इस वर्ष रबी फसलों के बुआई क्षेत्र में हुई 25.99 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की वृद्धि

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रबी फसलों की बुआई के रकबे में वृद्धि 

रबी फसलों की बुवाई का काम लगभग पूरा होने वाला है, इस बीच सरकार ने देश भर बोई जाने वाली विभिन्न रबी फसलों के बुआई क्षेत्र को लेकर आँकड़े जारी कर दिए है। केंद्र सरकार के द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार 23 दिसम्बर 2022 तक देश भर में इस वर्ष 25.99 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बुवाई हुई है। सरकार की मानें तो इसका कारण सरकार द्वारा किसान हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाएँ हैं।

सरकार द्वारा जारी आँकड़ों की मानें तो 23 दिसम्बर 2022 तक, रबी फसलों के तहत बोया गया क्षेत्र 2021-22 में 594.62 लाख हेक्टेयर से 2022-23 में 4.37 प्रतिशत बढ़कर 620.62 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष 25.99 लाख हेक्टेयर अधिक है। क्षेत्र में वृद्धि सभी फसलों में हुई है लेकिन सबसे अधिक गेहूं के बुआई क्षेत्र में देखी गई है।

इन फसलों की बुआई क्षेत्र में हुई है वृद्धि

वर्ष 2022–23 के रबी सीजन में कुल 620.62 लाख हेक्टेयर की बुआई हुई है। इसमें गेहूं की फसल में 312.26 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है जो पिछले वर्ष के मुकाबले 9.65 प्रतिशत अधिक है। अभी भी गेहूं की बुवाई कुछ राज्यों में चल रही है। 

तिलहन की वर्ष 2021–22 में 93.28 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई थी जो वर्ष 2022–23 में 9.60 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 101.47 लाख हेक्टेयर हो गई है। इसमें सरसों का क्षेत्र पिछले वर्ष 85.35 लाख हेक्टेयर था जो इस वर्ष 7.32 लाख हेक्टेयर की वृद्धि के साथ 92.67 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस वर्ष रबी सीजन में तिलहन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा योगदान रेपसीड और सरसों का रहा।

इस वर्ष दलहन की बुवाई क्षेत्र में भी वृद्धि देखने को मिली है। पिछले वर्ष दलहन की बुवाई 144.64 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी जो इस वर्ष 3.91 लाख हेक्टेयर के वृद्धि के साथ 148.54 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गई है। सभी दालों के लिए 3.91 लाख हेक्टेयर में से अकेले मसूर की दाल के क्षेत्र के हिस्‍से में 1.40 लाख हेक्‍टेयर की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार चने की खेती के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 0.72 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। 

मोटे तथा पोषक अनाजों के बुआई रकबे में भी वृद्धि हुई है। मोटे और पोषक अनाज की खेती के तहत आने वाले क्षेत्र में 242 लाख हेक्टेयर की वृद्धि देखी गई है जो 2021–22 के 41,50 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2022–23 में अब तक 43,92 लाख हेक्टेयर हो गई है।

उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को दिए गए उन्नत बीज

देश अभी तक तिलहन तथा दलहन के क्षेत्र में आत्म निर्भर नहीं हुआ है। ऐसे में पिछले वर्ष देश में खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए 1.41 लाख करोड़ रूपये की लागत से 142 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करना पड़ा है इसलिए सरकार देश में दलहन तथा तिलहन की उत्पादन बढ़ाकर आयात में कमी लाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत उन्नत किस्मों के बीज वितरित किए गए हैं।

टीएमयू 370 कार्यक्रम के तहत किसानों को दिए गए उन्नत बीज

सरकार ने दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत एनएफएसएम ‘टीएम 370’ के नाम से विशेष कार्यक्रम शुरू किया है। जिसका उद्देश्य अच्छे बीज और तकनीकी प्रक्रियाओं की कमी के कारण राज्य की औसत से कम दालों की पैदावार वाले 370 जिलों की उत्पादकता बढ़ाना है। योजना के तहत लगभग 4.04 लाख एचवाईवी बीज मिनीकिट ‘टीएमयू370’ के तहत किसानों को मसूर के लिए मुफ्त वितरित किए गए। 

वितरित की गई उच्च उपज वाली किस्मों में आईपीएल 220, आईपीएल 315, आईपीएल 316, आईपीएल 526 शामिल हैं। उड़द के लिए एलबीजी-787 के 50,000 बीज मिनीकिट चयनित जिलों के किसानों के बीच वितरित किए गए।

