 लाख 49 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है। वर्ष 2020-21 में 4 लाख 50 हजार, वर्ष 2021-22 में 4 लाख 87 हजार और वर्ष 2022-23 में 3 लाख 12 हजार रूपए की आय हुई है। यहां कार्यरत महिला सदस्यों ने बताया कि यहां से हर महीने समूह की महिलाएं एम्पोरियम से लगभग 40 हजार रूपए कमा रही हैं। यहां गौठान महिला समूह की दो महिला सदस्य बारी-बारी से तैनात रहती हैं। अन्य दुकानों की तरह सप्ताह में एक दिन मंगलवार को एम्पोरियम में अवकाश भी रहता है।

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गोबर से तैयार की गई वर्मी कम्पोस्ट खाद

यह एम्पोरियम अम्बिकापुर शहरी गौठान का हिस्सा है। इसे गौठान से जुड़ी महिला समूह ही संचालित करती है, समूह की महिलाएं अम्बिकापुर सिटी लेवल फेडरेशन की सदस्य हैं, यह फेडरेशन अम्बिकापुर शहर में स्वच्छता के लिए काम कर रहा है। अब यहां गोबर से पेन्ट बनाने और दोना पत्तल तैयार करने की यूनिट भी शुरू कर दी गई है। गौठान समूहों की सदस्यों को लाभांश के रूप में हर माह 6 से 7 हजार रुपए मिल जाता है।

रोज़ाना आते हैं 50 से 60 ग्राहक

किसी छोटे शॉपिंग मॉल जैसे दिखने वाले इस अनोखे एम्पोरियम में पूजा-पाठ, हवन आदि के लिए अंबिकापुर शहर के लोग गौ काष्ठ, अगरबत्ती खरीदते हैं। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में लिट्टी-चोखा के शौकिन गोबर के कंडे यहां से खरीदीकर लिट्टी-चोखा तैयार करते हैं। वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग शहरी क्षेत्र के लोग घरों के गमलों के साथ ही अन्य बागवानी कार्यों के लिए कर रहे हैं।

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गोबर से बने दिए एवं अन्य उत्पाद

गोबर पेंट में तापमान को रोकने की क्षमता के कारण यहां इसकी बिक्री भी हो रही है। इस एम्पोरियम की लोकप्रियता लगातार बढ़ते जा रही है। वर्तमान में यहां प्रतिदिन 40 से 60 ग्राहक का आना-जाना होता है। गोबर के उत्पादों की लोकप्रियता को देखते हुए यहां और भी बिक्री बढ़ने की संभावना है।

वर्ष 2024 तक पशु पालन के लिए बनाए जाएँगे 15 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड, किसानों को आसानी से मिलेगा सस्ता लोन

पशुपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड

केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई जा रही है। पशु पालन क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड KCC को पशु पालन एवं मछली पालन से जोड़ दिया है। KCC भारत सराकर की मुख्य योजनाओं में से एक है, जिसके तहत वर्ष 2024 तक उत्तर प्रदेश में 15.00 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

सरकार द्वारा पूरे देश भर में यह अभियान 15 नवम्बर, 2021 से शुरू किया गया है जो 30 सितम्बर, 2024 तक चलेगा। इस योजना के जरिए किसान व पशुपालक लोन लेकर अपने पशुओं की देखभाल कर सकते हैं। इससे पशुपालन व्यवसाय में वृद्धि होगी एवं पशुपालक के परिवार को आसानी से आर्थिक सहायता मिल सकेगी।

किसान क्रेडिट कार्ड पर पशु पालन के लिए कितना लोन मिलता है?

केंद्र सरकार की योजना के अनुसार पशुपालकों को इस किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 01 लाख 60 हजार तक का लोन बिना किसी जमीन आदि की आवश्यकता के भारत सरकार के साथ राष्ट्रीय बैंक द्वारा प्रदान किया जाएगा तथा 03 लाख रुपए तक का अधिकतम लोन निर्धारित समयावधि में भुगतान करने पर मात्र 4 प्रतिशत की दर से ब्याज लगता है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत पशु पालन घटक से सम्बंधित गोवंशीय, महिषवंशीय, बकरी, सुकर, कुक्कुट एवं अन्य पशुओं का पालन करने वाले पात्र पशुपालकों को आच्छादित कराते हुए समस्त पात्र पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दिया जाएगा।

