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मंगलवार, जनवरी 14, 2025
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तापमान बढ़ने से फसलों को हो सकता है भारी नुकसान, किसान इस तरह करें बचाव

अधिक तापमान से गेहूं एवं चने की फसल को कैसे बचाएँ 

देश में इस वर्ष जहां रबी फसलों की बुआई का रकबा बढ़ने से विभिन्न फसलों के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान कृषि विभाग ने लगाया है। वहीं फरवरी महीने में अचानक हुई तापमान में वृद्धि कृषि विभाग के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योकिं अधिक तापमान से फसलों की पैदावार में भारी गिरावट आने की संभावना है। इस समय गेहूं के अच्छे उत्पादन लिए दिन का अनुकूल तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए, परन्तु इस समय कई स्थानों पर दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर व रात का तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के लगभग पहुंच गया है।

तापमान में हुई इस आकस्मिक वृद्धि से फसलों को काफी नुकसान होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के कृषि विभाग द्वारा बढ़ते तापमान के मद्देनजर फसलों को बचाव के उपाय हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

गेहूं में इन रासायनिक दवाओं का करें छिड़काव

कृषि विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में बताया गया है कि गेहूं की फसल में बीज भराव व बीज निर्माण की अवस्था पर आकस्मिक तापमान वृद्धि नुकसान देय है। अगर यह स्थिति आगामी कुछ दिनों तक बनी रहती है तो इसके बचाव हेतु सिंचाई पानी की उपलब्धता होने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई किसानों को करनी चाहिए।

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गेहूं की फसल में आकस्मिक तापमान वृद्धि से होने वाले प्रभाव से बचने के लिए बीज भराव व बीज निर्माण की अवस्था पर सीलिसिक अम्ल (15 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी) के विलियन अथवा सीलिसिक अम्ल (10 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी +  25 ग्राम 100 लीटर पानी) का परणीय छिड़काव (फॉलियर स्प्रे) करें। सीलिसिक अम्ल का प्रथम छिड़काव झंडा पत्ती अवस्था व दूसरा छिड़काव दूधिया अवस्था पर करने से काफी लाभ होगा। सीलिसिक अम्ल गेंहू को प्रतिकूल परिस्थितियों में लड़ने की शक्ति प्रदान करता है व निर्धारित समय पूर्व पकने नहीं देता जिससे की उत्पादन में गिरावट नहीं होती। 

नहीं होगा फसलों पर तापमान बढ़ने का असर

गेहूं की बाली आते समय एस्कार्बिक अम्ल के 10 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी घोल का छिड़काव करने पर फसल पकते समय सामान्य से अधिक तापमान होने पर भी उपज में नुकसान नहीं होता है। गेहूं की फसल में बूटलीफ एवं एंथेसिस अवस्था पर पोटेशियम नाइट्रेट (13.0.45) के 2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। गेहूं की पछेती बोई फसल में पोटेशियम नाइट्रेट 13.0.45, चिलेटेड जिंक, चिलेटेड मैंगनीज का स्प्रे भी लाभप्रद है।

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चने की फसल को अधिक तापमान से ऐसे बचाएँ

कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि चने में फसल को पकाव के समय सूखे के प्रभाव से बचाने के लिए पोटेशियम नाइट्रेट (13.0.45) 1 किलोग्राम का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल की फूल वाली अवस्था और फली वाली अवस्था पर परणीय छिड़काव करें। कृषि अनुसंधान अधिकारी श्री जगजीत सिंह के अनुसार सीलिसिक अम्ल का छिड़काव करने से तापक्रम में होने वाली वृद्धि से नुकसान की आशंका कम हो जाएगी व उत्पादन में वृद्धि होगी।

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