सरसों की उन्नत किस्मों के बीज किए गए वितरित

रबी 2022-23 के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-तिलहन के तहत 18 राज्यों के 301 जिलों में 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज क्षमता वाले एचवाईवी के 26.50 लाख बीज मिनीकिट किसानों को वितरित किए गए। नवीनतम किस्‍मों आरएच-106, आरएच-725, आरएच-749, आरएच-761, सीएस-58, सीएस-60, गिरिराज, पंत राय-20, जीएम-3, पीडीजेड-31 जैसे 2500-4000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की सीमा में उपज क्षमता वाले बीज वितरित किए गए।

चौथे कृषि रोड मैप को लेकर मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश, कृषि के आधुनिकीकरण के साथ किए जाएँगे यह कार्य

कृषि रोड मैप के लिए मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाने एवं किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जाती हैं, जिससे कृषि सम्बंधित अलग-अलग क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जा सके। इस कड़ी में बिहार सरकार कृषि का रोडमैप तैयार कर उसके अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य में करती है। राज्य में अभी तीसरा कृषि रोडमैप चल रहा है जो जल्द ही समाप्त हो जाएगा। इसके बाद चतुर्थ कृषि रोड मैप लागू होगा जो 2028 तक चलेगा। 22 दिसम्बर को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के समक्ष चतुर्थ कृषि रोडमैप के सूत्रण का प्रस्तुतीकरण दिया गया। 

जिसमें चतुर्थ कृषि रोडमैप को लेकर की जा रही तैयारियों के सम्बंध में विस्तृत जानकारी दी गई। इस दौरान सब्जी विकास, मधुमक्खी पालन, कृषि विविधिकरण, कृषि यंत्री करण, सिंचाई एवं जल निस्सरण, भंडारण एवं अधिप्राप्ति, सिंचाई एवं क्रॉपिंग इंटेंसिटी, प्रसंस्करण, डेटा संकलन, कृषि शिक्षा, बागवानी विकास, जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम, जैविक खेती, वेटनरी एजुकेशन, मिट्टी एवं जल संरक्षण, डिजिटल कृषि सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गई। 

कृषि का किया जाएगा आधुनिकीकरण

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा की चतुर्थ कृषि रोडमैप में कृषि के आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य के उत्पादों की ब्रांडिंग तथा कृषि बाजार के विकास को लेकर योजनाबद्ध ढंग से काम किया जाए। प्रखंड स्तर पर ई-किसान भवन में किसानों को कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित प्रशिक्षण एवं जानकारी सुगमता पूर्वक उपलब्ध कराई जाएँ।

उन्होंने निर्देश दिए कि जलवायु अनुकूल कृषि कार्य एवं जैविक खेती के बेहतर क्रियान्वयन के लिए कार्य किया जाए । राज्य में ही बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का विकास कराएँ साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रों का निर्माण भी यहीं कराएँ।

नीचे मछली ऊपर बिजली योजना में लाए तेज़ी

मुख्यमंत्री ने कहा कि चौर क्षेत्र के विकास के लिए “नीचे मछली ऊपर बिजली” के उत्पादन की योजना पर बेहतर ढंग से काम करें। फसलों के विविधीकरण के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए। चावल, गेहूं के अलावा अन्य फसलों के उत्पादन के लिए किसानों को किया जाए प्रोत्साहित। पशुओं के नस्ल सुधार और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ पशु जनित उत्पाद के क्षेत्र में वैल्यू चेन और जल स्त्रोत के सृजन एवं विकास पर काम करें। जल जमाव से प्रभावित क्षेत्रों में जल निकासी के लिए क्षेत्रवार योजना बनाकर काम किया जाए। 

मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना को मिली मंजूरी, मछली पालन के लिए मिलेगी 40 प्रतिशत सब्सिडी

मत्स्य सम्पदा योजना के तहत दिया जाएगा अनुदान

देश भर में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के उद्देश्य से “प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना” चलाई जा रही है। ठीक इसी तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश सरकार भी राज्य में मछली पालकों के लिए “मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना” शुरू करने जा रही है। मंत्री परिषद ने इसके क्रियान्वयन से सम्बंधित दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी है। साथ ही मंत्री परिषद ने यह भी निर्णय लिया है कि योजना के दिशा-निर्देशों में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री अधिकृत होंगे।

बता दें कि मत्स्य उत्पादन में प्रचुर बढ़ोतरी किए जाने तथा मछुआ समुदाय एवं मत्स्य पालकों की स्थिति में समग्र रूप से गुणात्मक विकास लाए जाने हेतु भारत सरकार द्वारा मई 20 मई 2020 से “प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना” लागू की गई है। मत्स्य क्षेत्र से प्रदेश में लगभग 39 लाख मछुआरों एवं मत्स्य पालकों को आजीविका प्राप्त होती है। 