शिविर लगाकर किसानों को दिए जा रहे हैं किसान क्रेडिट कार्ड

अधिक से अधिक किसानों को योजना से जोड़ने के लिए समय-समय पर राज्य सरकारों द्वारा शिविरों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मासिक तथा त्रैमासिक (जनपदवार) लक्ष्य निर्धारित करते हुए जनपद स्तर पर साप्ताहिक शिविर में आवेदन पत्र मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा एल.डी.एम. को उपलब्ध कराए जाते हैं तथा आवेदन पत्रों का निस्तारण भी सुनिश्चित किया जाता है। जनवरी 2023 महीने तक उत्तर विभाग द्वारा एल.जी.एम. को प्रेषित आवेदन पत्रों की संख्या 421502 एवं कुल 191107 किसान क्रेडिट कार्ड निर्गत किए जा चुके हैं, जो लक्ष्य का 77.95 प्रतिशत है, जिसे मार्च तक पूरा किया जाना है।

पशु पालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए क्या करें?

इच्छुक किसान योजना का लाभ लेने के लिए एवं योजना की अधिक जानकारी के लिए जनपद स्तर पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय तथा जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त राज्य के किसान agrilicense.upagriculture.com/pmkisankcc/#/ पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। 

सभी किसानों को दिया जाएगा बिना किसी ब्याज के फसली ऋण

किसानों को फसली ऋण

कृषि क्षेत्र में निवेश के लिए किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत कम दरों पर अल्पकालीन फसली ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य के किसानों को सहकारी बैंकों से बिना किसी ब्याज के ऋण उपलब्ध करा रही है। राजस्थान के सहकारिता मंत्री श्री उदयालाल आंजना ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी किसानों को ऋण देने का फैसला किया गया है।

उन्होंने विधानसभा में बताया कि जिन डिफॉल्टर किसानों ने अपना पूरा ऋण जमा करा दिया है, उन्हें भी फसली ऋण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा 11 अगस्त 2020 को आदेश जारी किया गया है।

किसानों को दिया जाता है 1 लाख 50 हजार रुपए तक का लोन

सहकारिता मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि वर्ष 2019-20 में डिफॉल्टर किसानों को ऋण नहीं दिया गया था। योजना के तहत अधिकतम 1 लाख 50 हजार तक का ऋण दिये जाने का प्रावधान है। जिन डिफॉल्टर किसानों ने अपना पूरा ऋण जमा करा दिया है, उन्हें भी फसली ऋण दिया जा रहा है।

इस वर्ष किसानों को कितना लोन दिया जाएगा ब्याज मुक्त फसली ऋण

राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट 2023-24 में प्रदेश के किसानों को 22 हजार करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त फसली ऋण वितरित करने लक्ष्य रखा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में अकृषि क्षेत्र जैसे हस्तशिल्प, लघु उद्योग, कताई-बुनाई, रंगाई-छपाई एवं दुकान के लिए 1 लाख 50 हज़ार परिवारों को सहकारी बैंकों के माध्यम से 3 हजार करोड़ रूपये के ब्याज मुक्त ऋण वितरित किए जाएंगे।

नहीं होगी किसानों की जमीन नीलाम

राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता श्रीमती श्रेया गुहा ने कहा कि लघु एवं सीमान्त किसानों, भूमिहीन श्रमिकों तथा कमजोर वर्ग के किसानों को परिस्थतिवश परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति का स्थाई समाधान करने के लिए ऋण भार में राहत व ऐसी स्थिति में किसानों की जमीन की नीलामी रोकने के लिए राजस्थान किसान ऋण राहत एक्ट लाया जाएगा। एक्ट में ऋण राहत आयोग का गठन किया जाएगा।

खेतों में चैनलिंक फेंसिंग के लिए सरकार दे रही है सब्सिडी, किसान अभी करें आवेदन

अनुदान पर चैनलिंक फेंसिंग हेतु आवेदन

देश में किसानों की खड़ी फसलों को आवारा पशु, नीलगाय एवं जंगली जानवरों से काफी नुकसान होता है। किसान अपनी फसलों को होने वाले इस नुकसान से बचाने के लिए खेतों की तारबंदी Fencing कराना तो चाहते हैं परंतु लागत अधिक होने के चलते नहीं करा पाते हैं। ऐसे में कई राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए तारबंदी पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा भी चयनित ज़िलों के विकास खंडों में चैनलिंक फैसिंग पर अनुदान देने के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। 

मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग ने “राष्ट्रीय कृषि विकास योजना” वर्ष 2021-22 के अंतर्गत राज्य के 20 जिलों के मॉडल विकासखंड के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए हैं। इन ज़िलों के किसान मध्यप्रदेश उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

इन जिलों के किसान कर सकते हैं चैनलिंक फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन?

मध्य प्रदेश उद्यानिकी विभाग ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 2021-22 के तहत राज्य के उज्जैन ज़िले के महिदपुर, शाजापुर ज़िले के शुजालपुर, सिहोर ज़िले के नरसूल्लागंज, होशंगाबाद ज़िले के होशंगाबाद, मंडला ज़िले के नारायणगंज, ग्वालियर ज़िले के मुरार, बालाघाट के परसवाडा, दतिया ज़िले के सेवढा, शिवपुरी के करेरा, बड़वानी के पाटी, सतना ज़िले के रामपुर बघेलान, छतरपुर ज़िले के राजनगर, उमरिया ज़िले के पाली, रीवा ज़िले के रीवा, दमोह ज़िले के पथरिया, पन्ना ज़िले के अजयगढ़, मुरैना ज़िले के पोरसा, झाबुआ ज़िले के झाबुआ, जबलपुर ज़िले के कुंडम एवं भोपाल ज़िले के बैरसिया विकासखंड के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं। 

चैन लिंक फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा। 

सिंचित एवं असिंचित क्षेत्र में फसल नुकसान होने पर दिया जाएगा इतना मुआवजा

फसल नुकसान के लिए मुआवजा

विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है, किसानों को होने वाले इस नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा योजना अनुसार की जाती है। पिछले वर्ष खरीफ सीजन में भारी वर्षा एवं बाढ़ से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ था। जिसको लेकर राजस्थान में चल रहे विधानसभा सत्र में विधायक श्री प्रताप लाल ने वर्ष 2022 में जिला उदयपुर में अतिवृष्टि से हुई बाढ़ से तहसील सलूम्बर एवं झल्लारा में हुए नुकसान को लेकर सवाल पूछा।

प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्यों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री श्री गोविन्द राम मेघवाल ने विधानसभा में कहा कि उदयपुर जिले की सलूम्बर तथा झल्लारा तहसील में 33 प्रतिशत से अधिक हुए फसल खराबे में प्रभावित किसानों का डेटा अपलोड करने का काम किया जा रहा है। इसके लिए तहसीलदार को पाबंद किया जा चुका है।

पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है किसानों का डेटा

आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री ने बताया कि खरीफ फसल संवत् 2079 (वर्ष 2022) के तहत उदयपुर की सलूम्बर तथा झल्लारा में 33 प्रतिशत से अधिक हुए फसल खराबे में 52 हजार 631 किसान प्रभावित हुए हैं। जिसके लिए डीएमआईएस पोर्टल खोला जा चुका है तथा इस पोर्टल पर इन प्रभावित किसानों का डेटा अपलोड करने के लिए तहसीलदार को पाबंद किया जा चुका है।

फसल ख़राब होने पर कितना मुआवजा

आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री श्री गोविन्द राम मेघवाल ने एसडीआरएफ नियमों की जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को सिंचित एवं असींचित क्षेत्र के लिए अलग-अलग कृषि आदान-अनुदान दिया जाता है। जिसमें यदि किसान के द्वारा बोई गई फसल सिंचित क्षेत्र में है तो उसे 17 हजार रुपए तक तथा असींचित क्षेत्र में है तो 8 हजार 500 रुपए तक का मुआवजा दिया जाता है। 

वर्ष 2022 में तहसील सलूम्बर एवं झल्लारा में 33 प्रतिशत एवं इससे अधिक फसल खराबा वाले प्रभावित पात्र कृषकों को एसडीआरएफ नोर्म्स के अनुसार कृषि आदान-अनुदान देय है, जिसके लिए दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके है।