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इस वर्ष रबी फसलों के बुआई क्षेत्र में हुई 25.99 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की वृद्धि

रबी फसलों की बुआई के रकबे में वृद्धि 

रबी फसलों की बुवाई का काम लगभग पूरा होने वाला है, इस बीच सरकार ने देश भर बोई जाने वाली विभिन्न रबी फसलों के बुआई क्षेत्र को लेकर आँकड़े जारी कर दिए है। केंद्र सरकार के द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार 23 दिसम्बर 2022 तक देश भर में इस वर्ष 25.99 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बुवाई हुई है। सरकार की मानें तो इसका कारण सरकार द्वारा किसान हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाएँ हैं।

सरकार द्वारा जारी आँकड़ों की मानें तो 23 दिसम्बर 2022 तक, रबी फसलों के तहत बोया गया क्षेत्र 2021-22 में 594.62 लाख हेक्टेयर से 2022-23 में 4.37 प्रतिशत बढ़कर 620.62 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष 25.99 लाख हेक्टेयर अधिक है। क्षेत्र में वृद्धि सभी फसलों में हुई है लेकिन सबसे अधिक गेहूं के बुआई क्षेत्र में देखी गई है।

इन फसलों की बुआई क्षेत्र में हुई है वृद्धि

वर्ष 2022–23 के रबी सीजन में कुल 620.62 लाख हेक्टेयर की बुआई हुई है। इसमें गेहूं की फसल में 312.26 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है जो पिछले वर्ष के मुकाबले 9.65 प्रतिशत अधिक है। अभी भी गेहूं की बुवाई कुछ राज्यों में चल रही है। 

तिलहन की वर्ष 2021–22 में 93.28 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई थी जो वर्ष 2022–23 में 9.60 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 101.47 लाख हेक्टेयर हो गई है। इसमें सरसों का क्षेत्र पिछले वर्ष 85.35 लाख हेक्टेयर था जो इस वर्ष 7.32 लाख हेक्टेयर की वृद्धि के साथ 92.67 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस वर्ष रबी सीजन में तिलहन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा योगदान रेपसीड और सरसों का रहा।

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इस वर्ष दलहन की बुवाई क्षेत्र में भी वृद्धि देखने को मिली है। पिछले वर्ष दलहन की बुवाई 144.64 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी जो इस वर्ष 3.91 लाख हेक्टेयर के वृद्धि के साथ 148.54 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गई है। सभी दालों के लिए 3.91 लाख हेक्टेयर में से अकेले मसूर की दाल के क्षेत्र के हिस्‍से में 1.40 लाख हेक्‍टेयर की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार चने की खेती के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 0.72 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। 

मोटे तथा पोषक अनाजों के बुआई रकबे में भी वृद्धि हुई है। मोटे और पोषक अनाज की खेती के तहत आने वाले क्षेत्र में 242 लाख हेक्टेयर की वृद्धि देखी गई है जो 2021–22 के 41,50 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2022–23 में अब तक 43,92 लाख हेक्टेयर हो गई है।

उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को दिए गए उन्नत बीज

देश अभी तक तिलहन तथा दलहन के क्षेत्र में आत्म निर्भर नहीं हुआ है। ऐसे में पिछले वर्ष देश में खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए 1.41 लाख करोड़ रूपये की लागत से 142 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करना पड़ा है इसलिए सरकार देश में दलहन तथा तिलहन की उत्पादन बढ़ाकर आयात में कमी लाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत उन्नत किस्मों के बीज वितरित किए गए हैं।

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टीएमयू 370 कार्यक्रम के तहत किसानों को दिए गए उन्नत बीज

सरकार ने दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत एनएफएसएम ‘टीएम 370’ के नाम से विशेष कार्यक्रम शुरू किया है। जिसका उद्देश्य अच्छे बीज और तकनीकी प्रक्रियाओं की कमी के कारण राज्य की औसत से कम दालों की पैदावार वाले 370 जिलों की उत्पादकता बढ़ाना है। योजना के तहत लगभग 4.04 लाख एचवाईवी बीज मिनीकिट ‘टीएमयू370’ के तहत किसानों को मसूर के लिए मुफ्त वितरित किए गए। 

वितरित की गई उच्च उपज वाली किस्मों में आईपीएल 220, आईपीएल 315, आईपीएल 316, आईपीएल 526 शामिल हैं। उड़द के लिए एलबीजी-787 के 50,000 बीज मिनीकिट चयनित जिलों के किसानों के बीच वितरित किए गए।

सरसों की उन्नत किस्मों के बीज किए गए वितरित

रबी 2022-23 के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-तिलहन के तहत 18 राज्यों के 301 जिलों में 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज क्षमता वाले एचवाईवी के 26.50 लाख बीज मिनीकिट किसानों को वितरित किए गए। नवीनतम किस्‍मों आरएच-106, आरएच-725, आरएच-749, आरएच-761, सीएस-58, सीएस-60, गिरिराज, पंत राय-20, जीएम-3, पीडीजेड-31 जैसे 2500-4000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की सीमा में उपज क्षमता वाले बीज वितरित किए गए।

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