मत्स्य उत्पादन को 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाया जाएगा 

उत्तर प्रदेश में ग्राम सभा के तालाबों में मत्स्य पालन का कार्य स्थानीय मछुआरों व पट्टाधारकों द्वारा परम्परागत तरीक़े से किया जा रहा है। इन तालाबों की वार्षिक मत्स्य उत्पादकता मात्र 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इन तालाबों का मनरेगा के माध्यम से सुधार कराकर अथवा स्वयं के संसाधन से सुधारे गए ग्राम सभा एवं अन्य पट्टे के तालाबों में मत्स्य पालन हेतु अनुदान उपलब्ध कराते हुए मत्स्य उत्पादकता को 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। 

मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत दिया जाएगा 40 प्रतिशत अनुदान

अभी केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना में ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों पर कोई परियोजना अनुमन्य नहीं है। इसी की भरपाई करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना शुरू की जा रही है। योजना का क्रियान्वयन 02 उप योजनाओं -‘कंपोनेंट ए’ एवं ‘कंपोनेंट बी’ के माध्यम से किया जाएगा। ‘कंपोनेंट ए’ के तहत मनरेगा कंवर्जंस अथवा पट्टा धारक स्वयं तथा अन्य विभागों के माध्यम से सुधारे गए ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में प्रथम वर्ष पर अनुदान हेतु इकाई लागत 04 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।

‘कम्पोनेंट बी’ के तहत मनरेगा कंवर्जेंस अथवा पट्टाधारक स्वयं तथा अन्य विभागों के माध्यम से सुधारे गए ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में मत्स्य बीज बैंक की स्थापना योजना हेतु इकाई लागत 04 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना 05 वर्षों (वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-27 तक) के लिए संचालित की जाएगी।

निगरानी के लिए कमेटी का होगा गठन

मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के कार्यान्वयन के लिए जिला स्तर पर लाभार्थी चयन, योजना के पर्यवेक्षण व निगरानी के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। मत्स्य विभाग का जिला स्तरीय अधिकारी इस समिति का सदस्य सचिव होगा। लाभार्थियों का चयन जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा। इच्छुक लाभार्थियों के आवेदन विभागीय पोर्टल पर आनलाइन प्राप्त किए जाएंगे। पट्टा धारक को किसी भी एक परियोजना में एक बार ही लाभ देय होगा।

हरियाणा के किसान जान लें कौन सी बीमा कम्पनी करती है उनके जिले में फसल बीमा

फसल बीमा कम्पनी लिस्ट हरियाणा

देश में किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए वर्ष 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इस योजना को अब स्वेच्छिक कर दिया गया है, जिससे ऋणी एवं अऋणी किसान अब अपनी इच्छा के अनुसार बोई गई फसल का बीमा करा सकते हैं। योजना के तहत प्रत्येक राज्य में सूचीवद्ध जनरल बीमा कम्पनियों के द्वारा बीमा किया जाता है। जिसमें अलग-अलग जिलों में क्लस्टर बनाकर बीमा कम्पनियों के द्वारा किया जाता है। फसल बीमा कम्पनियों का चयन सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।

ऐसे में किसानों को फसल बीमा करवाते समय जिस कम्पनी के द्वारा बीमा किया गया है उसकी जानकारी होना आवश्यक है ताकि प्राकृतिक आपदा के समय फसल क्षति होने पर किसान समय पर कम्पनी को सूचित कर फसल क्षति का आंकलन करा सकें। किसान समाधान हरियाणा राज्य में कार्य कर रही फसल बीमा कम्पनी एवं उनके टोल फ्री नम्बर की जानकारी अपने पाठकों के लिए लेकर आया है।

वर्ष 2022-23 के दौरान हरियाणा राज्य में फसल बीमा करने वाली कम्पनी लिस्ट

जिला

फसल बीमा कम्पनी/ टोल फ्री नम्बर

अंबाला

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-102-4088

भिवानी

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

टोल फ्री नम्बर- 1800-180-2117/1800 116 515

चरखीदादरी

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

फरीदाबाद

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

टोल फ्री नम्बर- 1800-180-2117/1800 116 515

फतेहाबाद

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

गुरुग्राम

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-102-4088

हिसार

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-102-4088

झज्जर

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

जींद

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-102-4088

कैथल

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

टोल फ्री नम्बर- 1800-180-2117/1800 116 515

करनाल

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-102-4088

कुरुक्षेत्र

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

टोल फ्री नम्बर- 1800-180-2117/1800 116 515

महेंद्रगढ़

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-102-4088

नूह

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

पलवल

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

पंचकूला

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

टोल फ्री नम्बर- 1800-180-2117/1800 116 515

पानीपत

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

रेवाड़ी

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

टोल फ्री नम्बर- 1800-180-2117/1800 116 515

रोहतक

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

सिरसा

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

टोल फ्री नम्बर- 1800-180-2117/1800 116 515

सोनीपत

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-102-4088

यमुनानगर

बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

टोल फ्री नम्बर- 1800-209-5959

गन्ना किसानों की सहायता के लिए जारी किया गया टोल फ्री नम्बर

गन्ना किसानों के लिए टोल फ्री नम्बर शुरू

रोज़ाना किसानों को गन्ने की खेती से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसको देखते हुए उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग ने किसानों की समस्या के समाधान के लिए टोल फ्री नम्बर की व्यवस्था की गई है जो अब 24*7 काम करेगा। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी ने प्रदेश के गन्ना किसानों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित टोल फ्री कंट्रोल रूम समर्पित किया है।

गन्ना किसानों की समस्याओं के त्वरित एवं प्रभावी समाधान हेतु गन्ना विकास विभाग के मुख्यालय पर यह कंट्रोल रूम (टोल-फ्री) की स्थापना की गई है। टोल-फ्री कॉल सेंटर को एन.कम्प्यूटिंग सिस्टम, इ.पी.बी.एक्स., इंटरकॉम एवं वेब बेस्ड सॉफ़्टवेयर जैसी आधुनिक सुविधाओं को जोड़ा गया है। जिससे अब “टोल-फ्री नंबर 1800-121-3203″ पर अनुभवी एवं दक्ष कार्मिकों द्वारा गन्ना किसानों को 24 घंटे अनवरत सहायता प्रदान की जाएगी।

किसानों को मिलेगी 24*7 सुविधा

कंट्रोल रूम से सम्बंधित विस्तृत जानकारी देते हुए श्री भूसरेड्डी ने बताया कि टोल-फ्री कंट्रोल रूम के कार्मिकों की कार्यप्रणाली को और मजबूत किए जाने के दृष्टिगत कंट्रोल रूम को उच्च तकनीकी सुविधाओं से जोड़ा गया है, जिसके फलस्वरूप कंट्रोल रूम कार्मिकों द्वारा 24*7 गन्ना किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान और गुणवत्तापूर्ण तरीक़े से किया जा सकेगा। कंट्रोल रूम में टोल फ्री नम्बर पर कॉल करने वाले गन्ना किसानों को कोई असुविधा ना हो, इस हेतु कंट्रोल रूम कार्मिकों के अवकाश की अवधि में कार्य करने के लिए दक्ष एवं अनुभवी कार्मिकों की बैकअप टीम का गठन भी किया गया है।

गन्ना किसानों को टोल फ्री नम्बर पर मिलेगी यह सुविधा

राज्य के गन्ना किसानों को गन्ने की खेती से जुड़ी विभिन्न समस्याओं हेतु विभागीय टोल-फ्री नम्बर 1800-121-3203 पर एवं सर्वे, सट्टा, कैलंडर, पर्ची एवं गन्ने की खेती से जुड़ी नवीनतम जानकारियों आदि से सम्बंधित जानकारी अथवा सुझावों हेतु कॉल कर समाधान पा सकेंगे। इन तकनीकी व्यवस्थाओं से किसानों को दफ़्तरों के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं होगी और उनके आने जाने में लगने वाले समय एवं पैसे की बचत होगी, तथा समस्त सूचनाएँ घर बैठे सुगमता पूर्वक प्राप्त हो सकेंगी। 

हरा चारा सुरक्षित रखने वाली साइलेज इकाई स्थापित करने के लिए सरकार दे रही है 4 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी

साइलेज इकाई स्थापना के लिए अनुदान

देश में पशुपालन किसानों की आय का एक महत्वपूर्ण जरिया है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए यह क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। पशु पालन के महत्व को देखते हुए मोदी सरकार द्वारा इस क्षेत्र में कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। केन्‍द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री श्री संजीव बालियान ने नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा युवाओं को स्वरोजगार दिलाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया।

साइलेज इकाई स्थापना के लिए दी जा रही है सब्सिडी

डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि हमारा विभाग 50 लाख से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देगा। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत गाय/भैंस/सूअर/मुर्गी/बकरी प्रजनन फार्म और हरा चारा सुरक्षित रखने वाली (साइलेज) इकाइयों को क्रमश: 4 करोड़, 1 करोड़, 60 लाख, 50 लाख रुपये की सब्सिडी देने की योजना है। कुल राशि में से 50 प्रतिशत सब्सिडी भारत सरकार द्वारा दी जाएगी और इसके अलावा, ऋण राशि पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी एएचआईडीएफ योजना के तहत लिया जा सकता है।

16000 युवाओं को “मैत्री” योजना के तहत मिला रोजगार

केन्‍द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री ने बताया कि पशुओं के इलाज के लिए 4332 से अधिक चल पशु चिकित्सा इकाई खोलने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देशी गाय की नस्लों के पालन-पोषण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कुल 90598 नौकरियों में से, 16000 युवाओं को “मैत्री” योजना के तहत रोजगार मिला है। देश के युवाओं को मंत्रालय की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए ऑनलाइन सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

60 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर खेतों में तारबंदी कराने के लिए आवेदन करें

तारबंदी Fencing पर अनुदान हेतु आवेदन

खेतों में खड़ी फसलों को नील गाय, आवारा पशु व जंगली जानवर काफ़ी नुकसान पहुँचाते हैं, जिसका सीधा असर  किसानों की आमदनी पर पड़ता है। परंतु किसानों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती है कि वह अपने खेतों में तारबंदी कराकर पशुओं से होने वाले इस नुकसान से बचा सकें। ऐसे में राजस्थान सरकार द्वारा किसानों को खेतों की तारबंदी कराने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। योजना के तहत अभी तक 5 हजार से अधिक किसानों को योजना का लाभ दिया गया है।

राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में “मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना” शुरू की गई है। योजना में राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत खेतों की जानवरों से सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा तारबंदी पर सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को योजना का लाभ आसानी से मिल सके इसके लिए सरकार ने आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, राज्य के इच्छुक किसान ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

तारबंदी Fencing पर कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा?

राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमांत कृषकों को तारबंदी के लिए राज्य सरकार द्वारा लागत का 60 प्रतिशत या अधिकतम 48 हजार रुपये जो भी कम हो दिया जाता है। वहीं अन्य कृषकों के लिए लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 40 हजार रुपये जो भी कम हो का अनुदान दिया जा रहा है।

कृषि बजट घोषणा 2022-23 में राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत आगामी 2 वर्षों में एक करोड़ 25 लाख मीटर की तारबंदी पर 35 हजार से अधिक किसानों को 100 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाना प्रस्तावित है।

यह किसान कर सकते हैं अनुदान पर तारबंदी के लिए आवेदन

तारबंदी योजना का लाभ लेने के लिए आवश्यक है कि किसान के पास 1.5 हेक्टेयर भूमि एक ही स्थान पर हो। इससे कम भूमि होने पर भी राज्य सरकार द्वारा दो या दो से अधिक किसानों के कृषक समूह, जिसके पास 1.5 हेक्टेयर या अधिक भूमि हो, को योजना का लाभ दिये जाने का प्रावधान किया गया है। योजना के अंतर्गत खेत में तारबंदी के लिए कृषक को 400 रनिंग मीटर की सीमा तक अनुदान दिया जा रहा है।

तारबंदी अनुदान योजना के लिए आवेदन कहाँ करें ?

वर्ष 2022-23 से राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन में तारबंदी में आवेदन की प्रक्रिया 30 मई 2022 से ऑनलाइन कर दी गयी है। जिसमें किसान लाभ लेने के लिए राज किसान साथी पोर्टल पर जन आधार के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वहीं किसानों को अधिकतम 6 माह पुरानी जमाबंदी की नकल के साथ बैंक पासबुक की प्रति के भी देनी होगी

योजना अथवा आवेदन के संबंध में अधिक जानकारी के लिए किसान निकटतम कृषि कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं अथवा किसान कॉल सेंटर के निरूशुल्क दूरभाष नंबर 1800-180-1551 पर बात कर सकते हैं।

5 हजार से अधिक किसानों को मिला योजना का लाभ

कृषि आयुक्त ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत गत 4 वर्षों में तारबंदी के लिए 5 हजार 827 किसानों को 17 लाख 402 मीटर तारबंदी के लिए 171 करोड़ 13 लाख 88 हजार रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। वर्ष 2018-19 में (दिसम्बर 2018 से) में 180 किसानों को 80 हजार मीटर की तारबंदी के लिए 80 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। 

इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में एक हजार 14 किसानों को 3 लाख 30 हजार 480 मीटर की तारबंदी के लिए 330.48 लाख रुपये का, वर्ष 2020-21 में 2 हजार 75 किसानों को 5 लाख 19 हजार 495 मीटर की तारबंदी के लिए 519.50 लाख रुपये का, वर्ष 2021-22 में 2 हजार 110 किसानों को 5 लाख 99 हजार 29 मीटर की तारबंदी के लिए 599.03 लाख रुपये का एवं वर्ष 2022-23 में अब तक 448 किसानों को  एक लाख 71 हजार 398 मीटर की तारबंदी के लिए 184.87 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गयी है।

अंतिम अवसर, अनुदान पर सोलर पम्प लेने के लिए अभी आवेदन करें

सोलर पम्प सब्सिडी हेतु आवेदन की लास्ट डेट

किसानों को सिंचाई के लिए अपने खेतों में सोलर पम्प लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है। जिसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा समय-समय पर आवेदन माँगे जाते हैं। जिसके बाद प्राप्त आवेदनों के अनुसार किसानों को सोलर पम्प की खरीदी पर अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों के किसानों से सोलर पम्प के लिए आवेदन माँगे गए थे परंतु अभी तक कई जनपदों में लक्ष्य अभी बाकि रह गए हैं। किसान इन लक्ष्यों के विरुद्ध ऑनलाइन आवेदन 18 दिसंबर 2022 तक कर सकते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा देशभर में किसानों को अनुदान पर सोलर पम्प देने के लिए कुसुम योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत उत्तर प्रदेश के इच्छुक किसान 18 दिसंबर 2022 तक बुकिंग कर सकते हैं। इसके बाद सोलर पम्प बुकिंग हेतु पोर्टल बंद कर दिया जाएगा।

किसानों को सोलर पम्प पर दिया जाने वाला अनुदान subsidy

कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पंप की लागत पर कुल 60 प्रतिशत का अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता है जिसमें किसानों को 40 प्रतिशत हिस्सा स्वयं ही देना होता है। किसानों को अलग-अलग हॉर्स पॉवर के सोलर पम्प पर आने वाली लागत एवं उस पर दी जाने वाली राशि की जानकारी इस प्रकार है:- 

2 एच.पी. के सोलर पम्प की क़ीमत एवं अनुदान :-  

राज्य में किसानों को 2 एचपी (डीसी और एसी सर्फेस पंप) पर लागत की 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। जिसमें सरकार ने 2 एचपी डीसी और एसी सर्फेस पम्प के लिए 1 लाख 44 हजार 526 रूपये का कुल मूल्य निर्धारित किया है। जिसमें किसानों को मात्र 57 हजार 810 रूपये देना होगा, शेष राशि की सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाएगी। 

वहीं 2 एचपी. डीसी सबमर्सिबल के लिए लागत 1 लाख 47 हजार 131 रुपए रखी गई है। इस पर किसानों को 88 हजार 278 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी, शेष राशि 58 हजार 835 रूपये किसान को देनी होगी। 2 एचपी. एसी सबमर्सिबल की लागत लगभग 1 लाख 46 हजार 927 रूपये रखी है। इस पर सरकार किसानों को 88 हजार 756 रूपये सब्सिडी के रूप में देगी जबकि शेष राशि 59 हजार 71 रूपये किसानों को देना होगा।

3 एचपी सोलर एसी एवं डीसी सबमर्सिबल पम्प की क़ीमत और सब्सिडी 

सरकार ने 3 एचपी डीसी सबमर्सिबल के लिए लागत 1 लाख 94 हजार 516 रुपए रखी है। इसमें किसानों को 1 लाख 16 हजार 710 रूपये का सब्सिडी के रूप में दिए जाएँगे। जबकि शेष राशि 77 हजार 806 रूपये किसानों को देना होगा। वहीं 3 एचपी. एसी सबमर्सिबल के लिए सोलर पम्प की लागत 1 लाख 93 हजार 460 रूपये रखी गयी है। इस पर सरकार किसानों को 1 लाख 16 हजार 076 रूपये सब्सिडी देगी। जबकि शेष राशि किसानों को 77 हजार 384 रूपये किसान को देना होगा।

5 एचपी सोलर एसी सबमर्सिबल पम्प की क़ीमत एवं अनुदान 

सरकार ने 5 एचपी. एसी सबमर्सिबल के लिए योजना के तहत 2 लाख 73 हजार 137 रूपये लागत तय की है | इस पर सरकार किसानों को 1 लाख 63 हजार 882 रूपये का अनुदान देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 09 हजार 255 रूपये किसान को देना होगा।

7.5 एचपी. सोलर एसी सबमर्सिबल पम्प की क़ीमत एवं अनुदान 

सरकार ने 7.5 एसी सबमर्सिबल सोलर पम्प के लिए 3 लाख 72 हजार 126 रूपये का लागत मूल्य तय किया है । इस पर सरकार किसानों को 2 लाख 23 हजार 276 रूपये सब्सिडी के रूप में देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 48 हजार 850 रुपए किसानों को देना होगा।  

10 एचपी.एसी सबमर्सिबल सोलर पम्प की क़ीमत एवं अनुदान 

सरकार ने 10 एचपी. एसी सबमर्सिबल के सोलर पम्प के लिए 4 लाख 64 हजार 304 रूपये की लागत तय की है। इस पर सरकार किसानों को 2 लाख 78 हजार 582 रूपये सब्सिडी के रूप में देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 85 हजार 722 रुपए किसानों को देना होगा।

सोलर पम्प के लिए बोरिंग होना अनिवार्य है 

राज्य के किसानों को योजना का लाभ तब ही दिया जाएगा जब उनके खेत में बोरिंग उपलब्ध होगा। सरकार ने इसके लिए कुछ मापदंड रखें हैं। 2 एचपी हेतु 4 इंच, 3 एवं 5 एचपी हेतु 6 इंच तथा 7.5 एवं 10 एचपी हेतु 8 इंच की बोरिंग होना अनिवार्य है। बोरिंग कृषक को स्वयं करानी होगी। 22 फिट तक 2 एचपी सर्फेस, 50 फिट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 150 फिट तक 3 एचपी सबमर्सिबल, 200 फिट तक 5 एचपी सबमर्सिबल तथा 300 फिट तक की गहराई पर उपलब्ध जल स्तर हेतु 7.5 एवं 10 एचपी के सबमर्सिबल सोलर पम्प उपयुक्त होते हैं।

किसान अनुदान पर सोलर पम्प लेने के लिए यहाँ करें आवेदन 

किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की वेबसाइट www.upagriculture.com पर पंजीकरण होना अनिवार्य है। कृषकों की बुकिंग जनपद के लक्ष्य की सीमा से 200 प्रतिशत तक “पहले आओ-पहले पाओं” के सिद्धान्त पर की जायेगी। अनुदान पर सोलर पम्प की ऑनलाइन बुकिंग हेतु विभागीय बेवसाइट www.upagriculture.com पर “अनुदान पर सोलर पम्प हेतु बुकिंग करें” लिंक पर क्लिक कर ऑनलाइन बुकिंग की जायेगी । ऑनलाइन टोकन जनरेट करने के उपरान्त कृषक को चालान के माध्यम से कृषक अंश की धनराशि एक सप्ताह के अन्दर किसी भी इण्डियन बैंक की शाखा में जमा करनी होगी, अन्यथा कृषक का चयन स्वतः निरस्त हो जायेगा। 

नोट :- सोलर पेनल लगाने के लिए किसान अधिक जानकारी के लिए 7839882078 या 1800-180-3333 पर संपर्क कर सकते हैं। सोलर पंप की बुकिंग करने के लिए मोबाइल नम्बर सम्बंधित पंजीकृत किसान का ही फीड किया जाना चाहिए। किसी अन्य का मोबाइल न०.फीड करने पर लाभ से वंचित किया जा सकता है। 

सब्सिडी पर सोलर पम्प बुकिंग हेतु ऑनलाइन आवेदन हेतु क्लिक करें

80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर हैप्पी सीडर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

हैप्पी सीडर कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि की लागत को कम करने के लिए सरकार कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, सभी किसान इन कृषि यंत्रों को खरीद सकें इसके लिए सरकार की ओर से कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान दिया जाता है। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा राज्य में कृषि यंत्रीकरण योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत इस वर्ष बिहार सरकार 9405.54 लाख रुपए की लागत से किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान देने जा रही है। योजना के तहत कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दिया जाएगा, जिसमें हैप्पी सीडर कृषि यंत्र शामिल है।

बिहार सरकार “कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष (2022-23)” में कुल 90 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रही है, जिसमें खेत की जुताई, बुआई, निकाई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई, दौनी इत्यादि तथा गन्ना एवं उद्यान से सम्बंधित कृषि यंत्र शामिल है। इच्छुक किसान 31 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

हैप्पी सीडर पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

बिहार सरकार कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन में शामिल कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है, इसमें हैपी सीडर को भी शामिल किया गया है। यह कृषि यंत्र कम्बाइन हार्वेस्टर से फसल कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष (पुआल) को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में फैला देता है साथ ही गेहूं की बुआई भी क़तार में कर देता है। इस कृषि यंत्र को 45-50 PTO HP के ट्रैक्टर में लगाकर संचालित किया जाता है।

बिहार सरकार राज्य के किसानों को हैप्पी सीडर कृषि यंत्र पर सामान्य श्रेणी के किसानों को 75% अधिकतम 1,10,000 रुपए एवं अत्यंत पिछड़ा/अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लिए 80 प्रतिशत अधिकतम 1,20,000 रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

किसानों को दिया जाएगा अतिरिक्त 10 प्रतिशत का अनुदान

बिहार राज्य के कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित सूचीबद्ध कृषि यंत्रों पर अनुदान दर प्रतिशत तथा अनुदान दर की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत वृद्धि कर किसानों को अनुदान का लाभ दिया जाएगा। परंतु किसी भी परिस्थिति में अनुदान दर यंत्र की कीमत के 80 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

योजना के अंतर्गत सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए किसान यंत्र की कीमत से अनुदान की राशि घटाकर शेष राशि (कृषक अंश) का भुगतान करके सम्बंधित विक्रेता से यंत्र खरीद सकेंगे। अनुदान राशि सम्बंधित कृषि यंत्र निर्माता के खाते में अंतरित की जाएगी।

हैप्पी सीडर कृषि यंत्र पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान कृषि यंत्रीकरण राज्य योजना वर्ष 2022-23 के तहत हैपी सीडर कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन OFMAS पोर्टल पर 31 दिसम्बर 2022 तक कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए किसान के पास पहले से DBT पोर्टल पंजीयन संख्या होना आवश्यक है। जिन किसानों के पास नहीं है वह कृषि विभाग की DBT पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीयन करा सकते हैं। इसके बाद किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए http://farmech.bih.nic.in पर जाकर आवेदन करना होगा। किसान अपनी इच्छा अनुसार कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

सब्सिडी पर हैपी सीडर लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

अब मिट्टी परीक्षण के लिए हर खेत पर पहुंचेगी एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा

मिट्टी परीक्षण के लिए एंबुलेंस प्रयोगशाला

कृषि क्षेत्र में फसलों की अच्छी पैदावार में मिट्टी का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, अच्छी मिट्टी से न केवल फसल उत्पादन की लागत घटती है बल्कि पैदावार में भी वृद्धि होती है। मिट्टी की महत्ता को देखते हुए सरकार द्वारा किसानों के खेतों की मिट्टी की जाँच कर उन्हें सॉइल हेल्थ कार्ड दिए जाते हैं ताकि किसान मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानकर ही आवश्यक खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करें। मृदा जाँच की उपयोगिता को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार हर खेत मिट्टी परीक्षण एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा शुरू करने जा रही है।

मध्यप्रदेश के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में किसानों का योगदान अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। कृषि मंत्री श्री पटेल भोपाल में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भू-उर्वरता को बनाए रखने के लिए हर खेत मिट्टी परीक्षण एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा शुरू की जा रही है।

क्या है हर खेत मिट्टी परीक्षण एंबुलेंस प्रयोगशाला सेवा

कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि कृषि में रासायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से खेत की मिट्टी का क्षरण हो रहा है। राज्य सरकार ने मिट्टी क्षरण को रोकने के लिए किसान के खेत की मिट्टी का परीक्षण करने हर खेत मिट्टी परीक्षण एम्बुलेंस प्रयोगशाला सेवा शुरू करने जा रही है। खेत एंबुलेंस में कृषि वैज्ञानिक के साथ कृषि अधिकारियों की टीम रहेगी, जो किसान के खेत में पहुँच कर ऑन स्पॉट यह बताएगी कि खेत की मिट्टी में कितना रासायनिक खाद उपयोग करना है और कितना नहीं करना है।

किसानों को रासायनिक खाद पर दी जा रही है सब्सिडी

कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि वर्ष 2019-20 में केन्द्र सरकार 71 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देती थी। अब यह बढ़ कर सवा दो लाख करोड़ रूपए हो गई है। पहले डीएपी की बोरी 19 सौ रूपए में मिलती थी। जिसमें किसान को 700 रूपए की सब्सिडी मिल रही थी। अब डीएपी 3900 रूपए प्रति बोरी है, जिसमें सरकार 2700 रूपए सब्सिडी दे रही है।